bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-02-2019, 12:57 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
आशना, वीरेंदर की बात का अंदाज़ा लगाते हुए मायूस हो जाती है और धीरे से बोलती है: तो क्या मैं सो जाउ???? 

वीरेंदर(आशना की तरफ बढ़ते हुए): नींद आई है तो सो जाओ, मुझे जो करना है मैं तो कर कर ही रहूँगा. 

वीरेंदर की बात सुनकर आशना के चेहरे पर एक बार फिर से मुस्कान तैर जाती है. अंधेरे के बावजूद भी वीरेंदर आशना के चेहरे पर खिली मुस्कान महसूस लेता है और बोलता है: मुस्कुरा लो जितना मुस्कुराना है मेरी जान. आज तो जान निकाल कर ही रहूँगा तुम्हारी. 

आशना: धत्त!!! क्या ऐसे भी किसी दुल्हन को डराया जाता है उसकी सुहाग सेज पर???

वीरेंदर(आशना के पास बेड पर बैठते हुए): मेरे ख़याल से पहले से आगाह कर देना ठीक रहता है. बाद मैं झगड़ने से तो अच्छा ही है. 

आशना: मैं क्यूँ झगडूंगी अपनी जान से. 

वीरेंदर: आशना की बगल में लेट जाता है और उसके सर के पास अपना हाथ ले जाता है. आशना की साँस एक दम अटक सी जाती है. उसकी आँखें एक दम बंद हो जाती है. तभी उसके कानो में क्लिकक की आवाज़ आती है और आशना की आँखें एक दम खुल जाती हैं. आँखें खुलते ही आशना की आँखें एक दम फैल जाती हैं.

बेड पोस्ट के दोनो एंड्स पर लगी दो ट्यूबलाइट्स झिलमिला उठती हैं, जिस कारण आशना और वीरेंदर एक दूसरे को सॉफ देख सकते हैं. आशना क्यूट सा मुँह बनाकर वीरेंदर की तरफ देखती है और वीरेंदर आशना की आँखो में देख कर कहता है: तुम्हे क्या लगा था कि मैं पहली ही रात में लाइट भुजा दूँगा????मेरी गुड़िया, आज के बाद तो हमारे बेडरूम की लाइट कभी बंद होगी ही नहीं. 

आशना(शरारत भारी नज़रों से): तो फिर मुझे सोने केलिए किसी और कमरे में जाना पड़ेगा. 

वीरेंदर: तुम कहीं भी जाओ लेकिन मेरा हक तो मुझसे कोई छीन ही नहीं सकता. 

आशना(आँखें बंद करके): जी मेरे सरताज.

वीरेंदर: आशना. 

आशना:हुउन्न्ञन्. 

वीरेंदर: आओ ना. 

आशना ने कस कर अपनी आँखें बंद कर ली और धड़कते दिल से वीरेंदर के अगले कदम का इंतज़ार करने लगी. थोड़ी देर तक वीरेंदर ने कोई हरकत नहीं की. आशना की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. 

वीरेंदर: आशना, सुनो तो.

आशना(आँखें बंद रखते हुए): जी. 

वीरेंदर: मेरे पास आओ ना जान. 

आशना के शरीर में कोई हरकत नही हुई. 

थोड़ी देर बाद वीरेंदर बोला: गुड़िया, मेरे पास आ ना. 

वीरेंदर के मुँह से इतना सुनते ही आशना वीरेंदर की तरफ करवट लेकर उस से लिपट जाती है. दोनो के बदन जब मिलते हैं तो जैसे एक दम से बिजली कड़कती है और दोनो के कान में दूर कहीं घंटियों का शोर सुनाई देता है. दूर दूर से घंटियों का शोर उन्हे एक दूसरे के और नज़दीक खींच रहा था जैसे वो इतने पास आ जाना चाहते हो कि इस शोर मे एक दूसरे की धड़कनों को सुन पाए. एक दूसरे को कस कर गले लगाने के बाद कब उनके होंठ एक दूसरे से मिले यह उन्हे पता ही नहीं चला. जी भर कर एक दूसरे के होंठो का रस चूसने के बाद जब उनकी साँसों का उफान उनके बस से बाहर हुआ तो दोनो सांस लेने के लिए एक दूसरे से जुदा हुए.

इस वक्त दोनो पीठ के बल बिस्तर पर सीधे लेटे हुए अपनी अपनी सांसो को नियंत्रित करने में लगे थे जबकि वीरेंदर का बाया हाथ और आशना का दाया हाथ एक दूसरे को ऐसे कस के पकड़े हुए थे जैसे कि वो अब कभी एक दूसरे से जुदा नहीं होंगे. काफ़ी देर तक अपनी साँसों को नियंत्रित करने के बाद जब आशना को होश आया तो उसने धीरे से चेहरे को घूमाकर वीरेंदर की तरफ देखा.वीरेंदर के चेहरे पर आए संतुष्टि के भाव देख कर उसके दिल को असीम आनंद मिला. 

ठीक उसी वक्त वीरेंदर ने भी अपने चेहरे को घूमाकर जब आशना के चेहरे की तरफ देखा तो आशना के चेहरे पर आए नूर को देख कर उसके दिल में भी आनंद की लहरें उठने लगी. 

आशना(नज़रें झुका कर): क्या देख रहे है वीर????

वीरेंदर: अपनी गुड़िया के चेहरे में आए नूर को देख रहा हूँ. देख रहा हूँ कि कितनी संतुष्टि है इन आँखो में, कितना नूर है इस चेहरे पर. 

आशना: सब आपके साथ का असर है वीर. आपके बिना मैं बिल्कुल अधूरी हूँ. 

वीरेंदर: और मैं तो यह सोच रहा हूँ कि अब तक मैं तुम बिन जी कैसे रहा था . 

आशना: जो बीत गया, उसके बारे में सोच कर क्यूँ अपने दिल को दुखायें वीर. आज से हम एक हैं और अब हमे कोई जुदा नहीं कर सकता. 

वीरेंदर: जानती हो, मैं तुम्हे अपनी पत्नी के रूप मैं पाकर बहुत खुश हूँ. 

आशना: मैं आपको भैया के रूप में पाकर भी खुश थी और अब अपने जीवन साथी के रूप में पाकर तो धन्य हो गयी हूँ. 

वीरेंदर: अच्छा. तो अब ज़रा यह बताएँगी कि आपको खुश ही रहना है या धन्य भी होना है. 

आशना(मदहोशी में): मुझे लगता है कि हमे दोनो ऑप्षन्स एंजाय कर लेने चाहिए. 

वीरेंदर ने आशना की तरफ सरक कर उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे अपने से सटा लिया. 

आशना: यह क्या कर रहे है वीर, मेरी ड्रेस खराब हो जाएगी. 

आशना की इस बात को सुनकर वीरेंदर की पकड़ आशना पर और कस गयी. 

वीरेंदर: अभी तो सिर्फ़ ड्रेस की हालत बिगाड़ रहा हूँ, आज रात तो पता नहीं क्या क्या बिगड़ने वाला है. 

आशना: आहह, प्लीज़ छोड़िए मुझे वीर, यही ड्रेस मुझे शादी में भी पेहननी है. 

वीरेंदर: तो क्या हुआ, मैं तुम्हे बिल्कुल ऐसी ही दूसरी ड्रेस ले दूँगा. 

आशना: आप भी ना भैया, हमेशा बुद्धू ही रहोगे. भला शादी का जोड़ा कोई लड़की कैसे बदल सकती है. प्लीज़ थोड़ी देर के लिए छोड़िए, मैं थोड़ी देर में आती हूँ ना आपके पास. 

वीरेंदर: अरे यार यह क्या बात हुई. 
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