bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-02-2019, 01:21 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
जैसे ही पोलीस टीम हॉस्पिटल के लिए रवाना हुई, वीरेंदर ने कॉल करके आशना और रागिनी को घर आने के लिए कह दिया. आशना जानती थी कि उनका प्लान सुसेस्सफुल हो चुका है और बिहारी हमेशा के लिए उनकी ज़िंदगी से निकल चुका है. 

घर पहुँचने पर मोहित को घर में देख कर रागिनी बिना कुछ बोले शरमा कर अपने कमरे में चली गयी. वीरेंदर ने मोहित की पीठ थपथपाई और उसे उसके पीछे जाने का इशारा किया. मोहित वीरेंदर के इशारे से शरमा गया और सर झुकाकर वो रागिनी के रूम की तरफ चल दिया. वीरेंदर और आशना की नज़रें मिली तो वीरेंदर ने आशना के लिए अपनी बाहें फैला दी. 

मोहित के रागिनी के कमरे मे घुसते ही आशना दौड़ कर वीरेंदर से लिपट गयी. 

आशना: आइ लव यू वीर. हमारा प्लान सक्सेक्सफूल रहा. बिहारी अब अपने गंदे दिमाग़ का इस्तेमाल कभी नहीं कर पाएगा. उसके दिमाग़ में कभी हमारे लिए गंदगी नहीं आएगी. 

वीरेंदर आशना को बाहों में लिए मुस्कुरा रहा था.
आशना: अब आगे क्या होगा? अभी तो कोर्ट में केस भी चलेगा और रागिनी के डाइवोर्स का क्या होगा?

वीरेंदर: आगे की खबर हम कल अख़बार में पढ़ लेंगे और उसके बाद जो करना है हम मिलकर कर लेंगे लेकिन इस वक्त सबसे ज़रूरी जो बात है वो यह कि हमे अपना हनीमून कंटिन्यू कर लेना चाहिए. ऐसा ना हो कि मैं तुम्हारे प्यार के लिए तड़प तड़प कर ही पागल हो जाऊ. दो दिन से प्यासा हूँ मैं और जानता हूँ कि मेरे लिए तुम्हारी प्यास भी तुम्हे बेकरार कर रही होगी. 

आशना ने शरारत भरी नज़रों से उसकी तरफ देखा और बोली: मोहित यहाँ क्या कर रहा है? आपने उसे रागिनी के कमरे मे क्यूँ भेजा?'

वीरेंदर: अरे यार वो दोनो भी तो जवान हैं और आख़िर हमारे साथ साथ उनकी भी तो शादी होने वाली है. हमारी तरह दोनो ही इस स्वाद को चख चुके हैं. बेशक दोनो ही रिश्तों मे धोखा खा चुके हैं लेकिन जिस्म की बेकरारी को कब तक दबा रखेंगे तो मैने सोचा कि क्यूँ ना शादी तक उनके भी हनिमून का अरेंज्मेंट हो जाए. इसी बहाने दोनो की वीरान पड़ी ज़िंदगी में खुशियों के दो पल आ जाएँगे. 

आशना ने मुस्कुरा कर वीरेंदर की बात का समर्थन किया और उसकी बाहों में झूल गयी. आशना को अपनी मज़बूत बाहों में उठाकर वीरेंदर उपर की तरफ चल दिया. वीरेंदर अपने कमरे को क्रॉस करता हुआ आगे निकल गया और आशना के कमरे के पास पहुँचा.

आशना: अपने कमरे में ले चलिए ना वीर. 

आशना की आवाज़ में जो तड़प और जो आग्रह था उस से वीरेंदर को अहसास हुआ कि शायद आज की रात उसे फिर से अपनी हिडन फंतासी पूरी करने का मोका मिलने वाला है. बीती रात भी उसने इस रोमांच को महसूस किया लेकिन कल दोनो के दिल-ओ-दिमाग़ पर एक बोझ था और आज दोनो ही निसचिंत थे और आज की सारी रात उनके पास थी जबकि कल रात उनके पास अपने दिल के सारे अरमान निकालने का वक्त ही नहीं था. 

वीरेंदर: तुम कहती हो तो वहीं चलते है लेकिन एक बात पहले ही क्लियर कर दो. 

आशना ने सवालिया नज़रों से वीरेंदर की तरफ देखा. 

वीरेंदर: क्या तुम्हे आज भूख नहीं है? 

आशना(मुस्कुराते हुए,हैरानी से): क्यूँ? 

वीरेंदर: क्यूंकी मूड बना कर तुम हमेशा उसपर खाना डाल देती हो यार. 

आशना ने शर्मा कर आँखें बंद कर ली और धीरे से बोली: सोच रही हूँ कि आज की रात चेक कर ही लूँ कि खाली पेट मुर्गा सच मे ज़्यादा देर तक लड़ सकता है क्या. 

यह कह कर आशना ने वीरेंदर के सीने मे अपना चेहरा छुपा दिया.

आशना के मुँह से यह बात सुनकर वीरेंदर की रगों मे खून का प्रवाह एकदम तेज़ हो गया. 

रूम मे एंटर करते ही वीरेंदर ने दरवाज़े को धकेल कर खटाक़ से बंद कर दिया. आशना को गोद मे उठाए हुए ही लाइट्स ऑन करके वो उसे बिस्तर के पास ले गया और धडाम से आशना को बिस्तर पर पटक दिया.

आशना: आह, आज तो बहुत ख़तरनाक इरादे लगते हैं जनाब के? 

वीरेंदर: इरादे तो बिल्कुल नेक नहीं है आज मेरे. 

आशना: अच्छा जी, तो क्या करने का इरादा है? 

वीरेंदर: सोच रहा हूँ आज की रात अपनी और अपनी गुड़िया की हसरतें एक बार फिर से जवान कर दूं. 

वीरेंदर के मुँह से "गुड़िया" शब्द सुनते ही आशना के जिस्म में करेंट दौड़ गया. 

आशना: आह भैया, आज अपनी गुड़िया को बता दो एक आप उस से कितना प्यार करते हो और उसे इतना दर्द भरा मज़ा दो कि ज़िंदगी भर वो इस मज़े की लज़्ज़त पाने के लिए आपके साथ हर रात आपके बिस्तर पर आपका खिलोना बनने को तरसे.

वीरेंदर ने ड्रेस से कुछ सिल्की रिब्बन्स को निकला कर आशना की तरफ लहरा दिया. आशना के चेहरे पर शरम के भाव आने लगे और नज़रें झुक गयी. बिस्तर पर आकर वीरेंदर, आशना पर टूट पड़ा. 

वीरेंदर: तुम दिन भर दिन कयामत बनती जा रही हो गुड़िया. तुम्हारे हुस्न ने मुझे घायल तो कर ही दिया और अब लगता है मैं तुम्हारे लिए पागल भी हो जाउन्गा. जी चाहता है कि तुम्हारे जिस्म के हर हिस्से से खेलूँ और हर कामुक अंग को नोच डालूं अपने प्यार से. 

आशना, वीरेंदर पर सवार होती हेवानियत से मचल उठी थी. दिल के किसी कोने में उसने भी इस पल के लिए सपने संजो रखे थे. 
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