bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-02-2019, 12:55 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
उस रात रागिनी अपने कमरे से बाहर नहीं निकली और बिहारी भी कुछ देर ज़मीन पर बेहोश पड़े रहने के बाद जब होश में आया तो हाल से उठकर अपने कमरे में चला गया. यह सब आशना और वीरेंदर के घर में आने से पहले हो चुका था. हाल में खून(बिहारी की नाक से निकला हुआ) के धब्बे और उनके पास पड़ा कॅमरा आने वाले वक्त की एक डरावनी तस्वीर पेश कर रहे थे.

सुबह ठीक 8:00 बजे "शर्मा निवास" की शांति भंग हुई. आशना और वीरेंदर एक दूसरे की बाहों में चैन की नींद सो रहे थे जब उनके दरवाज़े को किसी ने ज़ोर से पीटा. आशना ने वीरेंदर को उठाया तो वीरेंदर बोला: कॉन है??? 

बिहारी: मालिक, गरमा गरम नाश्ता तैयार है. 

आशना:काका, बस आधे घंटे में हम दोनो नीचे आते हैं. 

आशना झट से उठी और फटाफट जॅकेट डाल कर वीरेंदर के उपर से ब्लंकेट हटाया. 

आशना: कम ऑन हरी अप, देखो कितना लेट हो गया है आज. 

वीरेंदर: आओ ना यार कुछ देर और तुम्हारी बाहों मे सोने का दिल कर रहा है. 

आशना: नो वे, जल्दी से फ्रेश होकर तैयार हो जाइए. मैं दूसरे रूम में जा रही हूँ, फ्रेश होकर आपको नीचे ही मिलती हूँ. 

करीब 8:50 पर वीरेंदर जब नीचे पहुँचा तो देखा कि आशना भी नीचे आ चुकी है और काका को नाश्ता परोसने में मदद कर रही है. वीरेंदर, आशना को देखे जा रहा था. आशना बिहारी की मौजूदगी में कंफर्टबल फील नहीं कर रही थी. काफ़ी देर तक कोई कुछ ना बोला.

चुप्पी को तोड़ते हुए आशना बोली: रागिनी कहीं दिखाई नहीं दे रही??

बिहारी: हड़बड़ाते हुए, जी मालकिन वो कल शाम को ही अपने घर चली गयी , उसकी माँ का फोन आया था कि उसके पिता जी काफ़ी बीमार हैं. 

वीरेंदर नाश्ता करते हुए एक दम रुक गया. आशना भी रागिनी के यों अचानक चले जाने से चौंक उठी. बिहारी ने दोनो की आँखो में उमड़ रहे सवालो को पढ़ लिया और बोला: कहकर गयी है कि 4-5 दिन में वापिस आ जाएगी. अब अचानक से जाना पड़ा तो आपको बताने का समय ही नहीं मिला. 


आशना: काका, मुझे रागिनी के घर का नंबर. चाहिए मैं उस से बात करूँगी, शायद उसे किसी चीज़ की ज़रूरत हो. 


बिहारी(परेशान होते हुए): मालकिन, वहाँ का नंबर. तो मुझे नहीं पता. हां रागिनी का मोबाइल नंबर. है मेरे पास मगर वो सुबह से ही स्विच ऑफ आ रहा है. 


वीरेंदर( नाश्ता करके उठते हुए): ठीक है काका, जैसे ही कोई खबर आए, हमे बता देना, हम दोनो ऑफीस जा रहे हैं.

करीब 9:45 पर आशना और वीरेंदर ऑफीस के लिए निकल गये. 

आशना(गाड़ी में): मैं ऑफीस चलकर क्या करूँगी वीर. आप काम में बिज़ी रहेंगे और मैं बोर हो जाउन्गी. 

वीरेंदर: मुझे कोई खास काम नहीं है आज ऑफीस में. टेंडर के लिए सुपरवाइजर और मेनेज़र अपायंट कर लिए है वो सब संभाल लेंगे. मुझे बस कभी कभी साइट पर जाकर प्रोग्रेस चेक करनी है. 

आशना: तो इसी लिए आप मुझे ले जा रहे हैं ताकि आपको कंपनी मिल जाए. 

वीरेंदर: ओफ़कौर्स, तुम तो बहुत समझदार हो गयी हो यार. 

आशना: लेकिन मिस्टर. वीर अफ़सोस कि मैं रागिनी नहीं हूँ जो ऑफीस में आपको एंटरटेन करूँगी. 

आशना की बात सुनकर वीरेंदर एकदम सीरीयस हो गया. वीरेंदर का सीरीयस चेहरा देखा कर आशना को एहसास हुआ कि उसने मज़ाक मज़ाक में ग़लत बोल दिया है. 

आशना(कान पकड़ते हुए, मासूमियत से): आइ आम सॉरी, आइ डॉन'ट वान्ट टू हर्ट यू. 

वीरेंदर: इट'स ओके. 

आशना: देन चियर अप, ऐसे मुँह लटकाए क्यूँ बैठे हो. 

वीरेंदर: याद आ रही है रागिनी की और वीरेंदर यह कहकर ठहाका मार कर हंस दिया. 

आशना ने हाथ से मुक्का बना कर वीरेंदर को दिखाया और झूठे गुस्से से बोली: युयूयुयूवयू रास्कल.

इसी नोक झोंक मे ऑफीस भी आ गया. ऑफीस में आते ही वीरेंदर काम में बिज़ी हो गया. वॉर्कर्स को काम समझाने और रेकॉर्ड्स चेक करने में उसे करीब 1:00 बज गया. इस दौरान बीच बीच में आशना से भी बात हो जाती थी. वीरेंदर के साथ कभी यहाँ तो कभी वहाँ चलते चलते आशना थकान फील करने लगी थी. 

आशना: वीरेंदर, मैं आपके कॅबिन में जा रही हूँ, आप जब फ्री हो जाएँ तो वहीं पर आ जाइएगा. 

वीरेंदर: आइ आम सॉरी आशना, मैं तुम्हे वक्त ही नहीं दे पा रहा. 

आशना(मुस्कुराते हुए): डॉन'ट वरी, काम सबसे पहले. वैसे भी मेरी तो सारी ज़िंदगी आपके ही नाम है. इतमीनान से सारा काम ख़तम कीजिए और अपने कॅबिन में आ जाइए. 

आशना के जाते ही वीरेंदर ने होटेल से खाना ऑर्डर किया. कोई 15 मिनट के बाद जब वीरेंदर अपने कॅबिन में घुसा तो आशना सोफे पर बैठी सुस्ता रही थी. 

वीरेंदर: थक गयी क्या????

आशना: गॉड !!! वीर, आप यह सब कैसे मॅनेज कर लेते हैं?? मैं तो बार बार सीढ़ियाँ चढ़ कर उतर कर ही थक गयी हूँ. 

वीरेंदर: जल्द ही तुम्हे भी आदत पड़ जाएगी. 

आशना: ना बाबा ना, मैं तो घर में ही ठीक हूँ. 

वीरेंदर: तो चलो फिर दोनो, हमारे पाँच बच्चो को तुम पालोगी और मैं उनके लिए पैसे कमा कर लाउन्गा. 

आशना: 5?????

वीरेंदर(मासूमियत से): कम हैं???? चलो 1-2 और जोड़ लो मगर इस से ज़्यादा नहीं. मैं इंसान हूँ टार्ज़ॅन नहीं यार. 
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02-02-2019, 12:55 AM,
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आशना ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए वीरेंदर को मारना चाहा मगर वीरेंदर ने आशना को बाहों से पकड़ कर अपने सीने से चिपका लिया. 

वीरेंदर: तू तो खुद मेरा बच्चा है मेरी गुड़िया. 

आशना ने भी वीरेंदर को कस कर जकड लिया. 

आशना: आप के हर बच्चे का ख़याल रखना मेरी ज़िम्मेदारी है वीर. 

इस से पहले कि वीरेंदर आगे कुछ बोलता, कॅबिन डोर नॉक हुआ. आशना झट से वीरेंदर से दूर हटी और सोफे पर बैठ गयी. वीरेंदर भी अपनी चेयर पर बैठा और बोला " यस, कम इन". होटेल से खाने की डेलिवरी आई थी. 

खाना खाने के बाद आशना बोली: वीरेंदर, यहाँ बहुत बोर फील हो रहा है, मैं घर जा रही हूँ. 

वीरेंदर: आज हम लोग घर नहीं जाएँगे. 

आशना: क्या मतलब????

वीरेंदर: मतलब यह कि मैने रीसेंट्ली ही नोएडा में एक बंगलो खरीदा है. अभी तक वहाँ जाने का मोका नहीं मिला. आज का दिन खास है तो सोच रहा हूँ कि आज "ग्रह परवेश" भी कर लून और वहाँ जाकर अपने दिल की हसरतें भी पूरी कर लून. 

आशना का चहरा एक दम गुलाबी हो गया. 

आशना(शरमाते हुए): वैसे आज क्या ख़ास है????

वीरेंदर: आज, मैं एक प्यारी सी गुड़िया को हमेशा हमेशा के लिए अपनी बनाने वाला हूँ. 

आशना(शरमाते हुए): अगर वो गुड़िया मेंटली प्रिपेर नहीं हुई तो???

वीरेंदर: फिज़िकली तो बहुत खिली हुई है अगर मेंटली प्रेप्रेशन थोड़ी कम भी हो तो चलेगी, मैं उसे इतना पागल कर दूँगा कि मेरे प्यार मे कुछ भी कर जाएगी. 

आशना: ऐसा मत कीजिए ना उस के साथ, कहीं मर ही ना जाए. 

वीरेंदर: जिस लड़की ने मेरी ज़िंदगी की खातिर इतने ख़तरे उठाए हैं उसे तो मैं एक आँच भी नहीं आने दूँगा. 

आशना एक दम भावुक हो उठी. आशना की आँखो की नमी देख कर वीरेंदर का दिल भी भर आया. 

वीरेंदर(सिचुयेशन को नॉर्मल बनाते हुए): यार तुम तो अभी से रोने लगी, रात को क्या करोगी. 

आशना का चेहरा एक दम सुर्ख हो उठा शरम के मारे और रोनी सी सूरत बनाकर उसके होंठ मुस्कुरा उठे. 

आशना: मेरा राजकुमार मुझे कभी तकलीफ़ नहीं पहुँचाएगा. 

वीरेंदर: चलो आज रात तुम्हारा यह भरोसा भी टूट जाएगा. 

आशना(कमर पर हाथ रखकर): व्हाट डू यू मीन???

वीरेंदर: यही कि तुम चीखोगी भी और चिल्लाओगी भी लेकिन आज मैं तुम्हे मेरी बनाए बिना नहीं छोड़ूँगा. 

आशना: धत्त, निर्दयी कहीं के.

वीरेंदर खिलखिलाकर हंस दिया और आशना भी उसके गले लग कर मुस्कुरा दी. 

कुछ देर बाद, आशना: वीर मुझे थोड़ी देर के लिए मार्केट जाना है. 

वीरेंदर: मैं भी फ्री हूँ, चलो साथ ही चलते हैं.

आशना: जी नहीं, मैं अकेली ही चली जाउन्गी. वैसे भी आज कल आप ऑफीस के काम में ध्यान काम देते हैं तो आप ऑफीस में ही रहेंगे. 

वीरेंदर: अब तुम्हारे सिवा कहीं दिल ही नहीं लगता.

आशना(बड़ी अदा से): चल हट, आवारा आशिक कहीं का. 

वीरेंदर: आवारापन तो आज दिखाउन्गा तुझे. 

आशना: जा जा, मैं नहीं डरती इन धमकियों से. 

वीरेंदर: अपने शब्द वापिस लेले जानेमन, वरना रात तो बहुत पछताएगी. 

आशना(आँखें बड़ी करते हुए): धमकी !!! अपुन को धमकी. जाओ आज रात का प्रोग्राम ही कॅन्सल. 

वीरेंदर(कान पकड़ते हुए): माफ़ कर दे मेरी माँ, तू तो एक दम दिल पे ले लेती है यार. 

आशना (मुस्कुराते हुए): अब आए ना सही लाइन पर, चलो निकालो. 

वीरेंदर(हैरानी से आँखें फाडे हुए): अब इस वक्त!!!!. 

आशना ने बुरा सा मुँह बनाया और बोली: कॅश निकालो जनाब, अब शादी करने का वादा किया है तो नखरे भी उठाने पड़ेंगे मेरे. 

वीरेंदर: क्या बात है, यह हुई ना बीवियों वाली बात और जेब में हाथ डालकर 500 -500 के नोटो की एक गड्डी आशना के हाथ में थमा दी. 

आशना: इतने ज़्यादा नहीं चाहिए. 

वीरेंदर: क्या यार एक बार तो बीवी बनकर हुकुम चलाती हो और फिर जल्द ही बेहन की हसियत से भाई के पैसो की परवाह भी करती हो. 

आशना: क्या करूँ, अब रिश्ते तो दोनो हे निभाने पड़ेंगे ना. 

वीरेंदर: बिल्कुल नहीं, तुम बस मेरी बीवी बनकर ही रहोगी. 

आशना ने अपनी जेब में पैसे डाले और दरवाज़े की तरफ जाते हुए कहा " जी भैया". 

वीरेंदर: रुक तो. 

आशना तेज़ी से कॅबिन डोर से बाहर निकल गयी.
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02-02-2019, 12:56 AM,
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आशना के निकलते ही वीरेंदर के कॅबिन का डोर नॉक हुआ, वीरेंदर ने दरवाज़े की तरफ देखे बिना कहा " कम इन". दरवाज़ा खुला और आशना ने अपना चेहरा अंदर किया. 

जैसे ही वीरेंदर की नज़र दरवाज़े से बाहर खड़ी आशना पर पड़ी, आशना: भैया कहने से एक अजीब सी फीलिंग्स आती है यार और यह कहकर आशना ने वीरेंदर को फ्लाइयिंग किस दी और कॅबिन का दरवाज़ा बंद कर तेज़ी से बाहर निकल गयी. 

वीरेंदर(रोमांच से भरते हुए): तुम्हारे भैया कहने से फीलिंग्स तो मुझे भी बहुत होती है मेरी गुड़िया , आज यह सारी फीलिंग तुम्हे बाहों में लेकर फील करना चाहता हूँ मैं. हमेशा हमेशा के लिए आज मैं तुम्हारे साथ एक नया रिश्ता बनाना चाहता हूँ लेकिन इस से पहले तुम्हे बहुत कुछ बताना है और बहुत जल्द हम दोनो को मिलकर बहुत कुछ करना है.
शाम को करीब 6:00 बजे वीरेंदर ने आशना को फोन किया तो आशना ने कॉल पिक की. 

वीरेंदर: कहाँ हो यार, कितनी शॉपिंग करनी है तुम्हे. 

आशना: वीरेंदर मुझे अभी टाइम लगेगा आप प्लीज़ कुछ देर और वेट कर लीजिए. 
सारे एंप्लायीस अपने अपने घर जा चुके थे, वीरेंदर ऑफीस मे अकेला था.

वीरेंदर: क्या यार, अभी से वेट करवाना शुरू. इस तरह से तो मैं मर ही जाउन्गा. 

तभी उसे अपने पीछे से आवाज़ आई "यह मरने मरने की बातें छोड़िए जनाब, भला आप कब से इतने भावुक हो गये".

वीरेंदर: आशना तुम!!!!, लेकिन तुमने तो कहा के तुम्हे आने मैं अभी टाइम लगेगा. 

आशना: वो तो मैं आपकी बेकरारी बढ़ने के लिए बोल रही थी. 

वीरेंदर(मुस्कुराते हुए): लेकिन सच तो कुछ और ही निकला. 

आशना: मतलब??

वीरेंदर: मतलब यह कि तुम भी उतनी ही बेकरार हो जितना कि मैं, तभी तो मेरे बुलाने पर झट से चली आई.

आशना: हुह्म, वेरी फन्नी. 

वीरेंदर: अच्छा बताओ तो क्या क्या खरीदा है तुमने. 

आशना ने बॅग्स को अपनी पीठ के पीछे छुपाते हुए कहा: डॉन'ट डेयर टू टच मिस्टर., "यह मेरी ड्रेससिस हैं". आप इन्हे शौक से देख सकते हैं लेकिन तभी जब मैं इन्हे पहनुँगी. 

वीरेंदर: ओह शिट, मैं तो भूल ही गया था कि तुम सबसे पहले एक लड़की हो और एक लड़की के लिए उसकी न्यू ड्रेस के साथ साथ अगर उसकी भी तारीफ की जाए तो सोने पे सुहागा हो जाता है. 

आशना(मुस्कुराते हुए): बड़ा कुछ जानते हो आप लड़कियों के बारे में. 

वीरेंदर: लेकिन अब सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे बारे में ही जानना चाहता हूँ. 

आशना(वीरेंदर को चिड़ते हुए): यू आर ऑल्वेज़ वेलकम भैया. 

वीरेंदर: रुक, तेरी तो और यह कहकर वीरेंदर ने आशना की कलाई पकड़ ली. 

आशना(भोला सा चेहरा बनाते हुए): छोड़िए ना वीर. 

वीरेंदर: यार, तुम्हे छोड़ने का मन भी नहीं करता और तुमपर तरस भी आता है. 

आशना(आँखें नचाते हुए): तरस क्यूँ??

वीरेंदर: तुम्हारे भोले पन को देख कर कभी कभी सोचता हूँ कि क्या होगा तुम्हारा. अपने आप को देखो, एकदम स्लिम-ट्रिम छुइ मुई सी गुड़िया और मुझे देखो, हटता कटता गबरू जवान. 

आशना: गबरू जवान या सांड़????

वीरेंदर: कुछ भी समझो, सच में बड़ी दया आती है तुमपर. 

आशना:दया को मारो गोली और जो आपका दिल चाहता है वो करो. 

आशना ने अचानक से यह बात बोल तो दी लेकिन जैसे ही उसे अपनी ग़लती का एहसास हुआ वो शरमा कर वीरेंदर से नज़रें चुराने लगी. 

वीरेंदर: तो इसका मतलब, तुम्हारी तरफ से पूरी छूट है. 

आशना शरम के मारे कुछ बोल नहीं पाई. 

वीरेंदर: तो चलें फिर अपने हनिमून पर??

आशना का दिल तेज़ी से धड़कने लगा लेकिन उसके लब खामोश रहे. वीरेंदर कॅबिन से बाहर निकला तो आशना भी उसके पीछे पीछे बाहर चली आई. वीरेंदर ने गेटकीपर को शोरुम लॉक करने के लिए बोल दिया और गाड़ी मे बैठ कर आशना के साथ नोएडा के लिए निकल पड़ा. रास्ते में वीरेंदर, आशना से हल्की फुल्की बातें करके उसके तनाव को कम करने का काम कर रहा था. 

आशना: आपने बिहारी काका को फोन कर दिया???

वीरेंदर: दोपहर को ही फोन करके बोल दिया था कि हम दोनो एक मीटिंग के लिए दो चार दिन के लिए कहीं बाहर जा रहे हैं. 

आशना: 2-4 दिन????

वीरेंदर: कम हैं???

आशना: यह तो बहुत ज़्यादा हैं, यहाँ ऑफीस में काम कॉन देखेगा. 

वीरेंदर: ऑफीस का काम मोहित संभाल लेगा तुम बस मेरी फिकर करो. 

आशना: आपको तो मैं संभाल ही लूँगी. 

वीरेंदर और आशना की नज़रें मिली तो वीरेंदर को आशना की आँखो में अपने लिए असीम प्यार नज़र आया.

शाम करीब 7:15 बजे तक दोनो बंगलो में पहुँच चुके थे. यमुना नदी से थोड़ी ही दूरी पर बना यह तीन मंज़िला बंगलो बाहर से ही भव्यता का प्रतीक मालूम हो रहा था. बंगलो के आस पास(बाउंड्री वॉल के बाहर) का इलाक़ा मैदानी था और दूर कहीं इक्का दुक्का बड़े बड़े पेड नज़र आ रहे थे. बंगलो के इर्द गिर्द एक बड़ी सी बऔन्ड्री वॉल थी और उसके अंदर के एरिया मे काफ़ी मात्रा में अलग अलग किस्म के छोटे छोटे पेड लगे हुए थे. बंगलो को देख कर ही आशना समझ गयी कि यह न्यूली कन्स्ट्रक्टेड बिल्डिंग है. बंगलो के अंदर ऐश-ओ-आराम की हर सुविधा उपलब्ध थी. वीरेंदर, आशना को ईस्ट फ्लोर मे एक रूम मे ले गया. जिसकी पिछली दीवार(जो कि आधी शीशे की थी) में लगे पारदर्शी शीशे से यमुना नदी का एक बहुत ही शानदार व्यू देखने को मिल रहा था था. हालाँकि व्यू काफ़ी दूर का था मगर देल्ही जैसे घने शहर में इस तरह का नज़ारा भी दिल को काफ़ी उत्साह दे देता है. 

आशना: वाउ, यह घर तो बहुत ही सनडर है. देखो कितना अच्छा व्यू हैं यहाँ से.

वीरेंदर: शादी के बाद हम यहीं सेट्ल हो जाएँगे. यह मेरी तरफ से तुम्हे शादी का तोहफा है. 

आशना(व्यू की तरफ देखते हुए) : वैसे देखा जाए तो मैं काफ़ी महँगी पड़ रही हूँ आपको. 

वीरेंदर: क्या मतलब??? 

आशना: आपकी ज़िंदगी में आते ही मैने आपकी जेब ढीली करवाना शुरू कर दिया. देखिए ना सबसे पहले आपने मेरे लिए शोरुम से इतनी कॉस्ट्ली आइटम्स पॅक करवा कर घर मे पहुँचाई, फिर मुझे गाड़ी गिफ्ट की और फिर अब यह इतना बड़ा बांग्ला भी मुझे गिफ्ट कर रहे हो.

वीरेंदर: तुम्हे पसंद है??

आशना: आपकी दी हुई हर चीज़ बहुत पसंद है लेकिन इन तॉहफो से भी बड़ा तोहफा आपके रूप में जो मुझे मिला है, मैं उसे हमेशा दिल से लगाए रखूँगी वीर. 

वीरेंदर: तुम्हारे लिए तो मेरी जान कुर्बान मेरी जान. 
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02-02-2019, 12:56 AM,
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आशना: प्लीज़ ऐसी बातें मत कीजिए, आपको दुनिया की हर खुशी मिलेगी वीर. हर वो खुशनुमा पल जिसके आप हकदार हैं, मैं वादा करती हूँ कि आपको वो मिलेगा. मैं हर सुख दुख में आपके साथ हूँ वीर और आपसे भी यही उम्मीद करती हूँ. 

वीरेंदर: मैं हर हाल में तुम्हारा साथ दूँगा आशना, चाहे मुझे दुनिया के खिलाफ ही क्यूँ ना जाना पड़े लेकिन मैं तुम्हारा साथ मरते दम तक नहीं छोड़ूँगा. 

आशना: मुझे बाकी का घर नहीं दिखाओगे?? 

वीरेंदर: आज नहीं, आज की सारी रात हम साथ वाले कमरे में गुज़ारेंगे. बाकी का सारा घर तुम्हे कल सुबह दिखाउन्गा.

आशना का चेहरा गुलाबी हो उठा. 

आशना(बात को पलटते हुए): साथ वाला कमरा????

वीरेंदर: वहाँ तुम्हारे लिए एक सर्प्राइज़ है. 
आशना: क्या, एक और सर्प्राइज़?? आख़िर है क्या उस कमरे में???

वीरेंदर: तो चलो मेरे साथ और खुद ही देख लो. 

आशना का हाथ पकड़ कर वीरेंदर उसे रूम से बाहर ले गया. थोड़ी दूर चलकर एक दरवाज़े के पास रुककर वीरेंदर बोला: यह वाला दरवाज़ा खोलो आशना. 

आशना ने धड़कते दिल से रूम का दरवाज़ा खोला. रूम में काफ़ी अंधेरा था मगर दरवाज़ा खुलते ही उस कमरे से महकती हवा की जो लहर आस पास फैली, उस से आशना का दिल रोमांचित हो उठा. आशना ने शरमा कर वीरेंदर की तरफ देखा. 

वीरेंदर: गेट इनसाइड. 

आशना अंदर की तरफ गयी तो वीरेंदर भी उसके साथ रूम में दाखिल हुआ. 

वीरेंदर: लेट मी स्विच ऑन दा लाइट.


वीरेंदर ने पहला स्विच ऑन किया जिसकी लाइट सिर्फ़ बेड पर ही फोकस थी. एक बड़ा सा गोल बेड कमरे के बीचो बीच और उस पर सिल्की वाइट चद्दर के साथ दो गोल पिल्लोस जिनपर डार्क रेड कलर के कवर्स थे. आशना की नज़र बेड के उपर पड़ी तो लाल गुलाब के फूलो की पत्तियों से सारा बेड सज़ा हुआ था. बीच बीच में हल्के क्रीम कलर के छोटे छोटे फूल बिस्तर की शोभा को चार चाँद लगा रहे थे बेड की टोह के पास दो बड़े बड़े गुलदस्ते थे जिनमे भाँति भाँति के फूलों की शोभा देखते ही बनती थी. सुहाग रात के बिस्तर को देख कर आशना का दिल रोमांचित हो उठा. अपनी पहली रात के लिए इस तरह के बिस्तर की हर लड़की कामना करती है. 

वीरेंदर ने दूसरा स्विच ऑन किया तो बेड के आस पास का एरिया भी झगमगा उठा. बेड के चारो तरफ, फर्श पर पूरे वाइट कलर का बहुत ही मोटा कालीन था और बिस्तर के हर ओर छत से शुरू होकर फर्श तक फुलो की लंबी लंबी लाडियाँ लटक रही थी. अलग अलग फूल, हर तरह के रंगो से सजी उन लड़ियों को देख कर आशना को ऐसा आभास हुआ कि वो किसी बाग मे पहुँच गयी है. 

वीरेंदर ने इस बार दो स्विच एक साथ ऑन किए तो पूरा कमरा रोशन हो उठा. कमरे के लेफ्ट साइड पर बहुत ही बड़ा और नरम सोफा था जबकि राइट साइड बिना किसी फर्निचर के थी. राइट साइड मे एक और दरवाज़ा था जो आशना के ख़याल से वॉश रूम का होगा. हल्के मूव कलर के पैंट से कमरा और भी रोशन हो उठा था. आशना की नज़र बेड की बॅक वॉल पर पड़ी जिसको डार्क मूव कलर से कर्टन्स ढका हुआ था. 

वीरेंदर(आशना के दिमाग़ मे उठ रहे सवाल को पढ़ते हुए): यहाँ आओ. 

आशना का हाथ पकड़ कर वीरेंदर आशना को बेड के पीछे ले गया. 

वीरेंदर: जानती हो इस दीवार के पीछे क्या है. 

आशना, वीरेंदर की आँखो मे देखते हुए ना मे गर्दन हिलाती है और पूछती है क्या??? 

वीरेंदर मुस्कुराते हुए एक पतली सी डोरी पकड़ कर झटका देता है और आशना के सामने जो नज़र आता है उसे देख कर उसके होंठो से निकलता है "वाउ". 

रूम की पिछली दीवार पर सिर्फ़ ग्लास था और उस ग्लास से यमुना नदी का जो नज़ारा दिखाई दे रहा था वो अपने आप में एक अनूठा नज़ारा था. वहाँ से देखने से ऐसा लग रहा था जैसे यमुना नदी बिल्कुल पास (करीब 50-60 मीटर ही दूर बह रही हो और नदी के आस पास की हरियाली मन को मोह लेने के लिए काफ़ी थी. आशना को ऐसा एहसास हो रहा था कि वो किसी आइलॅंड में पहुँच गयी है. 

आशना: बहुत ही सुंदर नज़ारा है यह तो, आइ लव इट. 

वीरेंदर(मुस्कुराते हुए): क्या तुम बता सकती हो कि यह नज़ारा कितनी दूरी पर होगा. 

आशना: हूंम्म मे बी 50 मीटर ऑर लेस.

वीरेंदर(ठहाका मार कर हंसते हुए): बिल्कुल ग़लत, यह नज़ारा कम से कम एक किलोमेटेर दूरी का है. 

आशना: व्हाट???? ऐसा कैसे हो सकता है. यह तो बहुत पास का लग रहा है.

वीरेंदर: यह सब इस ग्लास का कमाल है. यह फोकसिंग ग्लास है. यह पहले इमेज को फोकस करता है और फिर ऐसा व्यू देता है कि देखने वाले को लगता ही नहीं कि इस ग्लास से जो इमेज दिखा रही है वो मॅग्निफाइयिंग है. 

आशना(हैरान होते हुए): आइ कॅन'ट बिलीव, इट ईज़ अनबिलीवबल. 

वीरेंदर ने ग्लास की दीवार में बने एक बटन को दबाया तो ग्लास का एक हिस्सा थोड़ा सा हिलकर एक दरवाज़े की तरह खुल गया. आशना मुँह खोले वीरेंदर को देखती रही. 

वीरेंदर: कम वित मी. 

आशना , वीरेंदर के साथ जैसे ही बाहर गॅलरी मे आई, मस्त हवा के एक झोंके ने उनका स्वागत किया. आशना ने सामने की तरफ नज़र उठाकर देखा तो यमुना नदी का नज़ारा बहुत दूर था. 

आशना: यह तो सच मे मिराकल है वीर. यह तो बहुत ही अच्छा घर है, मुझे बहुत पसंद है. थॅंक्स इस घर को खरीदने के लिए. मैने इस तरह के घर की कभी कल्पना भी नहीं की थी. 

आशना एक ही सांस में सब कुछ बोल गयी और वीरेंदर आशना के मासूम चेहरे को देख कर मंद मंद मुस्कुरा रहा था. आशना को खुश देख कर वीरेंदर सुकून महसूस कर रहा था.

वीरेंदर को अपनी तरफ देखते हुए आशना बोली: मैं भी कितनी पागल हूँ, खुद ही बोले जा रही हूँ. आप भी तो कुछ बोलिए वीर. 

वीरेंदर: यू आर सो ब्यूटिफुल आशना, आइ लव यू (यह बात वीरेंदर ने बहुत ज़ोर से बोली). 

आशना(शरमा, धीमे से): होल्ड ऑन माइ लवर, थोड़ा धीरे बोलिए. कोई सुन लेगा.

वीरेंदर: कोई नहीं सुनेगा आशना. इस बंगलो के आस पास दूर दूर तक कोई नहीं रहता. 

आशना(शरारत भरी नज़रो से वीरेंदर को देखते हुए):तो फिर इतनी सुनसान जगह पर एक लड़की को अकेले लाने का क्या मतलब????

वीरेंदर: दिल के अरमान पूरे करने के लिए इस से अच्छी जगह नहीं हो सकती मेरी "पगली गुड़िया". 

आशना: अच्छा जी, तो आज आप पूरी तैयारी के साथ आए हैं. 

वीरेंदर: कोई शक???

आशना: भला मुझे क्यूँ कोई शक होगा. मैं जानती हूँ कि दिन गुज़ारना अब आपके लिए कितने मुश्किल हैं. 

वीरेंदर: तुम मेरी हालत नहीं समझ सकती आशना. 

आशना: बिल्कुल समझ सकती हूँ वीर क्यूंकी मैं भी उतनी ही बेचैन हूँ जितना आप तड़प रहे हैं.

वीरेंदर: यह बोल कर तुमने मेरे दिल का बोझ हल्का किया है आशना ,नहीं तो मुझे यही लगता है कि यह सब तुम मेरे लिए कर रही हो.

आशना: अगर मैं ना कर दूँ तो क्या आप अपने दिल पर पत्थर रख लेंगे. 

वीरेंदर: अब तो आदत सी हो गयी है आशना, अब तक पत्थर ही तो रखता आया हूँ. 

आशना: तो आज तोड़ दो सारे बंधन वीर और मुझे अपना बना कर हमेशा के लिए मेरे हो जाओ. 

वीरेंदर: एक बात जो तुमसे पूछना चाहता हूँ समझ नहीं आ रहा कि कैसे पूछूँ. 

आशना: बोलिए ना वीर. 

वीरेंदर(हिचकिचाते हुए): तुम आज की रात मेरे साथ आशना बनकर बिताना चाहती हो या मेरी "पगली गुड़िया" बनकर. 
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02-02-2019, 12:56 AM, (This post was last modified: 02-02-2019, 12:57 AM by sexstories.)
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
आशना का दिल एक दम तेज़ धड़कने लगा. आशना को खामोश देख कर वीरेंदर बोला: बोलो ना आशना, प्लीज़ मुझे तुम्हारे जवाब का इंतज़ार है. 

आशना: आपको अपने बिस्तर पर कॉन चाहिए वीर??
वीरेंदर(आशना को आँख मारते हुए): मुझे तो दोनो ही चाहिए. दोनो का अपना ही मज़ा है. 

आशना( शरमा कर मुस्कुराते हुए): तो फिर मैं भी आपकी हर तमन्ना, हर खुशी में आपका साथ देने के लिए तैयार हूँ भैया. 

आशना के मुँह से यह सुनते ही वीरेंदर के शरीर मे रक्त संचार बढ़ने लगा. आशना भी इस तरह की बातों से काफ़ी उतेज्ज़ित हो चुकी थी. 

वीरेंदर: चलो, तुम अपनी लाई हुई ड्रेस पहन कर तैयार हो जाओ, तब तक मैं डिन्नर पॅक करवाकर लाता हूँ. 

आशना ने शरमा कर हां मैं हामी भरी और वीरेंदर घर के बाहर चल दिया. 

9:00 बजे के आस पास वीरेंदर जब घर में पहुँचा तो आते ही उसने पहले तो ग्राउंड फ्लोर के सारे दरवाज़े लॉक कर दिए और फिर कुछ समान किचन में रखकर फर्स्ट फ्लोर की तरफ चल दिया. आशना के रूम के बाहर पहुँच कर वीरेंदर ने नॉक किया. 

आशना: वीर आप तो बहुत जल्दी आ गये. 

वीरेंदर: देवी जी एक घंटे से उपर हो चुका है मुझे बाहर गये हुए और आपको लग रहा है कि मैं बहुत जल्दी आ गया हूँ.

आशना: इतना उतावला पन अच्छी बात नहीं है जानू, आपकी गुड़िया को अभी थोड़ा और वक्त चाहिए. 

वीरेंदर: यार, बहुत भूक लगी है. थोड़ा जल्दी करो प्लीज़. 

आशना(मुस्कुराते हुए): जानती हूँ आपको किस चीज़ की भूख लगी है और इतनी जल्दी क्यूँ हैं .आप खा लीजिए, मैं बाद मे खा लूँगी. 

वीरेंदर: ऐसे कैसे खा लूँ. 

आशना: प्लीज़ मेरे जानू जी मेरी बात मान लीजिए ना प्लीज़. 

वीरेंदर: ओके, लेकिन एक शर्त पर कि आज की रात तुम भी मेरी हर बात मनोगी. 

आशना: ओक जानू, आइ लव यू. 

वीरेंदर: आइ लव यू टू बट दिस ईज़ नोट फेयर. आज तुम्हारी बात मान रहा हूँ मगर आज के बाद हम दोनो हमेशा साथ खाना खाएँगे. 

आशना: प्लोमिश जानू. 

वीरेंदर, अपनी आदत अनुसार भूख बर्दाश्त नहीं कर सकता था तो साथ वाले कमरे मे बैठकर डिन्नर करने लगा. 

दूसरे कमरे से आशना बोली: जानू डिन्नर लाइट ही करना. 

वीरेंदर: वजह जान सकता हूँ इसकी. 

आशना: बुद्धू हो आप, इतना भी नहीं जानते???

वीरेंदर: नहीं जानता हूँ तभी तो पूछा, वैसे इसमे बुद्धू वाली क्या बात है??

आशना, वीरेंदर की बात सुनकर हंस दी.

वीरेंदर: बड़ी अजीब लड़की है, पहले कन्फ्यूज़ करती है और फिर खुद ही हँसना भी शुरू कर देती है. 

आशना: जैसी भी हूँ अब आपकी ही हूँ. वैसे मेरी हिदायत याद रखना. 

वीरेंदर: अम्मा जी, आपके नुस्खो पर अमल करने लगा तो सूख कर काँटा बन जाउन्गा. 

आशना और ज़ोर से खिलखिला कर हंस दी. वीरेंदर ने खाना ख़तम किया और आशना से पूछा: और कितना टाइम लगेगा यार अभी. 

आशना: बस पाँच मिनट और. 

वीरेंदर वहीं कमरे मैं बैठकर आशना से आज रात को ही सारी बात बताने के बारे मे सोचने लगा. उसे समझ मे नहीं आ रहा था कि वो आशना से कहाँ से बात शुरू करे. वो, आशना को बहुत कुछ बताना चाहता था मगर बात की शुरुआत कहाँ से की जाए इस बात को लेकर वो कन्फ्यूज़्ड था. शायद सारे पहलू उसे भी नहीं मालूम थे. सोचते सोचते अचानक वीरेंदर ने घड़ी मे टाइम देखा तो आशना से बात किए हुए उसे 15 मिनट हो चुके थे. 

वीरेंदर: यार और कितना टाइम लगेगा???

आशना: बस जानू 5 मिनट और. 

वीरेंदर: क्या यार, 5-5 मिनट करके सारी रात निकल जाएगी. 

आशना: इस बार पक्का 5 मिनट, प्लोमिश. 

वीरेंदर: मैं टहलने के लिए नीचे जा रहा हूँ, जब तुम्हारे 5 मिनट हो जाए तो मुझे फोन करके बुला लेना. 

आशना: आप थोड़ी देर वॉक कर लीजिए. जैसे ही मेरा काम ख़तम हो जाएगा, मैं आपको बुला लूँगी. जिस रूम मे आप इस वक्त हो उसके वॉशरूम मे मैने आपके लिए एक ड्रेस रखी है. फ्रेश होकर उसे पहन लीजिएगा. "मैं आपका इंतज़ार करूँगी वीर". आख़िरी लाइन आशना ने इतनी मदहोशी मे कही कि वीरेंदर के जिस्म मे खून की रवानगी तेज़ हो गयी. 

 
 
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02-02-2019, 12:56 AM,
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वीरेंदर: ओके, बट जल्दी करना, मुझसे और वेट नहीं होगा. 

फोन पॉकेट मे डाल कर वीरेंदर नीचे की तरफ चल दिया. वीरेंदर के लिए एक एक पल काटना बहुत मुश्किल हो रहा था. वो बार बार मोबाइल की तरफ देख रहा था. करीब 20 मिनट बाद वीरेंदर का फोन बजा. फोन की एक रिंग बजते ही वीरेंदर ने झट से रेसीएवे कॉल का बटन दबाया और बोला: बस 10 मिनट मैं आ रहा हूँ. 

आशना: सुनो तो. 

वीरेंदर: अब क्या हुआ???

आशना: आप जाकर फ्रेश हो जाइए और हां शेव ज़रूर कर लीजिएगा. 

वीरेंदर: शेव???लेकिन सुबह ही तो की थी. 

आशना: सुबह की थी तो क्या अब तक आपकी धड़ी बड़ी नहीं होगी क्या. प्लीज़ कर लीजिएगा ना जानू नहीं तो मेरा मुँह छिल जाएगा. 

वीरेंदर: अगर ऐसे ही दिन रात शेव करता रहा तो मेरा तो ज़रूर छिल जाएगा. 

आशना: बस एक लास्ट बात मेरी मान लो मेरी, उसके बाद सारे हुकुम आपके ही चलेंगे. 

वीरेंदर: ओके, तुमहरे लिए यह भी कर लूँगा, बाइ. 

आशना: सुनो तो. 

वीरेंदर: हे भगवान, यह लड़की सारी रात ऐसे ही निकाल देगी. 

आशना की हँसी छूट गयी.

वीरेंदर: अब हँसती ही रहोगी या बोलोगि भी. 

आशना(मदहोश आवाज़ मे): आइ वॉंट सिल्की टच. 

वीरेंदर: मतलब???

आशना: "बुद्धू कहीं के" और यह कहकर आशना ने फोन काट दिया. 

वीरेंदर कन्फ्यूज़्ड सा उपर की तरफ चल दिया. वॉश रूम मे जाते हे उसकी कन्फ्यूषन दूर हो गयी जब उसने देखा कि आशना ने समान के साथ एक हेर रिमूवर क्रीम भी रखी है. वीरेंदर के होंठो पर शरारती मुस्कान आ गयी. वीरेंदर ने आशना के सेल पर कॉल की. आशना ने झट से कॉल पिक की. 

वीरेंदर: सिल्की टच, ओये होये कूडीए, आज सारा कुछ सिल्की सिल्की कर दूँगा, तू बस थोड़ी देर रुक. अच्छा चल अब बहुत काम हैं मुझे. 

वीरेंदर जैसे ही फोन रखने लगा, आशना बोली: अच्छा सुनो. 

वीरेंदर: सुनाए जी. 

आशना: जल्दी आना, ज़्यादा इंतज़ार से नहीं पाउन्गी. 

वीरेंदर: मुुआाआः कूडीए, अब तो मैं रुक ही नहीं पाउन्गा. बस थोड़ी ही देर मे सिल्की टच का मज़ा लेने और देने आ रहा हूँ. 

आशना: "धत्त" और यह कह कर उसने फोन काट दिया. 

वीरेंदर ने तेज़ी से सारे काम किए उसके बावजूद भी उसे आधा घंटा लग गया. आधे घंटे बाद बिल्कुल तैयार होकर वीरेंदर आशना के रूम के बाहर खड़ा हुआ अंदर जाकर आशना को बाहों में भरने को बेताब था. 

वीरेंदर ने नॉक करने के लिए जैसे ही हाथ दरवाज़े पर रखा, दरवाज़ा खुलता चला गया. वीरेंदर के कानो मे आशना की मदहोश करने वाली आवाज़ पड़ी "वेलकम, मेरे सरताज". 

वीरेंदर ने कमरे में झाँक कर देखा. कमरे मे चारो तरफ अंधेरा था. बस एक ही लाइट ऑन थी जिसकी रोशनी बेड पर फोकस थी. बेड पर आशना दुल्हन के लिबास मे अपने घुटनो पर अपना चेहरा रख कर बैठी थी. आशना के सारे शरीर पर सुहाग की लाल चुनरी थी जिसने उसे सर से लेकर पाँव तक ढका हुआ था. आशना को इस ड्रेस में देख कर वीरेंदर के दिल की धड़कनें तेज़ हो गयी.

वीरेंदर धीमे कदमो के साथ आशना तक पहुँचा और धीरे से उसके करीब बैठ गया. 

वीरेंदर: ब्यूटिफुल आशना, मिंडबलविंग. तुम मुझे यह सर्प्राइज़ दोगि मैने सोचा भी ना था. 

आशना(बहुत ही धेमे स्वर में): आपकी खुशी के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ वीर.

वीरेंदर ने सॉफ महसूस किया कि बोलते हुए आशना की आवाज़ के साथ साथ उसका जिस्म भी काँप रहा है. 

वीरेंदर: दिल चाहता है कि आज की रात कभी ख़तम ही ना हो आशना. तुम मुझ मे और मैं तुम मे इस कदर समा जाउ कि हमारा वजूद ही खो जाए. तुम मे और मैं तुम बन जाएँ. 

आशना, वीरेंदर की बात पर हां की हामी भरती है. कुछ भी कहना उसके बस का नहीं रहा था. वो कुछ कहना भी नहीं चाहती थी क्यूंकी इस मोड़ पर आकर वो अब कमज़ोर नहीं पड़ना चाहती थी. वहीं वीरेंदर बहुत चुन चुन कर शब्द बोल रहा था. वो जानता था कि यह समय बहुत नाज़ुक है और अगर इस वक्त सयम बरता गया तो आने वाली ज़िंदगी हसीन हो जाएगी.

वीरेंदर: अब समझ नहीं आ रहा कि किस नज़ारे को देखूं. सामने बेड पर बैठी अपनी मदमस्त यौवना को देखूं या उसके पीछे मदमस्त बहती नदी को देखूं. 

आशना(सर को झुकाए बहुत ही धीमे से): आज की रात अपनी हर हसरत पूरी कर लीजिए वीर. कल को यह मत कहना कि कुछ कमी रह गयी. 

वीरेंदर, आशना के इस जवाब से मुस्कुरा उठा. 

वीरेंदर: क्या मेरी गुड़िया मेरी हर हसरत में मेरा साथ देगी????

आशना ने शरमा कर हां में गर्दन हिलाई. हालाँकि उसका सारा बदन चुनरी से ढका हुआ था मगर उसके जिस्म की बदलती रंगत वीरेंदर महसूस कर सकता था. 

वीरेंदर: मुझे तो लग रहा है कि कोई यहाँ बहुत ही ज़्यादा शरमा रहा है. 

आशना खामोश रही, उसके जिस्म की रंगत गुलाबी पड़ चुकी थी. 

वीरेंदर: वैसे तुमने मेरे लिए यह ड्रेस बहुत ही अच्छी खरीदी है(आशना ने वीरेंदर के लिए एक क्रीम्कलर की अचानक खरीदी थी जिसपर मारून और गुलाबी रंग की कढ़ाई और मोती लगे हुए थे). 

वीरेंदर: वैसे एक दम परफ़ेक्ट फिटिंग है, तुम्हे मेरे साइज़ का पता कैसे लगा??? 

आशना(मुस्कुराते हुए): आपके साइज़ का मुझे नहीं पता होगा तो भला किसे होगा. 

आशना की बात का मतलब समझते ही वीरेंदर के होंठों पर एक शरारती मुस्कान आ गयी और बोला: वैसे यह ड्रेस तो बिल्कुल फिट आई है, देखते हैं आगे और क्या क्या फिट हो जाता है. 

आशना: धत्त, क्या ऐसी बातें करना ज़रूरी है????

वीरेंदर: सुहाग रात है भाई, मंदिर मे थोड़े ही बैठे हैं. वैसे भी अपनी बीवी के साथ यह सब बातें करने मैं कैसी शरम. 

आशना: बीवी????? 

वीरेंदर: अब यह मत कहना कि लाल जोड़े मे सुहाग सेज पर हो लेकिन मेरी बीवी नहीं हो. 

आशना: सच ही तो है, अभी बीवी कहाँ हूँ आपकी वीर, अभी तो मैं आपकी "पगली गुड़िया" ही हूँ. 
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02-02-2019, 12:57 AM,
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जिस शब्द को कहने से वीरेंदर हिचकिचा रहा था, आशना ने वो बात बड़े ही आराम से कह दी. आशना की यह बात सुनते ही वीरेंदर ने आशना के घुंगुट को दोनो हाथो से पकड़ा और धीरे से उसे उठा दिया. चुनरी को आशना के बदन से हटाकर उसने एक साइड पर रख दिया. वीरेंदर के सामने आशना अपनी गोरी बाहों में चूड़ा पहने माथा घुटनो पर टिकाए छुइ मुइ सी बनी बैठी हुई थी. 

आशना को इस तरह से सीमटे हुए देख कर वीरेंदर का दिल तेज़ धड़कने लगा. 

वीरेंदर: अपना नूरानी चेहरा तो दिखाओ गुड़िया. 

आशना ने ना मे गर्दन घुमाई. 

वीरेंदर: नाराज़ हो मुझसे??

आशना ने धीरे से ना में गर्दन हिलाई. 

वीरेंदर(मुस्कुराते हुए): घर तो पसंद है ना???

आशना ने धीरे से हां में गर्दन हिलाई. 

वीरेंदर: ओह, अच्छा तो शरम आ रही है???

आशना ने इस बार हां में गर्दन हिलाई. 

वीरेंदर: लेकिन क्यूँ???

मैने तो चेहरा दिखाने के लिए बोला है, कुछ और नहीं. 

वीरेंदर की बात सुनते ही आशना ने झट से सर उठा कर वीरेंदर की तरफ गुस्से और प्यार से देखा. 

वीरेंदर को हंसता हुआ देख कर आशना झट से वीरेंदर के गले लग गयी और बोली: चालाक कहीं के , बहुत बुरे हो आप, जाओ मैं आप से बात नहीं करती. 

वीरेंदर: आज की रात साला बात करना भी कॉन चाहता है. 

आशना(वीरेंदर की पीठ पर मारते हुए): उहुउन्ण, आप बहुत ही बेशरम हैं वीर. 

वीरेंदर(आशना के कान मे): खड़े होकर गले मिलो ना यार. ऐसे मज़ा नहीं आ रहा, कुछ फील ही नहीं हो रहा. 

आशना ने वीरेंदर को एक दम पीछे धकेल दिया और अपने चेहरे पर हाथ रखते हुए बोली: हटो बेशरम कहीं के, हे भगवान कहाँ लाकर फसा दिया मुझे. 

वीरेंदर: भगवान को क्यूँ दोष दे रही हो. तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि अगर मैं पहले से भी तुम्हारे बारे सच मे जानता तो भी शायद तुम्हे पाने की लालसा को रोक नहीं पाता.

आशना के बदन मे एक सिरहन दौड़ गयी वीरेंदर की बात सुनकर. वीरेंदर ने धीरे से आशना की कलाई पकड़ी और आशना के चेहरे को उसके हाथों से बे-नकाब कर दिया. आशना की आँखें झुकी हुई थी और होंठ थरथरा रहे थे. 

वीरेंदर: धरती पर मेरे लिए उतरी अप्सरा हो तुम, मेरी ख्वाहिश हो तुम. अगर तुम्हे पा ना सका तो ज़िंदगी भर इसका मलाल रहेगा मुझे. 

आशना के चेहरे का रंग गुलाबीपन लिए लाल रंगत में बदल गया. 

वीरेंदर: तुम नहीं जानती तुम कितनी खूबसूरत हो आशना. हिरनी जैसी चंचल तुम्हारी आँखें, लाली लिए तुम्हारे गाल, रस भरे तुम्हारे होंठ, सुराही दार गर्दन और संगमरमर सा तराशा हुआ तुम्हारा बदन, गोरी बाहों मे मेरे नाम का लाल चूड़ा. मैं तो सच मे तुम्हारा दीवाना हो गया हूँ. रश्क होता है अपने मुक़द्दर पर कि तुम मेरी हो. 

वीरेंदर की बातों से आशना एक अलग ही दुनिया मे पहुँच चुकी थी. 

आशना: और???

वीरेंदर: अगर आसमान के फरिश्ते भी तुम्हे देख ले तो मेरी किस्मत से ईर्ष्या हो जाए उन्हे. तुम जैसी सुंदरी को बीवी के रूप मे पाकर मैं तो दुनिया का सबसे ख़ुसनसीब इंसान बन गया हूँ. तुम्हारा यह तराशा हुआ बदन, यह रस से भरे छलकने को आतुर तुम्हारे वक्ष, बलखाती हुई पतली कमर और अदुतीय उभार लिए भारी नितंब. किस अंग की तारीफ ना करूँ, तुम तो सौ फीसदी साँचे मे ढली हुई गुड़िया हो मेरी जान. 

आशना: आ वीर, मुझे कुछ हो रहा है. मुझे थाम लो मैं उड़ रही हूँ, मुझे अपने आगोश मे ले लो. 

यह कह कर आशना वीरेंदर से किसी बैल की तरह लिपट सी गयी. वीरेंदर ने अपनी बाहें आशना की कमर मे लपेट कर उसे अपने साथ कस लिया. 

वीरेंदर: तुम्हारी हर अदा, तुम्हारे हर नाज़- ओ- नखरे का दीवाना बन गया हूँ मैं. 

आशना(मदहोशी में): लव यू वीर. 

वीरेंदर: मेरी तुमसे यह गुज़ारिश है कि कभी भी मुझे छोड़ कर मत जाना, मैं तुम्हारे लिए दुनिया से लड़ सकता हूँ मगर तुम्हारे बिना जी नहीं पाउन्गा. 

आशना: मैं भी वीर, मैं भी आपके बिना जी नहीं पाउन्गी. आपने मुझ पर जादू कर दिया है. आपकी हर अदा, आपकी छोटी छोटी केयर की अब मुझे आदत सी हो गयी है. आपको अपने जीवन साथी के रूप में पाकर मुझे अपने आप पर गरूर हो गया है वीर. आप नहीं जानते कि आपसे मिलन के लिए कितना तड़प रही हूँ मैं.
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02-02-2019, 12:57 AM,
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जब से आपके बारे मे सोचा है एक पल भी चैन नहीं पा सकी हूँ मैं. मुझे दुनिया की परवाह नहीं है बस मुझे कभी दिल से मत निकलना वीर, मैं मर जाउन्गी आपके बिना. 

आशना और वीरेंदर बेतहाशा एक दूसरे से लिपटे हुए मदहोशी मे एक दूसरे के जिस्म को सहला रहे थे. उन्हे पता ही नहीं लगा कि कब वो दोनो बेड से उठ के खड़े हो चुके है. आशना का लहंगा चोली अस्त व्यस्त हो चुके थे, वीरेंदर के हाथ धीरे धीरे नीचे सरकते हुए आशना के नितंबों पर आए तो आशना मस्ती मे वीरेंदर से लिपट गयी. आशना के नितंबो को अपने हाथो से महसूस करते ही वीरेंदर ने सुकून की साँस ली और उन्हे बेदर्दी से मसल्ने लगा. 

आशना: आपके हाथो मे जादू है वीर. जब आपके हाथो को फील करती हूँ तो मैं इस दुनिया से कहीं उँची उठ जाती हूँ, मुझे एक नशा सा हो जाता है. क्या इसी को प्यार कहते हैं ??

वीरेंदर: आशना, प्यार तो दो दिलों का संगम है. यह दो तरफ़ा हो तो मज़ा ही मज़ा हे मज़ा है. मगर एक तरफ़ा प्यार सारी दुनिया ही उजाड़ देता है. मैं इस मुकाम से गुजर चुका हूँ. 

आशना ने आडियों को उँचा करके वीरेंदर के होंठ चूम लिया और बोली: आज के दिन आप सिर्फ़ मेरी बात करेंगे वीर, आपकी पिछली ज़िंदगी से मुझे कोई शिकवा नहीं. आज से हम एक हैं और हमेशा के लिए एक हो जाएँगे. अब हमारे बीच कोई आएगा तो यह हमारे पवित्र प्रेम की बदनामी होगी. मैं आपसे "निस्चल प्रेम" की उम्मीद करती हूँ वीर और आप से भी वादा करती हूँ कि आज के बाद आपको अपनी पिछली ज़िंदगी का कोई गम याद नहीं आएगा. 

आपका हर नासूर भर दूँगी मैं भैया. आशना के मुँह से भैया शब्द सुनकर वीरेंदर के हाथ आशना के नितंब पर और ज़्यादा कस गये. 

आशना: आह धीरे मसलिये ना, मार डालोगे क्या. 

वीरेंदर ने आशना के होंठो को चूमा और फिर बोला: अभी तो बहुत कुछ करना बाकी है मेरी "गुड़िया". अभी तो शुरुआत है, देखती जाओ आज कैसे जन्नत की सैर करवाता हूँ. 

आशना ने अपनी नाभि को वीरेंदर के सख़्त हो चुके लिंग पर दबाया और बोली: इस घोड़े पर बैठा कर ले जाओगे मुझे जन्नत मे????

वीरेंदर(शरारत से): फिलहाल तो मेरे पास यही अवेलबल है.

आशना: धत!!! कितने बेशरम हैं आप. कह तो ऐसे रहे हैं जैसे चाहने पर दूसरा भी उगा लेंगे. 

वीरेंदर: काश ऐसा हो सकता, तब तो तुम्हे दौगुना मज़ा दे पाता. 

आशना ने अपना चेहरा थोड़ा पीछे करके वीरेंदर की आँखो में देखा और बोली: दूसरी चीज़ की तमन्ना अपने दिल मे ही रखिए मिस्टर. वीरेंदर, कहीं पहली चीज़ से भी हाथ ही ना धो बैठो. 

वीरेंदर: यह धमकियाँ आपके पति के आगे नहीं चलेंगी मिस आशना. क़ानूनी हक है, जो चाहे कर सकता हूँ. ज़ोर ज़बदस्ती मुझे पसंद नहीं, इस लिए चुप चाप मान जाओगी तो ठीक वरना अपनी ही पत्नी के रेप के जुर्म मे जैल जाना भी मंज़ूर है मुझे. 

आशना, वीरेंदर के गले लगते हुए: धत!! अपनी पत्नी का भी कोई रेप करता है क्या????जब सब कुछ आपका है तो फिर ज़बरदस्ती क्यूँ?? 

वीरेंदर: यार बहुत जल्दी मान गयी तुम तो, मुझे लगा था कि पता नहीं कितने नखरे करोगी. 

आशना ने वीरेंदर की पीठ पर मारते हुए कहा " जाओ हम आप से बात नहीं करते". 

वीरेंदर: तो चलो बातें बंद और काम शुरू. यह कहकर वीरेंदर ने आशना को गोद में उठाया और बेड के पास ले गया. 

आशना ने मुस्कुराते हुए वीरेंदर की तरफ देखा और बोली: अब यह वाला मट्रेस्स भी चेक करने का इरादा है क्या?????

वीरेंदर: इस मट्रेस्स को चेक करने का और तरीका भी है मेरे पास और यह कह कर उसने आशना को धीरे से बिस्तर पर उतार दिया. 

आशना: वैसे यह सब सजावट आपने मॅनेज कैसे की????

वीरेंदर: तुम्हारे भैया के बहुत दूर दूर तक लिंक हैं गुड़िया, यह सब मॅनेज करना तो मेरे बाएँ हाथ का खेल है. 

आशना: इंप्रेस्ड.

वीरेंदर, आशना के साथ बेड पर बैठ जाता है और आशना को देखने लगता है. 

आशना: क्या देख रहे हैं. 

वीरेंदर: सब कुछ ठीक है मगर तुम्हारी माँग अभी तक सूनी है. 

आशना: इसे भरना आपका काम है, भला मैं इस के साथ कोई छेड़ खानी कैसे कर सकती थी. 

वीरेंदर: मैं तो कब से इसे भरने के लिए बेकरार हूँ तुमने ही फरमान सुनाया है कि 13थ नवंबर. से पहले यह सब नहीं हो सकता. 

आशना: तो क्या ग़लत कहा. बाकी किसी काम के लिए तो आपको नहीं रोक रही हूँ, बस शादी का दिन ही तो फिक्स किया है. सब काम आपकी मर्ज़ी से होंगे मगर बस एक काम मे मेरी मर्ज़ी चलेगी. 

वीरेंदर ने जेब मे हाथ डाल कर मंगल सूत्र निकाला और बोला " तो क्या यह भी उसी दिन पहनोगी"???

मंगल सूत्र देख कर आशना की आँखें चमक उठी. आँखो मे नमी लिए उसने वीरेंदर की तरफ देखा और बोली: आपको याद थी यह रसम????? मुझे तो लगा कि आप भूल गये होंगे. एक लड़की के लिए मंगल सूत्र उतना ही ज़रूरी होता है जितना साँस लेने के लिए हवा. 

वीरेंदर: माना कि थोड़ा सा बुद्धू हूँ मगर इतना भी नहीं कि सुहाग रात पर अपनी बीवी के लिए कोई गिफ्ट ना लूँ. 

आशना: तो पहना दीजिए और बाँध लीजिए मुझे अपने साथ. 

वीरेंदर: अजीब लड़की हो यार, सिंदूर नहीं लगाओगी लेकिन मंगल सूत्र पहन लोगि.

आशना: बुद्धू ही हैं आप. यह मंगल सूत्र तो मैं दुनिया से छुपा लूँगी लेकिन सिंदूर एक बार लगा लिया तो फिर दुनिया वालो की नज़रों से बचने के लिए उसे मिटा नहीं पाउन्गी वीर. 

वीरेंदर: इंटेलिजेंट.


आशना: थॅंक्स फॉर दा कॉंप्लिमेंट और वीरेंदर की तरफ पीठ करके बैठ गयी. 

आशना: लीजिए पहना दीजिए अपने हाथो से. 

वीरेंदर ने काँपते हाथो से आशना के गले मे मंगल सूत्र बाँधा. 
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02-02-2019, 12:57 AM,
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दोनो ही यह जानते थे कि इस रसम के बाद उनके रिश्ते मे एक नयी शुरुआत होने वाली है लेकिन दोनो इस बात से काफ़ी एग्ज़ाइटेड भी थे और एक दूसरे का पूरा साथ देने को तैयार भी. आशना के गले मे मंगल सूत्र बाँध कर वीरेंदर ने आशना की गर्दन पर किस करके कहा: बहुत अच्छी लग रही है मेरी "गुड़िया". 


आशना की अँखियाँ बंद हो गयी और होंठो से निकला: थॅंक्स वीर. 

वीरेंदर उठ कर आशना के सामने बैठ गया. आशना के दिल की धड़कनें एक दम बढ़ गयी. आने वाले पलों को सोच कर वो रोमांचित भी हो रही थी और वहीं दूसरी और उसकी शरम भी जायज़ थी. 

एक तो उसका पहला अनुभव और दूसरा वो भी अपने ही भाई के साथ, किसी भी लड़की के लिए इस समय अपने आप को जवाब दे पाना बहुत मुश्किल हो जाता है. 

हालाँकि यह सब बातें आशना ने कयि बार सोची थी मगर सोचने मे और उन्हे फेस करने मे ज़मीन-आसमान का अंतर होता है. आशना से एक भी कदम नहीं बढ़ाया जा रहा था. हालाँकि उसके दिल मे अब पीछे हटने का सवाल ही नहीं था मगर वो चाहती थी कि आगे जो भी हो, पहल वीरेंदर ही करे. 

वहीं वीरेंदर भी पशोपेश में था. आशना के सीमटे हुए शरीर को देख कर उसे आज वोही आशना याद आ रही थी जिसे उसने बचपन मे देखा था. हालाँकि उस वक्त की आशना मे और आज की आशना मे बहुत ही ज़्यादा अंतर था. इस वक्त उसके सामने बैठी आशना एक परिपक्व और संपूरण लड़की बन चुकी थी और अपनी मर्ज़ी से उसके साथ उसके बिस्तर पर औरत बनने के लिए आतुर थी. 

वीरेंदर के ज़हन मे बार बार यही सवाल उठ रहे थे कि क्या वो आशना को दुनिया के तानों से बचा पाएगा? क्या वो उसे लोगों की सवालिया नज़रों से बचा पाएगा? ऐसे कितने ही सवाल वो कितने दिनो से अपने आप से पूछ रहा था लेकिन वो इन सब सवालो के जवाब ढूंड पाने मे असमर्थ था. आशना के सामने आने से ही उसके दिमाग़ मे बस यही बात आती कि इस लड़की के अलावा उसे कोई और प्यार नहीं कर सकता और यह सच भी तो था, आशना ने अपना सब कुछ कुर्बान जो कर दिया था उसकी खुशी के लिए.




वीरेंदर(मन में): आशना, तुम्हारे लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ, किसी भी हद तक जा सकता हूँ लेकिन तुमसे जुदा होने का सोच भी नहीं सकता. 

आशना ने महसूस किया कि वीरेंदर उसके सामने बैठा काफ़ी देर से खामोश है तो धीरे से उसने आँखें खोली और वीरेंदर को अपने चेहरे की तरफ एकटक देखता पाकर शरमा गयी. 

आशना: क्या सोच रहे हैं वीर??? वीरेंदर: सोच रहा हूँ कि मेरी किस्मत मैं यह चाँद कैसे आ गया, मैं तो इस काबिल हे नहीं था. 

आशना: अपनी क़ाबलियत मेरी आँखों मैं देखिए वीर. मेरे लिए दुनिया में सबसे काबिल और सबसे भरोसेमंद इंसान आप ही हैं और मैं अपने आप पर गर्व महसूस करती हूँ कि आपने मुझे अपना बनाने के लिए हामी भरी. 

आशना के ऐसा कहने से वीरेंदर के दिमाग़ ने झटका खाया और सब सवालों को भूल कर उसके दिल में आशना के लिए फिर से भरपूर प्यार उमड़ गया. 

वीरेंदर: आशना, हालाँकि अब मैं इस रिश्ते से पीछे नहीं हटना चाहता लेकिन उस से पहले मैं तुम्हे कुछ बताना चाहता हूँ, जो शायद तुम्हारे लिए जानना बहुत ज़रूरी है. मानता हूँ कि हम इस वक्त जिस रिश्ते की नीव रखने जा रहे हैं, वो हमारा अपना फ़ैसला है मगर इसकी शुरुआत किसी ने अपने फ़ायदे के लिए की थी.

आशना: आज मुझे आपसे अपनी तारीफ के सिवा और कुछ नहीं सुनना है वीर. मुझे भी आपसे इस बारे मे ढेरो बातें करनी हैं, लेकिन मैने उन्हे अब तक अपने अंदर ही दबाए रखा क्यूंकी मैं आपको खोना नहीं चाहती. चाहे हमारे रिश्ते की शुरुआत जिन भी कारणों से हुई हो मगर अब मैं आपके बिना जी नहीं सकती और यह भी जानती हूँ कि आप भी मेरे बिना खुश नहीं रह पाएँगे. "मेरे ख़याल से हमे अपने नये रिश्ते की शुरुआत कर लेनी चाहिए, इस से पहले कि मैं अपना मन बदल लूँ". 

( इस बारे में अपनी राई ज़रूर दीजिएगा कि क्या इस पॉइंट पर आकर आशना ने कोई ग़लती तो नहीं कर दी???? अगर वो वीरेंदर की बात मान लेती तो क्या दोनो पीछे हट सकते थे???)

आशना ने यह बात शरारती मुस्कान के साथ कही. आशना की बात सुनकर वीरेंदर के होंठो पर भी शरारती मुस्कान आ गयी. 

वीरेंदर: अब चाहे तुम्हारा मन बदले या कुछ भी हो जाए, आज की रात तो तुम्हे अपना बना कर ही रहूँगा. 

आशना (मुस्कुराते हुए): अच्छा जी, अगर मैं अपने रिश्ते की दुहाई देकर आपको रोक लूँ तो.

वीरेंदर: आख़िर कब तक रोक पाओगी अपने आप को. जवान तुम भी हो और बेकरार मैं भी हूँ. मेरी बेकरारी और तुम्हारी जवानी मिलकर आज एक नये रिश्ते को जनम देकर ही रहेंगी. 

वीरेंदर की बेकरारी देख कर आशना मदहोश होते हुए बोली: तो ख़तम कर दीजिए अपनी यह बेकरारी, भुजा लीजिए अपनी जनम जनम की प्यास भैया. आपकी यह गुड़िया आज से अभी से आपको समर्पित है. आपका जैसे जी चाहे इसे भोगिए और अपने रस से इसे जीवन दान दे दीजिए. ख़तम कर दीजिए मेरे जिस्म के सेहरा को और इस बंजर ज़मीन को अपनी नज़र-ए- करम से हरा भरा कर दीजिए. 

वीरेंदर ने आशना की गोरी बाहों को पकड़ कर उसे सीधा किया और बिस्तर पर लिटा दिया. आशना ने आराम से अपना सर तकिये पर रखा. इस वक्त आशना का जिस्म मिलन की आग में तरह तप रहा था. 

आशना: उउफफफ्फ़ कितनी गर्मी है. मैं तप रही हूँ, जल रही हूँ आपके बिना वीर. 

वीरेंदर ने आशना को बेड पर लिटा कर रूम का एरकॉनडिशनर ऑन किया और आशना के पास चला आया. आशना पीठ के बल लेटी, घुटनों से टाँगे मोड़ कर वीरेंदर को देख रही थी. वीरेंदर के पास आने पर आशना ने अपने कुल्हो के इर्द गिर्द रखे अपने हाथों से बिस्तर की चद्दर कस कर पकड़ ली. 

वीरेंदर: लाइट भुजा दूं क्या???

आशना ने वीरेंदर की आँखो में देखते हुए "ना" में गर्दन हिलाई. 

वीरेंदर(आशना की आँखो में देखते हुए): शरमाओगी तो नहीं???

आशना,शरमा कर मुस्कुराते हुए हां में गर्दन हिलाती है. 

वीरेंदर: यार तुम शरमाती ही रहोगी तो कैसे चलेगा. इस से तो अच्छा है की मैं लाइट ही भुजा दूं. 

आशना ने झट से ना में गर्दन हिलाई. 

वीरेंदर: अब कोई मुँह से बोले तो पता भी लगे कि कोई क्या चाहता है. 

आशना धीरे से मुस्कुराइ और बोली: आप ही ने तो कहा था कि हमारे कमरे की लाइट रात को कभी ऑफ नहीं होगी. 

यह सुनकर वीरेंदर की आँखो में चमक आ गयी. 

वीरेंदर: तो मेरे लिए तुम कुछ भी करोगी????

आशना ने क्यूट सा फेस बनाकर हां मैं गर्दन हिलाई. वीरेंदर, आशना की इस अदा से घायल हुए बिना ना रह सका. वीरेंदर ने दरवाज़े के पास जाकर लाइट भुजा दी. कमरे में एकदम से अंधेरा छा गया. 

वीरेंदर: तुमने कहा था ना कि अंधेरे में तुम्हे नींद आ जाती है. 
Reply
02-02-2019, 12:57 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
आशना, वीरेंदर की बात का अंदाज़ा लगाते हुए मायूस हो जाती है और धीरे से बोलती है: तो क्या मैं सो जाउ???? 

वीरेंदर(आशना की तरफ बढ़ते हुए): नींद आई है तो सो जाओ, मुझे जो करना है मैं तो कर कर ही रहूँगा. 

वीरेंदर की बात सुनकर आशना के चेहरे पर एक बार फिर से मुस्कान तैर जाती है. अंधेरे के बावजूद भी वीरेंदर आशना के चेहरे पर खिली मुस्कान महसूस लेता है और बोलता है: मुस्कुरा लो जितना मुस्कुराना है मेरी जान. आज तो जान निकाल कर ही रहूँगा तुम्हारी. 

आशना: धत्त!!! क्या ऐसे भी किसी दुल्हन को डराया जाता है उसकी सुहाग सेज पर???

वीरेंदर(आशना के पास बेड पर बैठते हुए): मेरे ख़याल से पहले से आगाह कर देना ठीक रहता है. बाद मैं झगड़ने से तो अच्छा ही है. 

आशना: मैं क्यूँ झगडूंगी अपनी जान से. 

वीरेंदर: आशना की बगल में लेट जाता है और उसके सर के पास अपना हाथ ले जाता है. आशना की साँस एक दम अटक सी जाती है. उसकी आँखें एक दम बंद हो जाती है. तभी उसके कानो में क्लिकक की आवाज़ आती है और आशना की आँखें एक दम खुल जाती हैं. आँखें खुलते ही आशना की आँखें एक दम फैल जाती हैं.

बेड पोस्ट के दोनो एंड्स पर लगी दो ट्यूबलाइट्स झिलमिला उठती हैं, जिस कारण आशना और वीरेंदर एक दूसरे को सॉफ देख सकते हैं. आशना क्यूट सा मुँह बनाकर वीरेंदर की तरफ देखती है और वीरेंदर आशना की आँखो में देख कर कहता है: तुम्हे क्या लगा था कि मैं पहली ही रात में लाइट भुजा दूँगा????मेरी गुड़िया, आज के बाद तो हमारे बेडरूम की लाइट कभी बंद होगी ही नहीं. 

आशना(शरारत भारी नज़रों से): तो फिर मुझे सोने केलिए किसी और कमरे में जाना पड़ेगा. 

वीरेंदर: तुम कहीं भी जाओ लेकिन मेरा हक तो मुझसे कोई छीन ही नहीं सकता. 

आशना(आँखें बंद करके): जी मेरे सरताज.

वीरेंदर: आशना. 

आशना:हुउन्न्ञन्. 

वीरेंदर: आओ ना. 

आशना ने कस कर अपनी आँखें बंद कर ली और धड़कते दिल से वीरेंदर के अगले कदम का इंतज़ार करने लगी. थोड़ी देर तक वीरेंदर ने कोई हरकत नहीं की. आशना की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. 

वीरेंदर: आशना, सुनो तो.

आशना(आँखें बंद रखते हुए): जी. 

वीरेंदर: मेरे पास आओ ना जान. 

आशना के शरीर में कोई हरकत नही हुई. 

थोड़ी देर बाद वीरेंदर बोला: गुड़िया, मेरे पास आ ना. 

वीरेंदर के मुँह से इतना सुनते ही आशना वीरेंदर की तरफ करवट लेकर उस से लिपट जाती है. दोनो के बदन जब मिलते हैं तो जैसे एक दम से बिजली कड़कती है और दोनो के कान में दूर कहीं घंटियों का शोर सुनाई देता है. दूर दूर से घंटियों का शोर उन्हे एक दूसरे के और नज़दीक खींच रहा था जैसे वो इतने पास आ जाना चाहते हो कि इस शोर मे एक दूसरे की धड़कनों को सुन पाए. एक दूसरे को कस कर गले लगाने के बाद कब उनके होंठ एक दूसरे से मिले यह उन्हे पता ही नहीं चला. जी भर कर एक दूसरे के होंठो का रस चूसने के बाद जब उनकी साँसों का उफान उनके बस से बाहर हुआ तो दोनो सांस लेने के लिए एक दूसरे से जुदा हुए.

इस वक्त दोनो पीठ के बल बिस्तर पर सीधे लेटे हुए अपनी अपनी सांसो को नियंत्रित करने में लगे थे जबकि वीरेंदर का बाया हाथ और आशना का दाया हाथ एक दूसरे को ऐसे कस के पकड़े हुए थे जैसे कि वो अब कभी एक दूसरे से जुदा नहीं होंगे. काफ़ी देर तक अपनी साँसों को नियंत्रित करने के बाद जब आशना को होश आया तो उसने धीरे से चेहरे को घूमाकर वीरेंदर की तरफ देखा.वीरेंदर के चेहरे पर आए संतुष्टि के भाव देख कर उसके दिल को असीम आनंद मिला. 

ठीक उसी वक्त वीरेंदर ने भी अपने चेहरे को घूमाकर जब आशना के चेहरे की तरफ देखा तो आशना के चेहरे पर आए नूर को देख कर उसके दिल में भी आनंद की लहरें उठने लगी. 

आशना(नज़रें झुका कर): क्या देख रहे है वीर????

वीरेंदर: अपनी गुड़िया के चेहरे में आए नूर को देख रहा हूँ. देख रहा हूँ कि कितनी संतुष्टि है इन आँखो में, कितना नूर है इस चेहरे पर. 

आशना: सब आपके साथ का असर है वीर. आपके बिना मैं बिल्कुल अधूरी हूँ. 

वीरेंदर: और मैं तो यह सोच रहा हूँ कि अब तक मैं तुम बिन जी कैसे रहा था . 

आशना: जो बीत गया, उसके बारे में सोच कर क्यूँ अपने दिल को दुखायें वीर. आज से हम एक हैं और अब हमे कोई जुदा नहीं कर सकता. 

वीरेंदर: जानती हो, मैं तुम्हे अपनी पत्नी के रूप मैं पाकर बहुत खुश हूँ. 

आशना: मैं आपको भैया के रूप में पाकर भी खुश थी और अब अपने जीवन साथी के रूप में पाकर तो धन्य हो गयी हूँ. 

वीरेंदर: अच्छा. तो अब ज़रा यह बताएँगी कि आपको खुश ही रहना है या धन्य भी होना है. 

आशना(मदहोशी में): मुझे लगता है कि हमे दोनो ऑप्षन्स एंजाय कर लेने चाहिए. 

वीरेंदर ने आशना की तरफ सरक कर उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे अपने से सटा लिया. 

आशना: यह क्या कर रहे है वीर, मेरी ड्रेस खराब हो जाएगी. 

आशना की इस बात को सुनकर वीरेंदर की पकड़ आशना पर और कस गयी. 

वीरेंदर: अभी तो सिर्फ़ ड्रेस की हालत बिगाड़ रहा हूँ, आज रात तो पता नहीं क्या क्या बिगड़ने वाला है. 

आशना: आहह, प्लीज़ छोड़िए मुझे वीर, यही ड्रेस मुझे शादी में भी पेहननी है. 

वीरेंदर: तो क्या हुआ, मैं तुम्हे बिल्कुल ऐसी ही दूसरी ड्रेस ले दूँगा. 

आशना: आप भी ना भैया, हमेशा बुद्धू ही रहोगे. भला शादी का जोड़ा कोई लड़की कैसे बदल सकती है. प्लीज़ थोड़ी देर के लिए छोड़िए, मैं थोड़ी देर में आती हूँ ना आपके पास. 

वीरेंदर: अरे यार यह क्या बात हुई. 
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