Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
01-18-2019, 02:02 PM,
#30
RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
कामया- क्या बनाया है चाचा 
और टेबल पर पड़े हुए बौल को खोलकर देखने लगी वो जिस तरह से चूक कर टेबल पर रखे हुए चीजो को देख रही थी उससे उसके सूट के गले से उसकी चुचियों को देख पाना बड़ा ही सरल था भीमा ना चाहते हुए भी अपनी नजर उसपर से ना हटा सका वो अपना काम भूलकर बहू को एकटक देखता रहा कितनी सुंदर और कोमल सी बहू जिसके साथ उसने कुछ हसीन पल बिताए थे वो आज फिर से उसके सामने खड़ी हुई अपने शरीर का कुछ हिस्सा उसे दिखा रही थी जान भुज कर या अन जाने में पता नहीं पर हाँ… देख जरूर रहा था वो बहू कि चुचियों के आगे बढ़ा और उसकी पतली सी कमर तक पहुँचा ही था कि मम्मी जी के आने की आहट ने सबकुछ बिगाड़ दिया और वो जल्दी से किचेन की ओर चला गया 

मम्मीजी- अरे जल्दी नहा लिया तूने तो 

कामया- जी सोचा आपसे पहले ही आ जाऊ 

मम्मीजी- हाँ… चल बैठ और सुन शाम को तैयार हो जाना मंदिर चलेंगे 

कामया- जी 

पर उसका मन बिल्कुल नहीं था मम्मीजी के साथ मंदिर जाने का पर कैसे मना करे सोचने लगी वो कही भी नहीं जाना चाहती थी पर 

मम्मीजी- आज कुछ मंदिर में बाहर से लोग आने वाले है सत्संग है तू भी चल क्या करेगी घर में 

कामया- जी पर 

मम्मीजी- पर क्या थोड़ा बहुत घूम लेगी और क्या में कौन सा कह रही हूँ कि बैठकर हम बूढ़ों के साथ तू सत्संग सुनना 

कामया- जी तो फिर 

मम्मीजी- अरे वहां आसपास्स गार्डेन है तू थोड़ा घूम लेना और में भी ज्यादा देर कौन सा रुकने वाली हूँ वो तो मंदिर हमने बनवाया है ना इसलिए जाना पड़ता है नहीं तो मुझे तो अपना घर का ही मंदिर सबसे अच्छा लगता है 

कामया- जी 
और दोनों खाना खाने लगे थे और बातों का दौर चलता रहा कामया और मम्मीजी खाने के बाद उठे और हाथ मुँह दो कर वही थोड़ा सा बातें करते रहे और 

मम्मीजी- अरे भीमा टेबल साफ कर दे 
और फिर कामया की ओर मुड़ गई 

भीमा किचेन से निकला और टेबल पड़े झुटे बर्तन उठाने लगा पर हल्की सी नजर कामया पर भी डाल ली कामया उसी की तरफ चेहरा किए हुए थी और मम्मीजी की पीठ उसके त्तरफ थी 

वो चोर नजर से कामया को देख रहा था और समान भी लपेट रहा था कामया की नजर भी कभी-कभी चाचा की हरकतों पर पड़ रही थी और उसके होंठों पर एक मुस्कान दौड़ गई थी जो कि भीमा से नहीं छुप पाई और वो एकटक बहू की ओर देखता रहा पर जैसे ही कामया की नजर उस पड़ पड़ी तो दोनों ही अपनी नजरें झुका के कामया अपने कमरे की ओर और भीमा अपने किचेन की ओर चल दिए 

मम्मीजी भी अपने कमरे की ओर जाते जाते 
मम्मीजी- शाम को 6 बजे तक तैयार हो जाना टक्सी वाले को बोल दिया है 

कामया- जी, 
और मुड़कर मम्मीजी की ओर देखती पर उसकी नजर भीमा चाचा पर वापस टिक गई जो कि फिर से किचेन से निकल रहे थे भीमा भी निकलते हुए सीढ़ियो पर जाती हुई बहू को देखना चाहता था इसलिए वो वापस जल्दी से पलटकर डाइनिंग स्पेस पर आ गया था वो तो बहू की मस्त चाल का दीवाना था जब वो अपने कूल्हे मटका मटकाकर सीढ़ी चढ़ती थी तो उसका दिल बैठ जाता था और वो उसी के दीदार को वापस आया था पर जैसे ही उसकी नजर कामया पर पड़ी तो वो भी झेप गया पर अपनी नजर को वो वहाँ से हटा नहीं पाया था 

उसे बहू की नजर में एक अजीब सी कशिश देखी थी एक अजीब सा नशा था एक अजीब सा खिचाव था जोकि शायद वो पहले नहीं देख पाया था वो बहू को अपनी ओर देखते हुए अपने कमरे की जाते हुए देखता रहा जब तक वो उसकी नजरों से ओझल नहीं हो गई 

एक लंबी सी सांस छोड़ कर वो फिर से काम में लग गया और उधर जब मम्मीजी ने उसे पुकार कर कहा तब वो जबाब देते हुए पलटी तो चाचा को अपनी ओर देखते पाकर वो भी अपनी नजर चाचा की नजर से अलग नहीं कर पाई थी वो चाचा की नजर में एक भूख को आसानी से देख पा रही थी उसके प्रति एक भूक उसके प्रति एक लगाव या फिर उसके प्रति एक खिचाव को वो चाचा की नजर में देख रही थी उसके शरीर में एक आग फिर से आग लग गई थी जिसे उसने अपनी सांसों को कंट्रोल करके संभाला और एक तेज सांस छोड़ कर अपने कमरे की चली गई कामया कमरे में घुसकर वापस बिस्तर पर ढेर हो गई और अपने बारे में सोचती रही उसे क्या हो गया है जब देखो उसे ऐसा क्यों लगता रहता है वो तो सेक्स की भूखी कभी नहीं थी पर आज कल तो जैसे उसके शरीर में जब देखो तब आग लगी रहती है क्या कारण है क्या वो इतनी कामुक हो गई है की पति के ना मिलने पर वो किसी के साथ भी सेक्स कर सकती है दो जनों के साथ तो वो सेक्स कर चुकी थी 

वो भी इस घर के नौकरो के साथ जिनकी हसियत ही क्या है उसके सामने पर आख़िर क्यों वो चाचा और लाखा को इतना मिस करती है क्यों उनके सामने जाते ही वो अपना सबकुछ भूल जाती है अभी भी तो चाचा उसकी तरफ जैसे देख रहे थे अगर मम्मीजी ने देख लिया होता तो वो अपने आपको संभालने की कोशिश करने लगी थी नहीं यह गलत है उसे इस तरह की बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए वो एक घर की बहू है उसका पति है संपन्न घर है वो सिर्फ़ सेक्स की खातिर अपने घर को उजड़ नहीं सकती 

उसने एक झटके से अपने दिमाग से भीमा चाचा को और लाखा काका को निकाल बाहर किया और सूट चेंज करने के लिए वारड्रोब के सामने खड़ी हो गई उसने गाउन निकाला और जैसे ही पलटी उसकी नजर कल के ब्लाउस और पेटीकोट पर पड़ गई जो की उसने पहना था चाचा के लिए 

वो चुपचाप उसपर अपनी नजर गढ़ाए खड़ी रही और धीरे से अपने हाथों से लेकर उनको सहलाने लगी पता नहीं क्यों उसने गाउन रखकर फिर से वो पेटीकोट और ब्लाउस उठा लिया और बाथरूम की चल दी चेंज करने को जब वो बाथरूम में चेंज कर रही थी तो जैसे-जैसे वो ड्रेस को अपने शरीर पर कस रही थी उसके शरीर में फिर से सेक्स की आग भड़कने लगी थी वो अपने सांसों को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी उसकी सांसें अब बहुत तेज चलने लगी थी और उसकी चूचियां उसके कसे हुए ब्लाउज को फाड़कर बाहर आने को हो रही थी पेटीकोट और ब्लाउस पहनकर उसने अपने को मिरर में देखा तो वो किसी अप्सरा सी दिख रही थी 
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RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू - by sexstories - 01-18-2019, 02:02 PM

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