Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
01-18-2019, 02:12 PM,
#86
RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
कामया ने देखा कि अचानक ही उसमें एक बड़ा बदलाव आ गया था जो अभी थोड़ी देर पहले उसके लिए गुंडा था उसने क्या कहा था ऋषि के बारे में जानने की कितनी तीव्र इच्छा थी उसमें यह तो लड़कियों में ही देखा था 
कामया- कह रहा था कि ऋषि बाबू मुझे बहुत अच्छे लगते है 
कामया ने झूठ कहा 

ऋषि- हाई राम देखो कैसा है ना वो भाभी कोई ऐसा कहता है क्या छि 

कामया- क्यों क्या हुआ अच्छा लगता है तो इसमें कोई बुरी बात है क्या 

ऋषि- छी भाभी कितना बदमाश है ना वो कहाँ है 

कामया- नीचे है बुलाऊ 

ऋषि- नहीं बाबा मुझे तो डर लगता है उससे क्या करेंगे बुला के 
झट से पलट गया था ऋषि कामया के चहरे पर एक मुश्कान दौड़ गई थी भोला ठीक ही कह रहा था ठीक नहीं है ऋषि और पता नही क्या-क्या पता है भोला को 

ऋषि- बताओ ना भाभी क्या करेंगे बुलाकर 
मचलता हुआ सा ऋषि बेड पर बैठा हुआ था कामया वही पर सोफे पर बैठी थी 

कामया- बुला कर पूछेंगे कि बता क्यों अच्छा लगता है ऋषि है ना 

ऋषि- छी भाभी क्या करेंगे बताइए ना 

कामया को नहीं मालूम कब और कैसे वो लोग बैठे बैठे भोला के बारे में बातें करने लगे और उसे कमरे में भी बुलाने की बातें होने लगी कामया को भी मजा आने लगा था ऋषि के मचलने और इस तरह से बातें करने से वो भी अब भोला से ऋषि को उलझाने के बारे में ही सोच रही थी देखूँ तो क्या करता है ऋषि एक बार भोला अगर इस कमरे में आ जाता है तो 

ऋषि- बुलाएँ भाभी

कामया- हाँ बुला पर देखना बाद में पलट मत जाना ठीक से धमकाना उसे ठीक है 

ऋषि- जी और झट से इंटरकम उठाकर नीचे कोई नंबर डायल किया और उसे भोला को ऊपर आने को कहा 

दोनों बैठे हुए भोला के आने की राह देख रहे थे ऋषि को देखते ही लगता था कि कितना उत्तेजित था वो बार-बार इधर उधर चलते हुए वो कभी कामया की ओर देख रह था और कभी डोर की ओर एक हल्की सी आहट ने दोनों का ध्यान डोर की ओर भींचा 

ऋषि- हाँ अंदर आ आओ प्लीज 

भोला अंदरआ गया वैसे ही सख्त सी आखें लिए और बिना कोई घबराहट के अंदर आते ही उसने पैरों से डोर को बंद कर दिया और सिर नीचे किए खड़ा हो गया 

कामया के तो हाथ पाँव फूल गये थे भोला को कमरे में देखते ही पर उसका अपना ध्यान पूरे टाइम ऋषि की ओर ही था वो देख रही थी कि ऋषि क्या करता है 

ऋषि- कहिए क्या बोल रहे थे आप भाभी को हाँ… 

लड़कियों जैसी आखें मटकाकर और हाथ नचा कर वो एक बड़े ही नाटकीय ढंग से बड़ी ही मीठी सी आवाज में बोला जैसे डाट नहीं रहा हो बल्कि थपकी देकर पूछ रहा हो 

कामया के चहरे में एक हल्की सी मुश्कान दौड़ गई थी 

भोला- कुछ नहीं भाया वो तो बस में मजाक कर रहा था क्यों आपको बुरा लगा 

ऋषि एक बार कामया की ओर देखता हुआ फिर से भोला की ओर देखता रहा कमरे में एक अजीब सी गंध भर गई थी शायद वो भोला से आ रही थी पसीने की या फिर पता नहीं पर थी जरूर 

ऋषि- हमें यह सब अच्छा नहीं लगता अब से आप ऐसा नहीं करेंगे ठीक है 

भोला- जी भैया पर आप है ही इतने अच्छे कि तारीफ करने का मन करता है इसलिए किया और मेमसाहब तो अपनी है इसलिए कोई डर नही था इसलिए कह दिया माफ़ कर दीजिए 

कहते हुए भोला अपने घुटनों पर बैठ गया कामया अजीब सी निगाहे गढ़ाए भोला को देख रही थी वो गुंडा अभी तो क्या-क्या कहा रहा था पर यहां आते ही पलट गया और वो भी इस ऋषि के सामने इस तरह से घुटनों के बाल गिर के माफी माँग रहा है उसे तो एक बार बहुत गुस्सा आया पर अपनी ओर देखती हुई भोला की आखों में उसे कुछ और ही दिखाई दिया 

ऋषि- ठीक है आगे से ध्यान रखिएगा ठीक है 
और वो चलता हुआ भोला के पास चला गया जैसे उसे हाथ लगाकर उठाने की कोशिश कर रहा था 

पर भोला वैसे ही बैठा रहा और ऋषि को अपने कंधे पर अपनी हथेलियो को फेरने दिया वो और झुका और, ऋषि के पैरों पर गिर पड़ा और माफी माँगने लगा था 

ऋषि उसके पास बैठा गया और उसे ढाँढस बढ़ाने लगा था वो उसके बालों को और कंधों को सहलाते हुए उसे प्यार से सहला रहा था भोला भी वही बैठा हुआ उसकी हरकतों को देख रहा था 

कामया बैठी बैठी उन दोनों को देख रही थी, जैसे कि कोई प्रेम मिलाप हो रहा हो पर देखते-देखते सबकुछ कैसे चेंज हो गया वो समझ ही नहीं पाई थी वो देख रही थी कि भोला की हथेलिया ऋषि की पीठ पर घूम रही थी और वो धीरे धीरे उसे सहला रहा था और ऋषि उसके बालों को दोनों बहुत नजदीक थे जैसे उन्हें यह ध्यान ही नहीं था कि कामया भी इस कमरे में है 

भोला बहुत चालाक है वो यह बात जानता था कि ऋषि एक गे है पर कभी हिम्मत नहीं की थी अटेंप्ट की पर आज कामया की वजह से उसे यह मौका भी मिल गया था वो आज इस मौके को हाथ 
से नहीं जाने देने चाहता था और इसके साथ एक फायेदा और भी था वो कामया के शरीर में एक आग ऐसी भी भर देगा जिससे कि वो कभी भी उसे मना नहीं कर पाएगी यही सोचता हुआ वो धीरे बहुत ही धीरे आगे बढ़ रहा था वो जो नाटक कर रहा था वो जानता था कि वो उसे किस तरफ ले जाएगी वैसा ही हुआ ऋषि उसके पास आ गया और फिर शुरू हो गया वो खेल जो वो खेलना चाहता था एक ऐसा खेल जिसे वो जिंदगी भर खेलना चाहता था अपनी मेमसाहब के साथ 


कामया की आखों के सामने ऋषि भी अपनेआपको नहीं रोक पा रहा था पर अपने हाथो को भी वापस नहीं खींच पा रहा था वो अब भी भोला के कंधों पर अपनी हथेलियो को घुमाकर उसके बालिस्ट शरीर और उसके बालों को सहलाकर उसकी कठोरता का एहसास कर रहा था वो जानता था कि कामया की नजर उसपर है पर वो मजबूर था अपने आपको रोकने की कोशिश भी नहीं की शायद वो जानता था कि भाभी उसे कुछ नहीं कहेगी 

वो भी शायद इस मौके का इंतजार कर रहा था और आज से अच्छा मौका उसे कहाँ मिलेगा आज भाभी के साथ भोला भी उसके कमरे में था और भोला की सख्त हथेलियाँ उसकी पीठ पर घूम रही थी ऋषि आज बेकाबू होने लगा था 

उसने एक बार भाभी की ओर नजर उठाकर देखा शायद पूछ रहा था कि क्या आगे बढ़ुँ पर कामया की आखों में एक हैरत भरी और जिग्याशा होने के कारण वो वापस भोला की ओर मुड़ गया और अपने हाथो को फिर से उसके कंधो पर घुमाने लगा था 

ऋषि- ठीक है अब उठिए अब से ऐसा नहीं कहिएगा जो कुछ कहना है हम से डाइरेक्ट कहिएगा ठीक है 
और वो खड़ा होने लगा था कि भोला एकदम से उसके पैरों पर गिर पड़ा और उसके गोरे गोरे पैरों को जिसमें की नेल पोलिश भी लगाया हुआ था अपनी जीब से चाट-ते हुए फिर से माफी माँगने लगा था 

ऋषि को एक झटका सा लगा था वो फिर से बैठ गया और अपने दोनों हाथों से भोला के कंधों को पकड़कर ऊपर उठाने लगता पर ऋषि का जोर इतना था कि वो भोला जैसे सांड़ को उठा या हिला भी पाए सो भोला खुद ही उठा और अचानक ही कामया दंग रह गई जो कुछ उसके सामने घट गया वो चकित रह गई और एक मूक दर्शाक के समान बैठी हुई भोला को और ऋषि को एकटक देखती रह गई थी 

भोला का एक हाथ ऋषि के गले के पीछे से कस कर जकड़ रखा था और एक हाथ उसकी ठोडी पर था और उसके होंठ उसके होंठों पर थे और खूब जोर से भोला ऋषि को किस कर रहा था जोर से मतलब इतनी जोर से कि ऋषि एक बार तो तड़प कर अपने को छुड़ाने की कोशिश करने लगा था पर धीरे-धीरे शांत हो गया था और भोला की बाहों में झूल गया था भोला ने एक ही झटके में ऋषि को उठाया और उसके बेड की ओर चल दिया उसके होंठ अब भी उसके होंठों को सिले हुए थे 

और बेड पर बिठाते ही उसने अपने होंठों को उसके होंठों से आजाद कर दिया ऋषि की सांसें फिर से चलने लगी थी एक लंबी सी और उखड़ी हुई सांसों से कमरा भर गया था ऋषि को बिठाने के बाद भोला ने कामया की ओर पीठ कर लिया था ऋषि का चहरा भी उसे नहीं दिख रहा था कामया किसी बुत की तरह सोफे में बैठी हुई भोला और ऋषि की हरकतों को देख रही थी 
ऋषि और भोला को जैसे चिंता ही नहीं थी कि कामया भी वहां बैठी है या कोई शरम हया नहीं बिल्कुल बिंदास दोनों अपने खेल में लगे हुए थे सबसे आश्चर्य की बात थी ऋषि की, उसने भी कोई आना कानी नहीं की और नहीं कोई इनकार या अपने आपको छुड़ाने की कोशिस लगता था कि जैसे वो इंतजार में ही था कि कब भोला उसके साथ यह हरकत करे और वो इस खेल का मजा ले 
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