07-16-2018, 12:40 PM,
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RE: Behen Sex Kahani दो भाई दो बहन
विनोद ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और वॉश रूम की ओर
बढ़ गया.... रिया भी लॅडीस टाय्लेट की ओर चली गयी. थोड़ी देर
बाद फ्रेश होने के बाद वो अंदर हॉल मे वापस उसी टेबल पर आ गयी
जहाँ विनोद का दोस्त आशीष और उसकी महिला साथ बैठे थे... रिया
की ड्रिंक अभी भी उसी तरह टेबल पर पड़ी थी.. उसने अपनी ड्रिंक
उठाई और पीने लगी.
दो तीन ड्रिंक और पीने के बाद रिया को लगा कि वो खुद गाड़ी चला
कर घर तक नही पहुँच पाएगी... थोड़ा नशा हो गया था उसे.
रिया को थोड़ा झूमते देख विनोद उसके कान मे धीमे से बोला, "रिया
मेरे साथ चलो तुम्हे जिंदगी का असली मज़ा दिखाउँगा.."
"पर में ज़्यादा देर तक नही रुक पाउन्गि." रिया ने कहा.
"हमारे साथ चलो और अगर तुम्हे मज़ा नही आए तो में तुम्हे घर
तक छोड़ दूँगा." विनोद ने उसकी हालत को समझते हुए कहा.
विनोद ने अपना दायां हाथ रिया के कंधों पर रखा और उसे सहारा दे
कर बाहर तक ले आया... आशीष अपनी महिला साथ को वहीं वहीं
छोड़ उनके पीछे पीछे आ गया.... रिया को लगा कि वो अपने पैरों
पर खड़ी नही रह पाएगी.. बड़ी मुश्किल से वो विनोद का सहारा लिए
उसकी गाड़ी तक पहुँची.
विनोद ने उसे सहारा देकर ड्राइवर की पीछे वाली सीट पर बिठा
दिया... पर जब आशीष उसके बगल मे बैठा तो वो चौंक पड़ी...
उसे इस बात की उम्मीद नही थी.. वो समझ रही थी कि विनोद उसके
बगल मे बैठेगा. उसने रिव्यू मीरोर मे देखा जहाँ विनोद मंद मंद
मुस्कुरा रहा था. पर इन हालत मे वो कुछ कर भी नही सकती थी...
उसने भी तय कर लिया कि देखें आगे क्या होता है... अगर मज़ा आया
तो रुकेगी वरना वो घर चली जाएगी.
आशीष ने बगल मे बैठते ही उसे अपनी और खींचा और अपने होंठ
उसके होठों पर रख उन्हे चूसने लगा... फिर अपनी जीभ से उसके
मुँह को खोल उसने अपनी जीब उसके मुँह मे दे दी... नशे की हालत
मे रिया कुछ तो थोड़ी गरम कुछ शराब का नशा.. उसने भी उसके
जीब से अपनी जीब मिला उसे चूसने लगी.
रिया के बदन मे फिर से गर्मी भरने लगी और उसके निपल मे थोड़ी
सी कपन हुई और तन कर खड़े हो गये. आशीष ने अपना हाथ उसकी
खुली शर्ट के अंदर डाला और उसकी चुचियों को मसल्ने लगा. रिया
की चुचियों को म्सल्ते मसल्ते आशीष का लंड भी खड़ा हो गया
था.
थोड़ी देर रिया की चुचियों को मसालने के बाद आशीष ने अपने पॅंट
की ज़िप खोली और अपने लंड को बाहर निकाल लिया..रिया ने उसके लंड
पर निगाह डाली.. उसका लंड विनोद के लंड से कुछ छोटा था.
आशीष ने उसकी गर्दन को पकड़ा और अपने लंड पर झुका दिया... रिया
अपनी सीट से खिसक कर सीटो के बीच नीचे बैठ गयी और उसके
लंड को अपने मुँह मे ले लिया. वो उसके लंड को अपनी जीब से भींचते
हुए उसे अपने गले तक लेकर चूसने लगी. आशीष अपने हाथ को उसके
सिर पर रख अपने लंड पर दबा रहा था.
"ऑश हाआँ ऐसे ही चूसो श तुम्हारा गरम मुँह मेरे लंड पर
बहोट ही अच्छा लग रहा है" आशीष अपने हाथ का दबाव बढ़ाते हुए
सिसका.
रिया उस अजनबी के लंड पर अपना मुँह उपर नीचे कर चूसने लगी.
उसके लंड को मुठ्ठी से मसल्ते हुए साथ ही उसकी गोलैईयों को सहला
रही थी. आशीष का लंड मे उबाल आने लगा और उसके मुँह से "ओह्ह्ह्ह
अयाया" की आवाज़ें निकल रही थी.
"आशीष इससे कहना कि तुम्हारा लंड का पान मेरी गाड़ी की नई सीट पर
ना गिरने पाए... इससे कहना कि ये सारा पानी पी जाए.. में बाद मे
चेक करने वाला हूँ." विनोद गाड़ी चलाते हुए लगभग चिल्लाते हुए
बोला.
"तुमने सुना ना विनोद ने क्या कहा, तुम सब पानी पी जाओगी ना रिया..
है ना?" आशीष ने रिया से पूछा.
रिया ने अपनी गर्दन हां मे हिला दी.
"ऑश हान ज़ोर ज़ोर से चूसो ओःः हाँ और ज़ोर से ऑश मेरा छूटने
ही वाला है.." आशीष सिसक पड़ा.
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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rajsharmaSuper memberPosts: 6551Joined: 10 Oct 2014 07:07Contact:
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Re: दो भाई दो बहन
Post by rajsharma » 20 Dec 2014 15:21
आशीष का लंड आकड़ा और वीर्य की ज़ोर की पिचकारी रिया के गले तक
छोड़ दी... रिया ने उसके लंड को पूरी तरह मे भींच लिया जिससे की
वीर्य बह कर बाहर ना आ जाए... इससे उसका पिचकारी पर पिचकारी
छोड़ने लगा और रिया सारा का सारा वीर्य गटक गयी.
जब आशीष का लंड पूरी तरह नीचूड़ गया तो रिया उठ कर अपनी
जगह पर बैठ गयी और अपने होठों को और मुँह को रुमाल से सॉफ
करने लगी. रिया खिड़की से बाहर देखने लगी.. उसका घर यहाँ से
ज़्यादा दूर नही था.
"विनोद प्लीज़ मुझे यही ड्रॉप कर दो.. मेरा घर यहाँ से पास ही
है... में चली जाउन्गी." रिया ने कहा.
"तुम्हे छोड़ने से पहले में चाहता हूँ कि तुम मेरे लिए कुछ करो."
विनोद ने गाड़ी को साइड की सड़क पर डालते हुए जवाब दिया.
विनोद ने गाड़ी एक मकान आगे रोकी जिसका शायद हाल मे ही रेनवेशन
हुआ था. विनोद गाड़ी से उतरा और रिया की तरफ का दरवाज़ा खोलते हुए
अपना हाथ बढ़ा दिया. रिया ने भी उसका हाथ पकड़ गाड़ी से उतर
गयी. मकान से जोरों से संगीत की आवाज़ आ रही थी जैसे की उपर
कोई पार्टी चल रही हो.
विनोद ने अपना हाथ रिया की कमर मे डाला और उसे लेकर मकान की
पहली मंज़िल पर आ गया.... संगीत का स्वर और ज़ोर से हो
गया... "मेरी दुनिया मे तुम्हारा स्वागत है रिया... ये हमारी दुनिया
है ऐश करने की." विनोद ने उसे अपने से चिपकाते हुए कहा.
खुले फ्लॅट के दरवाज़े से एक लड़का बाहर निकला और रिया को देख कर
ठिठक गया.. "यार विनोद तुम ये नई फुलझड़ियाँ रोज़ कहाँ से ले
आते हो यार?" उसने विनोद से कहा.
"मिल जाती है शायद मेरी पर्सनॅलिटी की वजह से." विनोद ने जवाब
दिया, "संजीव कहाँ है?"
"वो कमरे मे है.. और जब उसके लंड का पानी ख़तम हो जाएगा तो
बाहर आ जाएगा." उस लड़के ने जवाब दिया, फिर रिया की तरफ देख
उससे पूछा, "तुम कुछ ड्रिंक लेना पसंद करोगी?"
क्रमशः..................
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07-16-2018, 01:06 PM,
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RE: Behen Sex Kahani दो भाई दो बहन
फ्लॅट से निकल कर वो सड़क पर ऐसे ही चहेल कदमी करने लगी....
दुकाने करीब करीब बंद हो चुकी थी... तभी उसकी निगाह सड़क के
सामने की ओर एक खुले बार पर पड़ी... ना जाने क्या सोच कर
हिचकिचाते हुए उसने बार मे कदम रखा.
बार बहोत बड़ा नही था.... हॉल मे रोशनी काफ़ी कम थी.. टेबल के
उपर लगी हल्की रोशनी के बल्ब जल रहे थे.... कोने मे एक ड्ज
रेकॉर्डर पर गाने बज रहा था.
रोमा एक टेबल पर जाकर बैठ गयी. तभी कहीं अंधेरा से एक 35
साल का मर्द प्रगट हुआ और रोमा को देख मुस्कुराने लगा.
"ज्योति ये लड़की जो भी पीना चाहे इसे लाकर दे दो." उसने टेबल के
पास खड़ी एक वेट्रेस से कहा.
रोमा के मन मे एक बार तो आया कि वो मना कर दे... लेकिन वो आदमी
दीखने मे काफ़ी स्मार्ट और इज़्ज़तदार लग रहा था इसलिए उसने कुछ
कहा नही.
"जी बहोत बहोत शुक्रिया आपका," रोमा ने उससे कहा और वेट्रेस को
एक वोड्का वित लाइम लाने को कह दिया.
"मेरे ख्याल से तुम इसी सहर के कॉलेज मे पढ़ती हो... है ना?"
उसने मुस्कुराते हुए पूछा.
"हां अभी दाखिला लिया है, ज़रूर आप ज्योतिष् विद्या जानते है."
रोमा ने जवाब दिया.
"नही ज्योतिष् तो नही हूँ.... पर हां मुझे ऐसा लगा.... वैसे
मुझे जीत कहते है." उस मर्द ने कहा.
"मुझे रोमा."
वेट्रेस ज्योति ने ड्रिंक लाकर रोमा के टेबल पर रख दी... रोमा
अपना ग्लास उठाकर धीरे धीरे सीप करने लगी.
"अगर आपको बुरा ना लगे तो क्या में आपके साथ बैठ सकता हूँ?"
जीत ने पूछा.
रोमा इस स्तिथि मे नही थी कि उसे मना कर सके, "प्लीस बैठिए
मुझे कोई ऐतराज़ नही है."
"तो, तुम्हारी कॉलेज लाइफ कैसे चल रही है?" जीत ने उसके सामने
की कुर्सी पर बैठते हुए पूछा.
"सच कहूँ तो बहोत मुश्किल हो रही है... नई साथी नई जगह और
साथ ही पढ़ाई भी थोड़ी डिफिकल्ट है... काफ़ी मेहनत करनी पड़ती
है." रोमा ने जवाब दिया.
"वैसे कौन से विषय मे परेशानी होती है तुम्हे?" जीत ने एक बार
फिर पूछा.
"सबसे ज़्यादा तकलीफ़ मॅतमॅटिक्स मे होती है.... अलगेबरा तो मेरी
समझ मे नही आता है." रोमा ने जवाब दिया.
रोमा को जीत से बाते करते हुए अच्छा लग रहा था... आज पहली
बार किसी ने उससे उसकी परेशानियाँ या फिर उसकी पढ़ाई के बारे मे
इतने अप्नत्व से पूछा था.... उसने अपनी ठंडी ड्रिंक से एक घूंठ
लिया और उसकी तरफ देखने लगी.... जीत एक हॅंडसम नौजवान था...
काली आँखें........ काले घने बॉल... चौड़े कंधे... और काफ़ी
हॅंडसम लग रहा था.. रोमा खुश थी कि वो उस के साथ बैठी थी.
"अगर तुम चाहो तो में तुम्हारी मदद कर सकता हूँ... जिस कॉलेज
मे तुम पढ़ रही हो मेने उसी कॉलेज से ग्रॅजुयेशन किया है और बाद
मे मेने Bएड का सर्टिफिकेट भी ले लिया है... में प्राइवेट अकॅडमी
मे पढ़ाता हूँ जो यहाँ से ज़्यादा दूर नही है... मेद्स और हिस्टरी
मेरे खास विषय है... में अकेला रहता हूँ और शाम के वक्त मेरे
पास काफ़ी समय रहता है." जीत ने उसकी आँखों मे आँखे डालते हुए
कहा.
रोमा तो खुशी उछल पड़ी, "क्या सच मे ऐसा हो सकता है?"
"हां अगर तुम चाहो तो," जीत ने उसके खुशी से भरे चेहरे पर
नज़र डालते हुए कहा, "जाने से पहले मेरा फोन नंबर ले लेना.... तुम
किसी भी वक्त मुझे फोन कर सकती हो... तुम्हारी मदद करके मुझे
खुशी होगी."
"आज में बहोत खुश हूँ और में चाहती हूँ कि आप मेरी मदद
करें." रोमा ने जवाब दिया.
राज और रिया दोनो रोमा के दीमाग से इस समय निकल चुके थे... आज
कितने दिनो बाद उसे एक राहत सी महसूस हो रही थी... दोनो बातो
मे खो गये.... वक्त कब बीत गया दोनो को पता ही नही चला.
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