RE: behen sex kahani मेरी तीन मस्त पटाखा बहनें
"अच्छा किसी लड़की से भी दोस्ती है क्या तुम्हारी" दीदी ने फिर पूछा।
"नही दीदी किसी लड़की से तो दोस्ती नहीं है मेरी" मैं बोला।
"अच्छा क्या बाते करते हो तुम दोस्त आपस मे" दीदी ने अब कुरेदना शुरू कर दिया था।
"कुछ खास नहीं दीदी बस स्कूल की और इधर उधर की बाते ही होती है" मैं बोला।
"अच्छा क्या तुम दोस्त लोग लड़कियों के बारे में भी बाते करते हो क्या?" दीदी अब धीरे धीरे खुलने लगी थी असली बात जानने के लिए कि उसका भाई ये सब कहाँ से सीखता है।
अब मुझे भी शक होने लगा था लेकिन मैं सब कुछ सच सच बताने के मूड में आगया था।
"हाँ दीदी हम लड़कियों के बारे में भी बाते करते है, दीदी सच में मुझे कुछ पता नहीं था लेकिन मेरे दोस्तों ने स्कूल में मुझे सब बताया और अब हम मिस के साथ कभी कभी कुछ मजा कर लेते है दीदी आप बुरा मत मानना प्लीज सच में पहले मैं ऐसा नहीं था लेकिन अब मेरा हर वक्त यही दिल करता है" मैं समझ गया था की दीदी ये सब इसीलिए पूछ रही है की ये सब मैं उसके साथ भी करने लगा था और उसके सामने मेरी बहाने बाजी नहीं चली थी।
दीदी मेरी बात सुनकर हैरान थी और शायद मेरी बातो से उसे कुछ मजा भी आरहा था।
"मिस तुम लोगो को कुछ नहीं कहती क्या जब तुम लोग ऐसा करते हो और क्या तुम्हे जरा भी शर्म नहीं आती ऐसा करते हुए, पता है ये गलत काम है और अगर किसी मिस ने डैड से तुम्हारी शिकायत कर दी तो फिर देखना डैड तुम्हारा क्या हाल करते है"
"दीदी मैं सब जानता हूँ लेकिन क्या करू मैं अपने दिल के हाथो मजबूर हूँ वो जैसा कहता है मुझे करना पडता है अब इसमें मेरा क्या कसूर है" मैं बोला "दीदी अब आप ही बताओ की क्या इस सब के बारे में क्या आप नहीं जानती और क्या आप अपनी फ्रेंड्स के साथ ऐसी बाते नहीं करती है और दीदी सच सच बताना की क्या आपका दिल नहीं करता ये सब करने या कराने का"।
"भैया मैं इस बारे में सब जानती हूँ और हम सभी फ्रेंड्स ऐसी बाते करती भी है लेकिन मैंने कभी ऐसा करने का सोचा ही नहीं है पता नहीं कभी मैं ऐसा सोचति हूँ तो मुझे बहुत बुरा लगता है इसलिए मेरा दिल कभी भी ऐसा करने का नहीं करता" दीदी बोली।
"लेकिन दीदी।।।।।।।" मैंने कहना चाहा।
"चलो अब जाओ बहुत टाइम हो गया है और मुझे बहुत काम करने है" दीदी बोली और उठ कर खड़ी हो गई।
मैन समझ गया की अब वो आगे बात करने वाली नहीं है और वैसे भी आज के लिए बहुत हो गया था दीदी काफी हद तक मुझसे खुल गई थी मैं भी उठा और उसके रूम से बाहर आगया।।।।।।।।।।।।।।।
दीदी के रूम से निकल कर मैं अपने रूम में आगया और दीदी के साथ ही बाते हुई उनके बारे में सोचने लगा
शाम को सब साथ बैठे थे और रीमा दीदी मेरे सामने बैठि थी मैं उनको देख रहा था की अचानक मेरी नजर उनकी साइड पर गई उनकी कुर्ती थोड़ी ऊपर उठी हुई थी जिससे उसकी गोरी कमर साफ़ दिखाई दे रही थी और ऊपर बड़े बड़े बूब्स भी मेरा ध्यान अपनी तरफ खिंच रहे थे उफ़ मेरी तो हालत ख़राब हो गई थी क्योंकि सुबह ही दीदी से ऐसी बाते की और अब ये नजारा उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्।।।।।।।। मेरा लंड फुल टाइट हो गया था।
कुछ देर ऐसे ही बाते करने और दीदी को ताकने के बाद एक बार फिर मुझे झटका लगा जहाँ से दीदी की कमर नजर आरही थी वहीँ से उनकी सलवार भी थोड़ी नीचे ही गई थी जहाँ से मुझे उनकी सलवार के अंदर एक काला कपडा नजर आया मुझे शक हुआ की ये जरुर दीदी की अंडरवियर होगी दीदी ने इस वक्त हरे रंग का सूट पहना हुआ था और अंडरवियर काली थी जो दीदी के गोरे बदन पर बहुत ही सेक्सी लग रहा था लेकिन मेरी समझ में ये नहीं आरहा था की दीदी ने इतनी गर्मी में अंडरवियर क्यों पहना है और हम लडक़ो के पास तो लंड होता है जिसे दबाने के लिए हम अंडरवियर पहन ते है जबकि लड़कियों को उसकी क्या जरुरत होगी।
रात को मैं दीदी के रूम में गया और उसके साथ बैठ कर बाते करने लगा लेकिन मेरे दिमाग में उनके अंडरवियर वाली बात ही चल रही थी लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी दीदी से इस बारे में कुछ पुछने की।
आखीर जब मेरे से बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैंने भी हिम्मत कर के पूछ ही लिया "दीदी मैंने शाम को देखा था की आपने अंडरवियर पहना हुआ है तो मुझे ये समझ नहीं आरहा की आप लड़कियों को इसकी क्या जरुरत होती है और इतनी गर्मी में पहनने का क्या मतलब है, वैसे दीदी एक बात कहूँ आपके गोर रंग पर ग्रीन सूट के साथ ब्लैक अंडरवियर बहुत ही अच्छा लग रहा था"।
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