Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 02:04 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
बहुत दिन हो गये कहानी के मुख्य किरदारों से दूर रहते हुए.., ख़ासकर मोहिनी भाभी की तो बहुत याद आती होगी आप सभी को.., जिसके बिना अपना हीरो भी कुछ नही है…

इस बीच कुछ मित्रों की कंप्लेंट भी बहुत आती रही कि हम अपने मुख्य पात्रों को भूल तो नही गये.., ये कहानी कहाँ से कहाँ चली जा रही है ब्ला..ब्ला…ब्ला…!

तो अब सभी मित्रों की शिकायत दूर करने का समय आ गया है.., क्यों ना अब साथ साथ में कुछ उनकी भी चर्चा कर ली जाए…………..!

समय काफ़ी तेज़ी से आगे बढ़ रहा था.., जैसा कि मेने तय किया था कि जब हमारा शहर वाला बंगला तैयार हो जाएगा.., हमारा सारा परिवार चाची के अंश को लेकर शहर शिफ्ट हो जाएगा…!

शहर में आकर कुछ दिन बाद ही नेक्स्ट सेशन से बड़े भैया ने भी गुप्ता जी के डिग्री कॉलेज में बतौर प्रोफेसर जाय्न कर लिया..!

मेरी बिटिया जिसका भाभी ने तृष्णा नाम रखा, वो भी अब बोलने, चलने फिरने लगी थी.., इसी बीच रूचि ने भी10थ पास कर लिया था..

प्राची ने अपना ग्रॅजुयेशन कर लिया था.., मन्झ्ले भैया उसे पोलीस में सेलेक्ट करवाना चाहते थे.., लेकिन प्राची का दिल नही था कि वो किसी बंधन में रह कर काम करे…!

शुरू से ही वो मेरे साथ रहने के कारण स्वतन्त्र रहने की आदि थी..,

एक दिन मे भी उनके बंगले पर ही था.., हम तीनों के बीच इसी बात को लेकर चर्चा थी.., भैया उसे पोलीस जाय्न करने को प्रोत्साहित कर रहे थे.., लेकिन उसका मन नही था.. सो वो मेरी तरफ मुखातिब होकर बोली…

अंकुश भैया आप बताओ मुझे क्या करना चाहिए.., वैसे मे अपने देश और क़ानून की बहुत इज़्ज़त करती हूँ,

लेकिन किसी बंधन में रह कर क़ानून की हिफ़ाज़त करना मुझे गंवारा नही है.., ख़ासकर पोलीस में जहाँ अपने मन से कोई भी डिसिशन ले ही नही सकते…!

हम कुछ अच्छा करना भी चाहें तो उपर के प्रेशर की वजह से कभी कभी हाथ बँधे होते हैं…!

कृष्णा – तो फिर छोड़ो सब कुछ और आराम से तुम घर संभालो.., हमें भी ऐसी कोई ज़रूरत भी नही है कि तुम कुछ करो ही करो..!

प्राची – लेकिन मुझे खाली बैठना भी तो अच्छा नही लगता.., जो कुछ अब तक मेने अंकुश भैया के साथ रहकर सीखा और जाना है उसे वेस्ट भी करना नही चाहती…!

मेरे पास तुम्हारे लायक एक बहुत ही उम्दा प्लान है अगर पसंद हो तो.., मेने उन दोनो की बातों के बीच पड़ते हुए कहा…

वो दोनो मेरी तरफ देखने लगे.., मेने अपनी बात जारी रखते हुए कहा – क्यों ना तुम एक प्राइवेट डीटेक्टिव एजेन्सी खोल लो..!

तुम्हारा टॅलेंट भी काम आता रहेगा.., और इनडाइरेक्ट्ली क़ानून और पोलीस की मदद भी करती रहोगी.., क्यों क्या ख्याल है…?

मेरी बात पर भैया कुछ नाखुश नज़र आए., लेकिन प्राची उनकी नापसंदगी को नज़रअंदाज करते हुए बोली –

बात तो पते की है.., लेकिन इस काम को मे अकेली तो नही कर पाउन्गि.., आपको इसमें मेरा साथ देना होगा…!

मे – ज़रूर..! मेरे पास भी इतना ज़्यादा काम नही होता है, उसे जूनियर स्टाफ कुछ हद तक संभाल ही लेता है..,

एजेन्सी ज़रूर तुम्हारे नाम से होगी.., लेकिन ज़्यादातर फील्ड वर्क हम दोनो ही मिलकर संभालेंगे.., क्यों भैया..फिर तो आपको कोई प्राब्लम नही है इस काम से..!

कृष्णा भैया हथियार डालते हुए बोले – जैसा तुम दोनो ठीक समझो.., चलो अच्छा है कुछ मेरे केस भी आसानी से हल हो जाया करेंगे जिन्हें मे सिस्टम के बंधनों के कारण नही कर पाता…!

बात फाइनल करते ही मे इस काम में जुट गया.., प्राची के नाम से एक डीटेक्टिव एजेन्सी रेगिसेर कर दी, एड देकर कुछ इक्च्छुक युवकों का स्टाफ भी रख लिया जिससे शुरुआत करने में आसानी रहे…!

हमारे प्रयासों से धीरे धीरे कुछ छोटे-मोटे केस भी आने लगे.., जैसे किसी की पत्नी अपने पति की जासूसी करवाना चाहती थी.., कोई पति अपनी पत्नी की…

किसी का किडनप का केस तो किसी के यहाँ चोरी चाकारी का.., पोलीस में एसएसपी तक की पवर थी ही.., लॉ को ध्यान में रखते हुए प्राची की डीटेक्टिव एजेन्सी का काम जमने लगा…………!

मुझे ये तो पता ही था कि भानु उस किल्लिंग में बच निकला है.., और बहुत हद तक वो इस शहर में तो रहेगा नही.., तो मुमकिन है वो फिरसे अपनी बेहन शालिनी के पास ही गया होगा…!

हमने अपने कुछ लोग उसकी टोह में लगा दिए.., ऐसे साँप पर नज़र रखना बेहद ज़रूरी भी था.., क्या पता मौका देख कर कब अपना जहर उगल दे…!

इसी दौरान प्राची ने ये पता लगा लिया कि भानु की बीवी मालती इस शहर को छोड़कर अपनी ननद वाले शहर में शिफ्ट हो चुकी है..,

मेरा अनुमान सही निकला… तो ज़रूर भानु भी वहीं होना चाहिए…!

क्योंकि उसकी नज़र में पोलीस या मुझे ये नही पता होगा कि वो बच निकला है.., तो बस लोकल पोलीस की नज़रों से बच कर वो कहीं भी रह सकता है…!

कस्बे की ज़मीन जयदाद बेचकर उसके पिता सुर्य प्रताप भी वहीं बस गये थे.., लड़के की करतूतों से उनकी कमाई हुई इज़्ज़त मिट्टी में जो मिल गयी थी.., तो फिर वहाँ रह कर करते भी क्या..?

उधर पड़ौस के ही शहर में ड्रग्स और हथियारों की तस्करी अप्रत्याशित रूप से बढ़ने लगी थी.., जिसका थोड़ा बहुत असर आस-पास के शहरों तक पड़ना स्वाभाविक ही था..,
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RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस - by sexstories - 06-02-2019, 02:04 PM
Nise story - by Ram kumar - 01-07-2020, 11:26 PM

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