Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-02-2019, 01:14 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेने फिर भी अपने अटॅक जारी रखते हुए कहा – ये बात आपको पहले सोचनी चाहिए थी एसपी साब, अगर मे ये केस अपने हाथ में ना लेता तो क्या फिर भी आप इसी तरह अफ़सोस जताते..?

इस घर ने क्या नही दिया आपको, पढ़ाया लिखाया, इस काबिल बनाया और आप बाबूजी की बात को भी दरकिनार कर के अपने ऊपर के प्रेशर में आ गये…

वैसे बताना चाहेंगे… कि वो प्रेशर किधर से आया था…?

वो मेरी बात सुनकर सकपका गये… जल्दी ही कोई जबाब नही सूझा उन्हें,… मेने फिरसे चोट करदी…या मे बताऊ, वो प्रेशर किधर से आया था…?

उनके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी… गिड-गिडाते हुए मेरा हाथ पकड़ा.. और मुझे एक तरफ को लेकर चल दिए…

सब लोगों से दूर मुझे एक कोने में ले जाकर बोले – मेरी इज़्ज़त बचा ले भाई… वादा करता हूँ.. फिर कभी अपने परिवार के खिलाफ नही जाउन्गा…

कामिनी की बातों में आकर मेने बहुत बड़ी भूल कर दी,…एक बार माफ़ कर्दे यार ! अपने भाई का कुछ तो मान रखले…

मे – ठीक है भैया, मे अपना केस वापस लेने को तैयार हूँ… लेकिन मेरी एक बात का जबाब देना होगा आपको…

एक आशा की किरण नज़र आते ही वो बोल पड़े… बोल भाई किस बात का जबाब चाहिए तुझे…मे तेरे हर सवाल का जबाब देने को तैयार हूँ…

मे – तो बताइए… ऐसी कॉन सी बात थी, जिसकी वजह से कामिनी भाभी ने आपको मदद करने से रोका था…?

भैया – शायद वो मोहिनी भाभी से नफ़रत करती है…, उस समय उसने हट ठान ली कि मे उस केस में उनकी कोई मदद ना करूँ, वरना वो शूसाइड कर लेगी…,

और उसकी इस हट के आगे मुझे झुकना पड़ा…

मे समझ गया कि भैया को असल बात पता नही है इसलिए उन्होने ये अस्यूम कर लिया है,

मे – तो फिर अब मुझसे मदद माँगने के बाद उनसे क्या कहेंगे..? क्या अब वो नही रोकेंगी आपको मदद लेने के लिए…?

वो थोड़ा दुखी स्वर में बोले – सच कहूँ मेरे भाई, तो मुझे भी अब उससे नफ़रत सी होने लगी है, उसकी आदतें बहुत खराब हैं… जिन्हें मे तुम्हें बता भी नही सकता…

वो अपने बाप की पॉवर का फ़ायदा उठाकर ना जाने क्या – 2 ग़लत सलत काम करती है..और मुझे भी करने के लिए उकसाती रहती है…

मुझे तो लगता है उसका चरित्र भी ठीक नही है, मे अब उससे किसी तरह छुटकारा पाना चाहता हूँ… लेकिन क्या करूँ मजबूर हूँ.

मेने अपनी नज़रें उनके चेहरे पर जमा दी, और उनके चेहरे को पढ़ने की कोशिश करने लगा, जहाँ मुझे एक बेबस इंसान ही नज़र आया…

अतः उनकी मजबूरी समझते हुए मेने कहा – ठीक है भैया…मे अपना केस वापस ले रहा हूँ, लेकिन वादा करिए… जाने से पहले आप मोहिनी भाभी से माफी ज़रूर माँगेंगे…

उन्होने मुझे अपने गले से लगा लिया, उनकी आँखों से आँसू निकल पड़े… और रुँधे गले से बोले – भाभी मुझे माफ़ कर देंगी…?

मे – बहुत बड़ा दिल है उनका… आइए मेरे साथ…

फिर हम दोनो घर के अंदर गये… भाभी और निशा आँगन में ही बैठी थी, जो हम दोनो को देखते ही उठ कर खड़ी हो गयी…

भैया दौड़ कर भाभी के पैरों में गिर पड़े, और रोते हुए बोले – अपने देवर को माफ़ कर दीजिए भाभी… मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी..

भाभी ने उनके कंधे पकड़ कर उठने को कहा और बोली – परिवार में एक दूसरे से माफी नही माँगी जाती देवर जी, कुछ फ़र्ज़ निभाने होते हैं…, जिन्हें शायद आप भूल गये थे…

अब अगर एक देवर अपनी भाभी से बात कर रहा है… तो भाभी कभी अपनों से नाराज़ ही नही हुई… हां एक पोलीस ऑफीसर को मे कभी माफ़ नही कर पाउन्गी…

फिर उन्होने निशा को इशारा किया, उसने भैया के पैर छुये…, तो वो उसकी ओर हैरत से देखने लगे…

भाभी मुस्कराते हुए बोली – अपने छोटे भाई की पत्नी को आशीर्वाद दीजिए देवर जी…

भाभी की बात सुनकर उन्होने मेरी तरफ मूड कर देखा… मे खड़ा-2 मुस्करा रहा था…

भैया – ये क्या भाई… इतनी नाराज़गी… अपने भाई को बुलाया तक नही…

मे – रामा दीदी तक को भी नही बुलाया, ये सब जल्दबाज़ी में और सिंपल तरीक़े से ही हुआ…, और वादा करिए, अभी ये बात आप भी किसी को नही बताएँगे…

वो कुछ देर और भाभी के पास रहे, गिले सिकवे दूर किए, और फिर बाहर चले गये…,

कुछ देर घर में ठहरकर मेने भाभी और निशा को बताया कि, मेने अपना केस वापस लेने का फ़ैसला लिया है, जो उन्होने भी उचित ठहराया..

भैया ने अपने साथ आए पोलीस वालों को वापस भेज दिया, और वो उस रात हमारे साथ ही रुके,

आज हम सभी एक साथ मिलकर बहुत खुश थे, रात में बैठ कर गीले शिकवे दूर करते रहे और फिर एक नयी सुबह के इंतेज़ार में सोने चले गये…

दूसरी सुबह घर से ही हम दोनो भाई सीधे कोर्ट गये, जहाँ मेने अपनी कंप्लेंट वापस ले ली.. इस तरह से मेने अपने भटके हुए भाई को वापस पा लिया था…!

दूसरे दिन बड़े भैया को यूनिवर्सिटी जाना था, कोई ट्रैनिंग प्रोग्राम में, दो दिन का टूर था, तो वो सुवह ही घर से निकल गये…

मेरे पास कोई काम नही था…, एक दो छोटे मोटे केस थे, जो मेरे असिस्टेंट ने ही संभाल लिए थे…तो मे सारे दिन घर पर ही रहा…पूरा दिन ऐसे ही निकाल दिया,

थोड़ा खेतों की तरफ निकल गया… बाबूजी से गॅप-सॅप की, चाचियों के यहाँ टाइम पास किया…

छोटी चाची के बच्चे के साथ खेला, उनके साथ रोमॅंटिक छेड़-छाड़ की.. और सारा दिन इन्ही बातों में गुजर गया… रात का खाना खाकर बाबूजी अपने चौपाल पर चले गये…

घर का काम काज निपटाकर भाभी और निशा दोनो ही मेरे रूम में आ गयी… उस वक़्त मे रूचि के साथ खेल रहा था…

वो मेरे पेट पर बैठी थी, मे उसकी बगलों में गुद-गुदि कर रहा था, जिससे वो इधर-उधर मेरे ऊपर कूदते हुए खिल-खिला रही थी…

जब हम तीनो आपस में बातें करने लगे.., थोड़ी देर में ही रूचि सोगयि तो भाभी उसे अपने रूम में सुलाने ले गयी,…

वापस आकर भाभी हमारे पास ही पलंग पर आकर बैठ गयी, और मुझसे अपने देल्ही के दिनो के बारे में पूछने लगी…

भाभी – आज थोड़ा अपने देल्ही में बिताए हुए दिनो के बारे में कुछ बताओ लल्ला जी, क्या कुछ किया इन 4 सालों में…

मे निशा की तरफ देखने लगा… तो भाभी… मज़े लेते हुए बोली -

अच्छा जी ! तो अब भाभी से ज़्यादा बीवी हो गयी… उसकी पर्मिशन चाहिए बोलने को… कोई बात नही, निशा तू ही बोल इनको ….

वो तो बस नज़र झुकाए मुस्कराए जा रही थी..

मेने कहा – ऐसी बात नही है भाभी… बस ऐसी कुछ खट्टी-मीठी यादें हैं, जो शायद निशा हजम ना कर सके..

भाभी – क्यों ऐसा क्या किया जो उसे हजम नही होंगी..? कोई लड़की वाडकी का चक्कर था क्या…?

मे – ऐसा ही कुछ समझ लीजिए…
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06-02-2019, 01:14 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
निशा शिकायत भरे लहजे में बोली – मेने आपसे एक बार कह दिया है ना, कि आपकी निजी जिंदगी से मुझे कोई प्राब्लम नही है फिर भी आप…बार-बार ऐसा क्यों कहते हैं…जी.

मे – चलो ठीक है बताता हूँ…. और फिर मे उन दोनो को अपने देल्ही में गुज़रे सालों के बारे में बताने लगा…

पहले साल तो ज़्यादा कुछ ऐसा नही था, जो कह सके कि बताने लायक हो, ऐसी ही कुछ सामान्य सी बातें, कॉलेज हॉस्टिल की…

फिर मेने दूसरे साल के बारे में हुई घटना उन्हें कह सुनाई…, कैसे मेने नेहा की इज़्ज़त बचाई, जिसकी वजह से मुझे गोली लगी और मे घायल हो गया..!

गोली लगने की बात सुनकर भाभी और निशा दोनो के ही चेहरों पर पीड़ा के भाव आ गये, भाभी अपने माथे पर हाथ मारते हुए बोली –

हे राम ! कहाँ लगी थी गोली लल्ला…? मेने उन्हें अपने कंधे के निशान को दिखाया…

वो – शुक्र है भगवान का की कंधे पर ही लगी…. फिर क्या हुआ….?

फिर कैसे नेहा मुझे वहाँ से लेकर आई, मेरा इलाज़ कराया…

नेहा के मम्मी दादी से मुलाकात हुई, नेहा के दादी प्रोफेसर राम नारायण जो हमारे कॉलेज के सबसे काबिल प्रोफेसर थे…

उस घटना के बाद मे उनका फेवोवरिट स्टूडेंट बन गया… और मेरा उनके यहाँ आना-जाना शुरू हो गया….!
मेने अपने देल्ही में गुज़ारे हुए वक़्त के बारे में भाभी और निशा को बताते हुए आगे कहा –

प्रोफेसर राम नारायण हमारे कॉलेज के सबसे काबिल प्रोफेसर ही नही, सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील भी हैं…

उनकी बेटी नेहा लॉ ख़तम कर के उनके अंडर ही प्रॅक्टीस कर रही थी…

उस घटना के बाद मेरा उनके घर आना जाना शुरू हो गया… अगर मे एक हफ्ते उनके यहाँ नही जा पाता तो, या तो खुद प्रोफेसर मुझे कॉलेज में बोलते, नही तो नेहा का फोन आ जाता…

एक तरह से मे उनके घर का सदस्य जैसा हो चुका था, आंटी भी मुझे बहुत प्यार करती थी, बिल्कुल अपने सगे बेटे की तरह….

नेहा और मे जब भी अकेले होते, तो एक दूसरे के साथ छेड़-छाड़ करते रहते, दिनो-दिन हम दोनो के बीच की दूरियाँ कम होती जा रही थी…

हँसी मज़ाक के दौरान, एक दूसरे के शरीर इतने पास हो जाते की एकदुसरे के बदन की गर्मी महसूस होने लगती…,

कभी-2 वो मुझे मारने दौड़ती, जब में उससे पिट लेता तो उसके बाद वो मेरे कंधे पर अपना सर टिका कर सॉरी बोलती…

इसी बीच अगर जब भी हमारी नज़रें टकराती, तो उन में एक दूसरे के लिए चाहत के भाव ही दिखाई देते…

दिन बीतते गये, सेकेंड एअर के फाइनल एग्ज़ॅम का समय नज़दीक था, नेहा मुझे कोर्स से संबंधित ट्रीट देती रहती थी… अब मे ज़्यादातर समय उनके यहाँ ही बिताने लगा था…

जब वो अपने काम से फ्री होती, मुझे बुला लेती, वैसे वो भी जड्ज के सेलेक्षन एग्ज़ॅम के लिए प्रेपरेशन कर रही थी…

एक दिन सॅटर्डे शाम को मे और नेहा एक साथ स्टडी कर रहे थे, प्रोफ़ेसर. और आंटी देल्ही के बाहर गये हुए थे किसी रिलेटिव के यहाँ फंक्षन अटेंड करने…

मेने नेहा को एक प्राब्लम के बारे में पूछा, हम दोनो एक ही सोफे पर बैठे थे…

उसने मेरी प्राब्लम को पढ़ा, बुक मेरी जांघों पर ही रखी थी… वो मुझे बुक में से ही मेरी ओर झुक कर समझा रही थी…

नेहा एक बहुत ही खूबसूरत, फिट बॉडी, परफेक्ट फिगर वाली 25-26 साल की लड़की थी, उसका फिगर 33-28-34 का था…

इस समय वो एक हल्के से कपड़े का स्लीव्ले टॉप, जो कुकछ डीप नेक था, और एक सॉफ्ट कपड़े की ढीली सी लोवर, जो उसके कुल्हों पर टाइट फिट, लेकिन नीचे वो काफ़ी ढीली-ढली पाजामी जैसी थी…

जब वो झुक कर मुझे समझा रही थी… तो उसके गोल-गोल, दूधिया बूब्स लगभग आधे मेरी आँखों के सामने दिखने लगे…
ना चाहते हुए मेरी नज़र उसके सुंदर से दूधिया चट्टानों पर जम गयी…

समझाते हुए जब उसने मेरी तरफ देखा, तो उसने मुझे उसके दूधिया उभारों को ताकते हुए पाया…

उसके चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कान आ गयी…उसे पता था, कि मेरी नज़रें उसके सुंदर वक्षो का बड़े प्यार से अवलोकन कर रही हैं…

उसने मुझे कुछ नही कहा, और अपना एक हाथ मेरी जाँघ पर रख दिया.. जिसके कारण वो थोड़ा सा और झुक गयी… अब मे उसके उभारों को और अच्छी तरह से देख पा रहा था…

अब बस मुझे उसके नुकीले निपल ही नही दिख पा रहे थे…लेकिन वो मेरी नज़रों का स्पर्श पाकर उत्तेजना के कारण कड़क हो गये थे… जिसका सबूत वो उसके टॉप के मुलायम कपड़े को उठाकर दे रहे थे…

ऐसा लग रहा था, वो मानो उसके कपड़े को चीर कर पार ही हो जाएँगे…

शायद नेहा ने ब्रा नही पहना था… जो उसने बाद में बताया भी था, कि वो बाहर से आते ही अपनी ब्रा और पेंटी निकाल देती है…

कुछ देर वो ऐसे ही झुक कर मुझे समझाती रही.. और धीरे-2 मेरी जाँघ को अपने बोलने के इंप्रेशन के साथ कभी दबा देती, कभी सहला देती, मानो अपने बोलने का डाइरेक्षन उसके हाथ से दे रही हो….

फिर अचानक मुझे छेड़ने के लिए, उसने मुझसे उसी सब्जेक्ट से संबंधित सवाल पुच्छ लिया… मेरा ध्यान तो उसकी चुचियों की सुंदरता में खोया हुआ था…

तो मे उसके सवाल पर ध्यान ही नही दे पाया, उसने अपना सवाल फिर से रिपीट किया… तो मे हड़बड़ा कर बोला…

क.क.क्ककयाअ पूछा आपने दीदी….??

वो खिल खिलकर हँस पड़ी…. और बोली तुम्हारा ध्यान कहाँ है मिसटर… लगता है, मे बेकार में ही अपनी एनर्जी वेस्ट कर रही हूँ…

मे – नही..नही.., ऐसी बात नही है, दरअसल मे कुछ सोच रहा था… और झेन्प्ते हुए मेने अपनी नज़रें झुका ली…

वो – मुझे पता है, तुम क्या सोच रहे थे…? लेकिन अभी पढ़ने पर ध्यान दो, सोचने पर नही…

मे – सॉरी दीदी… वो मे. .. वो…..

वो फिर हँसने लगी… और शरारत से बोली – इट्स ओके.. होता है.. सामने इतना अच्छा सीन हो तो ध्यान भटक ही जाता है… है ना..!

मे – नही मे.. ..वो… ऐसा नही है…

वो – क्या तुम्हें अच्छे नही लगे वो ….?

मे – क्या…? आप किस बारे में बोल रही हैं… मेरी तो कुछ समझ में नही आ रहा…

वो – मुझे बेवकूफ़ समझते हो… अब बोल भी दो… मुझे अच्छा लगेगा…

मे – क्या बोल दूं.. दी..?

वो – वही की तुम्हें मेरे बूब्स अच्छे लगे… क्यों है ना अच्छे… बोलो…

मे शरमाते हुए बोला – हां ! बहुत सुंदर हैं…सच में आप बहुत ही सुंदर हैं दी…

वो – तो अब तक चुप क्यों थे… या आज ही देखा है तुमने मुझे…!

मे – नही मुझे तो आप हमेशा से ही सुन्दर लगती थी, लेकिन कह नही सका…ये कहते हुए मेने उनके फूले हुए रूई जैसे मुलायम गाल पर एक किस कर दिया…

शर्म से उसका चेहरा लाल हो गया… और चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कान गहरा गयी…! नज़र झुका कर वो बहुत ही धीमे स्वर में बोली…

मुझे भी तुम बहुत अच्छे लगते हो अंकुश… आइ लव यू !

उसके मुँह से ये शब्द सुनते ही मेने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों पर एक किस जड़ दिया…

उसने भी अपनी मांसल गोरी-गोरी बाहें मेरे इर्द-गिर्द लपेट दी.. और मुझे पलटकर किस कर दिया…

उसके सुन्दर से गोल-मटोल चेहरे को अपनी हथेलियों में लेकेर मे उसकी बड़ी-बड़ी, काली आँखों में झाँकते हुए बोला ….

आप बहुत सुंदर हो दीदी… आइ लव यू टू… और उसके सुर्ख रसीले होंठों को चूसने लगा… वो अपनी आँखें बंद कर के मेरा साथ देने लगी…
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06-02-2019, 01:15 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
हम दोनो की साँसें भारी होने लगी, आँखों में वासना के लाल-लाल डोरे तैरने लगे…बिना ब्रा के उसके सुडौल गोल-गोल संतरे… मेरे सीने में दब रहे थे..

मेने उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया, अब वो मेरे दोनो ओर अपने घुटने मोड़ कर मेरी गोद में बैठी थी….

मेरे दोनो हाथ उसके संतरों पर पहुँच गये और उन्हें धीरे से सहलाने लगा…

इसस्स्शह….. आआहह….अंकुश… ज़ोर से दबाओ इन्हेन्न…प्लीज़…,

उसकी तड़प देखकर मेने उसके टॉप को निकाल दिया, और गोल-गोल चुचियों को दोनो हाथों में लेकर मसल दिया…

सस्स्सिईईईईईई………आआहह…….बेड रूम में चलें…नेहा तड़प कर बोली…

मे – दीदी, क्या आप मेरे साथ ये सब करना चाहती हैं….?

वो आश्चर्य के भाव अपने चेहरे पर लाते हुए बोली – तो अब तक क्या तुम यौन ही.. ये सब कर रहे थे…? जल्दी चलो.. अब नही रुक सकती मे…आअहह…

मेने उसे उसी पोज़िशन में उठा लिया.. उसकी बाहें मेरे गले में लिपटी हुई थी.. उसके गोल-मटोल तरबूज जैसे चुतड़ों को मसलते हुए उसके बेड रूम में ले आया..

उसे बेड पर पटक कर मे उसके ऊपर आ गया, और उसके होंठों को एक बार और चूम कर उसकी चुचियों को चूसने लगा….

उसके सुडौल सम्पुरन गोलाई लिए कड़क चुचियों की सुंदरता देख कर मे बबला सा हो गया… और झपट्टा सा मार कर उन पर टूट पड़ा….

उन्हें चूस्ते हुए मेने कहा – आपकी चुचियाँ बहुत सुंदर हैं दीदी….जी करता है खा जाउ इनको….

आआहह….हाआंणन्न्…खा जाऊओ..सस्सिईइ…उउउम्म्म्म….और ज़ोर से चूसो इन्हें…

मेने उसके कंचे जैसे कड़क निप्प्लो पर अपने दाँत मार दिए….

वो मज़े और पीड़ा से बिल-बिला उठी….और मुझे ज़ोर से अपनी बाहों में कस लिया…..

मेरी और नेहा के पहले मिलन की दास्तान भाभी और निशा दम साधे हुए सुन रही थी…वो दोनो एक तरह से मानो उस सीन में खो सी गयी…

उन दोनो की साँसें धीरे-2 अनियंत्रित होती जा रही थी…

मेने एक नज़र उन दोनो पर डाली… उनकी अवस्था देख कर मेरे चेहरे की मुस्कान गहरी हो गयी…

मुझे चुप होते देख… वो दोनो मेरी तरफ देखने लगी…फिर उन्होने एक दूसरे की तरफ देखा… और फिर शरमा कर अपनी नज़रें झुका ली…

भाभी से इंतेज़ार नही हुआ सो बोल पड़ी… आगे भी बोलो देवेर जी… फिर क्या हुआ ?

मेने निशा की कमर में हाथ डालकर अपनी ओर खींच लिया, और उसकी कमर सहलाते हुए आगे बोलना शुरू किया….!
नेहा की मस्त मोटी-मोटी गदराई हुई चुचियाँ जो एकदम पेरफक्त गोलाई लिए हुए थी, देखकर मेरा संयम खो गया और मे उन पर बुरी तरह से टूट पड़ा…

पहले तो उन्हें दोनो हाथों में भर कर सहलाया, फिर एक को मुँह में लेकर चूसने लगा…



नेहा मज़े से आहें भरने लगी, और अपने हाथ का दबाब मेरे सर पर डाल कर चुचि चुसवाने का मज़ा लेने लगी..

एक हाथ से मे उसके दूसरे आम को मसल रहा था, उसके निपल लाल सुर्ख किसी जंगली बेर जैसे लग रहे थे… जिसे मेने अपने दाँतों में दबा कर खींच दिया…

वो एकदम से उच्छल पड़ी.. और उसके मुँह से एक मादक सिसकी फुट पड़ी…
ईीीइसस्स्स्स्स्स्सस्स……आअहह….खाजाओ…ईसीईए अंकुश….प्लीज़ और चूसो इन्हें….

बड़ा मज़ा आरहा है…मेरी जानणन्न्…आआययईीीईईई……मुम्मिईीईई…..उउफफफ्फ़….

मेने उसकी चुचियों को चूस-चूस कर लाल कर दिया…

उसने मेरी टीशर्ट को खींच कर निकाल दिया और मेरी नंगी पीठ को सहलाने लगी..

मे पीछे खिसकते हुए पलंग के नीचे आ गया और उसके ढीले ढाले लोवर को खींच कर निकल फेंका… वो बिना पेंटी के ही थी…

अब उसकी मुनिया मेरी आँखों के सामने थी…जिसपर छ्होटे-2 बाल थे, शायद एक हफ्ते के तो रहे होंगे…

मेने पलंग पर घुटने टेक कर उसकी मुनियाँ के आस-पास की फसल को सहला दिया…

सीईईईईईईईईई……ऊहह….गोद्ड़द्ड…इतना मज़ाअ…. वो सिसक पड़ी… उसकी मुनिया गीली हो चुकी थी… जिसे मेने चाट कर और गीला कर दिया…

नेहा ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों पर टूट पड़ी…, साथ में एक हाथ से मेरे लोवर को नीचे कर दिया, फिर पैर से उसे मेरे पैरों तक ले गयी…

मेरा शेर पूरी तरह पोज़िशन में आ चुका था, जो अब उसकी टाँगों के बीच उच्छल-कूद मचा रहा था…

एक बार उसने अपना हाथ नीचे ले जाकर उसे मुट्ठी में कसकर उसकी सख्ती को चेक किया… फिर मेरे होंठ चूसना बंद कर के वो बोली…

तुम्हारा ये तो बहुत बड़ा है… अपने अंदर कैसे ले पाउन्गि मे इसे…?

मेने कहा – पहले किसी का नही लिया है क्या…?

वो – लिया तो है एक-दो बार पर वो तो… इतना बड़ा नही था…

मेने कहा – कोई नही, ये भी आराम से चला जाएगा.. आप चिंता ना करो…

वो उसे दबाते हुए बोली – तो अब जल्दी करो… डियर, अब और ज़्यादा सबर नही हो रहा मुझसे….

मेने उसकी टाँगों के बीच बैठ कर उसके घुटने मोड़ दिए और उसकी गीली चूत को एक बार चाट कर अपनी जीभ से ऊपर से नीचे तक और गीला कर दिया…

फिर उसकी फूली हुई चूत की फांकों को खोलकर अपने मूसल को उसके छेद पर टिकाया… और एक धक्का धीरे से लगा दिया…

सच में उसकी चूत ना के बराबर ही चुदि थी… मुश्किल से मेरा मोटा सुपाडा उसमें फिट हो पाया… उसने अपने होंठों को कस कर बंद कर लिया…

मेने एक और ज़ोर का धक्का लगाया… मेरा मोटा लंड सरसरकार आधे से ज़्यादा उसकी कसी हुई चूत में घुस गया…

उसके मुँह से कराह निकल गयी….

अहह……धीरीई…अंकुशह…दर्द..होरहाआ…है…उ…..माआ…

मेने थोड़ा रुक कर फिर से एक धक्का और लगाया, अब मेरा पूरा लंड उसकी सन्करि चूत में फिट हो गया था… दर्द से उसके आँसू निकल पड़े…

और उसने बेडशीट को अपनी मुत्ठियों में कस लिया….

मेने उसके होंठ चुस्कर अपने हाथों से उसकी चुचियाँ सहलाने लगा… कुछ देर में उसका दर्द कम हो गया… और वो नीचे से अपनी कमर उचकाने लगी…

मेने इशारे को समझ कर धीरे-2 लयबद्ध तरीक़े से अपने धक्के लगाने शुरू कर दिए, शुरुआत में कुछ देर आराम से आधे लंबाई में…

फिर जब मेरा लंड उसके कामरस से गीला हो गया, तो पूरे शॉट लगाते हुए मेने अपनी स्पीड बढ़ा दी.. नेहा भी फुल मस्ती में अनप शनाप बड़बड़ाती हुई मज़े से चुदाई का मज़ा लेने लगी….!

एक उसके झड़ने के बाद मेने उसे पलंग पर घोड़ी बना लिया, और पीछे से उसकी चूत में लंड डालकर वो रगड़ाई की….
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06-02-2019, 01:15 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
वो हाई..तौबा मचाती हुई, चुदाई में लीन हो गयी… हम दोनो को ही बहुत मज़ा आ रहा था……,

20-25 मिनिट की धुआँधार चुदाई के बाद मेने अपना पानी उसकी गरम-2 चूत में उडेल दिया… वो फिर एक बार झड़ने लगी…

इस तरह से हम दोनो के बीच शरीरक संबंध बन गये…

फिर तो जब भी मौका मिलता… हम एक दूसरे में समा जाते… वो मुझे बहुत प्यार करने लगी थी…

धीरे – 2 समय गुज़रता गया, एक दो अटेंप्ट में उसका सेलेक्षन हो गया, और वो लोवर कोर्ट की जड्ज बन गयी…

उसके बाद भी हम मिलते रहे… जब मेरे फाइनल एअर के एग्ज़ॅम हो गये, और रिज़ल्ट का वेट कर रहा था, तभी प्रोफेसर साब ने उसकी शादी करदी, एक आइएएस ऑफीसर के साथ…

रिज़ल्ट आने के बाद उन्होने मुझे अपने साथ प्रॅक्टीस करने को कहा, अब उनसे अच्छा गुरु कहाँ मिलता सो मेने हां करदी…

शादी के बाद भी नेहा मुझसे मिलने आ जाती थी, फिर मेने एक दिन उसे समझाया, कि अब हम दोनो को नही मिलना चाहिए,

ये उसके और उसके दोनो परिवारों की प्रतिष्ठा के लिए ठीक नही है…वो मानना नही चाहती थी, फिर मेरे ज़्यादा ज़ोर देने पर वो मान गयी, और हम दोनो का मिलना धीरे-2 कम होता गया…

मे ये कहानी पलंग पर बैठ कर ही बता रहा था, सिरहाने से टेक लिए हुए… मेरे एक तरफ निशा बैठी थी और दूसरी तरफ भाभी…

कहानी सुनते-2 निशा उत्तेजित होकर और अपना आपा खो बैठी, भाभी की मौजूदगी में ही वो मेरे बदन से चिपक गयी, और मेरे सीने को सहलाने लगी,

उसकी मिडी जांघों तक चढ़ि हुई थी, और वो अपनी एक टाँग मेरे ऊपर रखकर अपनी सुडौल मक्खन जैसी चिकनी जाँघ से मेरे लंड को मसल रही थी…

भाभी थोड़ा दूरी बनाए हुए अढ़लेटी सी बैठी अपनी मदहोश नज़रों से निशा की हरकतों को देख रही थीं..,

लेकिन अपनी बेहन के पति के साथ उसकी मौजूदगी में पहल नही कर पा रही थी, सो मेने उनकी कमर में हाथ डालकर अपनी तरफ खींच लिया.. और बोला…

अब आप क्यों शरमा रही हो भाभी…जब छुटकी को कोई प्राब्लम नही है तो…

वो हँसते हुए मुझसे चिपक गयी और मेरे होंठों पर किस कर के बोली…

मे तो तुम्हारे रिक्षन का वेट कर रही थी…ये कह कर उन्होने मेरी टीशर्ट निकाल फेंकी और मेरे निप्प्लो को जीभ से चाट लिया…
सस्सिईईईईईई………अहह… भाभी….आप जादूगरनी हो सच में….निशु डार्लिंग…. कुछ सीखले अपनी बडकी से…….

मेरी बात सुन कर दोनो खिल खिला कर हँसने लगी…, फिर उन दोनो ने मिलकर मेरे ऊपर हमला बोल दिया…

उन दोनो के बीच की सारी शर्म लिहाज की दीवार ढह गयी, अब वो दोनो मदरजात नंगी मेरे आगोश में लिपटी हुई थी…

भाभी ने मेरे लंड पर कब्जा कर लिया, तो निशा ने मेरे उपरी हिस्से को संभाला, हम तीनों ही एक दूसरे को भरपूर आनंद देने की कोशिश में जुट गये…

फिर शुरू हुआ चुदाई का दौर… मेने निशा की टाँगें चौड़ी कर के भाभी से कहा –

भाभी मेरी इच्छा है, कि आप अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी छुटकी की चूत पर रखें…

भाभी ने हंस कर प्यार से मेरी पीठ पर एक धौल जमाई… और फिर मेरे मूसल जैसे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर उसे निशा की चूत के होंठों पर रगड़ा....

निशा इसी कल्पना में कि उसकी बड़ी बेहन उसके पति का लंड चूत पर रगड़ रही है, उसकी चूत ने लार बहाना शुरू कर दिया…

फिर उन्होने उसे उसके संकरे छेद पर सेट कर के अपनी एक उंगली मेरी गान्ड के छेद में डाल दी…

ऊुउउक्छ ! ऑटोमॅटिकली मेरी गान्ड में झटका लगा, और मेरा लंड सरसरकार निशा की गीली चूत में चला गया…

भाभी की चुचियाँ चूस्ते हुए मेने धक्के लगाना शुरू कर दिया..

दोनो की कामुक सिसकियों से कमरे का वातावरण चुदाईमय हो गया था…

हम तीनों रात भर रासलीला में मस्त रहे… सुबह के 5 बज गये, लेकिन उनमें से कोई हार मानने को तैयार नही थी…

कभी में भाभी को घोड़ी बनाकर चोद रहा होता तो निशा उनके नीचे लेटकर चूत सहलाती, जीभ से उनकी क्लिट को चाटती…



दूसरे सीन में जब निशा मेरे लंड का स्वाद ले रही होती, और भाभी अपनी चूत मेरे मुँह पर रखा कर उसे चटवा रही होती…

तीनों की आहों करहों और सिसकियों से कमरे का वातावरण बहुत ही मादक हो गया था, वातावरण में वीर्य और कामरस की सुगंध फैली हुई थी…

मे एक बार झड़कर साँसें इकट्ठी करता, कि दूसरी मेरा लंड चुस्कर उसे फिरसे तैयार करने में जुट जाती…

आज मुझे उन दोनो को देखकर ऐसा लग रहा था, मानो उनके अंदर सेक्स की देवी रति की आत्मा घुस गयी हो…

आख़िर में मुझे ही हथियार डालने पड़े, और हाथ जोड़कर बोला…अब मुझे माफ़ करो मेरी मल्लिकाओ… मेरी टंकी अब पूरी खाली हो गयी…

भाभी ठहाका लगा कर बोली – हाहाहा….क्यों लल्लाजी…निकल गयी सारी हेकड़ी… एक अकेली को तो कितना रौन्द्ते हो…

उनकी बात सुनकर मेरी और निशा की भी हसी छूट गयी…

फिर वो दोनो अपने-2 कपड़े पहनकर मुझे किस कर के बाहर निकल गयी क्योंकि अब उन दोनो के सोने का समय नही था…

उनके निकलते ही मे चादर तान कर लंबा हो गया… और सीधा 10 बजे जाकर उठा…!
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06-02-2019, 01:15 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
दोनो बहनें एक दूसरे के सामने खुल चुकी थी, जो एक तरह से मेरे लिए अच्छा ही रहा… अब मे किसी को भी किसी के सामने पकड़ कर चोद सकता था….!



धीरे – 2 मेरी वकालत जमती जा रही थी, एक-दो छोटे बड़े केस मिलने लगे थे.. तो अब मुझे घर से पैसे लेने की ज़रूरत नही पड़ती थी…!

जस्टीस धिन्गरा की वजह से छोटे-मोटे केस तो कॉन्फिडेंट्ली हाल हो ही जाते थे,

धीरे -2 कोर्ट परिसर में मेरा भी नाम अन्य वकीलों के साथ लिया जाने लगा…
फिर एक दिन भाग्यवश, एक बड़ा क्लाइंट मिल गया,

भगवान दास गुप्ता, शहर में रियल एस्टेट का अच्छा ख़ासा नाम, लेकिन थोड़ा सीधा-सादा डरपोक किस्म का इंशान…

गुप्ता जी की शहर के बीचो-बीच एक बहुत बड़ी ज़मीन पर कुच्छ गुंडा तत्वों ने कब्जा जमा रखा था, और फर्दर कन्स्ट्रक्षन ना हो इसके लिए स्टे डाल के रखा था…!

गुप्ता जी बेचारे सीधे सादे बिज्निस, काफ़ी दिनो से इस ज़मीन को लेकर परेशान थे, उनको किसी ने मेरा नाम सुझाया इस मसले को हल करने के लिए….

जब वो आकर मुझसे मिले, अपना केस बताया…मुझे लगा कि ये वाकई में परेशान हैं….

मेने उनका केस ले लिया, और जल्दी से जल्दी उनकी ज़मीन से स्टे हटवाया,

कोर्ट का ऑर्डर लेकर जब साइट पर पहुँचे, उस समय 8-10 मुस्टंडे वहाँ चरस और गांजे की महफ़िल जमाए हुए थे…

वहाँ पहुँचने से पहले ही मेने एसपी ऑफीस को फोन कर दिया था, लेकिन पोलीस को पहुँचने में अभी वक़्त था…
मेरे साथ गुप्ता जी का मॅनेजर और दो उसके असिस्टेंट थे, मेने उन गुण्डों को कोर्ट का ऑर्डर दिखाया और कहा –

भाई लोगो, अपना ये मजमा यहाँ से हटाओ और ये जगह खाली करो, कोर्ट ने यहाँ कन्स्ट्रक्षन की पर्मिशन दे दी है…

उनमें से उनका सरगना आगे आया, बड़ी-बड़ी ऐंठी हुई मूँछे भारी भरकम शरीर, नशे से सुर्ख लाल-लाल आँखें,

अपनी कमर पे हाथ रखकर बोला – जाओ वकील साब, अपना काम करो, हम ऐसे किसी कोर्ट के आदेश से नही डरते…, बहुत बार देखे हैं ऐसे कागज…

मे – देखो, मे प्यार से तुम्हें समझा रहा हूँ, चुप-चाप ये जगह खाली करके निकल जाओ…तुम लोगों की सेहत के लिए अच्छा रहेगा…वरना…!

वो अपने बाजू उपर करते हुए अकड़ कर बोला – वरना क्या कर लेगा तू.. कल का लौंडा मुझे तडी देता है, तेरे जैसे 36 काले कोट वाले हमारी जेब में पड़े है….

वो अपनी बात पूरी करता कि तदददाअक्कक…मेरा भरपूर तमाचा उसके गाल पर पड़ा…, पाँचों उंगलियाँ उसके गाल पर छाप दी…

वो अपना गाल सहलाते हुए भिन्नाता हुआ, मेरी तरफ झपटा, मेने लपक कर बाए हाथ उसका गला जाकड़ लिया, और सीधे हाथ का एक भरपूर मुक्का उसकी नाक पर मारा…!

उसकी नाक से खून बहने लगा, दर्द से वो तिलमिला उठा, और चीख कर अपने नशेड़ी चम्चो से बोला –

देख क्या रहे हो मदर्चोदो, मारो सालों को, वो लोग जैसे नींद से जागे हों, नशे की वजह से वो गिरते पड़ते अपनी जगह से उठे, कि तभी…

इससे पहले कि वो उसकी मदद के लिए आते, मैदान में पोलीस साइरन की आवाज़ गूंजने लगी…

वो जहाँ के तहाँ खड़े रह गये..

कृष्णा भैया अपने दल-बल के साथ समय पर पहुँच गये, और उन सबको ड्रग्स के साथ अरेस्ट करके जैल में डाल दिया…

इस तरह से उनकी मदद से पोलीस के द्वारा उन गुण्डों को वहाँ से हटाया… और उनकी ज़मीन उनको दिलवा दी…!

दरअसल वो गुंडे उनके राइवल्री बिल्डर योगराज के बिठाए हुए थे, गुप्ता जी को परेशान करने के लिए..., ये बात मुझे पोलीस से ही पता चली…

इससे पहले पोलीस बड़े-बड़े प्रेशर की वजह से उन पर हाथ ही नही डालती थी, क्योंकि योगराज की दोस्ती यहाँ के कमिशनर और एमएलए के साथ थी…

अब वो गुंडे अवैद्य कब्ज़े और ड्रग बेचने के जुर्म में दो-चार साल तक बाहर आने वाले नही थे…

जब ये बात मेने गुप्ता जी को बताई, तो उन्हें बड़ा दुख हुआ, लेकिन भले आदमी ने योगराज के खिलाफ एक शब्द नही कहा,

बस प्रभु उन्हें सद्बुद्धि दे, ये कहकर बात को टाल दिया…

लेकिन इस सब से खुश होकर उन्होने उस ज़मीन से एक बंगले के लायक ज़मीन मेरे नाम करदी,

मेने उन्हें बहुत माना किया… लेकिन वो नही माने, और अपनी फर्म का मुझे लीगल आड्वाइज़र ही बना दिया…..

यही नही, अपनी ही एक बिल्डिंग में 3बीएचके फ्लॅट भी मुझे रहने के लिए दे दिया, जिससे मे एमर्जेन्सी पड़ने पर शहर में रुक सकूँ…

गुप्ता जी जैसा बड़ा क्लाइंट मिलने से मेरी खुद की फाइनान्षियल प्राब्लम काफ़ी हद तक पटरी पर आने लगी…!

कभी कभार कोर्ट के काम से कृष्णा भैया से भी मुलाकात हो जाती थी,

वो अपने एसपी आवास पर आने के लिए मुझे बोलते थे, लेकिन मे उन्हें मना कर देता, क्योंकि जब तक कामिनी भाभी उनके साथ रह रही है, तबतक मे उनके यहाँ नही जाना चाहता था…!

उधर कामिनी को जब पता चला कि उसका मोहरा निशा के मामले में बुरी तरह से पिट गया है, और उपर से कृष्णा भैया ने मेरे साथ राज़ीनामा कर लिया है, तो वो और बुरी तरह से भिन्ना उठी…

जिसका असर उन दोनो के संबंधों पर और ज़्यादा पड़ने लगा,

अब वो आए दिन उनके साथ बुरे से बुरा वार्ताव करने लगी, भैया की मजबूरी थी, कि वो उसके खिलाफ कोई कड़ा फ़ैसला नही ले सकते थे…

बस लहू का सा घूँट पीकर वर्दास्त कर रहे थे…!

एक दिन उन्होने मेरे ऑफीस में आकर अपनी दुख भरी दास्तान सुनाई, उनकी आँखों में मजबूरी के आँसू थे..

मेने उन्हें हिम्मत बाँधते हुए कहा – हौसला रखिए भैया, हर बुराई की अपनी समय सीमा होती है, उसके बाद उतना ही सुखद सबेरा भी आता है…

आप देखना एक दिन खुद ही नियती ऐसा कोई खेल खेलेगी कि आप उसके चंगुल से आज़ाद हो जाओगे…!

और वाकाई में नियती धीरे-2 इस दिशा में आने वाले समय की पटकथा लिख रही थी…

दिनो-दिन कामिनी की गति-विधियाँ रहस्यमयी होती जा रही थी…, अब उन्होने उसपर ध्यान देना ही बंद कर दिया था…!

कृष्णा भैया अपनी पोलीस की ड्यूटी में व्यस्त रहने लगे और कामिनी अपनी दुनिया में…

पति-पत्नी का रिस्ता तो जैसे नाम मात्र का ही रह गया था…

खैर.. इन्हें अपने हाल पर छोड़ देते हैं…, और अपने रास्ते लगते हैं…

क्योंकि जो जैसा करता है, फल भी उसे उसी हिसाब से मिलता है…, इन्हें भी मिलेगा……,
हां थोड़ा समय ज़रूर लग सकता है…

हेरा फेरी फिल्म के इस गाने की लाइन्स की तरह……

दरबार में उपरवाले के अंधेर नही पर देरी है…!
तक़दीर का सारा खेल है ये, और वक़्त की हेरा फेरी है…..!!

राजेश की रिहाई और फिर कृष्णा भैया के फिरसे घर के साथ संबंध सुधरने के बाद, घर का माहौल थोड़ा रिलॅक्स हो गया था, फिलहाल मुसीबतों का दौर गुजर गया था…

हमारी शादी बहुत ही नॉर्मल तरीक़े से आनन-फानन में हुई थी,

निशा और मे एक तरह से सही मैने में ये भी नही जान पाए कि नयी शादी का एंजाय्मेंट क्या होता है…

भाभी ने हम दोनो को कहीं अच्छी जगह जाकर हनिमून मनाने की सलाह दी..

मेने उन्हें टालना चाहा, तो उन्होने ये बात भैया और बाबूजी के सामने रख दी, जिसे उन्होने भी सही ठहराते हुए मुझे कहीं घूमने जाने के लिए मजबूर कर दिया…

मेने सोचा ! क्यों ना देल्ही जाया जाए, एक पन्थ दो काज, रामा दीदी के साथ-साथ अपने गुरु और नेहा से भी निशा को मिला लाउन्गा…

मेने अपना प्लान घर में सबको बताया, और टिकेट बुक कराकर एक दिन हम दोनो देल्ही निकल लिए…

एक अच्छे से होटेल में कमरा लिया, कमरे में पहूचकर फ्रेश हुए और उसके बाद रामा दीदी को फोन लगाया…

पहले तो वो मेरी आवाज़ सुनकर बहुत खुश हुई, और जब मेने बताया कि मे और निशा यहीं देल्ही में ही हैं…तो वो तुरंत बोली..

ये तो बहुत ही अच्छी बात है, तुम लोग जल्दी आ जाओ, तब तक मे तुम्हारे खाने-पीने का इंतेज़ाम करके रखती हूँ..

लेकिन जब मेने उसे ये बताया कि हम होटेल में ठहरे हुए हैं, तो वो बहुत नाराज़ हुई, मेने उसे समझाने की कोशिश करते हुए कहा,

हमारी वजह से तुम्हारी प्राइवसी खराब होगी, 2 बीएचके फ्लॅट में जगह ही कितनी होती है… इसलिए हमने सोचा कि हम बाद में तुम्हारे घर आते हैं…
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06-02-2019, 01:15 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मेरी बात सुनकर रामा दीदी भिन्ना उठी, और फोन पर ही चीखते हुए बोली –

तुझसे किसने कहा भेन्चोद कि तुम लोगों की वजह से हमारी प्राइवसी ख़तम होगी…
अरे जब आलोक यहाँ है ही नही तो क्या घंटा की प्राइवसी…?

उसके गुस्से से भरी आवाज़ सुनकर मेरी गान्ड फट गयी.., फिर भी मेने डरते हुए पूछा- क्ककयाआ..? जीजू घर पर नही हैं..?

वो थोड़ा शांत लहजे में बोली – नही ! वो तो एक हफ्ते के टूर पर मुंबई गये हैं… अब ज़्यादा बकवास मत कर, अपना समान उठा, और जल्दी से यहाँ आजाओ तुम दोनो…

बताओ, ये भी कोई बात हुई भला…अपना घर होते हुए होटेल में रुके हैं हरम्खोर…,

नयी भाभी क्या सोच रही होगी अपने मन में ? ननद का घर होते हुए होटेल में रुकना पड़ रहा है…

मे – लेकिन दीदी अब तो हमने कमरा ले लिया..ऐसा करते हैं, आज यहीं रुक जाते हैं, कल पक्का तुम्हारे यहाँ आ जाएँगे…

ये सुनते ही उसका पारा फिरसे चढ़ गया…और उसी गुस्से में बोली – मे तेरे से बात नही करना चाहती, तू निशा को फोन दे…

मेने निशा को फोन पकड़ा दिया.., कुच्छ औपचारिक बातों के बाद उसने हुकम दन-दना दिया कि अभी के अभी यहाँ चले आओ, वरना मे वहाँ आकर तुम दोनो के कान खींच कर लाउन्गि…

निशा भी तैयार होगयि, सो हम होटेल का एक रात का भाड़ा छोड़ कर जो अड्वान्स दे चुके थे, अपना झोला-डंडा उठाकर चल दिए जी उसके घर…..

डोर बेल बजते ही 1 मिनिट में ही दरवाजा खुल गया, हमें देखते ही, रामा दीदी ने निशा को अपने गले से लगा लिया…!

रामा – वाउ ! कितनी सुंदर लग रही है मेरी भाभी, तेरे तो भाग ही खुल गये बेवकूफ़..

वो इस समय स्लेक्स की एक कॅप्री और ढीला-ढाला सा टॉप जो उसकी नाभि तक ही आ रहा था, पहने थी,

जिसमें से उसके बिना ब्रा के मस्त उच्छलते बूब्स ऐसे लग रहे थे मानो दो कबूतर चोंच बाहर को किए फड़फदा रहे हों…

एकदम सीधे आगे से टॉप को ऐसे उठा रखा था उन्होने, मानो वो दो खूँटियों पर बस टाँग रखा हो..देखते ही मेरे लौडे ने एक मस्त अंगड़ाई ली…

बहुत देर तक वो दोनो गेट पर ही खड़ी गले मिलने और बतियाने लगी…

मेने चुटकी लेते हुए कहा – वाह दीदी, फोन पर तो थूक भी नही निगलने दे रही थी, और अब घर में घुसने ही नही दे रही…

वो एकदम से झेंप गयी, और प्यार से मेरे गाल पर एक चपत लगा कर बोली – तुझसे तो मे कभी बात नही करूँगी,

शादी में बुलाया तक नही, और अब साबजादे होटेल में रुक गये..

फिर वो अंदर आने के लिए जैसे ही पलटी, मेरे लौडे की तो शामत ही आगयि…

स्लेक्स की केप्री में उसके चूतड़, एकदम अलग-अलग किन्ही दो फुटबॉल जैसे, उसकी चाल के साथ उपर-नीचे होते हुए..

देखते ही मेरा लंड ठुमकाने लगा, मेने पीछे आते हुए उसे अपने जीन्स में जैसे तैसे करके सेट किया…

अंदर आकर वो दोनो फिरसे गप्पें लगाने लगी, मे अपना आर्यन (दीदी का बेटा) के साथ खेलने लगा…

जितनी देर वो बातें करती रही, दीदी ने मेरी तरफ एक-दो बार बस तिर्छि नज़र डालकर देखा, जैसे दिखा रही हो कि वो मुझसे ना जाने कितनी नाराज़ हो…और निशा के साथ बातों में लगी रही…

हमें यहाँ आते-आते काफ़ी अंधेरा हो चुका था, कुच्छ देर बाद वो दोनो, खाने का इंतेज़ाम करने किचन में चली गयी…!

आर्यन और मैं टीवी देखते-2 सोफे पर ही सो गया, तो मे भी किचन की तरफ बढ़ गया…
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06-02-2019, 01:17 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
निशा चाय बना रही थी, और दीदी साथ में खड़ी कोई सब्जी काट रही थी, थोड़े से आगे को झुकने की वजह से उसके गोल-गोल पीछे को उभरे हुए नितंब देख कर मेरा लंड सॉरी मन मचल उठा…

मेने पीछे से जाकर दीदी को अपनी बाहों में भरते हुए, उसके गले पर किस करके कहा-

नाराज़ हो गयी, मेरी बहना, सॉरी ! हमें पता नही था कि जीजू यहाँ नही है, इसलिए हमने सोचा कि कल तुम्हारे यहाँ आएँगे…

मेरे लंड को अपनी गान्ड की दरार के ठीक उपर फील करके वो एकदम से गन्गना गयी, उसके रोंगटे खड़े हो गये, और बड़ी ही सेक्सी आवाज़ में मेरे गाल को सहला कर धीरे से बोली –

मे भला तुझसे कभी नाराज़ हो सकती हूँ मेरे भाई..?

मेने धीरे से उसके आमों को सहला दिया, और अपने लंड का दबाब उसकी उभरी हुई गान्ड पर डालकर बोला – तो फिर फोन पर शेरनी की तरह क्यों दहाड़ रही थी…?

वो कसमसा कर फुसफुसाते हुए बोली – आअहह…क्या कर रहा है नालयक, छोड़ मुझे, पास में निशा खड़ी है, क्या सोचेगी हमारे बारे में ..?

उसके मूह से आअहह… सुनकर निशा ने तिर्छि नज़र से देखा, और मूह ही मूह में मुस्कराने लगी…!

मेने उसके गले को चाटते हुए कहा – उसे हमारे बारे में सब पता है दीदी, तुम निशा की चिंता मत करो..

मेरी बात सुनकर वो ताज्जुब से मेरी तरफ देखने लगी, मेने एक हाथ से उसकी मुनिया को सहला कर कहा-

ऐसे क्या देख रही हो मेरी हॉट दीदी…, उसे भाभी ने सब कुच्छ शादी से पहले ही बता दिया था…!

फिर मेने अपना हाथ लंबा करके निशा की कमर में डाला, और उसे भी अपनी ओर खींचकर हम दोनो के साथ चिपका लिया और बोला – निशा ! देखो तो दीदी क्या हॉट लग रही है, है ना !

रामा – चल हट, झूठा कहीं का, निशा के सामने तो मे कुच्छ भी नही, सच में निशा वाकई बहुत सुंदर है, तेरे तो भाग खुल गये..!

निशा ने दीदी की बिना ब्रा की चुचियों को सहलाया और उसके गाल पर किस करके कहा – नही दीदी, ये झूठ नही कह रहे, आप वाकई में सेक्स बॉम्ब हो…

बेचारे जीजा जी, बाहर घूमने जाते होंगे आपको लेकर तो किस तरह से लोगों की नज़र से बचाकर लाते होंगे…!

रामा ने भी निशा की चुचियों को ज़ोर्से मसल डाला, उसके मूह से जोरदार सिसकी निकल गयी, फिर उसने निशा की सलवार के उपर से उसकी चूत को मसल्ते हुए कहा-

तुम दोनो तो बड़े ही बेशर्म हो गये हो… इरादा क्या है, हां…!

मेने दोनो को अपने दोनो बाजुओं में लपेटकर अपने बदन से चिपका लिया, और एक-एक हाथ से दोनो की चुचियों को सहलाते हुए कहा-

देखो दीदी ! हम घर से निकले हैं हनिमून मनाने, अब तुमने हमें अकेले तो रहने नही दिया… तो अब जो भी करना होगा, सब मिलकर ही करेंगे…!

रामा – चल हट बदमाश, तुम दोनो अपना हनिमून मनाते रहो, मे खम्खा कबाब में हड्डी क्यों बनू …!

मेने उसके ढीले-ढाले टॉप में नीचे से अपने दोनो हाथ डाल दिए, और उसके बिना ब्रा के दशहरी आमों को मसल्ते हुए कहा –

कबाब में हड्डी तो तुम बन गयी हो दीदी, अब इस हड्डी का रस चूसे बिना अलग कैसे कर सकते हैं, ये कहकर मेने उसका टॉप निकाल फेंका..

उसकी गोरी-गोरी सुडौल 34 साइज़ की मक्खन जैसी चुचियाँ नंगी हो गयी, जिसे उसने अपने दोनो हाथों से ढांपने की नाकाम कोशिश करके कहा –

अरे बेशर्म क्या कर रहा है, अपनी बीवी के सामने ही अपनी बेहन को नंगा कर रहा है, भेन्चोद…

निशा ने उसकी कॅप्री को नीचे सरका दिया, और उसकी चूत को सहलाकर बोली - भेन्चोद बनाने वाली भी तो आप ही हो ना ननद रानी जी…!

रामा – तो बेशर्मो ! मुझे अकेली को ही नंगा क्यों कर रखा है, तुम दोनो फिर कपड़ों में क्यों खड़े हो अभी तक,

ये कहकर उसने निशा की सलवार का नाडा खींच दिया, वो सरसरकार उसके पैरों में जा गिरी…

फिर क्या था, देखते ही देखते एक-एक करके हम तीनों के कपड़े कुच्छ ही देर में किचन के फर्श पर एक-दूसरे में गुड-मूड हुए पड़े थे…!!!

दो हुश्न पारियाँ जवानी से भरपूर, बिना कपड़ों के अजंता की मूरत जैसी मेरे खड़े लंड को मंत्रमुग्ध होकर निहार रही थी,
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06-02-2019, 01:17 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
और वो मदर्चोद किसी अकड़ू सड़क छाप गुंडे की तरह 120 डिग्री का आंगल बनाए तन्कर खड़ा उन दोनो रसीली चुतो को चॅलेंज दे रहा था…

मेने रामा दीदी को अपने पास खींच लिया, और उसके होठों को चूमते हुए, उसके पके कलमी आमों को मसलकर उनसे रस निकालने की कोशिश करने लगा…

वो सिसक कर बोली – आअहह….भाई, यहीं किचन में ही शुरू कर दिया तूने…हाईए….बेडरूम में तो चलो…

मेने उसकी रसीली चूत में उंगली पेलकर कहा – एक राउंड यहीं कर लेते हैं बहना, फिर खाने के बाद बेडरूम में देखेंगे…

तब तक निशा ने मेरे लंड पर कब्जा कर लिए था, और वो उसे अपनी मुट्ठी में लेकर मसल्ने लगी, सुपाडे को चूमकर उसने उसे अपने मूह में ले लिया…

जैसे ही निशा ने मेरे लंड को अपने मूह में लेकर एक बार ज़ोर्से सक किया, उन्माद के मारे मेरी सिसकी निकल पड़ी,

और मेने अपनी दो उंगलियाँ पूरी की पूरी दीदी की रसीली चूत में पेल दी… वो मज़े में आकर अपने पंजों पर खड़ी हो गयी, और मेरे होठों को चूसने लगी…

दीदी की चूत में उंगलियों के चलने की स्पीड का कंट्रोल शायद निशा के पास था, जिस स्पीड से वो मेरे लंड को मूह में ले रही थी, मेरी उंगलियाँ रामा दीदी की चूत को चोद रही थी…

और वो भी मेरे होठों को उसी अंदाज में चूसे जा रही थी…, दीदी की चूत का कामरस बह-बहकर मेरी अंजलि में जमा होने लगा, जिसे मेने सडप करके चाट लिया…

मेरे ऐसा करने से वो बुरी तरह शरमा गयी, और मेरे कंधे में अपना सर देकर सीने पर हल्के से मुक्का मारते हुए बोली – बाज़ीगर…

मेने निशा का सर अलग करते हुए कहा - बस कर मेरी कबुतरि, अभी इसका रस पीने के लिए नही मिलेगा.. वरना दो-दो चुते प्यासी रह जाएँगी…

मेरी बात मानकर निशा ने लंड मूह से बाहर निकाला… इतनी देर की चुसाई के बाद उसका सुपाडा लाल सुर्ख, फूल कर लालू की लालटेन के शीशे की तरह हो गया…

मेने दीदी की एक जाँघ के नीचे हाथ लगाकर उसे अपनी कमर पर रख लिया, उसकी रस गागर का मूह खुलकर मेरे लौडे के सामने आगया…

मेने निशा को कहा – डार्लिंग..! थोड़ा मेरे पिस्टन को दीदी के सिलिंडर के मूह पर सेट तो करो…

निशा ने नीचे बैठे ही बैठे, पहले एक बार अपनी ननद रानी की चूत के रस को अपनी जीभ से चाटा, जिससे रामा के मूह से एक मीठी सी सिसकी फुट पड़ी….,

सस्स्सिईईईईई…. आआहह…मेरी प्यारी भाभी…अब जल्दी से मेरे भाई के लंड को अपनी ननद की चूत पर सेट करो प्लेआसीए….!

उसने भी एक अच्छी भाभी का फर्ज़ निभाते हुए अपनी अमानत को हाथ में लेकर अपनी ननद के स्वर्ग द्वार पर टिका दिया…और फिर अपनी ननद की गान्ड के खुले छेद में अपनी उंगली डाल दी….

आआईयईई…..क्या करती है….सालीइीइ…कहकर रामा की कमर अपने आप मेरी तरफ सरक्ति चली गयी…और मेरा लंड सरसराता हुआ, उसकी गीली चूत में आधे तक सरक गया…

रामा के मूह से मादक कराह फुट पड़ी…

आआहह….अंकुश….चिर गयी मेरी चूत…बहुत मोटा हो गया है ये तेरा हथियार….हाए निशा…कैसे ले गयी तू ईसीए…
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06-02-2019, 01:17 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
निशा ने भी मज़ाक का कोई मौका हाथ से जाने नही दिया.. और अपनी पूरी उंगली उसकी गान्ड में पेल दी…और कहा…

क्यों ! पहली बार आपने भी तो लिया था, तब पता नही चला इस घोड़े जैसे लंड का…

उंगली गान्ड में जाते ही, रामा की गान्ड के द्वार ने उसे बुरी तरह जकड लिया, और उसकी कमर और आगे को सरक गयी, जिससे मेरा पूरा लंड उसकी चूत में फिट हो गया…,

वो उसे जड़ तक लेकर हाँफने लगी… मेने अपना एक हाथ उसकी मस्त फूली हुई गान्ड के नीचे लगाकर उसे अपनी ओर खींचा,

और दूसरे हाथ से उसकी मस्त रसीली चुचि को मसल कर धक्के देना शुरू कर दिया…, कुच्छेक ही धक्कों में रामा की चूत ने मेरे लंड के साइज़ को सेट कर लिया..

अब उसे भी बहुत मज़ा आने लगा था, सो सिसकते हुए अपनी गान्ड उठा-उठाकर मेरे लंड पर पटकने लगी…!

जब ज़्यादा मज़ा आने लगा, तो मेने उसकी दूसरी टाँग को भी उठाकर अपनी कमर पर रख लिया, वो मेरे गले में झूल गयी, मेने दे दनादन चुदाई शुरू कर दी…



सस्सिईइ…उउउफफफ्फ़…एयेए..हईए…भीइ…. बहुत मज़ा आरहाआ…है…झरने की याद ताज़ा हो गाइिईई……रीए…

हाईए…निशाअ…तेरा पति…कितना मस्त चुदाई करता है ,…तेरे तो भाग खुल गाईए…र्रइ….काश..ऐसा लंड रोज़ ले पाती मईए….

निशा मेरे नीचे बैठी, मेरे टटटे चाट रही थी, दीदी की बात सुनकर उसने अपनी जीभ की नोक उसकी गान्ड के भूरे छेद में डाल दी…

आययईीीई… साली छिनाल कितनी एक्सपर्ट हो गयी है रीए…..चाट और चाट मेरी गाअंड….हाईए…जीभ घुस्साआ….दीए…..

आआईयईई….और… तेजज़्ज़्ज…सस्सिईइ…उउउऊऊहह…गाइिईई…रीई…, और फिर रामा अपने प्यारे भाई के सीने से चिपक कर भल-भलकर झड़ने लगी…

मेने भी अपने दो-चार तगड़े धक्के लगाए, और अपनी प्यारी बेहन की चूत को अपनी मलाई से भर दिया….

बहुत देर तक वो मेरे सीने से चिपकी रही…, फिर जब नीचे उतरी, तो पक्क की आवाज़ के साथ मेरा आधा खड़ा लंड उसकी चूत से बाहर आकर किसी पानी के पाइप की तरह झूलने लगा…

साथ ही ढेर सारा रॉ मेटीरियल उसकी चूत से बाहर निकल कर टप्प्प से फर्श पर टपक गया…

मेने दीदी के होठों को चूमते हुए पुछा – मज़ा आया दीदी…

वो मुझसे किसी बेल की तरह लिपट गयी, और मेरे सीने पर किस करके बोली – थॅंक्स मेरे प्यारे भाई..,

तेरे साथ तो मुझे हमेशा ही बहुत मज़ा आता है…काश ! निशा की जगह मे तेरी बीवी होती…!

मेने कहा – तो ठीक है, मज़ा ले लिया ना, अब अपने इस भाई की पेट पूजा का इंतेज़ाम करो फटाफट…

मेरी बात सुनकर निशा का मूह लटक गया…, जिसे मेने अच्छे से नोटीस किया..

मेने मुस्कराते हुए उसे अपनी ओर खींचा, और उसे अपने सीने से सटकर कहा – मे मज़ाक कर रहा था मेरी जान,

मुझे पता है, तुम्हारी क्या हालत हो रही होगी हम दोनो की चुदाई देखकर…

ये कहकर मेने उसे अपनी गोद में उठा लिया और डाइनिंग टेबल के सिरे पर बिठाकर उसे उसपर लिटा दिया, उसकी टाँगों को अपने कंधे पर रखा,

और अपना मूह उसकी रस टपका रही मुनिया के मूह पर लगा दिया…, दीदी ने नीचे बैठ कर मेरे पप्पू को अपने मूह में ले लिया, और अपने दोनो के मसाले को चाट लिया…

मेने निशा की चूत के दाने को अपने दाँतों में दवाकर कुरेद दिया…उसने अपनी कमर को उचका कर अपनी चूत को मेरे मूह पर दबाया…

उसकी मुनिया लगातार रस बहाए जा रही थी, उधर दीदी ने मेरे पप्पू को चुस्कर फिरसे खड़ा कर दिया, अब वो उसे ज़ोर-ज़ोर्से चूस रही थी…

मेने अपने होठों को निशा की चूत के होठों पर टिकाकर एक बार उसकी मुनिया को ज़ोर्से सक किया…सस्स्सिईईईईईईईई……आअहह….रजाअजीीइईईईई…..

उन्माद के मारे उसकी कमर उपर को उचक गयी, और उसने अपने पैरों को मेरे गले में लपेट दिया, मेरे मूह को अपनी चूत पर बुरी तरह से दवाकर अपना पानी छोड़ दिया…

अब तक दीदी की चुसाई से मेरा मूसल भी उसकी मुनिया की कुटाई करने के लिए पूरी तरह तैयार हो गया था….

सो, मेने उसकी टाँगों को चौड़ाया, और अपने मूसल को उसकी सुरंग के मूह पर रखकर एक तगड़ा सा धक्का लगा दिया…

एक ही झटके में मेरा 3/4 लंड उसकी चूत में चला गया… उसके मूह से एक मादक भरी चीख निकल गयी….

आआईयईईईईईईई…..रजीईए….धीरीईई……आअहह….सस्स्सिईईईईई…उउउफफफ्फ़..

दीदी उसके बगल में लेट गयी, और उसकी चुचियों को मसल्ते हुए, किस करने लगी…

मेने अपना पूरा लंड पेलकर धक्के लगाना शुरू कर दिया…, साथ में दो उंगलिया, दीदी की चूत में पेल दी…

हम तीनों की सिसकियाँ पूरे घर को चुदाईमय बनाए हुए थी…,

एक बार झड़ने की वजह से मेरी चुदाई थोड़ा लंबी हो गयी… निशा दो बार झड चुकी थी, सो उसने रुकने के लिए कहा…

मेने दीदी को नीचे खड़ा कर लिया, और टेबल के उपर झुका कर पीछे से उसकी चूत मारने लगा…!

जब मुझे लगा कि अब मेरा नल खुलने ही वाला है, तभी मेने उसे बाहर खींच लिया…और अपनी पूरी मलाई, उन दोनो के मूह, और चुचियों पर उडेल दी…

वो दोनो, एक दूसरे के शरीर से मलाई लेकर चाटने लगी, और मे बाथरूम में घुस गया…..

फ्रेश होकर वो दोनो खाना बनाने में जुट गयी, और मे हॉल में आकर टीवी देखने लगा…!
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06-02-2019, 01:17 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
खाने के बाद हम तीनों एक ही बेडरूम में आगये, दीदी ने मुझे एक बड़ा सा ग्लास बादाम और केसर डालके दूध दिया और हस्कर बोली –

ले पीले, आज बहुत मेहनत करनी है सारी रात… दो दो घोड़ियों की सवारी करनी पड़ेगी…,

दूध पीकर हम तीनों फिर से चुदाई में जुट गये, लेकिन एक-एक राउंड करके ही हम जल्दी ही नींद में डूब गये…!!

इस तरह पूरे हफ्ते हम तीनों ने आलोक जीजू के आने तक थ्रीसम चुदाई का भरपूर मज़ा लिया,

रामा ऐसे कॉपरेटिव भैया-भाभी पाकर फूली नही समा रही थी…क्योंकि उसकी अब तक की अधूरी प्यास अच्छे से बुझ रही थी…!

निशा भी चुदाई के ज़्यादा मौके उसी को दे रही थी, रामा के ये पुच्छने पर की वो ऐसा क्यों कर रही है तो उसने कहा…

ये घोड़ा तो मेरे नाम रिजिस्टर्ड ही है, जिसे मे जब चाहूं दौड़ा सकती हूँ, लेकिन मेरी प्यारी ननद को फिर कब-कब ऐसा मौका मिलेगा…

उसकी बात सुनकर वो गद-गद हो उठी, और उसने उसे अपने गले से लगा लिया…

इसी बीच हम ने निशा को दिल्ली दर्शन भी कराए, सिनिमा देखने भी गये…

और फिर एक दिन मे उन दोनो को लेकर अपने गुरु और आंटी से मिलने भी गया,

उन्होने उन दोनो को अपनी बहू और बेटी जैसा ही प्यार दिया, सारे दिन अपने पास रखा, वहीं से नेहा को फोन करके भी बुला लिया…

नेहा, निशा और दीदी से मिलकर बहुत खुश हुई, फिर लौटते वक़्त वो उन दोनो को गिफ्ट देना नही भूले…!

आलोक जीजू के लौटने के बाद एक दिन रुक कर, मे और निशा अपने घर लौट लिए…...,

शाम तक हम घर लौटे, जहाँ एक खुशी हमारा बेसब्री से इंतेज़ार कर रही थी, घर भर में खुशी का माहौल था,

सबसे पहले हमें छोटी चाची मिली, और उन्होने हमें बताया की मोहिनी बहू माँ बनने वाली है…

हम दोनो ही लपक कर उनके कमरे में गये, देखा तो भैया उनके पास बैठे हुए थे..और बड़े खुश दिखाई दे रहे थे…

देखते ही उन्होने मुझे गले से लगा लिया, और खुशी से कांपति आवाज़ में बोले- छोटू मेरे भाई ! तू फिर एक बार चाचा बनाने वाला है…!

मेने खुशी से उच्छलते हुए कहा – सच भैया… ! ये तो बड़ी खुशी की बात है.., उसके बाद मे भाभी के पास गया.. जहाँ दोनो बहनें एक दूसरे के गले लगी हुई थी...

मेने कहा - भाभी इस बार मुझे नन्हा-मुन्ना प्यारा सा भतीजा चाहिए… क्यों रूच बेटा ! तुम्हें अपने लिए छोटा सा भाई चाहिए ना !

उसने हां में अपनी गर्दन हिलाई और बोली – मम्मी मुझे छोटा भाई दोगि ना…!

भाभी ने मुस्करा कर कहा – बेटा ! ये तो भगवान जी ही जाने, भाई होगा या छोटी सी गुड़िया…

इस तरह हसी खुशी सबने मिलकर भाभी भैया की खुशी को बाँटा…

अकेले में भाभी ने मेरे कान में कहा – ये तुम्हारा उस दिन की मेहनत का फल है मेरे लाडले देवर्जी….

ये सुनकर मे उनके मूह की तरफ ताकता ही रह गया….!

वो मुस्करा कर बोली – ऐसे क्या देख रहे हो… मे सच कह रही हूँ… !

भला माँ से अधिक किसे पता होगा कि उसके बच्चे का बाप कॉन है…, क्या ये सुनकर तुम्हें खुशी नही हुई…?

मे – नही भाभी ! ऐसी बात नही है… पर मुझे विश्वास नही हो रहा…!

वो – अपनी भाभी की बात पर भी नही…?

मे – अब आप कह रहीं हैं तो ज़रूर सही ही होगा… वैसे आप खुश तो हैं…?

भाभी ने मेरे गाल को कचकचाकर काट लिया, और फिर उसे चूमते हुए बोली –
बहुत से भी ज़्यादा मेरे होने वाले बच्चे के पापा जी….तुम्हारा अंश अपनी कोख में पाकर कॉन खुश नही होगी भला….

मेने भाभी के डिंपल में अपनी जीभ की नोक डालकर कहा – क्यों ! ऐसी क्या खास बात है मेरे अंश में…?

वो मेरे लौडे को सहला कर बोली – दो रिज़ल्ट सामने हैं इसके, फिर भी पुच्छ रहे हो…?

उनकी इस बात पर मे हँस पड़ा और वो मन ही मन खुश होती हुई रसोई की तरफ चली गयी…!

उस दिन के बाद मेरे अंदर एक अजीब तरह की उत्तेजना सी रहने लगी…,

मेरा अंश भाभी की कोख में पल रहा है…, ये सोचकर मे अजीब से रोमांच से भर गया…

इसी खुशी के साथ मे मन लगाकर अपने काम में लग गया, और रेग्युलर कोर्ट/ ऑफीस जाने लगा…. !
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