Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
03-31-2019, 03:05 PM,
#51
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
हम दोनो को बहुत मज़ा आ रहा था, एक दूसरे को पकड़े हुए हम एक दूसरे को छू रहे थे, महसूस कर रहे थे और किस कर रहे थे. दीदी ने मेरी गर्दन पर ज़ोर से किस किया और मुझे ज़ोर से जकड के अपने मम्मे मेरी छाती से दबा लिए. हम एक दूसरे के बेहद करीब थे, हमारे होंठ कब इतना करीब आ गये पता ही नही चला, हम ने अपने होंठ दूसरे के होंठों पर रख दिए और कुछ क्षणों के लिए ऐसा नाटक करने लगे जैसे हम किस नही कर रहे हो, बस होंठों को होंठों के उपर घिस रहे हो, लेकिन फिर कंट्रोल नही हुआ और हम एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे. दीदी ने अपने हाथ नीचे लाकर मेरी कमर पकड़ ली, और फिर ज़ोर से किस करने लगी. मैं भी दीदी को जी भरकर चूम रहा था, दीदी इस बीच अपने हाथ मेरे गीले बॉक्सर के अगले भाग की तरफ ले आई, हाथ थोड़ा नीचे करके दीदी ने मेरे लंड को पकड़ लिया. मेरा लंड जो थोड़ी देर पहले मूठ मारने के बाद बैठा हुआ था, वो भी अंगड़ाई लेने लगा, लेकिन अभी पूरी तरह खड़ा नही था, वो दीदी की इस हरकत से पूरी तरह खड़ा होने लगा....

दीदी का हाथ मेरी गोलियों तक पहुँचने ही वाला था तभी एक ज़ोर से कोई एलेक्ट्रॉनिक आवाज़ हुई और उसने हम दोनो को एक दम भौंचक्का कर दिया. हम एक दूसरे से तुरंत अलग हुए, दो सेकेंड बाद हमारी समझ में आया कि ये आवाज़ दीदी के मोबाइल फोन पर आए टेक्स्ट मेसेज की थी. हम दोनो ने अपने मूँह पोंछे और अपने कपड़े ढूँढने लगे, इस से पहले क़ी हम शांत और ठंडे हो पाते. मैने दीदी की तरफ देखा, वो अपनी टी शर्ट पहन रही थी, हम दोनो ने एक शरम भरी मुस्कान के साथ एक दूसरे को देखा और फिर कुछ सेकेंड के लिए रुके.

दीदी: उस आवाज़ ने तो मुझे डरा ही दिया था

राज: मेरी तो फट ही गयी थी

फिर हम दोनो शांत हो गये, और फिर एक दूसरे की तरफ देख के हँसने लगे. दीदी के गाल शरम से लाल हो रहे थे, और शायद मेरे भी. हम फिर एक दूसरे को देख के मुस्कुराए लेकिन इस बार शरम थोड़ी कम थी.

राज: मैं अभी सॉफ करके आता हूँ

दीदी: ओके ठीक है, मैं तो अब ठंडे पानी से शवर के नीचे नहाउन्गी

मैने कुछ सोचा और फिर पूछा, कंपनी दूं क्या?

दीदी हँसी और मेरे कंधे पर एक थप्पड़ मारा, मैं चहकता हुआ रूम से बाहर चला गया. मैने अपने रूम में आके अपने आप को सॉफ किया, और फिर कुछ देर के लिए बेड पर लेट गया, और सोचने लगा जो कुछ भी आज हुआ था उसके बारे में. मुझे मालूम नही था लेकिन दीदी भी अपने रूम में ही थी और शायद ये ही कर रही थी. 


.....................
आज दोपहर को मौसम बहुत सुहावना था. मुझे घर से बाहर जाके मौसम का आनंद लेने की इच्छा हुई, मैने दीदी से पूछा कुछ देर के लिए ड्राइव पर चलोगि? दीदी मेरे इस प्रस्ताव पर थोड़ा चौंकी, फिर वो तुरंत तय्यार हो गयी, थोड़ी देर बाद मैं और दीदी कार में बैठकर शहर से बाहर एक सुनसान सड़क पर चल पड़े.

एक जगज मैने कार पार्क की, और बाहर निकल के एक खेत की पगडंडी पर खड़े हो गये, दीदी उस सुहाने मौसम में बेहद खूबसूरत लग रही थी. दीदी के काले घने बाल हवा में उड़ रहे थे, दीदी का चेहरा चमक रहा था और दीदी मस्ती के साथ खेत की मंड (बाउंड्री) पर मस्तानी चाल के साथ चल रही थी.

जब भी हम पहले कभी बाहर घूमने ड्राइव पर जाते थे तो ढेर सारी बातें किया करते थे, लेकिन अब ये असंभव था कि हमारी बातों में जो कुछ हमारे बीच चल रहा था, उसका जिकर ना आए. इस सुहाने मौसम में, हम को किसी चीज़ का डर या परवाह नही थी, हम काफ़ी सहज महसूस कर रहे थे.

राज: दीदी आपको नही लगता हम कई बार काफ़ी आगे बढ़ जातें हैं, मैने ये स्वीकार किया और दीदी की राय पूछी

दीदी ने हां में सिर हिलाया और फिर थोड़ा हँसी. हां... लेकिन पता नही, मुझे तो बहुत अच्छा लगता है, मुझे तुम बहुत अच्छे लगते हो और सब कुछ अच्छा लगता है. तुम कहीं फिर से परेशान तो नही हो?

राज (कंधे उँचकाते हुए): पता नही कुछ समझ में नही आता, अच्छा तो मुझे भी बहुत लगता है, मैने दीदी को निहारते हुए कहा, आप बहुत मस्त हो दीदी. 

दीदी ने मुझे देखा और स्माइल किया, फिर हम कुछ देर शांत होकर से चलते रहे.

दीदी : क्या मम्मी ने तुमको बताया कि टान्या का फोन आया था?

टान्या का नाम सुनकर मैं थोड़ा चौंका, फिर किसी तरह बोला नही तो...

दीदी : हां, कल शाम को उसका घर के लॅंडलाइन पर फोन आया था, और वो पूछ रही थी कि तुम घर पर हो क्या? किसी प्रॉजेक्ट के बारे में शायद तुमसे बात करना चाह रही थी, लेकिन मम्मी को लगा कि वो झूठ बोल रही है. राज, मैं आज तुम को कुछ ऐसा बताउन्गी कि तुम को मेरी बात पर विश्वास नही होगा. 

राज: ऐसी क्या बात है दीदी?

दीदी: एक रात को जब मैं टीवी देखकर उपर अपने रूम में जा रही थी तो मैने मम्मी पापा के रूम के पास से गुज़रते हुए मैने जो सुना उस पर मुझे विश्वास ही नही हुआ. कपूर अंकल जो पापा के बिज़्नेस पार्ट्नर हैं, और अपनी इकलौती बेटी टान्या के पापा भी, वो चाहते हैं कि टान्या की शादी तुम्हारे साथ हो जाए. हमारे मम्मी पापा भी इस रिश्ते के लिए तय्यार हैं क्यूंकी ये दोनो की बिज़्नेस पार्ट्नरशिप के लिए भी अच्छा रहेगा.

मैं गौर से दीदी की बातें सुन रहा था, मुझे विश्वास नही हो रहा था.

दीदी (आगे बोलते हुए): लेकिन अपने मम्मी पापा चाहते हैं कि पहले मेरी शादी हो जाए उसके बाद तुम्हारी और टान्या की शादी करेंगे. मेरे लिए पापा और कपूर अंकल कोई पैसे वाला बिज़्नेसमॅन लड़का ढूँढ रहे हैं. तुम्हारी और टान्या की शादी के बारे में दोनो के पेरेंट्स शायद कोई लेन देन की रसम भी कर चुके हैं. इस बारे में केवल हम दोनो को ही नही मालूम लेकिन टान्या को उसके पेरेंट्स सब कुछ बता चुके हैं. वो भी तुम्हारे साथ शादी करने को तय्यार है, बस अब तो पहले मेरी शादी होने की देर है. इसी कारण कल जब टान्या का फोन आया तो मम्मी को कुछ शक हुआ होगा. 

दीदी ज़ोर से हँसने लगी, और मुझसे पूछा, तुम को टान्या अच्छी लगती है ना?

मुझे दीदी के हँसने से बहुत झुंझलाहट हुई, और कोई जवाब समझ में नही आया. दीदी ये देख के कुछ समय के लिए चुप हुई फिर बोली, मैं तुम्हे चिढ़ा नही रही हूँ, लेकिन , मुझे तो वो बहुत सुंदर लगती है, तुमको वो सुंदर नही लगती?

मैने दीदी की तरफ देखा, और फिर टान्या के बारे में दीदी को बताने लगा, जब मैने अपनी बात पूरी कर ली तो दीदी ने फिर मुझ को वो ही बात पूछी, और मुझे आख़िर में मानना पड़ा कि हां टान्या को मैं पसंद करता हूँ. 

ये सुनकर दीदी चहक कर बोली, चलो तो फिर सब ठीक है. दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और हम दोनो साथ साथ चलने लगे. कुछ दूर जाने के बाद दीदी ने कनखियों से मुझे देखा और बोली, जब तक तुम ये सब टान्या के साथ करने के लिए उस से पूछने की हिम्मत नही जुटा पाते हो तब तक तो तुम्हे मेरी सहायता की शायद और ज़्यादा ज़रूरत पड़ेगी. ये बोल के दीदी हँसने लगी.

मैं दीदी के पीछे भागा, करीद 200 मीटर और वो हंसते हुए आगे आगे दौड़ती रही.

हमारी इसके बाद बाकी सारी बात चीत अच्छी रही और हम दोनो को एक दूसरे से बातें कर के अच्छा लगा. हम जब एक ट्यूबिवेल के पास खड़े थे, वहाँ दीदी मेरा सहारा लगा के खड़ी हो गयी, और मेरे हाथों को अपने हाथों में ले लिया. मैने दीदी के गाल पे एक प्यारी सी चुम्मि ली और दीदी ने एक ज़ोर से साँस ली. हम दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए कार तक आ गये.

उस रात हम ने जो किया था, उसके बाद कुछ दिनों तक मैने इंतजार किया. मैने अपने उपर काबू रखा और ये समझने और समझाने की कोशिश की मैं दीदी का ग़लत इस्तेमाल नही कर रहा हूँ. मुझे पता था दीदी को कोई फरक नही पड़ता, लेकिन मैं अपने दिल में दीदी की इज़्ज़त करता था और दीदी को मूठ मारने के साधन के रूप में नही सोचता था.

लेकिन कुछ दिन बाद मेरी वो स्थिति हो गयी कि मेरे दिमाग़ में बस दीदी, लड़की और सेक्स के सिवा और कुछ नही सूझ रहा था. वो दिन ट्यूसडे का दिन था, वीकेंड मैने किसी तरह पार कर लिया था, अब और बर्दाश्त नही हो रहा था.

रात को डिन्नर के बाद मम्मी पापा ड्रॉयिंग रूम में टीवी देख रहे थे, दीदी फेमिना मॅगज़ीन पढ़ रही थी, मैं भी दीदी के पास इंडिया टुडे लेकर बैठ गया. 
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