Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
03-31-2019, 03:06 PM,
#53
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
अगले दिन दीदी काफ़ी देर तक सोती रही और कॉलेज के लिए बहुत लेट हो गयी.

जैसे ही मैने कार के पॅसेंजर की तरफ जाकर डोर खोलने के लिए हॅंडल खींचा, मैने देखा कि मानो किसी मूक दर्शक की तरह चंद्रमा मेरे सिर के उपर चमक एक अपनी चाँदनी बिखेर रहा है. तान्या मुझे देख के मुस्कुराइ और अपना पर्स उठा के कार से बाहर निकल आई, मैने गेट बंद लिया और उसे उसके अपार्टमेंट तक छोड़ने के लिए उसके साथ साथ चलने लगा. जब हम उसके अपार्टमेंट के शीशम की लकड़ी से बने गेट तक चल कर पहुँचे, वहाँ उपर 20 वॉट की सीएफएल लाइट जल रही थी, मैं थोड़ा नर्वस हो रहा था.

मैं अपने आप को कॉन्फिडेंट दिखाते हुए बोला, आज की शाम मस्त रही, मज़ा आ गया.

अपने चेहरे पर आए बालों को हटते हुए तान्या बोली, हां बहुत मज़ा आया, मैने तो ना जाने कितने सालों से बोलिंग की ही नही थी, जब मैं छोटी थी तब किया करती थी.

गुड नाइट कहने से पहले कुछ खामोशी के बीच वो अजीब क्षण अब आ चुका था. तभी मैने शरारत करते हुए कहा, हां पर अगली बार तुम इस छोटी सी पिंक बॉल की बजाय असली बॉल से खेलना. 

शायद तान्या को मेरा ऐसा बोलना अपनी इन्सल्ट लगी वो तुरंत बोली, ठीक है लेकिन आज भी अगर असली बॉल मिल जाती तो मैं तो तय्यार थी खेलने के लिए, वो ऐसा बोल के हँसने लगी और मेरी सुलग गयी.

तान्या ने दरवाजा खोलते हुए कहा, देखो अब मुझे जाने दो कल की क्लास के लिए मुझे पढ़ाई भी करनी है, तुम मुझे कॉल करना ओके? 

मैं हकलाते हुए बोला हां ज़रूर, मैं जैसे ही अपने कार की तरफ चला तभी तान्या की बिल्डिंग के किसी अपार्टमेंट का किरायेदार बाहर निकला और मुझे और तान्या को देखता हुआ पास से निकल गया.

तान्या अंदर घुसते हुए स्माइल करते हुए बोली, ओके बाइ गुड नाइट, तुम्हारे साथ मैने आज बहुत एंजाय किया.

उसका दरवााज़ा बंद हो गया लेकिन मैं एक मिनिट वहीं खड़ा रहा और कार के चाबियों को अपनी उंगलियों पर घुमाता रहा. मैं कार की तरफ चलते हुए चमकते हुए चंद्रमा को देखने लगा जो आज तान्या को तीसरी बार, हर बार की तरह मेरे मूँह पर दरवाजा बंद कर के अंदर घुसते हुए देख चुका था और इस बात का गवाह था.

मैं पिछले हफ्ते हुई सारी घटनाओं के बारे में सोचने लगा. तान्या ने करीब 2 हफ्ते पहले किसी प्रॉजेक्ट के बारे में अपनी क्विरीस पूछने के लिए मुझे फोन किया था. हम दोनो शुरू में तो क्लास असाइनमेंट्स के बारे में बातें करते रहे, फिर हम अपने बारे में बातें करने हुए मस्ती करने लगे. डॉली दीदी को पता था कि मेरे से फोन पर बातें कर रही लड़की कोई और नही तान्या ही है, दीदी मेरे रूम के डोर पर आ गयी और मुझे चिढ़ाने लगी. कुछ देर बाद एक कागज के पुर्ज़े पर लिखकर मुझसे पूछा, .तान्या से पूछा क्या? जब मैने ना में सिर हिलाया तो दीदी ने रोनी सूरत बनाई और निराश होके अपनी गर्दन हिलाई. ये अब सॉफ था कि दीदी चाहती थी कि मैं तान्या से इस बारे में जल्द से जल्द बात करूँ, और मैं भी ऐसा ही चाहता था, इसलिए मैने तान्या से अगले ट्यूसडे को डिन्नर पर चलने को प्रपोज़ किया तो तान्या थोड़ी सर्प्राइज़ हुई और फिर तुरंत तय्यार हो गयी. डॉली दीदी के चेहरे पर ये सुन के एक बड़ी सी स्माइल आ गयी और बाद में मुझ से बोली, मुझे मालूम है राज तुम तान्या को पसंद करते हो, और मुझे इस बात की खुशी है. मैं ये देख के इस बात पर खुश हो गया कि दीदी भी मेरे को तान्या के साथ बाहर जाने को एनकरेज कर रही है. 

मैं और तान्या ट्यूसडे को और फिर फ्राइडे को बाहर गये, और आज सनडे को बोलिंग के लिए गये, ये एक्सपीरियेन्स भी अच्छा रहा. मुझे लगने लगा था कि अब हम क्लासमेट्स से ज़्यादा एक दूसरे को जानने लगे हैं. मुझे इस बात की उम्मीद नही थी कि तान्या मुझे अंदर बुलाकर अपने कमरे में, अपनी दोनो टाँगें चौड़ा के और चूत खोल के मुझे चोदने के लिए कहेगी, लेकिन हां मैं केवल एक गुड नाइट से ज़्यादा एक किस या हग की उम्मीद तो कर ही रहा था. शायद मुझे ज़्यादा ही जल्दी थी, सब जवानी का दोष था.

निराश होकर मैं अपनी कार में बैठ गया और ड्राइव कर के अपने घर की तरफ चल पड़ा. आधे घंटे की ड्राइव के बाद जब मैं घर पहुँचा मैं काफ़ी कुछ नॉर्मल हो चुका था. मुझे मालूम था कि मेरी निराशा का मूल कारण ये था कि तान्या पहली लड़की थी जिसे मुझे घुमाने ले जाने का मौका मिला था और शायद एक नॉर्मल भारतीय लड़की से कुछ ज़्यादा ही एक्सपेक्ट कर रहा था,वो भी जब, जब कि तान्या को मालूम था कि उसकी शादी मेरे साथ दोनो के पेरेंट्स पक्की कर चुके हैं. वो शायद अपनी इमेज मेरी नज़रों में खराब नही होने देता चाहती थी. मैं तान्या को बहुत चाहने लगा था वो मुझे बहुत अट्रॅक्टिव लगती थी. मैं ये समझ नही पा रहा था कि वो क्लास में ऐसा बिहेव क्यों करती है जिस से सभी लड़कों को लगे कि वो लाइन दे रही है. 

जैसे ही मैं घर के दरवाजे पर पहुँचा तब तक मेरी समझ में कुछ नही आ रहा था, और दिमाग़ से इन सब फालतू बातों को फिलहाल निकालने के लिए मैने अपने सिर को ज़ोर से झटका. 

रात के साढ़े बारह बज चुके थे और मैं होशियार था कि ज़्यादा आवाज़ ना करूँ जिस से कहीं मम्मी पापा और डॉली दीदी जाग ना जायें. जैसे ही मैं घर में घुसा मैने ड्रॉयिंग रूम में टीवी चलने के आवाज़ सुनी, ड्रॉयिंग रूम में कोई नही था बस सेंटर टेबल पर एक बोवल में पॉपकोर्न्स रखे थे और एक खाली पानी का ग्लास, जब मैं अपने रूम की तरफ बढ़ा तो मैने टाय्लेट की लाइट जलती हुई देखी, मतलब डॉली दीदी अभी जाग रही थी, मुझे टाय्लेट से पानी बहने की आवाज़ सुनाई दी.

मैने टाय्लेट के डोर को धीरे से खटखटाया तो दीदी कुछ धीरे से बोली. मैने डोर के हॅंडल को पकड़ के घुमाया और जैसे ही अंदर सिर घुसाया, इस से पहले कि मैं कुछ देख पाता मेरे नथुने एक महकती हुई खुसबु से भर गये, दीदी किसी सुगंधित साबुन से शवर के नीचे नहा रही थी, दीदी तुरंत जैसे ही आगे बढ़ी, मैं बोला बस ये बताने के लिए कि मैं आ गया हूँ. दीदी मेरा मूँह बाहर धकेलते हुए और डोर को बंद करते हुए बोली, अच्छा ठीक है.

मैने अपने रूम में जाके जीन्स उतार के बॉक्सर्स पहना और फिर से नीचे ड्रॉयिंग रूम में आकर टीवी पर नॅशनल जियोग्रॅफिक देखे लगा, प्रोग्राम था कि क्या एक पेड़ पौधों के पत्ते खाकर जीने वाली चिंटी इस मूसलाधार बरसात के मौसम को बर्दाश्त कर पाएगी? भगवान बचाए इन नेचर शोस से. तभी डॉली दीदी आ गयी और मुझे टीवी पर ये प्रोग्राम देखते हुए मुस्कुराइ.

तभी एक अड्वर्टाइज़्मेंट आ गया जिसमे घर में एक यन्त्र लगाने से लक्ष्मी की बरसात होने का दावा किया जा रहा था, मैं उस अड्वर्टाइज़्मेंट को देख के बोला, ऐसे अड्वर्टाइज़्मेंट्स को बॅन कर देना चाहिए.

डॉली दीदी ने मेरी तरफ आँख गोल गोल घुमा के देखा और मेरे सोफे के सामने वुडन फ्लोर पर बैठ गयी. दीदी ने नाइट्गाउन पहन रखा था और उनके बाल अभी भी थोड़े गीले थे.

मेरे हाथ से रिमोट लेते हुए दीदी बोली, इसीलिए तो मैं मूवी देख रही थी बुद्धू, रिमोट लेकर उसे डीवीडी प्लेयर की तरफ पॉइंट करते हुए अपनी पॉज़ की हुई मूवी रिज्युम कर दी. आशिक़ी 2 हालाँकि मेरी फॅवुरेट मूवी थी, लेकिन अगर कोई और भी होती तो भी आज मैं अपने दिमाग़ को डाइवर्ट करने के लिए कुछ भी देखने को तय्यार था. 

कुछ मिनट के बाद, मैने देखा कि दीदी अपना सिर गोल गोल घुमा रही है, और अपनी गर्दन सीधी कर रही है. दीदी अपने एक हाथ को उपर उठाकर उस से दूसरे कंधे की मालिश कर रही थी

राज: क्या गर्दन में फिर से दर्द हो रहा है?

दीदी मूवी में खोई हुई थी, उसने शायद सुना नही, इसलिए मैने दोबारा पूछा. दीदी ने हां में सिर हिलाया और बोली, इस सिर दर्द ने तो परेशान कर रखा है.

रूको दीदी, मुझे करने दो, मैं दीदी के पीछे बैठ गया, और दीदी के कंधों की मालिश करने लगा. दीदी को ये प्राब्लम पिछले कयि सालों से थी, शायद जब वो 10थ में थी तब से. दीदी के कंधे और गर्दन की मालिश करने से उनका सिर दर्द कम हो जाता था, और ज़्यादा तीव्र नही होता था, मैं और पापा दोनो अब दीदी की गर्दन की मालिश करने में एक्सपर्ट हो चुके थे, जब भी वो चाहती हम दोनो में से एक उसकी ये मालिश किया करता था.

दीदी ने एक ज़ोर से साँस ली और बोली, थॅंक यू राज, और अपने हाथ नीचे कर लिए.
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