RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
एक बार को तो मुझे यकीन ही नही हुआ, दीदी इतना जल्दी तय्यार कैसे हो गयी, और अब सुंदरता की मूरत मेरी सग़ी बड़ी बेहन मेरे पास नंगी लेटी हुई है. मेरे को समझ में नही आ रहा था कि मैं कैसे और कहाँ से शुरूवात करूँ. मैने दीदी की आँखों में देखा, दीदी ने भी स्माइल किया और फिर हां में अपना सिर हिला दिया. बस दीदी का इतना इशारा देने की देर थी; मैं तुरंत अढ़लेटा होते हुए दीदी की चूंचियों को पास आकर करीब से देखने लगा. मैने थोड़ा हिचकते हुए अपना एक हाथ दीदी की चून्चि को दबाने के लिए बढ़ाया, जब दीदी ने मुझे नही रोका, तो मैने उस चूंची का निपल, अपने अंगूठे और पहली उंगली से पकड़ के घुमाते हुए हल्की हल्की चिकोटी काटने लगा, दीदी के मूँह से आहें निकलने लगी, उनको सुन कर मेरा उत्साह और ज़्यादा बढ़ गया.
इस से पहले कि मैं दीदी के निपल्स को झुक कर टेस्ट करता मैं उनके साथ कुछ मिनिट्स तक खेलता रहा. उसके बाद मैं बहुत देर तक दीदी के दोनो मम्मों को मूँह में भर भर के चूस्ता रहा, मन तो कर रहा था कि बस उनको चूस्ता ही रहूं, फिर मैं दीदी की चूत की तरफ बढ़ा. सबसे पहले तो मैने जी भर के चूत को जीभर के देखा, दीदी की चूत के वो फूले हुए लिप्स, उनको छूने में थोड़ा डर भी लग रहा था, कि कहीं दीदी मना ना कर दे, लेकिन भरोसा भी था कि दीदी ऐसा नही करेगी. जैसे ही मैने चूत के उपर एक उंगली रखी, दीदी के मूँह से एक कराह निकल गयी, मैं दीदी की चूत को बहुत देर तक उंगली से सहलाता रहा, और उंगली को चारों तरफ गोल गोल घुमाते हुए छेद तक पहुँच गया. मैने उंगली को दीदी की चूत में घुसा दिया, जैसे ही उंगली अंदर घुसी, दीदी उछल पड़ी, और उसने अपनी टाँगें सिकोड के मेरे हाथ को कस के पकड़ लिया. कुछ देर बाद मैने दो उंगलियाँ दीदी की गरमा गरम गीली चूत में घुसानी शुरू कर दी.
दीदी की साँसें अब तेज तेज चलने लगी थी, और मेरी उंगली जो उसकी चूत में हरकतें कर रही थी, उसकी वजह से दीदी अपनी गान्ड उठा उठा के, उंगली का साथ देने लगी थी. मुझे मालूम था कि दीदी को मज़ा आना बहुत ज़रूरी है, नही तो आज की चुदाई, दीदी के साथ आख़िरी चुदाई भी साबित हो सकती थी. मैं और पास आकर दीदी की चूत को एक बार फिर से, लेकिन इस बार दीदी के होश में, और उनकी सहमति से चूसने लगा. जैसे ही मेरी जीभ ने दीदी की चूत के दाने को छुआ, दीदी के मूँह से एक जोरदार कराहने की आवाज़ निकल गयी. दूसरे हाथ से मैने चूत को और ज़्यादा फैलाने का प्रयास किया जिससे मुझे चूत का दाना, सॉफ सॉफ दिखाई दे सके. मैं अपने हाथ के अंगूठे से चूत के दाने को घिसने लगा, और चूत में उंगली अंदर बाहर करना जारी रखा.
डॉली दीदी की साँसें बता रही थी कि दीदी अब झड़ने ही वाली है, इसलिए मैं लेट कर चूत के दाने को मूँह में लेकर चूसने लगा. मैं दाने को चूस रहा था, और उसको अपनी जीभ से घिस भी रहा था, जबकि मेरी उंगलियाँ दीदी की गीली चूत में अंदर बाहर हो रही थी. 1-2 मिनिट ऐसे ही करने के बाद, मुझे लगा कि दीदी की चूत की मसल्स मेरी उंगलियों को जकड़ने लगी हैं. दीदी ज़ोर ज़ोर से कराह रही थी, और मैं उनकी चूत को चाटे जा रहा था. एक या डेढ़ मिनिट के बाद, वो शांत पड़ गयी, और मैने भी चूत के दाने पर से अपना मूँह हटा लिया, और खिसक कर बेड के उपर आकर दीदी को एक प्यार भरा चुंबन ले लिया.
"थॅंक-यू राज. तुमको मालूम नही है मुझे इसकी कितनी ज़रूरत थी. आज की हमारी ये चुदाई या मेरा झड़ना इतना ज़्यादा ज़रूरी नही था, इस से ज़्यादा ज़रूरी ये था कि आज मुझे तुम्हारे उस प्यार का पता चला, जो तुम दिल से मुझे करते हो. आज तुमने कितने प्यार से मुझे क्लाइमॅक्स तक पहुँचाया, किस तरह तुम मेरे हर रिक्षन पर ध्यान दे रहे थे, वो उस दिन धीरज के साथ जो मज़ा आया था, उस के बाद आज ही वो मज़ा मिला है.” दीदी ने मुझे एक झप्पी दी और फिर मेरे को एक बार और किस कर लिया. हम ऐसे ही एक दूसरे को बाहों में लिए बहुत देर तक बैठे रहे, तभी मुझे एहसास हुआ कि दीदी मेरे लंड को बॉक्सर्स के उपर से सहला रही है. “मुझे लगता है, अब तुमको भी पता चलना चाहिए कि मैं तुम को कितना प्यार करती हूँ.”
ऐसा कहकर दीदी ने मेरी गर्दन और कानों पर किस करना शुरू कर दिया, और फिर नीचे आते हुए धीरे धीरे मेरी छाती को किस करने लगी, और मेरे निपल्स को उसी तरह चूसने लगी, जैसे कि मैने उसके निपल्स को चूसा था. उसके बाद मेरे पेट को चूमते हुए मेरी नाभि में अपनी जीभ घुसा दी, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. दीदी ने मेरे बॉक्सर्स को उतार कर मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया, और उसको चूमते और चाटते हुए, मेरी गोलियों तक आ गयी.
दीदी मेरी गोलियों पर हल्के हल्के जीभ फिराने लगी और फिर हल्के से एक एक कर के मेरी गोलियों को अपने मूँह में भरने लगी. मेरे मूँह से अपने आप आहें और कराहने की आवाज़ें निकलने लगी, और मुझे लगने लगा कि मैं जल्दी ही झड जाउन्गा. दीदी ने मेरे लंड की उपरी खाल को खींच कर नीचे कर दिया, और सुपाडे के उपर प्रेकुं को फैलाकर, सुपाडे को चूसने लगी. फिर सुपाडे को मूँह में लेकर, धीरे धीरे चाटते हुए मेरे लंड को अपने मूँह में घुसाने लगी. जब दीदी मेरे लंड को अपने मूँह में लेकर अंदर ही अंदर उसपर अपनी जीभ फिरा रही थी, तब उनकी उंगलियाँ मेरी गोलियों से खेल रही थी. इतना सब कुछ एक साथ हो रहा था, कि झड़ने से अपने आप को रोक पाना नामुमकिन था. दीदी समझ गयी कि मैं झड़ने वाला हूँ, और उसने पूरा लंड अपने मूँह में से निकाल दिया, अब बस लंड का सुपाड़ा ही दीदी के मूँह में था. दीदी अपने हाथ से मेरे लंड को उपर नीचे कर के मुठियाने लगी, जब तक की मैने अपना सारा वीर्य दीदी के इंतेजार कर रहे मूँह में नही उंड़ेल दिया.
दीदी मेरा सारा वीर्य पी गयी, और फिर बेड पर उपर खिसक कर मुझे एक जोरदार किस दिया. किस करते समय, मैं भी दीदी के होंठों पर लगे अपने नमकीन वीर्य को टेस्ट कर रहा था. हम दोनो इसी तरह काफ़ी देर तक संतुष्ट होकर लेटे रहे. फिर दीदी बोली, “राज मैं तुम्हारे लंड को अपनी चूत में महसूस करना चाहती हूँ.” मैने मुस्कुराते हुए दीदी को ज़ोर से होंठों और गालों पर किस किया और फिर चोदने की पोज़ीशन में आते हुए दीदी की दोनो टाँगों के बीच आ गया.
”मैं भी दीदी आप से बहुत प्यार करता हूँ.” दीदी की चूत में अपना लंड डालते हुए मैने कहा. आज जब दीदी की शादी में कुछ ही दिन शेष थे, दीदी को चोदने की फीलिंग में जो मज़ा आ रहा था, वैसा मज़ा पहले कभी नही आया था. जब मैने लंड को जितना अंदर जा सकता था, उतना अंदर घुसा दिया, मैने दीदी को चूमा, और हम एक दूसरे की जीभ को चाटने लगे. मैने थोड़ा पीछे होते हुए लंड को बाहर निकाला और फिर पूरा अंदर घुसा दिया. करीब 10 मिनिट तक ऐसे ही मैं धीरे धीरे दीदी की चुदाई करता रहा. मैं ज़ोर ज़ोर से दीदी की चुदाई करना चाहता था, लेकिन साथ ही साथ, दीदी को धीरे धीरे चोदकर ज़्यादा से ज़्यादा टाइम उनके समीप रहना चाहता था.
“मैं भी तुम्हारे करीब ज़्यादा से ज़्यादा रहना चाहती हूँ, लेकिन इस वक़्त मैं चाहती हूँ कि तुम मेरी जोरदार चुदाई करो. बहुत दिनों से मैं ढंग से चुदि नही हूँ, प्लीज़ मुझे चोद दो.” डॉली दीदी ने मेरे कान में फुसफुसाया.
मैने दीदी को ज़ोर से चूमते हुए उनको अपनी हथेलियों पर उठा लिया. मैने दीदी के पैरों को हाथ से पकड़ के उपर किया, और फिर अपने लंड को दीदी की चूत जो कि मेरी लिए जन्नत थी, उसमे पूरी तरह घुसते देख कर मुस्कुरा उठा. मैं देख रहा था, कैसे मैं दीदी की चूत में से धीरे से लंड निकालता और फिर घुसा देता. ये सब देखते हुए मैने अपनी स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी. मैने उपर की तरफ ध्यान केंद्रित करते हुए दीदी को एक बार फिर से किस किया, और उनकी चूत के टाइट खजाने में ज़ोर से लंड पेल दिया.
मैं दीदी की चूत में पूरी ताक़त के साथ अपने लंड पेले जा रहा था. कुछ मिनिट्स के बाद दीदी ने अपने पैर मेरी कमर के गिर्द लपेट लिए, और अपने पैरो से धक्का मार के मुझे अपनी गीली चूत के अंदर ज़्यादा से ज़्यादा लेने का प्रयास करने लगी. हम दोनो चुदाई करते हुए ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रहे थे. थोड़ी देर पहले वो प्यार और करीब रहने के एहसास अब हवस का रूप ले चुका था, और दोनो ही अब झड़कर परमानंद प्राप्त करना चाहते थे. हर धक्के के साथ डॉली दीदी अपने पैरों से मुझे और अपने अंदर की तरफ धक्का लगाती. दीदी के मूँह से अब ज़ोर ज़ोर से आवाज़ निकल रही थी, जिन पर वो किसी तरह काबू कर रही थी.
दीदी की चूत के मसल्स अब सिकुड कर मेरे लंड को निचोड़ने लगे थे, उनके पैर मुझे अपने अंदर धकेल रहे थे. झडते हुए दीदी की चूत एक बार सिंकूडती और फिर फैल जाती, और मेरे लंड को ज़्यादा से ज़्यादा निचोड़ने का प्रयत्न करती. जिस तरह से दीदी की चूत मेरे लंड के साथ ये सब कर रही थी, मुझ को भी अपने आप पर कंट्रोल नही हुआ, और मैने भी आज तक के सब से अच्छे तरह से झड़ने का अनुभव किया. मैं दीदी के उपर निढाल हो कर गिर गया, मैं बेहद थक चुका था. हम दोनो ने प्यार से चुंबन लिया और एक दूसरे को बाहों में लेकर लेटे रहे, और फिर वैसे ही साइड के बल होकर लेट गये, अब भी मेरा लंड दीदी की चूत के अंदर था, हालाँकि वो अब सिंकूड के छोटा हो चुका था.
"आइ लव यू डॉली दीदी, आइ विल ऑल्वेज़ लव यू." मैं धीरे से फुसफुसाया, और दीदी के पसीने के कारण गीले हो चुके दीदी के बालों में उंगलियाँ फिराने लगा. दीदी मुस्कुराइ और मेरी गर्दन में अपना चेहरा छुपा लिया. एक दूसरे से ऐसे ही चिपके हुए, लंड को चूत में डाले हुए, हम बहुत देर तक लेटे रहे.
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