RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
“तुम जल्दी से अपने रूम में जाओ, और वहाँ पर जाकर अपने कपड़े पहन लेना, थोड़ी देर मैं तुम्हारी मम्मी को बातों में उलझाती हूँ, इस से तुम को थोड़ा टाइम मिल जाएगा, और फिर ऐसे बहाना मारते हुए नीचे आना, जैसे अभी सो कर उठे हो” बुआ ने अपना गाउन पहनते हुए कहा. मैने वैसा ही किया, और थोड़ी देर बाद, मैं नीचे उतर के आया, मम्मी और बुआ किचन में खड़े होकर चाइ पीते हुए बातें कर रही थी.
"बुआ कल सुबह जा रही हैं," मम्मी बोली.
"हां, बुआ मुझे बता रही थी," मैने उबासी लेते हुए कहा. "बुआ आप कितने बजे जाओगी, मैं टॅक्सी वाले को फोन कर देता हूँ?"मैने पूछा. मुझे मालूम था कि कल मेरी कॉलेज में एक अर्ली क्लास है, जहाँ तक होगा, बुआ मेरे कॉलेज जाने के बाद ही जाएगी.
"जल्दी ही निकलुन्गि, मैने टॅक्सी वाले को फोन कर दिया, उसी टॅक्सी वाले को जो छोड़ने आया था, सुबह 10 बजे वो आ जाएगा. तुम कॉलेज कितने बजे जाओगे? बुआ ने पूछा. मैने बताया मैं तो कल सुबह 11 बजे जाउन्गा, फिर तो आप मेरे कॉलेज जाने से पहले, आप को गुड बाइ तो कर ही दूँगा. मैने आगे बढ़ कर एक मासूम सी पप्पी बुआ के गालों पर दे दी.
"आइ'ल्ल मिस यू," मैने अपने दिल से निकलती हुई आवाज़ में बोला.
"आइ'ल्ल मिस यू टू," बुआ बोली, और ये कहते हुए उनकी आँखों से आँसू की बूँद उनकी आँखों के किनारों पर आ गयी. "लेकिन चिंता मत करो, मैं तुम लोगों से मिलने फिर से जल्दी हो आउन्गि, रियली बहुत जल्दी" बुआ वादा करते हुए बोली.
मम्मी और बुआ के गालों पर एक एक पप्पी लेकर मैने दोनो को गुडनाइट विश किया, और उपर अपने रूम में जाकर सो गया.
सुबह उठने और फ्रेश होने के बाद मैने बुआ के साथ करीब आधा घंटा बिताया. हम दोनो ने एक आख़िरी सुबह की चाइ साथ साथ पी, फिर मैं अपने कॉलेज चला गया. जाने से पहले, जब मम्मी किचन में थी, मैं बुआ से धीरे से बोला "थॅंक यू फॉर एवेरितिंग". तभी बाहर टॅक्सी के आने की आवाज़ सुनाई दी. मैने बुआ के दोनो सूटकेस टॅक्सी में ले जाकर रख दिए.
जाने से पहले मैने बुआ के गाल की हर बार से थोड़ी लंबी पप्पी ली, फिर मम्मी और बुआ ने एक दूसरे को हग किया, और बुआ टॅक्सी में जाकर बैठ गयी. मम्मी मेरे पास आकर खड़ी हो गयी, और मेरी कमर में हाथ डाल कर, टॅक्सी को दूर जाते हुए देखने लगी. जैसे ही मैने मम्मी की तरफ देखा, मैने गौर किया, मम्मी बे मुन्नी बुआ की डाइमंड एअर रिंग्स पहन रखी थी.
"आपने ये एअर रिंग्स क्यों पहन रखी हैं?" मैने उत्सुकता में पूछा.
"ओह. मुन्नी बुआ चाहती थी कि मैं ही इनको पहनूं, वो जाने से पहले मुझे कुछ स्पेशल देना चाहती थी.."
"वाउ, मुझे तो लगता है, उन्होने आपको अपनी बहुत स्पेशल चीज़ दी है, जिसे वो बहुत प्यार करती थी."
"इसको तुम नही समझोगे राज ,शायद कभी नही, या पता नही कब......."
बुआ के जाने के बाद, बस मैं और मम्मी घर में अकेले रह गये, पापा को मुंबई ट्रिप को 10 दिन हो चुके थे, लेकिन सब कुछ फाइनल करने में, अभी कुछ दिन और लगने वाले थे. मम्मी रोज सुबह 7 बजे मुझे मेरे रूम में चाइ का कप लेकर आती, और मुझे उठाती, और फिर वहीं बेड के किनारे पर बैठ जाती. और मुझे अपने हाथों से झकज़ोर्ते हुए कहती “इतना बड़ा हो गया है, अभी भी इसको माँ उठाने आए, उठ जा अब, 7 बज गये हैं.” रोजाना, वो ही टाइम, सेम रुटीन हो गया था.
"हे मोम." मैं कंबल के नीचे, पलटी मार लेटा जब मम्मी मेरे को कंधे से पकड़ के हिलाती, मेरे हिप्स पर चपत लगाती और मेरी गर्दन पर पप्पी लेती. “बस मम्मी थोड़ी देर और... “ रोजाना का ये ही नाटक था.
"ठीक है," मम्मी बोलती. "तुम आज कॉलेज लेट ही जाना. अगर टाइम पर कॉलेज नही जाना तो फिर अड्मिशन ही क्यों लिया था?"
"क्या ये रोजाना सुबह सुबह."मैं उबासी लेते हुए, अपने बॉक्सर्स को पहने बिस्तर से उठता, चाइ पीता, और सीधा बाथरूम में घुस जाता. रोजाना का मानो ये एक नियम बन चुका था.
कुछ हफ्ते पहले एक रात, मम्मी को किसी ज़रूरी फॅमिली फंक्षन में जाना था. जैसे ही मम्मी शाम को गयी , मैने तान्या को फोन मिलाया, और उसे मेरे घर आने के लिए मिन्नतें की, किसी तरह वो तय्यार हुई. मैं बाजार से अपने लिए स्ट्रॉंग बियर और तान्या के लिए ब्रीज़ेर खरीद लाया था. जब वो शाम को आ गयी तो पहले हम दोनो ने बातें करते हुए बियर और ब्रीज़ेर पी, और फिर मेरे रूम में सेक्स किया. जब वो चली गयी, तो मैं नशे में अपने बेड पर सो गया, मुझे मालूम था कि मम्मी के पास डोर की ड्यूप्लिकेट कीस हैं.
जब मुझे होश आया, मुझे सुनाई दिया, “राज, अब उठ भी जाओ!!”
"बहनचोद...." अभी भी थोड़ा हॅंगओवर बाकी था.
"उठ जाओ, राज, उठो." उन्होने अपना एक हाथ से मेरे कंधे हिलाए और दूसरे हाथ से मेरे हिप्स, और फिर मुझे ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी.
"ओके, उठ गया मम्मी, उठ गया!" जैसे ही मैं कंबल हटा के उठ के खड़ा हुआ, मम्मी थोड़ा पीछे हट गयी. मैने मम्मी को ज़ोर से साँस लेते हुए सुना, मैने उनकी तरफ देखा. वो मेरे लंड की तरफ देख रही थी. मैने नीचे देखा. शिट ! तान्या के जाने के बाद, मैं नंगा ही सो गया था. और अब मैं, सुबह सुबह के हार्ड ऑन के साथ उनके सामने नंगा खड़ा था; पूरा 7 इंच का लंड उनकी तरफ पॉइंट कर रहा था. मैं एक दम मूर्ति बन गया, मम्मी की नज़र मेरे लंड पर से हट ही नही रही थी.
"शिट, मम्मी, आइ'म सॉरी!" मैं जल्दी से बेड पर चढ़ा और अपने उपर कंबल ओढ़ लिया.
"यह क्या?" मम्मी एक दम हिल ही नही रही थी. वो मानो किसी और ही दुनिया में पहुँच चुकी थी.
"मुझे याद ही नही रहा कि मैने कपड़े नही पहन रखे हैं."
"अच्छा..." वो मानो फिर से याकायक होश में आई, और मेरे पास बेड पर बैठ गयी. उन्होने अपना हाथ मेरे पेट पर रख दिया- मेरे खड़े हुए लंड के बहुत पास. “राज, मैने जो कुछ तुम्हारी देखने वाली चीज़ थी, वो सब देख ली है..., और वो भी थोड़ी देर तक नही, बहुत देर तक. तुम वाकई में बहुत बड़े हो गये हो. इसमे शरमाने की कोई बात नही है.
"ईईहह, मम्मी, मुझे इस बात की शरम आ रही है कि मैं आपके सामने खड़ा था, जब मेरा वो खड़ा हुआ था.
"बेटा, ऐसा होना तुम्हारी उमर में नॉर्मल बात है. मैं तुम्हारी मम्मी हूँ, मैं तुमको बहुत प्यार करती हूँ, और तुम को मुझसे शरमाने की कोई ज़रूरत नही है. उन्होने मुझे के छोटी सी झप्पी दी, और फिर खड़ी हो गयी. “चलो, बेटा अब नहा लो.” वो बेड से थोड़ा दूर खड़ी हो गयी, और इंतेजार करने लगी.
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