RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
भैया ने बेड के साइड में रखी स्टूल पर से कुछ उठाया. जैसे ही मैं आगे बढ़कर उनके पास पहुँची, मैने देखा कि उन्होने एक कॉंडम उठाया था. मैने अपना मूँह बनाया, और भैया को ऐसे देखने लगी, मानो उन्होने कोई घोर अपराध कर दिया हो. वो तो अच्छा था, कि वो बस एक कॉंडम ही लाए थे. मैने बोला, “प्लीज़ रुक जाओ, भैया.”
उन्होने अपनी नज़र उठाकर मेरी तरफ देखा, कॉंडम का पाउच अभी आधा ही खुला था, और अभी भी उनके हाथ में था, “हुह?” उन्होने पूछा.
"मैने आज से बर्त कंट्रोल पिल्स लेनी शुरू कर दी हैं," मैं बोली. मैने भैया को ये नही बताया कि इन बर्त कंट्रोल पिल्स को काम करने के लिए एक हफ्ते तक इंतेजार करना होगा. लेकिन ई-पिल के बारे में सोचकर मुझे किसी तरह की परवाह नही थी.
तभी मैं आगे बढ़ी और भैया के उपर चढ़ गयी. और फिर हम दोनो एक दूसरे को किस करने लगे, पहले से कहीं ज़्यादा भावुक होकर. दोनो की जीभ एक दूसरे के मूँह में घुसकर, आगे पीछे होते हुए, अठखेलियाँ कर रही थी. भैया अपना हाथ मेरी पीठ पर फिरा रहे थे,कभी मेरी गान्ड पर, और मुझे सहला रहे थे. मैने उनके उपर सवारी कर रही थी, और अपनी चूत को उनके खड़े हुए गर्म गरम लंड पर फिट करने की कोशिश कर रही थी. मैने भैया की गर्दन को चूमा, और फिर उनके कान के निचले हिस्से को. और फिर अपनी चूत को उनके लंड के उपर घिसने लगी. मैं तो मानो तुरंत झडने को तयार हो चुकी थी, और मैं हाँफने लगी थी.
मैं जल्दी से जल्दी भैया के लंड को अपनी चूत के अंदर लेना चाहती थी. मैने अपनी गान्ड को थोड़ा सा उपर उठाया, और भैया के लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया. जैसे ही मैने भैया के लंड को पकड़ा, भैया के मूँह से आहह निकल गयी, लेकिन मैं बिल्कुल नही हिचकिचाई. और एक पल में, मैने भैया के लंड के सुपाडे को अपनी चूत के द्वार पर रख दिया, और फिर मैं अपनी गान्ड को धीरे धीरे नीचे करने लगी. भैया का लंड मेरी चिकनी चूत में आसानी से घुस गया. हम दोनो कराहने लगे, जैसे जैसे मैं नीचे हो रही थी, और भैया का लंड मेरी चूत में और ज़्यादा घुसता जा रहा था. उनका लंड अब मेरी चूत में उतना ही अंदर पहुँच गया था, जितना उस दिन सुबह पहुँचा था, लेकिन मैं उसको और ज़्यादा अंदर लेने लगी. भैया के कराहने की आवाज़ और तेज होती जा रही थी. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. मैने लंड को और ज़्यादा अंदर लेने की कोशिश की, हालाँकि ऐसा करते हुए मुझे थोड़ा दर्द भी हुआ. भैया का लंड अब इतना ज़्यादा अंदर घुस चुका था, जहाँ तक कभी मेरा डिल्डो भी नही पहुँचा था. हम दोनो ने अभी चुदाई शुरू ही की थी, और मुझे ऐसा लग रहा था, मानो मैं झडने के बेहद करीब पहुँच चुकी हूँ.
धीरज भैया ने मेरी गर्दन पकड़ के, किस करने के लिए मुझे नीचे की तरफ झुकाया. वो ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रहे थे. मैने एक बार ज़ोर का झटका मारा, और लंड को पूरा अंदर ले लिया. मैं ज़ोर से कराही, जैसे ही मैने भैया के लंड को अपनी चूत में फड़कते हुए महसूस किया. वो एक गरम लोहे की रोड की तरह मेरी चूत में घुसा हुआ था. वो बहुत गरम था,मैने उसके उपर नीचे होने लगी, और उसको अपनी चूत में अंदर बाहर करने लगी. मैं बीच बीच में अपनी गान्ड को गोल गोल घुमा रही थी. हर झटके के साथ, मेरी स्पीड तेज होती जा रही थी. मैं अपने सगे भैया को चोद रही थी. और मैने झडना शुरू कर दिया था.
धीरज भैया गुर्राए, "उहह ओह, मेरी संध्याअ!"
"हां भैया," मैं धीरे से बोली. "म्म्म्मममम," मेरी कराहने की आवाज़ तेज होती जा रही थी. मेरा शरीर इस आनंद को पाकर सातवें आसमान पर था. मेरा दिल इतनी ज़ोर से धड़क रहा था, मुझे लगा कहीं मुझे हार्ट अटॅक ही ना आ जाए. और मैं भैया के लंड के उपर सवारी करते हुए, अपनी चूत में हर नीचे की तरफ झटके मारते हुए अंदर घुसाए जा रही थी.
धीरज भैया ने मुझे फिर से किस किया, और फिर अपने होंठों को नीचे मेरी थोड़ी तक ले आए. फिर वो थोड़ा आगे झुके और मेरी गर्दन को चूम लिया, और फिर मेरी चूंचियों को. उन्होने मेरे दोनो निपल्स को बारी बारी से चूसा, मेरा शरीर उनके उपर ऐसे झटके मारने लगा, मानो मुझे करेंट लग रहा हो. मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था. मैं अपनी कमर को जल्दी जल्दी उपर नीचे करते हुए, भैया के लंड को अपनी चूत में अंदर बाहर करने लगी.
"उहंंनणणन्," वो कराहे, और मेरी चूंचियों में से अपना चेहरा निकालकर दूर कर लिया. "मैं छूटने ही वाला हूँ, संध्या!"
"इट'स ओके. हो जाओ भैया," मैं सवारी करते हुए फुसफुसाई.
जैसे ही अगली बार मैं उपर हुई, मैने भैया के लंड से निकली पानी की पिचकारी को छूटते हुए महसूस किया. थोड़ा सा पानी लंड के किनारे नीचे भी निकल आया, लेकिन जैसे ही मैं नीचे हुई, भैया के लंड ने एक और धार उगल दी. भैया हर झटके के साथ कराह रहे थे, और ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रहे थे.
जैसे ही मैं झडि, और मेरी चूत ने पानी छोड़ा, मैं ज़ोर से चीखी. मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया. भैया का लंड पूरा का पूरा मेरी चूत में घुसा हुआ था, और वीर्य के पानी की धार छोड़ रहा था. मेरा शरीर काँपने लगा. हर धड़कन के साथ मेरे शरीर में आनंद की लहरों का संचार हो रहा था. मैं काँपते हुए हिल रही थी. मेरी चूत का दाना फडक रहा था. मैं हाँफने लगी, और जब चीख ख़तम हुई, तो कराहने लगी. भैया के लंड ने एक और धार मेरी चूत में फेंक दी. मैं भैया के लंड से निकल रही पानी की धार के स्पीड को अपनी चूत में महसूस कर रही थी.
काँपते हुए मैं भैया के उपर गिर गयी. हम दोनो के मूँह मिलते ही, हम दोनो प्यार से किस करने लगे. भैया का लंड अभी भी मेरी चूत में था, लेकिन अब वो पानी नही छोड़ रहा था. मैने भैया के होंठों के किनारों पर जीभ फिराते हुए, उनके मूँह में अपनी जीभ घुसा दी. भैया कराहे, और फिर मुझे अपनी बाहों में भर लिया.
भैया का लंड अपनी चूत में लिए हुए, मैं सो गयी. सपनों में भी मुझे भैया का लंड ही दिखाई दे रहा था.
अगली सुबह जब मैं उठी, तो मैने अपने आप को भैया की बाहों में पाया. मैं मन ही मन मुस्कुराने लगी और अपने बदन को उनके और ज़्यादा करीब लाने लगी. भैया का नंगा शरीर मुझे गर्माहट दे रहा था. मैं भैया की साँसों को सुनने लगी, जो की मद्धम और गहरी थी. वो अब भी गहरी नींद मे सो रहे थे. मेरा शरीर बेहद तृप्त था, हालाँकि कहीं कहीं हल्का सा दर्द ज़रूर था.
"ओह गॉड, धीरज भैया," मैं धीरे से मन ही मन कराही.
मैने भैया की छाती पर एक निगाह डाली, वो बहुत ही आकर्षक और गठीली थी. मैने नीचे की तरफ नज़र झुका के देखा, भैया का लंड अभी भी खड़ा हुआ था, और मेरी तरफ पॉइंट कर रहा था. मैं भैया के चेहरे की तरफ देख कर मुस्कुराइ. भैया शायद अब तक जाग चके थे, वो भी मुझे देख कर मुस्कुराए. फिर मैं थोड़ा पीछे हुई, और भैया के उपर अपने आप को धकेल दिया, जिस से कि वो थोड़ा खिसक कर पीछे हो जाए. मैने भैया का हाथ पकड़ा और उनको अपने रूम में खींच कर ले गयी. जब हम मेरे बेड के पास पहुँचे तो मैने भैया को धक्का दिया, और वो मेरे बेड पर पीठ के बल सीधे लेट गये.
धीरज भैया मेरी तरफ देख रहे थे, और मैं भैया के नंगे बदन को अपने बेड पर लेटे हुए निहार रही थी. भैया का लंड खड़ा होकर मुझे बुला रहा था. भैया के लंड को घूरते हुए ऐसा लगा, जैसे मैं उसकी गुलाम हो चुकी हूँ. और फिर मैं अपने बेड पर घुटनों के बल बेड के पास बैठ गयी. भैया अपनी गर्दन थोड़ी उठा कर मेरी तरफ देखने लगे, उनका लंड हम दोनो के बीच में था. मैने अपने होंठों पर जीभ फिराई, और थोड़ा आयेज झुकी, जिस से अब मैं बेड पर थोड़ा सा झुक गयी थी.
भैया का लंड मेरे चेहरे से बस अब कुछ ही इंच दूर था. मैं लंड को घूर कर निहारने लगी. मैने अपना एक हाथ बढ़ाया और उसकी एक उंगली से लंड की साइड को छूने लगी. भैया ने एक गहरी साँस ली, और लंड को अपने आप झटका मारते हुए देखने लगे. धीरे धीरे, मैं भैया के लंड की बनावट का अपनी उंगलियों से एहसास करने लगी. मैने लंड के नीचे की तरफ की उभरी हुई नस को एक बार देखा, और उसको अपनी उंगली से उपर से नीचे तक सहलाने लगी. जब मैं भैया के लंड की बनावट को महसूस कर रही थी, भैया धीरे धीर कराह रहे थे.
जब मैने लंड के उपर की तरफ देखा, तो भैया के लंड का सुपाड़ा उनकी लंड की चमड़ी से आधे से ज़्यादा तक ढका हुआ था, जहाँ पर सुपाड़ा ख़तम होता है, उसको उनकी लंड की चमड़ी ने ढक रखा था. जहाँ पर सुपाड़ा ख़तम होता था वहाँ पर बड़ा वी शेप बना हुआ था. मैने भैया के ज़ोर से कराहने की आवाज़ सुनी, “उहनन्न.”
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