Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
02-06-2020, 12:04 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
चंबल का ब्रिज क्रॉस करते ही ललित बोला – वकील भैया आपके साइड में एक कच्चा रेतीला रास्ता होगा.., गाड़ी उसी रास्ते पर ले लेना…!

मेने एक नज़र ललित के भावशून्य चेहरे पर डाली.., मे समझ चुका था कि अब संजू ने पूरी तरह ललित के शरीर को अपने कब्ज़े में लेकर कमॅंड अपने हाथ में संभाल ली है…!

ये एक तरह से ज़रूरी भी था.., जितना इस इलाक़े के बारे में संजू को जानकारी थी उतनी मुझे नही…, अभी वो रास्ता आया नही था, मेने
उससे पुछा – पहले क्या करना चाहते हो..?

संजू – सबसे पहले मेरे शरीर का दाह संस्कार करना होगा वरना कीड़े-मकोडे उसे वैसे ही नष्ट कर देंगे.., और मेरी आत्मा पर हमेशा एक बोझ सा बना रहेगा…!

दूसरा जब तक मेरे शरीर को सदगति नही मिल जाती.., प्रेतलोक की शक्तियाँ मुझे हाँसिल नही हो पाएँगी.., और मे हमेशा आधी अधूरी शक्तियों के साथ इधर से उधर भटकता रहूँगा…!

एक बार मुझे सदगति दिला दो.., फिर खेलते हैं खुला खेल फ़ारुक्खाबादी इन हरामियो के साथ.., मे जब तक इनका समूल नाश नही कर देता तब तक मुझे चैन नही मिलेगा…!

मे – लेकिन मेरे भाई.., मृत शरीर को ढकने के लिए कम से कम एक कॅफन तो चाहिए.., ऐसा करते हैं.., पहले कस्बे में जाकर कुच्छ ज़रूरत का समान ले आते हैं.., फिर लौट कर पूरे विधि विधान से तुम्हारे शरीर का दाह संस्कार करना पड़ेगा…!

संजू ने इस पर कुच्छ नही कहा तो मेने अपनी गाड़ी सीधे कस्बे के लिए दौड़ा दी.., अब वो आँखें बंद किए शांत गाड़ी की सीट से टेक लागये बैठा था…!

अभी संजू ललित के उपर है या नही ये चेक करने के लिए मेने उससे पुछा – क्या तुम अपनी मौत का बदला उन लोगों से लेना चाहते हो संजू..?

मेरी बात सुनकर ललित ने झटके से अपनी आँखें खोल दी, मेरी तरफ अपनी लाल-लाल आँखों से देखते हुए बोला – मुझे अपने मरने का कोई गम नही है भैया…!

उसका बदला तो मे युसुफ को मारकर ले चुका हूँ.., लेकिन प्रिया मेरी जान उन दरिंदों की क़ैद में है.., उसे मे किसी भी सूरत में वहाँ नही
छोड़ सकता वरना वो हराम के बीज ना जाने क्या करेंगे उसके साथ…!

अगर उन्होने उसे भी किसी के हाथों बेच दिया जैसा कि उनका एक धंधा विमन ट्रीफिक्किंग का भी है तो मे अपने आपको कभी माफ़ नही
कर पाउन्गा…!


और अगर उसे वहाँ से निकालना है तो उनसे भिड़े बिना निकालना नामुमकिन है.., अगर आप मेरा साथ नही देना चाहते तो कोई बात नही.., मे अकेला ही उसे वहाँ से निकालने की कोशिश करूँगा..!

मे – ये तुम कैसी बात कर रहे हो मेरे भाई.., हमारे उपर तुमने इतने एहसान किए हैं कि उनके सामने मे अपने आपको बौना महसूस करने लगा हूँ…!

तुमने मेरे घर की इज़्ज़त के लिए अपनी जान न्यौच्छावर करदी, तो क्या मे तुम्हारे लिए इतना भी नही कर सकता…?

संजू – ये कहकर आपने मुझे पराया कर दिया भैया.., इतना कहते हुए उसका गला भर आया और ललित की उन शोले बरसाती आँखों से दो
बूँद पानी की अपना किनारा छोड़ कर नीचे गिर पड़ी…!

मेने कभी अपने आपको इस घर से अलग नही समझा लेकिन आज आपने अपने घर की इज़्ज़त का हवाला देकर मुझे पराया कर दिया, रूचि
को मे अपनी सग़ी भांजी से भी बढ़कर मानता था.., उसकी अस्मत बचना मेने अपना फ़र्ज़ समझा…!

मेने फ़ौरन उसका कंधा दबाते हुए कहा – ऐसा मत बोल मेरे भाई मुझे माफ़ कर दे यार.., पता नही कैसे ये शब्द मेरे मूह से निकल गये.., जिनपर अब मुझे खुद भी अफ़सोस हो रहा है…!

संजू मेरे गले से लगकर किसी बच्चे की तरह सूबकते हुए बोला.., पता नही वो कॉन सा पल था जब वो हरामजादि वहीदा फिर एक बार मेरे
सामने आगयि.., मेने आप लोगों के प्यार को ठुकरा दिया और उसके सुनहरे जाल में फँस गया…!

मेने एक हाथ से उसकी पीठ सहलाते हुए कहा – जो होना होता है वो होकर ही रहता है मेरे भाई.., अब अफ़सोस करके हम अपने आप को दोषी मानकर बस दुखी ही कर सकते हैं..,

एश्वर ने चाहा तो तुम्हें जल्दी ही इस योनि से मुक्ति मिल जाएगी…!

संजू मेरे से अलग होते हुए बोला – अब ईश्वर से मेरी एक ही विनती है.., अगर वो मुझे मेरे किसी भी नेक काम जो मेने अपनी जिंदगी में किया हो उसका फल देना चाहें तो मे फिरसे अपने इसी परिवार में जन्म लेकर आप लोगों के बीच आना चाहता हूँ…!

अपने इस जीवन की ग़लतियों की भूल सुधार कर एक अच्छे आदमी की तरह अपना नया जीवन जीना चाहता हूँ…!

मे – ईश्वर बड़ा न्यायकारी है.., जीवात्मा की मुराद पूरी अवश्य होती है, बस उसके लिए हमें अच्छे नेक काम करते रहना होता है…, वो तुम्हारी ये इक्च्छा भी आवश्या पूरी करेंगे..!

हम सब भी तुम्हें फिरसे अपने परिवार में देखना चाहते हैं मेरे दोस्त…!

संजू से बात करते करते मुझे बड़ा सुकून सा मिला.., समय का पता ही नही चला और हम कस्बे में दाखिल भी हो गये…!

ललित अब सामान्य हो चुका था.., हम दोनो ने पेट भरकर खाना खाया.., फिर संजू के दाह संस्कार में लगने वाली सभी ज़रूरत की चीज़ें हमने खरीदी और निकल लिए उसके बताए हुए रास्ते पर…!
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02-06-2020, 12:04 PM,
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संजू की निशानदेही पर उसी खंडहर नुमा मकान के एक कोने में पड़े कचरे के ढेर से हमने उसकी डेड बॉडी को हासिल कर लिया…!

घटना को कई दिन हो चुके थे.., उसकी बॉडी से बदबू उठने लगी थी.., गंदगी के ढेर में लाश दबी रहने के कारण उसमें कीड़े पड़ना भी शुरू हो गये थे…!

मेने और ललित ने बदबू से बचने के लिए अपने अपने मूह पर कपड़ा भी बाँध लिए था.., लेकिन फिर भी काफ़ी देर तक उसमें से निकलने
वाली बदबू हमें परेशान करती रही…!

लेकिन जल्दी ही हम उसके आदि हो गये.., इस दौरान ललित के चेहरे पर रह रह कर अलग अलग तरह के भाव आते रहे…, कभी वो संजू
वाली अवस्था में आकर अपने शरीर की इस तरह की दुर्गति देखकर दुखी होने लगता…!

तो दूसरे पल सामान्य स्थिति में आकर काम में मेरी मदद करने लगता…!

ये अच्छा था कि इस रास्ते का वो लोग कभी कभार ही स्तेमाल करते थे इसलिए कोई अन्य बाधा हमारे काम में रुकावट पैदा नही कर पाई…!

जैसे तैसे संजू की डेड बॉडी को नदी के किनारे तक पहुचाया.., चंबल के स्वच्छ पानी से उसे स्नान कराया.., फिर वाकायदा एक अर्थी बनाकर
उसका विधि विधान से चिता सजाकर हमने संजू की मृत देह को आग के हवाले कर दिया…!

आग जलती देख उधर को कोई आ ना धमके उसके लिए हमने छिपने के लिए दर्रों की शरण ले ली…!

हम वहाँ तब तक छिपे बैठे संजू की चीता को देखते रहे जबतक उसकी चीता पूरी तरह शांत होकर ठंडी ना पड़ गयी…!

इस काम को अंजाम देते देते अंधेरा घिरने लगा था.., इस बीच संजू का हमारे बीच होने को कोई आभास भी नही हुआ.., ललित एक दम
सामान्य ही रहा..!

ज़्यादा अंधेरा घिरने से पहले ही हम उसकी चिता के करीब गये.., राख अभी भी गरम ही थी..,

लकड़ियों की मदद से उसकी चिता की राख को कुरेद कुरेद कर हमने यथा संभव उसकी सारी अस्थियों को चुनकर एक कलश में एकत्रित कर लिया…!

एक लाल कपड़े से अच्छी तरह उसका मूह बाँध कर हम चुके ही थे कि तभी नदी के स्वच्छ नीले पानी की सतह पर एक फॅक्क्क सफेद धुएँ की चादर जैसी फैल गयी..,

हमारे देखते देखते वो धुएँ की सफेद चादर चादर हवा में तैरती हुई एक अजीबो ग़रीब आकृति का रूप लेते हुए हमारी तरफ आने लगी…!

ललित अभी बच्चा ही था.., वो उसे देखकर डर के मारे काँपने लगा, और उसने मेरी कौली भर ली..!

भय युक्त उत्तेजना का मिला जुला आभास मुझे भी अपने अंदर हो रहा था.., लेकिन फिर भी बड़े होने के नाते मेने ललित को अपने से सटाते
हुए उसे हौसला बनाए रखने की गरज से कहा…!

हमें डरने की ज़रूरत नही है ललित.., ये अपना संजू ही है.., हौसला रख इससे हमें कोई हानि नही होगी…!

अबतक वो विचित्र आकृति जो लग तो किसी मानवकृति की तरह ही थी.., लेकिन उसका पूरे बदन का हर हिस्सा हवा में इधर से उधर लहरा रहा था…, वो अब हमारे करीब नदी के किनारे तक आ चुकी थी…!

अचानक उस आकृति के मूह से एक विचित्र तरह की आवाज़ निकली….,

धन्यवाद वकील भैया.., आपने मेरे शरीर को विधि पूर्वक चिता के हवाले करके मेरे उपर बहुत बड़ा उपकार किया है.., अब में अपनी प्रेतलोक
की दुनिया में जा रहा हूँ…!

वहाँ जाकर उनकी धर्म संसद में अपनी बात रखूँगा.., अगर मेरी बात जायज़ हुई तो मुझे प्रेत यौनी की सारी शक्तियाँ प्राप्त हो जायेंगी जिनका
मे जैसे चाहूं स्तेमाल कर पाउन्गा…!

अतः अब कुच्छ समय के लिए मे आप लोगों से विदा ले रहा हूँ.., हो सका तो जल्दी ही आपके पास लौटूँगा…, इतना कहकर क्षणभर में ही वो आकृति वातावरण में विलीन हो गयी…!

संजू के वहाँ से विलीन होते ही हम दोनो भी उसके अस्थि कलश को लेकर अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ गये…!
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02-06-2020, 12:04 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
Ye to tai tha ki ab kuchh samay tak Sanju ki aatma hamaare sath rahne waali nahi thi, uske bina hum ekdum dishaheen they, ghar lautne ka matalab tha Sanju ki aatma ko ek tarah se thes pahunchana…!

Wo pahle hi bol chuka tha ki jabtak apni Priya ko un badmashon ke changul se nikal nahi leta tabtak use chain nahi milega…!

Sanju ke Parthiv sharir ka dah sanskaar karne ke baad Me lalit ko lekar kasbe mein laut aaya.., ab jab yahin rukna hai to raat gujarne ke liye hamein kisi acchhi si jagah ki talash karni thi..,

lekin ye kasba jyda developed nahi tha isse ek bada gaon hi kah sakte they, jahir hai yahaan kisi hotel ya fir kisi acchhe se lodge ki sambhavna kam hi nazar aa rahi thi…!

Hum dono ek chai waale ki tapri par baithkar chai pee rahe they, samay lagbhag 7:30 ya 8 ka hi tha.., chai peete peete hamne uss chai waale se aaj raat thaharne ki koi uchit vyavastha mil sake iss Vishay par charcha ki…!

Usne hamein bhind ki taraf jaane waale highway par yahaan se koi 15kms aage ek hotel bataya jismein acchhe khane peene ki vyavastha ke sath sath rahne ka bhi acchha intejam mil sakta hai…!

Chai peekar hum usi highway par aage badh gaye aur koi addhe ghanta ke baad hum uss hotel ke reception par they…!

Hotel jyada acchha to nahi tha lekin raat gujarne layak yahaan saari vyavastha maujud thi…!

Thaharne ke vyavastha main restaurant se hatkar separately side mein thi.., hamne room book karke gaadi ki diccky se apna bag liya jismein do-char roj layak kapde aur bhi jarurat ki cheejein thi jinhein me touring ke samay sath rakhta hi hoon…!

Khana hamne room mein hi mangwa liya.., koi 9-9:30 tak khana khatam karke me bahar saamne bane chhote se lawn mein tahlne chala gaya..,

karib aadhe ghante baad jab mein room mein vapas pahuncha tab tak Lalit gehri neend mein so chuka tha.., bechare ke sharir ko na jaane konse waqt Sanju ki aatma bhi aakar stemaal kar leti thi…!

Jinhein ye sab jhelne ka experience hai wo ye samajh sakte hain ki jab koi pret-atma kisi ke sharir par kabja kar leti hai.., uske baad jab wo apni samanya sthiti mein vapas aata hai, tab uske man-mastisk ko kitni thakabat hoti hai ye to wo hi mehsus kar sakta hai jisne jhela ho…!

AC room mein wo bina kambal odhe hi so gaya tha.., lekin thand mehsus karte hi uske ghutne pet ki taraf mud gaye.., mene kambal lekar use gale tak udha diya…!

Ye lodging jyada bada nahi tha.., bas teen manzil tak room they, hamara room sabse upar tha.., mene room mein aane ke baad se pahli baar peechhe ki side ki window ka curton khishka kar hotel ke room ke peechhe ke hisse par nazar daali…!

Road se dekhne par hotel ke peechhe bas ghane aur uunche pedon ke alawa aur kuchh nahi dikhta tha, aisa lagta tha jaise yahaan matr ek baghicha jaisa hi hona chahiye…!

Lekin jab mene parda khiska kar peechhe ke portion ko dekha…, sala ye to koyle ki khadan mein here milne jaisa tha.., kya shandaar lawn jiske charon taraf ek 10-12 feet height ki boundary ke ander bade bade ghane uonche ped…!

Lawn mein jagah jagah tarah tarah ke foolon ki kyariyaan.., mayur pankhi ki cutting karke banayi gayi tarah tarah ki aakrutiyaan.., ek chhota lekin saaf neele paani se bhara swimming pool bhi…!

Pool ki seedhiyon ke baad se sangemarmar ka fars jo ki last mein bani ek chhoti lekin bahut hi shandaar cottage tak chala gaya tha…!

Me kautuhal bas isse dekhte huye man hi man vichar karne laga.., sala ye itni acchhi jagah jise ek tarah se aam logon ki nazron se chhipane ki koshish ki gayi hai.., aakhir hai kiski aur kis purpose se rakhi gayi hai…?

Abhi me apne ander se iss sawal ke jabab ko khojne ki koshish kar hi raha tha ki cottage ki gellary se aati huyi do manav aakrutiyaan wahaan ki low light mein lawn ki taraf aati dikhayi di…!

Wahaan itni tej light nahi thi.., isliye wo kon aur kaise log hain ye nahi dekh paa raha tha.., haan unmein se ek aurat thi to dusra aadmi..,

Dono ne aage single dori se baandhne wale ghutnon tak ke gawn pahan rakhe they.., dono ke ek-ek hath mein glass laga huya tha.., jinmein mehngi sharab ke alawa aur kuchh to hone ki sambhavna hi nahi thi…!

Wah sale jungle mein mangal kar rahe hain.., lekin ye hain kon..? jahir si baat hai iss ekant si jagah par ye miyaan biwi to honge nahi jo apna ghar chhodkar yahaan masti karne aaye hon…?

Dusra ye itna acchha cottage bhi lagta hai public use ke liye nahi hogi varna isse peechhe gupt tariqe se rakhne ki bajaye iska advertisement highway hi nahi Sharon mein bhi hona chahiye tha…!

Ye sochte sochte meri utsukta un dono mein jaagne lagi.., jahaan mard ke dusre hath mein ek bottle thi.., wahin aurat uske side se uski kamar mein hath daalkar uske sath sate huye chal rahi thi…!

Lawn mein kahin kahin bas lamp post jaise jal rahe they jinke peele se prakash se wahaan itni Roshni nahi fail paa rahi thi ki wo yahaan se koi 70-80 meter ki duri par saf saf dikhayi pad jaaye…!

Uss couple mein meri utsukta itni badh gayi ki ab me unhein pass jaakar dekhna chahta tha.., kyonki kahin na kahin aise log samaj ki nazron se bachkar aisi jaghon ko apni aaiyashiyon ka adda banate hain..,

Aur iss tarah ke aiyaas log hote bhi dohre charitra waale hi hain.., wo kahavat hai na “hathi ke daant dikhane ke aur, khane ke aur”.., samaj mein apne image banakar bhi rakhte hain aur parde
ke peechhe sabhi galat tariqe ke gair kanooni karobaar bhi chalate hain….!

Uspar bhi turra ye ki me thehra thoda tedhe kism ka jaasus type nature ka aadmi to lazimi tha aise logon par shaq karna mere liye aam baat hai…!

Ab sawal ye tha ki in tak pahuncha kaise jaaye.., iss lodge se direct koi dawaja peechhe ki taraf jaate huye lagta nahi.., aur man lo ho bhi to koi udhar aise hi jaane bhi nahi dega…!

To fir kya kiya jaayee….aur Kaise un tak pahuncha jaye…?

Mene khidki se apna sir bahar nikaal kar jhanka.., Ki tabhi meri nazar peechhe ki deewar par lage gutter pipe par padi.., window ka sliding glass ka adha bhag bhi itna chauda to tha ki usase me aaram se udhar nikal sakta hoon…!

Use dekhte hi mere hoth swatah hi gol ho gaye aur ek seeti jaisi awaj meri saans ke sath mere muh se nikal padi…!

Mene iss samay apna night suit pahna hua tha.., ek nazar apne upar daalkar mene room ki light off ki.., chupke se window ke glass ko pura slide kiya..,

peechhe ki taraf window ke neeche jhank kar dekha to paya ki kamre ke floor ke leval par karib do inch bahar nikli huyi kinari si hai.., mera kaam ban gaya…!

Me chupke se window paar karke apne pair uss kinari par tikaaye.., bina lock kiye glass purvat kiya.., parda khiskaaya aur ek minute mein hi kisi bander ki tarah pipe ke jariye uss lawn ki makhmali ghaas par khada tha…!

Lawn kaafi lamba lamba chala gaya tha.., beech beech mein kayi tarah ke uuonche ped bhi they.., me un pedon aur kyariyon ki aad leta hua pool tak jaa pahuncha..,

ab wo dono mujhse bamushkil kuchh kadmon ke fasle par hi they jo iss samay pool ke kinaare padi long chair par ek dusre mein gunthey huye sharab ki chuskiyon ke sath sath jawani ka swad bhi lete jaa rahe they…!

Mene apne liye do mayur pankhiyon ki jhadiyon ke beech ki jagah chuni jahaan se me unhein bade aaram se bina unki nazar mein aaye dekh sakta tha…!

Wo dono hi meri taraf pair karke lete huye they.., kuchh der baad wo dono wahaan se uthkar pool ke kinaare aagaye.., unki chal bata rahi thi ki iss samay dono hi kaafi nashe mein hain…!

Mard ke hath mein abhi bhi ek sharab se bhara hua glass tha.., jabki aurat use shambhale huye pool tak laayi.., thi wo bhi nashe mein lekin mard ki tulna mein kam…!

Mard ke gore laal chehre par kali ghani dadhi, saleeke se set ki huyi.., lambi lacchhedaar munchhein.., pahli nazar mein hi wo kisi raees Rajput jaisa lag raha tha..,

Aurat shakl se to sunder hi dikh rahi thi.., gol chehra gora chand sa mukhda, kajrari aankhein, lambi surayi daar garden.., lambe ghane kale baal, waaki ka ghutne tak ka uska badan ek gawn mein qaid tha…!

Pool ke kinaare aakar us aurat ne uss mard ke gawn ki dori kheench di.., sarrr.. se uska gawn jamin par jaa gira.., ab uss mard ka sampurn nanga badan meri aankhon ke saamne tha..,

uski banabat aur sharir ki awastha dekh kar koi bhi ye anmaan laga sakta tha ki mard ki umra 50-52 ke ass pass ki to hogi.., chhati aur pet par kale safed mix ghane baal, pet jyda to nahi lekin halka sa bahar jarur latka hua tha…!

kuchh der uss aurat ne mard ke adhkhade lund ko apne hath se sahlaaya.., lekin fir bhi uspar koi khas asar nahi hua to usne apne gawn ki dori bhi kheench di..,

sarrrrrrrrr… se uska gawn bhi uske kadam chumne laga.., lekin gawn ke ander se jo hushn meri aankhon ke saamne ujagar hua use dekhkar ek pal ko meri saansein tham si gayi aur mera lauda apne aap khada ho gaya….!!!!
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02-06-2020, 12:04 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
ये तो तय था कि अब कुच्छ समय तक संजू की आत्मा हमारे साथ रहने वाली नही थी, उसके बिना हम एकदम दिशाहीन थे, घर लौटने का
मतलब था संजू की आत्मा को एक तरह से ठेस पहुँचाना…!

वो पहले ही बोल चुका था कि जबतक अपनी प्रिया को उन बदमाशों के चंगुल से निकाल नही लेता तबतक उसे चैन नही मिलेगा…!

संजू के पार्थिव शरीर का दाह संस्कार करने के बाद मे ललित को लेकर कस्बे में लौट आया.., अब जब यहीं रुकना है तो रात गुजारने के लिए हमें किसी अच्छी सी जगह की तलाश करनी थी..,

लेकिन ये कस्बा ज्यदा डेवेलप्ड नही था इससे एक बड़ा गाओं ही कह सकते थे, जाहिर है यहाँ किसी होटेल या फिर किसी अच्छे से लॉज की संभावना कम ही नज़र आ रही थी…!

हम दोनो एक चाइ वाले की तपरी पर बैठकर चाइ पी रहे थे, समय लगभग 7:30 या 8 का ही था.., चाइ पीते पीते हमने उस चाइ वाले से आज रात ठहरने की कोई उचित व्यवस्था मिल सके इस विषय पर चर्चा की…!

उसने हमें भिंड की तरफ जाने वाले हाइवे पर यहाँ से कोई 15किमी आगे एक होटेल बताया जिसमें अच्छे खाने पीने की व्यवस्था के साथ साथ
रहने का भी अच्छा इंतेजाम मिल सकता है…!

चाइ पीकर हम उसी हाइवे पर आगे बढ़ गये और कोई आधे घंटा के बाद हम उस होटेल के रिसेप्षन पर थे…!

होटेल ज़्यादा अच्छा तो नही था लेकिन रात गुजारने लायक यहाँ सारी व्यवस्था मौजूद थी…!

ठहरने की व्यवस्था मेन रेस्टोरेंट से हटकर सेपरेट्ली साइड में थी.., हमने रूम बुक करके गाड़ी की डिकी से अपना बॅग लिया जिसमें दो-चार रोज लायक कपड़े और भी ज़रूरत की चीज़ें थी जिन्हें मे टूरिंग के समय साथ रखता ही हूँ…!

खाना हमने रूम में ही मंगवा लिया.., कोई 9-9:30 तक खाना ख़तम करके मे बाहर सामने बने छोटे से लॉन में टहलने चला गया..,

करीब आधे घंटे बाद जब में रूम में वापस पहुँचा तब तक ललित गहरी नींद में सो चुका था.., बेचारे के शरीर को ना जाने कोन्से वक़्त संजू की आत्मा भी आकर स्तेमाल कर लेती थी…!

जिन्हें ये सब झेलने का एक्सपीरियेन्स है वो ये समझ सकते हैं कि जब कोई प्रेत-आत्मा किसी के शरीर पर कब्जा कर लेती है.., उसके बाद जब वो अपनी सामान्य स्थिति में वापस आता है, तब उसके मन-मस्तिस्क को कितनी थकावट होती है ये तो वो ही महसूस कर सकता है जिसने झेला हो…!

एसी रूम में वो बिना कंबल ओढ़े ही सो गया था.., लेकिन ठंड महसूस करते ही उसके घुटने पेट की तरफ मूड गये.., मेने कंबल लेकर उसे
गले तक ऊढा दिया…!

ये लॉज ज़्यादा बड़ा नही था.., बस तीन मंज़िल तक रूम थे, हमारा रूम सबसे उपर था.., मेने रूम में आने के बाद से पहली बार पीछे की
साइड की विंडो का करटन खिसका कर होटेल के रूम के पीछे के हिस्से पर नज़र डाली…!

रोड से देखने पर होटेल के पीछे बस घने और उँचे पेड़ों के अलावा और कुच्छ नही दिखता था, ऐसा लगता था जैसे यहाँ मात्र एक बगीचा जैसा ही होना चाहिए…!

लेकिन जब मेने परदा खिसका कर पीछे के पोर्षन को देखा…, साला ये तो कोयले की खदान में हीरे मिलने जैसा था.., क्या शानदार लॉन
जिसके चारों तरफ एक 10-12 फीट हाइट की बाउंड्री के अंदर बड़े बड़े घने उँचे पेड़…!

लॉन में जगह जगह तरह तरह के फूलों की क्यारियाँ.., मयूर पंखी की कटिंग करके बनाई गयी तरह तरह की आकृतियाँ.., एक छोटा लेकिन सॉफ नीले पानी से भरा स्विम्मिंग पूल भी…!

पूल की सीढ़ियों के बाद से संगेमरमर का फर्श जो कि लास्ट में बनी एक छोटी लेकिन बहुत ही शानदार कॉटेज तक चला गया था…!

मे कौतूहल बस इसे देखते हुए मन ही मन विचार करने लगा.., साला ये इतनी अच्छी जगह जिसे एक तरह से आम लोगों की नज़रों से छिपाने की कोशिश की गयी है.., आख़िर है किसकी और किस पर्पस से रखी गयी है…?

अभी मे अपने अंदर से इस सवाल के जबाब को खोजने की कोशिश कर ही रहा था कि कॉटेज की गेलरी से आती हुई दो मानव आकृतियाँ वहाँ की लो लाइट में लॉन की तरफ आती दिखाई दी…!

वहाँ इतनी तेज लाइट नही थी.., इसलिए वो कॉन और कैसे लोग हैं ये नही देख पा रहा था.., हां उनमें से एक औरत थी तो दूसरा आदमी..,

दोनो ने आगे सिंगल डोरी से बाँधने वाले घुटनों तक के गाउन पहन रखे थे.., दोनो के एक-एक हाथ में ग्लास लगा हुया था.., जिनमें मेह्न्गि शराब के अलावा और कुच्छ तो होने की संभावना ही नही थी…!
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02-06-2020, 12:05 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
वाह साले जंगल में मंगल कर रहे हैं.., लेकिन ये हैं कॉन..? जाहिर सी बात है इस एकांत सी जगह पर ये मियाँ बीवी तो होंगे नही जो अपना
घर छोड़ कर यहाँ मस्ती करने आए हों…?

दूसरा ये इतना अच्छा कॉटेज भी लगता है पब्लिक यूज़ के लिए नही होगी वरना इसे पीछे गुप्त तरीक़े से रखने की बजाए इसका
अड्वर्टाइज़्मेंट हाइवे ही नही शरों में भी होना चाहिए था…!

ये सोचते सोचते मेरी उत्सुकता उन दोनो में जागने लगी.., जहाँ मर्द के दूसरे हाथ में एक बॉटल थी.., वहीं औरत उसके साइड से उसकी कमर में हाथ डालकर उसके साथ सटे हुए चल रही थी…!

लॉन में कहीं कहीं बस लॅंप पोस्ट जैसे जल रहे थे जिनके पीले से प्रकाश से वहाँ इतनी रोशनी नही फैल पा रही थी कि वो यहाँ से कोई 70-80 मीटर की दूरी पर साफ साफ दिखाई पड़ जाए…!

उस कपल में मेरी उत्सुकता इतनी बढ़ गयी कि अब मे उन्हें पास जाकर देखना चाहता था.., क्योंकि कहीं ना कहीं ऐसे लोग समाज की नज़रों
से बचकर ऐसी जगहों को अपनी ऐयाशियो का अड्डा बनाते हैं..,

और इस तरह के ऐयाश लोग होते भी दोहरे चरित्र वाले ही हैं.., वो कहावत है ना “हाथी के दाँत दिखाने के और, खाने के और”.., समाज में अपने इमेज बनाकर भी रखते हैं और पर्दे के पीछे सभी ग़लत तरीक़े के गैर क़ानूनी कारोबार भी चलाते हैं….!

उसपर भी तुर्रा ये कि मे ठहरा थोड़ा टेढ़े किस्म का जासूस टाइप नेचर का आदमी तो लाज़िमी था ऐसे लोगों पर शक़ करना मेरे लिए आम बात है…!

अब सवाल ये था कि इन तक पहुँचा कैसे जाए.., इस लॉज से डाइरेक्ट कोई दवाजा पीछे की तरफ जाते हुए लगता नही.., और मान लो हो भी तो कोई उधर ऐसे ही जाने भी नही देगा…!

तो फिर क्या किया जाए….और कैसे उन तक पहुँचा जाए…?

मेने खिड़की से अपना सिर बाहर निकाल कर झाँका.., कि तभी मेरी नज़र पीछे की दीवार पर लगे गटर पाइप पर पड़ी.., विंडो का स्लाइडिंग ग्लास का आधा भाग भी इतना चौड़ा तो था की उससे मे आराम से उधर निकल सकता हूँ…!

उसे देखते ही मेरे होठ स्वतः ही गोल हो गये और एक सीटी जैसी आवाज़ मेरी साँस के साथ मेरे मूह से निकल पड़ी…!

मेने इस समय अपना नाइट सूट पहना हुआ था.., एक नज़र अपने उपर डालकर मेने रूम की लाइट ऑफ की.., चुपके से विंडो के ग्लास को पूरा स्लाइड किया..,

पीछे की तरफ विंडो के नीचे झाँक कर देखा तो पाया कि कमरे के फ्लोर के लेवल पर करीब दो इंच बाहर निकली हुई किनारी सी है.., मेरा काम बन गया…!

मे चुपके से विंडो पार करके अपने पैर उस किनारी पर टिकाए.., बिना लॉक किए ग्लास पुर्वत किया.., परदा खिसकाया और एक मिनिट में ही किसी बंदर की तरह पाइप के ज़रिए उस लॉन की मखमली घास पर खड़ा था…!

लॉन काफ़ी लंबा लंबा चला गया था.., बीच बीच में काई तरह के उँचे पेड़ भी थे.., मे उन पेड़ों और क्यारियों की आड़ लेता हुआ पूल तक जा पहुँचा..,

अब वो दोनो मुझसे बमुश्किल कुच्छ कदमों के फ़ासले पर ही थे जो इस समय पूल के किनारे पड़ी लोंग चेर पर एक दूसरे में गूँथे हुए शराब
की चुस्कियों के साथ साथ जवानी का स्वाद भी लेते जा रहे थे…!

मेने अपने लिए दो मयूर पंखियों की झाड़ियों के बीच की जगह चुनी जहाँ से मे उन्हें बड़े आराम से बिना उनकी नज़र में आए देख सकता था…!

वो दोनो ही मेरी तरफ पैर करके लेटे हुए थे.., कुच्छ देर बाद वो दोनो वहाँ से उठकर पूल के किनारे आगये.., उनकी चाल बता रही थी कि
इस समय दोनो ही काफ़ी नशे में हैं…!

मर्द के हाथ में अभी भी एक शराब से भरा हुआ ग्लास था.., जबकि औरत उसे संभाले हुए पूल तक लाई.., थी वो भी नशे में लेकिन मर्द की तुलना में कम…!

मर्द के गोरे लाल चेहरे पर काली घनी दाढ़ी, सलीके से सेट की हुई.., लंबी लच्चेदार मुन्छे.., पहली नज़र में ही वो किसी रईस राजपूत जैसा लग रहा था..,

औरत शक्ल से तो सुंदर ही दिख रही थी.., गोल चेहरा गोरा चाँद सा मुखड़ा, कजरारी आँखें, लंबी सुराई दार गर्दन.., लंबे घने काले बाल,
वाकी का घुटने तक का उसका बदन एक गाउन में क़ैद था…!

पूल के किनारे आकर उस औरत ने उस मर्द के गाउन की डोरी खींच दी.., सररर.. से उसका गाउन ज़मीन पर जा गिरा.., अब उस मर्द का संपूर्ण नंगा बदन मेरी आँखों के सामने था..,

उसकी बनावट और शरीर की अवस्था देख कर कोई भी ये अनुमान लगा सकता था कि मर्द की उम्र 50-52 के आस पास की तो होगी.., छाती और पेट पर काले सफेद मिक्स घने बाल, पेट ज्यदा तो नही लेकिन हल्का सा बाहर ज़रूर लटका हुआ था…!

कुच्छ देर उस औरत ने मर्द के अधखड़े लंड को अपने हाथ से सहलाया.., लेकिन फिर भी उसपर कोई खास असर नही हुआ तो उसने अपने गाउन की डोरी भी खींच दी..,

सर्र्र्र्र्र्ररर… से उसका गाउन भी उसके कदम चूमने लगा.., लेकिन गाउन के अंदर से जो हुश्न मेरी आँखों के सामने उजागर हुआ उसे देखकर एक पल को मेरी साँसें थम सी गयी और मेरा लॉडा अपने आप खड़ा हो गया….!!!!
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02-06-2020, 12:05 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
Reshma ka reshmi gawn sarsarata hua uske badan se juda hoka ab wo jamin par pada tha… aur jaise hi uss 26-27 saal ki bharpoor jawan yuvati ka gawn jamin par gira.., ab uska lamp post ki mand Roshni mein bhi sone jaisa damakta hua badan meri aankhon ke saamne tha…!

34” ki khoob sudaul tani huyi uski gol-gol kharbuje jaisi chuchiyaan.., sapat pet bamushkil 28-29” ki uski kamar ke neeche to jaise kayamat hi faili huyi thi…!

Kele jaisi gol chikni uski moti- moti jaanghein.., jinke beech ka “Y” shape ka yauni Pradesh… sssiiii….aaahhhh…mene apne laude ko masalkar siski bhari, kya mast chikni malayi jaisi Mulayam
kachaudi jaisi fooli huyi uski chut ki faankein dekhkar pajame ke ander mera lund tankar khada ho gaya…!

Sala kya kismet paayi hai iss buddhe ne, ye hushn ki devi jawani se ladi fadi, iss kamine dadiyal ke naseeb mein hai…,

jaise hi wo uss adhed mard ke lund ko pakdne ke liye aage aayi.., uske reshmi jism ka sabse khoobsurat hissa.., uski jaanmaaru makhmal se bhi Mulayam uski gaand meri aankhon ke saamne aagayi…!

Wah ! kya mast khoob ubhri huyi uski gaand thi.., maano peechhe do muradabadi kalas ulte cipka diye hon.., kadam taal ke sath unki thirkan dekh kar to mera lauda thumke hi lagane laga…!

Wo uss adhed mard ka mariyal sa lund apne hath mein lekar use muthiyaane lagi.., kuchh der ki koshish ke baad uska adhkhada lund tan gaya.., uss adhed mard ne apna sharab se bhara hua glass ek hi saans mein khali kar diya aur apni munchhon par taaw dete huye bola…!

Aaahh.. Reshma meri jaan.., ab isse apne muh to le meri kutiya.., chal jaldi kar raand.., ye kahte huye usne jabran uske kandhon par dabab daalkar use wahin farsh par bitha diya…!

Wo bhi kisi maji huyi randi ki tarah apne panjon par baithkar uske lund ko chusne lagi.., uss adhed ka lund uske muh mein jaate hi foolne laga.., maze mein uss aadmi ki aankhein band hone lagi…!

Wo Reshma ke sir par hath ka dabab banate huye apni kamar ko aage peechhe karke uske muh ko chodne laga…!

Do minute bhi nahi huye ki wo ek lambiiii si hunkaar bharte huye uske muh mein hi jhad gaya.., jhadne ke sath hi uski taangein bhi jabab de gayi..,

Kaanpti taangon se wo dheere dheere uske saamne hi baith baith gaya aur bathne ke sath hi peechhe ki taraf fars par ludhak bhi gaya…!

Sharab ke nashe aur jhadne ki kamjori ke karan uski aankhein apne aap band ho gayi…!

Reshma use jhakjhorte huye boli – Sheru darling.. utho.., ye kya.. tum to so gaye.., arey ab me kya karun..?

Lekin uski sunane ke liye ab sheru nahi tha.., ab to bas uske kharrate hi sunayi de rahe they..,

Wo apne badan ki aag mein jhulasti huyi khadi huyi.., ek laat usne uske murjaaye huye lund par mari aur use gaaliyaan bakti huyi boli – madarchod.., thakur ke chode…,

Apne aapko mard kahta hai hizda kahin ka.., jab gaand mein dum nahi bacha hai to kyon rakhta hai meri jaisi aurat ko apne sath.., ab me kahaan jaaun.., kya karun.., haaye allah ye meri chut ki aag ab kaise bujhegi.., ye mua to so gaya…!

Vasna ki aag mein jalti huyi wo idhar udhar dekhne lagi.., ki shayad kahin se koi aisi cheez hi mil jaaye jise wo apni chut mein daalkar paani nikal sake..!

Tabhi mene jhadiyon ki aadd se nikalte huye kaha – me kuchh madad karun mohtarma..??

Meri awaj sunte hi wo ekdum se uchhal hi padi.., meri ore ghumte huye usne jaise hi mujhe apne saamne dekha, wo apni sharm chhupaane ke liye fauran apni jagah par baith gayi…!

Me char kadam aage badhakar uske pass jaa pahuncha.., mujhe apne pass dekhkar wo boli – k.k.kkon ho tum.., aur..aur..yahaan kaise aagaye..?

Me – tumhein aam khane se matalb, ped ginkar kya karogi…? Tum apne badan ki aag mein jhulas rahi ho.., sadhan saamne hai.., ji bharkar apni aag shant karlo…!

Reshma – mujhe nahi bhujhani koi aag bag…, tum jaao yahaan se varna Shersingh ke kisi aadmi ne tumhein yahaan dekh liya to apni jaan se hath dho baithoge…!

Me – Sher singh.., kon sher singh..?

Usne uss adhed ki taraf ishara karte huye kaha – ye sher singh.., tum sher singh ko nahi jaante.., lagta hai.., kahin bahar se aaye ho..?

Me – haan me yahaan ka nahi hoon.., ab sawal jabab mein hi samay barbad karogi ya apni pyas bujhani hai.., aur rahi baat iss sher singh ki to wo to ab subah se pahle uthne wala nahi hai.., use to tumne chuskar khali kar diya..!

Rahi baat iske aadmiyon ke dekh lene ki to uski tum bilkul fikar mat karo.., yahaan jab tak ye tumhaare sath hai.., aur koi fatakega bhi nahi.., bolo kya kahti ho..?

Ye kahte huye mene apna pajama neeche khiska diya.., jaise hi uski nazar mere khade lund par padi.., uski aankhein hairat se fati rah gayii.., apne muh par hath rakhkar boli…

Haaye allah…, aisa lund to mene porn filmon mein hi dekha hai.., ye haqikat mein bhi aisa hota hai kya..?

Me apna lund hath mein liye do kadam aur tai karke uske theek uske muh ke saamne khada ho gaya, wo abhi bhi usi sthiti mein baithi thi.., mene apna lund uski aankhon ke saamne lahraate huye kaha..

Reshma darling.., asli lund tumhari aankhon ke saamne hai.., porn filmon mein tagde lund se ladkiyon ko chudate dekhkar to bahut maza liya hoga tumne apni chut sahlaate huye..,

ab practical karne ka mauka hai tumhare pass.., me to yahi kahunga iss mauke ko hath se jaane mat do…!

Waise bhi tum konsi iss buddhe ki pativrata ho.., ho to rakhail hi na…!

Reshma ek pal ko taish mein aate huye boli – mind your language Mr….?

Gaurav Raghuvanshi… mene tapak se apna chadm naam batate huye kaha.. bande ko isi naam se pukaarte hain log.., kyon mene kuchh galat kaha kya.., tum sher singh ki rakhail ho ki nahi…?

Reshma – haan hoon to.., tumse matalab ye mera jaatiya masla hai.., tum kon hote ho mujhse iss tarah baat karne waale..?

Wo bhale hi upri mann se ye sab kah rahi thi.., lekin uski lalchayi huyi nazar abhi bhi mere lund par hi tiki huyi thi.., mene uski pyasi nazron ko taadte huye kaha –

Kisi ne sahi hi kaha hai.., saala chai se jyada ketli garam hoti hai.., koi baat nahi tum apni adhuri pyas ke sath yahaan khule mein baithkar apni chut mein ungali karke apna paani nikalo, me chala apne thikane par…,

Itna kahkar me sachmuch apna lund pajama ke ander daalkar wahaan se jaane ke liye mud gaya…!

Me janta tha ki ye saali chhinaal apni adhuri pyas lekar ab raat gujaarne se rahi.., upar se jab uski pyasi chut ko mere halabbi lund ke darshan ho gaye hon..

Abhi mene wahaan se jaane ke liye apne kadam badhaye hi they ki peechhe se usne mujhe apni bahon mein bhar liya…!

Aaahhh…Gaurav.., mere raja.., itne khoobsurat lund ke darshan karakar ab kahaan jaa rahe ho..? please meri baat ka bura mat maano.., me to.. me to bas aise hi tmhein parakh rahi thi…!

Mene uske hath apne aage se hataye aur palatkar uski pyasi aankhon mein dekhte huye kaha – parakh rahi thi matalb..?

Reshma – me dekhna chahti thi ki kya tum bhi dusre mardon ki tarah mauke ka fayda uthana chahte ho..? mere jaisi sunder aurat ke sath har koi yahi karna chahta hai na…!

Me – tumne galat samjha meri jaan.., no doubt you are so beautiful young lady.., koi bhi mard tumhein chodne ki kamna kar sakta hai.., lekin apne bhi kuchh alag hi funde hain…,

Me har kaam.., khastaur se chut pyar se hi maarta hoon.., wo bhi acchhi tarah se khoob dabakar…!

Wo mere lund ko pajama ke upar se hi maslte huye boli – to fir der kis baat ki mere rajaa.., ab to chut bhi raazi hai aur chut waali bhi.., daba ke maar lo..,

dekhun to sahi ye halabbi lund waakayi dumdaar hai ya khali bandook ki tarah dikhawe ka hai… !

Mene uske raseele hothon par apni rajamandi ki muhar laga di aur fir use apni god mein uthakar cottage ke ander lekar chal diya…!!!
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02-06-2020, 12:05 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
अपडेट – 61..

रेशमा का रेशमी गओन सरसराता हुआ उसके बदन से जुदा होका अब वो ज़मीन पर पड़ा था… और जैसे ही उस 26-27 साल की भरपूर जवान युवती का गाउन ज़मीन पर गिरा.., अब उसका लॅंप पोस्ट की मंद रोशनी में भी सोने जैसा दमकता हुआ बदन मेरी आँखों के सामने था…!

34” की खूब सुडौल तनी हुई उसकी गोल-गोल खरबूजे जैसी चुचियाँ.., सपाट पेट बमुश्किल 28-29” की उसकी कमर के नीचे तो जैसे कयामत ही फैली हुई थी…!

केले जैसी गोल चिकनी उसकी मोटी- मोटी जांघें.., जिनके बीच का “Y” शेप का यौनी प्रदेश… सस्सिईइ….आअहह…मेने अपने लौडे को
मसलकर सिसकी भरी, क्या मस्त चिकनी मलाई जैसी मुलायम कचौड़ी जैसी फूली हुई उसकी चूत की फाँकें देखकर पाजामे के अंदर मेरा लंड तन्कर खड़ा हो गया…!

साला क्या किस्मेत पाई है इस बुड्ढे ने, ये हुश्न की देवी जवानी से लदी फदि, इस कमिने दढ़ियल के नसीब में है…,

जैसे ही वो उस अधेड़ मर्द के लंड को पकड़ने के लिए आगे आई.., उसके रेशमी जिस्म का सबसे खूबसूरत हिस्सा.., उसकी जानमारू
मखमल से भी मुलायम उसकी गान्ड मेरी आँखों के सामने आगयि…!

वाह ! क्या मस्त खूब उभरी हुई उसकी गान्ड थी.., मानो पीछे दो मुरादावादी कलश उल्टे चिपका दिए हों.., कदम ताल के साथ उनकी थिरकन देख कर तो मेरा लॉडा ठुमके ही लगाने लगा…!

वो उस अधेड़ मर्द का मरियल सा लंड अपने हाथ में लेकर उसे मुठियाने लगी.., कुच्छ देर की कोशिश के बाद उसका अधखड़ा लंड तन
गया.., उस अधेड़ मर्द ने अपना शराब से भरा हुआ ग्लास एक ही साँस में खाली कर दिया और अपनी मूँछो पर ताव देते हुए बोला…!

आअहह.. रेशमा मेरी जान.., अब इसे अपने मूह तो ले मेरी कुतिया.., चल जल्दी कर रांड़.., ये कहते हुए उसने जबरन उसके कंधों पर दबाब
डालकर उसे वहीं फर्श पर बिठा दिया…!

वो भी किसी मजि हुई रंडी की तरह अपने पंजों पर बैठकर उसके लंड को चूसने लगी.., उस अधेड़ का लंड उसके मूह में जाते ही फूलने
लगा.., मज़े में उस आदमी की आँखें बंद होने लगी…!

वो रेशमा के सिर पर हाथ का दबाब बनाते हुए अपनी कमर को आगे पीछे करके उसके मूह को चोदने लगा…!

दो मिनिट भी नही हुए की वो एक लंबी सी हुंकार भरते हुए उसके मूह में ही झड गया.., झड़ने के साथ ही उसकी टाँगें भी जबाब दे गयी..,

कांपति टाँगों से वो धीरे धीरे उसके सामने ही बैठ गया और बैठने के साथ ही पीछे की तरफ फर्श पर लुढ़क भी गया…!

शराब के नशे और झड़ने की कमज़ोरी के कारण उसकी आँखें अपने आप बंद हो गयी…!

रेशमा उसे झकझोरते हुए बोली – शेरू डार्लिंग.. उठो.., ये क्या.. तुम तो सो गये.., अरे अब मे क्या करूँ..?

लेकिन उसकी सुनने के लिए अब शेरू नही था.., अब तो बस उसके खर्राटे ही सुनाई दे रहे थे..,

वो अपने बदन की आग में झुलस्ति हुई खड़ी हुई.., एक लात उसने उसके मुरझाए हुए लंड पर मारी और उसे गालियाँ बकती हुई बोली –
मादरचोद.., ठाकुर के चोदे…,

अपने आपको मर्द कहता है हिज़ड़ा कहीं का.., जब गान्ड में दम नही बचा है तो क्यों रखता है मेरी जैसी औरत को अपने साथ.., अब मे कहाँ जाउ.., क्या करूँ.., हाए अल्लाह ये मेरी चूत की आग अब कैसे बुझेगी.., ये मुआ तो सो गया…!

वासना की आग में जलती हुई वो इधर उधर देखने लगी.., कि शायद कहीं से कोई ऐसी चीज़ ही मिल जाए जिसे वो अपनी चूत में डालकर
पानी निकाल सके..!

तभी मेने झाड़ियों की आड़ से निकलते हुए कहा – मे कुच्छ मदद करूँ मोह्तर्मा..??

मेरी आवाज़ सुनते ही वो एकदम से उच्छल ही पड़ी.., मेरी ओर घूमते हुए उसने जैसे ही मुझे अपने सामने देखा, वो अपनी शर्म छुपाने के लिए फ़ौरन अपनी जगह पर बैठ गयी…!

मे चार कदम आगे बढ़कर उसके पास जा पहुँचा.., मुझे अपने पास देखकर वो बोली – क.क.क्कोन हो तुम.., और..और..यहाँ कैसे आगये..?

मे – तुम्हें आम खाने से मतलब, पेड़ गिनकर क्या करोगी…? तुम अपने बदन की आग में झुलस रही हो.., साधन सामने है.., जी भरकर
अपनी आग शांत कर्लो…!
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02-06-2020, 12:05 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
रेशमा – मुझे नही बुझानी कोई आग बाग…, तुम जाओ यहाँ से वरना शेरसिंघ के किसी आदमी ने तुम्हें यहाँ देख लिया तो अपनी जान से हाथ
धो बैठोगे…!

मे – शेर सिंग.., कॉन शेर सिंग..?

उसने उस अधेड़ की तरफ इशारा करते हुए कहा – ये शेर सिंग.., तुम शेर सिंग को नही जानते.., लगता है.., कहीं बाहर से आए हो..?

मे – हां मे यहाँ का नही हूँ.., अब सवाल जबाब में ही समय बर्बाद करोगी या अपनी प्यास बुझानी है.., और रही बात इस शेर सिंग की तो वो तो अब सुबह से पहले उठने वाला नही है.., उसे तो तुमने चुस्कर खाली कर दिया..!

रही बात इसके आदमियों के देख लेने की तो उसकी तुम बिल्कुल फिकर मत करो.., यहाँ जब तक ये तुम्हारे साथ है.., और कोई फटकेगा भी नही.., बोलो क्या कहती हो..?

ये कहते हुए मेने अपना पाजामा नीचे खिसका दिया.., जैसे ही उसकी नज़र मेरे खड़े लंड पर पड़ी.., उसकी आँखें हैरत से फटी रह गयी.., अपने मूह पर हाथ रखकर बोली…

हाए अल्लाह…, ऐसा लंड तो मेने पॉर्न फिल्मों में ही देखा है.., ये हक़ीकत में भी ऐसा होता है क्या..?

मे अपना लंड हाथ में लिए दो कदम और तय करके उसके ठीक उसके मूह के सामने खड़ा हो गया, वो अभी भी उसी स्थिति में बैठी थी.., मेने अपना लंड उसकी आँखों के सामने लहराते हुए कहा..

रेशमा डार्लिंग.., असली लंड तुम्हारी आँखों के सामने है.., पॉर्न फिल्मों में तगड़े लंड से लड़कियों को चुदते देखकर तो बहुत मज़ा लिया होगा
तुमने अपनी चूत सहलाते हुए..,

अब प्रॅक्टिकल करने का मौका है तुम्हारे पास.., मे तो यही कहूँगा इस मौके को हाथ से जाने मत दो…!

वैसे भी तुम कोन्सि इस बुड्ढे की पतिव्रता हो.., हो तो रखैल ही ना…!

रेशमा एक पल को तैश में आते हुए बोली – माइंड युवर लॅंग्वेज मिस्टर….?

गौरव रघुवंशी… मेने तपाक से अपना छद्म नाम बताते हुए कहा.. बंदे को इसी नाम से पुकारते हैं लोग.., क्यों मेने कुच्छ ग़लत कहा क्या.., तुम शेर सिंग की रखैल हो की नही…?

रेशमा – हां हूँ तो.., तुमसे मतलब ये मेरा जाती मसला है.., तुम कॉन होते हो मुझसे इस तरह बात करने वाले..?

वो भले ही उपरी मन से ये सब कह रही थी.., लेकिन उसकी ललचाई हुई नज़र अभी भी मेरे लंड पर ही टिकी हुई थी.., मेने उसकी प्यासी नज़रों को ताड़ते हुए कहा –

किसी ने सही ही कहा है.., साला चाइ से ज़्यादा केटली गरम होती है.., कोई बात नही तुम अपनी अधूरी प्यास के साथ यहाँ खुले में बैठकर
अपनी चूत में उंगली करके अपना पानी निकालो, मे चला अपने ठिकाने पर…,

इतना कहकर मे सचमुच अपना लंड पाजामा के अंदर डालकर वहाँ से जाने के लिए मूड गया…!

मे जानता था कि ये साली छिनाल अपनी अधूरी प्यास लेकर अब रात गुजारने से रही.., उपर से जब उसकी प्यासी चूत को मेरे हलब्बी लंड के दर्शन हो गये हों..

अभी मेने वहाँ से जाने के लिए अपने कदम बढ़ाए ही थे कि पीछे से उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया…!

आअहह…गौरव.., मेरे राजा.., इतने खूबसूरत लंड के दर्शन कराकर अब कहाँ जा रहे हो..? प्लीज़ मेरी बात का बुरा मत मानो.., मे तो.. मे तो बस ऐसे ही तुम्हें परख रही थी…!

मेने उसके हाथ अपने आगे से हटाए और पलटकर उसकी प्यासी आँखों में देखते हुए कहा – परख रही थी मतलब..?

रेशमा – मे देखना चाहती थी कि क्या तुम भी दूसरे मर्दों की तरह मौके का फ़ायदा उठना चाहते हो..? मेरे जैसी सुंदर औरत के साथ हर कोई यही करना चाहता है ना…!

मे – तुमने ग़लत समझा मेरी जान.., नो डाउट यू आर सो ब्यूटिफुल यंग लेडी.., कोई भी मर्द तुम्हें चोदने की कामना कर सकता है.., लेकिन
अपने भी कुच्छ अलग ही फन्डे हैं…,

मे हर काम.., ख़ासतौर से चूत प्यार से ही मारता हूँ.., वो भी अच्छी तरह से खूब दबाकर…!

वो मेरे लंड को पाजामा के उपर से ही मसलते हुए बोली – तो फिर देर किस बात की मेरे राजा.., अब तो चूत भी राज़ी है और चूत वाली भी.., दबा के मार लो..,

देखूं तो सही ये हलब्बी लंड वाकयि दमदार है या खाली बंदूक की तरह दिखावे का है… !

मेने उसके रसीले होठों पर अपनी रज़ामंदी की मुहर लगा दी और फिर उसे अपनी गोद में उठाकर कॉटेज के अंदर लेकर चल दिया…!!!
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02-06-2020, 12:05 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
उसने मुझे रास्ता दिखाते हुए एक शानदार बेडरूम में ला खड़ा किया जिसके बीचो-बीच एक बड़ा सा बेड पड़ा हुआ था.., मेने उसे लाकर बेड पर पटक दिया..,

एक दो जंप के साथ कमरे की दूधिया रोशनी में उसका शानदार नंगा बदन मेरे साने पलंग पर ठहर गया.., उसकी कंचन जैसी काया देख कर मुझसे सबर नही हुआ और मेने भी उसके उपर जंप लगा दी…!

उसके शानदार उरोजो को मसल्ते हुए मेने पुछा – ये शेर सिंग है कॉन..? यहाँ का ज़मींदार है..?

रेशमा सिहरते हुए बोली – सस्सिईइ… आअहह… प्लीज़ ये सवाल जबाब मत करो.., जो करना चाहते हो वो करो अब…!

मे जान तो चुका था ये वही शेर सिंग है जिसकी मुझे तलाश है.., मुझे बाइ चान्स रेशमा जैसी प्यासी औरत भी मिल गयी जो शायद इस बूढ़े शेर की जन्मपत्री भी जानती होगी..,

लेकिन शायद साली को अभी और गरम करना पड़ेगा जिससे ये मेरा लंड लेने की चाह में अपने आप तोते की तरह बोलने पर मजबूर हो जाए…!

मे – क्या मतलब जो करने आया हूँ वो करूँ.., इसका मतलब तुम अब भी ये समझ रही हो कि मे तुम्हारी चूत चोदने का भूखा हूँ…?

मे तो तुम्हें प्यासी देखकर तुम्हारी कुच्छ मदद करना चाहता था, अब तुम नही चाहती हो तो कोई बात नही.., इतना कहकर मे फिरसे जाने का नाटक करते हुए पलंग के नीचे को खिसकने लगा…!

वो फ़ौरन उठकर बैठ गयी.., मेरा हाथ पकड़े हुए उसने झटके से मुझे बिस्तर पर गिरा दिया और खुद मेरे उपर सवार होते हुए बोली – यार तुम बात बात पर जाने की धमकी क्यों देने लगते हो…?

मे अच्छी तरह से जानती हूँ, तुम मुझे चोदना चाहते हो.., और तुम भी ये अच्छी तरह से समझ रहे हो मे अब तुम्हें बिना मुझे चोदे जाने नही दूँगी…!

ये कहते हुए उसने मेरे पाजामे को खींचकर टाँगों से बाहर कर दिया और मेरे कड़ियल नाग को अपने दोनो हाथों में लेकर सहलाने लगी…!

उसके लंड सहलाने की कला से मेरा लॉडा और ज़्यादा कड़क होने लगा.., वो उसे उपर से नीचे तक सहलाते हुए अपने अंगूठे से मेरे नगन
सुपाडे को भी छेड़ देती…,

मेने जानबूझकर उत्तेजित होने का नाटक करते हुए कहा – सस्सिईई…. आअहह… रेशमा मेरी जान.., क्या जादू है तुम्हारे हाथों में…, ज़रा इसे अपने मूह में लेकर प्यार तो करो रानी..चूसो इसे… !
जबाब में वो नीचे से अपने जिस्म को मेरे कड़क लंड पर रगड़ते हुए मेरी टीशर्ट में हाथ फँसाकर उसे उपर करती हुई किसी इक्षाधारी नागिन की तरह उपर को सरकने लगी…!

पहले उसने मेरी टीशर्ट को मुझसे जुदा किया और फिर अपनी कड़क चुचियों को मेरी बालों से भारी चौड़ी छाती से मसाज देती हुई मेरे होठों को चूमने लगी…!

आअहह…तुम वाकाई में एक शानदार मर्द हो गौरव जो किसी भी औरत को अपने वश में करके उससे अपना मन चाहा काम करवा सकते हो..,

ये कहते हुए उसने अपनी गीली छूट को मेरे लंड के उपर दबा दिया और अपनी गान्ड हिलाने लगी…, मेरा लॉडा उसकी गीली चूत की मोटी-मोटी फांकों के बीच तैरने लगा….!

मेने पलटकर उसे अपने नीचे किया और खुद उसपर सवार होकर उसकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा – क्या खाक वश में कर सकता हूँ.., तुमने तो अभी तक मेरे एक सवाल का भी जबाब नही दिया…!

मेने उसकी चुचियों को कुच्छ ज़्यादा ही ज़ोर्से मसल दिया था.., सो वो मादक कराह भरते हुए बोली – आआहह…सस्सिईइ…ज़ोर्से नही..प्लीज़.., दर्द होता है..

वैसे तुम्हें शेर सिंग से क्या काम है.., हां वो यहाँ का ज़मींदार ही है.., उउउफफफ्फ़.. हाई चूसो इन्हें…, उउउफ़फ्फ़….. आअम्म्मि… मेरे उसकी चुचियों को पूरे मूह में भरकर चूस्ते ही वो अपनी एडियों को बिस्तर से रगड़ते हुए सिसकने लगी…!

फिर मे उसके पेट को चूमते हुए उसकी यौनी के पास आया.., जो अब गीली होकर उसके मोटे मोटे होठों पर उसका कामरस ओश की बूँदों की तरह चमकने लगा था…!

अपने एक हाथ को उसकी चूत पर बड़े प्यार से सहलाते हुए कहा – मेने सुना है.., ये तो बड़ा ख़तरनाक आदमी है.., तुम्हारा इसके साथ कैसा संबंध है..?

चूत सहलाते ही उसने अपनी जांघों को चौड़ा कर दिया.., मज़े के आलम में उसकी आँखें बंद होने लगी.., अपनी अधखुली आँखों से मुझे देखते हुए बोली – हाए आल्लाह.., अब जल्दी कुच्छ करो.. ना.., प्लीज़ बातें बाद में.. कर लेना..,

तभी मेने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भरकर दबा दिया.., ये एक ऐसी ट्रिक थी जिससे कैसी भी चुड़ैल औरत क्यों ना हो वो लंड लेने की
लिए बाबली हो उठेगी…!

चूत को मुट्ठी में भींचते ही वो उठकर दोहरी हो गयी.., और ज़बरदस्ती उसने मेरा मूह अपनी चूत पर दबा दिया…!

मेने भी इसमें कोई आना कानी नही की और उसकी चिकनी माल्लपुए जैसी छूट को अपने मूह में भरकर सुड़ाक दिया…!

उसकी कमर हवा में लहराने लगी.., सस्स्सिईइ… हाईए…आअलल्ल्लाहह… क्या गजब करते हो.., उउउफ़फ्फ़… आमम्मि…उउउन्नग्घ… चूसो… हान्न्न.. और ज़ोर्से…उउम्मन्न…
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02-06-2020, 12:05 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
मुझे लगा कि अब ये किसी भी क्षण अपना पानी फेंकने वाली है.., सो तभी मेने अपना मूह उसकी चूत से हटा लिया…!

अपने आपको आधे रास्ते पाकर वो किसी घायल शेरनी की तरह उठी.., बेचारी बहुत देर से अपने जिस्म की प्यास से जूझ रही थी..,

झपट कर मेरे कंधे पकड़े और मुझे नीचे गिराकर खुद मेरे उपर सवार हो गई…, मे उसकी ताक़त और फुर्ती देखकर दंग रह गया…!

देखते ही देखते रेशमा ने मेरा खूँटे जैसा कड़क लंड अपनी मुट्ठी में लिया और अपनी गीली चूत को उसकी सीध में लाकर उसके उपर बैठती चली गयी…!

हवस में आँधी कुतिया जोश जोश में 3/4 तक मेरा लंड अपनी चूत में ले गयी.., तब जाकर उसे एहसास हुआ कि ऐसे हलब्बी लंड से चुदना इतना आसान काम नही है…!

मेरी छाती पर हाथ टिकाए वो हाँफने लगी.., मेने उसकी चुचियों को मसल्ते हुए पुछा – रुक क्यों गयी मेरी जान.. अभी तो वाकी है…!

हाईए…अल्लाह.. पॉर्न मूवी में देखकर सोचती थी.., काश इतना बड़ा लंड लेने का मौका मिले तो मज़ा आजाए.., पर जब आज लिया है तो
खाला याद आगयि..

सच में बड़ा मस्त लंड है तुम्हारा.., ये कहकर उसने मेरे होठों को चूम लिया.., मे उसकी चुचियों को मसलता रहा.., कुच्छ देर रुक कर वो मेरे लंड पर उपर हुई..,

सुपाडे तक अपनी चूत की फांकों को लाकर उसने अपनी आँखें बंद की और अपना सारा वजन डालकर उसने एक बार में ही पूरा लंड अपनी सुरंग में ले लिया…!

उउफ़फ्फ़… साला मादरचोद कितना लंबा है.., मेरे पेट में ही घुस गया लगता है.. वो अपने पेडू पर हाथ फेरते हुए बोली…!

फिर कुच्छ देर ठहर कर उसने मेरे उपर धीरे धीरे उठना बैठना शुरू किया.., अब उसकी चूत कुच्छ ज़्यादा ही पानी छोड़ने लगी थी.., वैसे भी वो किनारे तक तो पहले ही पहुँच चुकी थी..,

उपर से इतने तगड़े लंड की खुदाई से वो जल्दी ही झड गयी.., और मेरे उपर पसार कर हाँफने लगी.., मेने उसे उठाया नही.., बल्कि उसकी
गान्ड के छेद को उंगली से कुरेदने लगा…!

नीचे से ही मेने उसके मतवाले चुतड़ों पर टेबल की थाप दी.., उसके आँखें खोलते ही मेने उसे अपने बगल में पलट दिया…!

मेरे लंड के बाहर आते ही उसकी चूत का कामरस रिस रिस्कर बाहर आने लगा..,

मेने उसी समय उसकी झड़ी हुई चूत में अपनी दो उंगलियाँ डालकर उसके कामरस को निकालकर उंगलियों को उसके मूह में डाल दिया…!

वो अपना ही रस चुस्कर मस्त हो गयी.., तभी मेने अपना कड़क उसके रस से सना हुआ लंड उसकी चूत के मुहाने पर रखकर दबा दिया…!

सस्सिईइ….हाईए अल्लाह…कितना गरम है ये मुआ…, डाल्लू ईससी…हाए.. अम्मि… कितना मोटाआ.. है.., मेरे दबाते ही वो सिसकने लगी…!

एक चौथाई लंड अंदर करके मे वहीं ठहर गया.., वो मुझे देखने लगी.., मानो पुच्छ रही हो अब क्यों रुके…?

क्या सच में बहुत ख़तरनाक है ये शेर सिंग..? मेने अपना पुराना सवाल फिर से दाग दिया…!

तुम आदमी हो या कोई इक्षाधारी नाग.., मेरे लंड रोक कर स्वाल पुच्छने पर वो बोली – मे एक बार झडा दी.., कब्से ये फंफना रहा है.., फिर
भी तुम्हें इसे खाली करने की जल्दी नही है…?

मे - हूँ तो सामान्य इंसान ही.., लेकिन मेरा लॉडा ज़रूर मेरे वश में है.., बोलो ना.. मुझे ऐसे ही किसी ख़तरनाक गॅंग्स्टर की तलाश है…!

रेशमा – क्यों..? तुम कोई पोलीस वाले तो नही.., जो इतना पीछे पड़े हो ये जानने कि ये वोही शेर सिंग है या कोई और…?

मेने अपना लंड उसकी चूत में पेलते हुए कहा – नही मे कोई पोलीस वाला नही.., मे दरअसल इसी लाइन का आदमी हूँ.., अपने एरिया से
तडिपार हूँ, इधर इसका नाम सुना तो चला आया कि चलो कुच्छ दिन ऐसे ही गॅंग के साथ काम कर लेते हैं…!

रेशमा मेरे पूरे लंड को अपने अंदर लेते ही कराह कर बोली – आअहह… फिर तो तुम एकदम सही जगह पर आए हो.., चिंता मत करो..,
पहले अपनी इस मॅगज़ीन को मेरे अंदर खाली करो.. फिर बात करते हैं…, ओके डार्लिंग…!

इतना कहकर उसने मेरे होठों को चूम लिया.., और मेने भी मुस्करा कर अपनी पिस्टन को उसके सिलिंडर में गति देना शुरू कर दिया…!

मेरी मॅगज़ीन खाली होने तक रेशमा दो बार और झड गयी.., अब हम दोनो एक दूसरे की बाहों में पड़े सुस्ता रहे थे…!
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