Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
02-05-2020, 12:53 PM,
#61
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
मुझे देखते ही सब खुश हो गये, मोहिनी भाभी मेरी टाँग खींचते हुए बोली…

लो जी.. आ गये देवर राजा.. बड़े आटिट्यूड वाले हैं.. भाभी बेचारी कब से इंतेज़ार में हैं.. कि उनके प्यारे, दुलारे, जगत से न्यारे देवर जी आएँ तो वो उन्हें लाड करें..

मेने हँसते हुए.. पीछे से उनके गले में बाहें डाल दी और बोला – क्या
भाभी.. मुझे आपसे ये उम्मीद नही थी… आप मेरी ही टाँग खींचने लगी..

वो हँसते हुए बोली – अरे मेरे प्यारे देवर्जी.. यहाँ सब कब्से तुम्हारा इंतेज़ार कर रहे हैं… और तुम हो कि अभी तक सोए पड़े थे…

खैर चलो… आज आपकी छोटी भाभी का नंबर है लाड करने का.. बड़ी से तो बहुत लाड ले लिया.. जाओ जाकर उनकी गोद में बैठो..

फिर मेरे कान में फुसफुसा कर बोली – लल्ला नयी भाभी पर कोई रहम मत करना… पूरा वजन रख कर बैठना आराम से…

मे मुस्कराते हुए कामिनी भाभी के आगे अपने घुटने टेक कर बैठ गया… और उनके चिन को उठा कर फेस अपनी तरफ कर के बोला –

भाभी बिना देवर की ओर देखे ही लाड करोगी…?

उन्होने मुझे एक बार भरपूर नज़र डालकर देखा… एक सुर्ख लाल जोड़े में वो इस समय बहुत सुंदर लगा रही थी…कुछ – 2 इस तरह की छवि…..
एक दम चाँद का टुकड़ा… होंठों पर सुर्ख लिपीसटिक.. गोरे-2 गाल, हल्की सी लाली लिए..

लेकिन मेकप के बाद भी उनके एक गाल पर कुछ निशान सा था…

उन्होने अपनी प्यारी सी मीठी सी आवाज़ में कहा – देवर जी आइए ना मेरी गोद में बैठिए…

मे – आप मुझे झेल पाएँगी….…?

मेरी बात पर सभी हँसने लगे…और कामिनी भाभी ने शर्म से नज़र झुका ली…

मेने बुआ से पूछा – मेरी बात पर आप सभी लोग हंस क्यों रहे हो…?

बुआ – वो तेरे बड़े भाई को झेल चुकी है, तुझे झेलने में क्या तकलीफ़ होगी…इस बात पर बुआ समेत सभी ज़ोर-2 से हँसने लगे….!

मेने झेन्प्ते हुए कहा – अरे मे तो अपने वजन की बात कर रहा था….!

कामिनी भाभी – कोशिश करूँगी…, आप बैठिए..!

मे अपनी तशरीफ़ लेकर उनकी गोद में बैठने लगा.. मेने धीरे-2 कर के अपना सारा वजन उनकी जांघों पर डाल दिया….

उनकी मांसल जांघों का स्पर्श अपने कुल्हों पर फील होते ही मेरा पप्पू जीन्स में कुलबुलाने लगा..

उन्होने मेरे गालों पर हाथ फेर्कर प्यार से सहलाया और फिर अपने लिपीसटिक से पतले होंठ रख कर दोनो तरफ चूम लिया… लिपीसटिक के निशान मेरे दोनो गालों पर छप गये…

मेने उनके कान में फुसफुसा कर कहा… भाभी में भी आपके गालों पर किस करना चाहता हूँ…

वो मेरी बात सुनकर शरमा गयी.. मेने कहा.. बोलिए ना भाभी.. प्लीज़ एक बार बस…

वो – अपने भैया से पुच्छ लीजिए… ना..

मेने भैया से कहा – भैया.. मे भाभी को किस करना चाहता हूँ.. अगर आप इज़ाज़त दें तो..

वो बोले – अरे यार ! आज तुम भाभी देवर के बीच कोई कुछ नही बोलेगा… तुम दोनो आपस में ही डिसाइड करो भाई…

मेने भाभी की तरफ देखा.. उन्होने मौन स्वीकृति देदि… फिर मेने भाभी के दोनो गालों का चुंबन लिया और फुसफुसाया..

भाभी लगता है भैया ने आपको रात बहुत ज़ोर से काटा है.. निशान अभी तक है..

शर्म से उनकी गर्दन झुक गयी… मे अभी उनकी गोद से उठने की सोच ही रहा था कि चाची बोली पड़ी…

लल्ला ! भाभी की गोद से बिना नेग लिए मत उठना…

वाउ ! ये तो डबल धमाका हो गया… ! हां तो भाभी क्या देंगी.. अपने देवर को..?

वो – जो भी चाहिए माँग लो..!

मे – तो ठीक है… मुझे एक सॅमसंग का स्मार्ट फोन चाहिए… (जो उस समय नया लॉंच हुआ था मार्केट में)…

वो – ठीक है… जब आप गौने के लिए आओगे… आपका फोन आपको मिल जाएगा…

मेने एग्ज़ाइट्मेंट में भाभी के गालों को फिर से चूम लिया और उन्हें थॅंक्स बोलकर गोद से उठ गया……………!

दूसरे दिन शांति बुआ को अपने घर वापस जाना था, सुबह ही सुबह वो तैयार होने में लगी थी.. मे जब जाग के आया तब तक वो जाने के लिए तैयार खड़ी थी…

मेने बुआ को स्माइल किया… और उनके पैर छूते हुए कहा… क्यों बुआ ! कल रात मज़ा आया..

वो भी मुस्कराते हुए बोली – बहुत मस्त चोदता है तू… कभी आना मेरे घर.. तब देखूँगी.. तुझ में कितना दम खम है…

और हँसते हुए उन्होने मुझे अपने गले से लगा लिया…, बुआ के खरबूजों ने मेरे सोए हुए शेर पर फिर अटॅक कर दिया…

मेने उनके कान में कहा.. ज़रूर आउन्गा बुआ… आपका चॅलेंज मुझे मंजूर है… मेरी हॉट डार्लिंग बुआ…..

बीते एक हफ्ते में निशा ने मेरे दिल पर इस कदर कब्जा कर लिया था कि मुझे उठते-बैठते, सोते-जागते बस उसी के ख्याल आते रहते…

बुआ के जाते ही मे फिर उसके ख़यालों में खोने लगा…

भाभी मेरी हालत से अन्भिग्य नही थी, लेकिन घर की भीड़-भाड़ के चलते वो भी कुछ नही कर सकती थी…

धीरे-2 एक-एक कर के रिस्तेदार विदा होने लगे.. भाभी ने निशा को और कुछ दिनो के लिए रोक लिया था… उनका भाई राजेश अपने घर लौट गया था…

बड़ी बुआ भी जा चुकी थी.., एक हफ्ते बाद कामिनी भाभी भी पहली बार विदा होकर अपने घर चली गयी.. और दोनो भाई अपनी ड्यूटी पर लौट गये…

एक दिन मे छोटी चाची के यहाँ उनके आँगन में पड़ी चारपाई पर लेटा था, चाची सिरहने की तरफ पलटी लगाए बैठी थी, मेरा सर उनकी गोद में रखा हुआ था…

मेने चाची के खर्बूजों को दबा कर कहा – आअहह.. चाची ये तो और ज़्यादा फूल कर गुदगूदे होते जा रहे हैं…

वो – हां लल्ला.. अब इनमें दूध भी तो बनेगा ना… बच्चे के लिए.. जैसे-2 दिन नज़दीक आते जाएँगे वैसे-2 इनमें दूध आता जाएगा…

मेने एक चुचि को मसल्ते हुए कहा – तो अभी चूस कर देखूं क्या.. दूध निकलेगा इनमें से..?

वो – नही लल्ला, अभी नही, वो तो बच्चे के जन्म के बाद ही आएगा…! लेकिन लल्ला.. अब मेरा मान बहुत करता है वो करने का… प्लीज़ कुछ करो ना.. !

मे – मुझे कोई प्राब्लम नही है चाची.. आप कहो तो अभी अंदर चलते हैं…?

वो- नही अभी नही.. एक काम करना, कल कॉलेज से जल्दी सीधे यहीं आ जाना..

मेने हां बोलके एक बार और उनके चुचे मसल दिए… उनके मुँह से आहह..
निकल गयी… जबाब में उन्होने मेरे लंड को पकड़ कर मरोड़ दिया….!

आययईीीई…क्या करती हो चाची… उखाड़ोगी क्या..? मेने सिसकते हुए कहा…

वो हँसते हुए बोली – जब तुमने मेरी चुचि मसली थी, तो कुछ नही, अब अपनी बारी आई तो चिल्लाने लगे…

अभी हम आगे कुछ और करते, कि दरवाजे पर किसी के आने की आहट सुनाई दी…

मे उनकी गोद से उठ कर बैठ गया.. सामने देखा तो निशा, रूचि को गोद में लिए खड़ी थी..
Reply
02-05-2020, 12:53 PM,
#62
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
मे उनकी गोद से उठ कर बैठ गया.. सामने देखा तो निशा, रूचि को गोद में लिए खड़ी थी..

चाची – आओ निशा ! अंदर आओ, वहाँ क्यों खड़ी रह गयी… ?

वो हमारे पास तक आई.. मे भी चारपाई से खड़ा हो गया और रूचि के गाल पर किस करने के लिए अपने होंठ आगे किए…

मे जैसे ही उसको किस करने वाला था कि रूचि ने अपना सर पीछे हटा लिया.. और मेरे होंठ निशा के गाल पर जा टिके…
रूचि ताली बजाते हुए हँसने लगी और चिल्ला कर बोली … दादी देखो ! चाचू ने मौसी को क़िस्सी कर दी…ओहोहो… ! चाचू ने मौसी को क़िस्सी करदी…!

उसके साथ चाची भी हँसने लगी… और हम दोनो झेंप गये.. मेने उसे सॉरी बोला…
वो रूचि को झूठा गुस्सा दिखा कर बोली – रूचि ! तू बहुत शैतानी करती है..

ठहर अभी तेरी पिटाई करती हूँ….

रूचि उसकी गोद से उतार कर मेरी गोद में आ गयी.. और मेरे गले से लिपट गयी…!

रूचि के गाल पर एक पप्पी कर के मेने उसे चाची के पास चारपाई पर बिठा दिया………

चाची बोली – तुम दोनो बैठो, मे ज़रा गाय-भैंस को चारा डाल कर आती हूँ..

और वो बहाना कर के वहाँ से चली गयी.. मेने कहा, निशा जी बैठिए ना.. !

वो – नही मे ऐसे ही ठीक हूँ.. आप बैठिए..

फिर बोली – आप मुझे निशा जी क्यों बुलाते हैं..? खाली निशा बोला कीजिए ना प्लीज़…!

मे – आपको अच्छा लगेगा..?.. तो उसने कहा – हां ! और हो सके तो ये आप की वजाय तुम कहो तो मुझे और ज़्यादा अच्छा लगेगा..

मे – ठीक है, जैसा तुम कहो… वैसे निशा ! तुमने मेरी बात का अभी तक कोई जबाब नही दिया…?

वो – कॉन सी बात का..?

मे – मेने उस दिन कहा था.. ना ! कि मे तुम्हें पसंद करने लगा हूँ.. क्या तुम भी मुझे पसंद करती हो..?

वो बिना कोई जबाब दिए मेरी तरफ देखने लगी.. पता नही कैसा जादू था उसकी आँखों में की मे उसकी आँखों डूबने लगता था……!

कुछ देर बाद उसने अपनी पलकें झुका ली.. लेकिन कोई जबाब नही दिया.. मेने उसके हाथ अपने हाथों में ले लिए और फिरसे अपना सवाल दोहराया, बताओ ना प्लीज़…!

वो – अगर मे ना कहूँ तो आप मान लेंगे कि मे आपको पसंद नही करती..…?

मे – फिर भी मे तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ…!

वो – सच कहूँ… तो मे आपको पहली नज़र से ही चाहने लगी थी, तब मुझे आपके बारे में ये भी पता नही था.. कि आप कॉन हो…?

मे – सच..! तुम सच कह रही हो..? ओह निशा… आइ लव यू… ये कहकर मेने उसे अपनी बाहों में भर लिया…

वो – आइ लव यू टू अंकुश जी… मे भी आपसे प्यार करने लगी हूँ.. लेकिन अभी छोड़िए प्लीज़ … चाची आ गयी तो क्या सोचेंगी..

मेने उसे अपने सीने से लगाकर कहा – तुम चाची की चिंता मत करो जान… वो कुछ भी नही कहेंगी…

तुम नही जानती तुमने मुझे कितनी बड़ी खुशी दे दी है… ये कहकर मेने उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसके पतले-2 रसीले होंठों को चूम लिया…

वो बुरी तरह से शरमा गयी, उसका शरीर थर-थर काँपने लगा, साँसें भारी होने लगी…

रूचि फिर ताली बजकर चिल्लाई… ओहो ! चाचू ने फिर मौसी की क़िस्सी कर दी…!

रूचि की आवाज़ सुनकर हम दोनो अलग हो गये…
Reply
02-05-2020, 12:54 PM,
#63
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
निशा रूचि को थप्पड़ दिखाते हुए बोली – ठहर शैतान.. अभी बताती हूँ तुझे…

और फिर मुस्कराते हुए प्यार से उसने रूचि को अपनी बाहों में समेट लिया,
उसके गाल पर एक प्यार भरा किस कर के मेरी ओर देखकर वो मुस्काराई, और उसे गोद में लेकर खिल-खिलाती हुई घर की तरफ भाग गयी…

मे मन ही मन मुस्करता हुआ, उसे जाते हुए देखता रहा………!

रात को खाना खाते समय भाभी ने कहा – लल्ला जी… कल निशा को छोड़ आना.. अब बहुत दिन हो गये उसको यहाँ… घरवाले खम्खा परेशान हो रहे होंगे…

मेरी तो ये सुन कर साँस ही अटक गयी.., खाना गले में अटक गया.., मुझे खाँसी का ठन्स्का सा लग गया…

भाभी – क्या हुआ… अच्छे से खाना खाओ.. इतनी भी क्या जल्दी है…ये कहकर मुझे पानी का ग्लास पकड़ा दिया…

मेने चोर नज़रों से निशा की तरफ देखा, वो भी भाभी की बात सुन कुछ दुखी सी लग रही थी…

मे – ऐसी भी क्या ज़रूरत आन पड़ी एकदम से भाभी.. मुझे कल कॉलेज भी जाना ज़रूरी है.. कोर्स बहुत पिछड़ गया है भैया की शादी के चक्कर में….!

भाभी – तो कोई बात नही कॉलेज से लौट कर छोड़ आना.. अब सारी जिंदगी ये यहाँ तो नही रह सकती ना.., वैसे भी तुम्हारी बुलेट रानी के लिए है ही कितना दूर..

मे – ठीक है.. फिर दोपहर के बाद ही निकल पाएँगे…

अब साला चाची से भी कल का वादा किया है, तो वो भी निभाना तो पड़ेगा वरना वो बुरा मान जाएँगी..…,

मेने अकेले में भाभी को ये बात बताई.. तो वो बोली – कोई बात नही, मॅनेज कर लेना…

शाम को थोड़ा लेट चले जाना और रात वहीं रुक जाना.. मेने कहा – वैसे भाभी इतना भी अर्जेंट नही है.. निशा का जाना.. और कुछ दिन रहने दो ना.. !

वो मेरी तरफ गहरी नज़रों से देखते हुए बोली – तुम उसको रोकने के लिए इतना प्रेशर क्यों डाल रहे हो…? बात क्या है..? कुछ लफडा लगता है..क्यों..?

मे नज़र नीची कर के बोला – नही भाभी ऐसा वैसा कुछ नही, बस मे तो यूँही कह रहा था… !

वो – अच्छा वो सब छोड़ो.. अब मुझे सच..सच जबाब देना.. जो मे पुच्छू उसका..

मे – हां ! पुछिये…

वो – तुम्हें निशा कैसी लगती है..?

मे – अच्छी है, सुन्दर है.. इसमें छिपाने जैसा क्या है.. जो सच है सो है..

वो – तुम उसे पसंद भी करते हो…

उनके इस सवाल पर में गड़बड़ा गया… जल्दी से कोई जबाब नही दे सका.. तो नज़र अपने आप झुक गयी…

मेरी ओर से कोई जबाब ना पाकर वो फिर बोली – वो भी तुम्हें पसंद करती है..?

मेने अपनी नज़र ऊपर की और उनकी ओर देखने लगा… मुझे अपनी ओर देखते हुए पाकर वो बोली –

लल्ला ! मे तुम दोनो के बारे में सब जानती हूँ, और इसलिए उसे यहाँ से भेज रही हूँ…. जिससे तुम दोनो कहीं बहक ना जाओ, और समय से पहले कुछ ऐसा हो जो नही होना चाहिए…

मे तुम दोनो से नाराज़ नही हूँ.. बल्कि मे तो खुद चाहती हूँ.. कि आगे चल कर तुम दोनो एक हो जाओ..

निशा के लिए तुमसे अच्छा जीवन साथी और कोई हो ही नही सकता.. लेकिन रिश्तों की कुछ मर्यादाएँ होती हैं, जिन्हें हमें निभाना पड़ता है..!

मे मुँह बाए, बस उनके चेहरे को ही देखता रहा.. उनके चेहरे पर किसी भी तरह के कोई भाव नही थे… जस्ट चिल…

मे भाभी के गले से लग गया… मेरी आँखों से दो बूँद आँसुओं की निकल पड़ी और मेने रुँधे गले से कहा-

सच में आप मेरे लिए भगवान का रूप हो भाभी… हम दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करने लगे हैं.. और अब एक दूसरे के बिना रहने की कल्पना भी नही कर सकते…

वो – लेकिन कुछ साल तो तुम दोनो को इंतेज़ार करना पड़ेगा… लेकिन ये मेरा वादा है तुमसे.. कि चाहे जो भी हो, मे तुम दोनो को मिलाकर ही रहूंगी…

अब तुम जाओ.. और बिना किसी शक-सुवह के सो जाओ… कल बहुत मेहनत करनी है.. ये खाकर मेरे गाल पकड़ कर हँसने लगी…

मेने एक बार भाभी के गालों पर किस किया और सोने चला गया..
Reply
02-05-2020, 12:54 PM,
#64
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
दूसरे दिन कॉलेज में दो घंटे बिताने के बाद में जल्दी घर आ गया और सीधा छोटी चाची के पास पहुँच गया…
चाची अभी -अभी नहा कर चुकी थी, मेरे आवाज़ देने पर उन्होने गेट खोला, तो देखा वो उसी अंदाज में अपना पेटिकोट चुचियों पर चढ़ाए हुए थी..

गेट खोल कर वो अपने कमरे की तरफ चल दी.. मेने भी फटाफट दरवाजा बंद किया और उनकी मटकती गान्ड का पीछा करते हुए उनके कमरे में आ गया…

उनकी मटकती गान्ड के सीन ने मेरे लंड को खड़ा कर दिया…

चाची ने अभी तक अपना बदन भी नही पोंच्छा था… पानी की बूँदें किसी मोती के दानों की तरह उनके गोरे मादक बदन पर चमक रही थी…

अंदर जाकर वो पालग पर पड़े अपने कपड़े उठाने ही वाली थी, कि मेने पीछे से उनकी गान्ड में अपना लंड सटा दिया… और कमर में बाहों का लपेटा डालकर उनके बदन से पानी की बूँदों को चाटने लगा…

चाची कपड़े पहनना भूल गयी और अपनी आँखें मीन्चे आनंद के सागर में गोते लगाने लगी…

उनके हाथ से पेटिकोट भी छूट गया… और अब वो उनके पैरों में पड़ा अपनी गुस्ताख़ी की भीख माँग रहा था…

हाल ही में नाहया हुआ बदन, जो दिसंबर की सर्दी में और ज़्यादा ठंडा हो गया था… मेरे शरीर की गर्मी से गरमाने लगा…

मेने अपना पॅंट खोल दिया और फ्रेंची से अपना गरमा-गरम लंड निकाल कर चाची की मदमस्त ठंडी-2 गान्ड से रगड़ दिया…

अहह…………मेरे……….लल्लाआअ……..रजाआाआआ……
कितना गरम है.. तुम्हारा तो…

चाची ! मेने थोड़े बनावटी गुस्से से कहा – ये तुम्हारा.. मेरा… क्या..कहती रहती हो… सीधे-2 नाम नही ले सकती… जाओ .. रखलो अपनी धर्मशाला… मुझे नही चाहिए…

इतना बोल कर मे अलग हो गया और अपना पॅंट उठा लिया…..

अरे…मेरे राजा…मुन्ना….नाराज़ हो गया… चाची ने मेरा लंड अपनी मुट्ठी में लेकर कहा – तुम्हारा ये लंड महाराज कितना गरम है.. लो अब ठीक है..

ऐसे नाराज़ ना हुआ करो मेरे होनेवाले बच्चे के पापा… मुझे ऐसे शब्द बोलने में थोड़ी झिझक लगती है.. पहले कभी बोले नही ना इसलिए… आगे से ख्याल रखूँगी…

मेने चाची के होंठ अपने मुँह में भर लिए और उन्हें चूसने लगा…

चाची भी मेरा साथ देने लगी, और साथ-साथ मेरा लंड भी मसल्ति जा रही थी…

मेने चाची की चूत में अपनी दो उंगलियाँ डाल दी और उन्हें अंदर बाहर करके चोदने लगा…

चाची की आँखे लाल होने लगी… वासना की खुमारी उनके सर चढ़ने लगी.. और उनकी चूत गीली हो गयी…

अब मेने उनकी चुचि को दबाते हुए कहा – अह्ह्ह्ह…चाची आपकी ये चुचियाँ कितनी मस्त हो गयी हैं…जी करता है चूस्ता ही रहूं…

तो चूसो ना रजाआ….आअहह…हान्न्न….और ज़ोर से…. खाजाओ… बहुत परेशान करती हैं… काटो…आहह….ज़ोर से नहियीईईईईईई….

मेने चूस-चूस कर उनकी चुचियों को लाल कर दिया… उत्तेजना में कयि जगह दाँत से काट भी लिया… जिससे खून झलकने लगा था….

सॉरी चाची ! मेने आपको काट लिया….

कोई बात नही … मुझे दर्द नही हुआ….

अब हम दोनो से ही और इंतेज़ार करना मुश्किल हो रहा था… सो मेने चाची को लिटा दिया… और उनकी चूत को हाथ से सहला कर चूम लिया… उनकी टाँगें मेरे लंड के स्वागत में खुल गयी…

चाची का पेट अब थोड़ा सा उभर आया था, जिससे उनकी नाभि का गड्ढा थोड़ा कम गहरा हो गया था…

एक बार मेने उनके उभरे हुए पेट को चूमा और अपना मूसल उनकी रसीली गागर के मुँह से अड़ा कर अंदर डाल दिया….

अहह………..आराम से करना…. लल्ला… तुम्हारे बच्चे को चोट ना लग जाए… नही तो कहेगा… कैसा निर्दयी बाप है.. पेट में भी मारता है…

मेने धीरे-2 धक्के लगाकर उनकी चुदाई करने लगा… आजकल उनकी चूत मेरे लंड को कुछ ज़्यादा ही जाकड़ लेती थी… जिससे हम दोनो को ही बहुत मज़ा आता…

एक बार झड़ने के बाद मेने चाची को घोड़ी बना दिया… और उनकी गान्ड को चाटते हुए कहा…

चाची ! आपकी गान्ड कितनी मस्त है… इसमें एक बार लंड डालके देखें..?

वो – नही लल्ला ! दर्द होगा..

मे – प्लीज़ चाची ! कई दिनो से मन था मेरा लेकिन कहा नही… पर आज मान नही मान रहा… प्लीज़ तोड़ा देखें तो सही.. कैसा लगता है…

वो – तुम भी ना लल्ला… बहुत जिद्दी हो… ! अच्छा वहाँ से तेल की शीशी ले लो और अच्छे से सुराख और अपने लंड पे लगाके तब डालना…

मेने फ़ौरन हेर आयिल की शीशी ली.. थोडा चाची की गान्ड के छेद पर डाला और उंगली से उसे अंदर तक चिकना कर दिया…

फिर अपने लंड पर चुपडा… और उनकी गान्ड के भारी-2 पाटों को अलग कर के उनके छेद पर टिका दिया…..

गान्ड के छेद पर लंड का अहसास होते ही चाची की गान्ड का छेद खुलने-बंद होने लगा…

मेने बॉटल से दो बूँद तेल की और टपका दी… और इस बार अपनी दो उंगलियाँ एक साथ अंदर डाल दी, चाची ने चिहुन्क कर अपनी गान्ड के छेद को सिकोड कर मेरी उंगलियों पर कस लिया…..

हइई… लल्ला… क्या करते हो… मेरी गान्ड चटख रही है…

मेने उनकी गान्ड पर दूसरे हाथ से चपत मार कर कहा – ऐसे गान्ड भींचोगी तो चट्केगी ही ना, इसको थोड़ा ढीला छोड़ो…

मेरी बात मानकर चाची ने अपनी गान्ड को थोड़ा ढीला कर लिया, अब मेरी दोनो उंगलियाँ आराम से अंदर तक पहुँच पा रही थी…

उनकी गान्ड का छेद अब थोड़ा सा खुल गया था, मेने उंगलियाँ बाहर निकाल कर दो बूँद तेल और डाला और उसे उंगली से अंदर कर के अपने लंड को उसके छेद पर फिर से रख दिया…

एक हल्के से धक्के के साथ मेरा पूरा सुपाडा गान्ड के अंदर जाकर फिट हो गया..….
लल्ला…. थोड़ा धीरे करो… मेरी गान्ड फट रही है…हाईए… बस करो…

मेने चाची की चौड़ी चकली पीठ को चूमते हुए उनकी चुचियों को थाम लिया और ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा..

चाची की गान्ड में लंड की चुभन कुछ कम होने लगी तो मेने और थोड़ा पुश किया… और आधा लंड अंदर कर दिया..
हइई…लल्लाअ … लगता है आज नही छोड़ोगे… मुझे…अरे मारीी…उफफफफफ्फ़..

अब मेने अपने एक हाथ को उनकी कमर की साइड से नीचे ले जाकर उनकी चूत को सहला दिया और अपनी दो उंगलियाँ चूत के अंदर कर के उसे चोदने लगा…
Reply
02-05-2020, 12:54 PM,
#65
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
अब मेने अपने एक हाथ को उनकी कमर की साइड से नीचे ले जाकर उनकी चूत को सहला दिया और अपनी दो उंगलियाँ चूत के अंदर कर के उसे चोदने लगा…

चूत की सुरसूराहट में चाची अपनी गान्ड का दर्द भूल गयी… और सिसकियाँ…भरने लगी…

मौका देख कर मेने एक और धक्का मार दिया और मेरा पूरा लंड गान्ड की सुरंग में खो गया…

वो दर्द से कराह उठी.. तकिये में मुँह देकर बेडशीट को मुत्ठियों में कस लिया…

लेकिन मेने अपनी उंगलियों से उनकी चूत चोदना जारी रखा.. और धीरे-2 कर के गान्ड में लंड अंदर – बाहर करने लगा…

चाची के दोनो छेदो में सुरसुरी बढ़ने लगी और वो अब मस्ती से आकर गान्ड मरवाने लगी…

चूत से उंगलियाँ बाहर निकाल कर उनकी गान्ड पर थपकी देते हुए धक्के लगाने में मुझे असीम आनंद आ रहा था….

चाची भी भरपूर मज़ा लेते हुए अब अपनी गान्ड को मेरे लंड पर पटक रही थी,
जब उनकी मोटी गधि जैसी गान्ड मेरी जांघों से टकराती, तो एक मस्त ठप्प जैसी आवाज़ निकलती… मानो कोई टेबल पर थाप दे रहा हो…

10 मिनिट तक उनकी गान्ड मारने के बाद मेरा पानी उनकी गान्ड में भर गया.. और हम दोनो ही पस्त होकर बिस्तर पर लेट गये…

5 मिनिट के बाद मेने चाची की चुचि को सहलाते हुए पूछा – चाची ! गान्ड मारने में मज़ा आया कि नही…

वो – शुरू में तो लगा कि मेरी गान्ड फट गयी.. बहुत दर्द हुआ .. लेकिन बाद में मज़ा भी खूब आया… लेकिन आहह…. अब फिर से दर्द हो रहा है…माआ…

पर तुम चिंता मत करो , कुछ देर में ठीक हो जाएगा… तुम बताओ.. तुम्हें मज़ा आया या नही…

मे – मुझे तो बहुत मज़ा आया… लेकिन लगता है चाची.. ये तरीक़ा सही नही है..
वो तो आपकी गान्ड ऐसी मस्त है कि मे अपने आप को रोक नही पाया वरना कभी नही मारता…

वो – कोई बात नही… मेरे राजा… तुम्हारे लिए तो मेरी जान भी हाज़िर है.. ये निगोडी गान्ड क्या चीज़ है…

चाची अब खुल कर गान्ड, लंड, चूत बोलने लगी थी…
मे अपने कपड़े पहन कर घर आया, आज अपनी जान निशा को जो चोदने जाना था…
आकर फ्रेश हुआ… खाना खाया और उसके गाओं जाने की तैयारी में जुट गया…

निशा का मान नही था जाने का, लेकिन भाभी का आदेश था, जाना तो पड़ेगा ही..

भाभी का गाओं कोई 30-35 किमी ही दूर था हमारे यहाँ से, सिंगल रोड था.. पूराना सा.. लेकिन वहाँ ज़्यादा नही चलते थे..

रोड खराब होने के कारण थोड़ा जल्दी निकलना था जिससे दिन के उजाले में ही पहुँच जायें तो ज़्यादा अच्छा था.. वैसे तो ज़्यादा से ज़्यादा 1 घंटा ही लगना था..

हम दोनो को निकलते-2 सबसे मिलते मिलते.. 5 बज गये.. ठंडी के दिन थे.. 5 बजे से ही दिन ढालने लगता था…

एक दूसरे से अपने प्रेम का इज़हार करने के बाद भी निशा मेरे साथ खुल नही पा रही थी… बाइक पर भी वो मुझसे दूरी बनाए हुए बैठी थी…

मेने गाओं निकलते ही कहा – निशा इतना दूर क्यों बैठी हो जैसे मे कोई पराया हूँ..

वो – ऐसा क्यों बोलते हो जानू…! बस मुझे शर्म आती है… और कोई बात नही..

मे – मुझसे अब कैसी शर्म…? अब तो हम दोनो प्रेमी हैं ना !

वो – फिर भी मुझे शर्म आती है… , मे चुप हो गया, और गाड़ी दौड़ा दी…

अचानक से सड़क में एक गड्ढा आया, मेने एकदम से ब्रेक लगाए… बुलेट की पिच्छली सीट थोड़ी उँची सी होती है.. ड्राइवर सीट से…

सो ब्रेक लगते ही वो सरकती हुई मेरी पीठ से चिपक गयी.. और डर के मारे मेरे सीने में अपनी बाहें लपेट कर चीख पड़ी…

मे – क्या हुआ डार्लिंग ?

वो – आराम से नही चला सकते..?

मे – आराम से चलाने का समय नही है मेरी जान…! रोड खराब है… लेट हो गये तो रात में इन खद्डो में वैसे भी मुश्किल होगी.. तुम ऐसे ही बैठी रहो ना.. क्या दिक्कत है..

वो हूंम्म.. कर के मुझे कस के पकड़ कर बैठ गयी… मे बीच-2 मे ब्रेक मार देता तो वो और ज़्यादा चिपक जाती…

उसके 32” के ठोस उरोज मेरी पीठ पर दब रहे थे… कुछ देर में उसकी शर्म कम हो गयी और उसने मेरे कंधे से अपना गाल सटा लिया, फिर मेरे गाल को चूमकर बोली – अब खुश..!

मे – तुम्हारा साथ तो मेरे लिए हर हाल में खुशी ही देता है.. जानेमन… तुम खुश हो कि नही.. या अब भी शर्म आ रही है..?

वो – आप मुझे बिल्कुल बेशर्म बना दोगे…

मे – अरे यार ! ऐसे बैठने से भी कोई बेशर्म हो जाता है क्या..? मेने उसे और थोड़ा खोलने के लिए कहा…

निशा मेरे सीने को पकड़ने से मुझे ड्राइविंग में थोड़ा प्राब्लम होती है.. तुम ना मेरी कमर को पकड़ लो…

वो – आप जहाँ कहोगे वहीं पकड़ लूँगी जानू.. और ये कह कर उसने मेरी जांघों पर हाथ रख लिए…

मेने कहा – थोड़ा अंदर की साइड में पाकड़ो, नही तो तुम्हें सपोर्ट नही मिलेगा…

वो – धत्त… अब आप मुझे बिल्कुल बेशर्म करना चाहते हैं… फिर कुछ सोच कर.. अच्छा चलिए आपकी खुशी के लिए ये भी सही.. और उसने अपने हाथ मेरी जाँघो के जोड़ पर रख लिए…

गाड़ी के जंप के कारण उसके हाथ भी इधर-उधर होते.. तो उसकी उंगलिया मेरे लंड को छू जाती … आहह… ये हल्का सा टच ही मेरे लिए बड़ा सुखद लग रहा था…

वो भी अब अपनी शर्म से निकलती जा रही थी और अपनी उंगलियों को मेरे लंड के ऊपर फिरने लगी…

पीछे से वो और अच्छे से चिपक गयी, अब उसकी जांघें मेरी जगहों से सात चुकी थी.. जो कभी-2 गाड़ी के जंप से आपस में रगड़ जाती…

हम दोनो पर एक अनूठा सा उन्माद छाता जा रहा था… लेकिन ये उन्माद कुछ ही देर का था… उसका गाओं आ चुका था, और वो फिरसे मुझसे दूरी बना कर बैठ गयी…
Reply
02-05-2020, 12:54 PM,
#66
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
हम जब उसके घर पहुँचे तो घर में अकेली उसकी माँ थी, उसके भाई राजेश शहर में नौकरी पर थे, जो हफ्ते के हफ्ते ही आते थे, पिताजी अभी खेतों से आए नही थे..

निशा को मेरे साथ देखकर वो चोन्क्ते हुए बोली – ये कॉन है बेटी..?

निशा – इनको नही पहचाना मम्मी…? ये दीदी के छोटे देवर ! अंकुश नाम है इनका…

मम्मी – ओह..! आओ बेटा बैठो…! माफ़ करना कभी देखा नही ना तुम्हें इसलिए पुच्छ लिया..

मे – कोई बात नही मम्मी जी.. वैसे भी मे भैया की शादी में ही आया था…

मम्मी – हां ! लेकिन तब तुम बहुत छोटे से थे… अब देखो… क्या गबरू जवान हो गये हो…

मे- ये सब आपकी बेटी का ही कमाल है मम्मी जी…!

वो एकदम से चोन्क्ते हुए बोली – मेरी बेटी का…? वो कैसे…?

मे – अरे मम्मी जी ! भाभी मेरा इतना ख़याल रखती हैं.. कि पुछो मत.. मुझे कभी अपनी माँ की कमी महसूस नही होने दी…

वो – ओह हां ! मोहिनी है ही ऐसी, यहाँ भी सबका बहुत ख़याल करती थी..

कुछ देर में निशा के पिताजी भी आ गये.. वो भी मिलकर बड़े खुश हुए.. और घर के हाल-चाल पुच्छे…

खाना पीना खाकर वो लोग जल्दी ही सोते थे… सो कुछ देर और इधर-उधर की बातें हुई.. और वो दोनो सोने चले गये…

जाते हुए निशा की मम्मी ने उससे कहा – निशा बेटा सोने से पहले लल्ला जी को ध्यान से दूध पिला देना…..!

सोने के लिए जाते हुए निशा की मम्मी ने उससे कहा – निशा बेटा सोने से पहले लल्ला जी को ध्यान से दूध पिला देना…..

निशा का घर उनके घर की ज़रूरत के हिसाब से जैसा मध्यम वर्गिया ग्रामीण लोगों का होना चाहिए उस हिसाब से ही था..

तीन कमरे, जिनमें एक में उसके मम्मी-पापा, एक में निशा और एक उसके भाई का था, एक बड़ा सा बैठक कम हॉल जिसमें एक टीवी भी लगा हुआ था…

हॉल से बाहर एक वरांडा… उसके बाद थोड़ी खाली जगह जो बौंड्री से घिरी हुई थी..

हम इस समय हॉल में बैठे टीवी देख रहे थे…मे सोफे पर था, और वो साइड में पड़ी सोफा चेयर पर बैठी थी..

मेने उसकी मम्मी के जाने के कुछ देर बाद निशा से कहा – क्यों डार्लिंग… क्या ख़याल है…?

वो मेरी तरफ मुस्कराते हुए बोली – किस बात का…?

मे – अपनी मम्मी की अग्या का पालन नही करोगी.. ?

वो हंस कर बोली ओह ! वो..! तो अभी चाहिए.. या सोने से पहले…

मेने कहा शुभ काम में देरी नही करना चाहिए.., मेरी बात सुनकर वो चेयर से उठी, और मेरे आगे से होकर किचेन की तरफ दूध लाने के लिए जाने लगी…

मेने उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया… तो वो एक झोंके के साथ मेरी गोद में आ गिरी… गिरने से बचने के लिए उसने मेरे गले में बाहें डाल दी…

वो मेरी आँखों में देखते हुए बोली – क्या करते हो…? खुद ही कहते हो दूध लाने को और रोक भी रहे हो…!

मे उस दूध की बात नही कर रहा जानेमन, मुझे तो ये वाला दूध पीना है……ये कहकर मेने उसके एक संतरे पर अपना हाथ रख दिया…

हटो बदमाश कहीं के…., उसने मुझे हल्के से सीने में मुक्का मारा… कितना ग़लत-सलत सोचते हो…

मे – इसमें क्या ग़लत कहा है मेने.. दूध ही तो माँगा है.. नही पिलाना है तो मत पिलाओ.. मे सुबह मम्मी को बोल दूँगा… कि आपकी बेटी ने मुझे दूध दिया ही नही…

उसने शर्म से अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया… मेने उसकी थोड़ी को अपनी उंगलियों से ऊपर कर के उसका चेहरा उठाया… और उसकी झील सी गहरी आँखों में झाँकते हुए कहा-

तुम कितनी मासूम हो निशु…मे सच में बहुत शौभग्यशाली हूँ जिसे इतनी मासूम, और सुंदर सी प्यारी सी लड़की का प्यार मिल रहा है…

मे तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ मेरी जान… आइ लव यू…!

आइ लव यू टू जानू… कहकर वो मेरे सीने से लिपट गयी….!

मेने धीरे से उसकी पीठ पर हाथ रख कर सहला दिया… और एक हाथ से उसके गाल को सहलाकर उसके होंठ चूम लिए…

मे तुमसे दूर नही रह सकती जानू..! वो कुछ देर बाद बोली, तो मेने कहा – मे कॉन सा तुमसे दूर रह सकता हूँ… लेकिन हमें कुछ दिन तो रहना ही पड़ेगा..

वो – अगर तुम मुझे नही मिले तो में मर जाउन्गि… अंकुश..!

सीईईईईईईईई… उसके होंठों पर उंगली रख कर कहा मेने – ऐसे मरने गिरने की बात नही करते… भाभी ने मुझे प्रॉमिस किया है… चाहे कुछ हो जाए.. हम मिलकर ही रहेंगे..

वो – सच ! क्या दीदी को पता है हमरे प्यार के बारे में…?

मे – हां ! और ये बात उन्होने खुद से ही कही है… अब हमें बस कुछ सालों तक इंतजार करना पड़ेगा…

वो फिरसे मुझसे लिपट गयी..ओह ! जानू मे आज बहुत खुश हूँ… लेकिन एक प्रॉमिस करो.. तुम जल्दी-2 मुझसे मिलने आया करोगे… कम से कम महीने में एक बार..

मे – मुझे कोई प्राब्लम नही है… लेकिन तुम खुद सोचो.. मेरा बार-2 यहाँ आना क्या लोगों में शक पैदा नही करेगा..? क्या तुम्हारे मम्मी-पापा ये चाहेंगे…?

वो – तो फिर मे कैसे रहूंगी इतने दिन … कम-से-कम फोन तो करते रहना..

मे – हां ! ये सही रहेगा.. हम रोज़ रात को फोन से बात कर लिया करेंगे..

इतनी देर से निशा मेरी गोद में बैठी थी… उसकी गोल-मटोल छोटी लेकिन मुलायम गान्ड की गर्मी से मेरा लंड टाइट जीन्स में व्याकुल होने लगा…

मे अपने कपड़े नही लाया था, सो मेने निशा से कहा – यार मुझे कुछ चेंज करना है… ये जीन्स में कंफर्टबल नही लग रहा…

वो मेरी गोद से उठ खड़ी हुई, और मेरा हाथ पकड़ कर अपने भैया के रूम में ले गयी… उसकी अलमारी से एक पाजामा और टीशर्ट निकाल कर मुझे पकड़ा दिया…

मेने अपने कपड़े निकाल दिए और टीशर्ट पहन ली… मेने जैसे ही अपनी जीन्स निकाली…

मेरे फ्रेंची में खड़े मेरे पप्पू को देखकर वो शर्मा गयी और अपना मुँह फेर लिया…

मेने उसे कुछ नही कहा और मुस्कुरा कर पाजामा पहन लिया…

मेरे सोने का इंतेज़ाम भी इसी रूम में था, तो फिर हम दोनो उसमें पड़े पलंग पर बैठ गये…

मेने फिर एक बार निशा को अपनी गोद में खींच लिया और उसके होंठ चूमकर कहा

निशा ! मेरी एक इच्छा पूरी करोगी..?

वो – क्या..? अगर मेरे बस में हुआ तो ज़रूर पूरी करूँगी..!

मे - मुझे तुम्हारे रूप सौंदर्य के दर्शन करने हैं..?

वो – क्यों ? अभी क्या मे पर्दे में हूँ..?

मे – तुम्हारा ये संगेमरमर सा बदन तो पर्दे में है ना…!

ये आप कैसी बहकी-2 बातें कर रहे हो…? भला ये भी कोई इच्छा हुई..? वो थोड़ा नाराज़गी भरे स्वर में बोली…

मे बस तुम्हारे इस सुन्दर बदन की छवि अपने मन में बसाना चाहता हूँ.. जिसके सहारे आने वाला लंबा समय गुज़ार सकूँ..

मे तुमसे कोई ज़ोर जबर्जस्ती नही करूँगा, अगर अपने प्यार पर भरोसा कर सको तो..

वो खामोशी से मेरे चेहरे की तरफ देखती रही, …फिर कुछ सोच कर बोली….

ठीक है ! मे आपसे सच्चा प्रेम करती हूँ… और आशा करती हूँ.. कि आप भी एक सच्चे प्रेमी की नज़र से ही मुझे देखेंगे..

ये कह कर वो मेरी तरफ पीठ कर के खड़ी हो गयी… और बोली… देख लीजिए जैसे देखना चाहते हैं..

मे उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया… और उसके गले पर अपने प्यासे होंठ रख दिए…

उसके होंठों से एक मीठी सी सिसकी निकल पड़ी.. और उसने कस कर अपनी आँखें बंद कर ली…

उसकी कमीज़ की पीठ पर एक ज़िप थी, जो उसके गले से लेकर कमर तक पहुँचती थी… मेने उसके कंधों पर अपने हाथ रखकर उसे सहलाते हुए… अपने हाथ धीरे-2 उसकी ज़िप पर ले आया..
Reply
02-05-2020, 12:54 PM,
#67
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
कुछ देर ज़िप के आस-पास हाथों को फिराया… और उसकी ज़िप का लॉक अपने अंगूठे में लेकर धीरे-2 नीचे की तरफ खींचने लगा…

जैसे जैसे उसकी ज़िप नीचे को खुलती जा रही थी …. उसकी दूधिया रंग की पीठ किसी संगमरमर सी चिकनी मेरी आँखों के सामने किसी अनमोल खजाने की तरह खुलती जा रही थी…

कमर तक ज़िप खोलने के बाद मेने उसकी पीठ पर उसकी ब्रा की स्ट्रीप के ठीक ऊपर अपने गीले होंठ रख दिए….

उसकी पीठ काँप कर और अंदर को चली गयी, और उसके मुँह से एक और सिसकी निकली…इस्शह…..सस्सिईईईईईई…..

अब में उसकी पीठ को ऊपर की तरफ चूमता हुआ… उसकी नंगी पीठ पर अपने हाथ फिरा रहा था… निशा तो जैसे कहीं खो ही गयी थी…

फिर मेरे हाथ उसकी पीठ सहलाते हुए कंधों पर पहुँचे और उसकी कमीज़ को दोनो बाजुओं से नीचे सरका दिया….

उसकी कमीज़ उसके बदन से सरसराती हुई… उसके कदमों में जा गिरी…

मेने उसे कंधों से पकड़कर अपनी तरफ घुमाया… वो किसी कठपुतली की तरह मेरे हाथों के इशारों पर चल रही थी…

जब मेरी नज़र उसके उभारों पर पड़ी….उफफफफफफफफफफफफफ्फ़….. क्या दूधिया… बदन था उसका… गोल-गोल टेनिस की बॉल के साइज़ के उसके दूधिया उरोज एक छोटी सी गुलाबी रंग की ब्रा में क़ैद उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा रहे थे…

दोनो के बीच की चौड़ी खाई… मुझे ललचा रही थी…, मे अपने आपको रोक नही पाया…और झुक कर उसके उभारों के बीच की खाई पर अपने तपते होंठ रख दिए…

निशा ने आअहह….. भरते हुए मेरे सर को पकड़ लिया…, फिर मेने उसके उभारों के दोनो ओर की ढलान को बारी-बारी से अपनी खुरदूरी जीभ से चाटा,…और उन्हें चूमते हुए उसके सपाट पेट की तरफ बढ़ने लगा…

निशा अपनी आँखें मुन्दे अपने अंतर्मन में इस असीम आनंद की अनुभूति को महसूस कर के दूर कहीं आसमानों में उड़ चली थी….

मन नही माना तो मेरे शरारती हाथ एक बार उसके सुंदर उरोजो पर टिक ही गये.. और उन्हें सहलाते हुए… उसकी बगलों से होते हुए, उसकी पतली कमर पर आ टिके…

मेरे हाथ किसी स्वचालित यन्त्र की तरह उसकी पतली कमर को सहलाते हुए, मेरी उंगलियाँ उसकी सलवार के नाडे की गाँठ पर थी.…

कुछ ही देर में निशा की सलवार भी उसके कदमों में जा गिरी….

मे थोड़ा पीछे होकर निशा के कदमों में बैठ गया…, और उसके संगेमरमरी बदन की सुंदरता का रस अपनी आँखों से पीने लगा…

आहह…. क्या सुडौल जांघें थी उसकी… लेशमात्र भी एक्सट्रा फॅट नही था उसके बदन पर… साँचे में ढला उसका दूध जैसा गोरा बदन किसी संगेममर की मूरत जैसा मेरे सामने था……

निशा मात्र दो छोटे-से अधोवस्त्रों में मेरे सामने किसी बेजान मूरत सी खड़ी थी…

उस कमसिन कली ने अपने प्रियतम की इच्छा का सम्मान करते हुए अपने अन्छुये कोमल बदन को उसके हवाले कर दिया था… किसलिए…?

निशा मात्र दो छोटे-से अधोवस्त्रों में मेरे सामने किसी बेजान मूरत सी खड़ी थी…

उस कमसिन कली ने अपने प्रियतम की इच्छा का सम्मान करते हुए अपने अनछुए कोमल बदन को उसके हवाले कर दिया था… किसलिए…?

एक विश्वास पर… जो उसके निश्छल प्रेम ने उसके अंदर पैदा किया था… उसने अपने प्रियतम पर आँख बंद कर के भरोसा कर लिया था…

मे उसकी केले जैसी चिकनी जांघों को सहलाते हुए उन्हें चूमने, चाटने लगा…मेरी छुवन से उसका बदन थर-थरा रहा था…

मे घुटने मोड़ कर बैठा था, मेरे हाथ बड़े प्यार और दुलार से उसके सरीर पर तैर रहे थे… वो शरीर के जिस हिस्से में होते, निशा के शरीर का वो हिस्सा… किसी जुड़ी के मरीज़ की तरह काँपने लगता…

फिर मेने उसकी पतली कमर को अपने हाथों के बीच लेकर उसे पलटा दिया… अब उसकी छोटी सी पेंटी में कसे उसके गोल-गोल नितंब मेरे सामने थे.. इन्हें मे हौले-2 सहलाने लगा…

मेरी उंगलियाँ उसकी छोटी सी पेंटी की एलियास्टिक में फँस गयी, और उसे नीचे को खींच दिया……
निशा की बॉल के साइज़ के उसके नितंब एकदम गोल-2 सुडौल, गोरे-2, थोड़े बाहर को निकले हुए मेरी आँखों के सामने थे, जिन्हें सहलाकर मेने चूम लिया….

नीचे बैठे ही मेने उसे अपनी तरफ पलटा लिया, जांघों के जोड़ के बीच की कलाकृति अब मेरे सामने थी…जिसकी सुंदरता बयान करने लायक मेरे पास शब्द नही थे…

हल्के हल्के बालों से सजे पतले-2 बंद होंठों के बीच एक पतली सी रेखा जैसी उसकी रस सुरंग, जो नीचे से ऊपर की तरफ थोड़ी सी मांसल दिखाई दे रही थी…

मेने अपने हाथ से उसे एक बार बड़े प्यार से सहलाया… और निशा की टाँगों को थोड़ा सा अलग कर के एक किस उसकी प्यारी मुनिया के बंद होंठो के ऊपर कर दिया…

ईइसस्स्स्शह……आअहह……ना चाहते हुए निशा के मुँह से एक दबी सी सिसकी निकल ही गयी…

मेने फिर से उसे पलटा दिया और फिरसे एक बार उसके नितंबों को चूमा…
Reply
02-05-2020, 12:54 PM,
#68
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
नितंबों के बाद उसकी कमर, फिर उसकी पीठ चूमते चूमते मे ऊपर उठता चला गया, फिर मेरी उंगलियों ने उसकी ब्रा के हुक भी खोल दिए…

उसकी पीठ से सट कर खड़ा होते हुए मेने उसके कान की लौ को चूमकर कहा-

जान ! तुम सचमुच सुंदरता की जीती-जागती मूरत हो… तुमने आज अपना ये संगेमरमर सा सुंदर बदन दिखाकर मुझे अपना दीवाना बना दिया है..

अब में तुम्हारे इंतेज़ार में कुछ वर्ष तो क्या.. सदिया गुज़ार सकता हूँ..

ये कहकर मेने उसके अनार जैसे उरोजो को अपनी मुट्ठी में भर लिया और सहलाने लगा..

निशा एकदम से पलट कर मेरे गले से लिपट गयी, उसके उरोज मेरे सीने में दब कर रह गये,…

वो दीवानावार मेरे चेहरे पर अनगिनत किस करते हुए बोली…

मेरे प्रियतम को ये दासी पसंद आ गयी… ये मेरे लिए किसी सौभाग्य से कम नही है… आइ लव यू जानम…

आइ लव यू टू प्रिय…! अब तुम अपने कपड़े पहन लो.., तुम्हारे रूप रस का पान कर के मे धन्य हो गया…

निशा ने फिर एक बार मुझे कसकर अपने गले लगाया और कपड़े पहन कर रूम से बाहर निकल गयी मेरे लिए दूध लेने….

मे खुद पर आश्चर्य चकित था, कि एक कमसिन बाला.. पूर्ण रूप से नग्न मेरे सामने थी और मेरे मन में एक बार भी उसे भोगने की इच्छा तक नही हुई…

क्या ये मेरा उसके लिए निश्चल प्रेम था ? जो शायद मेरी जिंदगी में पहली और आख़िरी बार हुआ था…

दूसरे दिन सुबह-सुबह मे निशा और उसके मम्मी पापा से विदा लेकर अपने घर वापस चल दिया… वो मुझे गाओं के बाहर तक छोड़ने आई…

विदा होते वक़्त स्वतः ही हम दोनो की आँखें छलक गयीं.. हम एकदुसरे को किस कर के अंतिम बार गले मिले..

फिर एकदुसरे को बाइ बोलकर अपने अपने घर को चल दिए…

रास्ते में ही शांति बुआ का घर पड़ता था, जो निशा के गाओं से ज़्यादा दूर नही था, तो सोचा बुआ का हाल चाल पूछते हुए ही निकलता हूँ…

कभी आया तो नही था पहले बुआ के यहाँ, तो लोगों से पुछ्ते-पाछ्ते पहुँचा.. उनके दरवाजे पर..

बुलेट की आवाज़ सुन कर एक लड़की घर के अंदर से भागती हुई आई…मे उस लड़की को देखता ही रह गया…

स्कूल यूनिफॉर्म में वो शायद स्कूल जाने के लिए तैयार ही हुई थी, सफेद रंग की शर्ट और स्लेटी लाल चौखाने की घुटनों तक की स्कर्ट में वो एक बहुत ही सुंदर गुड़िया जैसी लगी मुझे…

उसकी कसी हुई शर्ट में क़ैद 32-33” के उसके उसके चुचे बटन तोड़कर बाहर निकलने को आतुर हो रहे थे,

पतली सी कमर के नीचे थोड़ी उठी हुई गान्ड, देख कर मेरे अंदर कुछ – 2 होने लगा…

अपनी बड़ी -2 कजरारी आँखें मटका कर वो बोली – कॉन हो तुम… किससे मिलना है…?

मे – शांति बुआ का घर यही है…?

वो – हां ! लेकिन तुम कॉन हो जो मम्मी को बुआ बोल रहे हो…?

मे – ओह तो तुम उनकी बेटी हो, मेरा नाम अंकुश है, … अभी कुछ दिन पहले मेरे भैया की शादी थी, तुम उसमें शामिल नही हुई थी…

वो – ओह अंकुश भैया… नमस्ते ! सॉरी, मेने आपको पहचाना नही, आओ..आओ… फिर वो बुआ को आवाज़ देते हुए चिल्लाई… मम्मी…मम्मी…

अंदर से बुआ की आवाज़ आई… क्या है वीजू…देख नही रही.. तेरे लिए नाश्ता तैयार कर रही हूँ, स्कूल के लिए लेट हो रहा है…

तब तक मे बाइक स्टॅंड कर के उसके पीछे – 2 अंदर आया, उसके मटकते कूल्हे मुझे अपनी ओर लुभा रहे थे…

वो – मम्मी थोड़ा बाहर आकर देखो तो सही, कॉन आया है…

बुआ अपने माथे का पसीना अपने पल्लू से पोंछती हुई रसोई से बाहर आई…

और मुझे देखते ही…सी.छोतुउुुुउउ… चिल्लाते हुए दौड़कर मेरे सीने से लग गयी…!

उनकी ये हरकत देख कर पास खड़ी विजेता अपनी बड़ी – 2 आँखें फाडे उन्हें देखने लगी…

मेने बुआ से पूछा – बुआ ये आपकी बेटी है..?

वो – हां ! बड़ी वाली विजेता… तूने देखा तो है इसे कई बार गाओं गयी है मेरे साथ…

मे – ये वही विजेता है ना.. जिसकी नाक बहती रहती थी…

बुआ हँसते हुए बोली - हहहे… हां ! वही विजेता है, अब देख.. अब नही बहती इसकी नाक…!

विजेता गुस्सा होते हुए बोली – क्या मम्मी आप भी चिडाने लगी मुझे… फिर वो मेरी तरफ आँखें तरेर कर बोली…

आपने कब देखी मेरी नाक बहते हुए…? हां !

बुआ – अरे नही बेटा ! एक बार जब में तुझे लेकर गाओं गयी थी, तब तुझे सर्दी हो गयी थी… तो तबकि बात कर रहा है छोटू…

वैसे बड़े भाई की बात का क्या बुरा मानना…! बेटा तू बैठ पहले मे इसको स्कूल भेज दूं.. फिर बैठ कर बात करते हैं.. ठीक है,

और वो फिरसे रसोई में घुस गयीं… विजेता मुझे घूर-2 कर देख रही थी.. मेने कहा – माफ़ करना मेरी गुड़िया, मे तो ऐसे ही मज़ाक कर रहा था..

तुझे बुरा लगा तो सॉरी ! और मेने अपने कान पकड़ लिए तो वो खुश हो गयी.. और बोली – कोई बात नही भैया…

फिर वो बुआ को आवाज़ देकर बोली – मम्मी जल्दी करो मे लेट हो रही हूँ…
मेने कहा – कितना दूर है तेरा स्कूल…?

वो – अरे भैया.. दूसरे गाओं में है, यहाँ से 3 किमी दूर है और मुझे साइकल से जाना पड़ता है, फिर घड़ी की तरफ देख कर बोली –

ऑफ.ओ.. मे तो ऑलरेडी लेट हो गयी… अब पहला पीरियड तो मिलने वाला नही है…मम्मी…जल्दी…करो प्लीज़ !

बुआ – अभी लाई… बस दो मिनिट…

मे – तू कहे तो मे छोड़ दूं तुझे स्कूल…

वो – फिर उधर से कैसे आउन्गि…?
Reply
02-05-2020, 12:55 PM,
#69
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
तब तक बुआ किचेन से उसका टिफेन बना कर ले आई,… और बोली – स्कूल छूटने के बाद भैया ही ले आएगा तुझे.. क्यों छोटू ! ले आएगा ना…!

मे – मुझे तो जाना था बुआ अभी… वो मे निशा को छोड़ने आया था, लौटते में सोचा आपसे भेंट करता चलूं…

बुआ – अरे तो शाम को चला जइयो.. अभी सुबह सुबह क्या करेगा… घर जाकर..
मेने कहा ठीक है, फिर चल विजेता.. तुझे स्कूल छोड़ देता हूँ..

दूसरे गाँव का रास्ता थोड़ा उबड़ खाबड़ था.. विजेता मेरे पीछे दोनो ओर को पैर कर के बैठी थी..

कभी ब्रेक लगाने पड़ते थे तो वो मेरे से सॅट जाती.. और उसके कच्चे अनार मेरी पीठ पर दब जाते…फिर जब गाड़ी उच्छलती तो वो रगड़ जाते…

मेरा लंड उसके स्पर्श से ही सर उठाने लगा था, …एक बार तो ज़ोर से ब्रेक लगते – 2 भी गाड़ी एक खड्डे मे चली ही गयी और ज़ोर से उच्छल गयी,

अब बुलेट पर पीछे कुछ ज़्यादा ही झटका लगता है..तो पहले तो वो मेरे ऊपर गिरी और फिर ऊपर को उछलि, जिसकी वजह से उसके अनार तो पीठ से रगडे ही…

साथ ही उसकी मुनिया भी मेरी कमर से रगड़ा खा गयी, और वो ज़ोर से सिसक पड़ी… शायद उसको भी मज़ा आया होगा…

मेने कहा – क्या हुआ विजेता…?

वो बोली – भैया धीरे – 2 चलाओ, ये रास्ता बहुत खराब है, साइकल से चलना भी मुश्किल हो जाता है…!

मे – हां वो तो मे देख ही रहा हूँ, पता नही लोगों का ध्यान इस तरफ क्यों नही जाता…

खैर जैसे तैसे कर के हम उसके स्कूल पहुँच ही गये, उसे स्कूल छोड़ कर मे बुआ के घर वापस आ गया…..

जब मे घर लौटा तो बुआ घर में झाड़ू लगा रही थी… वो एक लो कट गले की मेक्सी पहने हुए थी,

झुक कर झाड़ू लगाने से उनके बड़े-2 खरबूज जैसे स्तन लटक कर बाहर को झाँक रहे थे…

मे वहीं खड़ा होकर ये नज़ारा देख रहा था, कि इतने में उनकी नज़र पड़ गयी… और सीधी खड़े होते हुए हंस कर बोली – क्यों रे बदमाश, क्या देख रहा था…?

मेने भी हँसते हुए कहा – कुछ नही बुआ, तुम्हारा समान सामने आ गया तो देखने लगा…

वो – चल बैठ मे थोड़ी देर में झाड़ू मारकर फिर बैठती हूँ तेरे पास…

मेने बुआ से पूछा – बुआ वाकी लोग कहाँ गये…?

वो – तेरे फूफा इस समय खेतों में होते हैं… छोटी यहीं गाँव के स्कूल में है, उसका स्कूल जल्दी शुरू हो जाता है, दो घंटे में आ भी जाएगी…

इतना बोलकर वो फिरसे झुकर झाड़ू मारने लगी, टाइट मेक्सी में बुआ की चौड़ी गान्ड झुकने से और ज़्यादा बड़ी दिख रही थी…

शायद वो नीचे पेटिकोट और पेंटी भी नही पहने थी, जिस कारण से उसके दो पाटों के बीच की दरार किसी नाली की तरह सॉफ सॉफ दिखाई दे रही थी…

सोने पे सुहागा ये था, कि जब वो खड़ी हुई थी, तो मेक्सी का कपड़ा उसकी गान्ड की दरार में फँस गया था, जो अभी तक बेचारा निकलने के लिए फडफडा रहा था..

लेकिन दोनो पाटों का दबाब इतना ज़्यादा था, कि वो वहाँ से टस से मस नही हो पाया…

बुआ की गान्ड के नज़ारे ने मेरे लंड की ऐसी तैसी करदी, वो साला जीन्स के अंदर फडफडाने लगा…

मे चुपके से बुआ के पीछे गया, और उसकी गान्ड से जाकर चिपक गया,….

वो तो एकदम से हिल ही गयी, और अपनी गान्ड को मेरे लंड पर और ज़ोर से दबा दिया, तो मेने भी झुक कर बुआ के खरबूजों को पकड़ लिया…

वो झाड़ू छोड़कर खड़ी हो गयी, और अपनी गान्ड को मेरे लंड के आगे दबाते हुए बोली – निगोडे ! थोड़ा सा तो सबर करले,

मुझे पता है, तुझे मेरी गान्ड ने परेशान कर रखा है…ये हरामजादी दिनो दिन चौड़ी ही होती जा रही है…

मेने बुआ की चुचियों को मसल्ते हुए कहा – लगता है, फूफा जी, इस पर ज़्यादा ध्यान देते हैं.. तभी ये चौड़ी होती जा रही है…

वो – नाअ रे ! उन्हें गान्ड मारने का शौक नही है, पर वो ज़्यादा तर पीछे से ही करते हैं…

अब छोड़ मुझे झाड़ू मारने दे… फिर आराम से बैठते हैं…

मेने झुक कर बुआ की मेक्सी को उठाकर उनकी गान्ड को नंगा करते हुए कहा – इतना समय नही है बुआ… मेरा लंड अब और इंतेज़ार नही कर पाएगा…

इतना कह कर मेने अपनी जीन्स उतार दी, और फ्रेंची की साइड से लंड बाहर निकाल कर बुआ की गान्ड की दरार में फँसा कर ऊपर से नीचे रगड़ने लगा…

मेरे नंगे लंड का अहसास अपनी नंगी गान्ड पर होते ही बुआ सारी ना नुकुर भूल गयी, और अपनी आँखें बंद कर के उसने अपने हाथ सामने की दीवार पर टिका दिए…
Reply
02-05-2020, 12:55 PM,
#70
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
मेने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर बुआ की माल पुआ जैसी चूत को मुट्ठी में भरके मसल दिया…

बुआ की चूत रस छोड़ने लगी, उसने भी अपना हाथ मेरे हाथ के ऊपर रख कर और दबा दिया, और सिसकते हुए बोली –

सस्सिईईई….हाईए रे…ये क्या कर दिया तूने… मेरी चूत में आग लगा दी…अब और देर मत कर…

मेने अपनी दो उंगलियाँ बुआ की चूत में डाल दी… और अंदर बाहर करने लगा…चूत हद से ज़्यादा गीली हो गयी…

फिर मेने बुआ की मेक्सी को उसके सर के ऊपर से निकाल कर उसे पूरी तरह नंगा कर दिया…

अपने लॉड को थूक लगा कर गीला किया, और बुआ की गीली चूत में पेल दिया…

सरसराता हुआ मेरा साढ़े आठ इंच लंबा और सख़्त रोड जैसा लंड जैसे ही जड़ तक बुआ की चूत में गया,

थप्पाक से मेरी जांघें उसके भारी चुतड़ों पर पड़ी, और इसी के साथ ही बुआ के मुँह से एक लंबी कराह निकल गयी….

हआइईईई रीईए…. बेरहम… नाश्पीटे … मार्डलाअ.. रीई, तोड़ा आराम से डालता…फाड़ दी मेरी चूत मुए….. ने…

लेकिन मेने अनसुना करते हुए, अपने धक्के शुरू कर दिए, और बुआ की वो चुदाई की, कि वो चकर्घिन्नि बन गयी…

एक बार खड़े-खड़े चोदने के बाद, जब वो झड गयी, तो फिर हम तखत पर आ गये…

बुआ को घोड़ी बना कर पहले कुछ देर उसकी चूत मारी, उसके बाद मेने अपना लंड उसकी गद्देदार गान्ड में पेल दिया…

उलट पलट कर मेने बुआ को अच्छे से रगड़-रगड़ कर दो बार चोदा…

बुआ की सारी खुजली मिट गयी… तो मेने कहा – बुआ देखलो मेने आपका चॅलेंज पूरा कर दिया… फिर मत कहना…

वो – हां रे छोटू.. तू सच में मर्द हो गया है, मेरे जैसी दो बच्चों की औरत को झंड कर दिया…

उसके बाद उन्होने मेरे लिए चाय बनाई, और अपना काम ख़तम कर के नहाने चली गयी…

इतने में फूफा भी आगये, और उसके कुछ देर बाद उनकी छोटी बेटी भी स्कूल से आ गयी…

सबने मिलकर खाना खाया, उसके बाद मे विजेता को लेने उसके स्कूल चला गया…

विजेता ने घर आकर बताया कि कल से उसकी रक्षाबन्धन की छुट्टियाँ शुरू हो गयी हैं जो जन्माष्टमी तक चलेगी..…

तो मेने कहा, बुआ ये वैसे भी भैया की शादी में नही जा पाई थी, क्यों ना इसे मे अपने साथ ले जाउ.. रामा दीदी के साथ इसका मन भी लगा रहेगा…

मेरी बात सुन कर विजेता भी कहने लगी… हां मम्मी मे भैया के साथ जाउन्गी… मेने मामा, मामियों को कब से नही देखा…

फूफा जी ने भी हां करदी तो फिर बुआ ने उसे पर्मिशन दे ही दी, और उसी शाम मे विजेता को लेकर अपने घर वापस लौट लिया…

रास्ते में बहुत ज़्यादा कुछ नही हुआ, मे बस थोड़ा बहुत उसकी पढ़ाई लिखाई के बारे में ही पूछा…

लेकिन स्कूल जाते-आते वक़्त की हल्की सी मस्ती याद आते ही, विजेता ने थोड़ी बहुत हरकतें ऐसी की जो हम दोनो के शरीर में मस्ती भरने के लिए काफ़ी थी…

विजेता को मेरे साथ देख कर भाभी ने पूछा – अरे देवर जी ये कौन है..? एक को लेकर गये थे, और दूसरी के साथ लौटे हो…ये क्या चक्कर है भाई..!

मेने हँसते हुए कहा – कोई चक्कर नही है भाभी ! ये शांति बुआ की बेटी विजेता है.. आप नही जानती इसको.. मेरे बताते ही रामा दीदी ने उसे पहचान लिया.. और वो उसके गले लग गयी…

फिर कुछ देर इधर-उधर की बातें की और अपने घर गाँव के हाल चाल पुछे…
कॉलेज में मेरी एक अलग ही इमेज थी, एक ज़िम्मेदार स्टूडेंट की, … जो कॉलेज की व्यवस्थाओं में भी सहभागिता रखता था…. टीचर्स और प्रिन्सिपल तक मेरी बात का सम्मान करते थे..

हालाँकि हमारे कॉलेज में लड़कियाँ भी थी, और ऐसा भी नही था… कि मे कोई ब्रह्मचारी था… आप सभी जान ही चुके हैं…. लेकिन…

लेकिन अपने कॉलेज में मेने अपनी एक साफ-सुथरी इमेज कायम कर रखी थी… लड़कियों से कोसों दूर रहना मेने अपना नियम सा बना लिया था…

ठाकुर सूर्य प्रताप सिंग…. जिनकी इस कस्बे में बहुत लंबी चौड़ी ज़मीन जयदाद थी… एक तरह से कस्बे के ज़मींदार थे…प्रशासनिक कार्यों में भी इनकी अच्छी ख़ासी पैठ थी…

कॉलेज को मान्यता दिलवाने में भी इनका बहुत बड़ा योगदान रहा, …

कस्बे के सभी बड़े छोटे व्यापारी, किसान सब इनका बड़ा आदर करते थे… या कह सकते हैं इनके एहसानो तले दबे रहते थे…डरते थे इनसे…

ठाकुर साब की बेटी रागिनी भी इसी कॉलेज में थी, उसके सब्जेक्ट अलग थे… आर्ट्स के और मे साइन्स सेक्षन में था…

रागिनी का एक बड़ा भाई भी था, भानु प्रताप सिंग… जो अपने पिता की दबन्गयि में चार चाँद लगाने में एहम भूमिका निभाता था…

कॉलेज की ज़्यादातर लड़कियाँ रागिनी की चापलूसी करती रहती या यूँ कहो… कि उसके पैसों से मौज करती, और उसकी हां में हां मिलाती रहती थी…

मे आज अपना लास्ट पीरियड अटेंड कर के थोड़ा लाइब्ररी चला गया एक दो बुक लेनी थी..
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,449,023 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 538,480 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,211,072 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 915,530 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,622,951 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,055,577 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,909,287 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,917,663 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,977,841 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 279,968 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)