Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
02-05-2020, 12:52 PM,
#51
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
बाथरूम में जाकर अपने लौडे को साफ किया जिसपर अभी तक आशा दीदी की चूत का खून मिश्रित चूतरस लगा हुआ था…

मेने अपना अंडरवेर उतार कर बाथरूम में ही डाल दिया, और एक खाली शॉर्ट पहन लिया..,

बाहर आकर आल्मिरा से टीशर्ट निकाली ही थी कि पीछे से मुझे किसी की नरम-नरम बाहों ने कस लिया…

मेने उन हाथों को पकड़ कर अपनी कमर से हटाया, और बाजू पकड़ कर आगे को किया… देखा तो रामा दीदी खड़ी मुस्करा रही थी…



उसने इस समय मात्र उपर एक पतली सी टीशर्ट और नीचे एक जीन्स का शॉर्ट पहना हुआ था…

सामने आकर उसने मेरे गले में अपनी बाहें डालकर मेरे होठों पर अपने होठ चिपका दिए..

उसके गोल-गोल चुचियाँ मेरे सीने से दब गयी… मेने उसके कंधों को पकड़ कर अपने से अलग किया.. और पुछा – दीदी ! भाभी कहाँ हैं ?

वो छोटी चाची के यहाँ उनकी तबीयत जानने गयी हैं..उसने जबाब दिया.

मे – इसलिए तुम मौके का फ़ायदा उठाना चाहती हो क्यों..?

वो – हहेहहे… हां तो उसमें क्या..? कभी-2 थोड़ा बहुत मज़ा तो कर सकते हैं ना ! प्लीज़ भाई जल्दी से कर्दे ना भाभी के आने से पहले..

मे – क्या कर दूं..?

वो –ओफ़्फूओ.. तू भी ना..! जान बूझकर हमेशा तंग करता है मुझे…

चल अब बातें मत बना और जल्दी से मेरी खुजली मिटा दे यार !.. आज बहुत मन कर रहा है.. प्लीज़…!

इतना कहकर वो फिरसे मेरे उपर चढ़ने लगी… मेने उसके अमरूदो को जोरे से मसल दिया…

सीईईई… धीरी… आराम से कर ना यार !..ये कहीं भागे जा रहे हैं..?

मे मुश्किल से आधे घंटे पहले ही एक सील तोड़कर आया था, मेरा लंड अभी भी थोड़ा पहली वाली नयी चूत की गर्मी से आकड़ा हुआ था..

और यहाँ एक और कमसिन चूत सामने थी.., जिसकी खुश्बू सूंघ कर वो फिरसे अपनी औकात में आ गया…

मेने झट-पट उसके पीछे जाकर उसका टॉप उपर करके निकाल दिया, बिना ब्रा के उसके बूब्स किसी स्प्रिंग लगे खिलौने की तरह हिल-हिल कर बाहर आगये…


टॉप एक तरफ को उच्छल कर उसके चुचे चूसने लगा… वो भी उतावली होकेर गान्ड उचका-उचका कर चुसवाने लगी…

कुच्छ देर उसकी चुचियों को चूसने के बाद मेने उसको पूरी तरह नंगा कर दिया और अपने लंड की तरफ इशारा करके कहा….

दीदी ! लगे हाथ अब ज़रा तुम भी इसकी सेवा करदो…

वो मेरे डंडे जैसे खड़े लंड के आगे बैठ गयी, और उसे गडप से अपने मूह में भर कर लॉलीपोप की तरह चूसने लगी…

कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मेने उसे अपने पलंग पर धकेल दिया और चढ़ गया उसके उपर…

पहले धक्के में ही उसकी अह्ह्ह्ह… निकल गयी.. फिर धीरे-2 आराम से मेने पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया, और हल्के – 2 धक्के मारने लगा.

हम दोनो ही अब लय में आते जा रहे थे,…

मे कुच्छ देर पहले ही एक चूत चोद कर आया था, सो मेरा माल निकलने में समय लगने वाला था…

करीब आधे घंटे भी ज़्यादा देर तक, मे उसको अलग-2 तरीकों से चोदता रहा…

इतनी देर में वो 2-3 बार अपना पानी छोड़ चुकी थी… आख़िर मेने भी अपना गाढ़ा-गाढ़ा दही उसकी चुचियों और मूह पर उडेल दिया…

वो उसको प्यार से अपनी उंगली पर लेकर चाटने लगी, और वाकई को अपने अमरुदों पर माल लिया… !

फिर उठकर बाथरूम में जाकर अपने शरीर को सॉफ किया और कपड़े पहन कर मेरे लिए चाय बनाने चली गयी…
Reply
02-05-2020, 12:52 PM,
#52
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
दो-दो चुतो का स्वाद लेने के बाद लंड महोदय तो बड़े खुश थे, लेकिन मुझे कुच्छ थकान सी होने लगी,

सो चाय पीकर मे सो गया… और सीधा शाम को 5 बजे ही उठा…

उठकर आँगन में पहुँचा तो वहाँ भाभी रूचि के साथ खेल रही थी, दीदी भी उनके साथ शामिल थी..

रूचि अब चलने और बोलने लगी थी… वो कभी-2 ऐसी बातें करती कि हम सब हँसते-हँसते लॉट पॉट हो जाते…

मुझे देखते ही रूचि चिल्लाई – चाचू आ गये.. मे तो चाचू के साथ ही खेलूँगी..

और अपने छ्होटे-2 पैरों पर भागती हुई मेरी तरफ आई, मेने उसे उठाकर अपने सीने से लगा लिया…

उसके गाल पर एक पप्पी करके बोला – अले मेला प्याला बच्चा… चाचू के साथ खेलेगा…?

रूचि – हां चाचू..! मम्मी और बुआ तो मुझे चिढ़ाती हैं.. अब इन दोनो के पास कभी नही जाउन्गा…

भाभी बोली – अच्छा चाचा की चमची.. हमारी शिकायत करती है… ठहर, अभी तुझे बताती हूँ..

भाभी जैसे ही उसकी तरफ थप्पड़ दिखा कर आई, मे उसे लेकर घूम गया, और वो उन्हें अंगूठा दिखा कर चिढ़ाने लगी…

ऐसे ही बच्ची के साथ थोड़ा खेलने के बाद भाभी मेरे से बोली - क्या बात है लल्लाजी… आज तो बहुत सोए…!

दीदी की तरफ देखते हुए बोली - कुच्छ महंत वाला काम किया था क्या..?

दीदी ने शर्म से अपनी गर्दन नीची कर ली.. मेने कहा नही भाभी बस ऐसे ही कॉलेज में थोड़ा इधर-से उधर ज़्यादा भाग दौड़ रही सो थोड़ी थकान सी हो गयी थी…

लगता है.. कसरत में ढील दे दी है तुमने, आलसी होते जा रहे हो.... अब कुच्छ टाइट रखना पड़ेगा… और कहकर वो हँसने लगी…

दीदी ने हम सबके लिए चाय बनाई, चाय पीकर मे रूचि के साथ खेलता हुआ खेतों की तरफ निकल गया…!

रात को सोने से पहले भाभी ने मुझे इशारा कर दिया, तो दीदी के सोने को जाने के बाद मे उनके कमरे में चला गया…

वो एक लाल रंग का वन पीस गाउन पहने लेटी हुई थी, मुझे देख कर वो पलंग के सिरहाने के साथ टेक लगा कर कुच्छ इस तरह बैठ गयी..


और बोली – आओ लल्लाजी.. तुमसे कुच्छ बातें करनी थी…

मेने अंदर से गेट लॉक किया, और उनके बगल में टेक लेकर बैठ गया..!

भाभी मेरे हाथ को अपने हाथों के बीच लेकर बोली – लल्ला जी, मुझे पता है आज तुमने और रामा ने फिरसे मस्ती की, है ना !

मे – हां भाभी सॉरी ! वो दीदी ने मुझे जबर्जस्ती पकड़ लिया… मे क्या करता..

वो – अरे कोई बात नही… मे कोई तुमसे नाराज़ थोड़ी ना हूँ, बस ये देखना चाह रही थी कि तुम मुझसे क्या-क्या छुपाते हो…!

वैसे यही बात छुपाई है या और कुच्छ भी है…

मे – वो मे..वो.. भाभी… आशा दीदी ने भी मुझे कॉलेज से आते वक़्त अपने घर रोक लिया… और उन्होने… भी……..

वो – क्या ? आशा को भी ठोक दिया तुमने..हहहे…. एक नंबर के चोदुपीर होते जा रहे हो लल्ला… लगाम कसनी पड़ेगी.. तुम्हारी…..हहहे…

वैसे वो कुँवारी थी या… फिर..

मे – एक तरह से कुँवारी ही थी, इसके पहले उसके मामा के लड़के ने आधा करके छोड़ दिया था…

भाभी हँसते हुए बोली – क्यों ? आधे में क्यों छोड़ दिया था उसने…?

मे – वो कह रही थी.. मुझे जैसे ही दर्द हुआ, और मे चीख पड़ी.. तो वो डर गया और वहाँ से भाग लिया…

हाहहाहा… . भाभी ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी, मे भी उनका साथ देने लगा.. फिर हँसते हुए बोली – साला एकदम गान्डू किस्म का लड़का निकला वो तो…

खैर अब अपनी बहनों की ही चिंता करते रहोगे या इस भाभी की भी फिकर है कुच्छ..

मे – अरे भाभी.. आपके लिए तो आधी रात को भी हाज़िर है आपका ये आग्यकारी देवर … वो तो मे आपके कहे वगैर कैसे कुच्छ कर सकता हूँ…

वो – तो अभी क्या इरादा है.. लिखित में चाहिए….?

भाभी का इतना कहना ही था कि मेने भाभी की नंगी जाँघ जो गाउन के उपर सिमटने से हो गयी थी, को सहलाया..

और एक हाथ से उनकी चुचि को उमेठते हुए उनके लाल रसीले होठों पर टूट पड़ा.
Reply
02-05-2020, 12:52 PM,
#53
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
भाभी का इतना कहना ही था कि मेने भाभी की नंगी जाँघ जो गाउन के उपर सिमटने से हो गयी थी, को सहलाया..

और एक हाथ से उनकी चुचि को उमेठते हुए उनके लाल रसीले होठों पर टूट पड़ा.

भाभी मेरी सबसे पहली पसंद थी, उसे भला कैसे छोड़ सकता था..

भैया का लंड शायद भाभी को अंदर तक तृप्त नही कर पाता था, इस वजह से वो मेरे साथ सेक्स करने में पूरी तरह खुल जाती थी…,

अहह…..लल्लाअ…मेरे दूधों को चूसो….. बहुत खुजली होती है इनमें……इस्शह….खा जाऊओ…..…

मेने जासे ही उनके कड़क हो चुके निप्पल्स को काटा…..भाभी कराह उठीी…
ज़ोर्से…नही मेरे रजाअ…..उफ़फ्फ़….माँ…..मस्लो इन्हें…

भाभी दिनो दिन गदराती जा रही थी, उनके चुचे अब 34+ और गान्ड भी 36 की हो चुकी थी, जो मेरी बहुत बड़ी कमज़ोरी रही है शुरू से ही…

एक गहरी स्मूच के बाद मेने उनका गाउन निकाल फेंका, उन्होने भी मेरे कपड़े नोंच डाले, और एक दूसरे में समाते चले गये…

भाभी को सबसे ज़्यादा मज़ा मेरे लंड की सवारी करने में ही आता था,.. सो उन्होने अपना हाथ मेरे सीने पर रख कर मुझे पलंग पर धकेल दिया…और


वो मेरे उपर सवार होकर अपनी चुचियों के कंट्रोल बटन्स (निपल्स) को मेरे सीने से रगड़ती हुई… फुल मस्ती से अपनी चूत को मेरे कड़क लंड पर रगड़ने लगी…

उनकी चूत से निकलने वाले रस से मेरी जांघें और पेट तक गीला होने लगा, फिर जब भाभी की मस्ती चरम पर पहुँची,

तो उन्होने अपना हाथ घुसा कर मेरे मूसल जैसे लंड को पकड़ कर अपनी सुरंग का रास्ता दिखा दिया…. और खुद पीछे को सरकती चली गयी….

जैसे – 2 लंड चूत की दीवारों को घिसता हुआ अंदर को बढ़ता गया, भाभी के मूह से सिसकारी निकलती चली गयी…

पूरा लंड सुरंग के अंदर फुँचते ही भाभी लंबी साँस छोड़ते हुए बोली…

अहह…..लल्ला…..सच में ये तुम्हारा हथियार दिनो दिन बड़ा ही होता जा रहा है….. उफफफ्फ़…. कहाँ तक मार करता है…

फिर धीरे – 2 धक्के लगाते हुए बुदबुदाने लगी – हाए मैयाअ… तभी तो रूचि के पापा के साथ मज़ा ही नही आता है मुझे….

ना जाने क्यों जितना सुकून और संतुष्टि सेक्स करने में मुझे भाभी के साथ होती थी, वो किसी और के साथ में नही होती थी…

मे और भाभी रात के तीसरे पहर तक एक दूसरे के साथ कुस्ति करते, एक दूसरे को मात देने की कोशिश में लगे रहे…..

आख़िरकार दोनो ही जीत कर हारते हुए.... थक कर चूर, कोई 3 बजे सोए…..!

सुबह नाश्ता करते हुए बाबूजी ने मुझे पुछा – छोटू बेटा ! तुझे मोबाइल चलाना आता है..?

मे – हां बाबूजी, उसमें क्या है… मेरे कयि दोस्तों के पास है.. (हालाँकि मोबाइल का चलन अभी कुच्छ समय पहले ही शुरू हुआ था.)

बाबूजी – तो एक काम कर राम को फोन करके बोल देना, एक मोबाइल लेता आए इस बार.. ये ज़रूरी चीज़ें होती जा रही हैं जिंदगी में…

मे – हां बाबूजी ! आप सही कह रहे हैं.. वैसे मे आपको बोलने ही वाला था इस बारे में, फोन होना ज़रूरी है…

बाबूजी – देखा बहू… हम बाप बेटे के विचार कितने मिलते हैं..

भाभी ने हँसकर कहा – हां बाबूजी… आख़िर खून तो एक ही है ना.. !

हम सभी चकित थे, आज बाबूजी के व्यवहार को देख कर.. कुच्छ दिनो से उनमें काफ़ी बदलाव आया था.. लेकिन आज वो कुच्छ ज़्यादा ही खुश लग रहे थे..

कारण मेरी समझ में कुच्छ -2 आता जा रहा था, उनके खुश रहने का राज,

मेने जैसा सोचा था, वैसा होता दिख रहा था…. बाबूजी की खुशी हम सबके लिए ज़रूरी थी..

खैर मे कॉलेज चला गया और लौटते में एसटीडी से मेने भैया को फोन करके बाबूजी की बात बताई.. उन्होने भी हां करदी…

सॅटर्डे को भैया आए और सिम के साथ मोबाइल भी ले आए, जो बाबूजी के नाम से आक्टीवेट था..

चूँकि दोनो भाइयों के पास पहले से ही फोन की सुविधा थी उनके ऑफीस और घर दोनो जगहों पर, तो अब दूरियाँ कम होने लगी थी…

हमारे इलाक़े के लोकल एमएलए रस बिहारी शर्मा, एक दिन अपने क्षेत्र के दौरे पर आए,
Reply
02-05-2020, 12:52 PM,
#54
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
जब उन्हें पता चला कि मास्टर शंकर लाल शर्मा का बेटा डीएसपी बन गया है, तो वो पर्षनली हमारे घर आए और पिताजी से मुलाकात की…

बाबूजी ने बड़े अच्छे से उनकी आवभगत की, मेरे बारे में भी बताया.. मेरी पर्सनॅलिटी देख कर बहुत प्रभावित हुए वो, और उन्होने पिताजी से कहा…

मास्टर साब ! आपने अपने सभी बच्चों की अच्छी परवरिश की है, ये बच्चा भी देखो क्या सही पर्सनॅलिटी है इसकी.. इसको भी कोई बड़ा अफ़सर बनाना…

बाबूजी – एमएलए साब ! इसकी परवरिश में मेरा कोई हाथ नही, जब ये 8थ क्लास में था, तभी इसकी माँ चल बसी… पर ईश्वार की कृपा से हमारी बहू बहुत अच्छी निकली और उसने मेरे घर को अच्छे से संभाल लिया…ये सब उसी की वजह से है….

एमएलए – हमें नही मिलवाएँगे उस देवी से …?

बाबूजी ने मुझे इशारा किया, तो मे भाभी को बुलाने चला गया, कुच्छ देर बाद हम तीनों चाय नाश्ते के साथ वहाँ पहुँचे…

बिना कहे चाय नाश्ते का इंतेज़ाम देख कर एमएलए बहुत प्रभावित हुए.. और बोले – अब आपको आपकी बहू के बारे में कुच्छ भी कहने की ज़रूरत नही है..

मे समझ गया कि इसके संस्कार कितने अच्छे हैं…

उन्होने भाभी को भी अपने पास बिठा लिया और इधर-उधर की घर परिवार की बातें करने लगे..

बातों -2 में एमएलए बोले – मास्टर साब ! मे आपके परिवार से बहुत प्रभावित हुआ हूँ, मेरी भी एक बेटी है.. पिच्छले साल ही उसने ग्रॅजुयेशन किया है…

अगर आप हमें अपने परिवार में शामिल करना चाहें तो आपके बेटे से मे अपनी बेटी की शादी करना चाहता हूँ…

बाबूजी ने जल्दी ही कोई जबाब नही दिया… और भाभी की तरफ देखने लगे… ना जाने उन्होने क्या इशारा किया…कुच्छ देर बाद बाबूजी ने उनसे कहा…

एमएलए साब ! आप जैसे बड़े आदमी की बेटी मेरे घर की बहू हो, इससे ज़्यादा हमारे लिए गर्व की क्या बात होगी… लेकिन फिर भी मे अपने बेटों की राई लिए बिना आपको कोई जबाब नही दे पाउन्गा..

एमएलए – कोई बात नही.. मे आपके जबाब का इंतेज़ार करूँगा.. और मुझे आपके विचार जानकार बड़ी खुशी हुई.. कि आप हर खास काम के लिए अपने परिवार से सलाह लेते हैं…

मुझे पूरा भरोसा है, की आपके परिवार में मेरी बेटी हमेशा खुश रहेगी.. अगर आपकी तरफ से हां हो तो आप हमें फोन कर दीजिए..

फिर उन्होने हमारा फोन नंबर लिया, और अपना फोन नंबर हमें दे दिया..

छोटे भैया को फोन कर दिया था अगले सनडे आने के लिए, जिससे सभी लोग मिल बैठ कर उनकी शादी के बारे में बात कर सकें..

अगले सॅटर्डे, शाम को ही दोनो भाई . गये.., रात के खाने पर ही बाबूजी ने बात छेड़ दी, और एमएलए के साथ हुई सारी बातें उन्हें बता दी.

सब कुच्छ बताने के बाद बाबूजी बोले – तुम क्या कहते हो राम बेटा, मेरे हिसाब से तो इतने बड़े खानदान से रिश्ता होना हमारे लिए गौरव की बात होगी..

राम – मे इस बारे में क्या कहूँ बाबूजी… ये कृष्णा की सारी जिंदगी का मामला है, वो ही कुच्छ बोल सकता है..

बाबूजी – तुम्हारा क्या विचार है कृष्णा…?

कृष्णा – आपको पता तो है ही बाबूजी… हमारे घर में आप जो फ़ैसला लेंगे, वो हम सबको मंजूर होता है.. फिर भी आप मुझसे पुच्छ रहे है.. आप और बड़े भैया जो कहेंगे वो मुझे भी मंजूर होगा..

भाभी – अगर बाबूजी की इज़ाज़त हो तो मे कुच्छ कहूँ..?

बाबूजी – अरे बहू ! ये क्या कह रही हो तुम, इस घर की बड़ी बहू ही नही.. मालकिन भी हो.. तुम्हें भला अपने विचार रखने के लिए किसी की इज़ाज़त की ज़रूरत नही है..

बोलो तुम्हारा क्या विचार है…?

भाभी – वो बहुत बड़े लोग हैं… स्वाभाविक है उनकी बेटी लाड प्यार में पली होगी, अगर वो हमारे परिवार को आक्सेप्ट नही कर पाई तो..?

राम – मोहिनी ठीक कह रही है बाबूजी… क्यों ना एक बार उनकी लड़की को देख लिया जाए..
Reply
02-05-2020, 12:52 PM,
#55
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
कुच्छ देर मोहिनी और चाची वग़ैरह उसके साथ समय बिताकर उसके स्वाभाव और विचार जानने की कोशिश करें…

बाबूजी – सही कहा तुमने.. हम कल ही इस विषय पर एमएलए से बात कर लेते हैं.. फिर देखते हैं वो क्या कहते हैं…

कृष्णा – कल क्यों ? अभी फोन से बात कर सकते हैं, अगर वो मान गये तो कल ही चलते हैं देखने…

भाभी हँसते हुए बोली – देखा बाबूजी… देवर्जी को कितनी जल्दी पड़ी है.. शादी की..

भाभी की बात सुनकर सभी हँसने लगे, तो छोटे भैया झेन्प्ते हुए बोले –

अरे वो बात नही है भाभी.. मेने सोचा कल सनडे है, फिर हम लोग अपनी ड्यूटी पर चले जाएँगे…

बाबूजी – ठीक है अभी बात कर लेते हैं.. छोटू उनका नंबर लगा..

मेने एमएलए का नंबर डाइयल किया, दो-चार बेल जाने के बाद उन्होने कॉल पिक की..

एमएलए – हेलो ! में एमएलए रस बिहारी बोल रहा हूँ.. आप कॉन..?

मे – एमएलए साब नमस्ते ! मे अंकुश **** गाओं से.. श्री शंकर लाल शर्मा जी का बेटा..

एमएलए – नमस्ते बेटा ! बोलो.. कैसे फोन किया..?

मे – लीजिए बाबूजी आपसे बात करना चाहते हैं.. फिर मेने उन्हें फोन दिया…

दोनो तरफ से रामा-कृष्णा होने के बाद बाबूजी ने उन्हें जो हमारे बीच डिसाइड हुआ था वो सब बता दिया..

एमएलए फ़ौरन तैयार हो गये और तय हुआ कि कल ही हम लड़की देखने चलेन्गे..

उसी टाइम मे जाकर तीनों चाचा-चाचियों को बुला लाया और उनसे कल सुबह लड़की देखने चलने की बात की…

बड़े चाचा और चाची ने बहाना करके मना कर दिया, जो संभावना भी थी लेकिन उनकी जगह आशा दीदी को ले जाने के लिए मान गये, मझली चाची और छोटे चाचा – चाची जाने के लिए तैयार हो गये…

दूसरे दिन सुबह ही मे कस्बे में जाके एक इंनोवा किराए से तय कर आया.. कृष्णा भैया की अपनी गाड़ी थी.. तो दो गाड़ियों में हम 10 लोग आराम से जा सकते थे..

एमएलए का घर राम भैया के कॉलेज वाले शहर में ही था.. तो समय के हिसाब से हम 10 बजे निकल लिए..

भैया की गाड़ी मे भैया के साथ बड़े भैया, भाभी और छोटी चाची बैठ गये.. बाकी 6 लोग क़ुआलिस में बैठ गये…

मे ड्राइवर के साथ था.. बीच की सीट पर रामा, आशा दीदी और छोटे चाचा बैठ गये, और पीछे की सीट पर बाबूजी और मन्झलि चाची बैठे थे…

इस तरह बैठने का मेरा ही प्लान था.. जिससे बाबूजी को थोडा चाची के साथ बैठने का समय मिल सके.. और बॅक व्यू मिरर से मुझे ये बात पक्की भी हो गयी.. कि उन दोनो के बीच ट्यूनिंग अच्छी चल रही है…..

चाची का पल्लू ढलका हुआ था, बाबूजी उनकी जाँघ सहला रहे थे, और शायद चाची का हाथ बाबूजी के हथियार पर था….!

11:30 तक हम उनके घर पहुँच गये.. एमएलए ने हम सबके स्वागत सत्कार में कोई कमी नही रखी..

एमएलए की लड़की कामिनी, अत्यंत ही खूबसूरत , 5’6” की हाइट, 34-28-35 का फिगर, रंग फक्क गोरा, अच्छे नैन नक्श…कुल मिलाकर देखने में एक सुन्दर सी कन्या के सारे गुण थे…


लेकिन अंदर के गुणों को भाभी और चाचियों को ही परखना था…,

सो चाय नाश्ते के बाद वो उसे एक कमरे में ले गयी और वहाँ उन्होने उसकी खूब जाँच पड़ताल कर ली…

अंदर से आकर भाभी छोटे भैया के पास ही बैठ गयी, और उन्होने उनके कान में फुसफुसा कर कहा…

मुझे तो लड़की कोई खास नही लगी, क्यों आप क्या कहते हो देवर्जी..?

भैया ने भाभी की तरफ बड़े अस्चर्य के साथ देखा… मानो पुच्छ रहे हों.. कि इतना अच्छा माल आपको पसंद नही आया…

भैया के चेहरे पर घोरे निराशा के भाव छा गये.. और एक लंबी सी साँस छोड़कर बोले – ठीक है भाभी ! आपको पसंद नही है तो कोई बात नही.. चलो चलते हैं फिर…

उनकी रोनी सी शक्ल देख कर भाभी ठहाका लगा कर हँसने लगी… सभी लोग उनकी तरफ देखने लगे…

बाबूजी – इस तरह से क्यों हँस रही हो बहू… हुआ क्या है..?

भाभी हँसते हुए बोली… अरे बाबूजी मेने थोड़ा मज़ाक में देवर्जी को बोल दिया कि मुझे लड़की खास नही लगी.. तो देखो कैसी रोनी सी शक्ल हो गयी है इनकी…
हाहहाहा…

भाभी की बात पर वहाँ मौजूद सभी लोग हँसने लगे.. और भैया.. झेंप गये..

भाभी – भाई मुझे तो लड़की बहुत पसंद आई… मेरी देवरानी होने के सारे गुण हैं उसमें.. अब आप लोग अपना कहिए…

दोनो चाचियों ने भी हामी भर दी.. और रिश्ता तय हो गया…

आनन-फानन में रिंग सेरेमनी भी कर दी गयी… फिर सगाई की तारीख पक्का करके हम सबने खाना खाया, और विदा हो लिए…

नवेंबर के महीने में शादी की डेट निकली… दोनो तरफ से तय हुआ कि शादी से एक हफ्ते पहले वो लोग सगाई की रसम करने हमारे यहाँ आएँगे…

सारे डेट वग़ैरह फिक्स करने के बाद निमंत्रण पत्र बनवा लिए गये और उन्हें सब जगह भेज दिया गया…

भैया दोनो अपने-2 जॉब पर चले गये, मे और बाबूजी परिवार के वाकी लोगों के सहयोग से शादी की तैयारियों में जुट गये…

आख़िर इलाक़े के एमएलए की लड़की की शादी थी, तो किसी बात की कमी ना हो उनके स्टेटस के हिसाब से इसका पूरा ध्यान रखा गया…

सगाई के दो दिन पहले से ही कुच्छ खास रिश्तेदार जैसे मेरी दोनो बुआएं, मामा-मामी.. और भाभी के भाई राजेश अपनी छोटी बेहन के साथ . गये…

निशा… भाभी की छोटी बेहन… मेरे उम्र की.. एकदम सिंगल पीस… भाभी की ट्रू कॉपी…


फककक गोरा बदन… गाओं की लालमी लिए गाल… सुतवान नाक.. तीखे नयन.. लंबे काले घने बाल… 5’7” की हाइट… 33-26-34 का फिगर…चंचल हिरनी जैसी शोख अदाएँ…

बोलती तो मानो कहीं दूर कोई कोयल कुहकी हो…और अगर हँस पड़े…. तो मानो गुलशन में बाहर खिल उठे….
Reply
02-05-2020, 12:52 PM,
#56
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
शाम को मे शादी की तैयारियों में लगा… शहर से लौटा था.. छोटे चाचा के साथ.. बुलेट पर कुच्छ समान लेकर लौटे थे हम दोनो....

मेने जैसे ही अपनी चौपाल पर गाड़ी खड़ी की.. घर के दरवाजे से निकल कर बाहर को आती हुई वो एक हल्की सी काली साड़ी में मेरे सामने खड़ी दिखी…

इससे पहले मेने उसे कभी नही देखा था, भैया की शादी पर मे बहुत छोटा था..बाद में ना मे कभी वहाँ गया, और ना वो कभी हमारे यहाँ आई थी..

मे सारे काम धाम, भूलकर उसकी सुंदरता में खो गया…

वो भी एकटक मुझे ही घूर रही थी…

कुच्छ लोग और भी वहाँ मौजूद थे… जो हम दोनो को एक दूसरे को घूरते हुए ही देखने लगे.. लेकिन कोई कुच्छ बोला नही…

10-15 मिनिट के बाद उसके पीछे से ताली बजने की आवाज़ के साथ भाभी की खिल-खिलाती आवाज़ सुनकर मे चोंक पड़ा.. वो भी हड़बड़ा कर नीचे देखने लगी..

वाउ ! तोता मैना मिलते ही एक दूसरे में गुम हो गये… हँसते हुए भाभी ने तंज़ मारा…

भाभी की बात सुनकर मे झेंप गया और नज़रें झुका कर स्माइल दी.. तब तक भाभी मेरे बगल में आकर खड़ी हो गयी…

मेने फुसफुसा कर कहा – ये कॉन है भाभी…? मेने इसे पहले कभी नही देखा..?

भाभी – इसमें इतने फुसफुसाने की क्या बात है.. तुम खुद ही पूछ लो इससे…

मे – बताओ ना भाभी…! मेरे मूह से भाभी सुनकर वो नज़रें झुकाए मंद मंद हँसने लगी…

भाभी – ये निशा है.. मेरी छोटी बेहन.. तुम्हारी साली है अभी तो…आगे का पता नही… हहेहहे…

और निशा ! ये हैं मेरे लाड्ले देवर, अंकुश उर्फ बुलेट राजा.. हहेहहे..

फर्स्ट एअर में हैं.. यहीं कॉलेज में..… और मेरा कान उमेठ्ते हुए बोली - बस हो गया ना इंट्रो अब चलो अपने काम में लगो….

वहाँ खड़े सभी लोग हँसने लगे.. तब मेरा ध्यान गया.. कि वहाँ मेरी दोनो बुआ मीरा और शांति अपने बच्चों के साथ थीं…!

मीरा बुआ – क्यों भाई छोटे उस्ताद, साली के मोहपाश में ऐसे खो गये, ये भी ध्यान नही दिया कि कोई और भी है यहाँ..

मेने जाकर दोनो बूआओं के पाँव छुये तो आशीर्वाद देते हुए शांति बुआ बोली – अब ये छोटे उस्ताद नही है दीदी.. देख नही रही हो…

हमारे घर में हैं कोई इसके मुकाबले का गबरू जवान…किसी फिल्म का हीरो सा लगता है अपना छोटू….!

मीरा बुआ ने अपने हाथ मेरे उपर उवारे, और माथा चूम कर बोली – किसी की नज़र ना लगे मेरे बेटे को…!

उसके बाद में घर के अंदर चला गया.. भाभी ने मुझे नाश्ता कराया.. उनके पास खड़ी निशा, रूचि को गोद में लिए चोर नज़रों से मेरी ओर देख रही थी…

मे – भाभी ! आपकी बेहन क्या कर रही है आजकल.. ?

भाभी – मुझे क्या तुमने इसका सीक्रेटरी समझ रखा है.. ? जो भी पुच्छना है, सीधे-सीधे उसको ही पुछो ना !

मे – हां तो साली साहिबा ! आजकल क्या कर रही हो..? आइ मीन पढ़ाई लिखाई…

पहली बार उसकी आवाज़ मेरे कानों में पड़ी.. लगा जैसे कोई कोयल कुहकी हो.. 12थ के एग्ज़ॅम दिए थे इस बार… नज़रें झुकाए जबाब दिया उसने.

मे – रिज़ल्ट क्या रहा..? तो वो बोली – पास हो गयी हो.. अच्छे नंबरों से..

मे – आगे का क्या प्लान है.. ?

तो उसने कहा – प्राइवेट फॉर्म भरना है.. बीए का.

मे – भाभी.. इन्हें यहीं बुला लो ना ! अपने कॉलेज में अड्मिशन दिलवा देते हैं..

भाभी – अच्छा जी ! तो साली को पर्मनेंट अपने पास रखना चाहते हो…! तुम तो बड़े चालू हो.. क्यों री निशा.. तू रहेगी यहाँ मेरे पास….

तभी रूचि बोल पड़ी… हां मम्मी.. मौसी भी हमारे पास रहेगी.. मुझे मौसी बहुत अच्छी लगती है…

मे – अरे वाह ! हमारी बिटिया को भी इतना जल्दी अपने बस में कर लिया इन्होने.. वास्तव में ये कोई जादू जानती हैं…

भाभी – तो क्या किसी और को भी बस में कर लिया है इसने..? हाँ !

मे उनकी बात सुनकर हड़बड़ा गया.. और झेन्प्ते हुए बोला – व.व.वो.. मे ..तो.. बस… ऐसे ही बोला.. कि अभी कुच्छ घंटों में ही रूचि अपनी मौसी के फेवर में बोलने लगी…

मेरी हड़बड़ाहट देख कर भाभी और रामा दीदी ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी और निशा भी दबी आवाज़ में उनका साथ देने लगी… मे अपनी इज़्ज़त बचा कर घर से बाहर चला गया………..!!
रात को खाने के बाद, मे और चाचा लोग बैठक में बाबूजी के पास बैठे हिसाब-किताब कर रहे थे.. क्या-क्या हो गया, क्या-क्या करना वाकी है, कैसे और कौन करेगा यही सब तय कर रहे थे…

तभी रूचि भागती हुई मेरे पास आई और मेरी गोद में आकर बैठते हुए बोली – चाचू… आपको मम्मी बुला रही है…

मेने उसके गाल को चूमा और बोला – अभी चलते हैं… तुम थोड़ी देर चाचू के पास बैठो… तो वो ज़िद करते हुए बोली – नही अभी चलो…

मे उसे और कुच्छ समझाता कि बाबूजी बोले – तू जा बेटा, हम देख लेंगे वाकई का.. वो एक बार ज़िद पकड़ गयी तो फिर किसी की सुनने वाली नही है..

मे उसे गोद में लेकर वहाँ से घर चला आया.. रास्ते में मेने उसे पुछा.. बेटा अभी मम्मी कहाँ हैं..

रूचि – वो मेरे वाले घर में हैं..

मे – तुम्हारे वाले घर में..? वो कहाँ है…?

रूचि – ओह… चाचू ! आप बिल्कुल बुद्धू हो क्या..? मेरा घर नही पता आपको..? अरे वही जहाँ मम्मी और मे रहते हैं…

मे – ओह अच्छा.. ! हां अब याद आया मुझे.. चलो वहीं चलते हैं…

मे रूचि को लिए भाभी के रूम में चला गया.. वहाँ उनके साथ दीदी और निशा दोनो बैठी हुई थी…

मुझे देखते ही भाभी बोली – आओ लल्लाजी.. बैठो.. वो तीनों बॅड पर बैठी हुई थी, मे जाकर बाजू में पड़ी चेयर पर बैठ गया..

रूचि मेरी गोद से उतर कर उन तीनों के बीच जाकर बैठ गयी…

भाभी – हां तो लल्लाजी .. सब तैयारियाँ हो गयीं या अभी कुच्छ वाकी है.. ?

मे – ऑलमोस्ट हो ही गयीं हैं भाभी… बस सुबह जल्दी जाके कस्बे से सब समान उठवा कर लाना है..

भाभी – वो निशा के अड्मिशन वाली बात तुमने ऐसे ही मज़ाक में कही थी या सीरियस्ली बोला था…?

मे – मेने आपसे कभी मज़ाक किया है..?

भाभी – लेकिन अब तो आधा साल निकल गया… अब कॉन अड्मिशन कर लेगा..?

मे – वो आप मुझपर छोड़ दो.. वाकई निशा जी अपना देखें, क्या ये कोर्स कवर कर पाएँगी…?

भाभी ने निशा की तरफ देखा… तो वो उनका आशय समझ कर बोली – ये हेल्प करेंगे तो हो भी सकता है..

फिर भाभी मेरी ओर देखने लगी – मेने कहा.. मे क्या हेल्प कर पाउन्गा.. ज़्यादा से ज़्यादा अपने नोट्स ही शेयर कर सकता हूँ… वाकी तो इनको ही देखना है…!

भाभी – मुझे लगता है निशा, अब बहुत देर हो चुकी है इस सबके लिए.. तू जैसा करना चाहती थी वोही कर…

इतना कह कर भाभी उठ गयी और बोली – चलो रामा तुम मेरे साथ आओ, थोड़ा मिलकर किचेन का काम निपटा लेते हैं..

निशा – मे भी आपके साथ आती हूँ दीदी..

भाभी – नही ! तू यहीं रुक, रूचि के पास.. बातें करो..

उनके साथ मे भी उठ खड़ा हुआ… तो भाभी ने मेरे दोनो हाथ पकड़े और पलंग पर बिठाते हुए बोली – तुम कहाँ चले लल्ला जी…?

थोड़ा साली के साथ बैठ कर समय बतियाओ… मस्ती मज़ाक करो… तुम दोनो का रिश्ता ही ऐसा है.. इसमें झिझकना कैसा… और आज मौका भी है एक दूसरे से बात करने का.. कल तो भीड़ बढ़ जाएगी….

इतना बोलकर वो दोनो निकल गयीं… जाते-2 दीदी ने एक शरारत भरी स्माइल दी, और मुझे थंप्स अप का इशारा करते हुए, भाभी के पीछे चली गयी…

मे पलंग पर बैठा था, रूचि मेरे पास आ गई, और मेरी गोद में बैठ गयी..

निशा पलंग के नीचे खड़ी थी, तो रूचि ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली – आप भी हमारे साथ बैठो ना मौसी…

निशा – नही बेटा.. मे ठीक हूँ, और तुम्हारे पास ही तो हूँ…

मे – बच्ची कह रही है तो बैठ भी जाइए… अब जब भाभी ने बोल ही दिया है जान-पहचान बढ़ने के लिए तो फिर.. ये हिचक क्यों…

वो धीरे से थोड़ा दूरी बनाकर हमारे बगल में बैठ गयी..

निशा अपनी गोद में अपने हाथों को रखे, आपस में अपनी उंगलियों से खेलती नज़रें झुकाए.. सिकुड़ी सिमटी सी बैठी थी…!

मेने रूचि से कहा – बेटा ! अपनी मौसी से पुछो, वो इतना डर क्यों रही है…
क्या हमारे घर में उनको कोई प्राब्लम है… !

वो तपाक से बोली – नही तो मे कहाँ डर रही हूँ, और आपने ऐसा क्यों बोला कि मुझे यहाँ प्राब्लम है..?

मे – वो आप ऐसे सिकुड़ी, सिमटी सी बैठी हो ना इसलिए.. पुछा.. की शायद आप यहाँ अनकंफर्टबल फील कर रही होगी…

वो कुच्छ नही बोली.. और ज़्यादा अपनी उंगलियों से खेलने लगी, .. मेने उसके चेहरे की तरफ गौर किया, तो पाया की वो भी कुछ ज़्यादा लाल हो रहा था, शर्म से उसके होंठों में कंपन जैसा हो रहा था…

मे – शायद आपको ठंड लग रही है.. एक काम करिए, आप कंबल ओढ़ लीजिए..

वो – नही.. नही.. मुझे तुंड नही लग रही.. मे ठीक हूँ.. आपको लग रही हो तो आप ओढ़ लीजिए…

मे – भाई हमें तो लग रही है.. क्यों रूचि बेटा.. कंबल ओढें…? रूचि ने हामी भर दी तो मे पालग पर और उपर की तरफ सरक कर रूचि को गोद में बिठा कर आगे घुटनों पर कंबल डाल लिया..

फिर मेने कहा – देखिए निशा जी.. शर्म या शेखी में कुच्छ नही रखा.. ठंड तो है ही, लीजिए आप भी डाल लीजिए अपने उपर..

अगर एक ही कंबल में आपको कोई प्राब्लम है तो दूसरा ले लीजिए, यही कही रखा होगा.. वैसे ये भी डबल बेड का ही है..

तो कुच्छ सोच कर उसने भी मेरे बगल में बैठ कर अपने पैर सिकोड लिए और पालती मारकर कंबल ओढ़ लिया…..

रूचि मेरी गोद से निकल कर उसकी गोद की तरफ जाने लगी.. तो उसने भी मेरी तरफ झुक कर उसे लेने के लिए हाथ बढ़ाए, इस चक्कर में उसका एक हाथ मेरी जाँघ से टच हो गया…

हाथ लगते ही उसका शरीर कंप-कंपा गया… रूचि को ठीक से बिठा कर उसने अपनी नज़रें झुका ली, और चोरी-2 मेरी ओर देखने लगी…

मेने रूचि के गाल को चूम कर कहा – क्यों बेटा ! मौसी क्या आ गई.. चाचू की गोद अच्छी नही लग रही है अब… मेरी बात सुन वो मुस्कराने लगी…

मेने बात करने की गर्ज से कहा – वैसे निशा जी ! भाभी ने बाहर तोता-मैना कहा था.. उसका क्या मतलब है…?

उसने एक पल के लिए मेरी ओर देखा… मेरी नज़रों से नज़र मिलते ही उसकी सुर्मयि आँखों के दरवाजे फिर से बंद हो गये… और उसने अपनी नज़रें झुका ली…

बताइए ना ! क्या मतालाव है उस बात का…? मेने फिर कहा… तो वो इस बार मेरी आँखों में आँखें डालकर देखने लगी..

शायद ये जानना चाहती थी कि मे वाकई उस बात से अंजान हूँ, या जानबूझकर पुच्छ रहा हूँ…
Reply
02-05-2020, 12:53 PM,
#57
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
बताइए ना ! क्या मतलव है उस बात का…? मेने फिर कहा… तो वो इस बार मेरी आँखों में आँखें डालकर देखने लगी..

शायद ये जानना चाहती थी कि मे वाकई उस बात से अंजान हूँ, या जानबूझकर पुच्छ रहा हूँ…

मेरी आँखों में शरारत के कोई भाव ना देख, वो बोली – सच में आपको तोता – मैना की कहानी नही मालूम..?

मे – क्या..? ये कोई कहानी है..? सच में मेने कभी किसी से नही सुनी.. आप सुनाइए ना.. प्लीज़…

वो शर्मा कर फिर से नीचे की ओर देखने लगी… और इस बार उसने रूचि से कहा –

रूचि ! तेरे चाचू तो सच में बड़े भोले हैं.. इतने बड़े हो गये और इन्हें अभी तक तोता –मैना के बारे में पता नही है…

फिर वो रूचि से ही मुखातिब होकर बोली – रूचि तुझे पता है.. तोता मैना ना ! एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थे… ये बोलते वक़्त उसके गालों पर शर्म की लाली साफ साफ दिखाई दे रही थी…….

निशा ने फिर एक बार अपने आप को संयत किया और फिर आगे बोलना शुरू किया –
कहते हैं… उन दोनो का प्यार 7 जन्मों तक चला… जिनमें हीर-रांझा, शीरी- फरहद, लैला – मजनूं, रोमीयो-जूलियट, सोहनी-महिवाल,

एक जन्म में तो वो बंदर-बंदरिया भी थे, पक्षियों में तोता-मैना… इस तरह 7 जन्म तक उनका प्यार चलता रहा…

मे – तो क्या वो लैला –मजनूं और हीर-रांझा जो पिक्चर बनी हैं… उनके उपर ही बनी हैं…

वो – हां ! और वो किसी भी जन्म में एक नही हो पाए… अंत में एक-दूसरे की बाहों में ही दम तोड़ा…

कहानी बताते-2 वो मेरी आँखों में देखती हुई खो गयी… में भी अपलक उसकी झील सी गहरी आँखों में डूब सा गया…

ना जाने कैसे और कब हमारे हाथ एक दूसरे के हाथों में आ गये थे….

जाने कैसा आकर्षण था हम दोनो के बीच, की हम एक दूसरे की तरफ झुकते चले गये…

दोनो के होठों को आपस में जुड़ने के लिए कुच्छ ही फासला शेष था, एक दूसरे की साँसें आपस में टकराने लगी थी…कि , तभी रूचि बोल पड़ी..

फिर क्या हुआ मौसी…? आगे सूनाओ ना !

रूचि की आवाज़ सुनकर हम दोनो ही जैसे नींद से जागे… और हड़बड़ा कर सीधे होकर बैठ गये…नज़रें स्वतः ही झुकती चली गयी…

निशा – बेटा कहानी ख़तम हो गयी, अब तुम चाचू की गोद में बैठो.. मे अभी आती हूँ.. इतना बोल कर उसने रूचि को मेरी गोद में बिठाया और खुद पलंग से उठ गयी…..!

ना जाने मेरे अंदर कहाँ से इतनी हिम्मत आ गयी, कि मेने उसका हाथ पकड़ लिया… और बोला –

लेकिन निशा जी मेरे मन में कुच्छ और भी सवाल हैं..

उसने मेरे हाथ के उपर अपना हाथ रख दिया और उसे प्यार से हटते हुए बोली –

उनका जबाब अपनी भाभी से पुच्छ लेना.. इतना कह कर वो रूम से बाहर चली गयी….

मे ठगा सा वहीं बैठा रह गया… किसी महान चूतिया की तरह….

फिर कुच्छ देर और वहीं बैठा रूचि के साथ खेलता रहा… कुच्छ देर बाद वो मेरी गोद में ही सो गयी..

उसे पलंग पर लिटा कर मे भी अपने कमरे में सोने चला गया..

बिस्तर पर पड़े-2 मे निशा की बातों के बारे में ही सोचता रहा… नींद मेरी आँखों से कोसों दूर जा चुकी थी…

रह-रह कर मेरे मन में यही सवाल कोंध रहा था.. की जब कहानी की सच्चाई ये है.. तो भाभी ने हमें तोता-मैना क्यों कहा..?

क्या ये महज़ एक जुमला था या कुच्छ और…?

जो भी हो… मेरा मन उसकी ओर खिंचा जा रहा था…उसकी वो झील सी आँखें जिनमें ना जाने कैसा आकर्षण था…मेरे ख़यालों में आ जाती और मे अपने अनादर अनजानी बेचैनी महसूस करने लगता..…!

मेने इस बार कस कर अपनी आँखें बंद की और सोने की कोशिश करने लगा, कि उसका मासूम सा चेहरा फिरसे मेरे सामने आगेया.. मे फिरसे उसके ख़यालों में खोने लगा..

बार -2 उसकी मधुर आवाज़ कानों में गूंजने लगती.. अभी में इन ख्वाओं ख़यालों से बाहर निकलने के लिए जूझ ही रहा था कि दरवाजा खुलने की आवाज़ सुनाई दी…

मेने झट से अपनी आँखें खोल दी… देखा तो सामने भाभी दूध का ग्लास हाथ में लिए खड़ी थी… मुझे जागते हुए पाकर वो मेरे पास आकर बैठ गयी…

दूध का ग्लास मेरे हाथ में दिया और मेरे चेहरे की तरफ गौर से देखने लगी..

मेने ग्लास खाली करके उन्हें पकड़ा दिया, खाली ग्लास को हाथ लेते हुए वो बोली..

लल्ला ! कुच्छ परेशान लग रहे हो…? बात क्या है, नींद नही आरहि.. ?

एक बार मेरे मन में आया कि भाभी से पुच्छ लूँ… लेकिन फिर सोचा.. पता नही वो कैसे रिएक्ट करेंगी…

मे – कुच्छ नही भाभी, बस दिनभर की भाग दौड़ से थोड़ा थकान सी है.. और वाकी बचे कामों के बारे में सोच रहा था, इसलिए नींद नही आई अबतक..

भाभी – चलो अब ज़्यादा टेन्षन ना लो, और सो जाओ.. और मेरे सर को प्यार से सहला कर वो चली गयी….

कुच्छ देर की कोशिशों के बाद उसके ख़यालों में खोया हुआ मे भी नींद के आगोश में चला गया…

दूसरे दिन दोनो भाई भी आ गये… उन्होने सारी तैयारियों का जायज़ा लिया.. कुच्छ शहरी स्टाइल से चेंजस भी कराए…

घर में भीड़-भाड़ ज़्यादा हो गयी थी… दिन भर की भाग दौड़ के कारण निशा से मेरी और कोई बात नही हो पाई.. बस एक-दो बार आमना सामना हुआ…

नज़रें चार होते ही उसके चेहरे पर शर्मीली सी मुस्कान आ जाती.. और फिरसे नज़रें नीची करके वो मेरी आँखों से ओझल हो जाती…!

लेकिन जितनी देर मे घर में होता… मेरी नज़रें उसीको तलाश करती रहती.., मे समझ नही पा रहा था, कि आख़िर ये कैसा आकर्षण है…!
Reply
02-05-2020, 12:53 PM,
#58
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
घर, गाओं, कॉलेज में और भी लड़कियाँ थी, लेकिन ऐसा कभी किसी के साथ नही हुआ था…तो फिर अब क्यों…?

आख़िर सगाई का समय आ गया.. म्ला अपने सगे संबंधियों समेत हमारे दवाजे पर आ चुके थे…

गाओं की रीति-रिवाजों और घर मोहल्ले की औरतों के मंगाळाचरण के बीच सगाई की रसम पूरी हुई… उसके बाद हमने सारे गाओं को दावत दी…

लगान पत्रिका के हिसाब से 3 दिन पहले हल्दी की रस्म थी…पूरे घर, आँगन में चारों तरफ खुशी भरा माहौल व्याप्त था…

पूरे आस-पास के इलाक़े में इस शादी को लेकर चर्चाएँ थीं, हो भी क्यों ना… आख़िर तो एक एमएलए की लड़की और डीएसपी की शादी जो थी…

आज हल्दी की रस्म होनी थी… वार के नहाने से पहले उसे हल्दी लगाई जाती थी, उसके कुच्छ घंटे के बाद बेसन से उबटन करके नहलाया जाता था,

नहाने तक के सारे काम वार खुद नही करता था, उसकी भाभी, चाची, बहनें या फिर बुआएं मिलकर करती थी…

आँगन में मनझले भैया.. मात्र अंडरवेर के उपर एक लूँगी लपेट कर एक लकड़ी के पटरे पर बैठ गये..

एक बर्तन में हल्दी और चंदन का लेप घोला हुआ था.. पंडित जी ने मंत्रोचारण करके विधि शुरू कराई.. बहनों और बूआओं ने भैया के शरीर पर हल्दी का लेप लगा कर शुरुआत की..

उसके बाद चाचियों ने हल्दी लगाई… उसके बाद भाभी का नंबर आया…

मे भैया के पीछे खड़ा कौतूहल वश ये सब देख रहा था… भाभी मज़ाक करते-2 भैया के हल्दी लगा रही थी… कभी-2 उनके गालों पर हल्दी लगते-2 चॉंट लेती.. तो भैया के मूह से आउच.. करके मीठी कराह निकल जाती…

मे सब इन्ही चुहल बाज़ियों का आनंद ले रहा था सभी एक दूसरे से हसी-ठिठोली कर रहे थे…

अचानक निशा ने हल्दी के बर्तन से हल्दी अपने हाथों में लेकर छुपा ली.. किसी का ध्यान उसकी तरफ नही था…

वो चुपके से मेरे करीब आई और अपने हल्दी भरे हाथ मेरे गालों पर रगड़ दिए…

जैसे ही मुझे पता लगा.. और मेने उसके हाथ पकड़ने की कोशिश की… खिल-खिलाती हुई वो मेरे से दूर भाग गयी…

सबकी नज़रें मेरी तरफ मूड गयी… सब लोग हँसते-2 लॉट पॉट हो रहे थे…

शांति बुआ ने मेरी गैरत को ललकारा… हाए रे लल्ला… कैसा मर्द है तू.. साली तुझे हल्दी लगा गयी… और तू कुच्छ नही कर पाया… तुझे तो चुल्लू भर पानी में डूब मारना चाहिए…

तो मेने भी अपने हाथों में हल्दी ली और उसकी तरफ बढ़ने लगा… वो मेरे से बचने के लिए इधर से उधर भागने लगी…

मनझले भैया ने मुझे उकसाया…. शाबास छोटू… छोड़ना मत उसको… अगर बच गयी… तो समझ लेना हमारी नाक कट जाएगी…

मे उसके पीछे लपका… बचने के लिए वो इधर-से-उधर भागने लगी.. पूरे आँगन में.. लेकिन मेने उसका पीछा नही छोड़ा…..

अंत में उसे कोई रास्ता नही सूझा तो वो झीने पर चढ़ गयी.. और उपर के कमरे में घुस गयी…

लेकिन इससे पहले कि वो उसका दरवाजा अंदर से बंद कर पाती.. मेने दरवाजे को धक्का देकर खोल दिया…………!



अब वो कहीं भाग नही सकती थी.. सो कमरे के एक कोने में जाकर खड़ी हो गयी… गर्दन नीची किए, सिमटी सी सरमाई सी…होठों पर एक मीठी सी मुस्कान लिए…

मे धीरे – 2 कदम बढ़ाता हुआ उसके नज़दीक जाने लगा, ना जाने क्यों…? जैसे – 2 मेरे कदम उसकी तरफ बढ़ रहे थे, पूरे शरीर में एक अजीब सी उत्तेजना पैदा होने लगी…

जिसमें वासना लेशमात्र भी नही थी, मेरे शरीर के सारे रौंय खड़े होने लगे…शरीर में अजीब सी कंपकंपाहाट सी होने लगी.

अभी में उससे कुच्छ कदम दूर ही था, कि उसके लरजते होंठ हिले…काँपती सी आवाज़ में बोली – प्लीज़ अंकुश जी, मुझे जाने दो…

मेने कदम आगे बढ़ाते हुए कहा – वार करके हथियार डालना ठीक नही है..जब तक अपने जैसा फेस आपका नही हो जाता, यहाँ से हिलना भी संभव नही होगा.

अब ये आपके उपर निर्भर करता है, कि प्यार से होगा या फिर…..मेने जान बूझकर अपनी बात अधूरी छोड़ दी और आगे बढ़ा…

वो खिल-खिलाती हुई फ़ौरन ज़मीन पर उकड़ू बैठ गयी, और अपने चेहरे को घुटनों में देकर छिपाने की कोशिश करने लगी…!

मे उसके सर पर खड़ा होकर बोला – बचना बेकार है निशा जी… आपने सोए हुए शेर को जगा दिया है… अच्छा होगा प्यार से लगवा लो… वरना मुझे जबर्जस्ती करना भी आता है…

वो – प्लीज़ अंकुश जी मत करिए ना… मान जाइए प्लीज़…!

मे – शुरुआत तो आपने ही की है… अब ख़तम तो मुझे करना ही पड़ेगा ना… ये कहकर मेने अपने हाथ उसकी बगलों में फँसा दिए…

उसने अपने घुटने शरीर से और ज़ोर्से सटा लिए और ज़्यादा सर झुका कर उनके बीच कर लिया…!

अपने शरीर को उसने ऐसा कस लिया, कि मेरे हाथ उसके अंदर घुस नही पा रहे थे..

तो मेने उसके बगलों में गुदगुदी कर दी.. वो खिल-खिलाकर अपने बदन को इधर से उधर लहराने लगी..

इतने में ही मुझे मौका मिल गया और मेरे हल्दी भरे हाथों ने उसके दोनो गालों को रगड़ दिया…

उसने हथियार डाल दिए और खड़ी हो गयी.. मेरे हाथ अभी भी उसके गालों पर ही थे.. उसकी पीठ मेरे पेट और सीने से सटी हुई थी….!

वो अब भी मेरे हाथों को अपने गालों से हटाने की कोशिश में लगी थी, लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ…

मे उसके गाल मलने में लीन हो गया…आगे को झुक कर उसने अपने चेहरे को नीचे करने की कोशिश की जिससे उसकी अन्छुई गान्ड पीछे को होकर मेरी जांघों से सट गयी…

उसकी मक्खन जैसी मुलायम गान्ड मुझे और ज़्यादा उससे चिपकने पर मजबूर करने लगी…दोनो के शरीर में एक कंपकपि सी हो रही थी.

जब काफ़ी देर तक ये चलता रहा, तो आख़िर में उसने अपने हथियार डाल दिए और बोली –

अब तो छोड़ दीजिए प्लीज़… अब तो आपके मन की हो गयी ना… वो फुसफुसाई…

मे – मन की आप कहाँ होने दे रही हैं निशा जी !… मेने उसके ठीक कान के पास अपने होठ लेजा कर कहा…

वो – और कितना रगडेन्गे…? पूरा तो रगड़ दिया…

मे – लेकिन आपने प्यार से तो रगड़ने नही दिया ना !... ज़बरदस्ती में मज़ा नही आया !

वो – प्यार से और कैसे होता है…?

मेने उसको अपनी तरफ घुमाया, और अपने हल्दी लगे गाल जो उसने रंग दिए थे.. उनको उसके गालों से रगड़ने लगा..

मेरे खुरदुरे शेव किए हुए गालों की रगड़ अपने गालों पर महसूस करके

निशा की आँखें बंद हो गयी.. और उसकी साँसें भारी होने लगी…

छोड़िए ना प्लीज़… कोई आजाएगा… वो काँपते से स्वर में बोली…

तो आने दो… ये कह कर मेने अपने होठ उसके होठों पर रख दिए, और एक प्यार भरा चुंबन लेकर उसको छोड़ दिया….

वो शर्मीली स्माइल करती हुई वहाँ से भाग गयी.. और कमरे के दरवाजे से निकल कर साइड में दीवार से पीठ टिका कर लंबी-2 साँसें लेने लगी…
Reply
02-05-2020, 12:53 PM,
#59
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
वो शर्मीली स्माइल करती हुई वहाँ से भाग गयी.. और कमरे के दरवाजे से निकल कर साइड में दीवार से पीठ टिका कर लंबी-2 साँसें लेने लगी…

उसके पीछे-2 में भी बाहर आया… और उसको वहाँ खड़ा देख कर मेने अपने दोनो हाथ उसके सर के आजू-बाजू से निकालकर दीवार पर टिका कर बोला…

निशा जी आप बहुत सुंदर हो… ! मे आपको पसंद करने लगा हूँ…!

उसने कोई जबाब नही दिया.. बस एक बार उसके होंठ लरजे…और फिर मेरे बाजू के नीचे से सर निकल कर किसी चाचल हिरनी की तरह झीने से भागती हुई नीचे चली गयी…

मे मन ही मन मुस्करा उठा, और धीरे-2 नीचे की तरफ बढ़ गया…

आँगन में खड़े सब लोग उसका हल्दी से पुता चेहरा देख कर हँसने लगे..

भैया ने कहा – शाबास मेरे शेर.. ये हुई ना कुच्छ बात.. फिर बोले – खाली हल्दी ही लगाई या कुच्छ और… भी…. हाहहहाहा….

मेरी मुस्कराहट देख कर भाभी भाँप गयी.. कि बात अब हल्दी लगाने तक ही नही रही.. वो मन ही मन खुश हो रही थीं…

घर में रिश्तेदारो की भीड़-भाड़ बढ़ती जा रही थी, सो अब सिर्फ़ आँखों -2 में ही प्यार पल रहा था.. जो दिलों में और ज़्यादा हलचल बढ़ती जा रही थी…

भैया की शादी बड़ी धूम-धाम से संपन्न हो गयी… घर में एक सदस्या की बढ़ोत्तरी हो गयी थी… और आज नयी भाभी कामिनी अपने प्रियतम की बाहों में थी…

उनको तो फर्स्ट फ्लोर पर एक सेपरेट कमरा सज़ा सजाया मिल गया था सुहागरात मनाने के लिए… लेकिन वाकी लोगों को अड्जस्ट करने के लिए… काफ़ी मुश्किलें थी…

सभी चाचाओं के घर भी फुल थे… हमारे घर में तो और ही बुरा हाल था, बारात से लौटे, हारे थके सभी लोग जिसको जहाँ जगह मिली घुस गये रज़ाई लेकर…

काम निपटाते-2, और सभी रिश्तेदारों के इंतेज़ाम करते -2 मे अकेला रह गया..

घर में सब जगह एक चक्कर लगा के देखा कि शायद कहीं जगह मिल जाए..

आख़िरकार हॉल में दीवार की तरफ एक आदमी के लायक जगह मुझे मिल ही गयी…

नींद से आखें मुन्दने लगी थी.. रज़ाई ढूँढने की कोशिश की, तो कहीं नही दिखी…

तो में वहीं लास्ट में अपने घुटने जोड़कर दीवार की तरफ मूह करके सो गया…
मेने ये भी जानने की कोशिश नही कि बगल में रज़ाई ओढ़े कौन सो रहा है..

इधर आँखों में नींद और उपर से ठंड, मेने आधी नींद में ही बगल में सोने वाले की रज़ाई थोड़ी सी अपनी तरफ खींची और उसकी तरफ करवट लेकर रज़ाई अपने उपर कर ली…

शांति बुआ ने, अपनी रज़ाई खींचती देख उन्होने पीच्चे पलट कर देखा तो मुझे गहरी नींद में सोता देख कर वो थोड़ा और पीछे हो गयी जिससे एक सिंगल टेंट की रज़ाई में हम दोनो का गुज़ारा चल सके…

इस चक्कर में उनके मांसल कूल्हे मेरी जांघों से सट गये… एक रज़ाई में दो शरीर सटने से गर्मी आ ही जाती है… तो हम दोनो की ठंड भी गायब हो गयी…

लेकिन बुआ की नींद उड़ चुकी थी.. और वो धीरे-2 अपने कूल्हे मेरी जांघों के उपर रगड़ने लगी,

मांसल कुल्हों के दबाब से मेरी टाँगें जो कुच्छ मूडी हुई थी वो भी सीधी हो गयी…

अब शांति बुआ की चौड़ी चकली गान्ड का दबाब मेरे लंड पर भी होने लगा था….कुच्छ तो गान्ड की गर्मी,

उपर से वो धीरे- 2 मेरे लंड के उपर नीचे हो रही थी…सो मेरा लंड नींद में भी अपनी औकात में आने लगा…

जब सपने में किसी के स्पर्श के एहसास से लॉडा खड़ा होकर पानी फेंक देता है… तो यहाँ तो ये सब साक्षात डबल धमाल चल रहा था…

जैसे-2 मेरा लंड पाजामे में उठता जा रहा था, बुआ उतनी ही अपनी गान्ड को और पीछे करके मेरे लंड पर रगड़ने लगी…

उसने ठीक अपनी गान्ड की दरार मेरे लंड की सीध में सेट करके अपनी गान्ड को मूव करने लगी…..

कई रातों से ठीक से ना सोने की वजह से मेरी नींद बहुत गहरी थी, मुझे दीन दुनिया की कोई खबर नही थी.. जिसका पूरा फ़ायदा बुआ उठा रही थी..

हॉल में शायद ही कोई होगा जो नींद में ना हो…

अब बुआ ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने एक चुचे पर रख लिया और उसे मेरे हाथ के साथ मसल्ने लगी..

उन्होने अपनी साड़ी को भी कमर तक चढ़ा लिया..और मेरे लंड की कडकनेस्स का अपनी पैंटी के उपर से ही भरपूर मज़ा लेने लगी…

बुआ की पैंटी गीली होने लगी थी, और वो बेहद गरम हो चुकी थी… उसे पक्का यकीन हो गया था कि अब मे नींद से उठ नही सकता..

बुआ ने पलट कर मेरी तरफ अपना मूह कर लिया… और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे पाजामे को घुटनो तक सरका दिया…

फ्रेंची में फनफनाता मेरा लंड उसको और उत्तेजित करने लगा, तो उन्होने उसे अपनी मुट्ठी में कस लिया…

मेरे लंड के आकार और उसकी अकड़ देख कर बुआ के मूह से सिसकी निकल गयी.. और मन ही मन फुसफुसाई… हइई…दैयाअ… कितना मस्त लंड है छोटू का… इसको चूत में लेने में कितना मज़ा आएगा…

उफफफफफ्फ़…. सोचकर ही मेरी चूत गीली हो गयी.., अगर ये मेरी चूत में जाए तो क्या होगा….? अहह…

इस सोच के साथ ही उसने हिम्मत भी कर डाली, और मेरे फ्रेंची को खिसका नीचे कर दिया…
Reply
02-05-2020, 12:53 PM,
#60
RE: Bhabhi ki Chudai लाड़ला देवर पार्ट -2
अब मेरा नंगा सुडौल 8” का गरमा-गरम किसी रोड जैसा कड़क लंड, बुआ की मुट्ठी में क़ैद था, जिसे वो धीरे – 2 उपर नीचे करके मुठियाने लगी…

वो नीचे को खिसकी, और उसने मेरे लंड का चुम्मा ले लिया, फिर धीरे से चाट कर अपनी चूत को रगड़ने लगी….

वासना बुआ के सर पर सवार हो चुकी थी, सो उसने अपनी पैंटी को निकाल फेंका,

मुझे कंधे से धक्का देकर सीधा किया और रज़ाई ओढ़े ही ओढ़े, अपनी चौड़ी गान्ड लेकर मेरे उपर सवार हो गयी…

मेरे दोनो ओर अपने घुटने टिकाए उसने अपनी गीली रस से सराबोर गरम चूत को मेरे लंड पर सेट किया और उसके ऊपर बैठती चली गयी…

मेरा लंड शायद बुआ की चूत के हिसाब से ज़्यादा मोटा था.., क्योंकि उसे अंदर करते हुए उसे दर्द का अहसास हुआ और उसने अपने होंठ कस कर भींच लिए…!

धीरे-2 कर के उसने मेरे पूरे लंड को उसकी चूत ने निगल लिया, और फिर मेरे ऊपर पसर कर हांपने लगी….!

उसकी खरबूजे जैसी चुचियाँ मेरे चौड़े चक्ले सीने से दब कर ब्लाउज को फाडे डाल रही थी…

नीम बेहोशी जैसी नींद की हालत में, मुझे ये सब सपने में होता प्रतीत हो रहा था…

लेकिन जब लंड पर चूत की गर्मी और गीलापन महसूस होते ही मेरी नींद खुल गयी.. और मेने अपनी आँखे खोल कर देखा…

शांति बुआ मेरे सीने में अपने बड़े-2 मुलायम चुचों को दबाए अपना मुँह मेरे कंधे से सटाये पड़ी हाँफ रही थी…

पहले तो मे उसको पहचान ही नही पाया…, इसलिए मेने उसके दोनो कंधे पकड़ कर जैसे ही उठाया वो सकपका गयी.. और उसने फिर से अपना मुँह मेरे कंधे में छुपा लिया…

मेने चोंक कर बुआ से कहा – शांति बुआ आप ! और आप ये क्या कर रही हो..? हटो मेरे ऊपर से.. कोई देख लेगा तो क्या कहेगा…?

बुआ – प्लीज़ छोटू ! मुझे माफ़ कर्दे…, यार ! तेरे इस लंड की गर्मी मेरे से सहन नही हुई… अब थोड़ी देर और रुक जा.. मेरा राजा बेटा…!

मे – पर बुआ ! क्या ये सही है..? आप मेरी माँ समान हो….!

बुआ – अब सही ग़लत सोचने का समय निकल चुका है.. बेटा.. अब अपनी बुआ को ठंडी हो लेने दे, वरना ये कम्बख़्त मेरी चूत मुझे सोने नही देगी…

मे चुप रह गया.., कुछ देर बाद बुआ ने अपना काम शुरू कर दिया और वो अपनी मस्त गद्देदार गान्ड को मेरे लंड पर आगे पीछे करने लगी..

वो अपनी गान्ड को ज़्यादा नही उछाल पा रही थी क्योंकि अगर ग़लती से भी कोई जाग गया, और रज़ाई के अंदर भूकंप आता देख लिया तो बुआ के साथ-2 मेरी भी पूरी तरह भॅड पिट जानी थी..!

बाबूजी अपनी बेहन की चुदाई कैसे बर्दास्त करते वो भी अपने बेटे से…., तो पता लगते ही, वो गान्ड कुटाई होनी थी… कि भगवान ही जाने….!

इसी डर के चलते, बुआ की लय थोड़ी मध्यम ही रही, मे तो कोई कोशिश कर ही नही सकता था…!

तो जैसे तैसे कर के बुआ ने अपना पानी निकाल ही लिया.. और चूत में मेरा लंड घुसाए हुए वो मेरे ऊपर लेट कर हाँफने लगी…

मे – अब क्या हुआ बुआ ? रुक क्यों गयी..?

अरे छोटू ! मेरा तो हो गया…वो फुसफुसा कर बोली…

ये सुनते ही मेरी झान्टे सुलग गयीं… इसकी माँ की चूत मारु…, भेन्चोद इसका हो गया तो ये खुश और मेरा क्या…?

भेन्चोद यहाँ लंड फटने की कगार पर है, और ये भोसड़ी की अपनी चूत झाड के फारिग हो गयी….!

सारा डर रखा ताक पर, लपक कर मेने उसे बाजू में लिटाया और उसको अपनी तरफ गान्ड घुमाने को कहा…

वो ना नुकुर करने लगी… मुझे गुस्सा आने लगा.. मेने कहा – बुआ अब ये ठीक नही होगा, चुप चाप उधर करवट ले लो वरना में सबको जगा के बताता हूँ..

उसकी गान्ड फट गयी, और झट से अपनी मोटी गुद गुदि गान्ड मेरी ओर करदी.. मेने थोड़ा सा अपना सर पीछे को किया, टाँगों को उसकी तरफ कर के उसकी ऊपर की टाँग को उसके पेट से लगाया..

मेरे और बुआ के सर के बीच अब 45 डिग्री का आंगल था, उसकी चूत मेरे लंड के ठीक सामने खुली पड़ी थी…

मेने घचक से पूरा लंड एक ही झटके में पेल दिया… उसके मुँह से एक दबी दबी सी कराह… निकल गयी..

बुआ की चुचियों को ब्लाउज के उपर से मसल्ते हुए मे ढका-धक धक्के मारने लगा…

मेरे धक्कों की स्पीड इतनी ज़्यादा थी कि उसकी हाल ही झड़ी चूत सूखने लग गयी.. और घर्षण से उसमें जलन होने लगी…

बुआ गिडगिडाते हुए बोली – छोटू धीरे कर बेटा… मेरी चूत में जलन हो रही है..

मे क्या करूँ तो.. आपने मेरे लॉड को क्यों जगाया.. अब झेलो…

थोड़ी देर बाद उसकी चूत फिर से पनियाने लग गयी और वो भी मज़े ले लेकर मेरे धक्कों पर अपनी गान्ड पीछे धकेल - धकेल कर चुदाई का मज़ा लेने लगी…

आधे घंटे में बुआ दो बार पानी छोड़ गयी, तब जाकर मेने उसकी पोखर को अपने गाढ़े पानी से भरा…

मेने अपना लंड बुआ की चूत से निकाला, पच की आवाज़ के साथ वो बाहर आ गया, उसके पेटिकोट से अपने लंड को पोंच्छ कर करवट लेकर मे सो गया………………

अगली सुबह तोड़ा देर से उठा, आज नयी दुल्हन को अपने देवर को गोद में बिठाने की रसम थी… रामा दीदी ने ही मुझे झकझोर कर उठाया…

अलसाया सा मे अपनी आँखों को मिचमिचाते हुए उठा और झल्लाकर बोला – क्या है..? क्यों मुझे सोने नही देती…

वो- अरे सब तेरा इंतेजार कर रहे हैं… आज नयी भाभी तुझे अपनी गोद में बिठा कर लाड करने वाली हैं…

मेरी उठने की कतयि इच्छा नही थी, लेकिन नयी भाभी की गोद में बैठने के नाम से ही मेरे अंदर गुद गुदि सी पैदा हो गयी…,

मेरा सारा आलस्य भाग खड़ा हुआ, और झटपट उठके बाथरूम की तरफ भागा…

रामा दीदी खिल खिलाकर हँसते हुए बड़बड़ाई… देखो नयी भाभी की गोद में बैठने के नाम से ही कैसी नींद भाग गयी….हहेहहे…

मे 1 घंटे में नहा धोकर फ्रेश होकर एक लाल सुर्ख रंग की टाइट टीशर्ट और ब्लू जीन्स पहन कर आँगन में पहुँचा…

वहाँ सब रसम के लिए मेरा इंतेज़ार कर रहे थे… सबकी नज़र जैसे ही मुझ पर पड़ी, तो टिकी ही रह गयी…

निशा तो मानो किसी सम्मोहन से बँधी.. मुझे बड़ी ही प्यारी नज़रों से देखे जारही थी…

टाइट कसी हुई टीशर्ट में मेरी कसरती बॉडी के सारे कट्स दिखाई दे रहे थे.. सीना एकदम बाहर.. उसके नीचे के पॅक्स… बाजुओं की मछलिया…

मेने आज एक स्पेशल इंपोर्टेड पर्फ्यूम भी लगाया हुआ था… वैसे इन सब की मुझे कभी आदत नही थी…

आँगन में घर के बड़े लोगों को छोड़, वाकई सभी लोग मौजूद थे..
पूरे आँगन में एक कालीन का बिच्छवान डाला हुआ था.. सेंटर में दो मोटे-2 गद्दे जिन पर एक साफ-सुथरी चादर,

जिसके ऊपर कामिनी भाभी.. पालती मारे सुर्ख लाल जोड़े में अपनी नज़रें झुकाए बैठी थी…
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,451,475 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 538,786 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,212,076 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 916,305 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,624,309 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,057,262 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,911,250 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,925,312 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,980,571 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 280,226 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 7 Guest(s)