Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
07-25-2018, 10:44 AM,
#49
RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
मैंने नीचे की तरफ सरकते हुए उनकी चड्डी को निकाल कर उन्हें नंगा कर दिया। वो पीठ के बल लेट गए.. मैं उठ कर बैठ गई और लंड को हाथ से पकड़ ऊपर-नीचे किया.. तो उनका सुपारा खुल और बंद होने लगा।
तभी उन्होंने मेरे सर को पकड़ा और मैं झुक कर उनके सुपारे को बाहर करके ऊपर अपनी जुबान फिरा कर उसे थूक से गीला कर दिया, फिर अपना मुँह खोल धीरे-धीरे लंड को मुँह में समा लिया।
मेरे ऐसा करते ही वो सिसकारी लेने लगे और मेरे सर को पकड़ सहलाने लगे। मैंने करीब 3-4 मिनट चूसा और लंड थूक से पूरा भीग गया।
तभी उन्होंने मुझे खींच कर अपने ऊपर लिटा लिया और फिर से हमारे होंठ एक-दूसरे के होंठों से खेलने लगे।
मैंने उनके सर को दोनों हाथों से पकड़ लिया और चूमने लगी। उन्होंने अपने दोनों हाथों को मेरे पीछे ले जाकर मेरे पीठ को सहलाते हुए चूतड़ों को मसलते हुए जाँघों को फैला दिया।
अब मैं उनके ऊपर दोनों टाँगें फैला कर लेट गई। मैं उन्हें लगातार चूम रही थी। वो नीचे से अपनी कमर उठा कर लंड को मेरी चूत में ऊपर से रगड़ रहे थे और मैं ऊपर से जोर लगा चूत को लंड पर रगड़वा रही थी।
कुछ देर के बाद इसी अवस्था में चूमते हुए हम उठे और उन्होंने मेरे कूल्हों को पकड़ते हुए मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गए।
मुझे उनके लंड का स्पर्श चूत पर बहुत सुखद लग रहा था। वो घुटनों के बल मेरी टाँगों के बीच बैठ गए। फिर लंड को हाथ से पकड़ कर मेरी चूत की दरार के बीच ऊपर-नीचे सुपाड़े को रगड़ा।
फिर चूत के छेद पर लंड को टिका कर मेरे ऊपर झुकते हुए मेरे एक चूचुक को होंठों में दबाते हुए लंड को चूत में घुसाने की कोशिश करने लगे।
मैंने भी उनके सर को जोर से पकड़ा और नीचे से कमर उठाने लगी। मुझे महसूस होने लगा कि लंड धीरे-धीरे मेरी चूत में घुस रहा और फिर मेरी साँसों के साथ मेरी सिसकियाँ घुलने लगीं।
लंड लगभग आधा घुस चुका था.. तब उन्होंने अपना हाथ लंड से हटा लिया और मेरे कूल्हों पर ले जाकर पकड़ लिया और ऊपर उठाने लगे।
कुछ ही पलों के जोर और ताकत के कारण उनका मोटा लंड मेरी चूत में समा गया और दोनों की सिसकी साथ-साथ निकलने लगी।
कुछ देर हम यूँ ही लंड और चूत को अपनी-अपनी कमर हिला-डुला कर सही स्थिति में ले आए।
फिर उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे कंधों को नीचे से पकड़ लिया और मैंने उनको गले से जकड़ लिया और हम दोनों होंठों को होंठों से मिला कर चूमने लगे। धीरे-धीरे हम दोनों के नीचे के अंग भी हिलने लगे।
मैंने अपनी टाँगों को उठा कर उनकी जाँघों के ऊपर रख दिया और अब वो मुझे चूमते हुए अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर धकेलने लगे।
मुझे बहुत मज़ा आने लगा था और उनको भी..
तभी तो कुछ पलों के बाद उनकी गति तेज़ होने लगी और एक मर्दाना ताकत का एहसास मुझे होने लगा। करीब 7-8 मिनट होते-होते झटकों में काफी तेज़ी के साथ-साथ जोर भी आने लगा और मेरी सिसकारियों में भी तेजी आ गई, उनके हर झटके पर मैं कुहक सी जाती और ऐसा लगता ही नहीं कि ये इतनी उम्र के मर्द हैं।
काफी देर के बाद उनके झटके रुक-रुक के और धीमी हो कर लगने लगे.. पर हर झटके पर मुझे मेरी बच्चेदानी में चोट का असर दिखता.. जिससे मुझे और भी मजा आता और मैं कभी-कभी उनको कस कर पकड़ कर जाँघों से उन्हें भींचती और कराहते हुए अपनी कमर ऊपर उठा देती और चूत को लंड पर दबाने लगती।
हम दोनों वासना के सागर में डूब चुके थे और मस्ती में खो गए थे।
करीब 15 मिनट हम इसी तरह एक-दूसरे की नजरों से नज़रें मिलाए हुए सम्भोग करते रहे पर अब मुझे महसूस होने लगा था कि वो थक चुके हैं, उनके धक्कों में ढीलापन आ गया था।
वो पसीने-पसीने हो गए थे और साँसें भी लम्बी-लम्बी ले रहे थे, इधर मेरे जिस्म की आग इतनी तेज़ हो गई थी कि मुझे बस तेज़ धक्कों की इच्छा हो रही थी।
मैंने जोर देकर उन्हें इशारा किया.. पर वो मेरे ऊपर से उठ गए और बगल में लेट गए।
मैंने उनसे पूछा- क्या हो गया आपका?
तब वो बोले- नहीं, अब तुम ऊपर आ जाओ और चुदो..
मैंने देखा उनका लंड भीग कर चमक रहा था और बार-बार तनतना रहा था। इधर जब मैंने अपनी चूत की तरफ देखा तो चूत के किनारों पर सफ़ेद झाग सा था और चूत के बालों पर हम दोनों का पसीना और पानी लग कर चिपचिपा सा हो गया था।
मैंने तुरंत बगल में पड़े तौलिये से अपनी चूत को साफ़ किया और उनके ऊपर अपनी टाँगें फैला कर बैठ गई।
मैंने एक हाथ से चूत को फ़ैलाने की कोशिश की.. और दूसरे हाथ से लंड को पकड़ सीधा कर चूत के छेद पर रास्ता दिखाते हुए कमर नीचे दबाने लगी।
मेरी चूत भीतर से इतनी गीली हो चुकी थी कि बस लंड को छेद पर टिकाने की देरी थी। मैंने जैसे ही अपनी कमर उनके ऊपर दबाई.. लंड सटाक से मेरी चूत की दीवारों को चीरता हुआ अन्दर समा गया।
मैंने अपने घुटनों को बिस्तर पर सहारा दिया और अपनी कमर का पूरा वजन उनके लंड पर रख उनके ऊपर झुक कर.. अपने स्तनों को उनके मुँह में दे दिया।
वो मेरे स्तनों को चूसने-काटने लगे और मैं मछली की तरह मचलती हुई कमर हिला कर लंड को अपने अन्दर-बाहर करने लगी।
मैं तेज़ी से धक्के दे रही थी और सिसकार भी रही ही..
उधर वो एक हाथ से मेरे स्तन को मसल-मसल कर पी रहे थे और दूसरे हाथ से मेरे चूतड़ों को दबाते और सहलाते हुए सम्भोग का मजा ले रहे थे।
जब-जब मैं धक्के लगाती.. मुझे मेरी चूत के भीतर उनके सुपारे के खुलने और बंद होने का सा महसूस हो रहा था।
मैं करीब दस मिनट तक धक्के लगाती रही और मुझे भी थकान सी होने लगी थी, मेरे धक्कों की गति धीमी होने लगी थी और जाँघों में अकड़न सी महसूस होने लगी थी.. पर मन में बस चरम सुख ही था.. तो मैं धीरे-धीरे धक्के लगाती रही.. 
पर बीच-बीच में उनके झटके मुझे नीचे से भी मिलते.. जो इतने तेज़ होते कि मेरे मुँह से सिसकारी के साथ निकलता- प्लीज धीरे..
वो झटके मेरी बच्चेदानी में लंड की मार होते थे।

मैं थकने के साथ-साथ झड़ने के करीब ही थी.. पर उनकी स्थिति देख कर लग रहा था.. जैसे अभी उन्हें काफी समय लगेगा।
उन्होंने मुझे उठने का इशारा किया, मैं उठ कर बिस्तर पर बैठ गई।
फिर वो भी उठ कर बैठ गए और मुझे घुटनों के बल आगे की तरफ झुका दिया, मैं अपने हाथों और घुटनों के बल झुक गई.. जैसे कुतिया होती है।
वो मेरे पीछे गए और मेरे बड़े-बड़े मांसल चूतड़ों को हाथों से सहलाने और दाबते हुए चूमने लगे, बोले- कितने मस्त चूतड़ हैं तुम्हारे..
फिर घुटनों के बल खड़े होकर उन्होंने मेरी चूत में लंड घुसा दिया।
मैं तो उनकी तारीफ़ सुनी-अनसुनी करती.. बस लंड को अपनी चूत में चाहती थी.. सो बस अपनी गाण्ड हिलाते हुए मजे लेने लगी।
कुछ ही देर में वो इतनी तेज़ी और जोरों से धक्के मारने लगे कि मुझे लगा कि अब तो मैं गई ‘आह्ह्ह्ह ऊउईइ ओह्ह्ह्ह’ करती हुई मैं बिस्तर पर गिरने लगी।
मेरी चूत की नसें सिकुड़ने लगी थीं मेरे हाथों और टाँगों की मांसपेशियां अकड़ने लगी थीं..
तभी उन्होंने सामने रखे दोनों तकियों को मेरी चूत के नीचे रख दिया और मैं पूरी तरह से बिस्तर पर लेट गई, मेरे साथ-साथ मेरे ऊपर अपने लंड को मेरी चूत में दबाते हुए वो भी मुझ पर गिर गए थे।
मेरी साँसें तेज़ हो गई थीं.. मेरे मुख से मादक आवाजें निकल रही थीं और उनके झटकों के थपेड़े मेरे कूल्हों पर पड़ रहे थे।
मैंने अपनी चूत को भींचना शुरू कर दिया था.. मुझे लगने लगा था कि रस का फव्वारा मेरी नाभि से छूट रहा है.. जो चूत के रास्ते निकलने वाला है।
मैंने बिस्तर के चादर को जोर से पकड़ लिया.. अपनी गाण्ड को जोरों से हिलाने लगी… चूत को भींचते हुए झड़ने लगी और मेरे मुँह से निकलने लगा- प्लीज रुको मत.. चोदते रहो प्लीज.. और तेज़ और तेज़.. अह्ह्ह ईह्ह्ह्ह ओह्ह्ह.. हायय और तेज़ और तेज़..।
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