RE: Chodan Kahani इंतकाम की आग
डॉली भी हैरत में पड़ गयी कि आख़िर राज करना क्या चाहता है. राज नीचे सरक कर डॉली की योनि के उपर पहुँच गया… उसके होंठ बिल्कुल डॉली की योनि के उपर थे. भगवान ने क्या योनि बनाई थी… गुलाब की पंखुड़ीयाँ जैसे एक के उपर के चिपकी हुई बिना बालों वाली योनि बहुत ही कहर ढा रही थी राज के उपर. रोज इसी तरह वो योनि को देख के कहीं खो सा जाता था पर डॉली ने अपनी योनि पर हाथ रख लिया.
“मुझे रश्पान तो करने दीजिए इस प्यारी सी चीज़ का.” राज ने कहा और डॉली का हाथ एक तरफ हटा कर अपने होंठो को उसकी योनि के होंठो पर टिका दिया. डॉली के शरीर में तो बीजली की लहर दौड़ गयी जैसे और उसकी साँसे तेज हो गयी. बहुत गहरा चुंबन लिया राज ने डॉली की योनि का.
कोई एक मिनिट तक राज के होंठ डॉली की योनि से जुड़े रहे. बहुत ही कामुक पल था वो दोनो के बीच. राज ने योनि का चुंबन लेने के बाद उसकी पंखुड़ियों को होंठो में दबा लिया और चूसने लगा. डॉली की हालत देखने वाली थी. वो टांगे पटाकने लगी बिस्तर पर और उसकी साँसे उखाड़ने लगी.
“बस राज बस….समझने की कोशिस करो…बस.” (ना जाने पहले कितने दिन और कितनी रातें उन्होने ये कम क्रीड़ा की थी लेकिन रोज उन्हे इसमे कुछ अलग ही प्रकार का आनंद आता था… क्योंकि डॉली थी ही ऐसी थोड़ी नमकीन, थोड़ी लज़ीज़ क्या कहूँ मैं बस प्यार करते रहो ऐसा राज को लगता था… लेकिन क्या करे बिज़ी जो रहता था अपने काम की वजह से) अब डॉली कैसे कहे कि बस आ जाओ और समा जाओ मुझ मे.
अब वो एक सुंदर संभोग के लिए तैयार थी, ये बात राज समझ रहा था पर वो डॉली के मुँह से सुनना चाहता था. उसे तो डॉली की योनि से खेलने में बहुत आनंद आ रहा था.
“बस राज रुक जाओ…समझते क्यों नही…” डॉली ने फिर कहा.
“क्या हुआ…क्या आपको अच्छा नही लग रहा.”
“ऐसा नही है. बहुत अच्छा लग रहा था. हालत खराब कर दी तुमने मेरी. अब समा भी जाओ मुझमे…मैं तरस रही हूँ तुम्हारे लिए. कब तक तडपाओगे तुम” डॉली ने बोल ही दी अपने दिल की बात.
राज तो झूम उठा, “पहले क्यों नही कहा आपने.”
“शरम नही आएगी क्या मुझे ये सब बोलते हुए. पर तुमने बुलवा ही दिया. बहुत जालिम हो तुम.” डॉली ने राज की छाती पर मुक्का मारा.
“लीजिए अभी घुस्सा देता हूँ आपके अंदर. मैं तो खुद तड़प रहा हूँ.” राज ने कहा.
राज ने अपने लिंग को हाथ में पकड़ा और टिका दिया योनि पर. जब राज का लिंग डॉली की योनि में थोड़ा सा घुस्सा तो वो कराह उठी.”आआहह” धीरे धीरे राज पूरा समा गया डॉली में और इस तरह प्यार में डूबे दो दिल जुड़ गये गहराई से एक दूसरे के साथ. फिर क्या था उस कमरे में प्यार का वो बेवॅंडर उठा जिसने कमरे में तूफान मचा दिया. बिस्तर बुरी तरह हिल रहा था. लगता था जैसे कि टूट जाएगा आज. डॉली की शिसकियाँ गूँज रही थी कमरे में. उसने मदहोशी में बिस्तर की चद्दर को मुट्ठी में भीच लिया था.
“आअहह राज कही ये बिस्तर ना टूट के बिखर जाए. थोड़ा धीरे आआहह.”
“टूट जाने दो आज सब कुछ. प्यार का तूफान है ये. कुछ तो होगा ही. मैं खुद को नही थाम सकता. हमेशा मेरे साथ रहना तुम.”
“बीवी हूँ तुम्हारी…. आहह… तुम्हारे साथ नही रहूंगी तो कहाँ रहूंगी.”
राज तो जैसे पागल हो गया था, बिना रुके डॉली के साथ काम क्रीड़ा में लगा रहा. डॉली की तो हालत पतली हो गयी थी. लेकिन वो राज के हर धक्के पे खुद को जन्नत में महसूस करती थी. तूफान आता है तो थमता भी है.
राज ने प्रेम रस डाल दिया डॉली के अंदर और निढाल हो कर गिर गया डॉली के उपर. दोनो कुछ भी कहने की हालत में नही थे. साँसे फूल रही थी दोनो की. बस पड़े रहे चुपचाप. तूफान के बाद की शांति में खो गये थे दोनो. प्यार ही कुछ ऐसा था दोनो का.
क्रमशः...........................
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