RE: Chodan Kahani एक आहट जिंदगी की
राज अभी भी मेरी आँखो मे देख रहा था….फिर मुझे अचानक से अहसास हुआ कि, ये मैं क्या कर रही हूँ…..मैं वहाँ से हट कर नीचे आ गयी…..कुछ पलों के लिए मैं अपनी कमर का दर्द भी भूल गयी…..मेरी पैंटी अंदर से एक दम गीली हो चुकी थी…..ऐसा लग रहा था कि, बदन का सारा खून और गरमी बुर की तरफ सिमटती जा रही हो…..मैं बेड पर निढाल से होकर गिर पड़ी…..अपनी टाँगों के बीच तकिया दबा लिया….और अपनी बुर को तकिये पर रगड़ने लगी….पर बुर मे सरसराहट और बढ़ती जा रहा थी…..मेरी खुली हुई आँखों के सामने फातिमा की बुर मे अंदर बाहर होता राज का 8 इंच लंबा और 4 इंच मोटा लंड अभी भी था….मैं तब तक अपनी बुर को तकिये से रगड़ती रही…..
जब तक कि मेरी बुर के अंदर से बरसो का जमा हुआ लावा नही उगल पड़ा…..मेरा पूरा बदन थरथरा गया….मेरी कमर झटके खाने लगी…..मैं झड़ने के कारण एक दम निढाल से हो गयी….और करीब 15 मिनिट तक बेसूध लेटी रही….फिर मैं उठ कर बातरूम मे आई, और अपने कपड़े उतारने शुरू किए….मेने अपनी सलवार कमीज़ को उतार कर टंगा और फिर ब्रा को उतार कर बालटी मे डाल दिया…..फिर जैसे ही मेने अपनी पैंटी को नीचे सरकाया, मेने जाँघो से नीचे तो सरक गयी….पर मेरी पैंटी नीचे से बेहद गीली थी….
और गीले पन की वजह से वो बुर की फांको पर चिपक सी गयी….मेने फिर से अपनी पैंटी को नीचे सरकाया, और फिर किसी तरह उसे उतार कर देखा….मेरी पैंटी मेरी बुर के लैस्दार पानी से एक दम सनी हुई थी…..मेने पैंटी को बालटी मे डाल दिया…..और फिर नहाने लगी. दोपहर की तेज धूप के कारण पानी की टंकी मे जमा पानी एक दम गरम था…नहाने से मुझे बहुत सकून मिला…..नहाने के बाद मेने दूसरे कपड़े पहने और अपने रूम मे आई, तो मेने देखा कि, फातिमा बेड पर लेटी हुई थी….और धीरे-2 अपनी बुर को सहला रही थी…
मुझे देख कर उसने अपनी बुर से हाथ हटा लिया……फिर कुछ खास बात नही हुई…..रात को अंजुम घर वापिस आ गये….वो बहुत खुश लग रहे थे….शायद उन्हे छुट्टी मिल गयी थी. रात को अंजुम ही राज का खाना उसे ऊपेर दे आए…मुझे यकीन था कि, अब फातिमा शायद जाने से मना कर दे…..क्योंकि अब उसे अंजुम के लंड की क्या ज़रूरत थी….जब उसे यहाँ पर तगड़ा जवान लंड मिल रहा था…..और मेरा अंदाज़ा सही भी निकाला….जब अंजुम ने उसे बताया कि, उसे छुट्टी मिल गयी है…..तो फातिमा ने ये कह कर मना कर दिया कि, मेरी तबीयत अभी ठीक नही है…..
पर शायद किस्मत फातिमा के साथ नही थी…..देल्ही से उसके शोहार का फोन आ गया…..कि उनके बेटे की तबीयत खराब है….और वो जल्द से जल्द घर पहुचे….फातिमा बेमन से मान गयी. और अगले दिन अंजुम के साथ उसके गाओं चली गयी….अब मुझे राज से चिढ़ सी होने लगी थी. मैने कभी सोचा ना था कि वो मासूम सा दिखने वाला राज इस कदर तक गिर सकता है कि, अपने से दुगनी उम्र से भी ज़्यादा उम्र की औरत के साथ ऐसी गिरी हुई हरकत कर सकता है….राज भी अंजुम के साथ स्टेशन पर चला गया था……
शाम को जब राज के आने का टाइम हुआ तो मेने पहले से मैन डोर को अनलॉक कर दिया था. ताकि मुझे उसकी शक्ल ना देखनी पड़े…..मैं अपने रूम मे आकर लेट गयी….थोड़ी देर बाद मुझे बाहर के गेट के खुलने की आवाज़ आई…..और फिर अंदर गेट लॉक होने की….मैं अपने रूम मे लेटी हुई अंदाज़ा लगा रही थी कि राज घर पर आ चुका है…..थोड़ी देर बाद राज मेरे रूम मे दाखिल हुआ….मैं दर्द की वजह से पेट के बल लेटी हुई थी… वो जैसे ही रूम मे दाखिल हुआ, मैं उठ कर बैठ गयी….वो सीधा मेरी तरफ ही बढ़ रहा था. मैं डर के मारे सिमट कर बैठ गयी….वो पास आकर चेर पर बैठ गया….
|