RE: Chodan Kahani एक आहट जिंदगी की
राज अभी तक खाना खाने नही आया था…..मैं उसे ऊपेर जाकर भी नही बुलाना चाहती थी. मेरी तो उससे आँखे मिलाने की हिम्मत भी नही होगी…..मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, जो कुछ भी हुआ, उसके पीछे कसूर किसका है, मेरा या राज का….मैं अभी यही सोच रही थी कि, राज के कदमो की आहट सुन कर मेरा ध्यान टूटा…..मेने उसकी तरफ देखे बिना बोला…..”खाना खा लो गरम कर दिया है…..” राज मेरे सामने वाली चेर पर बैठ कर खाना खाने लगा…..मैं भी बेमन से खाना खा रही थी….मैं अपनी नज़रें भी नही उठा पा रही थी….बार-2 मन मे यही ख़याल आ रहा था कि, शादी शुदा होते हुए भी मेने ये कैसा गुनाह कर डाला…..खाना खाते हुए राज बोला “ये साहब कॉन है….”
मेने उसकी तरफ देखे बिना ही बोला दिया……”ये विमला भाभी का बेटा है….उनके पापा की तबीयत खराब हो गयी अचानक तो वो उनका पता लेने गये है” फिर ना वो कुछ बोला और ना ही मैं…..राज ने खाना खाया और मुझे गुड नाइट बोल ऊपेर चला गया……मैने बर्तन उठा कर किचन मे रखे, और अपने रूम मे आकर डोर अंदर से बंद कर लिया…सन्नी के साथ मे होने के कारण मेरा डर थोड़ा कम हो गया था…..सन्नी बेचारा मासूम सा बच्चा था… मैं उसके साथ जाकर बेड पर लेट गयी….सन्नी बेचारा मासूम सा बच्चा जल्द ही सो गया.. मैं अभी तक जाग रही थी…..शाम को 3 घंटे तक सोने के कारण मुझे नींद भी नही आ रही थी….और आज तो मेरी जिंदगी ही बदल गयी थी….
मैं दो हिस्सो बॅट गयी थी दिल और दिमाग़….दिल कह रहा था कि जो हुआ ठीक हुआ, और दिमाग़ ग़लत कह रहा था…दिल कह रहा था कि, शादी शुदा होते हुए भी अपने मर्द के होते हुए भी मैं एक विधवा जैसे जीवन जी रही थी….और अगर खुदा ने मेरी सुन कर मेरे लिए एक लंड का इंतज़ाम कर दिया है तो क्या बुराई है….मैं सही सब सोच रही थी कि रूम के डोर पर नॉक हुई, घर मे मेरे सन्नी और राज के सिवाय कोई नही था….राज ही होगा. पर अब वो क्यों आया है….मैं चुपचाप लेटी रही फिर से नॉक हुआ……
सन्नी कही उठ ना जाए…भले ही वो अबोध था…..पर अगर उसे किसी तरह का शक हो गया तो, मैं उठी और धीरे से जाकर डोर का लॉक खोला….सामने राज ही था…..उससे देख मैं झेंप गयी…..
मैं: अब क्या है क्यों आए हो यहाँ पर….?
राज: भाभी जी मैं अंदर आ जाउ…..
मैं: नही तुम जाओ यहाँ से…..
मेने डोर बंद कर दिया……मेरी साँसे तेज हो गयी थी…..ये तो अंदर आने को कह रहा है….क्या करेगा अंदर आकर मुझे फिर से चोदेगा…..हाईए सन्नी रूम मे है….दोबारा तोबा मेरी तोबा एक बार ग़लती कर दी अब नही…..तभी दिल के कोने से आवाज़ आई…”तो क्या होगया इसमे सब करते है….अब एक बार तो तू कर चुकी है….एक बार और कर लिया तो क्या है ?
अगर दोबारा भी करवा लिया तो क्या बिगड़ जाएगा….खुदा ने मोका दिया है इसे जाया मत जाने दे…..बार-2 ऐसे मोके नही आने वाले….पिछले 10 सालो से तरसी है इसी के लिए….मैं बेड पर लेटी सोचती रही….मोका मिला है तो नजीबा इसका फ़ायदा उठा….आधी से ज़्यादा जवानी तो यू ही निकल गयी….बाकी भी ऐसे ही निकल जाएगी….
अच्छा भला आया था बेचारा….उसे तो कोई और मिल जाएगी…..वो तो अभी जवान हुआ है शादी भी होगी….तेरा कॉन है वो अंजुम जिसने तुझे कभी प्यार से छुआ तक नही…ये सब गुनाह ये ग़लत है वो ग़लत है…..इन्ही सब मे जिंदगी निकल गयी….थोड़ी देर बीती, मेने सोचा देखो तो सही कि वो ऊपेर गया है कि नही….मेने उठ कर डोर की कुण्डी खोली…..या खुदा वो तो बाहर ही खड़ा है… रूम की दीवार के साथ पीठ सटा कर…..मुझे डोर पर देख कर वो मेरे पास आया….मैं झिझकते हुए अपने दुपपटे के पल्लू को हाथ मे लेकर बोली…..”तुम गये नही अभी तक”
उसने आगे बढ़ कर मेरे हाथ को अपने हाथों मे थाम लिया….उसके मर्दानो हाथो का स्पर्श पाते ही मुझे नशा सा होने लगा….”मुझे यकीन था तुम ज़रूर आओगी….” ये कह कर उसने मुझे अपनी तरफ खेंचा…..और मैं उसकी तरफ खिंचती चली गयी….बिना किसी विरोध की… उसने मुझे अपनी बाहों मे भर लिया….उसके चौड़े सीने से लग कर मुझे जवानी का अनोखा सुख मिलने लगा….मेने उसके चौड़े सीने मे अपना चेहरा छुपा लिया और बोल पड़ी….”राज मुझे डर लगता है…..” उसने मेरी कमर को अपनी बाहों मे और जाकड़ लिया…..”डर कैसा डर भाभी” मैं उसके बाहों मे कस्मसाइ, अपने जवान बदन को जवान बाहों की जकड़न मे पकड़ मुझे बहुत अच्छा लग रहा था…..
मैं: कोई देख लेगा….
राज: यहा और कॉन है जो देख लेगा….
मैं: अंदर सन्नी है वो….
राज: अर्रे वो तो अभी छोटा है…उसे क्या समझ…..
मैं: और अगर कुछ ठहर गया तो…..?
राज: क्या….?
राज को शायद समझ मे नही आया था…..मैं एक दम से शरमा गयी….थोड़ी देर रुकी और कहा….”अगर मैं पेट से हो गयी तो” राज के द्वारा गर्भवती होने की बात से मेरे बदन मे झुरजुरी सी दौड़ गयी….राज मेरी पीठ को सहलाते हुए बोला…..”ऐसा नही होगा…” मेने उसकी आँखों मे देखा कि क्या ऐसा हो सकता है…तो वो मुस्कुराने लगा….तो उसने कहा. “मैं कल बाज़ार से तुम्हे बच्चा ना ठहरने वाली मेडिसिन ला दूँगा….वैसे अगर तुम चाहो तो मेरे बच्चे को पैदा भी कर सकती हो….” मैं उसकी बात सुन कर सर झुका कर मुस्कुराने लगी…..उसने मुझे अपनी बाहों मे और ज़ोर से भींच लिया….मेरी चुचियाँ उसके सीने मे दब गयी…..उसने मेरे चुतड़ों को जैसे ही हाथ लगाया…..मैं एक दम से मचल उठी….
मैं: राज यहाँ नही….
राज मेरा इशारा समझा और मेरा हाथ पकड़ कर खेंचते हुए, बाहर गेट की तरफ बनी हुई बैठक मे ले गया….ये एक छोटा सा कमरा था…जिसमे एक चारपाई लगी हुई थी….ये रूम पहले अंजुम के अब्बू का था…..एक तरफ दो कुर्सियाँ और एक टेबल था…..बैठक का एक डोर बाहर गली मे भी खुलता था…..और डोर के पास ही एक मोरी सी बनी हुई थी…..जिससे फर्श का पानी बाहर बहता था….जैसे ही मैं रूम मे पहुँची तो मेरी धड़कन बढ़ गयी….शाम को तब सब इतनी जल्दी हुआ था कि कुछ समझ मे ही नही आया था…..
रूम मे आते ही राज ने मुझे पीछे से बाहों मे भर लिया…..मेने चुपचाप अपनी पीठ उसके सीने से सटा ली….और उसने अपने होंटो को मेरी गर्दन पर रख दिया…मेरा तो रोम-2 कांप गया…”नजीबा तुम बहुत खूबसूरत हो…..”उसने बुदबुदाते हुए कहा….राज ने आज पहली बार मुझे नाम से पुकारा था…..उसके हाथ मेरे मांसल पेट और नाभि के आसपास थिरका रहे थे….कुछ देर उसके हाथो के स्पर्श का मज़ा लेती रही…..बहुत अच्छा लग रहा था. शादी के 10 साल बाद पहली बार मुझे ऐसा सुख नसीब हो रहा था….
मैं: राज डोर बंद कर दो…..
राज: अब यहाँ कॉन आ जाएगा….
मैं: ह्म्म्म तुम लगा दो ना ?
राज ने मुझे छोड़ा और डोर लॉक कर दिया…और फिर से मुझे पीछे से जाकड़ लिया…मैं कस्मसाइ और सकपकाई….”राज लाइट…..” मेने उसकी बाहों मे कसमसाते हुए कहा….”रहने दो ना नजीबा…..मैं आज तुम्हारे हुश्न का दीदार करना चाहता हूँ…..” और मेरे पैट से होते हुए उसके हाथ मेरी चुचियों की तरफ बढ़ने लगे……”मुझे शरम आती है…लाइट ऑफ कर दो ना ……” राज ने एक बार फिर से मुझे छोड़ा और लाइट ऑफ कर दी…..पर बेमान से….अंधेरे बंद कमरे मे मेने चैन की साँस ली…..उसने मुझे पकड़ा और खाट पर पटक दिया…और खुद मेरे साथ खाट पर आ गया…..
एक बार फिर से चुदने की घड़ी आ गयी थी…खाट पर आते ही वो मेरे साथ घुतम्घुथा हो गया…उसके हाथ कभी मेरी पीठ पर तो कभी मेरे चुतड़ों पर घूम रहे थे….मैं उससे और वो मुझसे चिपकने लगा…मेरी चुचियाँ बार -2 उसके सीने से दबी जा रही थी….ये मेरा उसके साथ दूसरा मोका था….इसलिए ज़्यादा सहयोग नही कर पा रही थी शरमा रही थी…..चुपचाप पड़ी रही थी…..पहले उसने मेरी कमीज़ उतारी फिर सलवार और फिर पैंटी भी खेंच कर निकाल दी…..मैं बस नही नही करती रही…..पर उसने मेरी एक ना सुनी….अब मेरे बदन सिर्फ़ ब्रा बची थी…..उसने मेरी चुचियों को अभी तक नही छुआ था… और जैसे ही उसने मेरी 38 साइज़ की चुचियों को ब्रा से बाहर निकालना चाहा तो, मेने उसके हाथों को पकड़ लिया….पर राज कहाँ मानने वाला था….
मैं उसे रोकती रही…..इसके चलते उसके हाथ नज़ाने कितनी बार मेरी चुचियों से टकराए उसके हाथ कई बार मेरे मम्मों से छू गये….मुझे बहुत अच्छा लग रहा था,….मेरी हालत खराब हो गयी थी…..जब उसने मेरी ब्रा को खोला तो मेरी साँस तेज चल रही थी दिल धक-2 कर रहा था….बदन का सारा खून बुर की तरफ सिमटता जा रहा था….अब मैं उस खाट पर एक दम नंगी पड़ी थी…..वो भी अपने किरायेदार के साथ, सोच कर ही शरमा जाती, कि मैं अपने से 10 साल छोटे जवान लड़के के साथ एक खाट पे एक दम नंगी लेटी हुई हूँ,
अगले ही पल वो मेरे ऊपेर आ चुका था…..उसने मेरी टाँगों को उठाया, और अपना मुनसल जैसा सख़्त लंड मेरी बुर के छेद पर लगा दिया….और फिर धीरे-2 दबाते हुए लंड को अंदर घुसेड़ने लगा… वो घुसेड़ता गया, और मैं उसके लंड को अंदर समेटती गयी…..
जैसे ही उसका लंड मेरी बुर की गहराइयों मे पहुँचा, तो मैं एक दम मस्त हो गयी. वो एक पल ना रुका, और अपने लंड को मेरी बुर के अंदर बाहर करने लगा….मानो जैसे स्वर्ग की वादियों मे उड़ रही हूँ….ऐसा सकून आज तक नही मिला, जैसे ही वो अगला शॉट लगाने के लिए अपना लंड मेरी फुद्दि से बाहर निकालता, मेरी कमर उसके लंड को अपनी फुद्दि मे लेने के लिए अपने आप ऊपेर की तरफ उठ जाती……उसका लंड फिर से मेरी बुर की गहराइयों मे उतर जाता….
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