RE: Chodan Kahani काला साया
ढाबे का मालिक:-मुझे बचाने के लिए आपका बहुत-2 धन्यवाद,ये लीजिए आज से में अपनी अमानत आपको देता हूँ जो मुझे भी किसी आप जैसे ही प्राणी ने दिया था..!
में:-मेरे जैसे प्राणी से आप क्या कहना चाहते है..!
मालिक:-एक बार आसमान की ओर देखकर बस हँस देता है..!
आपको आपके जवाब आपकी मंज़िल पर मिल जाएँगे और ये लीजिए आज से ये आपकी अमानत है..!
फिर मेने वो वो छोटे कपड़े में बँधी हुई चीज़ को ले लिया,में उस आदमी को मना नही कर पाया..!
फिर मेने देखा कि मेरी फॅमिली पूरे गुस्से से मेरी तरफ बढ़ रही थी..!
लेकिन मेरे पास आने से पहले ही वो दुकान के मालिक की तरफ मूड गये..!
जय:-अजीब आदमी हैं आप अपना ढाबा छोड़ कर आप बाहर खड़े हैं,बताइए कितना बिल हुआ आपका..!
ढाबा.मालिक:-अरे इन्होने पूरे पैसे दे दिए मुझको..!
उसने मेरी तरफ इशारा करते हुए बोला और जब मेने उसकी ओर देखा तो उसने अपने हाथ जोड़ लिए..!
फिर हम सब कार में आए और मेने जय को ड्राइव करने को बोला और खुद आगे आ गया..!
जय ने कार हाइवे की तरफ दौड़ा ली तभी मेने साइड-व्यू मिरर में देखा एक आदमी को जिसका सर चमक रहा था और मेने अपना सर कार की विंडो निकाल के देखा तो वहाँ कोई नही था..!
फिर में आज की घटनाए सोचते-2 सो गया,लेकिन कुछ ही देर बाद मुझे अहसास हुआ कि कुछ जल रहा है,बहुत ही गरम चीज़ का ऐहसास हो रहा था और उसी वक़्त मेरी नींद भी खुल गयी.!
मेने अपने हाथ में पकड़ी पोटली को देखा तो वो चमक रही थी,मेने जैसे ही उसे खोला उसमे एक पत्थर था जो काफ़ी चमक रहा था..!
मेने जैसे ही अपना हाथ आगे बढ़ा कर उस पत्थर को छुआ मेरा हाथ ही जल गया,वो किसी जलते लावे की तरह गर्म था..!
मेने तुरंत उस पोटली को बाँध के फिर से अपनी जेब में रख लिया..!
फिर अचानक कार रुकी और मेने सामने की ओर ध्यान दिया..!
मासी माँ:-राज हम पहुँच गये,बस अब मेरी फ्रेंड का घर ढूंडना है..!
में:-यार कहाँ इस गाँव में लाके मुझे फसा दिया..!
फिर जय ने एक जगह कार पार्क की और हम उसमे से बाहर निकले..!
बाहर आके मेने ज़ोर से अंगड़ाई ली,क्योंकि बैठे-2 मेरे शरीर में दर्द होने लगा था..!
फिर हम आगे बढ़ने लगे.!
ये एक बहुत ही अजीब गाँव था जहाँ सब हमें बहुत ही अजीब तरीके से घूर रहे थे..!
फिर भी हम उन्हे इग्नोर करते हुए आगे बढ़े..!
तभी मेने देखा कि कुछ लोग जीप से कहीं जा रहे थे पर जैसे ही उन्होने हमें देखा वो रुक गये..!
वो सारे आदमी अपनी जीप से उतर कर हमारे पास आ गये..!
आदमी:-ओये छोरे,के लेने वास्ते आया है तू इधर..!
में कुछ नही बोला बस उन्हे अब्ज़र्व कर रहा था..!.
आदमी2:-मालिक काम-वाम छोड़ो देखो कितनी हसीन माल है इस छोरे के साथ,अगर मिल जाए तो ज़िंदगी बन जाएगी..!
आदमी:-बात तो तू ठीक कहे है..!
सुन ओये छोरे इन लड़कियो नू मेरे हवाले कर्दे हम तुझे छोड़ देंगे..!.
और ये ठाकुर भानु का वादा है जब मेरा और मेरे साथियो का इनसे मन भर जाएगा तो में उन्हे तेरे यहाँ भेज दूँगा..!
और इतना बोलकर वो हँसने लगा,और साथ में उसके साथी भी..!
पर कहते हैं ना अगर कोई कुछ ना बोले तो उसे कमजोर नही समझना चाहिए,साला इन्होने तो हद ही पार कर दी..!
में:-जय तू सबको लेके कार में जा और में इनकी सारी गर्मी निकालता हूँ..!
जय:-राज पर..
में:-जय प्ल्ज़ भाई.,!
उसके जाते ही में उनकी ओर बढ़ा..!
में:-हाँ तो भाई लोग क्या बोल रहे थे तुम सब..!
अभी मेने इतना बोला ही था कि सब हँसने लगे..!
ठाकुर:-क्यों सुनने में परेशान हो क्या..!
में:-अभी पता चल जाएगा..!
और में उस ठाकुर के पास जाके उसके सामने खड़ा होगया और उसकी आँखों में देखते हुए बोला,तेरी माँ तो अब में चोद दूँगा..!
और इतना बोलकर मेने उसे सर से पकड़ा और उसे उठा के उसको ज़ोर से ज़मीन पर पटक दिया,उसने ज़मीन पर गिरते ही दम तोड़ दिया और उसका सर किसी फटे टमाटर की तरह हो गया..!
मेने ये सब इतनी जल्दी किया कि किसी को समझ नही आया और जबतक उन्हे समझ आया तबतक देर हो चुकी थी..!
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