RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
रश्मि ने बहुत ही सावधानीपूर्वक पहला सिप लिया – अनजान स्वाद! मीठा, खट्टा, कड़वा! आखिर किस श्रेणी में रखा जाय इस स्वाद को? अगली चुस्की कुछ ज्यादा ही लम्बी थी। कॉकटेल का आनंद उठाने का वैसे यही सही तरीका है – जीभ के सामने वाले हिस्से में कम स्वादेन्द्रियाँ होती हैं, इसलिए अगर ड्रिंक पूरी जीभ में फ़ैलेगी तो अधिक स्वाद आएगा।
“कैसा लगा?”
“पता नहीं...”
“खराब?”
“नहीं.. खराब तो नहीं.. अलग!”
“ह्म्म्म.. इसको अक्वायर्ड टेस्ट बोलते हैं... दूसरी ड्रिंक आपको ज्यादा अच्छी लगेगी।“
मेरी हिदायद के बावजूद, और शायद इसलिए भी क्योंकि मीठे स्वाद में इस ड्रिंक के जोखिम का पता नहीं चलता, रश्मि ने मुझसे पहले ही अपना ड्रिंक ख़तम कर लिया। मैंने मना भी नहीं किया – वो कहते हैं न, अपने सामने किसी और को नशे में धुत्त होते हुए देखना ज्यादा मजेदार होता है। मैंने रश्मि के लिए दूसरा ड्रिंक मंगाया। दूसरे के आते-आते, पहले का असर रश्मि पर होने लग गया। उसकी पलकें भारी हो रही थीं, और वह अब ज्यादा ख़ुश दिख रही थी।
“आपने मुझसे मिलने के पहले तक, सबसे वाइल्ड, मतलब, सबसे पागलपन वाला काम क्या किया है?”
“मैं...ने..? कुछ नहीं – मैं बहुत अच्छी बच्ची हूँ!” रश्मि ने दूसरी घूँट भरते हुए कहा।
“फिर भी... बच्ची ने कुछ तो किया होगा?”
“ऊम्म्म... हाँ, एक बार मैंने और मेरी सहेलियों ने मिल कर पास के रामदीन चाचा की बकरियां छुपा दी थीं। उन्होंने पूरे दिन भर बकरियां ढूँढी.. लेकिन उनको मिलती कैसे? हमने उनको कहा की दस रूपये दो, हम ढूंढ कर ले आएँगी! उनको समझ तो आ गया की हमारी शैतानी है, लेकिन उन्होंने शर्त मान ली। फिर हमने ढूँढने का नाटक करने के बाद देर शाम को बकरियां वापस की और उनसे दस रूपया भी लिया।“
“रामदीन चाचा आये थे शादी में?”
“हाँ – गाँव के सब लोग ही आये थे! सभी आपको देखना चाहते थे।“ उसकी दूसरी ड्रिंक आधी ख़तम भी हो गई।
“जानू, आराम से पियो! चढ़ जायेगी!”
“लेकिन मुझको तो नहीं चढ़ी...! और ये ‘लांग टी आइलैंड’ बहुत मजेदार है! अरे, अभी तक आपने पहला भी ख़तम नहीं किया?”
“हा हा!” मुझे समझ आ गया की रश्मि को चढ़ गयी है। “आपको कोई जोक आता है?”
“जोक – हाँ! आप सुनेंगे?” मैंने हामी भरी।
“एक बार संता शादी की दावत में गया, लेकिन सामने रखे सलाद की टेबल को देख कर वापस आ गया। और बंता से बोला, “ओये बंता... अभी मत जा! अभी तो सब्जियां ही कट रही हैं!”
“हा हा! एक और?”
“हाँ –एक बार संता कहता है, “यार बंता, मेरी बीवी मुझको नौकर समझने लगी है... बोल क्या करूँ? बंता कहता है, अरे मौके का फायदा उठा... दो-चार घर और पकड़ ले और अपना धंधा जमा ले!”
“आपको सब ऐसे ही जोक्स आते हैं?”
“हाँ! मुझको संता-बंता के बहुत से जोक आते हैं! बहुत मजाकिया होते हैं!”
“संता-बंता नहीं... कोई और जोक सुनाइये!”
“अच्छा..... कोई और? उम्म्म्म...... हाँ याद आया.... एक बार एक पत्नी अपने पति को कहती है, “चलो एक खेल खेलते हैं, मैं छुपती हूँ और आप मुझे ढूंढ़ना। अगर आपने ढून्ढ लिया तो मैं आपके साथ शॉपिंग करने चलूंगी।“ पति कहता है, “अगर नहीं ढूंढ पाया तो?” पत्नी कहती है, “ऐसा मत कहो जानू, बस दरवाज़े के पीछे ही छुपूंगी।“”
“अब आप भी तो कुछ सुनाइए... सारे मैं ही सुना दूँ?”
“अच्छा! आपने कभी कोई एडल्ट जोक सुना है?”
“एडल्ट जोक? वो क्या होता है?”
“अभी समझ आ जायेगा... यह सुनो....
“दिल्ली के एक मोहल्ले में एक बच्चा अपने घर में हमेशा नंगा घूमा करता था। घर में कोई भी आता, तो बच्चा नंगा ही मिलता और उसकी मां को ताने सुनना पड़ते। उसकी इस आदत से परेशान होकर मां ने एक उपाय सोचा और अपने बच्चे से कहा, “बेटा, जब भी कोई घर में आए, तो मैं कहूँगी, ‘दिल्ली बंद’ और तुम तुरंत निक्कर पहनकर बाहर आ जाना।“
बच्चा समझ गया। एक दिन उस बच्चे की मौसी उसके घर आई, तो मां ने आवाज लगाई, “बेटा, दिल्ली बंद।“ बच्चा निक्कर पहनकर बाहर आ जाता है और कहता है, “मौसी, आप यहां किसलिए आये हो?” मौसी कहती है, “बेटा, मैं दिल्ली देखने आई हूं।“
बच्चा कहता है, “ये लो! वो तो अभी-अभी मम्मी ने बंद करवा दी!” और कहते हुए उसने अपना निक्कर उतार दिया। मौसी हंसते हुए कहती है, “बेटा, मैं यह वाली दिल्ली नहीं, बड़ी वाली दिल्ली देखने आई हूं।“
बच्चा तुरंत कहता है, “कोई बात नहीं मौसी, मैं अभी पापा को बुलाता हूं!””
“ये भी क्या जोक है? धत्त! .....और मुझे मालूम है, वो बच्चा आप ही हैं... आपका ही निक्कर हमेशा उतरा रहता है!”
“हा हा हा!! एक और जोक सुनो - शादी के बाद सुहागरात के लिए पति और उसकी पत्नी अपने कमरे में गये। पत्नी बेड पर बैठ गई और पति “कैडबरी चॉकलेट” अपने लंड पर लगाने लगा। पत्नी ये देखकर बोली, “क्या कर रहे हो जी?” पति कहता है, “अरे! वो कहते हैं न? शुभ काम करने से पहले कुछ मीठा हो जाये।“
रश्मि खिलखिला का हँस पड़ी - दो गिलास भर के कॉकटेल गटकने के बाद रश्मि अब पूरी तरह से रिलैक्स्ड और आरामदायक हो गई थी। मैंने देखा की उसकी मुस्कराहट बढती ही जा रही थी और अब वह खुल कर बातें कर रही थी। मैंने अंदाज़ा लगाया की एक और पेग, और बस! लड़की ढह जायेगी!
मैंने एक बार फिर से पांसा फेंका, “अच्छा, और क्या-क्या वाइल्ड काम किया है?”
“और क्या? ऐसे कुछ तो याद नहीं आ रहा!”
“कुछ सेक्सुअल? मेरे से पहले!”
“मेरे साथ जो भी सेक्सुअल है सब आपने ही किया है!” इतनी स्पष्ट स्वीकारोक्ति!
“लेकिन...” मैं तुरंत चौकन्ना हो गया, “... जब पड़ोस की भाभियों ने मर्दों के लिंग और उसके काम के बारे में बताया तो मैं बहुत घबरा गई। उनके बताने के एक दिन बाद मैंने.. उंगली डालने का ट्राई किया था...”
“उंगली? कहाँ?” मुझे अच्छी तरह से मालूम था की कहाँ, लेकिन फिर भी चुटकी लेने से बाज़ नहीं आया।
“जाइए हटिये! आप मुझे सताते हैं!”
“अरे! बिलकुल नहीं! क्यों सताऊँगा? बोलो न, कहाँ?”
“यहाँ... नीचे!” रश्मि ने दबी हुई आवाज़ में कहा।
“पीछे?” मैंने फिर छेड़ा!
“हटो – मुझे नहीं कहना कुछ भी!” रश्मि रूठ गई।
“अरे मेरी जान .. ठीक है, अब नहीं छेडूंगा.. बोल भी दो!”
“मेरी...” एक पल को हिचकिचाई, “... वेजाइना में! यही नाम बताया था न आपने? आधा इंच भी नहीं जा पाई, और दर्द हुआ! मैंने डर के मारे वहीँ छोड़ दिया!”
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