RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
हमने साथ में ही नहाया – कोई और समय होता तो संभव है की सम्भोग का एक और दौर चलता... लेकिन शरीर में खुद की एक सुरक्षा प्रणाली होती है, जिसके कारण आप लगातार सम्भोग नहीं कर सकते। वैसे भी आज जो भी कुछ हुआ वह अत्यंत अप्रत्याशित था, इसलिए मैं खुद भी जल्दी जल्दी उत्तेजित होकर तैयार भी हो गया। यदि किसी बहुत भूखे इंसान को अचानक ही छप्पन भोग परोस दिया जाय तो वह पागल कुत्ते के समान उसको निबटा लेगा... लेकिन वही छप्पन भोग यदि उसको रोज़ परोसा जाय, तो उसकी भूख नियंत्रण में आ जाती है।
नहा धोकर मैंने सिर्फ अपना अंडरवियर पहना और फोन कर के हल्का फुल्का खाना मंगाया – खाकर आराम करने की इच्छा हो रही थी। रश्मि ने कफ्तान स्टाइल वाला बीच वियर पहना हुआ था – यह पॉलिएस्टर का बना एक पारदर्शी पहनावा था, जो समुद्री नीले-हरे रंग का था और जिस पर फूलों के प्रिंट बने हुए थे। गले के नीचे एक लूप जैसा था जहाँ पर डोर से इसको बाँधा जा सकता था। काफी ढीला ढाला परिधान था - उसकी लम्बाई जाँघों के आधे हिस्से तक आती थी और हाथ का ऊपर वाला हिस्सा ही ढकता था। उसके अन्दर रश्मि ने काले रंग की विस्कोस और एलास्टेन की पैडेड पुश-अप ब्रा और काले ही रंग की पैंटीज पहनी हुई थी। उसने अपने बाल शैम्पू किये थे, जिसके कारण वह अभी भी गीले थे और उनसे रह रह कर पानी टपक रहा था। बाला की ख़ूबसूरत!
इस समय वह अपने बालों को तौलिये से रगड़ कर सुखाने की कोशिश कर रही थी। मेरे मुँह से अनायास ही यह गाना निकल गया,
“ना झटको ज़ुल्फ़ से पानी, ये मोती फूट जायेंगे।
तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा, मगर दिल टूट जायेंगे।“
“हा हा! आपको हर सिचुएशन के लिए कोई न कोई गाना याद है!”
“आप हैं ही ऐसी – हर सिचुएशन को एकदम से सेक्सी बना देती है, तो गाना ख़ुद-ब-ख़ुद निकल पड़ता है! आपकी इस हालत में कुछ फोटो निकालने का तो बनता है! इजाज़त है?”
रश्मि ने सर हिला कर अनुमति दे दी।
मैंने उसकी कई सारी तस्वीरें निकाली, की इतने में ही परिचायक खाना लेकर आ गया। मैंने उसको कैमरा देकर हम-दोनों की कुछ तस्वीरें लेने को बोला। मुझे पक्का यकीन है की साले ने कैमरे के व्यू-फाइंडर से रश्मि के जिस्म से अपनी खूब नैन-तृप्ति करी होगी...
‘खैर, कर ले बेटा, अपनी नैन-तृप्ति! तुझे यह लड़की बहुत दूर से सिर्फ देखने को नसीब होगी। ऐसे ही तरसते रहियो!’
कोई सात-आठ तस्वीरें क्लिक करने के बाद उसने बेमन से विदा ली। उसको ज़रूर कल रात वाले परिचायक ने बताया होगा, लेकिन हर-एक की किस्मत सामान थोड़े न होती है।
हमने अपना खाना पीना समाप्त किया और फिर मैंने रश्मि को कहा की वो चाहे तो आराम कर ले, क्योंकि मैं भी कैमरे से तस्वीरें अपने कंप्यूटर में कॉपी कर के आराम करने के मूड में हूँ!
“कंप्यूटर? किधर है कंप्यूटर?”
“मेरा मतलब मेरा लैपटॉप!”
“वो क्या होता है?” अच्छा, अब समझा – रश्मि ने अभी तक वो बड़े वाले डेस्कटॉप के बारे में ही जाना होगा। खैर, मैंने लैपटॉप बाहर निकाल कर उसको दिखाया। वो उसको देख कर प्रत्यक्ष रूप से काफी उत्साहित हो गयी।
“आप मुझे इसके बारे में सिखायेंगे?”
“अरे! क्यों नहीं... बिलकुल सिखाऊँगा!”
मैंने अपना लैपटॉप ऑन कर के उसे इसके बारे में बताना शुरू किया। रश्मि को थोड़ा-बहुत ज्ञान था, लेकिन वह सब पुराना और किताबी ज्ञान था। मैंने उसे कंप्यूटर चालू करने, ऑपरेट करने, और फिर बंद करने के बारे में विस्तार से बताया। फिर मैंने उसे विन्डोज़, इन्टरनेट और ईमेल के बारे में भी बताया – दरअसल आम आदमी के काम की चीज़ें तो यही होती हैं! फाइल्स कैसे खोली जाएँ, प्रोग्राम्स कौन कौन से होते हैं, गाने सुनना, फिल्म देखना, विडियो-चैट इत्यादि! उसको सबसे ज्यादा उत्साह ईमेल और इन्टरनेट के बारे में जान कर हुआ।
खैर, फिर मैंने कैमरे को लैपटॉप से जोड़ कर तस्वीरें कॉपी करनी शुरू करी। कोई पंद्रह मिनट बाद सारी तस्वीरें जब कॉपी हो गईं तो वह जिद करने लगी की चलो तस्वीरें देखते हैं। मेरा मन था की कोई आधे घंटे की नींद ले ली जाय, लेकिन उसके उत्साह को देखकर उसको मना करने का मन नहीं हुआ। कैमरे में हमारी शादी की तस्वीरें (जो मेरे दोस्तों ने खींची थीं), कुछ तस्वीरें उसके कसबे की, कुछ हमारे रिसेप्शन की (जो मेरे दोस्तों और पड़ोसियों ने खींची थीं), और फिर ढेर सारी तस्वीरें हमारे हनीमून की! हमारी जो तस्वीरें मॉरीन ने खींची थी, उनको देख कर रश्मि के मुँह से ‘बाप रे’ निकल गया.... वाकई, सारी की सारी बहुत ही कलात्मक और कामोद्दीपक तस्वीरें थीं। वाकई यादगार तस्वीरें! खैर, कॉपी कर के मैंने चुपके से उन तस्वीरों का एक बैक-अप भी बना लिया की कहीं ऐसा न हो की रश्मि शरम के मारे उनको डिलीट कर दे। इसके बाद हम दोनों लैपटॉप पर ही गाने सुनते हुए कुछ देर के लिए सो गए।
डिनर के लिए हमने सोचा की नीचे सबके साथ करेंगे - लाइव म्यूजिक के कार्यक्रम, और अन्य युगलों और अतिथियों के साथ बैठ कर मदिरा, संगीत और भोजन का आनंद उठाएंगे। रश्मि ने आज मदिरा पीने से साफ़ मना कर दिया – तो मैंने मोकटेल और मसालेदार खाना मंगाया।
“सीईईई हाआआ!”
“क्या हुआ? कुछ तीखा था?”
“उई माँ!.... सीईई! मिर्ची खा ली... बहुत तीखी है...!”
“अरे! देख कर खाना था न! जल्दी से पानी पी लो! नहीं... एक मिनट.. जब मिर्ची लगे, तो दूध पीना चाहिए।”
मैंने जल्दी से वेटर को बुलाया और थोड़ा दूध लाने को बोला।
पानी पीने से रश्मि के मुँह की जलन कुछ कम हो गई। लेकिन मेरे दिमाग में एक कीड़ा कुलबुलाया, “वैसे, मिर्ची की जलन का एक बहुत अचूक इलाज है मेरे पास!”
“क्या? सीईईई!” उसकी जलन कम तो हो गई थी पर फिर भी वो सी... सी.... कर रही थी।
“आपके होंठों और जीभ को अपने मुँह में लेकर चूस देता हूँ, जलन ख़त्म हो जायेगी... क्या कहती हो?” मैंने हंसते हुए कहा। मैं जानता था की सबके सामने ऐसा करने से वह मना कर देगी, लेकिन जब उसने अपनी आँखें बंद करके अपने होंठ मेरी ओर बढ़ा दिए, तो मेरी हैरानी की कोई सीमा न रही। मैंने देखा उसकी साँसें भी तेज़ हो गई थी और उसके स्तन साँसों के साथ साथ ही ऊपर-नीचे हो रहे थे। मैंने आगे बढ़ कर उसके नर्म होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
रश्मि को चूमना तो खैर हमेशा ही आनंददायक अनुभव रहता है, लेकिन ऐसे सबके सामने उसको चूमना – मानो नशे के समान था। उसके नर्म, गुलाब की पत्तियों जैसे नाज़ुक होंठो की छुअन से मेरा तन मन पूरी तरह तक तरंगित हो गया। रश्मि ने भी अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी और मेरे होंठों को चूसने लगी। मैंने भी दोनों हाथों से उसके गाल थाम कर पता नहीं कब तक चूमता रहा, मुझे ध्यान नहीं। लेकिन जब हमारा चुम्बन टूटा तो हमारे चारों तरफ लोगो ने ताली बजा कर हमारा हौसला बढाया। मैंने भी हाथ हिला कर सभी का अभिवादन किया।
खाने के बाद हम दोनों ने कोई एक घंटे तक संगीत का आनंद उठाया और फिर उठ कर समुद्र के किनारे नारियल के पेड़ों पर बंधे हमक (जालीदार झूलों) पर लेट कर रात्रि-आकाश का अवलोकन करने लगे। हम दोनों के झूले सामानांतर बंधे हुए थे, कुछ ऐसे जैसे प्रेमी युगल आपस में हाथ पकड़ कर आराम कर सकें। नवचन्द्र (क्रेसेंट मून) निकला हुआ था, इसलिए आकाश में चमकते, टिमटिमाते तारे और नक्षत्र साफ़ दिख रहे थे। मुझे खगोलशास्त्र में खासी रूचि भी है और ज्ञान भी। लिहाजा, मैंने तुरंत ही बीवी पर इम्प्रैशन झाड़ने के लिए अपना ज्ञान बघारना शुरू कर दिया।
“वह देखिये.. वो जो लाल सा सितारा दिख रहा है, वो मंगल ग्रह है... और वहां पर वृहस्पति या जुपिटर! वही जहाँ से साबू आया है...”
“साबू?”
“अरे.. वो चाचा चौधरी वाला? आप कॉमिक्स नहीं पढ़तीं?” मुझे निराशा हुई... चाचा चौधरी तो मेरे बचपन में लगभग हर बच्चे को मालूम था।
“नहीं... लेकिन चाचा चौधरी नाम सुना तो ज़रूर है..”
“ओके.. अच्छा उधर देखिये.. वहां है उम्म्म्म... कृत्तिका नक्षत्र... दिखने में जैसे हीरे के चमकते गुच्छे हों! और वो देखो... उधर है तुला नक्षत्र..”
“हाँ.. कहते हैं की तुला राशि धरती पर हो रहे पाप-पुण्य का पूरा लेखा जोखा उधर स्थित ध्रुव तारे को देती
जाती है.. ध्रुव तारा अपना स्थान नहीं बदलता..”
“अरे वाह! आपको मालूम है!?”
“हाँ... कुछ कुछ मालूम है!” रश्मि ने उत्साह से कहा।
“गुड! तो मुझे भी बताइए...?”
“ह्म्म्म.. अच्छा... वह जगमग रेखा.. वहाँ ... उधर... वह आकाश-गंगा है। इसके जल में स्नान कर के देवी-देवता और अप्सराएं हमेशा युवा बने रहते हैं...”
‘क्या बात है!’ मैंने सोचा, ‘ऐसा काव्यात्मक दृष्टिकोण?’
रश्मि ने कहना जारी रखा, “इसी के जल से घड़ा भर कर रोहिणी, आषाढ़ मास में धरती पर उड़ेल देती है.. जिससे धरती पर जीवन हरा-भरा हो जाता है.. पेड़ पौधे खेत सब हरे भरे हो जाते हैं...”
“अरे वाह! क्या बात है!!”
रश्मि अपनी प्रशंसा सुन कर उत्साह से बोली, “वहाँ उस ध्रुव तारे को आधार बना कर चलने वाले सप्तर्षि तारा-मंडल हैं... आप की भाषा में शायद उनको ‘बिग डिपर’ कहते हैं... उसमें वो हैं वशिष्ठ और उनके बगल हैं अरुंधती... कहते हैं की विवाहित जोड़े को इनके दर्शन करने चाहिए! शुभ होता है!”
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