Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
12-17-2018, 02:22 AM,
#89
RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
मेरा मन अत्यंत अशांत था – कहने सुनने में तो आज का दिन भी पहले के दिनों के ही समान था, लेकिन मन में न जाने कितने विचार आ और जा रहे थे। सुमन की विवाह प्रस्तावना मेरे लिए अत्यंत अप्रत्याशित थी। अचानक ही जीवन ने एक नया ही मोड़ ले लिया। एक तो ये ‘अचानक’ जैसे की मेरे पीछे ही पड़ गया है – कभी तो इससे मुझे लाभ हुआ, और कभी भारी हानि भी उठानी पड़ी – रश्मि से मिलना एक अचानक और अप्रत्याशित घटना थी... जीवन के उन कुछ सालों में मैं इतना खुश था, जितना कभी नहीं। फिर वो अचानक ही चल दी! फिर अचानक ही मेरा एक्सीडेंट हो गया... अचानक ही फरहत के साथ सम्बन्ध बने.. और आज, अचानक ही सुमन ने यह प्रश्न दाग दिया!


कैसी कमाल की बात है न? हम दोनों इतने सालों से साथ में हैं, लेकिन मुझे कभी इस बात का भान भी नहीं हुआ की सुमन मुझको ले कर ऐसे सोचती है। खैर, भान भी कैसे होता? मैं तो अपने ही ग़म में इतना घुला हुआ था की आस पास का ध्यान भी कहाँ था? लेकिन अब जब यह बात खुल कर सामने आ ही गयी है तो इस पर विचार करना ही पड़ रहा है – क्या सुमन के साथ मेरा होना ठीक रहेगा? मैं उससे चौदह साल बड़ा हूँ... चौदह साल! उसने बोला था की “तो क्या हुआ?” एक तरह से देखो तो वाकई, तो क्या हुआ? रश्मि मुझसे बारह साल छोटी थी....। लेकिन इन दो बातों में क्या समानता है? रश्मि से मुझे प्रेम हुआ था। जब प्रेम होता है, तो उम्र, जाति, बिरादरी, धर्म इत्यादि का कोई स्थान नहीं होता – बस पुरुष और नारी का! (और कुछ लोगों में पुरुष पुरुष और नारी नारी का!) इस लिहाज से देखा जाय तो या कोई बड़ी अनहोनी नहीं थी। सुमन को भी मुझसे प्रेम हुआ था। अब मेरे सामने एक ही प्रश्न है, और वो यह कि क्या मुझे भी उससे प्रेम है? मतलब, प्रेम तो है.. लेकिन वो प्रेम, जिसकी परिणति विवाह हो?

लेकिन सुमन मेरे लिए विवाह प्रस्ताव लाई थी। इस नाते यह सब तो सोचना ही पड़ता है न! अभी तो वह नयी नयी जवान हुई है। जवान शरीर की अपनी मांगे होती हैं। मेरी हालत तो अभी पूरी तरह से ठीक तो है नहीं। फिर मन में विचार आता है की यह सब एक बहाना है। फरहत को मैंने इसी हालत में इस प्रकार संतुष्ट किया है की वो मेरी मुरीद बन गयी है! फरहत को क्या कहूं? उसको कैसा लगेगा? वो भी कितनी अच्छी लड़की है! उसका दिल टूट जाएगा! सच कहूं तो मेरे पास कुछ ख़ास विकल्प नहीं हैं... जो हैं वो वास्तव में सबसे अच्छे हैं। या तो सुमन से विवाह करूँ, या फिर फरहत से! किसी भी एक विकल्प को चुनने से दूसरे का दिल तो अवश्य टूटेगा। यह सोचना मेरे लिए कष्टप्रद है। जो भी होगा, इन दोनों को ही सुनने का पूरा हक़ है।

कहीं किसी को कहते हुए सुना है – प्रेम कहीं से भी, किसी से भी और किसी भी रूप में आये या मिले, तो उसको लपक कर ले लेना चाहिए। और मुझे तो बैठे बैठे जैसे झोली में डाल कर या थाली में परोस कर प्रेम मिल रहा था। कुछ तो अच्छा किया होगा मैंने अपने जीवन में – पहले रश्मि, फिर फरहत और अब सुमन! नहीं नहीं – क्रम में कुछ गड़बड़ है – सुमन फरहत के पहले से है। खैर, क्रम का क्या है? वृत्त में भला क्या कोई आदि या अंत होता है? ठीक वैसे ही, प्रेम में भी क्या आदि या अंत?

मेरे लिए यह भी सोचने वाली बात थी कि मैं प्रेम के खातिर विवाह करना चाहता था, या इसलिए कि मेरा बिस्तर गरम रहे? फरहत से मुझे शारीरिक संतुष्टि तो बहुत मिल रही है... यह उसी की देन है कि आज मैं अपने हाथ पांव का ठीक से इस्तेमाल कर पा रहा हूँ। उसका बहुत उपकार है मुझ पर। लेकिन, क्या मैं उससे शादी कर सकता हूँ? उसके धर्म से मुझे कोई लेना देना नहीं है.. लेकिन, मन में यह बात तो अटकी हुई है की मैं उससे प्यार तो नहीं करता। वो मुझे अच्छी लगती है, मेरी सबसे ख़ास दोस्त भी है, लेकिन मुझे उससे प्रेम नहीं है! मेरा मतलब, ‘उस’ प्रकार का।

दूसरी तरफ सुमन है, जो मुझे चाहती है – आज अगर जीवित हूँ, तो सब उसी की दुआओं, प्रार्थनाओं और प्रेम के कारण ही है। लोगो ने मुझे कहा था की कैसे उसने देवी सावित्री के समान ही मेरे प्राण, मानो यमराज से वापस मांग लिए! कभी कभी सोचता हूँ कि उसके मन और ह्रदय पर क्या बीत रही होगी उस समय? क्या उसने भी देवी सावित्री के ही समान यमराज से सौ पुत्रों का वरदान माँगा था? क्या क्या सोच रहा हूँ मैं? मैं दिन में अपने कमरे में ही रहा। बाहर जाने जैसी हिम्मत नहीं हुई – अगर सुमन से आँखें मिल गईं तो? क्या कहूँगा मैं उससे? 

सुमन से आँखें मिलाने के लिए मुझे कमरे से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं थी। वो खुद ही आ गई – एक मंद मुस्कान लिए!

‘ओह भगवान! कितनी प्यारी है ये लड़की!’

“आपको यूँ कमरे के अन्दर बैठे रहने की कोई ज़रुरत नहीं! आइए, लंच कर लेते हैं?” 

कह कर उसने बिना मेरे उत्तर की प्रतीक्षा किये, मेरे हाथ पकड़ कर मुझे बिस्तर से उठाने लगी। मैं भी एक अच्छे बच्चे की तरह उठ गया, और न जाने कितने दिनों के बाद डाइनिंग टेबल पर उसके साथ बैठ कर खाना खाया। कभी कभी छोटी छोटी बातें भी कितनी सुन्दर लगती हैं! दिमाग में रश्मि के साथ वाले सुख भरे दिनों का दृश्य घूम गया। होनी कितनी प्रबल है! उसको कौन टाल सकता है?

अगली सुबह जब फरहत घर आई, तो सुमन को वहां उपस्थित देख कर थोड़ा अचरज में आ गई .. फिर उसको तुरंत समझ में आ गया। 



“फरहत! आओ! आज हम सभी साथ में नाश्ता करेंगे?” उसको बताने से ज्यादा, मैं पूछ रहा था।

उसको लग गया की अब फैसले की घड़ी है, तो उसने भी कोई न नुकुर न करते हुए हमारे साथ होने में भलाई समझी। लेकिन, मैं कुछ कहता, उससे पहले ही फरहत ने सुमन से पूछा,

“नीलू, तुमने इनको बता दिया?”

सुमन शरमाते हुए मुस्कुराई, और साथ ही उसने हाँ में सर हिलाया।

“ओह नीलू!” कहते हुए उसने सुमन को अपने गले से लगा लिया! 

“आई ऍम सो हैप्पी फॉर यू!” 

“थैंक यू, फरहत!” सुमन बस इतना ही कह सकी।

“रूद्र,” फरहत ने मेरी तरफ मुखातिब होते हुए कहा, “आपको कुछ कहने की ज़रुरत नहीं है.. बस इतना बता दीजिए, कि आप सुमन से शादी करेंगे?”

अचानक ही मेरा लम्बा चौड़ा भाषण देने का प्लान चौपट हो गया! मेरी बोलती कुछ क्षणों के लिए बंद हो गयी।

“अरे कुछ बोलिए भी!”

“फरहत...”

“हाँ, या ना?”

“ह्ह्हान!” मेरे मुँह से बेसाख्ता निकल गया।

फरहत मुस्कुरा दी.. उसकी आँखों से आंसू भी निकल आये! भरे हुए गले से उसने मुझे बधाई दी ...

“वैरी गुड चॉइस! सच में! अगर तुम नीलू से शादी न करते, तो मुझसे बुरा कोई न होता! हूहूहू..” वो रोने लगी, “कम, गिव मी अ हग!” 

सुमन तुरंत ही फरहत से लिपट कर रोने लगी! मैं भी संकोच करते हुए उससे लिपट गया।

“मेरे सामने नंगा होने में शर्म नहीं आती, लेकिन मुझे हग करने में शर्म आती है? कम... हग मी प्रोपरली..” फरहत ने रोते हुए हिचकियों के बीच में मुझे झाड़ लगाई।

अब तक मेरे भी आँसू निकलने लगे। हम तीनो न जाने कितनी देर तक यूँ ही आपस में लिपट कर रोते रहे, फिर अलग हो कर हमने साथ में नाश्ता किया।

नाश्ते के बाद सुमन ने फरहत का हाथ थाम कर उससे कहा,

“फरहत, चाहे कुछ भी हो, ये घर आपका भी है!” 

फरहत ने बीच में कुछ कहना चाह तो सुमन ने कहा, “मुझे बोल लेने दीजिए, प्लीज! मेरे लिए आपका दर्जा मेरी दीदी के जैसा है! इस घर में आपकी इज्ज़त उन्ही के जैसे होगी। मेरी एक विनती है आपसे – आप यहीं पर रहिए!”

फरहत फिर से रोने लगी, “न बाबा! तुम दोनों जब साथ में आहें भरोगे, तो मेरा क्या होगा?” बेचारी, इस बुरी हालत में भी वो मज़ाक करने से नहीं चूक रही थी।

सुमन ने कहा, “तो फिर ठीक है! हम दोनों तब तक शादी नहीं करेंगे, जब तक आपके आहें भरने का परमानेंट इंतजाम न कर दें! क्यों ठीक है न?” ये आखिरी वाला मेरे लिए था!

“क्या मतलब?” मुझे वाकई नहीं समझ आया।

“आप दीदी के लिए कोई अच्छा सा लड़का ढूंढिए न! जब तक इनकी शादी नहीं होगी, मैं भी नहीं करूंगी!” सुमन ने फैसला सुनाया।



ऐसा नाटकीय दिन शायद ही किसी के जीवन में हुआ हो!

अब अच्छा सा लड़का यूँ ही तो नही मिलता है! देखना पड़ता है, लड़के की पृष्ठभूमि की जांच करनी होती है, फिर दोनों एक दूसरे को पसंद भी करने चाहिए! अगर प्रेम के अंकुर निकल पड़ें, तो और भी अच्छा! इसको एक अद्भुत संयोग ही मानिए कि कोई दो महीने बाद, मेरी मुलाकात मेरे अभियांत्रिकी की पढाई के दिनों के एक मित्र से हुई। उसका नाम अमर है। वो मुझसे मिलने मेरे घर आया था – मैं अभी भी ऑफिस नहीं जा रहा था, और घर से ही काम करता था। वो एक महीने के लिए भारत आया हुआ था – वैसे अभी लक्समबर्ग में रहता था, और वहीं पर उसने अपना बिजनेस जमा लिया था। उसको मेरी दुर्घटनाओं के बारे में मालूम पड़ा तो मिलने चला आया – वैसे उसका घर दिल्ली में था। उसने अभी तक विवाह नहीं किया था।


मिलने आया तो उसकी हम सभी से मुलाक़ात हुई। मुझे तुरंत ही समझ आ गया की उसको फरहत में दिलचस्पी है। मैंने उसको पूछा की वो कहाँ ठहरा हुआ है, तो उसने होटल का नाम बताया। मैंने जिद से वहां की बुकिंग कैंसिल कर दी, और हज़ारों कसमें दे कर उसको यहीं मेरे घर पर रहने को कहा। इससे एक लाभ यह था की मेरे पुराने मित्र से मैं देर तक बातें कर पाऊँगा, और दूसरा यह की फरहत और अमर को एक दूसरे से बातें करने का भी अवसर मिलेगा। 

हमारी बातों में मैंने जान बूझ कर फरहत का कई बार ज़िक्र किया, जिससे वो उसके बारे में और प्रश्न पूछे, और उसके बारे में ठीक से जान जाय। बाकी सब तो प्रभु की इच्छा! एक और बात थी – वो मैंने किसी को नहीं बताई थी, और वो यह, की अमर का लिंग मेरे लिंग से बड़ा था। लम्बाई में भी, और मोटाई में भी। मुझे कैसे मालूम? अरे दोस्तों, बी टेक का हाल अब न ही पूछिए! भाई को एक बार दारू पीना का शौक चर्राया था। न जाने कितनी ही बार मद में लड़खड़ाते हुए अमर को मैंने टॉयलेट में ले जा कर मुताया था। पैन्ट्स में से उसका लंड बाहर निकालने पर कई बार खड़ा हुआ भी रहता था। ऐसे में मुताने के लिए.... अब छोडिये भी! 
अगर इन दोनों की शादी हो जाय, तो वाकई, फरहत की आहें भरने का परमानेंट इंतजाम हो जाए! और सबसे बड़ी बात यह, की अमर एक बहुत अच्छा लड़का, मेरा मतलब आदमी, भी है। वो इस समय अपने करियर और जीवन के उस मुकाम पर है, जहाँ पर उसको एक साथी की आवश्यकता थी। उसके वापस दिल्ली जाने के दो दिनों बाद जब फरहत के लिए उसका फोन आया, तो मुझे जैसे मन मांगी मुराद मिल गयी! उसके एक सप्ताह के बाद, फरहत ने शादी के लिए उससे हाँ कर दी! भले ही उन दोनों को एक दूसरे के बारे में बहुत कुछ न मालूम हो, लेकिन मुझे यकीन था की लड़की वाकई, बहुत खुश रहेगी! और अमर भी! 

अमर और फरहत की शादी जैसे आंधी तूफ़ान की तरह हुई! दोनों ने कोर्ट में जा कर शादी करी थी – फरहत के अब्बू ने फ़िज़ूल की न नुकुर तो करी, लेकिन अमर के लायक न होने का कोई कारण न ढूंढ सके। अब बस हिन्दू मुसलमान के फर्क के कारण ऐसी शादी तो कोई नहीं छोड़ सकता है न? लिहाजा, दोनों की शादी आराम से हो गयी। वैसे भी अमर दिखावे के सख्त खिलाफ है – इसलिए शादी में सुमन, मैं, फरहत के अब्बू, और पांच और मित्रों के अतिरिक्त और कोई नहीं आमंत्रित था। शादी दिल्ली में हुई, और वहीँ पर रजिस्टर भी। वैसे तो काफी सारा प्रपंच करना पड़ता है कोर्ट की शादी में, लेकिन उसने कुछ दे दिला कर हफ्ते भर में ही दिन निकलवा लिया। किसी को उनकी शादी पर भला क्या आपत्ति हो सकती थी।

हम सभी ने बहुत मज़े किये। शादी के बाद, एक पांच सितारा होटल में खाना पीना हुआ, नृत्य भी – हम चारों ने एक दूसरे के साथ डांस भी किया। सुमन भी पूरा समय अमर को जीजू जीजू कह कर छेड़ती रही। फिर हम सबने विदा ली, और उनको अकेला छोड़ दिया। वापसी की फ्लाइट में सुमन ने पूछा,
Reply


Messages In This Thread
RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प ) - by sexstories - 12-17-2018, 02:22 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Incest HUM 3 (Completed) sexstories 76 1,192 2 hours ago
Last Post: sexstories
  बाप का माल {मेरी gf बन गयी मेरी बाप की wife.} sexstories 72 15,926 06-26-2024, 01:31 PM
Last Post: sexstories
  Incest Maa beta se pati patni (completed) sexstories 35 11,381 06-26-2024, 01:04 PM
Last Post: sexstories
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 20,567 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 9,785 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 6,737 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,768,424 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 578,960 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,349,127 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,033,269 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68



Users browsing this thread: 7 Guest(s)