RE: Chodan Kahani चुदक्कड़ घोड़ियाँ
“चल नंदू अब इन दोनों माँ बेटियों को नथ पह्नातें हैं, फाड़ते हैं इनका दो दिन पुराना पनीर ...........दाल देते हैं इन दोनों की मतवाली गांडो में अपने अपने लंड.........उह्ह्हन्न्न्नन्न ........आज तो गांड फाड़ डालूँगा इस लंगड़ी घोड़ी की. खूब कूद कूद के चोदुंगा इस सूअर की बच्ची को. साली लंगड़ी रांड.” मुन्ना दीदी की गांड को बुरी तरह मसलता हुआ बडबडाने लगा.
“ओह्ह्ह्हह्ह........तू भी मुझे गन्दी गन्दी गालियाँ दे कर चोदना जैसे तू गीता को चोदता है.” मम्मी ने पीछे मुड़ कर नंदू से कहा.
“ऊऊऊऊईईईईईईईइम्मम्मम्मम्मम्मम्माआआआआआआ..........” मम्मी की किल्ली निकल गयी जैसे ही नंदू ने ज़ोर से अपने लंड को मम्मी की गांड में धकेला. गालियाँ देकर चोदने वाली बात को सुन के नंदू तुरंत गरमा गया और लंड को मम्मी की गांड में ठेलने लगा.
“अबे नंदू रुक.......मादरचोद........मैं भी तो अपने लंड की मुंडी इस लंगड़ी की गदराई गांड में अटका दूं. फिर एक साथ चीरेंगे इन दोनों की कददू जैसी गांडो को.”
“ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह चाचा अब घुसेड़ भी दो अपने इस हलब्बी लंड को इस बहन की लौड़ी की गरम गांड में. मुझसे अब नहीं रुका जा रहा चाचा. अब तो मैं इस सुधिया छिनाल को खूब पीट पीट कर चोदुंगा. भोंदू ने भी आज रम्भा रांड को क्या चोदा होगा जो मैं चोदुंगा इस हरामखोर चुदैल घोड़ी को.” नंदू लगभग गुर्रा रहा था.
उधर चाचा ने भी जोश में आकर आख़िरकार गीता दीदी की गुदा पर अपने लंड की मुंडी रख दी. गीता दीदी ने भी मम्मी की तरह अपने दोनों हाथों से अपने चूतड़ फेला लिए. तभी मुन्ना काका ने ज़ोर का शॉट लगाया पर दीदी बैलेंस नहीं बना पायीं और धक्का लगने से आगे को हो गयीं. हालाँकि धक्का लगने से काका के लंड की मुंडी दीदी की गांड में घुस गयी थी पर दीदी के तेज़ी से आगे को झुकने की वज़ह से काका का लंड दीदी की गांड से छिटक कर बाहर आ गया. चाचा अपनी पहली कोशिश में नाकामयाब हो गए थे. लंड से बच कर दीदी की गांड कामुक अंदाज़ में लहर रही थी जैसे काका के लौड़े को चिढ़ा रही हो. लंड बुरी तरह फड़क रहा था. काका की बेहाली देख कर नंदू भी उनकी तरफ देख कर मुस्कुरे लगा.
“चाचा आप तो मार ही नहीं पाए चिड़िया”
“अबे चिड़िया नहीं मुर्गी है रंडी ..........मुर्गी.........कोई नहीं नंदू होता है. वैसे भी घोड़ी को नथ पहनाने में टाइम तो लगता ही है.”
“मैंने तो अपनी इस चुदैल सुधिया घोड़ी को पहना भी दी नथ..........!!! देखो कैसे ये कुतिया अपनी गांड में लंड फंसाए घोड़ी बनी खड़ी है.”
“अबे जा जा........पूरी की पूरी “नथ” तो तेरी सुधिया की गांड से बाहर झूल रही है. सिर्फ लंड की नोंक गांड में पीरो देने को नहीं कहते “घोड़ी को नथ पहनाना”..........
काका ने फिर से कोशिश की पर इस बार उन्होंने दीदी को कस कर अपने हाथों से कुर्सी को पकड़ने के लिए बोला. दीदी ने कुर्सी पकड़ ली और उधर काका ने दीदी की मटकती गांड पकड़ ली. और फिर काका ने अपने दोनों हाथों से दीदी के चूतड़ चौड़े किये और अपने टनटनाते लंड को अपनी टांगों और कमर के सहारे एडजस्ट करते हुए दीदी की गुदा पर रख दिया. वो धक्का देने ही वाले थे कि दीदी ने कहा
“काका एक मिनट...” और दीदी अपना एक हाथ पीछे लायीं और काका का लंड पकड़ कर उन्होंने ठीक से अपनी गुदा पे सेट किया. शायद दीदी को पता लग गया था की काका का लंड गांड के सुराख़ पे ठीक से नहीं बैठा है.
काका मुस्कुराये और एक करारा धक्का दीदी की गांड में दे मारा. काका के लंड का आलू जैसा सुपाड़ा दीदी की गांड को चीर कर दनदनाता हुआ उनकी गुदा में घुस गया.
“ह्ह्हाआअय्य्य्य........मर्र्र्रर्र्र्रर .........गयी री माआआआअ.........” दीदी इतनी ज़ोर से चीखीं की पास में सोफे पे भोंदू से भकाभक चुदती रम्भी भी चोंक गयी और मम्मी भी डर गयीं. दीदी का मुंह बिलकुल मम्मी के कान के पास था. काका दीदी की कमर को सहलाने लगे.
बड़ा मस्त नज़ारा था. दो घर के नौकर मिलकर मेरी दीदी और माँ की गांड में अपने अपने लंड फंसाए खड़े थे.
“ले भई नंदू .........चटका दी इस लंगड़ी घोड़ी की गांड.......ऊईई कैसे फुदक रही है सूअर की बच्ची”
“आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मम्मी बड़ी ज़ोर से चुभ रहा है काका का लंड गांड में. तुम कैसे चुदवा लेती हो इतने तगड़े लंड से रात रात भर. और आज रात को भी तुमने मुन्ना काका से गांड मरवाने का प्लान बना लिया. अभी नंदू से मरवा रही हो........रात में काका तुम्हारी गांड चोदेंगे. तुम्हें इतना पसंद है गांड मरवाना??”
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