RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
सलामू उसे परदा करते देखकर जल्दी से बोला-“अरे छोरी चेहरा क्यों छुपा रही हो? यह कोई गैर नहीं हैं। इस हवेली के मालिक और वारिस छोटे साईन हैं…”
छोटे साईन का सुनकर उस लड़की को जैसे झटका सा लगा, और दुपट्टा उसके हाथ से गिर सा गया और वो फौरन आगे बढ़ी और मेरे कदमों में बैठकर मेरे पैर चूमने लगी।
मैं उसकी यह हरकत देखकर घबरा सा गया। मैंने जल्दी से नीचे देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। नीचे बैठे हुए उसके खुले गले से उसका आधा खुला सीना बिल्कुल सॉफ दिखाई दे रहा था। यहाँ तक कि उसके सीने पर कोई ब्रा भी नजर नहीं आ रही थी।
मुझे इस तरह नीचे देखते हुए देखकर सलामू ने जल्दी से कहा-“साईन यह हवेली की नौकरानी है। अपना बख्सु है ना मलही, उसकी बेटी है, और मुरीद है आपकी…”
मैंने सलामू की बात सुनकर जल्दी से अपना चेहरा ऊपर किया, और सलामू को देखने लगा। मैंने अपने चेहरे के भाव को सलामू से छुपाते हुए अपने चेहरे को नॉर्मल रखा। मुझे डर था कि कहीं सलामू मेरी चोरी पकड़ ना ले। मैंने गर्दन हिलाई और उससे थोड़ा दूर हटकर खड़ा हो गया।
सलामू ने मुझे दूर होते देखकर जल्दी से उसे कहा-“चल उठ सारा, और जल्दी से छोटे साईन के लिए खाने का इंतज़ाम कर…”
वो जल्दी से उठी और तेज-तेज कदमों से सीढ़ियाँ उतरती हुई जनानखाने वाले दरवाजे में गायब हो गई। मेरी नजरें उसका पीछा कर रही थीं। मैं खुद पर काबू नहीं रख पा रहा था। वो जितनी सामने से खूबसूरत थी, उतनी ही पीछे से भी। उसकी उभरी-उभरी गाण्ड के दोनों पाट उसके तेजी से सीढ़ियों से उतरते वक्त इस तरह हिल रहे थे, जैसे कहीं किसी की दिल की रियासत में जलजला आ गया हो। मुझे अपने अंदर कुछ ऐंठन सी होने लगी।
मेरा बचपन में ही हुश्न परस्त वाकिया हुआ था। जिंदगी में पहली बार मेरा दिल सिक्स क्लास में अपनी एक खूबसूरत टीचर को देखकर बहुत धड़का था और उसकी धड़कन 8वी क्लास में पहुँचकर उसी टीचर ने रोकी थी। क्या गजब की टीचर थी। वो मेरी स्कूल टीचर होने के इलावा मेरी सेक्स टीचर भी थी। उसने मुझे सेक्स के मामले में इतना ठीक कर दिया था कि मेट्रिक तक आते-आते मैं अपनी कितनी ही क्लास फेलोज को अपनी मर्दानगी का सबूत दे चुका था।
सलामू की आवाज ने मुझे अपने खयालों से चौंका दिया-“छोटे साईन, क्या सोच रहे हैं?”
“कुछ नहीं…” मैंने जल्दी से कहा।
सलामू मुझे लेकर एक कमरे के दरवाजे की तरफ बढ़ा, और दरवाजा खोलकर मुझे अंदर दाखिल होने का इशारा किया। मैंने कमरे में दाखिल होकर एक नजर कमरे पर डाली। बहुत ही शानदार और सजा हुआ रूम था। रूम की एक-एक चीज से मालिकों की अमीरी का पता चलता था।
मैं अभी चारों तरफ देख ही रहा था कि सलामू ने जल्दी से कहा-“छोटे साईन आप जल्दी से नहा धो लें। मैं आपके लिए रात के कपड़े निकाल देता हूँ…”
मैंने हैरत से सलामू को देखते हुए जुमला दोहराया-“रात के कपड़े?”
सलामू मुश्कुराते हुए-“जी छोटे साईन, आपके मामूजान वापिसी में आपके कपड़ों का बैग मुझे दे गये थे। उसमें से कपड़े निकालकर मैंने इस अलमारी में रखवा दिए हैं…”
मैंने बड़े से डबलबेड पर बैठते हुए अपने जूते उतारे। इस दौरान सलामू जल्दी से एक दो पट्टे वाली चप्पल ले आया, जो एक साइड पर रखी हुई थी। मैंने उन्हें यह करता देखकर जल्दी से कहा-“चाचा, आप मेरे लिए ये सब ना किया करें। आप मेरे बड़े हैं, और वैसे भी मुझे यह सब पसंद नहीं…”
मेरी बात सुनकर सलामू की आँखों में आँसू भर आए, और उसने शराफत भरे अंदाज में जल्दी से कहा-“अच्छा छोटे साईन आइन्दा नहीं करूँगा। बस आप जल्दी से फ्रेश हो जाओ। सारा अभी खाना लाती ही होगी…”
मैं मुश्कुराता हुआ वाशरूम की तरफ बढ़ गया। वाशरूम में पहुँचकर मैं अपने कपड़े उतारकर शावर के नीचे खड़ा हो गया। शावर में गरम पानी का कनेक्शन भी मौजूद था। मैंने मिक्सर सेट किया और उसके साथ ही जिश्म को सकून देता हुआ गरम पानी मेरे बदन पर गिरने लगा। जिसके कारण मेरे जिश्म की सारी थकान उतरने लगी और मैंने अपनी आँखें बंद की तो, घर की नौकरानी सारा एकदम से मेरी नजरों के सामने घूम गई। उसका गोरा और साँवला जिश्म का खयाल मेरे अंदर गर्मी बढ़ाने लगा।
वालिदान की जुदाई के दुख में सारा का नजर आना मेरे लिए एक खुशगवार अहसास था। लेकिन एक लम्हे में ही अम्मी और बाबा की जुदाई का दुख मेरे ऊपर फ़िर से हावी होने लगा। और पता नहीं कब शावर से बहते पानी की बूँदों के साथ ही मेरी आँखों से भी आँसू की धारा बहने लगी। ना मालूम कितना वक्त गुजर गया, जिसका मुझे अहसास ही ना रहा। वाशरूम का दरवाजा बजने की आवाज पर मैं चौंका, और जल्दी से शावर बंद करके बाहर की आवाज सुनने लगा।
बाहर सलामू मुझे पुकार रहा था-“छोटे साईन, छोटे साईन…”
मैंने जल्दी से दरवाजे के करीब जाकर जवाब दिया-“जी चाचा…”
सलामू-साईन आपके कपड़े ले लें, और सारा खाना भी ले आई है।
मैंने थोड़ा सा दरवाजा खोलकर चाचा से नाइट ड्रेस ले ली। ट्राउजर और शर्ट लेकर मैंने जल्दी से चेंज किया और बाहर निकल आया। बाहर रूम में सारा एक तरफ फर्श पर बैठी थी और उसने खाने की ट्रे सोफा के सामने रखी टेबल पर रखी हुई थी। मुझे आता देखकर वो जल्दी से खड़ी हो गई। सलामू भी एक साइड पर मौजूद था। सारा को देखकर मेरे दिल की धड़कनें एक बार फ़िर तेज हो गई थीं। मगर मैंने खुद पर कंट्रोल करते हुए आगे बढ़कर सोफा पर बैठ गया, जिसके सामने खाने की ट्रे, एक टेबल पर सफेद कपड़े से ढकी हुई थी। सारा ने जल्दी से आगे बढ़कर खाने की ट्रे पर से पाश हटाया तो पूरी ट्रे कई तरह के खानों से भरी हुई थी।
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