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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
मैनेजर सब देख कर मुस्कुराया और कहा-"कोई बात नहीं सर, यहाँ अभी कोई फ़ैमिली नहीं है। सब मस्ती के लिए हीं आए है। आपके बगल की कौटेज में पाँच लोग हैं, दो लड़की और तीन लड़के, सब विदेशी। पीछे जो नदी का किनारा है दिन भर वहीं मस्ती करते रहते है, आप देखेंगे तो लगेगा कि किसी न्युडिस्ट क्लब में हैं। चार दिन से हैं सब, तीन दिन और रहेंगे।" रागिनी बोली-"वाओ, फ़िर तो अंकल हम भी एक बार उधर चलेंगे, मुझे एक बार खुले आसमान के नीचे प्यार करने का मौका मिले, ये मेरी बहुत पुरानी फ़ैंटसी है, अब मौका मिला है तो जरुर पुरा करुंगी।" सानिया ने कहा-"और अगर उन विदेशियों ने तुम्हें अपनी पार्टी में इन्वाईट कर दिया तो अंकल का क्या होगा?", वो खिलखिला कर हँसी। अब मैंने तड़ से जवाब दिया फ़िर मैं उनकी गोरी लौन्डिया चोद लुँगा बदले में। और हम सब हँस पड़े। रुम में भीतर जाते हीं रागिनी तुरंत मेरे लन्ड को बाहर निकाल कर चुसने लगी, और यह देख सानिया भी अपने अब्बू की लन्ड बाहर निकालने के लिए उसके पैन्ट की जिप पकड़ी पर जमील बोला, यहाँ नहीं - भीतर, और दुसरे रुम में चला गया सानिया ने हम दोनों की तरफ़ देखा और एक बुरा सा मुँह बनाया। मैंने कहा-"जाओ बेटी भीतर, साला गांडू है। अभी भी शर्मा रहा है मादरचोद।" सानिया ने मुस्कुराते हुए कहा, "चाचू मेरी दादीजान को गाली मत दीजिए। अब थोड़ी देर में अब्बू तो बेटीचोद बन हीं रहे हैं।" रागिनी मेरा लन्ड चुस रही थी। मैं बोला-"हाँ पर वो मादरचोद हमें देखने नहीं देगा न कि तुम कैसे उस हरामी को बेटीचोद बनाई।" सानिया साली पक्की कमीनी कुतिया बन चुकी थी, साली रन्डी बोली-"मैं रुम का दरवाजा खुला छोड़ दुँगी और जब मैं अब्बू को बेटीचोद बोलुँगी तब आप लोग भीतर आ जाईएगा। मैं उनको बेटीचोद तभी बोलुँगी जब पहली बार उनका लन्ड मेरे चूत में घुसेगा। इसके बाद मैं उनको लण्ड बाहर थोड़े ना खींचने दुँगी। तब आप लोग देख लीजिएगा कैसे मैं उन्हें बेटीचोद बनाती हूँ।" रागिनी ने हाथ के इशारे से सहमती जता दी और सानिया साली उस रुम में घुस गई जिसमें जमील गया था।
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
करीब बीस मिनट बीता होगा, तब मैं रागिनी को पीछे से चोदने के लिए अपना पोजीशन ठीक कर रहा था कि तभी बगल के रुम से सानिया की आवाज आई-"आओ साले हरामी बेटीचोद, पेल अपना लन्ड अपनी बेती की चूत में साले मादरचोद..."। यह इशारा था हमारे लिए और मैं रागिनी की चुतड़ पर चपत लगाते हुए बिस्तर से कुदा-"आओ रागिनी अब देखें साले गांडू को", और हम दोनों अगले पल दुसरे वाले रुम के भीतर थे। जबतक जमील समझे, मैंने लाईट औन कर दी। सानिया बिस्तर पर चित लेटी थी, जाँघ खोल कर टाँगे हवा में उठा कर और जमील उसके उपर चढ़ा हुआ था। साले का पुरा लन्ड सानिया की गोरी-चिट्टी बूर के भीतर घुस हुआ था। हमें देख वह हड़बड़ा कर उठने लगा, पर सानिया को तो अब तक मैंने सब दाँव-पेंच सिखा कर पुरा रंडी बना चुका था सो जब जमील उठना चाहा तो सानिया ने उसके कमर को अपने पैरों से और उसकी पीठ को अपने हाथों से जकड़ लिया और जमील के उठने के साथ अपने कमर को भी उपर उठाने लगी। नतीजा जमील का लन्ड अभी भी सानिया की चूत में फ़ँसा हुआ था और सानिया की गाँड हवा में करीब ६" उपर उठी हुई थी। जमील अब किसी तरह अपना लन्ड उसकी बूर से निकालना चाह रहा था, पर सानिया की पकड़ ऐसी जबर्दस्त थी कि वो अपना लन्ड निकाल नहीं पा रहा था। बार-बार वह अपना कमर उपर नीचे कर रहा था और साथ साथ सानिया भी अपना कमर चिपका कर उपर नीचे कर रही थी। नतीजा यह हुआ कि न चाहते हुए भी जमील का लन्ड सानिया की बूर को चोद रहा था। सानिया बोली-"अब आपको नहीं छोड़ुंगी अब्बू, बिना अपनी गर्मी शान्त करवाये हुए। चोदिए जम कर आज। बहुत दिनों से इस दिन का इंतजार था मुझे।" जमील बेचारा हमारे सामने थोड़ा बेबस दिख रहा था। मैंने कहा-"अबे साले चुतिया, अब जब जवान बेटी को गर्म कर दिए हो तो बेचारी को क्यों तड़पा रहे हो। चोद दो ठीक से। भूल जाओ कि हम दोनों यहाँ हैं"। सानिया फ़िर बोली-"चोदो ना अब्बू, अब रहा नहीं जा रहा। आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, अरे हरामी साले, बेटी को तड़पा रहा है। साले कुत्ते, आज जो तुम अपना बाहर खींचे तो माँ-कसम बीच सड़क पर नंगी लेट जाऊँगी जा कर और तेरे इज्जत का फ़ालुदा कर दुँगी, समझ लेना।" मैं देख रहा था कि साली सानिया कितनी जल्दी एकदम से छिनाल बन गई थी। अभी तीन महिने भी नहीं हुए उसको अपने बूर का उदघाटन करवाए हुए, पर साली कैसे अपने बाप को गाली दे रही थी। इसकी तुलना में रागिनी जो पेशेवर कौलगर्ल थी ज्यादा शरीफ़ थी बात-चित में। वात्सायन ने सच कहा है - लड़की में चार-गुणा काम होता है, आज साफ़ देख रहा था कि जब लड़की चुदाने पर आती है तो कैसे और क्या बन जाती है। रागिनी ने भी जमील से कहा कि वो हमारी फ़िक्र छोड़ कर सानिया के प्यास बुझाए। जमील के पास कोई चारा नहीं था, सो साला अब अपनी बेटी को अपने बाहों में लिपटा लिया और फ़िर उपर से लगा धकाधक चोदने। जल्द ही उन दोनों की सिस्की से रुम गर्म हो गया। सानिया मस्त हो कर आह-उह-इइस्स्स कर रही थी और उसकी हर आवाज पर जमील अपने धक्के के साथ "ताल से ताल मिला" कर रहा था। जल्द हीं वह हाँफ़ने लगा, तो सानिया ने उसको पलट दिया और उसके उपर आ गई। इस क्रम में जमील का लन्ड बाहर निकल गया था। सानिया अब उसके उपर बैठ कर अपने हाथ से अपने अब्बू का लन्ड अपने बूर में घुसा दी, और लगी उपर से उछल-उछल कर, कमर नचा नचा कर अपने खुब की बूर को अपने बाप के लन्ड से चोदने।
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
.जमील अपने हाथ से सानिया की गोल-गोल गोरी चुचियों को मसलने लगा और सानिया आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह करने लगी। बीच बीच में वह कुछ क्षण रुकती और झुक कर जमील के होठ चुमती, और फ़िर उपर से घचाघच करने लगती। तभी जमील बोला, "अब रुको सानिया, मेरा निकलने वाला है"। सानिया यह सुन दोगुने जोश में आ गई, "गुड, साले अब्बू अब आज मेरे भीतर झड़ो, बेटीचोद।" जमील सिटपिटा गया, पर बेचारा नीचे सानिया से दबा हुआ था और सानिया साली अपना बूर अब उसके कमर पर नचाने लगी थी। जमील अब घिघियाने लगा, "हटो बेटी प्लीज, मुझे बाहर खींचने दो, प्लीज"। सानिया गुर्राई, "हरगिज नहीं साले हरामी, आज तुमको अपनी बेटी की बूर में हीं झड़ना होगा। कितना तड़पाए हो इस दिन के लिए, आज तुमको नहीं छोड़ुँगी। आज अपने बूर से तुम्हारे लन्ड का जूस निकाल कर पीऊँगी।" सानिया की बात सुन कर मैंने कहा-"वकप सानिया, वेरी गुड, सही सजा दे रही हो साले झन्डू को"। अबकि बार सानिया मुझे बोली-"आप देखते जाईए चाचू, आज कैसे मैं अपने इस प्यारे अब्बू का बलात्कार करती हूँ। बहुत तड़पा चुके हैं आज तक। आज जब पकड़ में आए हैं तो ऐसे नहीं छोड़ुँगी, पुरा चुस जाना है आज इनको, फ़िर पता नहीं पकड़ में आएँ न आएँ।" बेचारा जमील एक्दम छुटने के कगार पर था, छ्टपटया-"प्ल्ल्ल्लीज सानिया बेटा अब मजाक छॊड़ो"। सानिया फ़िर अपने रंग में आ गयी, अपना चूत रगड़ती हुई बोली-"अबे साले गांडू, एक बार मेरे बूर के भीतर झड़ जाएगा तो तेरा क्या बिगड़ जाएगा? मुझे एक बार उस रस को चखने तो दो जिससे मेरी पैदाईश हुई है।" जमील बोला-"बेटी, यह खतरनाक है, समझो", पर तब तक उसका लन्ड पिचकारी बन गया था। हम देख रहे थे कि ४ झटका दिया था लन्ड जोर का, और उसका माल सानिया की बूर के भीतर गिर रहा था। सानिया अब उसकी छाती पर लेट गयी थी, और जमील के पास कोई चारा न था कि अब वो अपने माल को अपने लन्ड के भीतर रोक सकता। करीब २०-२५ सेकेन्ड बाद सानिया उसके उपर से उतरी। जमील बोला, "जल्द धो जा कर बाथरुम में, ऐसा न हो कि कुछ ऊँच-नीच हो जाए"। सानिया की बूर से जमील का सफ़ेद माल धीरे-धीरे बाहर की तरफ़ फ़िसल रहा था। सानिया ने मुस्कुराते हुए कहा-"अब्बू अब तो साफ़-साफ़ बोलिए सब। क्या उँच-नीच होगा? यही न कि मुझे बच्चा ठहर जाएगा, तो क्या हुआ; चाचू हैं न। मैं उनके साथ निकाह कर लुँगी, आप बदनाम नहीं होंगे"। मुझे उसकी यह बात पसंद आई, फ़िर मैंने जोड़ दिया, "हाँ सानिया बेटी, पर ऐसा हुआ और तुम्हारी बेटी पैदा हुई तो तुम्हारी इस बहन की सील मैं हीं तोड़ुँगा पक्का"। सानिया हंस पड़ी, सोचना होगा कि जिसकी आप सील तोड़ोगे, वो मेरी बहन लगेगी कि बेटी"। और उसने अपनी उँगली से अपने बूर के भीतर से जमील का माल निकाल कर खुब प्यार से चाटा और एक जोर का चटकारा लिया। मेरा लन्ड तना हुआ था तो मैंने रागिने को वहीं पलट कर पीछे से एक कुत्ते की तरह उसकी चुदाई करने लगा।
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
अगले दो दिन बहुत मस्ती के बीते। दुसरे दिन रात को पहली बार जमील इस बात के लिए राजी हुआ कि हम सब एक हीं रुम में एक दुसरे की चुदाई करें, और इस तरह से पहली बार हमने ओर्जी का मजा लिया। तीसरे दिन सुबह को कौटेज का मैनेजर जब हम नाश्ता कर रहे थे तब आया और हम सब को विश किया। हमसे आराम और सुविधा के बारे में पूछा, और फ़िर उसने एक अजीब सी बात कही। उसने मेरी ओर देखते हुए कहा, "आपको याद है सर, जब आप आए थे तब मैंने आपको आपके पड़ोस में विदेशियों के रहने की बात कही थी। वो लोग आज जाने वाले थे, पर वो एक-दो दिन रुक सकते हैं, अगर आपकी हाँ हो तो। सर, इससे हमारा बिजीनेस बढ़ेगा और सर आप्लोग के कौटेज का किराया, इन दिनों का, हम आधा कर देंगे।" मैं तो रागिनी और सानिया की चुदाई में ऐसा मशगुल था कि मुझे कुछ याद हीं नहीं रहा था (वो दोनों माल भी इतनी जबर्दस्त है कि...)। मैं मैनेजर की बात समझा नहीं, मैंने पूछा, "पर उनके रुकने का हमसे क्या रिश्ता है?" अब मैनेजर बोला-"असल में सर वो आप लोग के बारे में पुछ रहे थे तो मैंने कह दिया कि सब लोग यहाँ मस्ती के लिए आएँ हैं। असल में वो लोग इस मैडम के साथ (उसने सानिया की तरफ़ ईशारा किया) एक दिन बिताना चाहते हैं, अच्छा पे करेंगे। आप अगर अलाउ करें तो..., मैं आप लोग के लिए यहाँ कि लोकल पहाड़ी लड़की अरेन्ज कर दुँगा।" मैं सब समझ गया। सानिया की आँखे इस नए प्रस्ताव पर चमक उठी। जमील अनईजी हो गया, और रागिनी चौंकी हुई सी दिख रहे थी। मैंने सानिया को देखा तो उसने ईशारे में मुझे आगे बात करने को कहा। मैंने पूछा-"कितना पे करेंगे? हमारा नुकसान तो न होगा?" जमील थोड़ा टोकना चाहता था पर सानिया ने उसका हाथ दबा दिया। वैसे भी यहां पर वो दोनों बाप-बेटी तो थे भी नहीं, और मैनेजर को यही पता था कि हम दो प्रौढ़ सुरी जैसे दलाल की इन दो कमसीन कौलगर्ल को यहाँ मस्ती के लिए लाएँ हैं।
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मैनेजर को शायद कमीशन बेहतर मिल रहा था। इसलिए वो तपाक से बोला-’अरे नहीं सर, आपको क्यों नुकसान होगा? देखिए आपको तो हम रेट में डिस्काऊन्ट देंगे, और फ़िर फ़्री में लोकल लड़की अरेन्ज कर देंगे, इसके बदले। आप भी टेस्ट बदल कर मजे करना। इस लड़की को जो मिलेगा उसमें से २०% आपको, और मिलेगा। और सर आप निश्चिन्त रहिए, मैं इस लड़की को डबल रेट पर उनको भेजुँगा। लड़की भी खुश, आपको भी फ़ायदा, मुझे बिजिनेस का फ़ायदा और सुरी को तो जितना मिलना है मिलेगा। फ़िर वो सीधे सानिया से पूछा-"क्यों तैयार हो?, कितना पर सुरी तुम्हें भेजा है यहाँ?" सानिया तो इस मामले में बच्ची थी, सो मैंने कहा कि आप इसका कितना दिला रहे हो? मैनेजर बोला-"१२०००-१५००० तो वो लोग दे हीं देंगे।" तब मैंने कहा-"५०००० पर दोनों को तीन दिन के लिए हम लाएँ हैं, अब तुम जोड़ कर देख लो और फ़िर उनसे बात करके हमें साफ़ साफ़ बताओ, अब अगर हम यहाँ एक दिन रुकेँगे, तो सुरी भी तो कुछ एक्स्ट्रा माँगेगा। और फ़िर मेरा जितना कम पैसा लगे उतना मजा है।" मैनेजर समझ गया और बोला ठीक है सर, मैं जल्दी हीं उनसे बात करके बताता हूँ। फ़िर वो चला गया। जाते हीं जमील फ़ुट पड़ा-"अब ये सब क्या कर रहे हो बाबू तुम? यह सब सानिया नहीं करेगी।" मैं कैसे अब बात शुरु करुँ यही सोच रहा था कि सानिया बोल पड़ी और मेरा काम आसान हो गया। वो बोली-"अब्बू, अब जब यहाँ मैं एक कौल्गर्ल की तरह आई हूँ, तो एक बार मुझे वो जिन्दगी जीने दीजिए। अभी तो देखिए कि चाचू ने जो रेट कह दिया है, वो लोग तैयार होते हैं कि नहीं। मुझे तो शक है।" फ़िर रागिनी से बोली-"क्यों रागिनी, तुमको क्या लगता है?" रागिनी बोली, "अब दीदी मैं क्या कहूँ, पर तुम्हारे साथ एक बार का मर्द-लोग १५००० तो जरुर देंगे, १०-१२ तो मुझे मिल जाता है, एक बार का।" जमील बेचारा चुप था। सानिया को तो वह अब तक खुब चोदा था और इसलिए अब उसका कोई जोड़ अपनी बेटी पर था नहीं, अगर बेटी खुद पर आ जाए तो।
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
सानिया बोल रही थी, "मजा आ जायेगा, अगर किसी विदेशी से भी चुदाने का मौका मिले तो। रागिनी तुम कभी चुदी हो किसी विदेशी से?" रागिनी ने साफ़ कहा, "नहीं दीदी, अभी तक तो नहीं। अभी तक तो सिर्फ़ मोटे-मोटे भद्दे सेठ से हीं वास्ता पड़ा है। सालों का लन्ड तो उनके पेट के भार में दबा रहता है, और पैसा इतना कि उसके जोर पर रोज लड़की खरीदते हैं, भले हीं ढ़ंग से चोद पाएँ या नहीं।" अब मैं बोल पड़ा-"मैं मोटा और भद्दा सेठ हूँ, मुझे लड़की चोदने नहीं आता है, साली क्या कह रही है तू? अभी पटक कर गाँड़ में लन्ड पेल दुँगा।" रागिनी हँस दी, ’अरे अंकल आप तो कभी मेरे कस्टमर रहे हीं नहीं, इस बार क्या मैं आपसे कोई पैसा ले रही हूँ। सच तो यह है अंकल की आपसे अच्छा तो मुझे कोई आज तक मिला हीं नहीं, क्या मस्ती करा देते हैं आप, पुरा बदन झनझना जाता है। क्यों दीदी, हैं न यह बात?" अब मेरी तारीफ़ करने की बारी सानिया की थी और साली ने जम कर तारीफ़ की। वो बोली-"हाँ सही बोल रही हो। चाचू जैसा कोई नहीं है। सच में, मैं ज्यादा लोग से नहीं चुदी हूँ पर जितने से चुदवाई हूँ, चाचू इज द बेस्ट। इनका तो हर स्टाईल लाजवाब है-चाहे चुची चुसें या बूर चाटें य गाँड़ में ऊँगली चलाएँ, सब तरह से लड़की को बेदम करके हीं लन्ड पेलेंगे। तब तक तो मेरी हालत तो खराब हो जाती है, वो कहते हैं न "बिच इन हीट (गर्मी चढ़ी हुई कुतिया) या बोलो भादो मास की कुतिया" बन जाती हूँ मैं तो इनके साथ। इस्ट और वेस्ट, माय चाचू इज द बेस्ट..." उसकी बातें तो रंडीपने की हद पर थीं। मैंने उसको टोकते हुए कहा, "बस बस, अभी वेस्ट का पता तो तुमको अब चलेगा, जरा मैनेजर को आने दो वापस तब भेजता हूँ तुम्हें उन गोरे लौन्डों के पास, वापस आना फ़िर बताना कि कौन बेस्ट है", और हम सब हँसने लगे।
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. करीब आधे घंटे बाद मैनेजर आया। उसके साथ एक गोरा भी था। मैनेजर ने हमारा परिचय कराया। उसका नाम एडवीन था, करीब ३० साल उम्र का वह एक फ़्रांसिसी था। मैनेजर के इशारे से एक बेयरा वहाँ चाय ले आया, और चाय पीते हुए मैनेजर से बात शुरु किया। वो लोग १८००० देने को तैयार थे पर सानिया को उन तीनों के साथ सेक्स करना होता। सानिया यह सुन रही थी, और खुश दिख रही थी, जमील को तो कुछ सुझ नहीं रहा था, वो ऐसा होगा इसकी कल्पना भी नहीं किया था सपने में भी। मैंने सानिया के तीनों से सेक्स की बात को मना कर दिया, और तब एडवीन ने २०००० की बात कही। मैंने ३०००० के लिए कहा, १०००० प्रति व्यक्ति। खैर २५००० में बात पक्की हुई, और सानिया की आँखें चमक गई। मैनेजर भी खुश था, वो हमारे लिए एक लड़की का इंतजाम करने की बात कह वहाँ से चला गया। मैंने उसको कह दिया था कि हमें कैसी लौन्डिया पसंद है, वो देख हीं रहा है, तब उसने कहा, "आप चिंता न करें सर, मैं कमसीन माल हीं लाऊँगा आपके लिए।" एडविन जाते जाते कह गया सानिया से कि वो थोड़ा इंडियन ड्रेस पहन कर तैयार हो कर आ जाए आधे घंटे में।
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
.जमील अब बड़े चिन्तित स्वर में सानिया को कुछ कहना चाहा, पर सानिया ने तुरंत उसकी बात काटी और कहा-"अब्बू, अब कुछ नहीं, मुझे मौका मिला है तो मैं इस ट्रीप में खुब मजे करुँगी।" मैंने जमील को सांत्वना दी, "यार अब जाने दो उसको, जवान है, तो जवानी के खेल का लुत्फ़ लेगी हीं। अगर कोई लड़की खुद तय कर ले कि वो अब चुदवाएगी, तो उसको कैसे रोक सकता है कोई, वह कहीं न कहीं अपना मुँह काला करेगी हीं। तेरी बेटी तो बिना तुमसे कुछ छुपाए सब करती है, इतनी ईमानदार तो है ये। और यार, वैसे भी वो साला मैनेजर अभी एक लौन्डिया लाएगा, उसके साथ पहले तुम कर लेना, फ़िर एक बार मैं भी उसको चोद कर अपना जायका थोड़ा बदल लुँगा।" रागिनी व्यंग्य में बोली-"वाह अंकल, नई लौन्डिया के नाम पर दोनों बुड़्ढ़े फ़िसल गए, मेरा क्या होगा सोचा भी नहीं।" मैंने उसके गाल पर प्यार भरी चपत लगाई-"अरे बेटा तू तो मेरी जान है, तुम्हारी तो मैं रात भर चोदुँगा, जमील को हीं उसे रात में संभालना होगा।"सानिया जब तैयार हो कर वापस आई तो वो गजब ढ़ा रही थी। मेरे मुँह से तो सीटी निकल गई। उसने एक काला-लाल लौंग स्कर्ट और छॊटी सी कुर्ती पहनी थी, जो शायद रागिनी की थी, इस लिए उसका पेट खुला हुआ था (सानिया, रागिनी से ज्यादा लम्बी है)। उसके गोरे सपाट पेट पर एक गहरी गुलाबी नाभी अपने को बूर की छॊटी बहन साबित कर रही थी। हल्के से मेकप ने उसकी खुबसुरती बढ़ा दी थी। सानिया ने जब हम सबको अपनी तरफ़ैसे घूरते हुए पाया तो आँख मारी। मैंने कहा-"कयामत ढ़ा रही हो डार्लिंग आज," तो सानिया मुस्कुराई और अपना स्कर्ट उपर उठा दिया। साली ने भीतर एक दम छॊटी सी लाल पैन्टी पहनी थी, जो लग रहा थी कि किसी १४-१५ साल की लड़की की साईज की थी और उसकी बूर में धंसी हुई थी, जिससे उसके बूर के दोनों फ़ाँक थोड़े आधे-अधुरे से अपने मौजुदगी का अहसास करा रहे थे। जल्दी हीं उसने अपना जलवा समेटा और फ़िर हमारी तरफ़ एक फ़्लाईंग किस उछालते हुए बाहर की तरफ़ चल दी। रागिनी ने कहा - "बेस्ट औफ़ लक..."।
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
उसके जाने के एक मिनट के भीतर मैनेजर अपने साथ एक माल ले कर हाजिर हुआ। एक दम सही माल लाया था पट्ठा। १८-१९ की उम्र, पहाड़ी नाक-नक्श, खुब गोरी चिकनी माल थी वो। रंजीता नाम था उसका। हमें हल्के से प्रणाम करके पास खड़ी हो गयी, तो मैनेजर ने कहा कि लगभग नई हीं है सर अभी यह, इसे कुछ देना नहीं है, यह हमारी तरफ़ से है, और कुछ अगर आप चाहें तो बताएँ। मैंने कहा कि सब ठीक है तो वो चला गया। मैंने उसे पास बिठाया और फ़िर पूछा कि क्या वो कुछ लेगी-चाय पानी वगैरह...। उसने ना में सर हिलाया। शायद वो अभी ज्यादा चुदी नहीं थी। मेरी तो लार टपकने लगी थी। मैंने जमील को कहा-"क्यों दोस्त अब तुम जाओगे, या मैं हीं पहले चोद लू फ़िर रात भर तुम रखोगे इसको।" तो वो चुप रहा, शायद उसे सानिया का ख्याल आ रहा था। सही भी था, आखिर सानिया थी तो उसकी सगी बेटी...पर वो भी क्या करता, अब जब उसकी बेटी खुद रंडी बन कर खुश हो रही थी तो।मैंने रंजिता तो अपने साथ चलने का इशारा किया, तो वो मेरे साथ बेडरुम में आ गयी। कमरे में आते हीं मैंने उसको कहा कि वो एक बार मेरे लन्ड को चुसे, इतना चुसे कि मेरा माल निकल जाए। मेरा इरादा था कि जब मुझे रंजिता को एक बार हीं चोदना था तो उसी एक बार में मैं साली का सारा रस पुरा चुस लेना चाहता था। रंजिता के लन्ड निकालने और चुसने की स्टाईल से मुझ जैसे अनुभवी को पता चल गया कि वो अभी इस खेल में अनाड़ी है। मैंने पूछा, "पता है न कि कैसे चुदाया जाता है मर्द को मजा देने के लिए? बोलो।" मेरे जोर देने पर वो बोली, "हाँ, पता है, दो बार पहले भी वो यहाँ आई है।" मैंने उसको बात करने के लिए मजबूर करने के लिए पूछा-"क्या-क्या की थी तुम तब? लन्ड चुसी थी?" वो बोली-"नहीं।" मैं तो पहले हीं समझ गया था। मैंने कहा अब चुसो ठीक से, मैं जैसे बता रहा हूँ, अगर मर्द को मजा दोगी तो तुम्हें भी चुदाने में मजा आएगा और पैसे भी ज्यादा कमाओगी, अगर मर्दों में तुम्हारी डीमान्ड होगी तो। मर्द के सामने नंगी हो टांग खोल कर लेट जाने से तुम्हें कुछ मजा थोड़े ना मिलेगा, उल्टे दर्द ही हुआ होगा ऐसे चुदी होगी तो। बिना मजा के चुदी हो आज तक इसीलिए ऐसे छुई-मुई सी गुमसुम हो यहाँ, वर्ना अगर मजा मिला होता तो खुश होती कि आज एक और नया लन्ड से बूर की खुजली मिटेगी, ऐसा सोच कर।"
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
फ़िर मैंने उसको समझाया कि कैसे मर्द के लौंडे को चुसा जाता है। बच्ची समझदार थी, जल्दी हीं समझ गई और मेरे लन्ड में सुरसुरी पैदा करने लगी। जल्दी हीं मैं छूट गया, उसकी मुँह में हीं। उसने मुँह बिचकाया, पर मेरे समझाने से सब पी गयी। उसके होठ पर मेरे लन्ड का जूस थोड़ा सा चमक रहा था। बड़ी प्यारी से सुरत लग रही थी साली की। अब मैंने उसको खड़ा किया और फ़िर एक-एक कर उसके कपड़े उतार दिए। कुर्ता, फ़िर सल्वार, फ़िर समीज, फ़िर ब्रा और अंत में पैन्टी। साली का नंगा बदन मस्त था। हल्की-हल्की काली-काली झाँटों से घिरी हुई उसकी बूर एकदम ठ्स्स टाईट दिख रही थी। मैंने जब सकी झाँटों पर उँगली चलाई को उसके बदन की थड़थड़ाहट मुझे महसूस हुई। उसकी झाँटों के आकार और लम्बाई ने मुझे बता दिया कि अभी इस लौन्डिया की झाँट अनछुई है, कभी कैंची तक नहीं चली इस पर। मैंने पूछा-"कितने दिन से झाँट साफ़ नहीं की हो जान?" वो बोली-"शुरुआत में हीं दो बार की थी फ़िर नहीं साफ़ की कभी।" मैंने देखा कि अब वो थोड़ा खुलने लगी है तो फ़िर पूछा-"किस उम्र में झाँट निकलनी शुरु हुई तुम्हें ? झाँट पहले आई या माहवारी?" रंजिता ने कहा-"१५ में कुछ महिना कम था जब माहवारी शुरु हुई, झाँट उससे करीब तीन-चार महिने पहले से निकलना शुरु हुई। माहवारी के पहले हीं दो बार साफ़ की थी कैंची से।" मैंने अब तक उसे बिस्तर पे लिटा दिया था और उसकी चुचियों को चुसना, मसलना शुरु कर दिया था। जल्दी हीं रंजिता कसमसाने लगी। मेरे जैसा अनुभवी रसिया के लिए तो वो नौसिखुआ थी। उसे बेचैन करने के बाद, मैं उसकी बूर की तरफ़ ध्यान देना शुरु किया। बूर की चटाई उसके लिए अनोखा अनुभव था। उसकी बूर मुझे एकदम कुँवारी बूर का मजा दे रही थी। उससे निकल रही खुश्बू मेरे लन्ड को टनटना चुकी थी। मैंने उसको जब पूरी तरह से तड़फ़ड़ाते हुए देखा तो उसके उपर चढ़ गया। उसके जाँघ खोले और फ़िर अपना लन्ड हौले-हौले साली के बूर में पेल दिया। उसके जवानी के रस से सराबोर बूर में लन्ड घुसाने के लिए किसी चिकनाई की भी जरुरत नहीं थी। साली को मचलने से फ़ुर्सत कहाँ थी कि उसको पता चलता कि कब उसकी बूर चुदनी शुरु हुई। वो जब मैंने उपर से हुमच-हुमच कर उसको चोदना शुरु किया तब उसने आँख खोल कर मुझे देखा। मैंने अपने होठ उसके होठ पर रख दिये और उसका रस-पान करते हुए उसके बूर की चुदाई करने लगा। करीब १० मिनट चोदने के बाद मैंने उसको कहा कि अब वो पलट जाए। पर उसमें जान कहाँ बाकि था। मैंने हीं उसको पलटा और फ़िर उसको ठीक से पोजीशन किया और फ़िर पीछे से उसकी चुदाई शुरु कर दी, "चुद साली कुतिया, बोल साली मजा आ रहा है कि नहीं तुम्हें। पाई थी कभी ऐसा मजा मेरी बुल्बुल।" उसे ऊँह-आह-इइइस्स्स्स्स्स्स्स से फ़ुर्सत हीं कहाँ था। साली बस अपनी चुदाई का मजा ले रही थी और मैं था कि उसे आज उसकी जवानी का भरपुर मजा दिला रहा था। ७-८ मिनट बाद फ़िर मैंने उसको चित लिटा दिया और उसके जाँघों के बीच उँकड़ू बैठ खुब तेजी से उसकी चुदाई कर दी।तभी वो दर्द या मजे की अधिकता से हल्के-हल्के चीखने जैसी आवाज निकालने लगी। उसके बूर की थड़थड़ाहट ने मुझे बता दिया कि साली झड़ गयी है, तभी मेरे लन्ड ने भी अपनी पिचकारी छॊड़ी और मेरा माल उसकी बूर में जड़ तक गिरने लगा। मेरे दिमाग में आया को चलो, आज एक और बूर को मेरे लन्ड ने अपना रस पिला दिया। वो भी अब थक गयी थी और मैं भी। हम दोनों थोड़ी देर शान्त पड़े रहे और फ़िर मैं कपड़े पहनने लगा। वो भी अपने कपड़े पहनी और फ़िर हम दोनों बाहर आ गये, देखा कि जमील और रागिनी आपस में बातें कर रह्ये हैं और जमील अब थोड़ा नौर्मल दिख रहा था। चेहरे पर का तनाव कम हो गया था।
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