Chudai Kahani गाँव का राजा
06-24-2017, 12:02 PM,
#48
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
"तू…सबको…पायल..देता है क्या…" सरसरती आवाज़ में शीला देवी ने पुचछा

"नही…"

"लाजवंत को तो दी …" मुन्ना चुपचाप बैठा रहा.

"उसके आ..म सा…फ… किए…तूने…." मुन्ना की समझ में आ गया की शीला देवी क्या चाहती है.

"अपने पेड़ का…आम…खाना है मुझे…" इतना कहते हुए मुन्ना नेआगे बढ़ अपना एक हाथ शीला देवी के पेट पर रख दिया और उसकी वासना से जलती नासीली आँखो में झाँक कर देखा.

"तो खा…ना….मैं तो हमेशा…." चाहती थी और अनुरोध से भरे आँखो ने मुन्ना को हिम्मत दी और उसने छाती पर झुक कर अपनी लंबी गरम ज़ुबान बाहर निकाल कर चुचियों के उपर लगे आम के रस को चाट लिया. इतनी देर से गीला ब्लाउस पहन ने के कारण शीला देवी की चूचियाँ एक दम ठंडी हो चुकी थी. ठंडी चुचियों पर ब्लाउस के उपर मुन्ना की गरम जीभ जब सरसरती हुई धीरे से चली तो उसके बदन में सिहरन दौड़ गई. कसमसाती हुई अपने रसीले होंठो को अपनी दांतो से काट ती हुई बोली "चा..अट कर ….सा…आफ करेगा…". मुन्ना ने कोई जवाब नही दिया.

"आम तो चूसा…मैं तो…चूस..वाने आई थी…". शीला देवी ने सीधी बात करने का फ़ैसला कर लिया था.

"हाई…चूस..वाएगी…?" चूची चूसने के इस खुल्लम खुल्ला आमंत्रण ने लंड को फनफना दिया, उत्तेजना अब सीमा पार कर रही थी.

पेट पर रखे हाथ को धीरे से पकड़ अपनी छाती पर रखती हुई शीला देवी मुस्कुराती हुई धीरे से बोली " मेरा आम चू..ओस…बहुत मीठा है…". मुन्ना ने अपने बाए हथेली में उसकी एक चुचि को कस लिया और ज़ोर से दबा दिया, शीला देवी के मुँह से सिसकारी निकल गई "चूसने के लिए..बोला…"

"दबा के देखने तो दे…चूसने लायक पके है…या…" शैतानी से मुस्कुराता धीरे से बोला.

"तो धीरे से दबा…ज़ोर से दबा के… तो..सारा रस..निकल.." मुन्ना की चालाकी पर धीरे से हस दी.

"तू सच में चूस…वाने आई थी…" मुन्ना ने वासना से जलती आँखो में झाँकते हुए पुचछा.

"और कैसे….बोलू…" उत्तेजना से काँपति, गुस्से से मुँह बिचकाती बोली.

मुन्ना को अब भी विस्वास नही हो रहा था कि ये सब इतनी आसानी से हो रहा है. कहा तो वो प्लान बना रहा था कि रात में साड़ी उठा कर अनदर का माल देखेगा…यहा तो पूरा सिर कड़ाही में घुसने जा रहा था. गर्दन नीचे झुकाते हुए मुन्ना ने अपना मुँह खोल भीगे ब्लाउस के उपर से चुचि को निपल सहित अपने मुँह में भर लिया. हल्का सा दाँत चुभाते हुए इतनी ज़ोर से चूसा कि शीला देवी की मुँह से आह भरी सिसकारी निकल गई. मगर मुन्ना तो अब पागल हो चुका था. एक चुचि को अपने हाथ से दबाते हुए दूसरी चुचि में मुँह गाढ़ने चूसने, चूमने लगा. शीला देवी बरसो तक वासना की आग में जलती रही थी मगर आज इतने दीनो के बाद जब उसकी चूचियों को एक मर्द ने अपने हाथ और मुँह से मसलना शुरू किया तो उसके तन-बदन में आग लग गई. मुँह से सिसकारियाँ निकालने लगी, अपनी जाँघो को भीचती एडियों को रगड़ती हुई मुन्ना के सिर को अपनी चुचियों पर भींच लिया. गीले ब्लाउस के उपर से चुचियों को चूसने का बड़ा अनूठा मज़ा था. गरम चुचियों को गीले ब्लाउस में लपेट कर बारी-बारी से दोनो चुचियों को चूस्ते हुए वो निपल को अपने होंठो के बीच दबाते हुए चबाने लगा. निपल एक दम खड़े हो चुके थे और उनको अपने होंठो के बीच दबा कर खींचते हुए जब मुन्ना ने चूसा तो शीला देवी च्चटपटा गई. मुन्ना के सिर को और ज़ोर से अपने सिने पर भीचती सिस्ययई "इसस्सस्स…उफ़फ्फ़….धीरे…आराम से आम चू…ओस…" दोनो चुचियों के चोंच को बारी बारी से चूस्ते हुए जीभ निकाल कर छाती और उसके बीच वाली घाटी को ब्लाउस के खुले बटन से चाटने लगा. फिर अपनी जीभ आगे बढ़ाते हुए उसके गर्दन को चाट ते हुए अपने होंठो को उसके कानो तक ले गया और अपने दोनो हाथो में दोनो चुचियों को थाम फुसफुसते हुए बोला "बहुत मीठा है तेरा आम…छिल्का उतार के खाउ…". शीला देवी भी उसके गर्दन में बाँहे डाले अपने से चिपकाए फुसफुसती हुई बोली "हाई…छिल्का…उतार के…? "

"हा…शरम आ रही है…क्या ?

"शरमाती तो…आम हाथ में पकड़ाती…?"

"तो उतार दू…छिल्का…?"

"उतार दे…बहुत बक बक करता है…हरामी.." मुन्ना ने जल्दी से गीले ब्लाउस के बटन चटकते हुए खोल दिया, ब्लाउस के दोनो भागो को दो तरफ करते हुए उसकी काली रंग की ब्रा को खोलने के लिए अपने दोनो हाथो को शीला देवी की पीठ के नीचे घुसाया तो उसने अपने आप को अपनी चुटटरो और गर्दन के सहारे बिस्तर से थोड़ा सा उपर उठा लिया. शीला देवी की दोनो चुचिया मुन्ना की छाती में दब गई. चुचियों के कठोरे निपल मुन्ना की छाती में चुभने लगे तो मुन्ना ने पीठ पर हाथो का दबाब बढ़ा दिया कर शीला देवी को और ज़ोर से अपनी छाती से चिपका लिया और उसकी कठोरे चुचियों को अपने छाती से पिसते हुए धीरे से ब्रा के हुक को खोल दिए. कसमसाती हुई शीला देवी ने उसे थोड़ा सा पिछे धकेला और ब्लाउस उतार दिया. फिर तकिये पर लेट मुन्ना की ओर देखने लगी. काँपते हाथो से ब्रा उतार कर दोनो गदराई, गथिलि चुचियों को अपने हाथ में भर धीरे से बोला "बड़े…मस्त आ..म है.." हल्के से दबाया तो गोरी चुचियों का रंग लाल हो गया.
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