RE: Chudai Kahani लेडी डाक्टर
अब मुझसे बरदाश्त नहीं हो रहा था। मैंने बेड की दराज़ खोली और वेसलीन की डब्बी निकाली। चिकनी वेसलीन मेरी अँगुलियों में थी। मैंने खूब अच्छी तरह अपने लंड को चिकना किया और ढेर सारी वेसलीन उसकी गाँड के छेद पर उड़ेली। मुझे ये देख कर अच्छा लग रहा था कि वो किसी तरह से भी विरोध नहीं कर रही थी। वो पेट के बल लंबी लेटी हुई थी और मैं उसकी गोल-गुदाज नर्म गाँड को देख-देख कर अपने होंठों पर ज़ुबान फेर रहा था। जब उसकी गाँड का छेद पूरी तरह ल्युब्रिकेटेड हो गया और मेरी अँगुली आसानी से अंदर बाहर होने लगी तो मैंने अपना लंड उसकी गाँड के दरार पर रखा। उसने फिर भी कोई आपत्ति जाहिर नहीं की। शायद उसे गाँड मरवाने का काफी अनुभव था और उसकी गाँड के छेद को देख भी यही अनुमान लगाया जा सकता था कि वो लंड लेने की आदी है। मैंने धीरे से अपने लंड का सुपाड़ा उसकी गाँड के छेद पर रख कर पुश किया। वो वो कसमसायी। मैंने उसकी गाँड की दोनों फाँकों को अपने हाथों से चौड़ा कर दिया था, जिससे उसकी गाँड का सुराख साफ नज़र आ रहा था।
मैंने धीरे से अपना लंड उसके छेद में पुश किया। वो दर्द से थोड़ा तिलमिलायी और जोर से गुर्रायी “आँआँहहह या अल्लाह आआआहह!!!”
मेरा चिकना लंड उसकी चिकनी गाँड में यूँ घप से घुस गया जैसे छूरी मक्खन में धंस जाती है। वो जोर से “आँआँहहह आँआँहहह” करते हुए इतने जोर से झटके देने लगी कि मुझे लगा मैं अभी गिर जाऊँगा। मगर मैंने मजबूती से बेड का ऊपरी सिरा पकड़ लिया था और उसे ज्यादा हिलने नहीं दे रहा था। धीरे-धीरे वो शांत हो गयी और कुछ देर तक मैं उसके ऊपर यूँ ही पड़ा रहा। मेरा लंड अब भी उसकी गाँड में पूरी तरह धंसा हुआ था। वो चुपचाप पड़ी रही। अब मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को थोड़ा बाहर खींचा तो वो सिसकने लगी। लंड चूंकि बहुत चिकना था, इसलिये सरलता से बाहर आ रहा था। मैंने लंड को पूरा बाहर नहीं निकाला और एक-चौथाई हिस्सा बाहर आते ही मैंने फिर धीरे से उसे उसकी गाँड में पेल दिया। वो थरथराई, मगर कुछ कहा नहीं।
अब धीरे-धीरे मेरा काम चालू हो गया। मैं अपने लंड को उसकी गाँड में अंदर-बाहर करने लगा। उसकी गाँड का उभरा हुआ चिकना भाग मेरी जाँघों से टकरा कर मुझे अजीब सा एहसास दिला रहा था। जो मजा चूत में लंड अंदर-बाहर करने का है, उससे सौ गुना मज़ा गाँड मारने में है... ये एहसास मुझे पहली बार हुआ।
मगर मुझे ये अनुभव करके थोड़ा अफसोस जरूर हुआ कि गाँड मारने में बहुत जल्द झड़ जाने का डर रहता है। जहाँ मैं चूत में आधे घंटे तक हल चला सकता हूँ, वहीं गाँड में दस मिनट से ज्यादा नहीं टिक सकता। बस, दसवें मिनट में ही झर-झर करके लंड का सारा रस बाहर आ गया और उसकी गाँड पूरी तरह से चिपचिपी हो गयी। मुझे एक बात और पता चली कि गाँड मारने के बाद झड़ने से वीर्य की एक-एक बूँद निचुड़ जाती है और फिर आप अगले आधे पौने घंटे तक कुछ नहीं कर सकते।
वैसे भी काफी टाइम हो गया था। वो उठ कर बैठ गयी। शर्म से उसने अपनी नज़रें झुका ली थीं और खामोश थी। मुझे लगा कि शायद गाँड मारने से वो दुखी है। मैंने उससे पूछा... “क्या तुम्हें बुरा लगा... कि मैंने तुम्हारी गाँड....?”
बो बोली... “नहीं, नहीं... इन फैक्ट... मुझे बहुत अच्छा लगा... मुझे तो बहोत शौक है इसका... ऑय लव इट!”
मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। मैंने उन औरतों को दिल ही दिल में बुरा-भला कहा, जो गुदा (एनल) सैक्स से पता नहीं क्यों बिचकती हैं। मैंने देखा कि वो मेरे लंड को बड़े गौर से देख रही थी। फिर उसने मुझे घुरते हुए कहा, “तुम तो कह रहे थे कि ये ग्यारह इंच का है, मुझे तो आठ-नौ इंच से ज्यादा का नहीं लगता।”
अब बगलें झांकने की मेरी बारी थी। मैंने अपनी जान बचाने की खातिर कहा, “तुम्हें प्यास लगी होगी, पीने के लिये कुछ ले आता हूँ...!” ये कह कर मैं किचन की तरफ भागा।
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