06-03-2018, 08:56 PM,
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RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--10 गतान्क से आगे.................... रश्मि ने ब्लॅक कलर की सही साइज़ की ब्रा पहन तो ली थी पर ये ब्रा नॉर्मल ब्रा नही थी, ये लो नेक लाइन ब्रा थी. (इस टाइप की ब्रा लॅडीस तब पहनती है जब उन्हे डीप नेक ब्लाउस पहनना हो और ज़्यादा क्लीवेज दिखानी हो). रश्मि के आधे से ज़्यादा बूब्स ब्रा के बाहर दिख रहे थे. पर रश्मि शायद ये नही जानती थी. इस ब्रा मे रश्मि का सौन्दर्य निखर कर सामने आ रहा था. उसका चेहरा सावला ज़रूर था पर मम्मे एक दम दूधिया रंग के थे. सलवार भी नाभि से 2 इंच नीचे बढ़ी थी. कुल मिलकर रश्मि की जाँघो के उपर का ज़्यादातर हिस्सा अपने दर्शन दे रहा था. इस खूबसूरत नज़ारे को देख कर कोई भी बहक जाता तो मेरे बेचारे कुंवारे दोस्त की क्या ग़लती. बबलू इन दर्शनो से निहाल हुआ जा रहा था. वो पूरी तरह सेक्स के सागर मे डूब चुका था. आँखो ही आँखो मे वो रश्मि के हर अंग का नाप ले रहा था. मस्टेरज़ी के जाने के बाद बबलू और रश्मि वाहा पर अकेले थे. रश्मि बिल्कुल बिंदास सीना ताने खड़ी थी और बबलू रश्मि की क्लीवेज की गहराई मे जाने क्या ढूँढ रहा था. रश्मि भी समझ गयी थी कि बबलू का ध्यान कहा है पर वो चुप ही रही. पर कुछ देर बाद उसके सबर का बाँध टूट गया और झल्ला कर बोली- ओ श्याने. रात तक मैं ऐसे ही खड़ी रहने वाली नही है. कुछ करना है तो कर नही तो मैं चली. बबलू इस से अचानक झटका सा खा गया. उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे. वो बेखायाली मे आगे बढ़ा और उसके हाथो ने ब्रा के उपर से रश्मि के दोनो बूब्स को पकड़ लिया. बबलू का दिमाग़ अपने वश मे नही था. वो तो पूरी तरह कामदेवजी का गुलाम हो चुका था. कभी कोई मरा कबूतर ना पकड़ सकने वाले बबलू ने आज जीते-जागते भारी भरकम कबूतर पकड़ रखे थे. पर रश्मि बबलू की इस हरकत से सहम सी गयी थी. उसे इस बात की सपने मे भी उम्मीद नही थी. उसके मूह से आवाज़ नही निकल पा रही थी पर फिर भी वो जैसे-तैसे बोली- ये...ये क...क..या....है. पर बबलू पर इसका उल्टा ही असर हुआ. उसने अपना दाया हाथ रश्मि की ब्रा मे डाल दिया. रश्मि बबलू को रोकना चाहती थी पर पता नही किस शक्ति ने उसके हाथ जाकड़ लिए थे. बबलू का हाथ रश्मि की ब्रा मे ऐसे घूम रहा था जैसे उनकी पैईमाश कर रहा हो. कभी वो एक बूब को पकड़ता तो कभी दूसरे को. रश्मि के बूब्स बड़े ही नही एकदम सख़्त भी थे. थोड़ी ही देर मे रश्मि की ब्रा के अंदर का एक-एक इंच जगह पर बबलू का हाथ कई-कई बार सैर कर चुका था. रश्मि बबलू के सामने असहाए खड़ी थी. उसके मूह से बोल नही निकल रहे थे. जैसे-तैसे उसने अपने हाथो से बबलू के हाथ पकड़ने चाहे. उसके हाथ बबलू के हाथो को हटाने की कोशिश ज़रूर कर रहे थे पर उनमे ज़रा भी इक्चाशक्ति नही थी. बबलू के लिए ये सब बिल्कुल नया सा था. पर सब कुछ अपने आप हो ही रहा था. उसने रश्मि का एक बूब ब्रा से बाहर निकाल लिया. रश्मि के निप्प्प्ल एकदम कड़े हो चुके थे. निपल को देखते ही बबलू की जीभ अपने आप बाहर निकली और निपल को छेड़ने लगी. अब तो रश्मि के बहकने की बारी थी. पता नही कैसे उसके हाथो ने बबलू के सिर को पकड़ लिया और उसके सिर को रश्मि के बूब पर दबाने लगे. आख़िरकार बबलू का मूह रश्मि के बूब मे धँस गया और बबलू ने निपल मूह मे ले लिया. एक बार निपल मूह मे आने के बाद तो बबलू जैसे भूखा बच्चा बन गया. वो निपल को बुरी तरह चूसने लगा जैसे उसमे से दूध निकाल कर ही मानेगा. पर एक कुँवारी लड़की के निपल चूसने से दूध नही रस निकलता है वो भी नीचे वाली गली से. रश्मि मदहोश होती जा रही थी. एक अंजान लड़का, जो आज पहली बार मिला है, मिलने के 1 घंटे के अंदर उसे नंगा देख चुका है और अब उसका बूब बाहर निकाल कर बुरी तरह चूस रहा है. और वो कुछ नही कर पा रही, बल्कि उसे इसमे मज़ा आ रहा था. उसके मूह से सिसकारिया फूट रही थी. ये सिसकारिया आग मे घी का कम कर रही थी. बबलू ने रश्मि का दूसरा बूब भी बाहर निकाल लिया और वैसे ही चूसने लगा. रश्मि के बूब्स बबलू की हथेलियो से काफ़ी बड़े थे पर फिर भी वो पूरी तरह मैदान मे डटा हुआ था. वो उसके बाए बूब को चूस रहा था और उसका बाया हाथ उसके दाए बूब को मसल रहा था. थोड़ी देर बाद बबलू के हाथ और मूह ने जगह बदल ली. पर कामदेवजी का काम जारी था. करीब 10 मिनिट तक अपने बूब्स की जोरदार सेवा करवा लेने के बाद रश्मि की चूत मे जैसे बवाल मच गया था. इधर बबलू का लंड भी बुरी तरह अकड़ चुका था. टट्टो मे भयंकर दर्द हो रहा था. ना चाहते हुए भी रश्मि अब गरम हो चुकी थी. ना चाहते हुए भी उसकी चूत से पानी रिस रहा था. ना चाहते भी उसकी बाई टांग दाई को मसल रही थी कि दोनो के जोड़ पर थोड़ी राहत मिल जाए, पर इससे तो आग भड़कती जा रही थी. कुल मिलाकर रश्मि अब बबलू की गुलाम बन चुकी थी. वो जो चाहता रश्मि करने को तैय्यार थी. जालिम नीचे की मंज़िल पर कब आएगा. आग तो निचली मंज़िल पर लगी थी और ये कमीना तो बस उपर ही लगा हुआ था. रश्मि ने बबलू का एक हाथ पकड़ कर अपनी सलवार के उपर ही चूत पर रगड़ दिया. इतना करना था कि रश्मि की टाँगो ने जवाब दे दिया और वो ज़मीन पर घुटनो के बल ढेर हो गयी. अब बबलू की पॅंट का उभार रश्मि के मूह के सामने था. रश्मि ने बबलू की पॅंट की ज़िप को खोल दिया और अंदर हाथ डाल दिया. रश्मि के हाथो का स्पर्श पाते ही बबलू के लंड को राहत मिलने लगी. रश्मि का हाथ बाहर आया तो एक 10 इंच का काला नाग निकल लाया जो बाहर आते ही फुफ्कारने लगा. रश्मि उसको देखते पागल सी हो गयी. वो खुद को रोक ना सकी और.. नीचे मस्टेरज़ी का की दोस्त मिलने आया हुआ था. मस्टेरज़ी- अरे निशा मैं ज़रा 10 मिनिट मे आता हू. निशा- जी. मस्टेरज़ी- मैं उस नये रंगरूट को ट्रैनिंग के लिए उपर छोड़ कर आया हू. उसका ध्यान रखना. रश्मि भी वही है. निशा- जी मैं देख लूँगी. ये कह कर मस्टेरज़ी अपने दोस्त के साथ बगल वाले रेस्टोरेंट मे चले गये थे. निशा ने भी अपना अकाउंट्स का काम निपटा लिया था. उसने कंप्यूटर स्क्रीन पर सीक्ट्व का फीड ऑन कर दिया. पूरे बुटीक मे हर कमरे मे सीक्ट्व कॅमरा लगे हुए थे. यहा तक की ट्राइ रूम मे भी. कुछ ही देर मे मस्टेरज़ी के कमरे का सीन निशा के सामने था. रश्मि एक सेक्सी ब्रा मे बबलू के सामने खड़ी थी. निशा के चेहरे पर कातिल मुस्कान तेर गयी. निशा की आगे क्या होता है यह देखने की उत्सुकता बढ़ गयी. और उसे निराश नही होना पड़ा. उसके बाद जो कुछ हुआ, निशा ने पूरे सीन का लाइव टेलएकास्ट देख लिया था. ऐसे सेक्सी सीन को देख कर निशा के शरीर मे भी उत्तेजना भरने लगी. आख़िर वो भी तो एक कुँवारी लड़की थी. बबलू के हाथ उसे अपने शरीर पर महसूस हो रहे थे. उधर रश्मि गिरी कि इधर मस्टेरज़ी ने बूटीक का दरवाजा खोला. निशा (मन ही मन)- आ गयी केबाब मे हड्डी. मस्टेरज़ी उपर पहुच गये तो सब कबाड़ा हो जाएगा. इनको तो यहा से भगाना पड़ेगा. निशा- मस्टेरज़ी. प्लीज़ इधर आना. मस्टेरज़ी- क्यो मेरी आरती उतारनी है. निशा बात तो मस्टेरज़ी से कर रही थी पर उसकी नज़रे बार-बार कंप्यूटर स्क्रीन पर जा रही थी. अब रश्मि ने बबलू की चैन खोल ली थी. निशा- मस्टेरज़ी. एक काम कर दो ना प्लीज़. मस्टेरज़ी- बोल. निशा- मस्टेरज़ी कुछ समान मंगाना है. मस्टेरज़ी- मैं कोई तेरा नौकर हू. निशा- अब ये क्याबात हो गयी. इतने प्यार से कह रही हू ला दो ना. प्लीज़. मस्टेरज़ी- तू ऐसी बाते करके मेरा बॅंड बजवाती है. बोल क्या लाना है ? निशा- कुछ नही बस एक कॉंडम का पॅकेट ला दो ना प्लीज़. उधर रश्मि ने बबलू की पॅंट मे अपना हाथ डाल दिया था और निशा को जल्दबाज़ी मे और कुछ नही सूझा. मस्टेरज़ी- क्या ला दू. (मस्टेरज़ी भी भूचक्के रह गये थे, उन्हे अपने कानो पर विश्वास नही हुआ) निशा- मस्टेरज़ी. वो केमिस्ट की दुकान एक कामसुत्रा कॉंडम का पॅकेट ला दो ना प्लीज़. ये लो 100 रुपये. मस्टेरज़ी- तेरा दिमाग़ खराब हो गया है क्या ? मैं बुड्ढ़ा कॉंडम लेता अच्छा लगूंगा. और तेरी तो शादी भी नही हुई है. तुझे कॉंडम क्यो चाहिए ? निशा- आप ज़्यादा सवाल मत करो. ये बताओ लाओगे या नही. मस्टेरज़ी- अच्छा बाबा. लाता हू. पर जो लाना है लिख कर देदे. निशा- ये लो. क्रमशः..........
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RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--18 गतान्क से आगे.................... अलीना को पहली बार देखते ही हम दोनो भी फ्लॅट हो गये थे. कॉलेज के बाद अलीना को बाहर कार तक जाते हुए हमने देख लिया था. बबलू- अबे साले ये लड़की है या आटम बॉम्ब है. तभी मैं कहु की हमारा बॉल-ब्रह्मचारी कैसे फँस गया इसके जाल मे. विक्की- सालो पूरा कॉलेज लत्तु है इसके पीछे. इसके एक इशारे पर लड़के सब कुछ लूटने को तैयार बैठे है. आशु- पर बेटा इसने तो तुझसे ही अपनी चुचियो को दब्वाया था ना. बबलू- ये बात तो है. साले ने मज़ा तो अकेले अकेले ले लिया. और फिर आ गया हमारे पास... हमारी बतो से विक्की को फिर वही लाइब्ररी मे हुई उसकी फ़ज़ीहत का सीन याद आ गया था और उसका मूड ऑफ हो रहा था. मैने बबलू को चुप रहनेक़ा इशारा किया. तभी अलीना की कार जाने लगी तो हम भी उसका पीछा करने लगे. वीकडेस मे लगभग रोज ही कॉलेज के बाद हम तीनो बबलू की कॅलिबर पर अलीना की कार के पीछे हो लेते थे. अलीना का गवरमेंट. बंग्लॉ चाणकया पूरी मे था. कार सीधे गेट मे घुस जाती फिर बस. आगे कोई रास्ता नही था. कॉलेज मे उसे छेड़ भी नही सकते थे. धीरे-धीरे हमने उसके बंग्लॉ के चोकीदार बहादुर से मेल-जोल बढ़ाया. साले को रोज राजदरबार गुटखे के 5 पाउच की रिश्वत देनी पड़ती थी. वो भी समझता था कि हम अलीना के पीछे पड़े है. हफ्ते भर मे ही हमने उस से अलीना के बारे मे काफ़ी कुछ पता कर लिया था. अलीना के पापा हमेशा टूर पर रहते थे. कभी इस देश मे तो कभी उस देश मे. अलीना के इस गोरे जिस्म का राज भी हमको पता चल गया था. दरअसल उसकी मम्मी रोमेनियन थी. जब अलीना के पापा की पोस्टिंग रोमेनिया मे हुई थी तो सोफीया नाम की लोकल लड़की से उनको प्रेम हो गया और फिर शादी. इंडो-रोमेनियन पैदाइश थी अलीना. पर सोफीया आंटी के आगे तो उसकी जवानी पानी भरती थी. हालाँकि हमने कभी उनकी झलक भी नही देखी थी. बहादुर ने ही बताया था. हम मौके की फिराक मे थे. तभी अचानक अलीना 3-4 दिन कॉलेज नही आई तो हम परेशन हो गये. कही उसके पापा का ट्रान्स्फर तो नही हो गया. हमसे रहा नही गया तो एक दिन तीनो कॉलेज के बाद सीधे बहादुर के पास पहुचे गये. बबलू- अबे साले तुझे इतना माल खिला चुके है...पर अब तक कोई भी काम की बात नही बताई तूने. बहादुर- सब कुछ तो बता दिया साहब. इस से ज़्यादा क्या बताउ. आशु- भाई ये अलीना कहा गायब हो गयी अचानक ? बहादुर- मुझे तो पता नही की कहा गयी. हा मैने भी कई दिन से उनको बाहर जाते नही देखा.....अरे अरे साइड हो जाओ...बड़ी मेम की गाड़ी आ रही है.... तभी एक वाइट अंबासडर कार जिसपर विदेश मंत्रलया, भारत सरकार लिखा था वाहा आकर रुकी. पीछे का ग्लास नीचे हुआ और एक 40 साल की महिला दिखाई दी. ये सोफीया आंटी ही थी. बहादुर की बातो पर विश्वास नही हुआ था की अलीना की मा उससे भी सुंदर है. सोफीया आंटी को देखते ही हम तीनो के लंड तंन से खड़े हो गये थे. सोफीया- क्या बात है बहादुर. कौन है ये तीनो. आशु- गुड ईव्निंग आंटी. हम अलीना के क्लासमेट्स है. अलीना कई दिन से कॉलेज नही आई तो उसका हाल जानने के लिए आए थे. सोफीया- ओह्ह तो तुम अलीना के क्लासमेट हो. बहादुर इनको अंदर ड्रॉयिंग रूम मे बिठाओ. अपनी यादो मे खोए विक्की को बीच पर चलते चलते अचानक ठोकर लगी. वो गिरते गिरते बचा था. उसने घड़ी देखी तो 3 बज चुके थे. फिर उसने तेज़ी से बाहर की ओर कदम बढ़ा दिए. ठीक 4 बजे वो प्रेम स्टूडियो के बाहर खड़ा था. अंदर जाकर उसने रिसेप्षनिस्ट को अपना जॉब-कार्ड दिया और कहा की वो असिस्टेंट कॅमरामेन की जॉब के लिए आया है. रिसेप्षनिस्ट ने उसे देखा और थोड़ी देर वेट करने को कहा. विक्की वाहा रखे सोफे पर बैठ गया. वाहा पर 2 मस्त लड़किया भी बैठी थी. पर उसने ध्यान नही दिया. रिसेप्षनिस्ट- मिस्टर. विक्की आप 3र्ड फ्लोर पर रूम नो. 311 मे चले जाइए. विक्की उठा और रिसेप्षनिस्ट के बताए कमरे की ओर चल दिया. पूरी बिल्डिंग मे फ़िल्मो के पोस्टर लगे थे. वो लिफ्ट मे घुसा और 3 का बटन दबा दिया. थर्ड फ्लोर पर एक गॅलरी थी और लाइन से दोनो और कमरे थे. 311 के आगे पहुच कर उसने नॉक किया तो आवाज़ आई- कम इन. विक्की कमरे मे घुस गया. बेहद आलीशान कमरा था. उस रूम मे एक तरफ 4-5 बड़े से सोफे लगे थे. रूम के अंदर मैं डोर के अलावा भी डोर थे. एक बड़ी सी टेबल भी थी तो जिस साथ चेर पर एक आदमी बैठा सिगरेट के कश लगा रहा था. विक्की- सर मैं असिस्टेंट कॅमरामेन के काम के लिए आया हू. सर- हा क्या नाम है तुम्हारा. विक्की- सर विक्की. सर- विक्की बाबू आओ इधर बैठो. पहले कभी कही काम किया है ? विक्की- जी नही इसीलिए तो असिस्टेंट की नौकरी ढूँढ रहा हू. सर- अच्छा अच्छा. फिर उन्होने टेलिफोन का एक बटन दबाया. सर- रोज़ी. रोज़ी- एस सर. सर- वो आडिशन के लिए लड़किया बुलाई थी....वो आ गयी. रोज़ी- एस सर. 2 लड़किया आई है. सर- ठीक है 1 को अंदर भेज दो और कमू जी, बशु जी और सोनी जी को भी अंदर भेज देना. रोज़ी- ओके सर. 10 मिनिट बाद ही नीचे बैठी लड़कियो मे से एक उस कमरे मे थी. बाकी तीनो व्यक्ति भी कमरे मे आ गये थे. तीनो ही एक से एक छटे हुए बदमाश लग रहे थे. कमीनपन चेहरे से ही टपक रहा था. तीनो खा जाने वाली नज़ारो से उस लड़की को देख रहे थे. बार बार जीभ लॅप-लपा रही थी. लड़की- गुड ईव्निंग मनी सर. मनी सर- ओह गुड ईव्निंग. सेलिना नाम है तुम्हारा. लड़की- एस सर. आपको मेरा नाम भी याद है. लड़की कुछ ज़्यादा ही चहक रही थी. मनी सर- हा कामिनी मेडम ने बताया था. इन से मिलो ये है कमू जी, बशु जी, सोनी जी और विक्की. सेलिना- हेलो सर. सेलिना- हा तो आप आडिशन देने आई है. लड़की- एस सर. सेलिना- देखिए मिस सेलिना. हमारी कंपनी एक दम हट के फिल्म बनाती है. ये करिश्मा, मधुरी, और रवीना सभी को हमने ही लॉंच किया था. आज ये सभी टॉप की हीरोयिन बन चुकी है. सेलिना- जी सर. मनी सर- आप बताइए की आप क्या कर सकती है. सेलिना- जी मुझे कत्थक आता है और भारतनाट्टयम भी. चारो ज़ोर से हंस पड़े. पर विक्की चुपचाप बैठा रहा. बशु- मेडम आप कौन से जमाने मे हो. अब लोग सिनिमा हॉल मे कत्थक-वात्थक नही हेरोएनो का माल देखने जाते है. कमू- मेडम आपको आक्टिंग भी आती है ? सेलिना को ऐसी रेस्पॉन्स की उम्मीद नही थी. उसके चेहरे का रंग उड़ने लगा था. सेलिना- सर यस सर. मैं हर तरह की आक्टिंग कर सकती हू. मनी सर- देखो सेलिना. ये सब इतना आसान नही है. मैने बहुत लड़किया देखी है जो दावे तो बड़े बड़े करती है पर कॅमरा के सामने जाने के बाद छुई-मुई बन जाती है. इस लाइन का उसूल है कि जिसने की शरम उसके फुट करम. तुमने इस साल रिलीस हुई बूम फिल्म देखी है. सेलिना- जी. मनी सर- उसमे देखा तुमने कि नई लड़कियो को कैसे अंग-प्रदर्शन करना पड़ता है. सेलिना- जी सर. मानी- क्या तुम बिकिनी पहन सकती हो ? सेलिना- जी मैं वो... अब तक चुप बैठा कमू बोला- मनी सर..मुझे तो नही लगता कि ये हमारी अगली फिल्म मे काम कर पाएगी. यह सुनकर सेलिना का रहा सहा दम भी निकल गया. वो ये चान्स नही छोड़ सकती थी. उसके मूह से निकल ही गया. सेलिना- सर मैं तैइय्यार हू. बशु- सोच लो फ़िल्मो मे काफ़ी कुछ दिखाना पड़ता है. सारी हिचक छोड़ कर ही आगे कदम बढ़ाना. कही आईं मौके पर तुम भी धिसल जाओ. सोनी- हा भाई हमारे करोड़ो रुपयो का सवाल है. सेलिना- सर आप जैसा कहेंगे मैं वैसा ही करूँगी. मुझे बस एक बार मौका देकर तो देखिए. कमू- मनी भाई आप भी ना...किसी को भी बुला लेते हो. एक्सट्रा का रोल दे दो ना. सेलिना- सर प्लीज़ एक बार आडिशन तो ले लीजिए. मनी- कामिनी मेडम की बात को टाल भी तो नही सकता था ना. जब ये खुद कह रही तो तुम एक बार आडिशन लेकर भी देख लो भाई. बशु- जैसा आप कहे मनी भाई. चलो मैं तुम्हे आडिशन के लिए हमारी फिल्म का प्लॉट समझता हू. उन दोनो की बाते ने संजीवनी का काम किया. वो फुर्ती से खड़ी हो गयी और बशु के पीछे हो ली. मनी- सुनो विक्की. विक्की- जी सर. मनी- तुम्हारा भी आडिशन साथ मे हो जाएगा. तुम भी जाकर आडिशन रूम मे कॅमरा वग़ैरह चेकककर लो. विक्की- जी सर. आडिशन रूम मे पहुच कर विक्की सीधे कॅमरा के पास चला गया. आडिशन रूम के साथ मे ही एक अब्ज़र्वेशन रूम भी था. सेलिना और बशु उसी कमरे मे थे. दोनो कमरो के बीच की दीवार मे बड़ी सी विंडो थी. दोनो की बातचीत की आवाज़े विक्की के कम मे भी पड़ रही थी. बशु- तो शुरू करे....सेलिना ? सेलिना- यस सर. बशु- देखो हमारी फिल्म एक सस्पेनस थ्रिलर रिवेंज मिस्टरी है. फिल्म की कहानी गोआ मे शुरू होती है. हीरोयिन विदेश से इंडिया मे अपने एक इंडियन इंटरनेट बाय्फ्रेंड से मिलने आती है. वाहा पर किसी एंपी के बेटे हीरोयिन का किडनॅप करके 1 महीने तक उसका रेप करते है. उसके किडनॅप मे लड़की के उसके बाय्फ्रेंड का भी हाथ होता है. आगे वो उसे बेचने वाले होते है पर, हीरोयिन उनसे छूट कर भाग जाती है. उसके बाद वो मार्षल आर्ट्स की ट्रैनिंग लेती है और उन लोगो से बदला लेती है. सेलिना (चहकते हुए)- सर प्लॉट तो बहुत अच्छी है. सूपर ड्यूपर हिट होगी. बशु- हा फिल्म मे हीरोयिन का बहुत ही चॅलेंजिंग रोल है....तुम कर पओगि... सेलिना- सर म...मैं कर लूँगी...सर आप मुझ पर विश्वास कीजिए. बशु- मेरे विश्वास करने से क्या होता है. तुमको आडिशन मे अपनी केपबिलिटी साबित करनी होगी. डाइरेक्टर और प्रोड्यूसर का दिल जीतना होगा. सेलिना- सर आप एक बार आडिशन तो लीजिए. बशु- देखो अभी तुमको रेप सीन का ही आडिशन देना है. क्योकि इसी पर पूरी फिल्म टिकी है. सेलिना- सर आपका मुझ पर बड़ा एहसान होगा. ऐसी आक्टिंग करूँगी की एक दम असली लगेगा. बशु- मनी सर को असली ही चाहिए. वो तो सारे स्टंट भी हीरो- हीरोयिन से करवाते है. सेलिना- जी बशु- सोनी सर और बाकी लोग तुम्हारे साथ रेप सीन करेंगे. मनी सर यहा से देखेंगे. सेलिना- जी. बशु- ठीक है तो वाहा जाकर कॉस्ट्यूम पहन लो. मैं तब तक बाकी तैय्यारि कर लेता हू. सेलिना- ओक सिर. इसके बाद बशु विक्की के पास पहुच जाता है. बशु- हा भाई कॅमरा का मामला सब समझ लिया है ना. आज तुम्हारा भी तो आडिशन है ना. विक्की- सर मैं बिल्कुल तैय्यार हू. लाइट्स वग़ैरह भी सब देख लिया है. आप कभी भी शुरू कर सकते है. बशु- अब देखो एक रेप सीन की शूटिंग होगी. विक्की- जी सर मैने आपकी बात सुन ली थी. बशु- वेल डन माइ बॉय. तुमने तो पहले ही दिन मेरा दिल जीत लिया. अब ये तुम पर है कि तुम किस-किस आंगल से शॉट लेते हो जिससे सीन एक दम हॉट लगे. विक्की- ठीक है सर. क्रमशः........................
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