Chudai Sex Kahani मस्त घोड़ियाँ
11-05-2017, 01:16 PM,
#15
RE: Chudai Sex Kahani मस्त घोड़ियाँ
मस्त घोड़ियाँ--8

गतान्क से आगे........................

संगीता- अपनी चूत मसल्ते हुए, भाभी आप दोनो की बातो से मेरी चूत बहुत पानी छ्चोड़ रही है, भैया एक बार मुझे भी अपनी मम्मी समझ कर चोदोगे,

रोहित- अपनी बहन संगीता के ठोस दूध को अपने मूह मे भर कर चूसने लगता है और संध्या कहती है ले संगीता तेरे भैया तुझे अपनी मम्मी समझ कर तेरे मस्त चुचो को पी रहे है, संगीता अपने दूध को अपने हाथो से दबा-दबा कर अपने भैया के मूह मे डालती हुई कहती है ले बेटा रोहित अपनी मम्मी के दूध पी ले फिर तेरी मम्मी तुझे अपनी चूत खोल कर भी पिलाएगी,

दोनो ही कमरो मे चुदाई का मस्त महॉल था और औरत और मर्द के जनाना अंगो से उठती गंध ने पूरे महॉल को नशिला कर दिया था, पापा अपने मोटे लंड को अपनी बहन की गंद मे दल-दल कर उसे मस्त कर देते है बुआ ज़ोर-ज़ोर से अपनी गंद पीछे की ओर मारती हुई खूब सीसीयाने लगती है, तभी बुआ मम्मी की जाँघो को पकड़ कर अपने मूह की ओर खिच लेती है और मम्मी की पाव रोटी की तरह फुल्ली चूत को चाटते हुए अपने भैया का लंड अपनी गंद मे गहराई तक लेने लगती है, इधर संध्या भी संगीता की चूत मे दो उंगलिया डाल कर हिलाने लगती है,

तभी रोहित एक करारा धक्का संध्या की चूत मे मार देता है और संध्या पापा के लंड को देखती हुई ओह पापा कह कर झड़ने लगती है उधर बुआ की गंद मे जब पापा एक तगड़ा झटका जड़ तक मार देते है तो बुआ मस्त होकर मम्मी की चूत के छेद मे अपनी जीभ डाल देती है, मम्मी अपनी चूत का पानी बुआ को चटाते हुए झाड़ जाती है और बुआ पापा के लंड से निकले पानी को अपनी मोटी गंद मे पूरा निचोड़ लेती है,

संध्या और संगीता रोहित के लंड का पानी एक साथ चाटने लगती है और चाट-चाट कर रोहित के लंड को पूरा चमका देती है,

उस चुदाई के बाद पापा बुआ और मम्मी को लेकर बॅड पर लेट कर दोनो रंडियो को अपनी बाँहो से चिपका कर लेट जाते है और इधर तीनो थक जाने के कारण बॅड पर जाकर चिपक कर लेट जाते है, रोहित अपनी बहन और बीबी को चूमता रहता है और संध्या और संगीता बारी-बारी से रोहित के लंड और गोटू से खेलती रहती है,,

सुबह-सुबह मनोहर अपने ऑफीस जा चुका था और रोहित और संगीता और उसकी मम्मी मंजू बैठक रूम मे

बैठक कर चाइ पी रही थी, और दूसरी और बुआ जाकर संध्या के रूम मे संध्या से बाते करने लगी और संध्या

अपने रूम की सफाई करती हुई बुआ से बाते कर रही थी,

बुआ- बड़े गौर से संध्या के उठे हुए चुतडो को देख कर बोली, बहू रानी जब तुम यहाँ आई थी तब एक दुबली

पतली और लंबी सी लोंड़िया लगती थी और अब तुमने अपने इन भारी चुतडो को कभी गौर से देखा है कितने फैल

गये है, ल्गता है रोहित दिन भर तुम्हारे चुतडो मे ही अपना मूह घुसाए रहता है,

संध्या- मुस्कुराते हुए, बुआ जी मेरे चूतड़ आपकी मोटी और गुदाज गंद से तो छ्होटे ही है,पर आप कभी नही

बताती कि आपकी गंद इतनी चौड़ी कैसे हुई है

बुआ- बहू मैं तो खाते पीते घर की हू इसलिए मेरी गंद बहुत मोटी हो गई है,

संध्या- नही बुआ जी खिलाई पिलाई तो हमारे पापा ने भी हमारी खूब अच्छे ढंग से की है पर हमारे चूतड़

तो इतने नही बढ़े,

बुआ- बेटी कुछ औरतो पर उनके बाप की खिलाई पिलाई का असर नही होता है अब देखना जब तुम अपने ससुर का माल

खओगि तब देखना तुम्हारे चुतडो का साइज़ मेरे जैसा हो जाएगा, पहले तेरी सास मंजू की गंद भी इतनी मोटी नही

थी फिर भैया ने जब उन्हे अपना माल खिलाया अब तुम खुद ही देख रही हो की तुम्हारी सास की गंद कितनी गुदाज और

ठोकने लायक हो रही है,

बुआ- अच्छा बहू तेरे पापा तुझे बहुत प्यार करते है क्या,

संध्या- मुस्कुराते हुए, बुआ मैं तो आज भी जब पापा के पास जाती हू तो वह मुझे अपनी गोद मे बैठा कर

मुझे खूब प्यार करते है,

बुआ- हाय राम तू इतनी बड़ी घोड़ी है उसके बाद भी तेरे पापा तुझे अपनी गोद मे चढ़ा लेते है,

संध्या- हस्ते हुए क्यो मैं तो फिर भी छ्होटी हू आप तो 40 पार कर रही है और आज भी अपने भारी चुतडो के

साथ अपने भैया की गोद मे बैठ जाती हो,

बुआ- सकपकाते हुए तूने कब देख लिया मुझे भैया की गोद मे बैठे हुए,

संध्या- मुस्कुराते हुए मैने तो वह भी देखा था जो आपने भैया के पास बैठ कर अपने हाथ मे पकड़

रखा था और उसे बड़े प्यार से सहला रही थी,

बुआ- चुप कर रंडी तूने कैसे देख लिया मुझे तो यकीन नही हो रहा है,

संध्या- बुआ इसमे तुम्हारी कोई ग़लती नही है तुम्हारे चूतड़ है ही इतने भारी की कोई भी देखे उसका लंड खड़ा

हो जाए, यहा तक कि रोहित तो आपके बेटे जैसा है ना

बुआ- हाँ वह मेरा बेटा ही है

संध्या- आपका रोहित भी आपके भारी चुतडो को देख-देख कर बहुत मस्त हो जाता है,

बुआ- मूह फाडे हुए क्या, क्या रोहित ने मेरे बारे मे तुझसे कुछ कहा है

संध्या- बुआ वह तो आपको चोदने के लिए तड़प रहा है, कहता है एक बार बुआ को पूरी नंगी करके अपने सीने से

चिपका ले तो उसका ख्वाब पूरा हो जाए,

बुआ- मंद-मंद मुस्कुराते हुए चल झूठी कही की, मुझे बुध्धु बना रही है,

संध्या- आप की कसम बुआ मैं झूठ नही बोल रही हू और उनका लंड भी पापा के लंड के जैसा ही दिखता है बिल्कुल

टू कॉपी नज़र आता है, कल रात को ही जब वह मुझे चोद रहे थे तो जानती हो उनके मूह से क्या शब्द निकल रहे

थे, हाय बुआ कितनी टाइट गंद है तुम्हारी कितनी फूली चूत है तुम्हारी, जब मैने कहा रोहित मैं संध्या हू तब

उन्होने कहा, मेरी रानी आज तुम मुझे बुआ की तरह नज़र आ रही हो कुछ देर के लिए यह समझ लो कि तुम मेरी

बुआ हो,

रुक्मणी की चूत संध्या की बात सुन कर गीली हो जाती है और वह अपनी चुस्त सलवार पहने पिछे की ओर दीवार से

टिक कर अपने दोनो पेरो के घुटनो को मोड हुए बैठी रहती है उसकी जाँघो की जड़ो मे जहाँ उसकी फूली हुई चूत

का उभार उसकी सलवार से साफ नज़र आ रहा था वह हिस्सा पूरा गीला हो चुका था और संध्या की नज़र जैसे ही बुआ

की फूली हुई सलवार पर पड़ी तो संध्या ने एक दम से बुआ की बुर को उसकी सलवार के उपर से दबोच लिया,

बुआ- एक दम से अपनी जाँघो को मिलाते हुए, हाय दैया बहू क्या कर रही है पागल हो गई है क्या,

संध्या- बुआ जी आपने सलवार के अंदर पॅंटी नही पहनी है ना,

बुआ- हाँ बहू तभी तो मेरी सलवार वहाँ से गीली हो गई,

संध्या- बुआ की फूली हुई चूत को दबाती हुई बुआ तुम जानती हो रोहित को तुम्हारी उमर की औरतो की फूली हुई चूत

बहुत अच्छी लगती है, और तुम्हारी चूत को देखो यह इतनी गुदाज पाव रोटी की तरह फुल्ली है कि सच बुआ रोहित अगर

इस समय तुम्हारी इस फुल्ली बुर को देख ले तो अपना मोटा लंड एक धक्के मे ही तुम्हारी बच्चेदनि से भिड़ा दे,

संध्या की बातो से बुआ की चूत से और भी पानी आने लगता है, संध्या बुआ की चूत को सहलाते हुए जब अपनी उंगली

उसकी बुर के उपर हल्के से दबाती है तो अचानक बुआ की सलवार की सिलाई वहाँ से उधाड़ जाती है जहाँ पर उसकी मस्त

चूत फूली हुई नज़र आ रही थी,

संध्या बहुत खुराफाती तो थी ही उसने जब देखा कि बुआ की सलवार थोड़ी सी उसकी चूत के यहाँ से फटी है तो

संध्या ने बुआ से चिपकते हुए कहा बुआ तुम्हारी चूत का साइज़ बराबर रोहित के लंड के लायक है और फिर

संध्या धीरे से बुआ की सलवार की सिलाई को और भी उधेड़ देती है, तभी संध्या अपनी एक उंगली बुआ की मस्त बुर के

गुलाबी छेद मे एक दम से पेल देती है और बुआ आह संध्या क्या कर रही है, बुआ संध्या के उंगली डालने से

मस्त हो जाती है और संध्या आराम से बुआ की दोनो जाँघो को फैला कर उसकी सलवार उसकी चूत के पास से अच्छे

से फाड़ कर ऐसी कर देती है की बुआ की पूरी खुली हुई गुलाबी चूत और उसका छेद साफ नज़र आ रहा था,

संध्या बुआ की चूत मे अपनी तीन उंगलिया डाल कर आगे पिच्चे करती हुई बोलो ना बुआ कैसा लग रहा है

बुआ- बहुत अच्छा लग रहा है बेटी आह सी आह

संध्या- बुआ रोहित का मोटा लंड चुसोगी,

बुआ- आह पर कैसे बेटी वह क्या चूसने देगा

संध्या- तुम एक बार हाँ तो कहो बुआ उसे तो तुम्हे चोदना भी पड़ेगा और जब वह तुम्हे नंगी करके चोदेगा

तब देखना तुम्हे पूरी मस्त कर देगा,

बुआ- लेकिन कैसे बेटी

संध्या बुआ की चूत से अपनी उंगली निकाल कर उसे कान मे कुछ समझाती है

बुआ- नही संध्या कही रोहित कुछ ग़लत समझ लेगा तो

संध्या- अरे भाई जब मैं खुद आपके साथ हू तो आप फिकर क्यो कर रही हो उसके बाद संध्या बाहर चली जाती है

और रुक्मणी वही दीवार से पीठ लगाए अपने दोनो पेरो को लंबा करके एक के उपर एक टांग रख कर बैठी रहती

है ,

संध्या बाहर जाकर देखती है तो उसकी सास और संगीता कही जाने के लिए तैयार थी संध्या ने पुछा तो मंजू

ने कहा बेटा मेरा भाई बहुत दिनो बाद आ रहा है इसलिए हम उसे स्टेशन लेने जा रहे है तुम लोग खाना खा

लेना हमे थोड़ी देर हो जाएगी,

उनके जाने के बाद संध्या रोहित के पास आकर चलो कमरे मे आज तुम्हे बुआ की चूत

का मज़ा दिल्वाति हू बस

डरना मत और हिम्मत करके आज बुआ को चोदना है मोका बड़ा अच्छा है मैं बाहर का गेट लगा कर आती हू

रोहित अपने रूम मे आकर बुआ के पेरो की तरफ बैठने लगता है और बुआ एक दम से अपने पेर सिकोड कर अपने पेरो

के दोनो घुटने मोड़ लेती है वह जैसे ही घुटने मोड़ती है उसकी फूली हुई चूत एक दम से खुल कर उसकी फटी सलवार

से साफ दिखने लगती है और रोहित अपनी बुआ की मस्तानी चूत को अपने इतने करीब से देख कर एक दम से मस्त हो जाता

है,

बुआ जब रोहित के चेहरे की तरफ देखती है तो वह समझ जाती है कि रोहित ने उसका मस्त भोसड़ा देख लिया है,

बुआ- किसी जनम्जात रंडी की तरह मुस्कुरा कर क्या हुआ रोहित मम्मी कहाँ गई

रोहित- बुआ वो मेरे मामा है ना चंदू वह आ रहे है इसलिए मम्मी उन्ही को लेने गई है

बुआ- मैने सुना है तेरे मामा से तेरी बहुत बनती है,

संध्या- चाइ देते हुए अरे बुआ जी वो क्या है ना रोहित के मामा रोहित से 7 साल बड़े है पर कुछ बाते इन दोनो की

इतनी मिलती है कि यह साथ रहते-रहते दोस्त की तरह बन गये अब इन्हे देखिए ये अपने मामा से अपनी सभी बाते

शेर कर लेते है और इनके मामा भी इन्हे हर बात बता देते है,

बुआ- हस्ते हुए बहू कुछ बाते ऐसी भी होती है जो कोई किसी को नही बताता है,

संध्या- हस्ते हुए बुआ जी हम भी तो नही जानते थे कि आप पापा से इतना प्यार करती है,

बुआ- मुझसे तेरे पापा ही नही तेरा पति भी बहुत प्यार करता है, क्यो रोहित

रोहित- बुआ मेरी तो दो-दो मम्मी है एक मम्मी और दूसरी आप

संध्या- हस्ते हुए, रोहित पापा की भी तो दो-दो बिबिया है,

बुआ-मुस्कुराते हुए तुम दोनो बहुत बदमाश हो अपनी बुआ के मज़े ले रहे हो

संध्या- अरे नही बुआ हम आपके मज़े नही ले रहे है बल्कि हम दोनो तो आपके बच्चे है और आपको पूरा

मज़ा देना चाहते है क्यो रोहित चलो बुआ को तुम अपनी मम्मी समझते हो ना तो उनके पेरो को थोडा दबाओ जैसे

अपनी मम्मी के पेरो को दबाते हो और फिर संध्या भी बुआ की एक टांग पकड़ कर दबाने लगती है,

बुआ- अरे नही बेटा रहने दे

रोहित- अरे तो क्या हुआ बुआ आप मेरी मम्मी समान है तो क्या मैं आपके पैर नही दबा सकता और फिर एक तरफ

संध्या और दूसरी और रोहित बुआ की एक-एक टांग पकड़ कर उसे फोल्ड करके दबाने लगते है,

क्रमशः......................
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RE: Chudai Sex Kahani मस्त घोड़ियाँ - by sexstories - 11-05-2017, 01:16 PM

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