RE: Chudai Story अनोखी चुदाई
मैं पेशाब कर रही थी तो देखा की वो साइड से, मुझे चोरी से देख रहा था.
फिर वो भी इसी समय, साइड में खड़ा हो कर मूतने लगा था.. मेरे से नज़रें, बचा कर..
लेकिन तभी, मेरी नज़र उस के लण्ड पर चली गई.
वाह !! क्या लोडा है… – मैंने कहा, अपने मन में.
काला, मोटा, “घोड़े जैसा” लग रहा था.
उस का लण्ड, खड़ा हो गया था.
शायद, उस को मेरी मूतते वक्त गाण्ड और चिपके कपड़े देख कर लण्ड में करेंट आ गया था और बिचारा खड़ा हो गया था.
मूतने के बाद भी, मेरे कपड़े भी ऐसे ही थे की ऊपर से मेरी गाण्ड की दरार अलग अलग दिखाई दे रहीं थीं ओर ऊपर से उठे हुए बूब्स.
भीगने से सलवार, गाण्ड के दरार में घुस रही थी, जिसे मैं बार बार बाहर खींच रही थी और भीमा, यह सब देख रहा था.
तभी मेरा, दिमाग़ घूम गया उस की निक्कर में खड़ा लण्ड देख कर.
उस ने निक्कर पहन रखी थी और उस में से, उस का लण्ड अब सामने दिखाई दे रहा था.
लंबा, एकदम उठा हुया.
मैं उस से मज़ाक वगेरह करती रहती थी और लोग भी, वहाँ जानते थे की मैं बॉम्बे से हूँ सो थोड़ी “खुले विचारों” की हूँ.
खैर, मैंने उस से कहा – चलो, चलें… भीग तो गये ही हैं…
वो बोला – थोड़ा और रुक जाओ, बीबी जी… बारिश रुक जाएईगी, कुछ समये में…
मैं रुक गई और उस की तरफ, देखती रही.
मेरी चूत से तो उस वक्त, “आग” निकलने लगी थी.
तू तो जानती है की मुझे तो बॉम्बे की हवा लगी हुई तो थी ही तो मैंने उस से मज़ाक में पूछा – क्यूँ रे भीमा, शादी नहीं करनी है क्या… जिंदगी भर ऐसे ही सांड बन कर, घूमता रहेगा…
तो वो बोला – बीबी जी… आप कुछ करो ना, मेरे लिए…
मैंने मज़ाक में ही कहा – चल बता… कैसी लड़की चाहीए…
तो वो, बोला – बिल्कुल, आप जैसी…
मैं – चल, साले कुत्ते… कुछ भी कहता है, तू…
मैं, थोड़ी सहम गई.
क्या कहती, पूछा जो मैंने ही था.
क्यों, मेरी जैसी ही.. – मैं बोली..
वो बोला – आप बहुत अच्छी हैं और सुन्दर भी…
फिर, मैं बोली – चल, एक बात बता… कोई मिली नहीं, अब तक जो तेरा काम कर दे…
वो अनपढ़ तो है ही.
फट से बोला – इधर उधर, कभी कभी कोई मिल जाती है और काम चल जाता है…
मैंने कहा – क्या बोला…
भीमा – हाँ, बीबी जी… हैं, दो तीन मेहीर… कभी कभी, चान्स लग जाता है, अगर वो बुलाए तो…
मैं – वो कैसे…
तो वो बोला – उन्होंने, मुझे फँसा लिया है…
मैं – अच्छा, फिर तो तुम्हारा कम चल रहा है ना… शादी की क्या ज़रूरत है…
भीमा – बीबी जी, अपनी चीज़ अपनी ही होती है ना… ऐसे, कब तक रह सकता हूँ…
मैंने कहा – क्यूँ नहीं रे… अलग अलग माल, तेरे लण्ड को ठंडा करने को मिल रहा है… (गाँव में लंड और चूत बोलने से, कोई ताजुब नहीं करता.) शादी कर के, क्या नया लेगा तू… जो चाहिए, मिल रहा है ना…
भीमा – हाँ, बीबी जी… पर घर वाली तो घर वाली ही होती है ना… दूसरे का क्या, कभी मिली तो कभी नहीं… अब खड़ा तो कभी भी हो जाता है…
मैं – वाह रे, भीमा… बड़ी बड़ी बातें कर लता है तू, आज कल… लगता है, कोई पट्टी पड़ा रही है… टांका तो नहीं भिड़ा रखा, कहीं… अच्छा अच्छा, चलो बताओ कौन है, वो… मुझे भी तो, पता चले ना… फिर सोचेंगे, तेरे बारे में भी…
तो वो बोला – नहीं बीबी जी… यह नहीं बता सकूँगा…
मैं – तुम्हें 1000 रुपए दूँगी… तब भी नहीं…
वो बहुत खुश हो गया और बोला – बुरा मत मानना, आप… वो कुकी अपनी नौकरानी है, जो मेरे साथ कभी कभी मज़े लेती रहती है…
मैं – वो कैसे फँस गई रे, तेरे साथ… उस पर तो मां की 24 घंटे, नज़र रहती है…
भीमा – हुआ ऐसे की मां चार दिनों के लिए, अपनी बहन के यहाँ गई थी… मैं और कुकी घर का कामकाज देख रहे थे… एक दिन, रात को कुकी ने मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाया… मैंने देखा की कुकी है… सोचा, शायद कुछ काम होगा… लेकिन जैसे ही, मैंने दरवाजा खोला, वो सीधी अंदर आ गई और कहा की मुझे डर लग रहा है…
मैंने कहा – क्यों.. ?. क्या हुआ .. ?.
तो वो बोली – मुझे नहीं पता… मैं यहीं सो जाती हूँ…
मेरे पास एक ही बिस्तरा है, सो मैंने कहा – ठीक है… मैं नीचे सो जाता हूँ, तू ऊपर सो जा…
वो बोली – ठीक है…
मैं नीचे बिस्तर लगा के, सो गया.
कोई 20 25 मिनट के बाद, वो मेरे बिस्तर पर आ गई और बिना झिझके सीधे मेरे लण्ड को पकड़ कर हिलाने लगी.
मैंने कहा – यह क्या कर रही है, तू…
वो बोली – भीमा, मैं तेरे लण्ड की दीवानी हो गई हूँ… भरी जवानी में, विधवा हो गई… अब मुझसे सहन नहीं होती रे, इस “चूत की आग”… बड़ी मुश्किल से, आज मौका मिला… दुबारा मिले ना मिले…
मैं डर गया की यह क्या कर रही है.
मैंने पहले कभी, यह सब नहीं किया था.
ऊपर से, मां का डर.
वो नहीं मानी और बोली – बहन चोद… सारी शर्म लिहाज़ छोड़ कर, तेरे पास आई हूँ… दुबारा जिंदगी में, ऐसा मौका मिले नहीं मिले… ज़्यादा नौटंकी मत मार… नहीं तो, मां जी से बोल दूँगी तूने मेरा बलात्कार करने की कोशिश की… और वो मेरे लण्ड को दोनों हाथों में ले कर, ऊपर नीचे करने लगी.
मैं डर भी गया और मुझे, बड़ा मज़ा भी आ रहा था.
फिर उस ने मेरे लंड पर थोड़ा तेल लगाया और पूछा – कभी, किसी को चोदा है तूने…
मैंने कहा – नहीं…
तो वो बोली – चल, मैं सिखाती हूँ तुझे की लण्ड और चूत का यह “खेल” कैसा होता है… तेरे पास तो बड़ा मोटा और लम्बा खिलाड़ी है… यह तो कई औरतो की चूत फड़ेगा… तू साला, नीरा चूतिया है…
उस की बातें सुन कर, मेरा लण्ड फुल तन गया था.
और फिर बीबी जी, उस ने अपने कपड़े खोल दिए और मेरे भी.
मैंने औरत को कभी “नंगी” नहीं देखा था सो, उसके पूरी नंगी होते ही मेरा पहला मूठ निकल पड़ा.
वो बोली – लगता है, पहली बार नंगी औरत देख रहा है… कोई बात नहीं, ऐसा होता है… चल, एक काम कर मेरी चूत में उंगली कर जिस से थोड़ी खुल जाए… 5 साल से नहीं चुदी हूँ… और मेरी इन चुचियों को चूस… साला, मेरा मर्द, चूत में घुसेड के लंड का स्वाद लगा कर चला गया… इससे अच्छा तो ना चोदता…
मैंने कहा – क्यों…
तो वो बोली – शेर के मुँह, एक बार खून लग जाए तो वो आदमख़ोर बन जाता है… 5 साल से, सब्जियों से काम चला रही हूँ… आज जा के मौका मिला है… और वो, मेरे लंड पर बैठ गई.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
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