RE: Chudai Story अनोखी चुदाई
जब मैं जवान हुआ था, उस वक्त जब वो झुकती थी तो उनकी गांड देख कर मेरे अंदर करंट दौड़ जाता था.
उन दिनों तो मैं सोचता था की कब आएगा, वो दिन जिस दिन मैं मां की टाँगे चौड़ी करूँगा और अपना यह मोटा तगड़ा लण्ड उस की चूत में घुसेड दूँगा..
पहली बार, मैंने उनको सोच कर ही अपना लंड हिलाया था..
इसके बाद, मां ने कुकी को 2 दिन में ही अपने गाँव में भेज दिया.. कुछ पैसे दे कर की वो अपनी मां से मिल कर आ जाए…
कुकी, वैसे भी बहुत दिनों से पूछ रही थी मां से..
कुकी भी खुश थी और जाते जाते बोली – भीमा, अब तू अपने लण्ड पर तेल मालिश कर ले… तेरे लण्ड को मां की चूत पुकार रही है… बोल रही है, आ प्यारे घुस जा अंदर… एक औरत होने के नाते, मैं जानती हूँ एक औरत के दिल मे क्या चल रहा है… समझा…
मैंने कुकी को बोला की तू बेफ़िककर रह और खुशी से छुट्टी पर जा… मां को तो मैं बड़े प्यार से चोद दूँगा… मुझे भी अब पता है की मां को भी मेरे मोटे और लंबे लण्ड की चाहत है…
और फिर, कुकी 10 दिनों की छुट्टी ले कर चली गई अपने गाँव..
दो दिन तक तो मैं चुप चाप रहा और काम करता रहा..
मां भी जैसे कुछ नहीं हुआ था, मेरा और अपना काम देखती रहीं.
लेकिन हाँ, मैंने महसूस किया अब मां मेरी निक्कर पर ज्यादा ध्यान से देखती है और मुस्करा कर चली जाती हैं.
दो दिन बाद, बहुत ही जोरों की बारिश पड़ने लगी थी..
रात को कोई 9 बजे, मां ने मुझे बुलाया और कहा – भीमा, तू तो बहुत हरामी है रे… तूने कुकी की चूत चौड़ी कर दी, मार मार कर… कैसी लगती है, कुकी…
भीमा बोला – मां जी, एक दम अच्छी लगती है मुझे…
मां ने पूछा – शादी करेगा…
तो मैं तुरंत बोला की कर लूगा, मां जी…
ठीक है, जब करनी हो तो बता देना मुझे… लेकिन ध्यान से चोद उसे… कही बच्चा ना रह जाए… विधवा है, सब की बदनामी हो जाएगी, समझे… – मां मुझे समझाते हुए बोली..
फिर मां ने कहा की बैठ जा…
तब तक लगभग 9:30 बज रहे थे, रात के और बारिश जोरों पर थी..
मां ने कहा – दूध पियोगे, क्या…
तो मैंने सिर हिला दिया..
मैं समझ गया था की आज भीमा तुझ को, एक अल मस्त सांड़नी चोदने को मिलेगी..
इधर, मां ने दूध में शहद मिलाया और मुझे दे दिया पीने को..
मां ने कहा की मेरे दूसरे बेड रूम में आ जाओ और वहाँ पर बैठ कर पियो.
इतने में मां मैक्सी पहन कर आ गयीं थीं और वो भी दूध पीने लगीं.
फिर, वो बोली – देख भीमा, सीधी बात करती हूँ… मैंने जब से तुझे कुकी को चोदते हुए देखा है, मेरी नींद हराम हो गई है… मैंने तेरा इतना मोटा और लंबा मूसल जब से देखा है नींद ही नहीं आती… तेरे लण्ड का ही ध्यान आता है… मैंने सोचा की क्यों ना, मैं भी कुकी जैसे तेरा लण्ड अपनी चूत मैं ले कर देखूं… काफ़ी समय से, मैं विधवा हूँ और किसी का नहीं लिया… मेरी उम्र भी ऐसी ज़्यादा नहीं है… गाँव में बचपन में ही, शादी हो गई थी… 16 17 की उम्र तक तो 2 बच्चे भी हो गये थे…
भीमा बोला की बीबी जी, मां की इन बातों को सुन कर मेरा तो लण्ड उछाल भरने लगा था… वैसे भी जब भी मैं मां को देखता था तो दिल में सोचता था क्या मस्त औरत है, मां जी… मिल जाई तो चोद चोद कर भोसड़ा बना दूँ, इन की चूत और गाण्ड का… आख़िर, वो दिन आ गया था…
फिर, मां बोली की तू अब अपने कपड़े खोल दे, भीमा… देखने दे, मुझे तेरा यह “फौलादी लण्ड” कैसा है…
मेरा खड़ा हो गया था, अब तक..
आपको तो बताया ही था मैंने, मेरे लंड ने 14 15 साल की उम्र में “पहला मूठ”, मां जी के नाम का ही छोड़ा था..
जैसे ही, मैंने निक्कर खोली झंझनाता हुया लण्ड बाहर आ गया.
मां बोली – हो हो, मेरी दैया… वाह, क्या लण्ड है… जा जल्दी, बाथरूम में जा और अच्छी तरह धो कर आ जा इसे…
जैसे ही मैं आया, देखा की मां “नंगी” हो गई हैं..
वैसे मैं, मां को अपने सामने नंगी होती देखना चाहता था पर देखा की मां बहुत ही सुंदर लग रही थीं..
काफ़ी देर तो मेरी नज़र ही नहीं हटी..
गोरी चिट्टी, साफ सूत्री और साफ चूत, गोल दूध और मोटी गाण्ड, तथा भरपूर शरीर..
उनकी नाभि का छेद और दूध के निप्पल, बिल्कुल आपके जैसे हैं बीबी जी..
बस उनके दूध, बड़े बहुत हैं.. आप सभी से बड़े..
कुछ देर बाद, मैंने कहा – मां जी, आप इतनी सुंदर हैं मुझे पता नहीं था…
तो वो बोली – अच्छा… भीमा तो अब क्या देख रहा है, नंगा हो जा और चढ़ जा, अपनी इस भैंस पर…
मैंने अपना लण्ड हिलाया, दो तीन बार..
तब मां बोली – भीमा, तू एक तगड़ा भैंसा है और तेरा लण्ड, उसी जैसा लंबा है…
फिर मां ने कहा – भीमा, मेरी चूत चाट…
मैंने देर किए बिना, अपनी जीभ मां की चूत में डाल दी..
मां चौड़ी टाँगे कर के बिस्तर पर लेट गयीं..
कोई 10 मिनट तक, खूब चाटी मैंने मां की चूत..
फिर मां ने मूत दिया और मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा लिया, जब तक उनकी पूरी मूत मेरे मुँह में नहीं चली गई..
बीबी जी आप मनोगी नहीं पर उनकी मूत का स्वाद भी आपकी मूत जैसा ही था..
फिर, मां बोली – मादार चोद, कहाँ से सीखी चूत चाटना…
मैं चुप रह गया नहीं तो बड़ी दीदी की पोल खुल जाती..
फिर मैंने भी अपना लण्ड, मां के मुँह में घुसेड दिया और वो भी चूसने लगीं थीं.
खूब चूसा मां ने पूरा लण्ड..
मुँह के अंदर तक ले लेती और ऊपर नीचे करती..
बड़ा मज़ा आ रहा था, लण्ड चूसने में… कुकी ने तुझे मास्टर बना दिया है, चुदाई करने का…
मां बोली – भीमा, अपने इस मोटे डंडे पर थूक लगा ले और मेरी चूत में भी लगा..
मैंने जैसा मां ने कहा किया और अपना लण्ड उन की मोटी फूली हुई चूत पर रख दिया..
यहाँ मुझे ये सोच कर हँसी आ रही थी, जमाना कोई भी हो चूत चटाना और लंड चूसना हमेशा से प्रचलन में था..
ये भी समझ गई थी की मुझे झड़ने के बाद मुतना और अपनी मूत पिलाना पसंद क्यूँ है..
खैर, भीमा ने आगे बताया.. ..
फिर, मां बोली – धीरे धीरे अंदर घुसेड़ना भीमा, इसे… बहुत सालों से चुदाई नहीं करवाई है ना, थोड़ा दर्द होगा…
तब मैंने अपना लण्ड धीरे से, एक ही बार में पूरा अंदर घुसेड दिया “सररर” से..
मां की सिसकियाँ, निकल गयीं.
इधर, मां की चूत से हल्की सी “खून की धार” बह निकली..
बीबी जी मेरी ये ग़लत फहमी भी दूर हो गई की सिर्फ़ कुँवारी लड़की की झिल्ली फटने से ही खून निकलता है… 4 बच्चों की अम्मा भी अगर सालों से ना चुदि हो तो तक थोड़ा बहुत खून रिस जाता है…
मैंने कहा – हाँ, महीनों में ही चूत कसा जाती है… सालों की तो बात ही छोड़… चल आगे बता…
वाह!! क्या चूत है… – मैंने कहा, मां से.
वो बोली – तेरे को अच्छी लगी क्या… कुक्की की जवान चूत मारता है तू तो… ये चूत तो 4 बच्चों को निकाल चुकी है और हज़ारो बार लंड ले चुकी है, तेरे साब का…
हाँ, मां जी… बहुत पसंद आई… इतने सालों से नहीं चुदने से ये कुक्की की चूत से भी ज़्यादा टाइट हो गई है… पूरा फिट बैठ गया है… – मैंने जवाब दिया..
तो फिर, क्या देख रहा है… हो जा शुरू, मेरे घोड़े… – मां हंसते हुए, बोली..
मैंने पहले मां के मम्मे दिल भर के चूसे और फिर जितना ज़ोर था, लगा दिया चोदने को…
थापा थप की आवाज़ आती रहीं… बीबी जी बुरा ना मानना इतना मज़ा तो बड़ी दीदी और आप की चूत मारने में भी नहीं आया था…
कुछ देर बाद, मां बोली – अपने बीज़ को मेरी चूत में मत डालना नहीं तो गजब हो जायगा… गाँव वाले पीपल से लटका के जला डालेगे मुझे…
उस दिन, मैंने मा को दो बार चोदा..
दोनों बार, मैंने उनके पेट पर छोड़ा..
काफ़ी देर, मैंने अपने लण्ड को चूत मैं ही डाले रखा..
फिर मां बोली – भीमा, तू बहुत तगड़ा है और तेरा लण्ड भी… ऐसा तो तेरा साहब का भी नहीं था… उन का भी कोई 9” था और बहुत चोदते थे, दिन मे तीन बार चोदते मुझे… मैं जवानी में बहुत सुन्दर थी इसी लिए बाहर से आते ही ऊपर चढ़ जाते थे और खूब चूत मारते… बड़ा मज़ा आता था… वो तो इतने बेशर्म थे की जब घर पर होते, मुझे नंगी ही रखते… अब सालों बाद जा कर तूने वो मज़ा दिया है, भीमा… तेरा लण्ड बड़ा मोटा, लंबा और तगड़ा भी है… मज़ा आ गया…
फिर तो यह सिलसिला शुरू हो गया और जब भी मां की चूत में खुजली होती बुला लातीं हैं..
सबसे आख़िर में मैंने मां की चूत मारी पर सबसे ज़्यादा, उनकी मार चुका हूँ..
अब तो मां की चूत भी घोड़ी की तरह चौड़ी हो गई है..
मां कहती है – भीमा, घोड़ी और मेरे में अब कोई अंतर नहीं है… तेरा यह लंड घोड़े के ही जैसा है… अब तो घोड़ा भी घुसेड दे तो ले लूँगी…
मैंने कहा – मां जी घोड़ा है तो है गाँव में कहो तो इंतज़ाम कर दूँ…
तो वो बोली – अरे बाबरे… मेरा मतलब, ये नहीं था… तू घोड़े से कम है क्या… घोड़ा तो 10 12 धक्कों में ही झड़ जाता है… तू तो आधा घंटे तक, खूब चोदता है… तेरे से अच्छा घोड़ा और नहीं है, गाँव में… बस खूब खाया कर जो चाहिए ले आया कर… मेवा, फल… पैसे ले लिया कर जितना चाहिए… तेरी सेहत बनी रहनी चाहिए…
तो मेरी मां भी, भीमा के मूसल लंड से चुद चुकी थी..
यहाँ मुझे, सबसे ज़्यादा मज़ा अपनी मां की चुदाई की बाते सुन कर आ रहा था..
अपने पति के सामने, टाँगें उठा कर चुदने से भी ज़्यादा.. अपनी चूत को अपने ही हाथ से भींच कर बैठी थी, मैं..
सो, मैंने पूछा – और बता ना भीमा, और क्या क्या हुआ मां के साथ… क्या क्या बातें हुई…
भीमा, फिर शुरू हो गया –
बीबी जी, एक दिन मां बोली – भीमा, तेरा लण्ड का सुपाड़ा बहुत बड़ा है और कटा हुआ है… मुझे पता है की तू “पठान” है… तेरे साहब ने बताया था, मुझे… जब वो लाए थे, तुझे… कहा था, अच्छा लड़का है और काम भी अच्छा करता है… किसी को बताना मत की यह लड़का, पठान है… तू इस का कोई हिंदू नाम रख दे… मैंने सोचा और कहा था की “भीमा” होगा इस का नाम… तेरा नाम मेरा दिया हुआ ही है… तेरे साहब बोले थे – रेणु, ध्यान रखना की यह लड़का पठान है… इन का लण्ड, अक्सर बड़ा होता है… लड़कियों के नज़दीक ज्यादा ना रहे… नहीं तो कोई भी गड़बड़ हो सकती है… तब मैंने ध्यान में रखी, यह बात और मैंने कई बार ध्यान दिया की तेरा लण्ड काफ़ी बड़ा है लेकिन चुप रही क्योंकि मैं मां जो हूँ…
सो मैंने मां से पूछा की आप ने भीमा ही क्यों रखा था, मेरा नाम…
वो बोली – इस नाम से मेरा पुराना नाता है…
वो क्या… – मैंने पूछा..
तो मां बोली की जब हम श्री नगर पोस्टिंग पर थे तो हमारा जो काम करने आता था उस का नाम भीम सिंह था… हरियाणा का था, वो… बड़ा ही हटा कट्टा, तगड़ा लंबा ज़बान था… दिन भर, बस कसरत करता था और खिलाड़ी भी था… हमारे घर का काम करता था और अपने यूनिट चला जाता था… हमारा घर, थोड़ी दूरी पर था दूसरे ऑफिसर्स से और जंगल सा था, वहाँ पर… हुआ ऐसे की साहब को 15 दिनों के लिए, दूसरे यूनिट में जाना पड़ा और में अकेले रह गई थी… मुझे डर लगता था, वहाँ पर… एक तो जंगल था, दूसरे बिल्कुल अकेली हो गई थी… दूसरे दिन, जब भीम सिंह आया तो मैंने कहा की तुम शाम को आना काम पर और रात को यहीं रहना मुझे डर लगता है… सर्वेंट रूम था ही, वहाँ पर… सो मैंने उसे कहा, बहीं सो जाना…
वो बोला – ठीक है, भाभी जी…
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