Chudai Story ज़िंदगी के रंग
12-01-2018, 12:14 AM,
#10
RE: Chudai Story ज़िंदगी के रंग
ज़िंदगी के रंग--6

गतान्क से आगे..................

किरण जब घर पोहन्चि तो अली की गाड़ी से उतार कर देखा के मनोज उसे उपर की खिड़की से देख रहा है. उन दोनो की निगाहे एक दूजे से मिली और पटेल की आँखौं मे जो उसने देखा उससे वो काँप उठी. क्या वो नफ़रत थी यां पागलपन? ये तो वो समझ नही पाई मगर उसको ऐसे देख कर डर ज़रूर गयी. क्या ये डर उसे पटेल से था यां इस बात से के कहीं वो उसे खो ना दे? सच तो ये था के अब वो इस ज़िंदगी की ऐसी आदि हो चुकी थी के अगर पटेल ने अपना हाथ उससे दूर खेंच लिया तो वो क्या करेगी ये उसे मालूम ना था. घर के अंदर गयी तो देखा के उसकी मा बिस्तर पे लेट भी चुकी है. कपड़े बदलने के बाद जा के वो उनकी मालिश करने लग गयी. कुछ ही देर मे माता जी के खर्राटे कमरे मे गूंजने लगे जिस से सॉफ ज़ाहिर था के वो गहरी नींद सो चुकी थी. वो भी कुछ थक सी गयी थी और सोने ही वाली थी के दरवाज़े मे उसे मनोज खड़ा नज़र आया. उसने आँखौं से ही उसे उपर आने का इशारा किया और चला गया. ये पहली बार नही था के वो उसके पास जाने वाली थी. पटेल उसके जिस्म को हर तरहा से तो इस्तेमाल कर चुका था. फिर ऐसा क्यूँ था के आज सीढ़ियाँ चढ़ते वक़्त वो घबरा रही थी?.............

किरण जब कमरे मे आई तो मनोज कमरे की खिड़की के पास उसकी तरफ पीठ किए खड़ा हुआ था. किरण ने कमरे मे आ के खुद ही दरवाज़ा बंद कर दिया. जाने क्यूँ उसके मुँह से कोई शब्द नही निकल पा रहे थे? उसने आज से पहले मनोज को कभी इस तरहा गुस्से मे नही देखा था. साथ ही साथ उसका ज़हन ये समझ नही पा रहा था के वो गुस्से मे है क्यूँ? आख़िर मनोज ने ही इस खामोशी को तोड़ा.

मनोज:"बैठ जाओ किरण." वो चुप चाप कमरे मे पड़ी कुर्सी पे बैठ गयी. मनोज उसके सामने आ के ज़मीन पे बैठ गया और उसकी आँखौं मे गुस्से से देखने लगा. मनोज की आँखौं मे जो गुस्सा था उससे देख कर किरण काँप उठी. वो अब पहले से भी ज़्यादा घबरा गयी थी.

मनोज:"किरण क्या तुम्हे किसी चीज़ की कमी है?" उसने धीमी आवाज़ मे मगर गुस्से से पूछा.

किरण:"न.....नही तो"

मनोज:"क्या कभी भी तुम्हे पेसौं की कोई परेशानी होने दी है?"

किरण:"नही" किरण ने मुस्किल से जवाब दिया.

मनोज:"तुम्हे पता है के पेसे के लिए दुनिया मे क्या क्या कुछ करना पड़ता है? तुम्हारे से भी ज़्यादा ख़ौबसूरत लड़कियाँ 100-100 रुपए के लिए ऐसे बन्दो के साथ भी सोती हैं जिन की शकल भी वो आम तोर पे देखना पसंद ना करे. क्या तुम भी चाहती हो के पेसौं के लिए तुम्हे भी 2 ताकि की रंडियों की तरहा जगह जगह जाना पड़े?"

किरण:"नही" उसकी ख़ौबसूरत आँखो से ये सुन कर आँसू एक दरिया की तरहा बहने लगे थे. आज तक उसने अपने आप को फरेब की दुनिया मे रखा हुआ था. मनोज के कमरे मे जो भी होता था उसे कमरे से निकलते साथ ही वो भुला देती थी. आँधेरे की दुनिया मे रहने वालो को जब सच्चाई नज़र आती है तो उसकी रोशनी उनकी आँखे से नही पाती. कुछ ये ही हाल किरण का भी हो रहा था. कितने ही लड़के उसकी खोबसूरती के दीवाने थे पर आज उसे यौं लग रहा था के वो शीशे के सामने खड़ी है और शीशे मे उसे दुनिया की सब से बदसूरत लड़की का चेहरा नज़र आ रहा है. बड़ी मुस्किल से रोते हुए उसने पूछा

किरण:"मेरी ग़लती क्या है? आज तक आप ने जो कहा वोई तो करती आई हूँ?" ये सुन कर तो मनोज गुस्से से पागल हो गया.

मनोज:"साली रंडी मे तुझे कहता हूँ के दूसरे लड़को के साथ गुलचरे उड़ा?"

किरण:"आप ग़लत समझ रहे हैं. मे तो अपने कॉलेज के दोस्तो.." तपाक थप्पड़ की गूँज से कमरा गूँज उठा और किरण का सर घूमने लगा. दर्द से लगा रहा था किसी ने उसका मुँह ही तोड़ दिया हो.

मनोज:"साली रंडी झूट बोलती है मुझसे? कितनी गर्मी है साली तुझे जो मेरे बाद भी दूसरो से चुदवाने जाती है? इधर आ आज तेरी गर्मी तो बुझाता हूँ मैं." ये कह कर उसने किरण को उसके सर के बालो से पकड़ के बिस्तर की तरफ़ फेंक दिया. वो बेचारी ज़ोर से बिस्तर पे गिरी और उसका सर पलंग से टकराया. पहले ही आँखो के आगे तारे नज़र आ रहे थे और अब सर और भी दर्द से फटने लगा. मनोज ने पीछे से आ कर उसकी शलवार खेंच के उतार दी और उसे ज़ोर से घोड़ी बना दिया. किरण को समझ ही नही आ रही थी के क्या होरहा है के अचानक उसके मुँह से चीख निकलने लगी. "अहह नही अहह छोड़ो मुझे" मनोज ने बगैर कुछ लगाए ही अपना लंड ज़ोर से उसकी चूत मे घुसा दिया था. बिल्कुल खुसक और जाहनी तोर पे तैयार ना होने की वजह से किरण को बहुत ही ज़्यादा दर्द होने लगा. दर्द इतना तेज था के उसे ऐसे लग रहा था के किसी ने एक दम से उससे छुर्रि मार दी हो. मनोज को एक अजीब सी बीमारी थी के जब तक उसे ऐसा ना लगता के वो ज़बरदस्ती कर रहा है उसका ठीक से खड़ा नही होता था. इसी लिए वो हमेशा किरण के साथ ज़बरदस्ती करने का ड्रामा कर के उसे चोदता था. पर आज जब सच मे वो उसका रेप कर रहा था तो उसका लंड लोहे की तरहा सख़्त हो गया था. किरण की सिसकियाँ सुन कर उसे और भी मज़ा आने लगा था. वो ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा और साथ ही साथ खेंच खेंच के थप्पड़ उसकी बुन्द पे भी मारने लगा.
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