Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-08-2017, 11:03 AM,
RE: चूतो का समुंदर
यही बात कुछ देर पहले सोनू ने भी कही थी...पर मैं नही माना था...पर सोनम के मुँह से यही सुन कर मैं चुप हो गया...

शायद लड़की की आवाज़ मे वो जादू है..जो आग को भी ठंडा कर देती है...और बर्फ को गरम....

सोनम की बात सुनकर मैं शांत हो गया...सोनम और सोनू भी मेरे साइड मे आ कर बैठ गये....

सोनम- थॅंक यू...

मैं- नही...असल मे मुझे गुस्से मे कुछ सूझ ही नही रहा था...सच कहा तुमने...मेरा एक ग़लत कदम तुम्हारे डॅड की जान ले सकता है...

सोनू- बस एक बार मेरे डॅड मिल जाए...फिर सालो को इसी गन से गोली मार दूँगा...

सोनम- पर भैया...तुमने ये बात मुझे पहले क्यो नही बताई...कि डॅड किडनॅप हो गये और तुम्हे अंकित को मारने को कहा गया है...

सोनू- मैं...मैं क्या करता...मैं नही चाहता था कि तुझे या मोम को टेन्षन हो कोई...

मैं- हाँ सोनम..सोनू ने सही किया...अब इस बात पर कोई बहस नही...

सोनम- ओके...अच्छा पारूल कैसी है...

मैं- वो ख़तरे से बाहर है...जल्दी ही होश आ जायगा...

फिर हम तीनो वहाँ बैठ कर पारूल के होश मे आने का वेट करने लगे....

यहाँ रिचा के घर ......

पारूल को गोली लगने से रश्मि एक दम घबरा गई थी ....वो जानती थी कि अंकित पारूल को अपनी सग़ी बेहन से ज़्यादा चाहता है...

उसे लगा कि अगर अंकित ने उसे यहाँ देख लिया तो उसे छोड़ेगा नही....

ऐसी हालत मे रश्मि घबराई हुई सीधा रिचा के घर पहुँची....

रिचा(गेट खोलते ही)- तू...तू यहाँ...क्या हुआ...

रश्मि(हान्फते हुए)- अंदर तो चलो...सब बताती हूँ...

रिचा ने जल्दी से रश्मि को अंदर किया और गेट लॉक कर दिया....

रिचा- क्या...अंकित की जगह गोली किसी और को लग गई....(रिचा सोफे से उठ कर खड़ी हो गई...जब रश्मि ने उसे वहाँ हुई घटना बताई)

रश्मि- हाँ...अंकित को गोली लगती इससे पहले पारूल आ गई और उसे गोली लग गई...

रिचा- पारूल...पर वो वहाँ कैसे पहुँची...तुमने तो कहा था कि अंकित अकेला है...

रश्मि- हाँ...अकेला ही था...पर अचानक पारूल आ गई ..और सब...

रिचा और रश्मि थोड़ी देर तक खामोश रहे...रश्मि तो घबराई हुई थी...पर शायद रिचा ये सोच रही थी कि अब आगे क्या करे...

रिचा- ओके..जो हुआ सो हुआ....उसके बाद क्या हुआ...पारूल मर गई क्या...

रश्मि- पता नही...अंकित और सोनू उसे हॉस्पिटल ले गये और मैं वहाँ से भाग आई...

रिचा- सोनू...पर सोनू क्यो सामने आया...

रश्मि- शायद ..उसे लगा होगा कि उसने ग़लती कर दी..इसलिए..

रिचा- वो तो ठीक है...पर कही सोनू, अंकित को सब बक ना दे...

रश्मि- वो क्यो बकेगा...उसके डॅड तो आपके पास है...

रिचा- जानती हूँ...लेकिन देखना तो पड़ता ही है ना....और ये बता कि तू यहाँ क्यो आई....मुझे फ़ोन से बता देती...

रश्मि- फ़ोन...मैने किया था...आपने उठाया नही...और मैं घबरा गई थी...

रिचा- ओह...शायद मैने सुना नही...ओके..तू अब आराम से घर जा...और पारूल के बारे मे कुछ पता चले तो कॉल करना...वैसे वो जिंदा है मर गई...

रश्मि- मेरे हिसाब से तो मर गई होगी...

रिचा- ओह..बेचारी...खम्खा बीच मे आ गई...खैर...तुम जाओ...और कॉल करना...अंकित के गुम मे शामिल होने तो आना ही होगा मुझे...हाँ...बेचारा....

और फिर रिचा हँसने लगी और रश्मि भी डरते हुए झूठी हसी हँसने लगी...और थोड़ी देर मे ही रश्मि वहाँ से निकल गई...


रश्मि के जाते ही रिचा ने बॉस को कॉल किया....

( कॉल पर )

बॉस- हाँ बोल...काम हो गया...

रिचा- नही ना...नही हुआ...

बॉस- क्या...पर क्यो...

रिचा- हुआ यू कि.......

और रिचा ने सबकुछ बॉस को बता दिया...जिसे सुन कर बॉस भी पारूल के लिए हमदर्दी दिखाने लगा...

बॉस- ह्म्म्म ..बेचारी...कोई नही..अब अंकित को गम मनाने दो...सोनू को कुछ दिन रुकने का बोल दो...

रिचा- ओके...मैने भी यही सोचा था...

बॉस- ओके..तो अब कुछ दिन मुझे कॉल मत करना...और कोई ज़रूरी काम हो तो ...तुम जानती हो कि तुम्हे कहाँ जाना है...बाइ...

रिचा- ह्म..बाइ...

वापिस हॉस्पिटल मे......

नर्स ने जैसे ही हमारे पास आकर बोला कि लड़की को होश आ गया...तो मेरी खुशी का ठिकाना नही रहा और खुशी बन कर मेरे आँसू आँखो से छलक पड़े...

सोनम ने मुझे संभाला और मेरे आँसू सॉफ किए...

सोनम- अपनी गुड़िया को यू रोता चेहरा दिखाओगे क्या...

मैं- ह्म..नही..मैं फ्रेश हो कर आता हूँ...

मैं वहाँ से उठा और अपने चेहरे को सॉफ कर लिया...मैं भी नही चाहता था कि पारूल मुझे रोता देखे....

अपने आपको ठीक करके मैं आइसीयू मे पहुँचा तो देखा कि...पारूल होश मे आ चुकी थी...ओक्सीजन मास्क भी हट गया था और खून की बॉटल भी...

मुझ पर नज़र पड़ते ही पारूल बोल उठी...

पारूल- भैया...

मैं(मुँह पर उंगली रख कर)-स्शहीए...चुप रहो...

और मैं पारूल के साइड मे बैठ कर उसका सिर सहलाने लगा...

मैं- कैसी है मेरी गुड़िया...

पारूल- ठीक हूँ भैया...पर ये सब...

मैं(बीच मे)- कुछ मत बोल...जो हुआ..वो एक आक्सिडेंट था....बस तू ठीक है..यही मेरे लिए काफ़ी है...

पारूल- ह्म..

मेरे साथ सोनम और सोनू ने भी पारूल का हाल पूछा और उसे आराम करने की सलाह दे कर बाहर आने लगे...

मैं भी वहाँ नही रहना चाहता था..क्योकि मुझे डर था की मैं फिर से आँसू ना बहा दूं...इसलिए मैं भी उनके साथ जाने लगा....

तभी पारूल ने पीछे से मुझे आवाज़ दी...

पारूल- भैया...

मैं- हाँ गुड़िया...बोलो..

पारूल- वो गोली आपके लिए चली थी ना...

मैं चुप रह गया और फिर से पारूल के साइड मे बैठ कर उसका सिर सहलाने लगा...

मैं- बोला ना..कि ये सब आक्सिडेंट समझ कर भूल जाओ...बस...

पारूल- अगर मैं सही हूँ तो अच्छा ही हुआ...

मैं- क्या मतलब...

पारूल- आप पर आने वाली मुसीबत मुझे मिल गई...ये अच्छा ही हुआ ना..क्योकि आपके लिए तो मैं मरने को भी ....

मैं(पारूल के मुँह पर उंगली रख कर)- बस...मरे तेरे दुश्मन...

और मैने पारूल के माथे को किस किया और वहाँ से निकल आया....क्योकि मेरे आँसू अब रुक नही पा रहे थे...

पारूल का मेरे लिए प्यार देख कर मेरे आसू छलक ही गये...और पारूल के चेहरे पर गिरी मेरे आँसू की बूँद ने उसे भी ये अहसास दिला दिया....कि वो मेरे लिए कितनी खास है....
आइसीयू से निकल कर मैं सीधा डॉक्टर के पास पहुँचा....

मैं- हेलो सर...

डॉक्टर- हेलो मिस्टर. ....ओह, मैने आपका नाम तो पूछा ही नही..

मैं- अंकित मल्होत्रा...

डॉक्टर- आइए मिस्टर.अंकित...बैठिए...

मैं- सर...मेरी बेहन को ज़्यादा चोट तो नही आई..आइ मीन वो गोली..ज़्यादा डॅमेज तो नही हुआ ना ..

डॉक्टर- नही अंकित...असल मे गोली पेर के किनारे से निकली...तो चिंता की बात नही...बस ज़ख़्म है...कुछ दिन मे ठीक हो जायगा...

मैं- थॅंक गॉड...

डॉक्टर- वैसे ये सब हुआ कैसे...

मैं- पता नही...सब अचानक हो गया...

मैने सोचा कि जल्दी से यहाँ से निकलता हूँ...नही तो ये डॉक्टर बाल की खाल निकालेगा...

मैं- आक्च्युयली...मैं ये पूछने आया हूँ कि मैं अपनी बेहन को घर कब तक ले जा सकता हूँ...

डॉक्टर- वैसे वो अब ठीक है...बस कुछ दिन पट्टी बगैरह होगी..और कुछ टॅब्लेट्स...बाकी कुछ नही...तो आज शाम तक ही ले जा सकते है...अगर चाहे तो...

मैं- गुड...मैं शाम को ही ले जाउन्गा..

डॉक्टर- पर क्या घर मे ख्याल रख पायगे..

मैं - आप एक नर्स भेज देना...मैं पेमेंट कर दूँगा..ओके..

डॉक्टर- ओके...और हाँ...एक बात तो भूल ही गया...पोलीस के आने के बाद ही आप उसे ले जा सकते है...

मैं- पोलीस...पर पोलीस क्यो...

डॉक्टर- देखिए मिस्टर.अंकित...गोली लगी है..तो ये मॅटर तो पोलीस का ही बनता है ना...

मैं- ह्म्म..बट मैं नही चाहता कि पोलीस इस मामले मे पड़े...और इसके लिए मैं आपको चुप रहने की सलाह देता हूँ...

डॉक्टर- व्हाट डू यू मीन...

मैं- आप इस मॅटर को यही क्लोज़ करो...और हाँ...चुप रहने की कीमत भी मिलेगी...

डॉक्तोर(गुस्से से)- तुम समझते क्या हो अपने आप को...जानते हो कि मैं कौन हूँ...

मैं- नही...पर मैं मल्होत्रा एलेक्टॉनिक्स का मालिक हूँ...समझे....

डॉक- ओह...आप...मल्होत्रा एलेक्ट्रॉनिक्स....मिस्टर आकाश के बेटे...

मैं- ठीक समझे...अब बोलो...चुप रहने की कीमत क्या लोगे...

डॉक- सॉरी मिस्टर. अंकित...देर हो गई...

मैं- क्या मतलब...

डॉक्टर- मतलब...
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