Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-06-2017, 11:25 AM,
RE: चूतो का समुंदर
थोड़ी देर बाद आज़ाद बे कमला की नाइटी निकाल के उसके बूब्स निकाल दिए...

आज़ाद- आहह ...क्या बूब्स है तेरे...मज़ा आयगा चूसने मे...

कमला- तो चूस लो ना....ये आपके लिए ही है ..

आज़ाद- तो फिर आजा मेरी जान...

आज़ाद ने कमला के बूब्स को बारी- बारी चूसना सुरू कर दिया...




कमला- ओह्ह ...माँ....आराम से...अओउक्च्छ .....

आज़ाद- उउंण...सस्स्ररुउप्प्प्प...उउंम..उउंम्म...

कमला- ओह्ह..ओह्ह..चूस लो...आहह..आऐईयईई.....

थोड़ी देर तक जोरो से बूब्स चूसने के बाद आज़ाद ने कमला को नीचे बैठा दिया और अपना लंड उसके सामने निकाल लिया.....

कमला(लंड हाथ मे ले कर)- ओह्ह..ये तो...उम्म्म..मज़ा आयगा.....

आज़ाद- पसंद आया...अब इसे तैयार कर फिर तुझे मसलता हूँ....

कमला ने आज़ाद के लंड को चूसना सुरू कर दिया.. .




कमला- ह्म्म..सस्स्रररुउउप्प्प...सस्स्ररुउप्प्प...उउंम..उउंम...

आज़ाद- ओह्ह..आहह...चूस ले रंडी...आहह..अच्छा चूस्ति है...

कमला- उउंम..उउंम..सस्स्ररुउपप..सस्ररुउपप..सस्स्रररुउपप...उूुउउम्मह..

आज़ाद- ओह...क्या बात है...तू सच मे रंडी के जैसे चूस्ति है...तेज कर...और तेजज़्ज़्ज.....

कमला- उउंम..उउउंम..ख़्हूओंम्म..क्क्हुऊंम्म...

कमला लंड को गले तक भर कर चूसे जा रही थी....

थोड़ी देर के बाद आज़ाद का लंड तैयार हो गया तो आज़ाद ने कमला को रोका और उसे बेड पर लिटा दिया और कमला की टांगे खोल कर उसकी चूत देखने लगा....

आज़ाद- आहह...ये है मेरी मंज़िल....मुउहह...

आज़ाद ने चूत पर किस किया और फिर अपनी जीभ फिराते हुए...चूत चाटने लगा....




कमला- ओह्ह..ये क्या किया....आऐईइ...माआ.....

आज़ाद- सस्स्रररुउपप..सस्ररुउपप...सस्ररुउपप...आहह...मज़ा आया ना...

कमला- हाँ..पर आज तक मेरी चूत पर जीभ नही लगी....

आज़ाद- आज से हमेश लगेगी...आगे-आगे बहुत कुछ होगा....देखती जा...

और आज़ाद ने अपना काम फिर से सुरू कर दिया......

आज़ाद- उउंम्म..सस्ररुउपप..सस्ररुउपप...सस्ररुउपप..

कमला- आहह..माँ...मज़ा ..आहह..करी...ओह्ह्ह माआ....उउफफफ्फ़..

थोड़ी देर तक आज़ाद ने कमला की चूत चाट-चाट कर गीली कर दी और कमला लंड के लिए तड़पने लगी....

कमला- ओह्ह ...अब तड़पाना छोड़ो ...डाल भी दो...

आज़ाद- क्या डालु...

कमला- अपना बड़ा हथियार...

आआज़ाद- और डाल के क्या करूँ...

कमला- मुझे अपना बना लो ...फाड़ दो मेरी ...आहह...जल्दी...

आज़ाद- तो फिर ये ले...

आज़ाद ने चूत पर लंड सेट किया....और...

और तभी फ़ोन की घंटी बजने लगी....


फ़ोन की रिंग से आज़ाद होश मे आया और अपने आप को अपने कॅबिन मे देख कर शॉक्ड हो गया ....

आज़ाद(मन मे)- ये मैं...ये तो...हे भगवान...मैं तो अपने कॅबिन मे हूँ...पर मैं तो कमला की हवेली मे उसके बेडरूम मे....

ओह्ह...मैं ये क्या सोच रहा था...दिन मे ही सपने देखने लगा...ये क्या हो गया मुझे...इस कमला ने तो मुझे पागल कर दिया ....

तभी फ़ोन की रिंग दुबारा बजने लगी....

आज़ाद- कौन...मदन...हाँ बोल यार...

मदन- तेरे लिए एक गुड न्यूज़ है...

आज़ाद- क्या..??

मदन- अभी पूरा काम नही हुआ...काम हो जाने दे फिर बताउन्गा...

आज़ाद- ठीक है...कर ले पूरा...वैसे कब बतायगा.. ??

मदन- बस 1-2 दिन मे खुश खबरी के साथ आउगा..ओके ...

आज़ाद- ओके...

मदन- वैसे कहाँ बिज़ी था...किसे चोद रहा था...??

आज़ाद- किसी को नही रे....तू आजा फिर चोदेगे...ओके...

मदन - ओके...बाइ....

आज़ाद- चल बाइ...

फ़ोन रखने के बाद आज़ाद अपने आप से शर्मिंदा होने लगा कि कैसे वो दिन मे सपने देखने लगा...क्या हो गया उसे...

पर उसका लंड चुदाई के लिए तड़पने लगा....और आज़ाद ने राखी को आश्रम मे फ़ोन किया...

पर उसे पता चला कि राखी किसी काम से घर निकल गई...

फ़ोन रख कर आज़ाद ने कुछ सोचा और उसके चेहरे पर कमीनी मुस्कान आ गई....

आज़ाद(अपने आप से)- राखी आश्रम मे नही तो ना सही....मेरे लंड की आग तो बुझ कर ही रहेगी...

और आज़ाद फॅक्टरी से निकल गया....

आज़ाद फॅक्टरी से निकल कर सीधा राखी के घर पहुचा...उसे अपने लंड को शांत जो करना था....

पर जैसे ही वो राखी के घर पहुचा तो उसे ये सुन कर झटका लगा कि राखी अपने पति के साथ कहीं गई हुई है...

पर उसे खुशी भी हुई...क्योकि अब वो अपनी छोटी रखेल के साथ चुदाई कर सकता था...

उसकी छोटी रखेल थी रखी की बेटी रिचा...

रिचा तो आज़ाद को देख कर खुशी से उछल पड़ी और जल्दी से गेट लॉक कर के आज़ाद के गले लग गई...

रिचा- ओह अंकल...कितने दिनो बाद मेरी याद आई..हाँ..

आज़ाद- अरे मेरी जान...आज तो आ गया ना...

और आज़ाद ने रिचा को उठा लिया और रिचा ने भी अपनी टांगे आज़ाद की कमर मे और हाथ उसके गले मे डाल लिए और किस करने लगी...

रिचा- उउम्मह....क्यो नही आए इतने दिन..??

आज़ाद- क्या करूँ...तेरी माँ आने ही नही देती...हाहाहा..

रिचा- ह्म्म...माँ तो पूरी रंडी है ...खुद लंड खाती रहती है और बेटी के बारे मे नही सोचती...

आज़ाद- अरे गुस्सा छोड़...अब आ गया हूँ ना...

रिचा- ह्म्म...आहह
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06-06-2017, 11:26 AM,
RE: चूतो का समुंदर
आज़ाद ने रिचा की गान्ड को ज़ोर से मसल दिया...

आज़ाद- क्यो साली..मेरे घर पर बहुत गान्ड मटका रही थी..हाँ..

रिचा- हाँ..आपको याद जो दिलाना था कि कहीं आग लगी हुई है...

आज़ाद- अगर घरवाले ना होते तो वही नंगा करके गान्ड मार लेता...

रिचा- तो आज मार लो ना...मैं तैयार हूँ...

आज़ाद- ह्म्म..वैसे तेरी माँ कहाँ है...

रिचा- आप उसे छोड़ो...आपकी छोटी रखेल है ना आपकी खातिर करने...

आज़ाद- ह्म्म..तो पहले कॉफी पीला..फिर तुझे आराम से साम तक चोदुगा...और ऐसा चोदुगा कि 2 दिन बेड से नही उठ पायगी...

रिचा- तो फाड़ दो ना...ऐसा चोदो कि 2 क्या 4 दिन बेड पर डाली रहूं..क्योकि फिर आप अपनी बड़ी रखेल के साथ बिज़ी हो जाओगे...

आज़ाद- बड़ी चुड़दकड़ हो गई...चल कॉफी बना..फिर तेरी गर्मी मिटाता हूँ...

रिचा- ह्म्म..आपने ही तो बनाया...अब आप ही झेलो....हहहे..

आज़ाद- ओके..चल कॉफी ला..

रिचा कॉफी बनाने निकल गई और आज़ाद ने कोट निकाला और रेस्ट करने लगा...

कॉफी पीने के बाद आज़ाद ने रिचा को अपनी गोद मे खीच लिया....

रिचा- आहह...बेडरूम मे चले अंकल...

आज़ाद- उउंम..नही...आज यही तेरी गान्ड मारूगा...

रिचा- ह्म्म्मन..तो मार लो ना...आहह..

आज़ाद , रिचा की गान्ड को मसलते हुए उसे किस करने लगा...और रिचा भी आज़ाद के होंठो को चूसने लगी...

आज़ाद ने पहले जी भर कर रिचा के होंठो को चूसा और फिर उसकी टी-शर्ट निकाल दी और ब्रा निकाल के उसके बूब्स मसल्ने लगा...

रिचा- आइी...आराम से अंकल...ऊहह...

आज़ाद- बहुत बड़े हो गये है...उउंम...

और आज़ाद ने बूब्स को मूह मे भर के चूसना सुरू कर दिया....

रिचा- ओह्ह्ह...आह...आपने ही बड़े कर दिए.. आअहह...और चूसिए....

आज़ाद- उउंम..उउउंम..उउंम..आअहह...अभी तो और बड़े करने है...तेरी माँ की तरह...उम्म्म्म...उउंम..

रिचा- आअहह....तो कर दो ना....बेटी को ही माँ की जगह लेनी है...ऊहह..ओह्ह..आहह..कतो मत ना...आऐईयईई...

आज़ाद पूरी मस्ती मे रिचा के बूब्स को प्यार करने लगा...कभी चूस्ता तो कभी काट ता...और कभी हाथ से मसलता....

रिचा अब गरम हो गई थी और उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी....

रिचा- ओह्ह..ऐसे ही...ज़ोर से...आहह..आहह..

आकाश का लंड अब बाहर आने को मचल रहा था....आज़ाद ने रिचा को गोद से उतारा और खड़ा हो गया ...और शर्ट निकाल दी...

रिचा समझ गई और उसने आज़ाद का पेंट और अंडरवर नीचे किया और उसके लंड को चाटने लगी....

रिचा- सस्स्रररुउउप्प....सस्रररुउउप्प्प...सस्स्रररुउप्प्प्प...

आज़ाद- हाँ मेरी रंडी...अब ठंडा कर इसे...आअहह...

रिचा कभी लंड पर जीभ फिरती तो कभी सुपाडे पर...और कभी लंड को अपनी जीभ पर थपथपाति.....

आज़ाद- ओह मेरी रंडी....अब चूस भी ले....भर ले मूह मे....

रिचा ने आज़ाद की बात सुनकर एक अच्छी रखेल की तरह आज़ाद का लंड मूह मे भर लिया और मूह चुदवाने लगी....
आज़ाद- आअहह...ऐसे ही...चूस मेरी जान ...जोर्र से....

रिचा- उउंम...उउंम्म..उउउंम्म..उउंम..उउंम...

आज़ाद- बिल्कुल अपनी माँ पर गई है...उसी की तरह पक्की रंडी है...ज़ोर से चूस .....

रिचा को अपनी माँ का नाम सुनते ही जोश आ गया और वो लंड को गले की गहराई तक ले जा कर चूसने लगी....

रिचा- सस्स्ररुउुऊउग़गग....सस्स्रररयउउऊउगगगगग....सस्स्रर्र्ररुउुुऊउगग़गग...उूुुउउम्म्म्मममम.....

आज़ाद- सबाश ...आअहह..ज़ोर से ...और तेजज्ज़...

रिचा- सस्स्स्रररुउउउग़गग.....सस्स्ररुउउउग़गग...उउंम..उउंम.... उउंम .... उउंम..

अब आज़ाद का लंड पूरा तैयार था...उसके रिचा को रोका और खड़ा कर के पलटा दिया....

फिर रिचा की पैंटी नीचे की और उसकी गान्ड चाटने लगा.....
रिचा- ओह्ह..अंकल...आप फिर गान्ड के पीछे पड़ गये....चूत का कुछ करो ना...

आज़ाद- सस्ररुउप्प्प...उउंम..आअहह...नही ...तेरी गान्ड ज़्यादा पसंद है...समझी....

रिचा- ह्म्म्म्म ...सब आपके लिए..आहह....जो चाहे करो...उउउंम्म..

आआज़ाद पूरी मस्ती मे रिचा की गान्ड को चाट रहा था और साथ मे उसकी चूत का दाना भी मसल रहा था...

रिचा- ओह्ह..अंकल...आअहह...क्यो तडपा रहे हो...आअहह....

आज़ाद- अस्स्रररुउउउप्प्प...सस्स्रररुउउप्प्प..सस्स्ररुउप्प्प...सस्ररुउउप्प्प्प....

रिचा- आअहह...अंकल...मेरी चूत...ओह्ह..ऊहह...माआ...

आज़ाद ने थोड़ी देर बाद रिचा को पलटा कर टेबल पर लिटा दिया और उसकी चूत चूसने लगा...
रिचा- ओह्ह...अब मज़ा आया...चूसो अंकल ..ज़ोर से....

आज़ाद- सस्स्ररुउप्प्प....सस्स्ररुउउप्प्प ....उउउंम...उउउम्म्म्म..

रिचा- आअहह...चवा जाओ....आऐईइ...ऊओह...माआ..

आज़ाद ने रिचा की चूत को चूस्ते हुए अपनी जीभ को उसकी चूत मे डाल दिया...और रिचा पूरी मस्त हो गई....

रिचा- ओह्ह..अंकल...ये...आअहह.....डाल दी...आअहह...

आज़ाद पूरी स्पीड से रिचा की चूत को जीभ से चोदने लगा और साथ मे एक उंगली उसकी गान्ड ने डाल दी....

रिचा- आऐईयईई...ओह्ह्ह..अंकल. .आहह....मज़ा आ गया...करते रहो....

थोड़ी देर बाद आज़ाद ने रिचा को छोड़ दिया और खड़ा कर के पलटा दिया...और उसकी गान्ड पर लंड सेट कर लिया....

रिचा- पहले चूत मारो ना...

आज़ाद- पहले तेरी गंद ...फिर चूत....बहुत दिखा रही थी ना गान्ड ..मटका- मटका कर...

रिचा- ठीक है तो आराम से माआआआआआआररर्र्र्र्र्र्ररर....

रिचा बोल पाती उसके पहले आज़ाद ने एक धक्का मारा और आधे से ज़्यादा लंड गान्ड के अंदर चला गया....

रिचा- उूउउइईईई...म्माआ...बता तो देतीईईई...

आज़ाद ने दूसरा धक्का मारा और पूरा लंड गान्ड मे उतार दिया....

आज़ाद- चुप कर...पहली बार नही मरवा रही...इतना मत चीख...

रिचा- आअहह...पर आपजा लंड चीख निकाल ही देता है...

आज़ाद- ह्म्म...अब मज़े कर... ते ले....

आज़ाद ने रिचा के हाथ पकड़ के खड़े - खड़े उसकी गान्ड मारना सुरू कर दिया...

रिचा- आहह..आहह. आहह..आहह. आअहह...आहह. .आहह. 

आज़ाद- क्या टाइट गान्ड है साली....यह...यीहह...

रिचा- आअहह...माँ की भी ऐसी है ....आअहह..

आज़ाद- उसकी ऐसी कहा...उसकी तो खुली है.. तेरी मस्त है...कसी हुई...येस्स्स..एस्स..

रिचा- आहह..आहह...ज़ोर से अंकल...आअहह..

आज़ाद- हाँ मेरी रंडी...फाड़ देता हूँ..ये ले....ये ले...यीहह....

रिचा- आअहह ....आहह..फ़ाआद्ड...डूऊ...ऊओ..एस्स...एसड..आहह ...आहह..

आज़ाद पूरी स्पीड से रिचा की गान्ड मारता रहा...अब रिचा की चूत मे खुजली बढ़ गई थी...और वो पानी छोड़ रही थी....

रिचा- अंकल...मेरी चूत .. आहह...कुछ करो ना...उउउइइ...माआ...

आज़ाद- ह्म्म्म...तो ये ले...

और आज़ाद ने रिचा की फंड से लंड निकाला और रिचा को टेबल पर झुका कर उसकी चूत मे डाल दिया और तेज़ी से चोदने लगा.....
रिचा- आहह..आहह..ओह्ह...ज़ोर से अंकल...ज़ोर से.....

आज़ाद- हाँ मेरी रंडी....ये ले....एस्स...येस्स..एस्स...

रिचा- ओह्ह अंकल...ज़ोर से...मेरा होने वाला है....आअहह...फास्ट...फास्ट...

आज़ाद- यस...येस्स..एस्स...यह..यह..यह...

दमदार चुदाई से रिचा की चूत अपना रस बहाने लगी.....

रिचा- मैं आईईइ....ओह....आहह..आअहह...उउउन्नकककल्लीए...ऊहह...
रिचा झाड़ते ही ढीली पड़ गई पर आज़ाद उसे चोदता रहा....आज़ाद के लंड ने रिचा की चूत को फिर से गरम करना शुरू कर दिया और चूत की गर्मी से आज़ाद झड़ने के करीब आ गया......

येस..ईीस्स..ऊओह...यीस्स...ताआप्प्प..त्ताआप्प्प..एसस्स..यह..यईी...फ्फ़ूच्च..हह..फ्फक्च्छ...उउंम..उउंम..आहह...

ऐसी ही आवाज़ो के साथ आज़ाद भी झड़ने लगा...

आज़ाद- मैं आया...ले ..मुँह मे ले....
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06-06-2017, 11:26 AM,
RE: चूतो का समुंदर
आज़ाद जल्दी से लंड निकाल के सोफे पर बैठ गया और रूचा ने आ कर उसके लंड को चूसना शुरू कर दिया...

आज़ाद- आअहह...ये...आय्या. .ले....पी जा . ..यीहह...ईएहह.

आज़ाद रिचा के मुँह मे झड गया और रिचा आज़ाद का लंड रस पीने लगी....

फिर रिचा ने चाट- चाट कर आज़ाद का लंड सॉफ किया और उठ कर बाथरूम चली गई....

जब वो लौट कर आई तो आज़ाद के लंड को सहलाने लगी...

रिचा- मज़ा आया ना अंकल...

आज़ाद- अभी पूरा मज़ा नही आया...तेरी गान्ड मारनी है एक बार और...

रूचा- तो मार लो ना...मैं इसे तैयार करती हूँ.....

और रिचा ने फिर से आज़ाद का लंड चाटना शुरू कर दिया ...

थोड़ी देर मे ही लंड खड़ा होने लगा और रूचा ने लंड को मुँह मे भर लिया और पूरा तैयार करने मे लग गई...

जब आज़ाद का लंड खड़ा हो गया तो उसने रिचा को फर्श पर झुका दिया..जिससे उसकी गान्ड उपर आ गई...

और आज़ाद ने लंड सेट कर के एक बार मे ही गान्ड मे डाल दिया....

रिचा- आऐईयईईईई...मम्मी.....आआहह....

आज़ाद- तेरी माँ की भी ऐसे ही मारता हूँ....ये ले...

और आज़ाद ने तेज़ी से गान्ड मारना शुरू कर दिया.. .

रिचा- ओह्ह....अंकल....मेरी माँ का गुस्सा मुझ पर मत निकालो...असहह...

आज़ाद- क्यो नही....तेरी माँ होती तो तेरी गान्ड बच जाती...अब फाड़ दूँगा...यीह..यह...

रिचा- वो तो रंडी....आअहह...प्यार से मारो ना...ओह्ह..माँ...

आज़ाद- ऐसे ही मारूगा....ये ले...ये ले...

रिचा- ओह्ह्ह...एस्स..एस्स. .फाड़ दो...आअहह.. आआहह...

रिचा भी अब गरम हो कर गान्ड चुदाई का मज़ा ले रही थी.....

रिचा- ज़ोर से...येस्स...आहह. आशह...आअहह

आज़ाद जोरो से रिचा की गान्ड मारे जा रहा था जिससे रिचा का सिर फर्श से रगड़ का दर्द देने लगा...

रिचा- मेरा सिर...आअहह...

आज़ाद ने तुरंत रिचा को उठा कर सोफे पर लिटा दिया और उसकी गान्ड पर बैठ कर गान्ड मारने लगा...

रिचा- आअहह.. आहह..आहह..ज्जूओर्रर्र..ससी...आअहह ...

आज़ाद- एस्स..एस्स..एस्स...यीहह...यीहह...

रिचा ने अपना हाथ नीचे से अपनी चूत पर रखा और ज़ोर से मसल्ने लगी...

यहा आज़ाद पूरी स्पीड मे गान्ड मारने लगा .....

रिचा- ओह..अंकल...और तेजज..अशह...मैं एयेए रही...आअहह..

आज़ाद- कम ऑन...यह..यीह..

रिचा अपनी चूत मसल्ते हुए झाड़ गई और आज़ाद भी साथ मे झड़ने लगा....

रिचा- माआईंन्न..आहह..आआईयईईईई...ऊहह...मा...ईीस...एस्स...एसस्स...

आज़ाद- मैं भी आया...ये ले...यह..यीहह....

रिचा का चूत रस सोफे पर बहने लगा और आज़ाद ने अपने लंड रस से रिचा की गान्ड भर दी....

झड़ने के बाद आज़ाद साइड मे बैठ गया और दोनो रेस्ट करने लगे...

थोड़ी देर बाद दोनो फ्रेश हुए और बैठ गये....

रिचा- आज तो आप तो जल्दी झाड़ गये...

आज़ाद- हाँ मेरी छोटी रखेल...तेरी गान्ड का कमाल है...

रिचा- ह्म्म..मेरी गान्ड मेरी माँ से अच्छी हुई ना...

आज़ाद- ह्म्म..

रिचा- और चूत...

आज़ाद- तू पूरी अच्छी है...

रिचा - तो रोज क्यो नही मारते...

आज़ाद- तुझे रोज चोदुगा तो तेरे पति को क्या मिलेगा....चूत और गान्ड फटी मिलेगी...

रिचा- वो तो फट ही चुकी है ना...

आज़ाद- हाँ ...पर रोज मारने से भोसडा बन जाएगा...इसलिए कम ही चुदवा...ठीक...

रिचा- ह्म्म.. एक बात पुछू ..???

आज़ाद- हाँ मेरी छोटी रखेल...पूछ ना...

रिचा- मैं तो आपसे खुद चुदने आई थी...पर आप ये बताओ कि आपने मम्मी को कैसे फसाया था...

आज़ाद- हाहाहा...नही रे...उसने मुझे फसाया....मैने नही...

रिचा- सच मे...कैसे...??

आज़ाद- कभी बाद मे बताउन्गा....अभी टाइम नही....तू कॉफी पिला फिर मुझे जाना है...

रिचा- ह्म्म..

फिर आज़ाद कॉफी पी कर निकल गया और रिचा के मन मे सवाल उठने लगे कि उसकी मोम ने आज़ाद अंकल को कैसे फ़साया होगा...और क्यो....????

पूरे दिन के बाद सब लोग कल की प्लॅनिंग कर के अपनी-अपनी जगह सो गये.....

पर आने वाला दिन...आज़ाद की फॅमिली के लिए खास दिन होने वाला था....

ऐसा दिन जो आज़ाद के परिवार के लिए एक टर्निंग पॉइंट होने वाला था............

क्या होने वाला है कल............?????????????
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06-06-2017, 11:26 AM,
RE: चूतो का समुंदर
सुबह-सुबह आज़ाद अपनी पत्नी, बेटे और दोनो बेटियों के साथ नाश्ता करने बैठा था....

आज छुट्टी का दिन था इसलिए किसी को कहीं नही जाना था...उस वजह से सब रिलॅक्स होकर गप्पे मारते हुए नाश्ता कर रहे थे.....

आज़ाद- और बच्चो...आज क्या करने का सोचा....आज तो तुम्हारा स्कूल बंद है ना...

अरविंद- पापा जी ..मैं तो अपने दोस्तो के साथ नदी पर जाने वाला हूँ....

आज़ाद- ह्म्म..पर कोई शैतानी नही...ओके...

आरती- और मैं तो आज सहेली के घर जाउन्गी...उसको मेहदी लगाना सीखना है...

आज़ाद-ह्म्म..और आकृति तुम..??

आज़ाद की बात सुनकर आकृति कुछ नही बोली...बस ना मैं सिर हिला दिया और उठ कर चली गई....

थोड़ी देर बाद आरती और अरविंद भी अपने- अपने रास्ते निकल गये.....फिर..

आज़ाद(रुक्मणी से)- क्या हुआ इसे...

रुक्मणी- आप तो जानते है कि बेचारी सारा दिन घर मे रहती है...इसलिए...

आज़ाद- जानता हूँ...वो जबसे फैल हुई तबसे उदास रहती है...उसने फिर से पढ़ाई भी नही की...मैं चाहता था कि वो आगे पढ़े इसलिए मैने गाओं मे कॉलेज बनवाया...बस शुरू होना बाकी है....अब तुम्ही बताओ मैं क्या करूँ..जिससे ये खुश हो जाए...

रुक्मणी- एक बात कहूँ....आप उसकी शादी करवा दो....

आज़ाद- क्या...हाहाहा...शादी...अभी से शादी...अरे बड़ा तो होने दो...

रुक्मणी- आपको तो वो हमेशा बच्ची ही लगेगी...आख़िर पिता है आप...

आज़ाद- मतलब...??

रुक्मणी- मतलब ये कि मेरी बेटी शादी लायक हो गई है...

आज़ाद- अच्छा...तुम कह रही हो तो...

रुक्मणी(बीच मे)- यही सही वक़्त है...आप बस अच्छा सा लड़का देखो...

आज़ाद- पर....

रुक्मणी(बीच मे...)- पर-बार कुछ नही...मैने कह दिया सो कह दिया...

आज़ाद- ठीक है रुक्मणी देवी...आपका हुकुम सिर आँखो पर...आज से ही एक अच्छा सा लड़का देखना शुरू कर देता हूँ...मेरी प्यारी बेटी के लिए...

रुक्मणी- ह्म्म..और जल्दी ढूँढना...अभी एक और बेटी भी है....और फिर मेरा लाड़ला आकाश...उसके लिए भी तो बहू देखनी है...

आज़ाद- बस..बस...आप तो बहुत तेज जा रही है....पहले बेटी के लिए लड़का देख लूँ...वैसे भी आज कल अच्छा लड़का ढूँढना बहुत मुस्किल होता है...

तभी एक आवाज़ आई....तेरी मुस्किल तेरे यार पूरी करेंगे...आख़िर दोस्त कब काम आयगे.....

आज़ाद और रूमानी ने आवाज़ सुनते ही गेट की तरफ देखा और दोनो के चेहरे पर मुश्कान फैल गई...

आज़ाद- अबे..मदन, अली..तुम लोग...वो भी भाभियों के साथ...ऐसे बिना खबर दिए...

मदन- क्यो रे...हम बिना बताए नही आ सकते क्या...

अली- तुझे बुरा लगा हो तो हम जाते है...

आज़ाद- अबे साले...बुरा लगा के बच्चे...क्या बोला...

मदन- अब अंदर बुलायगा कि नही...

आज़ाद- आइए..आइए...दोनो भाभियों का स्वागत है...

अली- और हमारा...??

आज़ाद- तुम्हारा स्वागत करूँ क्या अच्छे से....चल अब आ भी जा...

फिर मदन और अली अंदर आए और आज़ाद के गले मिल कर बैठ गये....वाहा रुक्मणी भी दोनो की बीवियों को अंदर ले आई...

रुक्मणी- आप लोग बैठिए..मैं चाइ-नाश्ता ले कर आई....

मदन- नही भाभी....पहले मेरी बात सुनिए...फिर चाइ-नाश्ता होगा...चलिए बैठिए....

रुक्मणी(बैठते हुए)- जी कहिए..

आज़ाद- हाँ मदन..क्या कह रहा था तू...

मदन- मेरे यार...एक खुश खबरी लाया हूँ...

आज़ाद- ओह हाँ....तूने कल बताया था कि खुशख़बरी है....बता ना क्या हुआ...

मदन- ऐसी खबर है कि तू खुशी से उछलने लगेगा और तेरी टेन्षन भी दूर हो जायगी...


आज़ाद ने आमंजस मे अली की तरफ देखा...कि क्या बात है. .पर अली ने कंधे उचका कर बता दिया कि...मुझे नही पता...

आज़ाद- भाई अब और परेसान मत कर...बता ना...

मदन- भाई मेरे...मैने अपनी प्यारी आकृति के लिए लड़का ढूँढ लिया है...

मदन की बात सुनकर सब खुश हो गये....आज़ाद और रुक्मणी एक-दूसरे को देख कर ख़ुसी ज़ाहिर करने लगे...

मदन- अबे चौंक मत..मुँह बंद भी कर ले...ये सच है...मैने आकृति बिटिया के लिए लड़का ढूँढ लिया है....

आज़ाद- स..सच मे...रुक्मणी...तुमने सुना...ना...

रुक्मणी- जी....मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा कि अभी-अभी हमने बात की और अभी ...

मदन- भाभी जी....अच्छे लोगो के साथ अच्छा ही होता है....

आज़ाद- धन्यवाद मदन...तूने तो मेरी प्राब्लम ही ख़त्म कर दी...

मदन- अबे ...धन्याबाद कैसा...वो मेरी बेटी नही क्या...??

आज़ाद- बिल्कुल है...

मदन- तो फिर...मैं जो कर रहा हूँ..अपनी बेटी के लिए...तेरे लिए नही...क्यो बेटी...

मदन ने सीडीयों पर खड़ी हुई आकृति की तरफ देख कर पूछा...

आकृति सकपका गई और शरमा कर रूम मे भाग गई...

(असल मे आकृति नीचे से आ रही आवाज़े सुनकर...नीचे आ रही थी कि तभी उसने अपनी शादी की बात सुनी तो वह सीडीयों पर खड़ी हो कर पूरी बात सुनने लगी थी....)

मदन- हाहाहा....शरमा गई....तो बता आज़ाद...खबर कैसी लगी...

आज़ाद- खबर तो अच्छी है..अच्छी क्या बहुत अच्छी...बस शादी का महूरत निकलवाते है...

मदन- अबे कुछ पूछ तो सही...कि कौन लड़का ..कहाँ का है...क्या करता है..डाइरेक्ट महूरत.. 

आज़ाद- अबे ..तूने सब पता कर लिया होगा...और तुझे अच्छा लगा तभी तू रिश्ता लाया...तो जानने के लिए क्या रह गया...

मदन- तुझे मुझ पर इतना भरोशा है...??

आज़ाद- तुझ पर नही...बल्कि तुम दोनो(मदन और अली) पर....अपने आप से भी ज़्यादा...

आज़ाद की बात सुनकर सब भाबुक से हो गये....सच मे इनकी दोस्ती थी ही इतनी अच्छी...

मदन- बस..बस...अब रुलायगा क्या...मेरी बात सुन..

आज़ाद- ह्म्म..बोल...

रुक्मणी- नही ....पहले चाइ- नाश्ता...बाकी बाते बाद मे...

आज़ाद- हाँ ..हाँ...जाओ...चाइ- नाश्ता ले आओ...

रुक्मणी चाइ-नाश्ता लाई और फिर नाश्ता होने के बाद.....

मदन- तो अब सुनो...लड़के के बारे मे....

और मदन सबको लड़के और उसकी फॅमिली के बारे मे बताने लगा...

लड़के का नाम सुभाष है...मेरे दूर का रिश्तेदार है...उसके माँ-बाप बहुत पहले एक आक्सिडेंट मे मारे गये थे...

उसके दादाजी ने उसे बड़ा किया...और हाँ...उसकी एक छोटी बहिन भी है...

उसके पास बहुत सी पुस्तैनि जायजाद है..और इसके अलावा भी वो थोक मे गारमेंट्स का बिज़्नेस करता है...और उसकी बहेन अभी स्कूल मे है...और अब वो अपनी मामी के साथ रहते है.....

मदन- तो बोलो कैसा रिश्ता है...और हाँ..ये रही लड़के की फोटो....

मदन ने सबको लड़के की फोटो दिखाई...जिसे देख कर सब खुश हुए...लड़का सबको पसंद आ गया...

आज़ाद- मदन...सच मे बहुत अच्छा रिश्ता लाया है तू...

मदन- अरे...मेरी बेटी के लिए तो अच्छा ही रिश्ता लाउन्गा ना...

अली- तो अब देर किस बात की बात आगे बढ़ाते है...

आज़ाद- ह्म्म...मैं आज ही पंडित जी को बुलाता हूँ...

मदन- ह्म्म..पर पहले आकृति को फोटो दिखाओ और उसकी राय लो..

सरिता(बीच मे)- अरे उससे पूछने की क्या ज़रूरत है...हम उसके लिए ग़लत फ़ैसला थोड़े ना लेगे...

मदन- हाँ..पर लड़की से पूछना सही होता है....समझी...

अली- सही कहा...लड़की की पसंद जानना ज़रूरी है...

आज़ाद- ह्म्म..मैं भी यही सोचता हूँ कि लड़का-लड़की एक-दूसरे को पसंद करे तभी बात आगे बढ़नी चाहिए...

( सबकी बात सुनकर सरिता चुप रह गई...और झूठी मुस्कान लिए बाते सुनने लगी..)
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06-06-2017, 11:26 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मदन- मैने उसका इंतज़ाम भी कर लिया है...

आज़ाद- वो कैसे..??

मदन- मैने सुभाष को आकृति की फोटो दिखा दी है और उसे अपनी बेटी पसंद है....

अली- वाह...अब बस बिटिया से पूछ लो..

मदन- ह्म्म..और हाँ...वो कुछ दिन बाद यहाँ आ रहे है...तब लड़का-लड़की को एक-दूसरे से आमने-सामने भी मिलवा देगे..और सब ठीक हुआ तो आगे का काम भी कर लेगे...ओके

आज़ाद- वाह...ये सही किया...बहुत अच्छे...

मदन- तो भाभी जी ...आप आकृति को फोटो दिखा देना...और मुझे बता देना...फिर उनके आने का प्रोग्राम फिक्स करते है...

रुक्मणी- अच्छा भाई साब....आज ही बता दूगी....

आज़ाद- अरे अब बैठी क्यो हो...सबका मुँह मीठा करवाओ....बेटी के लिए रिश्ता आया है...

रुक्मणी(खुश हो कर)- अभी लाई जी...

फिर सबने मुँह मीठा किया और थोड़ी देर बाते करने के बाद अली और मदन अपने-2 घर निकल गये....

आज़ाद ने मदन को बोल दिया कि वो आज शाम तक उसे आकृति की मर्ज़ी बता देगा....

सबके जाने के बाद आज़ाद और रुक्मणी एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे...

आज़ाद - भगवान ने तुम्हारी सुन ली रुक्मणी....

रुक्मणी- सही कहा...अच्छा रिश्ता मिल गया..अब बस आकृति को लड़का पसंद आ जाए...

आज़ाद- आ जाएगा....लड़का सच मे अच्छा है....तुम फोटो दिखाओ...और पता करो....उसके दिल की बात...

रुक्मणी- ठीक है...अभी जाती हूँ....

रुक्मणी लड़के की फोटो ले कर आकृति के रूम मे चली गई....

आकृति अपने रूम मे लेटी हुई थी...जबसे उसने अपनी शादी की बात सुनी थी...तभी से उसका दिल मचलने लगा था...

अब उसके मन मे क्या चल रहा है...ये बताना तो मुस्किल है...पर जो भी चल रहा था ..उसका असर उसके चेहरे पर सॉफ दिख रहा था...

वो अपने आप मे कुछ सोच- सोच कर मंद-मंद मुश्कुरा रही थी...जैसे अपने सपनो मे अपने राजकुमार को याद कर रही हो.....

रुक्मणी(आकृति के रूम मे आते ही)- आकृति...

आकृति जल्दी से बैठ गई और शरमाते हुए अपनी नज़रे झुका ली...

रुक्मणी आकर आकृति के बाजू मे बैठ गई और उसके सिर पर हाथ फिरते हुए बोली...

रुक्मणी- बेटी...तूने तो सब सुन लिया है ना ..अब जल्दी से मुझे अपनी मर्ज़ी भी बता दे ....ताकि मैं मदन भाई साब को जवाब दे सकूँ...

आकृति(चुप-चाप ...सिर झुकाए बैठी रही...)

रुक्मणी- ये ले...लड़के की फोटो...और बता ...वैसे हम सब को तो पसंद आया...पर तुझे पसंद आए तभी हम आगे सोचेगे...

आकृति(वैसे ही चुप बैठी रही)

रुक्मणी- ह्म्म..तो अपनी माँ से शरमा रही है ....हाँ

आकृति(नीचे देखते हुए )- माँ...वो...

रुक्मणी- कोई बात नही...मैं समझती हूँ...आख़िर माँ हूँ तेरी....ये ले ..ये फोटो रख के जा रही हूँ....देख लेना ....और जब मैं वापस आउ तो बताना...ठीक..


रुक्मणी फोटो रख कर रूम से निकल गई....और रुक्मणी के जाते ही आकृति ने जल्दी से फोटो उठाई और उसे देखते हुए लेट गई...

आकृति के मन मे क्या चल रहा था...ये तो भगवान जाने...पर इस समय उसे अकेला छोड़ देते है...फोटो के साथ....



वहाँ दूसरी तरफ...आज़ाद के घर से वापिस आने के बाद मदन के घर....

मदन रेस्ट करने लेट गया और सरिता..घर के पीछे बने स्विम्मिंग पूल के पास परेसान बैठी थी....

सरिता बिकनी पहने पूल मे थी पर उसका माइंड यही सोच रहा था कि कैसे भी कर के आकृति इस शादी के लिए मान जाए....

सरिता(मन मे)- एक बार ये शादी सेट हो जाए....फिर सारे पत्ते भी मेरे होंगे...और चाल भी मेरी होगी...और दाव पर लगेगा मल्होत्रा परिवार.....

आख़िर क्या था सरिता का प्लान...क्यो वो ये शादी हर हाल मे करवाना ही चाहती थी......????????

इधर आज़ाद के घर....

आकृति अपने बेड पर उल्टी लेटी हुई सुभाष की फोटो को निहार रही थी...और मंद-मंद मुश्कं दे रही थी...

अचानक उसके हाथ से किसी ने फोटो झटक ली और आकृति की तो जैसे जान ही निकल गई.....

आकृति एक दम से पलटी और...

आकृति- कककक....तू...छुटकी की बच्ची...मैं तुझे....ला..वापिस दे...

आरती- नही दुगी...मैं भी तो देखु...कि किस के ख्यालो मे खोई हुई है मेरी दीदी...

आकृति(बैठ कर)- सीधे से दे दे...वरना...

आरती- वरना क्या....मैं नही देती जाओ. .

आकृति बेड से उठी और आरती को पकड़ने झपटी...पर आरती फोटो ले कर रूम से बाहर भाग गई...

आकृति- रुक जा...छुटकी...मैने कहा ..रुक जा....

आरती- मैं नही रुकती...दम है तो पकड़ लो...

आकृति- हाथ मे आ...फिर बताती हूँ...छुटकी की बच्ची...


आरती चिड़ाते हुए आगे-आगे भाग रही थी और आकृति उसके पीछे-पीछे...

दोनो बहने पूरे गलियारे मे भागती रही...फिर आरती नीचे उतर आई और पीछे-पीछे आकृति भी आ गई...

आरती सीधे अपने पापा के पास पहुच गई...

आरती- पापा...बचाओ...दीदी मार रही है...

आरती चिल्लाते हुए आज़ाद के पास खड़ी हो गई....आज़ाद को देख कर आकृति रुक गई और नज़रे झुका कर खड़ी हो गई...

आरती- देखो पापा ..दीदी मुझे ये फोटो नही दिखा रही....वैसे ये है कौन...??

आज़ाद- बेटा...अपनी दीदी को परेशान नही करते...और ये फोटो ...ह्म्म्मी...तुम्हारे मदन अंकल इसका रिश्ता ले कर आए है तुम्हारी दीदी के लिए...

रुक्मणी(पीछे से आती हुई)- आरती...मैने सब बताया था ना...फिर से क्यो पूछ रही हो...

आज़ाद(आरती के कान को पकड़ कर)- अच्छा...तो सब जान कर भी अंजान बन रही है....ह्म्म..

आरती- सॉरी पापा ...सॉरी...

आज़ाद(आरती के कान के पास मुँह कर के)- ह्म्म..अब चलो..अपनी दीदी से माफी माग़ो...और उनसे पूछ कर आओ कि ये लड़का पसंद है कि नही...

आरती(आज़ाद के कान मे )- पापा...अगर पसंद है तो...

आज़ाद- तो फिर इन्हे तुम्हारा जीजाजी बना दूँगा...

आरती- ह्म्म..तो अब मैं पूछ कर ही वापिस आउगि...

आरती फोटो ले कर वहाँ से आगे आई और आकृति के सामने आ कर बोली...

आरती- अब पकडो दीदी...आ जाओ...

और आरती खिलखिलाते हुए उपेर भाग गई और आकृति भी उसके पीछे भाग गई....

आज़ाद- ये छुटकी भी ना...हाहाहा...

आकृति के रूम मे...

आरती- बताओ ना दीदी...आपको पसंद है ना...

आकृति- (चुप रही)

आरती- बोलो ना दीदी...

आकृति- अच्छा..तू बता ..तुझे पसंद है...

आरती- ह्म्म..देखने मे तो....ज़्यादा अच्छे नही...पर चलेगा...

आकृति- छुटकी की बच्ची...तू नही सुधरेगी...

आरती- ओह हो...बुराई नही सुनी जा रही है...ह्म्म

आकृति(शरमाते हुए)- छुटकी...बता ना...परेसान मत कर....

आरती- ठीक है...बताती हूँ...ह्म्म..मुझे तो पसंद है...अब आप बताओ..

आकृति ने भी हाँ मे गर्दन हिला दी और शरमा गई...

आरती जल्दी से भागती हुई आज़ाद के पास आई और बता दिया कि दीदी की हाँ है...
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06-06-2017, 11:26 AM,
RE: चूतो का समुंदर
आज़ाद और रुक्मणी की खुशी का ठिकाना नही रहा...

आज़ाद ने आरती को प्यार से चूम लिया और रुक्मणी ने आकृति को गले लगा लिया...जो आरती के पीछे-पीछे आ गई थी...

तभी अरविंद भी आ गया और रुक्मणी ने उसे भी खुशख़बरी दे दी...

आकृति की हां सुनकर पूरा घर खुश था...

रुक्मणी- अब आप मदन भाई साब को फ़ोन करके बता दीजिए...और उनको लाने का भी बोल देना...

आज़ाद- हां...अब जल्दी से लड़के वालो को बुलाने को कहता हूँ...

आज़ाद ने मदन को कॉल कर के बता दिया और ये खबर सुनकर मदन खुश हो गया और उसने कह दिया कि अब जल्दी से प्रोग्राम सेट करता हूँ...

आज़ाद का पूरा घर खुशी मना रहा था कि तभी रुक्मणी की आँखो से आँसू बहने लगे...

आज़ाद- रुक्मणी...तुम्हे क्या हुआ...

रुक्मणी- कुछ नही जी...ये तो खुशी के आँसू है...आप आकाश को भी बता दीजिए...और उसे आने का भी बोल देना...

आज़ाद- ह्म्म..अभी फ़ोन करता हूँ...

आज़ाद ने आकाश को कॉल किया पर आकाश नही मिला...मोहन ने फ़ोन उठाया और बाद मे कॉल करने का बोल दिया....

आज़ाद ने अली को भी कॉल करके सब बता दिया तो अली भी बेहद खुश हो गया....
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06-06-2017, 11:26 AM,
RE: चूतो का समुंदर
यहाँ मदन के घर...

मदन- अरे सरिता...सुनती हो...कहाँ हो यार ...

सरिता- मैं यहाँ हूँ पूल पर...स्विम्मिंग करने जा रही थी...

( सरिता शहर की लड़की थी...और उसे स्विम्मिंग का बहुत शौक था ...इसीलिए मदन ने गाओं होते हुए भी सरिता की खातिर पूल बनवा दिया था...क्योकि वो सच मे सरिता को बहुत प्यार करता था...)

मदन- ओह...तो यहाँ हो...स्विम्मिंग बाद मे पहले मेरी बात सुनो...

सरिता- क्या हुआ...बड़े खुश दिख रहे हो...???

मदन- अरे खुशी की बात है...अपनी आकृति बेटी ने हां कर दी...अब सुभाष और आकृति की शादी पक्की समझो....

सरिता( खुश हो कर)- सच मे...ये तो ...सच मे खुशी वाली बात है...

और सरिता मदन के गले लग गई....सरिता बिकनी मे थी....और उसकी बॉडी की गर्मी मदन को गरम करने लगी...

मदन- ओह..मेरी जान..तुम्हे छु कर तो मूड बन गया...

सरिता- तो रोका किसने है...

मदन- रोका तो नही..पर मुझे अभी शहर जाना होगा...

सरिता- पर आप तो कल जाने वाले थे...??

मदन- हाँ...पर अब सुभाष के घर भी जाना होगा...तो अभी निकलना होगा...ताकि जल्दी से उनको ले कर आ सकूँ...

सरिता- ओह हो...तो आप जाइए...ये शादी जितनी जल्दी हो जाए..उतना ही अच्छा है...मूड का क्या है....लौट कर भी बन सकता है...वैसे भी आप कुछ ज़्यादा ही खुश है...

मदन- सही कहा सरिता..मैं आकृति को अपनी बेटी ही मानता हूँ...काश अपना भी कोई...

सरिता- आप चिंता मत करो...भगवान सबकी सुनता है...

मदन- ह्म्म..उसी के भरोसे तो हूँ...

सरिता- आप दिल छोटा मत करो...इस बार जो दवा लाई हूँ...उसका असर ज़रूर होगा...मेरी सहेली को 12 साल बाद इसी दवा से फ़ायदा हुआ ...

( यहाँ मैं आपको बता दूं कि मदन को औलाद नही है...और सरिता को डॉक्टर ने बताया है कि कमी मदन मे ही है...इसलिए सरिता ने किसी आयुर्वादिक दवा का सहारा लिया...)
मदन- सच...तब तो मैं जल्दी आउन्गा...और फिर अपने बच्चे की प्लानिंग...है ना..

सरिता(शरमा कर)- आप भी ना...जाना नही अब...

मदन- ओके तो मैं रेडी होता हूँ ...तुम चाइ बनाओ...

सरिता ने मदन को चाइ पिलाकर रवाना कर दिया और सोचने लगी....

सरिता(मन मे)- अब कोई प्राब्लम नही...ये शादी जल्द से जल्द होगी....और फिर मैं दिखाउन्गि अपना गेम....हहेहहे..

फिर कुछ देर तक सरिता अपने माँ बनने के बारे मे सोचने लगी और मन ही मन खुश होती रही...थोड़ी देर बाद...

सरिता(अपने आप से)- अब मदन निकल गये होंगे गाओं से...अब टाइम है खुशी मनाने का .....ह्म्म्मे...यही ठीक रहेगा...

सरिता ने धर्मेश को कॉल कर के घर बुला लिया और नौकर से बोल दिया कि धर्मेश को सीधा पूल पर पहुचा देना...

फिर सरिता ने वाइन की बॉटल और सिगरेट ली (जो मदन अपने लिए रखता था) और पूल पर धर्मेश का वेट करने लगी.....

---------------------------

धर्मेश अपने घर मे अपनी मौसी की गान्ड मार रहा था ...तभी सरिता का कॉल आया था...फ़ोन रख कर...

मौसी- कौन था...??

धर्मेश- वही ...सरिता रंडी...

मौसी- ह्म्म..क्या कहा उसने...

धर्मेश- घर बुला रही है...

मौसी- ह्म्म..संभाल के रहना...मुझे उस पर शक है थोड़ा...

धर्मेश- डोंट वरी...वो कुछ भी सोचे...लास्ट मे मारेगी तो उसकी ही...मैं प्लॅनिंग मे उसका बाप हूँ...ईएहह..

मौसी- आऐईयईई.....स्सााअलीई.....उसका गुस्सा ..मुझ पर क्यो...आहह...

( धर्मेश ने गुस्से मे एक ही बार मे पूरा लंड मौसी की गान्ड मे डाल दिया था...)

धर्मेश- हाहाहा...मज़ा करो मौसी...और जल्दी करो...अभी उस रंडी को भी चोदना है.....

----------------------------


वहाँ मदन घर से निकल कर आज़ाद के घर गया...अली भी वहाँ अपनी फॅमिली के साथ आ चुका था...

मदन ने अली और आज़ाद के साथ कुछ लेन-देन के बारे मे बात की और शहर निकल गया...

आज़ाद और अली ने अपनी खुशी का जश्न मनाने की लिए गाओं के सरपंच की पत्नी और बहू को चोदने का प्लान बना लिया...

आज़ाद के घर एक तरफ बड़े बैठ कर आगे की प्लॅनिंग मे बिज़ी थे...वही बच्चे अपनी मस्ती मे बिज़ी थे....

तभी आकाश का कॉल आ गया....

आज़ाद- हेलो...बेटा...

आकाश- हा पापा...कहिए...आपने कॉल किया था ..??

आज़ाद- हाँ बेटा...कहाँ था तू...??

आकाश- वो ..पापा..मैं थोड़ा बाहर घूम रहा था ..(असल मे आकाश , डेना की चुदाई कर रहा था)

आज़ाद- ह्म्म..बेटा एक खुशख़बरी है...

आकाश- क्या पापा...

आज़ाद ने फिर आकृति के रिश्ते की पूरी बात आकाश को बता दी...जिसे सुन कर आकाश भी खुश हो गया.....

आज़ाद- तो बेटा...जैसे ही उन लोगो के आने का दिन फिक्स होता है तो मैं कॉल कर दूँगा...आ जाना...

तभी आरती ने आज़ाद से फ़ोन ले लिया...

आरती- हेलो भैया...

आकाश- हाँ मेरी गुड़िया...कैसी है तू...

आरती- गुस्सा हूँ आपसे...

आकाश- क्यो बेटा...मैने क्या ग़लती कर दी.....

आरती- आपकी ग़लती ये है कि आपने जाने के बाद मुझे एक फ़ोन नही किया ...

आकाश- सॉरी बेटा...यहाँ नया महॉल है ना...तो पूरा टाइम निकल जाता है...सॉरी ...देख मैं अपने कान पकड़ता हूँ.....

आरती- ह्म्म..एक शर्त पर माफ़ करूगी...

आकाश- बोल ..क्या चाहिए...

आरती- मैं आपको कल लिस्ट बना के बताउन्गी...

आकाश- ठीक है..और सुन...बाकी सबसे भी पूछ लेना....सबकी लिस्ट बना के देना...

आरती- ओके भैया...कल बताती हूँ...लो पापा से बात करो..

आज़ाद ने फ़ोन ले लिया....

आज़ाद- ठीक है बेटा...जब कहूँ तो आ जाना...

आकाश- बिल्कुल पापा...आप कहे तो परसो ही आ जाउ...

आज़ाद- नही...मैं बताउन्गा जल्दी...जब तक तू मन लगा कर अपना काम कर..ठीक है...
आकाश - जी पापा..

फ़ोन कट होने के बाद आकाश खुद से बोला.....काम तो मैं मन लगा कर कर रहा हूँ..और तन भी....

और आकाश फिर से डेना के बेडरूम मे चला गया.....
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06-06-2017, 11:27 AM,
RE: चूतो का समुंदर
वहाँ सरिता के घर.....

करीब 40 मिनट बाद धर्मेश, सरिता के सामने था....सरिता एक हाथ मे वाइन का पेग लिए और एक हाथ से सिगरेट का कस मारते हुए बोली...

सरिता- आ गया हीरो...

धर्मेश- क्या बात है...बहुत खुश दिखाई दे रही हो...???

सरिता- ह्म्म..बात तो है खुशी की...

धर्मेश- तो बताओ...??

सरिता- ऐसे नही ..पहले मुझे खुश करो...फिर बताउन्गी....

धर्मेश- ह्म्म...अभी करता हूँ ....

धर्मेश सरिता के साथ बैठ गया और सरिता ने धमेश को भी एक पेग बना दिया ...

धर्मेश(मन मे)- साली ...तू क्या सोचती है कि सब तेरी मर्ज़ी से नाचेगे....तू कितना भी प्लान कर...मैं तेरा ऐसा यूज़ करूगा कि जिसे देख तेरी गान्ड फट जायगी....हाहाहा

सरिता(मन मे)- तू सोचता ही रह जाएगा...पर मेरा प्लान नही समझ सकता...और जब तक तुझे समझ आएगा...तब तक तो मैं इतने आगे निकल जाउन्गी कि तू चाह कर भी कुछ नही कर पायगा....बेचारा...दोस्ती तो निभानी ही पड़ेगी ना...हहहे...


फिर दोनो ने एक दूसरे को स्माइल दी...

सरिता- अपने मक़सद के नाम...

धर्मेश- ह्म्म...मक़सद के नाम...

कककचीईईररर्ररर्सस्स्स्स्स्स्सस्स.......

यहाँ धमेश ने सरिता की चुदाई शुरू कर दी....

आज सरिता दिल खोल के धर्मेश से चुदवा रही थी...

सरिता आज बहुत खुश थी और उसने धर्मेश के सामने अपनी गान्ड भी खोल दी...

सरिता- लो धर्मेश...इस खुशी के मौके पर मेरी गान्ड मार लो...

धर्मेश खुश हो गया और सरिता की गान्ड मारने मे जुट गया....

वहाँ शहर मे आकाश भी खुश था कि उसकी दीदी की शादी सेट होने वाली है...

वो भी खुश हो कर डेना की गान्ड मार रहा था...

और आज भी एक शक्स आकाश और डेना की चुदाई देख कर अपना प्लान बना रहा था.....

आज़ाद भी आज बहुत खुश था...और वो भी इस खुशी को किसी को चोद कर बढ़ाना चाहता था ...

उसने रात के लिए अली के साथ प्लान बनाया लिया था ..पर उसे अभी किसी को चोदना था...

पर आज राखी गाओं मे थी नही और रिचा भी आरती के साथ बिज़ी थी...

इसलिए आज़ाद ने तय किया कि आज वो अपने खेतो के रखवाले की बीवी को चोदेगा.....उसका नाम सलोनी था...

( सलोनी 32 साल की थी...और काटीले बदन की मालकिन थी...उसकी ** साल की बेटी भी थी..फिर भी वो जवान दिखती थी...

आज़ाद ने सलोनी को 5 महीने पहले ही पटाया था और उसके साथ-साथ उसकी बेटी सविता की सील भी तोड़ चुका था...

सविता ने एक बार सलोनी और आज़ाद को चुदाई करते हुए पकड़ लिया था...तो सलोनी ने अपनी बेटी को फुसला कर आज़ाद से चुदवा दिया था...जिससे उसका राज छिपा रहे...पर आज़ाद ने सविता को सिर्फ़ 2 बार ही चोदा था....)

आज़ाद अपने फार्म पर पहुचा तो वहाँ पता चल कि सलोनी अपने भाई के साथ अपने गाओं जा रही है...

आज़ाद- ये क्या...मैं आया और तुम लोग जा रहे हो...

सलोनी- मालिक..मेरी माँ की तवियत ठीक नही तो जाना पड़ेगा ना..

आज़ाद- ओह हो...कोई नही...ये कुछ पैसे रख लो...और जाओ....

सलोनी- जी मालिक..पर आप बैठिए तो ..मैं चाइ लाती हूँ...

आज़ाद- अरे नही...अब मैं चलता हूँ...वैसे भी मैं...चलो चलता हूँ...

सलोनी- अरे मालिक...आए है तो फसल तो देखते जाइए...मेरे पति खेतो मे है और हाँ...सविता भी है...वो आपको फसल दिखा देगी...

सलोनी ने आज़ाद को देख कर स्माइल कर दी ...

आज़ाद(मुस्कुरा कर)- ह्म्म..सविता फसल दिखाएगी तो ज़रूर देखुगा...कहाँ है वो...

सलोनी- आप चाइ पीजिए...फिर मैं ले कर आती हूँ....

थोड़ी देर बाद आज़ाद ने चाइ ख़त्म की और सलोनी , सविता को ले कर आ गई...

सविता को देख कर आज़ाद ने स्माइल दे दी और सविता शरमा गई....

फिर सलोनी अपने भाई के साथ निकल गई और सविता आज़ाद को ले कर खेतो मे आ गई...

सविता- मालिक...कहाँ चले...

आज़ाद(सविता को पास खीच कर)- तू जहाँ बोले...वही चलते है...

सविता ने एक फ्रोक पहनी हुई थी...आज़ाद ने सविता की फ्रोक को उपेर किया और उसजी गान्ड पर हाथ फिराने लगा...

आज़ाद- ह्म्म..बड़ी हो गई है...हाँ..

सविता- आहह...यहाँ नही...मालिक...कोई देख लेगा....

आज़ाद- तो क्या....मैं हूँ ना...तू फ़िक्र मत कर....

सविता- किसी ने देख लिया तो...फिर सब मुझे बदनाम कर देगे...और मेरी शादी नही होगी.....

आज़ाद- तू चिंता मत कर...तुझे मैं अपनी बीवी की तरह रखूँगा...जिंदगी भर...

सविता- सच मे...पर आप तो बड़े है ना...

आज़ाद- तो क्या हुआ...मेरी बन के रहेगी तो ऐश करेगी...बोल..बनेगी मेरी रखेल..

सविता ने मासूमियत से हाँ बोल दिया...और आज़ाद मुस्कुराते हुए उसके अंगो को मसल्ने लगा...

थोड़ी देर बाद किसी की आहट हुई और आज़ाद ने सविता को छोड़ दिया....सामने से सविता का बापू आ गया...

सविता का बापू- अरे मालिक आप...क्या हुकुम है....

आज़ाद- अरे कुछ नही...बस घूमने आ गया...उसी बहाने फसल भी देख लुगा...

सविता का बापू- चलिए मालिक...

आज़ाद- अरे...तुम थके हुए लग रहे हो...जाओ आराम करो...मैं सविता के साथ जाता हूँ...

सविता का बापू- जो हुकुम मालिक...(सविता को देख कर)- जाओ बिटिया मालिक को पूरी फसल दिखा देना....और ध्यान रखना...मालिक खुश हो जाए फसल देख कर...समझी.....

सविता- ह्म्म्म..

सविता के बापू को क्या पता था कि आज़ाद तो उसकी उगाई फसल को देखने जा रहा था....

यहाँ सविता भी मुस्कुराने लगी ये सोच कर...कि उसका बापू ही उसे अंजाने मे चुदने को भेज रहा है....और साथ ही कह रहा है कि मालिक को खुश रखना....


फिर आज़ाद , सविता के साथ खेतो मे निकल गया....

सविता- देखो मालिक...उस जगह चलते है...वहाँ से चारो तरफ देख सकते है....


सविता खेतो के बीच बने उँचे छज्जे की बात कर रही थी...जो उचाई पर होता है और वहाँ से पूरे खेतों पर नज़र रखी जा सकती थी...( लाइक आ ट्री हाउस)
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06-06-2017, 11:27 AM,
RE: चूतो का समुंदर
सविता उस छज्जे के पास आकर चढ़ने लगी...और आज़ाद के सामने सविता की गान्ड आ गई...

आज़ाद ने हाथ बढ़ा कर सविता की गान्ड पकड़ ली और सहलाना चालू कर दिया.....

सविता- आहह..मालिक...उपर चलिए ना...

आज़ाद- ह्म्म..चलते है...रुक तो...

आज़ाद काफ़ी देर से सविता की गान्ड दबा रहा था जिससे सविता भी गरम हो गई थी और अब उसकी चूत पानी बहाना शुरू कर चुकी थी....

सविता- आहह...मालिक..चलिए ना...

आज़ाद ने सविता की गान्ड छोड़ दी और सविता के साथ उपर चला आया...

उपर आते ही आज़ाद ने सविता को बाहों मे दबोच लिया...क्योकि अब वो भी गरम हो चुका था....

सविता- आओऊउककच्छ...अंदर चलो ना...

आज़ाद- चुप...आज यही चोदुन्गा...खुले आसमान के नीचे...

और आज़ाद ने सविता की फ्रोक को उपेर तक उठा लिया...सविता ब्रा नही पहनती थी..तो उसके कड़क बूब्स आज़ाद के सामने आ गये...

आज़ाद ने एक हाथ से सविता के बूब्स को पकड़ा और दूसरे हाथ से उसकी चूत को पैंटी के उपर से सहलाने लगा...

सविता भी गरम हो गई थी और उसने मुँह घुमा का आज़ाद के होंठो पर होंठ रख दिए...

सविता- उउंम्म..आहह...मालिक...ज़ोर से...उउउम्म्म्म...

आज़ाद- उम्म..सस्ररुउप्प्प..हा मेरी रानी...ये ले...उउंम्म....

सविता- उउंम..उउंम्म..आआहह...ऐसे ही मसलो मालिक...हम्म...


आज़ाद जोरो से सविता के बूब्स मसल रहा था और साथ मे उसकी चूत को सहलाए जा रहा था...

फिर आज़ाद ने अपना हाथ सविता की पैंटी मे डाल दिया और आज़ाद का हाथ चूत मे लगते ही सविता मचल उठी...

सविता- उउंम..मालिक...आअहह..आआहह...कुछ हो रहा है ....आऐईयईई...

आज़ाद ने फिर से सविता को किस करना शुरू कर दिया और साथ मे एक उंगली चूत की दरार ने रगड़ने लगा...

आज़ाद का दूसरा हाथ भी सविता के बूब्स मसल रहा था...

अब सविता पूरी गरम थी और आज़ाद भी चुदाई को रेडी था...

आज़ाद ने अपना हाथ सविता की पैंटी से निकाल लिया जो कि उसकी चूत के पानी से सना हुआ था...

आज़ाद ने उंगली को मुँह मे भरा और बोला...

आज़ाद- उउंम..तेरी चूत तो जायकेदार है...

सविता(शरमा कर)- ये क्यो चखा मालिक...ये गान्ड है..

आज़ाद- अरे गान्ड नही मेरी रानी...असली माल यही है..ले तू भी चख ले...

आज़ाद ने अपनी एक उंगली सविता के मुँह मे डाल दी...

सविता- उउंम..इसमे क्या खास है मालिक...

आज़ाद- ह्म्म्म..तू मेरा पानी पीना...वो तुझे मस्त लगेगा...

सविता - ह्म..

आज़ाद- अब चल मेरे लंड को चिकना कर दे...फिर तेरी चूत मारता हूँ...

सविता- यहाँ...बापू आ गया तो...???

आज़ाद- मैं हूँ ना..तू शुरू हो जा...

सविता आज़ाद की बात मानकर घुटनो पर आ गई और आज़ाद का पेंट नीचे कर के लंड को मुँह मे भर लिया..

सविता- सस्ररुउउप्प...सस्स्ररुउप्प्प...सस्स्रररुउप्प्प...सस्रररुउउप्प्प...

आज़ाद- आअहह...ऐसे ही मेरी रानी...ज़ोर से....

सविता- सस्र्र्ररुउउप्प...सस्ररुउपप...उउंम..उउंम..उउंम..उउंम्म..

आज़ाद- और तेज...आअहह...ज़ोर से....हा...आहह..

सविता पूरी स्पीड से मुँह आगे- पीछे करके आज़ाद का लंड चूस रही थी...

आज़ाद ने झुक कर सविता की फ्रोंक को निकाल दिया और फिर से लंड सविता के मुँह मे भर दिया..

सविता- उउंम..उउंम..उउंम..उउंम..आहह..उउंम्म....उउंम...

आज़ाद- हाँ...ऐसे ही...ज़ोर से...तुझे तो अपनी रखेल बनाउन्गा....ज़ोर से चूस....

सविता- उउंम..सस्ररुउप्प्प...सस्रररुउपप...उउंम.उउंम..उउंम..उउंम..

सविता सिर्फ़ पैंटी पहने हुए आज़ाद का लंड चूस रही थी....

चूत की गर्मी मे उसे ये होश भी नही रहा कि वो इतनी उचाई पर ..खुले मे है....उसका बाप भी देख सकता है...

सविता- उउंम..उउंम..उउंम..उउंम..उउंम...

आज़ाद- हाँ मेरी रंडी...गले मे भर ले...चूस...ज़ोर से....ज़ोर से....


थोड़ी देर बाद आज़ाद का लंड सविता के थूक से तर-बतर हो गया और चूत माँगने लगा....

आज़ाद ने सविता को खड़ा किया और कुतिया बनने को बोला....

सविता- मालिक..यहाँ...बापू आ गया तो...??

आज़ाद- तो क्या ..तुझे मेरी रखेल बनना है ना....

सविता- ह्म्म..(मासूमियत मे हाँ बोल दिया)

आज़ाद- तो फिर नंगी होकर कुतिया बन जा...

सविता ने आज़ाद की बात मान ली और नगी होकर कुतिया बन गई...

जैसे ही सविता ने गान्ड उपेर उठाई तो आज़ाद के मुँह मे पानी आ गया...

और आज़ाद ने सविता के दोनो तरफ पैर डाले और लंड को चूत पर सेट किया....

सविता- मालिक...जल्दी करो कही बापू आ गया तूऊऊऊऊऊओ........

सविता की बात ख़त्म होने से पहले ही आज़ाद ने धक्का मारा और आधा लंड अंदर...


सविता- आअहह....म्म्म्मा आअ......

आज़ाद ने दूसरे धक्के मे पूरा लंड डाल दिया...और धीरे-धीरे चोदने लगा.

सविता- आहह....आराम से मालिक...ऊहह....ऊओह....

आज़ाद- मज़ा आया.....

सविता- उम्म्म...ऐसे ही..मालिक...जल्दी करो...आअहह...

आज़ाद ने थोड़ी देर आराम से चोदने के बाद अपनी स्पीड बढ़ा दी....

सविता- आहह..आहह..आअहह...ज़ोर से...आहह...ज़ोर से मालिक ...

आज़ाद- अब मज़ा आया...हाँ .....ये ले...ये ले....यह...यहह...

सविता- आहह..आहह..ज्ज्ज्जोर्र..ससी...आअहह..आहह..आहह ....

आज़ाद- हाँ...ये ले...यह....तुझे तो जिंदगी भर चोदुन्गा...यह..

सविता- आहह...हाँ ..मालिक...हाँ..ज़ोर से...ज़ोर सीए...आअहह...आहह...

करीब 5-6 मिनट बाद ही सविता सिसकते हुए झड़ने लगी...

सविता- आहह...मालिक...आहह...आअहह..माँ...ओह्ह्ह...मेरा पानी...आअहह


सविता के झड़ने के बाद भी आज़ाद उसे चोदता रहा....जब तक की सविता थक कर पसर नही गई...

फिर आज़ाद ने लंड निकाला और सविता को नीचे आने को कहा....

सविता- मालिक..अंदर चलो ना...बापू आ गया तो...

आज़ाद- नही...आज तुझे खुले मे ही छोड़ुगा...चल आ जा.. 

फिर दोनो नीचे आ गये और आज़ाद ने सविता को गोद मे पकड़ा और लंड डाल के चोदने लगा....
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06-06-2017, 11:27 AM,
RE: चूतो का समुंदर
सविता- आहह...उउंम..मालिक...आहह...अच्छा लग रहा..उउंम...

आज़ाद- ह्म..मेरी रंडी...तुझे जीवन भर मज़े कराउन्गा....

सविता- ह्म्म..ऐसे ही करो मालिक...

आज़ाद- तुझे लंड पसंद है ना...

सविता- ह्म्म्मड...बहुत...आहह. .

फिर सविता दोबारा गरम हो गई और अपनी गान्ड उछालने लगी...

सविता- आहह...मालिक...ज़ोर से...आहह..आहह..

आज़ाद- ह्म्म..ये ले मेरी रानी...ज़ोर से..यईएहह...

थोड़ी देर बाद आज़ाद ने सविता को नीचे लिटा दिया और उसकी टांगे फैला कर लंड डाल दिया ...सविता की गान्ड हवा मे लटक गई और आज़ाद जोरो से चुदाई करने लगा....

सविता- आहह ...आहह...आहह ....आहह...

आज़ाद- अब मुझे मज़ा आया...ऐसे ही फाडुन्गा तेरी...यहह...

सविता- ऊहह..माआ...हाअ...ज़ोर से...आहह...

आज़ाद- येह्ह्ह...आज तुझे लंड रस चखाउन्गा हू....

सविता- हाँ मालिक....हाँ...आहह..आहह...आहह...

थोड़ी देर की दमदार चुदाई मे सविता फिर से झड़ने लगी...

सविता- ओह्ह..माँ...माईंन..आहह...मेरा...आअहह..आअहह...

सविता के झाड़ते ही आज़ाद ने चुदाई बंद कर दी और सविता के सामने खड़ा हो गया...

सविता ने लंड को पकड़ा और हिला कर चूसने लगी...

आज़ाद- हाँ मेरी रानी..ज़ोर से...रस आने वाला है ....हाअ...

सविता- उऊँ..उउंम..उउंम्म..उउंम्म..

थोड़ी देर बाद ही आज़ाद सविता के मुँह मे झड़ने लगा और सविता लंड रस को गटाकने लगी...

जब आज़ाद झाड़ चुका तो सविता ने लंड चाट सॉफ कर दिया...

आज़ाद- कैसा लगा मेरा रस...

सविता- उम्म..अच्छा है मालिक...

आज़ाद- अब जिंदगी भर पिलाउन्गा...

सविता- ह्म..

फिर दोनो ने कपड़े पहने और सविता को उसके बाप के पास छोड़ कर आज़ाद घर की तरफ निकल आया....

रास्ते मे आज़ाद को उसका एक दोस्त मिल गया...जो पास के गाओं मे रहता था...

दोस्त- अरे आज़ाद...कैसा है यार...

आज़ाद- मस्त हूँ यार...तू बता ...यहाँ कैसे...??

दोस्त- बस एक काम से आया था...

आज़ाद- ह्म्म..हो गया काम..

दोस्त- हाँ...और तुझे देख कर कुछ याद भी आ गया...

आज़ाद- अच्छा...क्या..??

दोस्त- भाई...तेरे बेटे के लिए एक रिश्ता है...

आज़ाद- क्या...आकाश के लिए...किसका...??

दोस्त- अरे मेरे दोस्त है...तुम्हारी ही बिरादरी के...उनकी बच्ची बड़ी ही सुंदर और सुशील है...बस उसी के लिए बात करनी थी...

आज़ाद- ये तो बड़ी अच्छी बात है...पर अभी मेरी बेटी की शादी होनी है पहले...

दोस्त- इसी लिए तो मैने उन्हे आने को मना किया था...पर तू मिल गया तो बता दिया..

आज़ाद- ह्म्म..तो उनका क्या कहना है..

दोस्त- तू पहले बिटिया की शादी कर...फिर उन्हे भेज दूँगा...वो इंतजार करने को तैयार है...

आज़ाद-वाह...फिर तो ठीक है...तू ले आना...पर बेटी की शादी पर...

दोस्त- हाँ बिल्कुल...चल अब चलता हूँ...

आज़ाद- घर तो चल पहले..

दोस्त- आज नही...फिर आउन्गा..

आज़ाद- ठीक है...चल फिर..

आज़ाद का दोस्त निकल गया और आज़ाद भी खुशी-खुशी घर आ गया.....

यहाँ सरिता की चुदाई करके धर्मेश अपने घर आ गया...और सरिता की बातों के बारे मे सोचने लगा...

धर्मेश को सरिता पर डाउट तो हो रहा था ..फिर भी कही ना कही उसने सरिता का साथ देना ही ठीक समझा...

क्योकि वो जानता था कि सरिता के ज़रिए उसे अपनी मंज़िल जल्दी हासिल होगी...अगर सरिता आकाश को चुदाई के लिए मना लेगी तो आकाश , धर्मेश की मोम और दीदी को भी छोड़ लेगा..और धर्मेश का रास्ता खुल जाएगा...

धर्मेश का इरादा आकाश या उसकी फॅमिली को कोई भी नुकसान पहुचना नही था...

वो तो बस अपनी माँ और दीदी का दीवाना था....

पर दूसरी तरफ सरिता सिर्फ़ यही सोच रही थी कि आकाश ने उसका अपमान किया और इसी लिए उसने ऐसा प्लान बना रखा था जो ना सिर्फ़ आकाश को बल्कि उसकी पूरी फॅमिली को गहरी चोट देगा.....
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