Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-07-2017, 11:43 AM,
RE: चूतो का समुंदर
आकाश को देखते ही धर्मेश और अली उसके पास आ गये...

आकाश- माँ को क्या हुआ धर्मेश...

धर्मेश ने अपनी नज़रे अली की तरफ कर ली...

आकाश- बोल ना साले...क्या हुआ माँ को...

धर्मेश फिर से चुप रहा और अली को देखता रहा....धर्मेश की चुप्पी ने आकाश का गुस्सा बढ़ा दिया और वो धर्मेश की कॉलर पकड़ कर बोला...

आकाश- साले...कब से पूछ रहा हूँ...बोलता क्यो नही...क्या हुआ माँ को....

तभी अली आगे आया और आकाश को पकड़ कर दूर हट गया...

अली- रूको बेटा...सब्र रखो...

आकाश- देखो ना अंकल...मैं कब्से पूछ रहा हूँ और ये...

अली- बस बेटा...शांत रहो...मैं बताता हूँ ना....

आकाश- ह्म्म..कहाँ है माँ..क्या हुआ उन्हे....

अली- देखो बेटा...वो तुम्हारी माँ...वो कल...

आकाश- कल क्या...क्या हुआ था...

अली- बेटा...तुम्हारी माँ इस दुनिया मे नही रही...

आकाश(चिल्ला कर)- न्न् मानणन्नाआआहहिईीईईईईईई.......ये नही हो सकता...ये नही हो सकता...

अली(आकाश को पकड़े हुए)- सम्भालो अपने आप को...बेटा....शांत हो जाओ...बेटा..बेटा...

आकाश अली के हाथो मे बेहोश हो गया...


अली- धर्मेश पानी लाओ...जल्दी...आकाश...आकाश...

आकाश की आवाज़ सुनकर सब लोग घर के बाहर आ गये...धर्मेश ने आकाश के मुँह पर पानी छिड़का...और आकाश के होश मे आते ही..ज़ोर से रोने लगा...

अली आकाश को संभाल रहा था पर आकाश बेसूध सा हो कर रोए जा रहा था....

तभी आज़ाद बोला..

आज़ाद- अब रोता क्यो है...ये सब तेरी वजह से ही हुआ...

अली- बस आज़ाद...चुप रहो...ये इन सब बातों का टाइम नही...

आज़ाद चुप हो गया..और आकाश अपनी माँ के पास अंदर जाने लगा...

आकाश- माँ...मैं आ गया..माँ..मैं..

आकाश अंदर की तरफ जाना चाह रहा था पर अली ने उसे पकड़े रखा..तभी आज़ाद फिर से बोला...

आज़ाद- अब अंदर किस लिए जा रहा है...वो तो बेचारी जल कर खाक हो गई होगी ...

आकाश को फिर से झटका लगा...उसकी माँ का अंतिम संस्कार भी हो गया..और उसे पता भी नही चला...

लेकिन इस बार आकाश रोने के साथ गुस्से मे भी था....

अली- बेटा ..मैं समझता हूँ...

आकाश(बीच मे)- नही अंकल...मुझे माँ के पास जाना है...मैं अपनी माँ से मिलने जा रहा हूँ....

आकाश लड़खड़ाते हुए संभला और शमशान की तरफ जाने लगा...आकाश के पीछे अली और धर्मेश भी चले गये....

शमशान मे रुक्मणी जल कर पाँच तत्वो मे विलीन हो चुकी थी...

चिता मे हल्की-2 आग थी...आकाश अपनी माँ की चिता देखते ही सन्न रह गया...

आकाश चिता के पास गया ...और घुटनो पर बैठ गया...

आकाश- देखो माँ...मैं आ गया...तुम्हारा बदनसीब बेटा....सबसे बुरा बेटा...

अली- नही बेटा..माँ के लिए उसका बेटा कभी बुरा नही होता....

आकाश- देखो ना अंकल...मैं अपनी माँ की अंतिम यात्रा मे भी नही आ सका तो मैं बदनसीब ही हुआ ना....

अली- ऐसा मत बोल बेटा...तुम्हारी माँ की आत्मा को दुख पहुचेगा...

थोड़ी देर तक आकाश रोता-बिलखता रहा और धमेश, अली उसे समझाते रहे...

फिर आकाश संभला और चिता की परिक्रमा करके माँ की चिता की राख उठाई और माथे पर लगा कर फिर से रोने लगा....

आकाश करीब 3-4 घंटे अपनी माँ की चिता के पास बैठा रोता रहा...

फिर वो संभला और उठके अपने मन मे बोला....

आकाश(मन मे)-तेरी कसम ख़ाता हूँ माँ...जिसकी वजह से मेरी माँ नही रही...उसे मैं जान से मार दूँगा...तभी तेरी आत्मा को शान्ती मिलेगी....


और फिर आकाश, आज़ाद के पास पहुचा...

आकाश- पापा...ऐसा क्यो किया आपने....

आज़ाद- तू जा यहाँ से ..मुझे कोई बात नही करनी तुझसे....

आकाश(गुस्से मे )- आपने ऐसा क्यो किया...

आज़ाद- बोला ना...निकल जा यहाँ से...

आकाश(चिल्ला कर)- आपने ऐसा किया क्यू...

आकाश की आवाज़ सुनकर फिर से सब उनके पास आ गये...

आज़ाद- चिल्ला मत...

आकाश- आपने मुझे मेरी माँ के अंतिम दर्शन भी नही करने दिए...क्यो...

आज़ाद- क्योकि तू इस लायक नही है...

आकाश- आप भी मुझे ग़लत मानते है...

आज़ाद- हाँ...मानता हूँ...और इसलिए अब तू मर गया मेरे लिए...चला जा यहाँ से....

आकाश- जा रहा हूँ...और हाँ...कल आपने कसम दी थी ना कि मैं इस घर मे कदम ना रखू...आज मैं कसम ख़ाता हूँ कि आज के बाद मैं इस घर मे कदम नही रखुगा....

आकाश गुस्से मे वहाँ से जाने लगा...अली आमिर और धर्मेश ने उसे रोकने की कोशिश की पर सब बेकार रहा....

आकाश सबसे रिश्ता तोड़कर शहर चला गया......और जाते-जाते धर्मेश को घर का ख्याल रखने का बोल गया.....

आकाश के जाने के बाद भी गाओं वालो ने सरिता का बलात्कार करने के ज़ुर्म मे आकाश को गाओं मे वापिस ना घुसने की सज़ा सुना दी...

अब आज़ाद चाहकर भी आकाश को नही बुला सकता था......

आकाश शहर चला गया...आज़ाद ने भी गुस्से मे उसे नही रोका....आरती, आकृति और अरविंद भी अपने भाई को रोकने नही आए.....
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06-07-2017, 11:43 AM,
RE: चूतो का समुंदर
आकाश सहर जाकर टूट सा गया था...वो अपनी माँ की मौत से दुखी था...और आख़िरी बार ना मिल पाने की वजह से अपने आपको गुनहगार समझ रहा था.....

ऐसे बुरे वक़्त मे आकाश को उसके प्यार का सहारा मिला...

टाइम अपनी गति से गुज़रता रहा और टाइम गुज़रते हुए 4 महीने निकल गये....

अब आकाश थोड़ा नॉर्मल था..पर अभी भी सरिता से बदला लेने के बारे मे सोचता रहता था...

अली और धर्मेश लगातार आकाश के कॉंटॅक्ट मे थे....दोनो ने ये भी देखा कि आकाश अपनी प्रेमिका के साथ सम्भल चुका है....वो प्रेमिका अलका थी....

आकाश और अलका का प्यार देख कर अली ने उनकी शादी करने का सोच लिया...वो जानता था कि शादी हो जाने से आकाश अपने पुराने दुखो को भूल कर नई जिंदगी मे बिज़ी हो जायगा...और यही उसके लिए सही रहेगा....

यहाँ गाओं मे आज़ाद भी दुख से उबर चुका था पर अब उसे आकाश की कमी खलने लगी थी...

गुस्सा दूर होते ही...उसे भी यही लगने लगा कि उसका बेटा ग़लत नही कर सकता...पर मदन की वजह से वो सरिता से कुछ नही बोल सकता था...इसलिए चुप रहा....

आज़ाद की लाइफ काम और चुदाई मे बिज़ी रहती थी....

आकृति अपने पति के घर पर चली गई थी...पर आरती और अरविंद की खातिर वो दोनो गाओं मे ही रहने लगे और सुभाष , आज़ाद के साथ फॅक्टरी का काम देखने लगा....

आरती भी अपनी माँ और भाई के चले जाने से दुखी थी...वो भी अपने भाई को निर्दोष मानती थी...पर अपने मन की बात अपने पापा से नही कह पाती थी...

धर्मेश भी आज़ाद की फॅक्टरी मे काम करने लगा और अपने दोस्त के परिवार का ख्याल रखने लगा...साथ ही साथ अब उसने चुदाई करना छोड़ दिया था...बिल्कुल सरीफ़ हो गया था....

आमिर का पूरा ध्यान आरती को खुश रखने पर था...दोनो स्कूल मे साथ रहते और मस्ती करते...जिससे आरती सारे दुख भूल कर लाइफ को एंजोई करती ...

रिचा की लाइफ भी स्कूल और आज़ाद से चुदाई करवा कर निकल रही थी...

एक दिन रिचा ने अपनी शादी करने की बात की तो आज़ाद भड़क गया और उसे काफ़ी जलील किया....पर रिचा कुछ नही कर सकती थी...चुप रही और चुदाई करवाती रही....

अरविंद भी आकाश को याद करता था..पर अपने पापा की वजह से चुपचाप अपनी लाइफ जी रहा था......

ऐसे ही वक़्त गुज़रते हुए रुक्मणी की मौत को 6-7 महीने निकल गये और फिर अली ने आकाश की शादी की बात अलका के घरवालो से चला दी....

अली ने आज़ाद को इस शादी के लिए मना लिया था...पर गाओं वालो को पता ना चले इसलिए आज़ाद शहर नही गया और अली के ज़रिए आकाश को शादी की रज़ामंदी दे दी....

आज़ाद बहुत खुश था की आकाश की शादी ही रही है पर वो ये भी जानता था कि आकाश पर बलात्कार करने का आरोप लगा है और इस टाइम उसकी शादी मे शामिल हुआ तो गाओं वाले उसके खिलाफ हो जायगे...

आज़ाद ना ही आकाश की शादी मे गया और ना ही परिवार मे से किसी को जाने दिया..

आज़ाद ने अली को एक खत लिख कर दिया...जो आकाश के लिए था...

उस खत के मध्यम से आज़ाद ने अपनी खुशी ज़ाहिर की और आकाश को आशीर्वाद भी पहुचा दिया...

आकाश ने भुजे मन से शादी कर ली...उसकी शादी मे धर्मेश की फॅमिली और अली की फॅमिली समिल हुई...

शादी के बाद भी आकाश ने अपनी पढ़ाई चालू रखी.....

टाइम निकलता गया और आकाश फिर से खुश रहने लगा..पर अभी भी वो बदले के बारे मे भूला नही था...

फिर आकाश के घर एक बेटा पैदा हुआ...जिससे उसकी लाइफ मे और भी खुशियाँ आ गई....

आज़ाद को जब ये खबर मिली तो वो आकाश से मिलने पहुच गया...पर सिर्फ़ अपने पोते से मिलकर वापिस आ गया...किसी से कोई बात नही की...

आकाश अपने पिता के आने से खुश था..पर बात ना करने से वो दुखी भी हुआ....

आरती , आकृति और अरविंद भी अपने भाई के लिए खुश थे...पर वो भी मजबूर थे और कोई भी आकाश से मिलने नही गया....

आरती एक खास मौके का वेट कर रही थी...उसे बहुत कुछ बताना था अपने भाई को...कुछ ऐसा जो अभी तक सिर्फ़ उसके परिवार वाले और धर्मेश ही जानता था....
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06-07-2017, 11:43 AM,
RE: चूतो का समुंदर
कुछ टाइम और निकल गया...तभी आकृति ने खूसखबरी दी....वो माँ बन गई थी...


शादी के बाद काफ़ी इंतज़ार के बाद वो माँ बनी थी...कुछ मेडिकल इश्यू हो गये थे....

ये बात भी आकाश को अली ने बताई थी....और साथ मे आकाश को समझा दिया कि अभी गाओं ना आए...सही टाइम आने दो..फिर आना..

आकाश ने अपनी बहिन के लिए गिफ्ट भेज दिए.....

सुभाष भी आकृति से शादी करने के बाद सुधर गया था और सरिता से दूर रहता था...

सुभाष समझ चुका था कि सरिता ने आकाश को क्यो फसाया...और अब सरिता आकृति का ईस्तमाल कर के आज़ाद को चोट देना चाह रही थी. .

इसी बीच सरिता की करीबी आकृति से बढ़ने लगी थी...पर सुभाष आकृति को कुछ नही बता पा रहा था कि सरिता कैसी है.....

सुभाष ने सब कुछ टाइम पर छोड़ दिया कि सही टाइम पर वो आकृति को सरिता का सच बता देगा...जब तक वो सरिता पर नज़र रखेगा कि वो आकृति के साथ कुछ ग़लत ना कर सके....

रुक्मणी की मौत को 2 साल निकल गये थे....

लेकिन आकाश अभी भी बदला लेने की सोच मे था...इसलिए अलका ने आकाश को कहीं दूर ले जाने का फ़ैसला किया....

अलका ने अली से इस बारे मे बात की...अली ने भी यही ठीक समझा..

अलका के घर वालो ने भी अलका का साथ दिया...

अलका ने फिर आकाश को अपने बेटे की कसम देकर चलने को मजबूर कर दिया....

आकाश एक नये सहर मे चला आया...वहाँ उसने पैसे लगा कर छोटा सा बिज़्नेस स्टार्ट कर दिया...

आकाश ने मनोज और उसकी बहिन को भी अपने साथ रखा...

अब आकाश अली और धर्मेश की पहुच से भी दूर रहने लगा था...ये सब करके अलका को दुख तो हुआ पर उसे यही सही लगा.....नही तो आकाश सरिता के साथ कुछ भी कर सकता था....

आकाश अपने गाओं से अंजान अपने काम और अपनी फॅमिली मे बिज़ी था..और खुश भी था...

पर उसकी खुशी को फिर किसी की नज़र लग गई....

नये सहर मे आने के करीब एक साल बाद उसे अपने गाओं का एक इंसान मिला...

जिसने आकाश को पहचान लिया और आकाश को उसकी फॅमिली के बारे मे बता दिया...

आकाश ने सबके हाल चल पूछे पर आरती के बारे मे सुनते ही उसके चेहरे पर गुस्सा आ गया...

अब वो अपने आप को रोक नही पाया...वो गुस्से मे घर गया और अपनी पिस्टल ले कर गाओं निकल गया...

अलका उस समय पड़ोसी के साथ मार्केट गई हुई थी....

आकाश ने अलका को बिना बताए गाओं जाने का फ़ैसला किया....

गाओं आते ही आकाश का सामना आज़ाद से हुआ...पर उसने उससे कोई बात नही की...

आकाश सीधा धर्मेश के घर पहुच गया....

जहा पर धर्मेश और आरती मौजूद थे.....

आकाश के कदम रखते ही धर्मेश के चेहरे का रंग उड़ गया....

आरती(चौुक्ते हुए)- भैया आप....

आकाश की आँखे गुस्से मे लाल हो रही थी...उसने आरती की बात को सुना भी नही....

आकाश को देखते ही धर्मेश समझ गया कि आकाश गुस्सा क्यो है...और धर्मेश , आकाश से बात करने को आगे आया....

धर्मेश के आगे आते ही आकाश ने उसे एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया....

आकाश(गुस्से मे)- साले...आस्तीन के साप...

और फिर आकाश ने धर्मेश को एक के बाद एक थप्पड़ मारना चालू रखा और गालियाँ बकता रहा... और मारते - मारते उसे अंदर रूम मे ले गया.....

आरती पीछे से जा कर आकाश को रोकने लगी पर आकाश ने उसे भी धक्का दे कर पीछे कर दिया और धर्मेश को मारने लगा...

धर्मेश कुछ कहना चाहता था पर उसे आकाश की मार से कोई मौका नही मिल रहा था...

तभी आरती पीछे से आई और पूरी ताक़त के साथ आकाश को धकेल दिया और धर्मेश के सीने से चिपक गई....


आरती(गुस्से मे)- बस भैया...अब एक भी हाथ मत उठाना मेरे पति पर...नही तो मैं भूल जाउन्गी कि आप मेरे भाई हो....

आकाश- मर गया तेरा भाई....उसी दिन जिस दिन तूने इस इंसान से शादी कर ली...साला कमीना...

आरती- बस...एक शब्द नही ....ये मेरे पति है..मेरी बच्ची के पिता...मैं इनके बारे मे कुछ भी नही सुनना चाहती.....

आकाश- क्या कहा...बेटी....तूने ..मुझे बताए बिना शादी भी कर ली और बेटी....

आरती- हाँ..बेटी...मैने सोचा था कि आप मेरी शादी से खुश होगे पर आप तो मेरे पति को मारने ही आ गये...

आकाश- तुम जानती नही ..ये कितना कमीना है...ग़लती की तुमने...

आरती- सब जानती हूँ...अगर ये कमीने है तो आप भी हो...और आपने तो एक औरत का रेप भी किया है...बलात्कारी हो आप....

आकाश- ये ग़लत है....मैने कुछ नही किया...मैं आज इसे नही छोड़ुगा...

आकाश फिर से धर्मेश को मारने बढ़ा पर आरती ने फिर से आकाश को धकेल दिया...

आरती- बस...जाइए यहाँ से....क्यो आए यहाँ...मेरी जिंदगी खराब करने....

आकाश- नही...तुम्हे समझाने...ये इंसान सही नही...

आरती- ग़लत आप हो...और किस हक़ से आप इन्हे मार रहे हो...

आकाश- तेरे भाई के हक़ से...

आरती- अगर ऐसा है तो जाओ...मेरे लिए मर गया मेरा भाई...

अपनी प्यारी बेहन के मुँह से अपने बारे मे ऐसा सुन का आकाश की आँखो मे आँसू आ गये और वो वहाँ से आने लगा...धर्मेश उसे रोकने को बढ़ा तो आरती ने धर्मेश को रोक लिया...और बोली...

आरती- जाने दो इसे...जो भाई अपनी बेहन के प्यार को ग़लती समझता है...उससे मुझे कुछ मतलब नही...मर गया मेरा भाई...

अब आकाश आँसू बहता बाहर निकल गया..और गाओं से बाहर आ गया...
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06-07-2017, 11:43 AM,
RE: चूतो का समुंदर
धर्मेश को पता था कि आकाश उसे दगाबाज समझ रहा है...उसे आरती के साथ शाडर्र की बात बता देनी चाहिए थी...पर आरती ने मना कर दिया था.....

आकाश गाओं से बाहर आकर रोने लगा और सोचने लगा...

आकाश(मन मे)- ये क्या हो गया...मेरे सबसे खास दोस्त और मेरी लाडली बहिन..दोनो ने मुझे धोखा दिया...एक बार मुझे बता तो देते...

मुझे गुस्सा आता..पर शायद उन्हे समझ पाता...पर धोखा क्यो...

काफ़ी देर रोने के बाद जब आकाश का गुस्सा दूर हुआ तो वो आरती के बारे मे सोचने लगा....

आरती इस शादी से खुश थी और अब तो वो माँ भी बन गई...और आरती की ग़लती भी नही...

मैं खुद सबसे दूर रहा तो ग़लती मेरी भी है...

मैं अपनी बेहन से माफी माँगकर ही जाउन्गा....

और आकाश फिर से धर्मेश के घर पहुच गया.....

पर इस समय धमेश के घर के बाहर एक कार भी खड़ी थी...

आकाश आराम से धर्मेश के अंदर घुसा....

दूसरी तरफ आज़ाद को जैसे ही पता चला कि आकाश धर्मेश के घर आया है...तो वो समझ गया कि आकाश गुस्से मे होगा...इसलिए आज़ाद और अरविंद भी धर्मेश के घर निकल आए....

जैसे ही आज़ाद धर्मेश के घर के बाहर पहुचा तो उसे एक गोली चलने की आवाज़ आई...साथ मे एक चीख भी सुनाई दी...

आज़ाद ये आवाज़े सुनकर वही ठिठक का खड़ा हो गया....

इससे पहले की आज़ाद कुछ कर पाता...आरती दौड़ते हुए घर से बाहर आ गई...

आरती के हाथ मे पिस्टल थी और वो घबराई हुई थी...

आरती के पीछे-2 आकाश भी आ गया...उसके हाथ मे भी पिस्टल थी...

आरती- दूर रहो...नही तो मैं...दूर हटो...

आकाश- मेरी बात तो सुन...

आरती- मेरे पति को मार दिया...मेरी जिंदगी उजाड़ दी....अब मुझे भी..डोर हटो...

आकाश- मैं...मैने..क्या बक रही है...

आज़ाद ये सब देख कर शॉक्ड था और अब आवाज़ सुनकर आस-पास के लोग भी आ गये....

आरती- तुमने मेरी जिंदगी उजाड़ दी...अब मैं जी कर क्या करूँगी...

आज़ाद- आरती...आकाश..ये सब क्या है...???

आकाश- पापा..मुझे...

आरती(बीच मे)- इसने मेरे पति को मार डाला....

आरती रोने लगी और उसकी बात सुनकर सब शॉक्ड हो गये....

कोई कुछ बोलता...उसके पहले ही आरती आकाश के पास गई और अपनी ही कनपटी पर पिस्टल रख ली...

ये नज़ारा देख कर फिर से सब शोक्ड हो गये और डर गये...

पर कोई कुछ कर या कह पाता उसके पहले ही आरती ने आकाश को कुछ बोला और गोली चला दी...

गोली चलते ही आरती की लाश नीचे पड़ी थी...आकाश, आज़ाद और बाकी सब आँखे फाड़ कर रह गये...

आरती चली गई और कोई कुछ नही कर पाया...

आज़ाद अपना सिर पीटने लगा...आकाश रोते हुए घुटनो पर बैठ गया...और गाओं के कुछ लोग धर्मेश के घर के अंदर चले गये...

घर के अंदर धर्मेश और सुभाष की लाश भी पड़ी थी...और साथ मे सरिता की लाश भी पड़ी हुई थी....

मदन भी वहाँ आ गया..और सरिता की लाश देख कर वो भी टूट गया...

फिर गाओं वाले इकट्ठा हो गये....और सबने आकाश को कसूरवार ठहराया...

आज के दिन आज़ाद का परिवार टूट चुका था...

आज़ाद के दो जमाई और एक बेटी की लाश पड़ी थी...और उसका बेटा हाथ मे पिस्टल लिए रो रहा था...
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06-07-2017, 11:44 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अब आगे..........

बॅक टू प्रेज़ेंट.....

ये क्या...मेरे डॅड ने...अपनी सग़ी बेहन को भी...ओह माइ गॉड...क्यों...

मैं अपने डॅड की कहानी पढ़ कर दुखी हो रहा था...पर इस कहानी का अंत पढ़ कर तो मेरा माइंड ही सनक गया...

मेरे डॅड ने अपनी छोटी बेहन और दोनो बहनोई को मार दिया....

चलो सरिता को मारा वो ठीक किया...वो इसी लायक थी...पर...अपने सगो को मार दिया...उन्होने क्या किया था....

माना आरती बुआ की ग़लती थी कि उन्होने डॅड को बिना बताए धर्मेश से शादी कर ली...और फिर माँ बनने के बाद भी उन्हे नही बताया...

पर ये ग़लती इतनी बड़ी भी नही थी कि उन्हे मार दिया जाए.. 

और धर्मेश ...डॅड ने यही सोचा होगा कि उनके सबसे खास दोस्त ने उन्हे धोखा दिया...उनकी बेहन को फसा लिया...पर एक बार उनकी बात सुननी चाहिए थी डॅड को...

और सुभाष फूफा जी...उनकी क्या ग़लती थी...क्या उन्हे सरिता का साथ देने की सज़ा मिली....

इस टाइम मेरे माइंड मे ये सारी बातें घूम रही थी...मैं तय नही कर पा रहा था कि डॅड ने सही किया या ग़लत...

मैने सोचा कि डॅड ने सरिता के साथ तो सही किया बट आरती, धर्मेश और सुभाष के साथ ग़लत किया...डॅड को उनसे बात करनी चाहिए थी...उनकी बात सुननी चाहिए थी....

फिर मुझे अपनी दादी का ख्याल आया...उनकी मौत का दुख मेरी आँखो से आँसू बन कर निकल रहा था. .

मेरी दादी की मौत भले ही आत्महत्या थी पर उसकी असली गुनहगार सरिता थी...पर मेरे दादाजी और गाओं वालो ने मेरे डॅड पर इल्ज़ाम डाल दिया....

मेरे दादाजी के साथ मेरे चाचा और बुआ ने भी डॅड को ही दोषी माना...जिससे डॅड टूट गये थे....

लेकिन फिर भी डॅड ने ग़लत किया...उन्हे किसी को मारना नही चाहिए था...कम से कम अपनो को तो नही....

ये सारी बातें मेरे माइंड को फाड़ डालने लगी...और मुझे लगने लगा कि अभी मेरा सिर फट जायगा....

मैं उठा और जल्दी से एक पेग बनाया और एक ही साँस मे गटक गया ..फिर दूसरा पेग भी ऐसे ही गटक लिया और तीसरा पेग बना कर रूम मे घूमने लगा....

मैं तो घूम ही रहा था पर साथ-साथ मेरा माइंड भी घूम रहा था....

ऐसे ही घूमते हुए मैने तीसरा पेग भी ख़त्म कर लिया...फिर थोड़ी देर बाद ड्रिंक के सुरूर से मेरा माइंड हल्का होने लगा....

फिर मैं बेड पर बैठ गया और फिर से अपने डॅड के बारे मे सोचने लगा....


काफ़ी देर सोचने के बाद मैने डिसाइड किया कि सबसे पहले मुझे डॅड से पूरा सच जानना होगा....

उस दिन असल मे हुआ क्या था....और उसके बाद ही मैं जान पाउन्गा कि डॅड सही थे या ग़लत ....

इस पूरी कहानी को पढ़ कर मुझे सिर्फ़ अपनी दादी और आरती बुआ के लिए दुख था...

धर्मेश को इसलिए ग़लत मानता था कि वो डॅड का खास दोस्त था...उसे आरती बुआ से शादी करने से पहले डॅड को बोलना चाहिए था....

मेरा कोई फ्रेंड भी मेरे साथ ऐसा करता तो मैं भी गुस्सा होता उससे...

सुभाष फूफा जी की ये ग़लती थी कि उन्होने सब जान कर भी सरिता के बारे मे किसी को नही बताया और अंत तक सरिता का साथ देते रहे....

और सरिता...उसे अगर डॅड नही मरते तो मैं मार डालता....उसकी वजह से मेरी पूरी फॅमिली तहस-नहस हो गई....

अगर सरिता ना होती तो मेरे डॅड अपनी फॅमिली से दूर नही जाते...मेरी दादी जिंदा होती और तब आरती बुआ और धर्मेश भी उन्हे बता कर ही कुछ आक्षन लेते शादी के बारे मे....

तभी मुझे ख्याल आया कि अभी डाइयरी बाकी है...उससे ये तो पता चल जायगा कि आगे क्या हुआ....

अगर मेरे डॅड ने ही सबको मारा तो उन्हे सज़ा क्यो नही हुई...और अगर वो बाहर है तो वो खून किए किसने....

यही सोच कर मैने अगला पेज पलटा और पढ़ने लगा......
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06-07-2017, 11:44 AM,
RE: चूतो का समुंदर
( ये पेज मोहन की जुवानी....)

अंकित...मैं जानता हूँ की ये सब पढ़ कर तुम डिस्टर्ब हो गये होगे...

तुम्हारे मन मे कई सवाल घूम रहे होगे...

तुम अपने डॅड को ले कर भी परेसान होगे कि उन्होने सही किया या ग़लत...और उनके साथ आगे क्या हुआ...

तो चलो मैं कुछ सवालो के जवाब दे देता हूँ...जो भी मुझे पता है...

जिस दिन तुम्हारे डॅड के साथ ये हादशा हुआ उस दिन के बाद से हमारा उस गाँव से कॉंटॅक्ट ख़त्म हो गया था....

तुम्हारे डॅड ने वापिस आ कर मुझे और मेरी बेहन को अपने से अलग कर दिया था ....

मैं भी उस समय गाओं नही गया और जब गया तो वहाँ कोई नही था...

ना तुम्हारी फॅमिली ,ना अली की, ना मदन की और ना ही धर्मेश की....

किसी भी गाओं वाले को इनका कुछ भी पता नही था और ना ही किसी ने ये बताया कि उस दिन हुआ क्या था...

तुम्हारे डॅड ने अपनी फॅक्टरी गाओं वालो को दे दी थी...

रिचा भी उस गाओं मे नही मिली...लोगो ने बताया कि उसके पापा नही रहे और वो अपनी माँ राखी के साथ गाओं छोड़ कर चली गई...

फिर एक दिन मुझे मेरी बेहन ने बताया कि कुछ लोग तुम्हारे और तुम्हारे डॅड से बदला लेने की फिराक मे है...

उस दिन से मैने अपनी बहेन के साथ मिलकर तुम्हारे दुश्मनो के बारे मे खबर जुटाई...

इनमे से कुछ को मैं जान चुका हूँ..और कुछ की पहचान अभी बाकी है...

तुम्हे मैने सबकी फोटो दी है...जिन्हे मैं जान गया..पर कुछ और भी लोग है..जिनके बारे मे कोई जानकारी नही...

और ना ही ये पता है कि वो किस बात का बदला ले रहे है...

अब तुम वो फोटो देखोगे तो समझ जाओगे कि कौन और क्यो तुम्हारे पीछे पड़ा है ...

ये सब तुम्हारे दादाजी और डॅड की दुश्मनी तुमसे भी निकालेगे...

अब तुम फोटो देखो...और हाँ उसमे मेरी बेहन की फोटो नही है...और ना ही मैं उसके बारे मे बताउन्गा....

लेकिन यकीन रखो...कुछ टाइम बाद वो तुम्हे सामने से कॉंटॅक्ट करेगी....

और हाँ...उसके पास तुम्हारे काम की कुछ इन्फर्मेशन भी है...जो वो मुझे बताने वाली थी...पर इसके लिए तुम्हे इंतज़ार करना होगा....

अब जैसे ही मैने पेज पलटा तो वो खाली था ...मैने आगे भी पेज पलट के देखा बट अब कुछ भी नही लिखा था...

मैने डाइयरी बंद की और फोटोस उठा के देखने लगा...

अब आपको बताता हूँ की मैने किस-किस की फोटो देखी और उनके बारे मे क्या जानकारी थी....

1 -रिचा- इसको दादाजी ने रखेल बनाया हुआ था ...शायद इसी बात का बदला ले रही होगी...और अगर कोई और बात भी है तो मैं खुद इससे उगलवा लूँगा....

2-दीपा- इसे तो हॅंडल कर लिया..हटाओ इसे...

3-कामिनी और दामिनी- इनका तो कहानी मे कोई ज़िक्र नही आया...फिर क्यो...हो सकता है डॅड के सहर आने के बाद कुछ हुआ हो....डॅड से बात करने पर कुछ पता चलेगा...नही तो मुझे ही हॅंडल करना होगा इन्हे...

4- रजनी- रजनी आंटी मेरे डॅड के खिलाफ है...बट इनका भी कहानी मे ज़िक्र नही था...और हां ये मेरी माँ को जानती है...शायद तभी कोई बात हुई हो...इनके बारे मे भी डॅड से बात करूगा....

5- अननोन- ये खाली पिक किस के लिए हो सकती है...कौन हो सकता है ये.. शायद मदन...हो भी सकता है...सरिता की मौत का बदला ले रहा हो...इसे ढूँढना मुस्किल होने वाला है....

6- अननोन- फिर से खाली पिक...अब ये कौन हो सकता है...या हो सकती है...कहानी मे तो ऐसा कोई भी नही दिखता...शायद डॅड की अययाशी का कोई नतीजा हो...देखना पड़ेगा...

7-अननोन- तेरी माँ की...फिर से खाली...अब ये कौन हो सकता है...कितने दुश्मन खड़े हो गये यार...कोई नही इसे भी देख लेगे...शुरुआत तो हो ही चुकी है...कभी ना कभी तो सामना होगा ही....

8-विनोद(संजू के चाचा)- ओह हो...तो ये यहाँ है...ये तो संजू के चाचा है...पर एक बात समझ नही आई...इनकी दुश्मनी कब हो गई ...लगता है इसका पंगा भी डॅड से हुआ है...बट क्या...??? 


पता लगाना पड़ेगा...मैं किसी को नही छोड़ने वाला.....

सब पिक्स देख कर मेरे माइंड मे यही ख्याल आया कि डॅड से बात करनी ही पड़ेगी...

उसके बाद ही मैं किसी नतीजे पर पहुच पाउन्गा..और मुझे इन ब्लॅंक पिक्स के बारे मे भी कोई क्लू मिलेगा....

अब मेरा माइंड थोड़ा बहुत शांत हो चुका था...पर मेरी आँखे अभी भी नम थी...

मुझे अपनो की मौत का दुख तो था ही...पर सबसे ज़्यादा दुख आरती बुआ का था...

वो मेरे डॅड की लाडली बेहन थी...उन दोनो का दिल तो एक-दूसरे को अच्छे से समझता था...

आरती बुआ तो बिना कहे ही डॅड के दिल की बात समझ जाती थी.....और उन्होने ही....नही-नही ...अभी ऐसा नही सोचुगा ...

डॅड से बात किए बिना मैं उनके बारे मे अच्छा या बुरा कुछ भी नही सोचुगा....

मैने पिक्स को साइड किया और फिर से एक पेग बनाया....और पीते हुए घूमने लगा....

मैने डाइयरी पढ़ने के पहले सोचा था...कि मुझे सारे सवालो के जवाब मिल जायगे...

मुझे पता चल जायगा कि मेरे और मेरे डॅड के पीछे पड़े लोगो की दुश्मनी का रीज़न क्या है...

पर ये तो उल्टा हो गया...जितने जवाब नही मिले उससे ज़्यादा सवाल सामने आ गये....

क्या करूँ...किस से पुछु...शुरुआत कहाँ से करू....ओह गॉड...

मैं परेसानि मे पेग पर पेग गटक रहा था .....पर मेरी परेसानि दूर नही हो रही थी....

मेरे दिमाग़ मे टेन्षन और आँखो मे आँसू थे...

आज मुझे रेणु दीदी की कमी महसूस हो रही थी....वो होती तो उनकी गोद मे सिर रख कर रो लेता....

आज मुझे पहली बार ऐसा लग रहा था कि मेरी माँ या मेरी बेहन होती तो मुझे संभाल लेती....पर कोई नही था मेरे पास....

मैं परेसानि मे रोता रहा और पेग लगाता रहा....तभी मेरे रूम पर नॉक हुई....

मैं नॉक होने से चौंक गया की इतनी रात कौन आया...

फिर मैने सब सामान छिपाया और मुँह सॉफ करके गेट खोला...

सामने पारूल खड़ी थी...वो नीद से जाग कर आई थी....

मैं- त्त..तुम..यहाँ...क्या हुआ..???

पारूल- आप सोए नही भैया...???

मैं- मैं...वो...असल मे एक सपना आया तो नीद खुल गई...तुम यहाँ कैसे ...??

पारूल- पता नही भैया...अचानक ऐसा लगा कि आप मुझे बुला रहे है...तो आ गई...

मैं- मैने बुलाया...नही तो...जाओ सो जाओ...

पारूल- नही...पहले आप को सुलाउन्गी...आप परेसान दिख रहे हो...

मैं- अरे ..कुछ नही...तुम सो जाओ...

पारूल- नही ना...आप रूको ..मैं आती हूँ...

पारूल नीचे चली गई और मैं सोचने लगा कि कैसे आज पारूल पूरे हक़ से बात कर रही थी...मुझे उसकी बात पसंद आई और मैं बेड पर बैठ गया...
Reply
06-07-2017, 11:44 AM,
RE: चूतो का समुंदर
थोड़ी देर बाद पारूल तेल की कटोरी ले कर आ गई...

मैं- ये क्या...

पारूल- आपके सिर की मालिश करना है...

मैं- पर क्यो...

पारूल- इससे आपकी परेसानि कम होगी और बुरे सपने भी नही आएँगे...

मैं- अच्छा...तुझे कैसे पता की मैं परेसान हूँ...

पारूल- आपकी आँखो के आँसू देख कर...

पारूल की बात सुनकर मुझे उस पर प्यार आ गया और फिर से मेरे आँसू बहने लगे...

पारूल ने आकर मुझे अपनी गोद मे लिटा लिया और मालिश करने लगी....

पारूल- भैया...आपको कोई बड़ी परेसानि है ...मुझे बताओ...

मैं- है तो ...पर बता नही सकता ...

पारूल- ठीक है...पर रोना मत...

मैं- क्या करूँ..रोना आ रहा है...

पारूल- परेसानि मे रोने से कुछ नही होता...उसको दूर करने की कोसिस करनी चाहिए....

मैं- सही कहा...मैं भी यही करूगा...अब रोने से कुछ नही होगा...

पारूल- ह्म्म..अब आप सब भूल कर मालिश का मज़ा लो...कल की शुरुआत अच्छी होगी ..

मैं- ह्म...


मैं मालिश कराते हुए धीरे-2 अपनी टेन्षन को भूलता गया और पारूल की बात को सोचने लगा..कि परेसानि मे रीना मत...बल्कि उसे दूर करो...

फिर मुझे पता ही नही चला की मैं कब सो गया...

सुबह जब उठा तो मैं पारूल की गोद मे सिर रख कर सो रहा था और पारूल पीछे टिक कर सो रही थी...

मैं उठा तो पारूल भी उठ गई और मुस्कुराने लगी. ..

पारूल- अब कैसा लग रहा है...

मैं- बहुत अच्छा...लव यू गुड़िया..तू सच मे कमाल है....

मैं पारूल को माथे पर चूम लिया...

पारूल- ह्म..और परेसानि...

मैं- अब मैं दूसरो को परेसानि दूँगा...अंकित ईज़ बॅक बेबी..

पारूल- क्या कहा भैया...

मैं- ये कि मुझे संभालने के लिए थॅंक्स...अब तू एक गरमा गरम कॉफी पिला दे...फिर मुझे जाना भी है...

पारूल- ओके...

फिर मैं फ्रेश होने चला गया और पारूल कॉफी बनाने के लिए...

थोड़ी देर बाद मैं रेडी हुआ...कुछ सामान पॅक किया....आज अकरम की फॅमिली के साथ घूमने जो जाना था...

मैने सोच लिया था कि जब तक डॅड नही आते तब तक मैं एंजोई करके आता हूँ...फिर मैं देखुगा...कौन सा दुश्मन कहाँ है और उसे कैसे ठिकाने लगाना है....

और मैं संजू के घर निकल गया.....

हेलो फरन्डस....

आज डाइयरी ख़त्म...फ्लेशबॅक ख़त्म....


जैसे ही मैं संजू के घर पहुचा तो देखा कि अनु मेरा गेट पर ही वेट कर रही...

मैं- हेलो स्वीटी...तुम यहाँ क्या कर रही हो...

अनु- हम तो आपका वेट कर रहे थे....

मैं- सच्ची...ओह माइ लव

मैने अपने हाथो को आगे बढ़ा कर अनु को बाहों मे लेना चाहा बट अनु ने आँखो से इशारा कर दिया....

जब मैने उसकी आँखो का इशारा समझ के अंदर देखा तो अनु के डॅड दिखाई दिए...जो बैठ कर पेपर पढ़ रहे थे..

मैं- ओह्ह...दिन की शुरुआत अच्छी नही हुई...

अनु(मेरे करीब आ कर)- आपकी शुरुआत अच्छी होगी...बस आप मेरे रूम मे आ जाना थोड़ी देर मे...

मैं(मुस्कुरा कर)- ह्म..तुम चलो..मैं आ जाउन्गा...

फिर अनु उपर चली गई और मैं विनोद के पास चला गया....

मैं- और अंकल...क्या पढ़ रहे हो...मेरे काम की कोई न्यूज़ है क्या...

मेरी आवाज़ सुनते ही विनोद हड़बड़ा गया...और नकली मुस्कान के साथ बोला...

विनोद- ओह..तुम..सुबह से...आओ बैठो बेटा..

मैं(बैठते हुए)- तो बताइए..कोई न्यूज़ है मेरे मतलब की...

विनोद- न..नही. .अभी तो सब शांति है...कुछ नया नही....

मैं- ह्म..जैसे ही कुछ हो तो बता देना...वरना पता है ना..मैं...

विनोद- हाँ..सब याद है...मैं वैसा ही करूगा..जैसा तुमने कहा...

इतने मे संजू के पापा भी वहाँ आ गये...

संजू के पापा- क्या कहा अंकित ने करने को...

विनोद अपने भाई की बात का कोई जवाब नही दे पाया...तब मैने बात को संभाला...

मैं- अरे अंकल ...वो शेयरमार्केट के बारे मे बोल रहा था...कि *** कंपनी मे पैसे मत लगाना...वही बोल रहे थे...

संजू के पापा- ह्म..मेरे हिसाब से तो पैसे लगाने ही नही चाहिए...नही तो बहुत भुगतना पड़ सकता है....

संजू के पापा की बातों मे बहुत निराशा छुपी हुई थी...जैसे उन्हे शेयरमार्केट से नफ़रत हो गई हो...

मैं- क्या हुआ अंकल...आपने भी पैसे ...
Reply
06-07-2017, 11:44 AM,
RE: चूतो का समुंदर
संजू के पापा(बीच मे)- नही तो...मैं इस सब मे नही पड़ता...चलो मैं नहा लेता हूँ...तुम बाते करो...

संजू के पापा हड़बड़ी मे वहाँ से चले गये और मेरा शैतान दिमाग़ उनकी बात को कुरेदने लगा...फिर सोचा कि इनसे एक दिन बात ज़रूर करूगा....

तभी संजू नीचे आ गया...

संजू- रेडी भाई..??

मैं- हाँ यार और तू...?

संजू- मैं भी..बस दीदी रेडी हो रही है...पता नही कितना टाइम लगाएगी...

मैं- कोई नही...लड़कियों को टाइम लगता ही है...

संजू- ओके..तू रुक मैं थोड़ा आता हूँ..

मैं- अब कहाँ जा रहा है..

संजू- यार वो अमर को कुछ काम है...अभी आया बस 5 मिनिट....

मैं- ओके...जल्दी करना...मैं पूनम दी को देखता हूँ...

संजू - ओके...

फिर मैं विनोद को फिर से वॉर्न करके उपेर चला गया....

जैसे ही मैं पूनम दी के रूम मे एंटर हुआ तो वो बिना पलटे ही बोली...

पूनम- बस 5 मिनिट जानू...

मैं- वाह...जानू ...हा..

मेरी आवाज़ सुन कर पूनम पलट गई ...उसके चेहरे पर अचानक टेन्षन छा गई...जैसे मैने उनकी चोरी पकड़ ली हो...

मैं- क्या हुआ...कौन है जानू...

पूनम- अरे ..वो तो ..तुम ही तो हो...

मैं- रियली...पर तुमने तो मुझे देखा भी नही था...तो...

पूनम- वो...मैने...हाँ...तुम आईने मे नज़र आ गये थे...

मैं- ओके...

फिर मैने पूनम को उपेर से नीचे तक देखा....वो सच मे मस्त तैयार हो गई थी....

उसने एक टॉप और कॅप्री पहना हुआ था...जो बहुत टाइट था....

मैने काफ़ी दिन से पूनम को चोदा भी नही था...तो सोचा कि क्यो ना थोड़ा मज़ा कर लूँ...

मैने रूम का गेट लॉक किया और पूनम के पास जा कर उसे बाहों मे भर लिया...


पूनम- आअहह ....क्या करते हो...कोई आ जायगा...

मैं- तो आने दो...मैं नही छोड़ुगा...

और मैं पूनम के होंठो को चूस्ते हुए उसकी गान्ड भी दबाने लगा.....

थोड़ी देर मे ही पूनम भी मस्त जो कर किस करने लगी और धीरे-धीरे मेरा लंड खड़ा होने लगा....

तभी पूनम ने मुझे रोका और बोली...

पूनम- आअहह....थोड़ा सब्र रखो मेरे भाई...हम घूमने जा रहे है ना...वहाँ खुल के मज़े करेंगे...

मैं- ह्म...पर थोड़ा तो करो...मेरा लंड खड़ा हो रहा है....

पूनम- ह्म...तो लाओ...थोड़ा उसे प्यार कर देती हूँ....

मैं- ये हुई ना बात मेरी जान...जल्दी से चूस दे...

मैने जल्दी से पेंट की ज़िप खोली और पूनम के सामने मेरा लंड कर दिया...

पूनम ने बिना देर किए घुटनो पर बैठ कर मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया....

पूनम- सस्स्रररुउउप्प....सस्स्रररुउप्प्प्प्प....उउउंम्म...उउंम्म...उउंम्म...

मैं- ओह्ह्ह ..एस्स...ईीस्स....सक इट ...फास्ट ...फास्ट....

पूनम ने थोड़ी देर मे ही चूस कर पूरा लंड खड़ा कर दिया...

तभी रूम पर नॉक हुई....आंटी पूनम को आवाज़ दे रही थी...

पूनम(लंड को मुँह से निकाल कर)- ओह माँ...मर गये...

मैं- डोंट वरी...मैं हू ना...

पूनम- क्या करे...तुम्हे मोम ने देख लिया तो...वो भी बंद रूम मे...

मैं- नही देखेगी...मैं छिपता हूँ ...तुम रूम खोल कर उनसे बात करो...कुछ बोले तो कह देना कि रेडी हो रही थी..ओके..

पूनम ने ऐसा ही किया...और आंटी से बात करने लगी...फिर आंटी उसे अपने साथ ले गई...और मैं खड़े लंड के साथ रह गया...

मैने अपना लंड अड्जस्ट किया और बाहर आ गया...फिर मुझे याद आया कि अनु ने बुलाया था....तो अब अनु से ही लंड शांत करवाता हूँ....

यही सोच कर मैं अनु के रूम मे चला गया...

पर वहाँ अनु नही थी...सिर्फ़ रक्षा बेड पर पड़ी थी...और मुझे देख कर ही मेरे पास आई और गले लग गई...

रक्षा- गुड मॉर्निंग भैया...

मैं- मॉर्निंग बेटा....अनु कहाँ है...

रक्षा(अलग हो कर)- आपको बस अनु की फ़िक्र है...मेरी नही...जाइए मैं बात नही करती...

मैं- अरे बेटा तुम गुस्सा मत हो...मैं तो इसलिए पूछ रहा था कि अगर अनु ना हो तो मैं तुम्हारे साथ कुछ मज़ा कर लूँ.. .

रक्षा- सच्ची भैया...

मैं- हाँ सच मे...जाने से पहले अपनी गुड़िया को प्यार कर लूँ...

रक्षा- तो करो ना भैया...अनु अभी नहाने गई है...जब तक आएगी तब तक करो ना...


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Reply
06-07-2017, 11:44 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैने रक्षा को बाहों मे भरा और उसके सॉफ्ट होंठो को अपने होंठो मे भर के चूसने लगा....और हाथ से उसके बूब्स दवाने लगा....

रक्षा भी कम नही थी...और वो मेरे लंड को पेंट के उपेर से सहलाने लगी...जो कि पहले से ही खड़ा था...

फिर मुझे एक ख़याल आया और मैने रक्षा को छोड़ा और बोला...

मैं- मेरी गुड़िया... लंड चुसेगी...??

रक्षा- आप पूछ क्यो रहे है...आप बस कहो...मैं हमेशा रेडी हूँ...

मैं- तो गेट बंद कर ...

रक्षा ने गेट लॉक किया और मैने लंड बाहर निकाल लिया...

मैं- आजा बेटा...जल्दी से चूस दे...

रक्षा ने जल्दी से मेरा लंड पकड़ा और थोड़ा सहलाया ...लंड फिर से पूरा कड़क हो गया...

रक्षा- भैया...ये तो पूरा तैयार है...और गीला भी...

मैं- तुझे देख कर खड़ा हो गया...और ये पानी...इसी से निकला होगा...अब तू बाते छोड़ और जल्दी से शांत कर दे इसे...

रक्षा ने लंड को मुँह मे भरा और बड़े प्यार से चूसने लगी....

मैं(मन मे)- क्या बात है...आज तो लंड की किस्मत मे दो-दो मुँह आ गये....पहले पूनम और अब रक्षा ..वाह...

रक्षा- सस्स्स्रररुउउप्प्प्प....सस्स्रररुउउप्प्प्प....उूउउम्म्म्म.....उूउउंम्म...उउउंम्म....

मैं- आहह ..ज़ोर से बेटा...जल्दी कर...और तेजज्ज़...आहह...

मैं जल्द से जल्द झड जाना चाहता था पर इससे पहले कि मैं झड़ता बाथरूम का गेट खुलने की आवाज़ आई...

रक्षा(लंड को मुँह से निकाल कर)- अनु आ रही है भैया...मर गये...

मैं- डर मत ..तू बाहर जा..इसे मैं देखता हूँ...

रक्षा- हमम्म..

और रक्षा जल्दी से रूम से निकल गई....

तभी बाथरूम का गेट खुला और अनु टवल मे मेरे सामने आ गई....

अनु मुझे देखते ही चौंक गई....और साथ मे उसकी आँखे भी फैल गई...


अनु- ये क्या...आप ऐसे...ये बाहर निकाल कर क्यो बैठे हो...

मैं- बस मेरी जान तुम्हारा इंतज़ार कर रहा था....

अनु- पर आपको ऐसे किसी ने देख लिया तो...

मैं- गोली मारो दुनिया को...प्यार किया तो डरना क्या...

अनु(मुस्कुराते हुए)- आप डायलॉग कब से मारने लगे...ह्म्म्म

मैं- वो सब छोड़ो...अभी मुझे शांत करो...देखो मेरा लंड फुल फॉर्म मे है...

अनु(मुस्कुराते हुए)- हम्म...तो आओ फिर...आपको जन्नत का मज़ा देती हूँ...

मैने उठ कर अनु के पास पहुचा और अनु ने टवल निकाल दी और बाहें फैला कर मुझे बुलाने लगी....

मेरा भी मूड बना हुआ था...मैने अनु को अपनी बाहों मे कस लिया...

फिर हम एक दूसरे को चूमने लगे..
Reply
06-07-2017, 11:45 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अनु का जिस्म अभी भी सूखा हुआ था...मतलब अभी तक उसने नहाया नही था...

मैं(किस छोड़ कर)- तुमने नहाया नही...

अनु- अरे शम्पू ख़त्म हो गया ...वही लेने आई थी..और आप मिल गये...

मैं- ह्म्म..तो एक काम कर अभी मेरा लंड चूस कर झडा दे....टाइम कम है...जल्दी...

अनु- ह्म्म..अभी करती हूँ...

अनु भी झुक कर मेरे लंड को चूसने लगी और मेरे लंड को तीसरा मुँह मिल गया....

मैं- आहह...जल्दी कर मेरी जान...

अनु(लंड मुँह से निकाल कर)-ये गीला क्यो है..

मैं- वो ...मैं थूक लगा कर हिला रहा था...तू चूस ना...

अनु ने फिर से लंड मुँह मे भर लिया और चूसने लगी...

तभी रक्षा अनु का नाम पुकारते हुए रूम की तरफ आ रही थी...

मैं(मन मे)- इसकी माँ का...ये वापिस क्यो आ गई...

अनु ने रक्षा की आवाज़ सुनी तो मुझे पीछे करके बाथरूम का गेट लगा लिया...

मैं अनु का डर समझ गया और मैं भी बेड पर जा कर बैठ गया.....

तभी रक्षा रूम मे आ गई और मुझे देख कर बोली...

रक्षा- आप जबसे ऐसे ही बैठे है...अनु ने नही देखा...

मैं- वो बाहर ही नही आई...हाँ ...वो शॅमपू माँग रही थी...तो मैने बोल दिया कि रक्षा आ रही है तो दे देगी...

रक्षा- ओह...मैं दे देती हूँ...

रक्षा , अनु को आवाज़ दे कर शम्पू देने लगी और मुझे रक्षा पर गुस्सा आने लगा...साली थोड़ा और रुक जाती तो मेरा काम हो ही जाता...

फिर रक्षा मेरे पास आई..और बोली...

रक्षा- चलो आपका काम पूरा कर दूं...पर पहले गेट लगा देती हूँ..

रक्षा गेट लगाने गई और मैने सोच लिया कि अब तो इसे सबक सीखा कर ही जाउन्गा...साली की वजह से मेरा लंड दर्द करने लगा...अब तो इसकी फाड़ के जाउन्गा...

रक्षा- लाइए भैया...आपको शांत कर दूं...

मैं- अब तो तेरी चूत चाहिए इसे...

रक्षा(मुस्कुरा कर)- पर अनु आ गई तो...

मैं- तो उसकी भी फाड़ दूँगा...चल पहले तेरी फाड़ने दे...

रक्षा- हहहे...ठीक है...आपका हुकुम सिर आँखो पर...अभी लो...

और रक्षा ने देखते ही देखते अपने कपड़े निकाल दिए...

रक्षा- अब जो चाहे करो...मुझे किसी का डर नही...

मैं रक्षा की दिलेरी देख कर थोड़ा शॉक्ड था...पर इस समय तो मुझे लंड को शांत करना था..इसलिए मैने सब भूल कर उसे चोदने का दिसाइड किया और उसको गोद मे खीच कर चूमने लगा.....

अब मैं सब भूल कर रक्षा की चुदाइ करना चाहता था....
थोड़ी देर तक मैं रक्षा को चूस्ता रहा...कभी उसके होंठ...कभी उसके बूब्स...और रक्षा भी मेरे लंड को हिलाती रही....

मैं- इउम्म..रक्षा...कहीं अनु आ गई तो...

रक्षा- वो नही आ सकती भैया...

मैं- क्यो मेरी जान...

रक्षा- एक तो उसे काफ़ी टाइम लगता है नहाने मे और फिर मैने बाथरूम को लॉक जो कर दिया...हहहे....

मैं- कमीनी....तो अब खोल दे अपनी चूत...

मैने रक्षा को बेड पर पटका और अपने कपड़े निकाल कर नंगा हो गया...

रक्षा ने उठ कर एक बार मेरे लंड को मुँह मे भर के चूसा और फिर कुतिया के पोज़ मे आ गई...

रक्षा- आओ भैया...

मैने भी जल्दी से लंड को उसकी चूत पर सेट किया और कमर पकड़ कर जोरदार धक्का मारा...

आधा लंड रक्षा की चूत मे घुस गया....उसकी चूत सुखी हुई थी इसलिए उसको थोड़ा दर्द हुआ....

रक्षा- आहह....भैयाअ...आराम से...

मैं- सस्शीईए.....धीरे....आवाज़ मत करना...

और फिर मैने दूसरे धक्के मे पूरा लंड चूत मे उतार दिया....

रक्षा- उूुउउम्म्म्म......आआहह...आअहह...

मैं- बस बेटा...अब मज़ा ले...

और मैने उसकी कमर पकड़ कर जोरदार चुदाई शुरू कर दी....




रक्षा- उउंम..उउंम...आआहह...आहह...आअझह...

मैं- यीह बेबी....एस्स...एस्स..आहह...

रक्षा- आहह...उउंम...उउंम्म..आआईइ....

थोड़ी देर तक रक्षा को चोदते हुए मेरी नज़र उसकी गान्ड पर टिक गई...और मैने लंड बाहर निकाल लिया...

रक्षा- क्या हुआ...

मैं- तेरी गान्ड मारनी है...

रक्षा- अभी..

मैं - हाँ ..अभी...

और मैने रक्षा को पलटा कर सीधा किया और पास मे खीच कर उसके दोनो पैरो को हवा मे उठा लिया..और लंड सेट करके एक हल्का धक्का मारा...

लंड का सुपाडा रक्षा की गान्ड मे घुस गया और वो तड़प उठी...




रक्षा- आआहह...भाइय्याअ...

मैं- बस बेटा...थोड़ा और...ये ले...

और दूसरे धक्के मे आधे से ज़्यादा लंड उसकी गान्ड मे चला गया....

मैने उतना लंड अंदर डाले ही रक्षा की गान्ड मारना शुरू कर दी...

रक्षा- आहह...आहह...आहह...भैयाअ...

मैं- बस बेटा...मज़ा ले...यह...यीह...

मैं थोड़ी देर तक आराम से गान्ड मारता रहा और फिर मैने स्पीड बढ़ा दी...

मैं- यस...बेटा...बस...थोड़ा और...हो ही गया...यीहह...

रक्षा की चूत भी अब झड़ने को बेताब हो रही थी...

रक्षा ने अपने हाथ से अपनी चूत मसलना शुरू कर दी..और मैं फुल स्पीड मे उसकी गान्ड मारने लगा...

थोड़ी देर की ठुकाइ के बाद रक्षा झड़ने लगी....


रक्षा- भैया...मेरा....हो गया...आअहह..आहह....आअहह...

रक्षा के झड़ने से साथ ही मैं भी झड़ने लगा....

मैं- मैं भी गया बेटा...एसस्स...एस्स..आअहह....ऊहह...आआहह......


मैने पूरा लंड रस रक्षा की गान्ड मे भर दिया और उसके साइड मे लेट गया...रक्षा भी टांगे पसार कर लेट गई...

थोड़ी देर बार हम नॉर्मल हुए और तभी अनु ने बाथरूम से आवाज़ दी...

हम ने जल्दी से कपड़े पहने और रक्षा ने बाथरूम का गेट खोल दिया...

फिर अनु रूम मे आ गई...अब वो कपड़े पहन कर आई थी...

अनु के आते ही रक्षा बहाना कर के निकल गई और मैं अनु से बातें करने लगा...

अनु मेरे दूर जाने से गुस्सा थी...पर मैने उसे प्यार से समझ दिया और उसे जल्दी नीचे आने का बोल कर मैं नीचे निकल आया.....

नीचे जाते हुए मैं बहुत खुश था और सोचा रहा था कि....

आज तो मज़ा आ गया...तीन लड़कियों ने बारी-बारी मेरे लंड को चूसा और फिर चूत और गान्ड भी चख ली....मज़ा आ गया....

अब मैं हल्का महसूस कर राजा था...और सोच रहा था कि अब सफ़र मे मज़ा आएगा....

यही सोच कर मैं नीचे आ गया....

नीचे पूनम और संजू रेडी थे...थोड़ी देर बाद अनु भी नीचे आ गई....

फिर हमने नाश्ता किया और अकरम के घर जाने लगे...तभी अकरम का कॉल आ गया...

(कॉल पर)

मैं- हाँ भाई...हम आ ही रहे थे...

अकरम- ओके...जल्दी आ...और हां..मेरी गर्लफ्रेंड को पिक करते आना..वो मार्केट मे *** की शॉप पर है...

मैं- पर तू खुद क्यो नही गया उसके पास और वो वहाँ क्या कर रही है...

अकरम- भाई मेरे...वो घर पर ये बोल के आ रही है कि वो अपने फरन्डस के साथ जा रही है...इसलिए वहाँ खड़ी है...और मैं थोड़ा बिज़ी हू इसलिए तुझसे बोला...

मैं- ओके..लाता हूँ तेरी अमानत...साले

आलराम- हजहा..ओके भाई ..जल्दी आ...

फिर फ़ोन रख कर.. हम सभी को बाइ बोल कर अकरम के घर निकल गये...

जब हम अकरम की गर्लफ्रेंड को पिक करने पहुचे तो वहाँ सिर्फ़ एक लड़की खड़ी थी...

मैं समझ गया कि ये वही होगी...
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