Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-07-2017, 11:56 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अब तो यही उम्मीद करती हूँ को अंकित को उस गाओं का या उस गाओं से जुड़ी किसी बात का कुछ भी पता ना चले....

रजनी आंटी परेसान हो कर अपने रूम मे घूम रही थी और बार-बार अपना फ़ोन भी चेक कर रही थी...

वो खुद ही नही समझ पा रही थी कि वो किस बात से ज़्यादा परेसान है...

इस बात से कि कही अंकित को उस गाओं से कुछ पता ना चल जाय...या फिर इस बात से की अगर अंकित को सच पता चला तो अंकित की हालत क्या होगी...

( हालाकी रजनी आंटी इस बात से पूरी तरह अंजान थी कि अंकित के पास एक डाइयरी है...जिससे उसे काफ़ी कुछ पता चल गया है....)

तभी रजनी आंटी का फ़ोन बज उठा और कॉल अटेंड करते ही रजनी आंटी सामने वाले पर भड़क उठी....ये विनोद का कॉल था.....

( कॉल पर)

रजनी- कहाँ मर गये थे तुम...

विनोद- क्या...इतनी गुस्सा ....क्या हुआ..???

रजनी- ये बता कि तुझे पता है कि अंकित कहाँ पर है अभी...

विनोद- नही...पर तुम्हे तो पता होगा ना...

रजनी- हाँ...तभी तुम्हे कॉल किया...

विनोद- पर मुझसे क्या मतलब...वो घूम रहा होगा...

रजनी- देख...मैं जानती हूँ...कि तू और बॉस दोनो ही उस पर नज़र रखे हुए हो...तो तुम्हे तो पता होगा ही...

विनोद- क्या बके जा रही हो..काम की बात करो...

रजनी(गुस्से मे)- तो काम की बात सुन और तेरे बॉस को भी बता देना...

विनोद(बीच मे)- हाँ...बता दूँगा...जल्दी बोलो...

रजनी- तो सुन...अपने बॉस को एक बात समझा देना कि अगर अंकित को खरॉच भी आई तो मैं किसी को नही छोड़ूँगी...

विनोद- ये...तुझे क्या हो गया...हमारा मक़सद एक ही है..और तुम ऐसी बात कर रही हो...

रजनी- मेरा मक़सद सिर्फ़ आकाश की बर्बादी है.....

विनोद- तो अंकित भी उसी की पैदाइश है...

रजनी(बीच मे...चिल्लाते हुए)- मुझे कुछ नही सुनना...बस याद रखना...अंकित को कुछ भी हुआ तो तुम सब मरोगे...और ये बात अपने बॉस को भी बोल देना...बाइ...

रजनी ने अपनी बात सॉफ-सॉफ कह कर फ़ोन कट कर दिया....

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यहाँ एक गाओं मे वसीम और सरद कार से जा रहे है....

कार ड्राइव करते हुए वसीम आजू-बाजू देख रहा था....

आजू-बाजू तो सरद भी देख रहा था...लेकिन वसीम और सरद के देखने मे ज़मीन-आसमान का अंतर था ...

सरद ऐसे देख रहा था जैसे कि उसके लिए ये एक नई जगह थी....

जबकि वसीम के देखने मे एक अपनापन था...जैसे कि वो बरसो से इस जगह को जानता हो....

थोड़ी देर बाद कार एक बड़ी सी हवेली के सामने रुक जाती है....

सरद- वसीम...यहाँ क्यो रुक गये....???

वसीम ने कुछ नही बोला बस एक नज़र सरद को देखा और गाते खोल कर नीचे उतर आया....
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06-07-2017, 11:56 AM,
RE: चूतो का समुंदर
सरद भी जल्दी से कार से बाहर आ गया....

सरद- क्या हुआ भाई..बता तो सही ...

वसीम फिर से कुछ नही बोला बस कार से दूर जाकर हवेली के सामने खड़ा हो गया और एक टक लगा कर हवेली देखने लगा.....

सरद(थोड़ा सीरीयस हो कर)- क्या हुआ भाई....ऐसे क्या देख रहा है इस पुरानी हवेली को....

वसीम( चुप-चाप हवेली देखता रहा)

सरद वसीम के पास गया और उसके कंधे पर हाथ रख कर थोड़ी तेज आवाज़ मे बोला...

सरद- वसीम...

वसीम- हाँ...हाँ क्या हुआ...

सरद- मुझे कुछ नही हुआ...पर तुझे क्या हो गया....

वसीम- कुछ नही यार...बस इस हवेली को देख रहा था....

सरद- क्यो...मतलब ऐसा क्या है इस हवेली मे...कुछ खास ???

वसीम- कुछ खास नही...बहुत खास है ये हवेली ..

सरद- ऐसा क्या है इसमे...

वसीम- इसमे...इसमे वो आग है...जिसे देख कर मेरे सीने मे आग भड़क जाती है....

सरद- मतलब...सॉफ-सॉफ बोलोगे....

वसीम- बस ...यही समझ ले कि मेरा अतीत इस हवेली से खास ताल्लुक रखता है....

सरद- मैं अभी भी नही समझा...

वसीम(सरद को देख कर मुस्कुराता है )- तू दिमाग़ पर ज़ोर मत दे...टाइम आने पर सब समझ जायगा..ओके...अब चल...

सरद- ह्म्म..अब कहाँ चलना है...

वसीम- मेरे अतीत का एक और सबसे खास पन्ना दिखाता हूँ...

और वसीम , सरद के साथ कार ले कर आगे निकल गया....

थोड़ी देर बाद वसीम ने फिर से कार रोक दी और सरद के साथ एक बड़े से पुराने घर के सामने खड़ा हो गया .....

सरद- ह्म्म..अब यहाँ क्या है...इस पुराने से घर मे...

वसीम- यहाँ...बहुत कुछ है...

वसीम का ऐसा जवाब सुनकर सरद वसीम को अजीब नज़रों से देखने लगा...

वसीम उस घर को देखते हुए भावुक होने लगा और उसकी पलके नम होने लगी...

वसीम अपनी आँखो मे आसू भरे उस घर को देखे जा रहा था...जबकि सरद इस बात से अंजान आस-पास देखता रहा...

थोड़ी देर बाद जब वसीम की तरफ से कोई हलचल नही हुई तो सरद फिर से बोला...

सरद- देख लिया हो तो चले...हाँ

तभी वसीम ने सरद को देखा और उसकी आँखो मे आसू देख कर सरद चौंक गया....



सरद- तुम..तुम रो रहे हो...

वसीम अपनी पलके सॉफ करते हुए अपने आँसू को छिपा कर बोला....

वसीम(झूठी मुस्कान के साथ)- अरे नही यार...ये तो...ये यहा डस्ट बहुत उड़ रही है...और फिर धूप भी तेज है...इसलिए आँख से पानी आ गया...चल..चलते है...

सरद- ओह्ह...वैसे इस घर को क्यो देख रहा था..किसका घर है ये...

वसीम- पता नही...बस ऐसे ही मन किया तो देखने लगा...चल...चलते है...

सरद- अच्छा...तुम कही कुछ छिपा तो नही रहे....

वसीम(मुस्कुरा कर)- साले ..तुझसे छिपाउँगा...हाँ...तू तो मेरा सबसे बड़ा राज जानता है...फिर भी ऐसा सोचता है...

सरद(मुस्कुरा कर)- अरे नही भाई...ऐसे ही बोल दिया...चल...

तभी वसीम का फ़ोन बज उठा....

(कॉल पर)

वसीम- हाँ बोलो...वो मान गया...

सामने- हाँ....जल्दी ही काम कर देगा...

वसीम- ह्म्म..गुड जॉब...

और फ़ोन कट कर के वसीम और सरद गाओं मे घूमने लगते है....

वसीम(मन मे)- अब वक़्त आ गया है अपने प्यारे दुश्मन को एक झटका देने का....

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06-07-2017, 11:56 AM,
RE: चूतो का समुंदर
यहाँ मैं शबनम से बात कर के अपने रूम मे जा रहा था तो मुझे जूही की याद आई.....

थोड़ी देर पहले ही मैने उसके साथ घूमने को मना कर दिया था ..जिससे वो हर्ट हो गई थी...

मेरे पास कोई काम तो था नही तो सोचा कि चलो जूही को मना लेते है....

यही सोच कर मैं जूही के रूम पर गया और नॉक किया.....

मैं- हे जूही...ओपन दा डोर...

जूही- ( चुप रही)

मैं- अरे यार...प्लीज़ ओपन दा डोर....प्लज़्ज़्ज़

जूही(सुबक्ते हुए)- नही...जाओ यहाँ से....

मैं(मन मे)- ये तो रो रही है.....

मैं- प्लीज़..मेरी बात तो सुन लो..एक बार..प्लीज़...

जूही- बोला ना...जाओ यहाँ से...मुझे कोई बात नही करनी...

मैं- आइ म सॉरी यार...प्लीज़ गेट खोलो...बात करते है ना...

जूही(गुस्से मे)- एक बार का समझ मे नही आता...जाओ यहाँ से....

मैं- देखो...मुझे भी गुस्सा आता है..और तुमसे कहीं ज़्यादा ..समझी..

जूही- तो..तो क्या लोगे..नही खोलती गेट...जो करना है कर लो..

मैं- ओके..फाइन...मत खोलो...और आज के बाद मैं आउन्गा भी नही तेरे पास...बब्यए...

और मैं गुस्से मे वहाँ से जाने लगा...

मैं गुस्सा शांत करने के लिए अपने रूम मे ना जा कर सीधा बाहर गार्डेन मे आ गया...

इधर जब जूही को मेरी आवाज़ नही आई तो वो समझ गई कि मैं गुस्सा हो गया...

जूही ने जल्दी से गेट खोला पर मुझे वहाँ ना पा कर मुझे ढूढ़ने लगी...

थोड़ी देर बाद जूही मेरे पास गार्डेन मे पहुच गई...जहाँ मैं घास पर आँखे बंद किए लेटा था...

मुझे भी किसी के कदमो की आहट मिली पर फिर भी मैं आँखे बंद करके लेटा रहा...

जूही मेरे पास खड़ी हो कर मुझे देखती रही...पर जब मैने कोई हलचल नही कि तो वो खुद ही बोल पड़ी....

जूही- इतनी गुस्सा जनाब...ह्म्म्म ..

फिर मैने आँखे खोली और ऐसा दिखाया कि जैसे मुझे अभी-अभी उसके आने का पता चला....पर मैं मुँह से कुछ नही बोला...बस उठ कर बैठ गया...

जूही- अब क्या बोलॉगे भी नही...

मैने कोई जवाब नही दिया..तो जूही मेरे बाजू मे बैठ गई...

जूही- अब कुछ बोलॉगे...

मैं- क्यो आई यहा..

जूही- तुमसे मिलने...बात करने...

मैं- जाओ यहाँ से ..मुझे कोई इंटरेस्ट नही...

जूही- अच्छा जी...तो रूम मे क्यो आए थे....

मैं- वो तो बस...यू ही...

जूही- ह्म्म..मेरी फ़िक्र है ना तुम्हे...

मैं- फ़िक्र..तुम्हारी...मैं क्यो करूँ...हहा....

जूही- अच्छा...तो क्यो आए थे...यही देखने ना कि मैं गुस्सा हूँ कि नही...

मैं- मुझे क्या करना...तुम गुस्सा हो या ना हो....

जूही- अरे वाह जनाब..आप तो बड़े चालू है...हमारी फ़िक्र भी करते है और फिर छुपाते भी है....

मैं- हाहाहा...ऐसा कुछ नही...समझी...

और मैं जाने के लिए उठने लगा....तभी जूही ने मेरा हाथ पकड़ लिया....

जूही- रूको ना...मेरी बात तो सुनो...आइ म सॉरी...

मैं- हाथ छोड़ो...मुझे जाना है...

जूही- सॉरी बाबा...देखो मैं अपने कान पकड़ती हूँ....

मैने देखा कि जूही ने अपने हाथो से कान पकड़े हुए है और सॉरी बोल रही है...

इस वक़्त जूही बहुत क्यूट लग रही थी...एक दम प्यारी लड़की...

जूही की मासूमियत देख कर मेरे चेहरे पर स्माइल आ गई और मैं वापिस बैठ गया....



मैं- अब कान छोड़ो..मैं मान गया....ह्म्म्म.

जूही- तो अब तुम मुझे मनाओ....

मैं- किस बात के लिए....

जूही- मुझे गुस्सा दिलाया...मुझे रुलाया...इसलिए....

मैं- अच्छा जी...तो तुम चाहती हो कि मैं तुम्हे मनाऊ...

जूही- बिल्कुल...

मैं- पर लड़की को मनाने का मेरा तरीका ज़रा हट के है...

और मैने जूही की आँखो मे देखने लगा...जूही भी मेरी आँखो मे देखते हुए बोली....

जूही- तो दिखाओ ना...क्या तरीका है तुम्हारा...

मैं(आँखो मे देखते हुए)- तुम गुस्सा तो नही करोगी...


जूही- उम उम..

मैने जूही के दोनो हाथो को आवने हाथो से पकड़ा तो वो सिहर उठी ..

फिर मैं जूही की आँखो मे देखते हुए अपना चेहरा उसके चेहरे के पास ले गया....

हमारे होंठ अब थोड़ी सी दूरी पर थे...जूही थोड़ी-2 काँपने लगी थी...पर लगातार मेरी आँखो मे देखती रही...

मैं धीरे-2 अपने होंठ जूही के होंठो के पास ले गया...

जूही के दिल की धड़कने तेज होने लगी थी और उसकी बॉडी काँपने लगी थी...

मैं- मना लूँ तुम्हे...

जूही- ह्म्म्म ..

और जूही ने अपने होंठ खोल दिए...उसके होंठ मेरे होंठो का स्वागत करने के लिए बेताब हो रहे थे....

जूही तेज-तेज आहें भरने लगी और मैने अपने होंठ उसके होंठो के बिल्कुल पास ले गया...

फिर मैने उसके गाल पर किस करके सॉरी बोल दिया....

मैं- सॉरी...अभी इसका टाइम नही आया...जल्दी ही आएगा...

और मैं जूही को छोड़ कर खड़ा हो गया....

जूही मेरी हरक़त से शॉक्ड हो गई थी...पर मेरी बात सुनकर वो शरमा गई...

मैं खड़ा हुआ और बोला ...

मैं- तुम अंदर जाओ...मैं थोड़ा घूम कर आता हूँ...और हाँ...जो आज नही हुआ...वो जल्दी ही होगा....

और मैने जूही को देख कर मुस्कुराता हुआ निकल गया...और जूही भी मुस्कुराती हुई बैठी रही....

फिर मैने सोचा की चलो थोड़ा घूम लेते है...संजू और पूनम भी मिल जाए शायद...

यही सोच कर मैं खेतो की तरफ गया...
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06-07-2017, 11:56 AM,
RE: चूतो का समुंदर
थोड़ी दूर जाते ही मुझे संजू और पूनम दिख गये...

वो दोनो बीच खेत मे रासलीला कर रहे थे...

संजू , पूनम को खुले खेत मे नंगा कर के और कुतिया बना के चोद रहा था....

ये देख कर मुझे बहुत गुस्सा आया...गुस्सा इस बात का नही था कि वो सेक्स कर रहे थे...क्योकि ये तो मुझे पता था....

गुस्सा इस बात का था कि सेक्स के नशे मे ये दोनो इतने पागल हो गये कि खुले मे सेक्स कर रहे है....

भले ही ये आपस मे चुदाई करते है...बट है तो भाई-बेहन...फिर भी ऐसे खुले मे...कुछ तो शर्म करते...

मैं(मन मे)- अब तक सोचता था कि ऐश करने दो...पर इन्हे देख कर लगता है कि इन्हे सबक सिखाना ही पड़ेगा...तभी साले लाइन पर आएँगे....

मैं गुस्से मे उन्हे वही सेक्स करता छोड कर आगे निकल आया और थोड़ा घूम कर वापिस अपने रूम मे आ गया...

रूम मे आते ही मैने एक पेग बनाया और पेग पीते हुए संजू और पूनम के उपेर का गुस्सा शांत करने लगा...

फिर मैने जूही के साथ हुए इन्सिडेंट के बारे मे सोच कर मुस्कुराने लगा....

मैं(मन मे)- कितनी प्यारी लग रही थी..जब वो सॉरी बोल रही थी..बेहद ही मासूम...और उसके होंठ....

तभी मेन गेट पर..जो की खुला हुआ था ..किसी ने नॉक की और आवाज़ आई...

""अंकित...आइ थिंक, वी नीड टू टॉक""

आवाज़ सुनते ही मैने गेट की तरफ देखा तो सामने शादिया खड़ी हुई थी....

मैने अपना पेग साइड मे रखा और खड़े हो कर उसके पास पहुचा...

मैं- आप यहाँ...वाह...बड़ी देर मे याद आई...हाँ...

शादिया- तुम ये बताओ कि अभी फ्री हो...मुझे बात करनी है...

मैं- ह्म्म...फ्री हूँ...और ना भी होता तो आपके लिए टाइम निकाल ही लेता...पर आपने मेरे सवाल का जवाब नही दिया...

शादिया- कौन सा सवाल...???

मैं- यही कि इतने दिन बाद कैसे याद आई...

शादिया- याद तो था और मन भी था...बस सही टाइम का इंतज़ार कर रही थी...

मैं- ओह्ह..तो आज सही टाइम मिल गया..हा...

शादिया- ह्म्म..तो अब बात करे...अगर तुम्हारे सारे सवालो के जवाब मिल गये हो तो...

मैं- ओह हाँ...क्यो नही...आइए ....अंदर आइए....

शादिया-नही ..यहा नही...

मैं- तो फिर...??

शादिया- तुम मेरे रूम मे आओ...

मैं- ह्म्म..ठीक है..आप चलो...मैं आता हूँ...

शादिया चली गई और मैं सोचने लगा कि आख़िर इसे बात क्या करनी है...

ज़रूर यही पूछेगी कि मैं पार्लर मे क्या कर रहा था...ह्म्म...कोई कहानी बनानी पड़ेगी...

वेल हो सकता है..साली चुदाई के मूड मे हो...उस दिन तो खुश हो गई थी...हो सकता है...

चलो देखते है..शादिया बेगम क्या बोलती है...और हाँ..उनसे ये भी पता करना है कि वो अकरम के डॅड के साथ क्यो सोती है...

यही सब सोच कर मैने अपना एक पेग ख़त्म किया और शादिया के रूम मे निकल गया.....

शादिया रूम मे मेरा ही वेट कर रही थी....

मैं रूम मे एंटर हुआ तो शादिया ने गेट लॉक करने को बोला....

गेट लॉक कर के हम आमने सामने बैठ गये....

शादिया- तो..ये बताओ क्या पीओगे....

मैं(मुस्कुरा कर)- जो भी आप पिला दे...

शादिया(मुस्कुरा कर)- वर्ट स्मार्ट...पर मैं ड्रिंक की बात कर रही हूँ...क्या पीओगे..स्कॉच या विस्की ..

मैं- अभी तो...ह्म्म..विस्की....

शादिया ने पेग बनाए और हमने जाम टकरा कर बाते शुरू की...

मैं- तो..कैसे याद किया मुझे...

शादिया- तुम जानते हो...

मैं- ओह्ह..तो उस दिन की बात के लिए...

शादिया- ह्म्म्म...बिल्कुल...

मैं- देखो..मेरा फंडा है...रात गई ..बात गई...उस दिन जो भी हुआ वो दोनो की मर्ज़ी से हुआ...सो फर्गेट इट..ओके..

शादिया- नही...ना तुम भूलने वाले हो और ना तुम्हारा हथियार...हहहे...

मैं- ओह्ह..अभी तक याद है...

शादिया- ह्म्म..है ही ऐसा...क्या करे....

मैं- तो इसके लिए हमे याद किया...??

शादिया- नही...कुछ और ही सवाल है...

मैं- तो पूछो फिर...

शादिया- तो बताओ...तुम वहाँ क्या कर रहे थे...

मैं- जॉब..और क्या...

शादिया- अंकित ..जो एक करोड़पति का इकलौता बेटा है...वो एक मसाज पार्लीर मे मसाज देने की जॉब करेगा...सॉरी डियर...ये बात हजम नही होती...अब सच बोलो...

मैं(मुस्कुराते हुए)- नाइस वन...वेल सच सिर्फ़ इतना है कि मैं वहाँ अपने फरन्ड के साथ गया था...फिर आपको देखा तो आपकी बॉडी पसंद आ गई...फिर पैसे देकर आपका मसाज करने पहुच गया...बाकी क्या हुआ...ये तो आप जानती ही है...है ना...

शादिया- ह्म्म्मु...तो मैं इतनी पसंद आ गई कि तुम मसाज देने आ गये...

मैं- ह्म्म..आपकी बॉडी ही ऐसी है...कसी हुई...और भरी हुई...जो मुझे पसंद है...

शादिया- ह्म्म..तो तुमने मुझसे बात क्यो नही की ..बाद मे..जब हम मिले थे...

मैं- ह्म्म..वो इसलिए ..क्योकि मैं नही चाहता था कि आप मुझे ग़लत समझे...और ये सोचे कि मैं आपका फ़ायदा उठाने आ गया...क्योकि मैं किसी औरत का फ़ायदा उठाना पसंद नही करता....समझी अब

शादिया- ह्म्म्मु...तुम स्मार्ट भी हो और काफ़ी अच्छे भी...

मैं- हो सकता है...पर आप क्या है..स्मार्ट ..अच्छी या धोखेबाज...

शादिया(चौंक कर)- क्या...धोखेबाज...मैने किसे धोखा दिया..???

मैं- आप जानती है कि रोज रात को आप किसे धोखा देती है..



शादिया(सकपका कर)- क्या...धोखा...किसे...??

मैं- अब मेरे मुँह से सुनना है तो बता ही देता हूँ....वो है...शबनम आंटी...

शादिया- शबनम ...मैं उसे धोखा कैसे दे सकती हूँ...

मैं- उसके पति की बाहों मे सो कर...

शादिया(गुस्से से)- व्हाट...क्या बक रहे हो...

मैं- बक नही रहा...सच बता रहा हूँ...मुझे सब पता है...

शादिया- क्या पता है...

मैं- यही कि तुम वसीम अंकल का बिस्तर गरम करती हो...

शादिया- ये झूट है ..तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो...मैं अपनी बेहन के साथ....

मैं(बीच मे)- हाँ हाँ..तुम अपनी बेहन को धोखा दे रही हो...मैने अपनी आँखो से देखा...जिस रात हम यहाँ आए थे...उसी रात को...याद आया...
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06-07-2017, 11:56 AM,
RE: चूतो का समुंदर
शादिया मेरी बात सुनकर भोचक्की रह गई...उसे समझ मे नही आ रहा था कि मुझे ये सब कैसे पता...

मैं- अब बोलो...मैं झूठ बोल रहा हूँ...???


शादिया- वो..वो...मैं तो..

मैं(बीच मे)- बस...सच मुझे पता है...ओके...तुम भी सच बोल ही दो...

शादिया(झल्ला कर)- हां हाँ...मैं सोती हूँ वसीम के साथ...पर क्या करू ...मजबूर हूँ...

मैं- कैसी मजबूरी है तुम्हारी...??

शादिया- एक औरत के जिस्म की आग उसे पागल कर देती है...बस फिर अच्छे-बुरे की समझ खो जाती है...

मैं- तो इस आग को किसी और से बुझा लेती...अपनी बेहन के घर डाका क्यो डाला...

शादिया- मेरे सोहर ने मुझे किसी और के लिए छोड़ दिया था...तब वसीम ने मुझे सहारा दिया...फिर उसके लिए मेरे दिल मे प्यार जाग गया और...ये सब..

मैं- वाह...प्यार...ये प्यार नही हवस है...आपने सिर्फ़ अपने जिस्म की आग बुझाई...और कुछ नही..

शादिया- हाँ..भुझाई...मैं क्या करती...ये आग ही ऐसी है...

मैं- बकवास...आपने अपनी बेहन का सोचा..कि उसे भी आग लगती होगी...

शादिया- मतलब...उसका सोहर है ना ..

मैं- हाँ..पर वो तो तुम्हारे साथ रहता था..तो वो क्या करती..

शादिया- तुम कहना क्या चाहते हो...

मैं- यही कि उसने भी इंतज़ाम कर लिया अपनी आग बुझाने का...

शादिया(मुँह फाड़ कर)- क्या...शबनम ने...नही..वो ऐसा नही कर सकती...

मैं- क्यो नही...

शादिया- उसे अपने पति और बच्चो का सोचना चाहिए...और वो तो बड़ी सीधी है...नही-नही...

मैं- सीधी है तो क्या...औरत तो है...और उसके जिस्म मे भी आग लगती है...

शादिया- पर वो ऐसा सोच भी कैसे सकती है...और क्यो...???

मैं- क्यो का जवाब आप हो...जब पति उसे देखता भी नही तो वो क्या करेगी...

शादिया- मतलब..मेरी वजह से...

मैं- हाँ..आपकी वजह से..और ऐसा ही रहा तो आपकी वजह से पूरा परिवार बिखर जायगा ...वो परिवार जिसने आपको प्यार, सम्मान सब कुछ दिया....

मेरी बात सुनकर शादिया फुट-फुट कर रोने लगी...और मैं उसे रोता देख कर अपना पेग पीने लगा....

थोड़ी देर रोने के बाद शादिया शांत हुई और बोली...

शादिया- मैं कभी इस पावर को बिखरने नही दूगी...

मैं- ह्म्म..तो क्या करेगी अब...???

शादिया- मैं जानती हूँ मुझे क्या करना है....

मैं- फिर भी...क्या...???

शादिया- सबसे पहले वसीम को अपने से दूर करना है...और अपनी बेहन से बात कर के माफी मागनी है...और उसे समझना भी है कि वो ऐसा कोई काम ना करे जो ग़लत हो...

मैं- आप सिर्फ़ वसीम से दूर हो जाओ...बाकी काम मैने लगभग कर दिया है..और हाँ...इस बारे मे शबनम आंटी को कुछ मत कहना...ओके

शादिया- तुमने....तुम्हे पता है शादिया के बारे मे...

मैं- ह्म्म..अब ये छोड़ो.....और याद रखना...सब ठीक है अब...इसलिए शबनम से बात भी मत करना इस बारे मे...

शादिया- ह्म्म..पर तुमने ये सब क्यो...???

मैं(बीच मे) - ये मेरे दोस्त की फॅमिली है...इसलिए...

शादिया- अकरम को सच मे बहुत अच्छा दोस्त मिला...सच मे वो लकी है...

मैं- लकी तो मैं भी हूँ...उस जैसा दोस्त जो मिला....वेल अब क्या इरादा है...

शादिया- तुम बताओ...

मैं- आपके सुधरने की खुशी मे पार्टी हो जाए...

शादिया- ह्म्म..लाओ..पेग बनाती हूँ...

शादिया पेग बनाने लगी और मैं सोचने लगा कि...चलो, शादिया तो लाइन पर आ गई...इसने जो कहा वो करे तो सब ठीक...वरना इसे अपने तरीके से लाइन पर लगाउन्गा....

और फिर हम ड्रिंक करते हुए बाते करने लगे.......
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06-07-2017, 11:57 AM,
RE: चूतो का समुंदर
यहाँ सहर मे सोनू अपने घर पहुच कर अंकित के पास आने की तैयारी करने लगा....

तभी उसके घर वो लेडी पहुच गई...जिसने सोनू को अंकित के पास जाने का बोला था.....

सोनू- तुम...तुम यहाँ..

लेडी- ह्म्म...क्या करूँ...आना ही पड़ा...काम जो है...

सोनू- काम...जा तो रहा हूँ...अब क्या है...

लेडी- काम ये है कि तुम्हे अंकित के पास जाने से रोकू...

सोनू- मतलब...??

लेडी- मतलब ये की अब तुम अंकित के पास नही जा रहे हो...

सोनू(गुस्से मे हाथ मे लिया हुआ सामान फेक कर)- क्या बकवास है...तुमने मुझे समझ क्या रखा है....कभी ये करो..कभी वो करो...ये लगा क्या रखा है...

लेडी- मैं क्या करूँ...उपेर से ऑर्डर है...

सोनू- भाड़ मे गया ऑर्डर..कौन है ये ऑर्डर देने वाला...बताओ मुझे...मैं खुद बात करता हूँ उससे...

लेडी(थोड़ा गुस्से मे)- ओये...शांत हो जा...ज़्यादा मत उछल...वरना...

सोनू(गुस्से मे)- क्या..क्या कर लोगि तुम..

लेडी- चुप...भूल मत हमारे पास तेरी खास कमज़ोरी है...तूने मुँह चलाया तो ...हहहे...

सोनू(डर कर)- नही...ऐसा कुछ मत करना...बोलो क्या करना है..

लेडी- अब आया ना लाइन पर....

सोनू- अब जल्दी बोलो..ताकि मैं जल्दी से काम पूरा कर दूं...

लेडी- ह्म्म..अब ये अड्रेस ले...यहाँ जाना है तुम्हे...और हाँ ये ब्रीफ़केस भी ले...

सोनू- इसमे क्या है...

लेडी- पता नही...जब तू इस अड्रेस पर पहुचेगा तब पता चल जायगा...

सोनू ने ब्रीफ़कसे खोलते हुए बोला....

सोनू- ह्म्म..और इसका लॉक...ये तो कोड माँग रहा है...

लेडी- तुम यहाँ पहुचो...बाकी सब डीटेल वही मिलेगी...ओके...

सोनू- आख़िर तुम लोग करवाना क्या चाहते हो...

लेडी- क्या पता..वैसे जल्दी ही जान जाओगे...बाइ...

वो लेडी जाने लगी तो सोनू पीछे से बोला...

सोनू- मैं तो ये सब मजबूरी मे कर रहा हूँ पर तुम तो...जिस थाली मे खाया उसी मे छेड़ कर रही हो...

लेडी(आँखे मटका कर)- ह्म्म..तो..

सोनू- तो..कुछ नही...उपेर वाला देख रहा है...हर बात का हिसाब देना होगा...बचोगी नही...

लेडी- वो जब देखेगा तब की बात है...अभी अपने काम पर ध्यान दो...गुड लक...

लेडी मुस्कुराते हुए निकल जाती है..और सोनू अपने आप पर गुस्सा करते हुए रोने लगता है....

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यहाँ गाओं मे वसीम सरद के साथ पूरा गाँव घूम कर वापिस अपने फार्महाउस आने लगता है...

तभी वसीम के फ़ोन पर मेसेज आया...जिसे देखते ही उसने कार साइड की ओर नीचे आ कर कॉल किया....

( कॉल पर)

वसीम- हाँ ..मेसेज मिल गया...वो कहाँ है...

सामने- वो तो आ जायगा..पर तुम करना क्या चाहते हो...

वसीम- बस एक चोट देना चाहता हूँ...

सामने- ह्म्म..पर ध्यान रहे...उसकी जान ना चली जाए...

वसीम- नही जायगी...बस एक गहरी चोट लगेगी...

सामने- आपको उस पर इतना भरोसा है..कहीं गड़बड़ हो गई तो..??

वसीम- नही होगी...वो एक पक्का निसानेबाज़ है...ग़लती की कोई गुंजाइश नही...मुझे पूरा भरोसा है..

सामने- आपको भरोसा है तो ठीक...वैसे अब मेरे लिए क्या ऑर्डर है...

वसीम- इंतज़ार करो...जल्दी ही काम बताउन्गा...

फिर वसीम कॉल कट कर के फार्महाउस निकल आता है....

थोड़ी देर बाद....

वसीम अपने रूम मे पेग लगाते हुए एक फोटो देख कर बोलता है...

वसीम- बस...अब टाइम आ गया है...सब हिसाब पूरे कर दूंगा....बस तुम सब की कमी पूरी नही कर पाउन्गा....

और वसीम की आँखो मे आँसू आ गये....

यहाँ वसीम अपनो के गम मे डूबा हुआ था .

अंकित के साथ शादिया पेग लगा रही थी....
Reply
06-07-2017, 11:57 AM,
RE: चूतो का समुंदर
शबनम पश्चाताप के आँसू बहा रही थी..

जूही , अंकित के बारे मे सोच-सोच कर खुश हो रही थी...

कुल मिला कर सब अपने-अपने काम मे लगे हुए थे...

पर इनसे दूर सहर मे रजनी और सोनू अंकित के लिए परेसान थे....

एक ख़तरा मंढारा रहा है....पर शायद किसी को पता नही कि ये आने वाला ख़तरा किसे शिकार बनाता है...

अंकित को या फिर किसी और को........????????????

शादिया के रूम मे....

मैने शादिया के साथ ड्रिंक करना शुरू ही किया था कि अकरम का कॉल आ गया....

अकरम ने मुझे जल्दी से गार्डन मे आने को बोला....

मैं- शादिया जी...अब मैं चलता हूँ...कुछ काम आ गया...

शादिया- पर..हमारी पार्टी...

मैं- आप रेडी रहना...मैं आता हूँ...वैसे किस तरह की पार्टी करनी है....

शादिया- ह्म्म..जो पार्लर मे किया था....आज भी कुछ ऐसा ही करना है...

मैं- अरे..अभी तो आप सुधरी थी और अभी...

शादिया(बीच मे)- मैं वसीम के साथ नही करूगी पर किसी और के साथ तो कर सकती हूँ ना...

मैं- ह्म्म..बट ऐसे इंसान के साथ करना जिससे अकरम की फॅमिली की बदनामी ना हो...किसी को खबर ना हो....ओके

शादिया- ह्म्म..तो तुमसे अच्छा कौन मिलेगा...तुम पर किसी को शक नही होगा और तुम बदनाम भी नही करोगे...

मैं(मुश्कुरा कर)- मनोगी नही...

शादिया- नही...आज तो नही...

मैं- ओके..वेट करो..आता हूँ....और हाँ ..आज पीछे से फाड़ुँगा...

शादिया(मुस्कुरा कर)- ह्म्म...आओ तो ...फिर जहाँ चाहे वहाँ फाड़ लेना...

फिर मैं शादिया को बाइ बोलकर नीचे गार्डन मे आ गया....

वहाँ अकरम , रूही के साथ खड़ा हुआ था...

मेरे आते ही अकरम ने रूही को इशारा किया और रूही अंदर जाने लगी....

जाते-जाते रूही मेरे बाजू से गुज़री तो मुझे दूर से किस दे कर आँख मार गई...

रूही की इस हरक़त पर मैं मुस्कुराते हुए अकरम के पास पहुचा तो वो मुझ पर फिर से भड़क उठा.....

वसीम- तू साले मुस्कुरा रहा है..और मेरी मरी पड़ी है...

मैं- क्या हुआ...इतनी गर्मी किस लिए ??

अकरम- अबे गर्मी नही..मैं परेसान हूँ बस...

मैं- यार इतनी परेसानि ठीक नही...रिलॅक्स...

अकरम- कैसे भाई..कैसे...मैं चाह कर भी रिलॅक्स नही कर पाता...

मैं- तू अपनी मोम के लिए परेसान है ना...??

अकरम- हाँ भाई....वही एक परेसानि है...मैं जहा भी रहूं ..कुछ भी करूँ...पर उनका सोचते ही मुझे आग लग जाती है. ..

मैं- थोड़ा सबर कर यार...

अकरम- नही होता भाई...अब तो बिल्कुल नही....

मैं- शांत हो जा...और मेरी बात सुन..

अकरम- क्या सुनूँ...तूने आज का बोला था..और तू. .

मैं(बीच मे)- और आज ही काम कर दिया...समझे...

अकरम- क्या कहा तूने. .

मैं- यही कि जो वादा किया था वो पूरा कर दिया....

अकरम- सच...मतलब..मतलब तुझे पता चल गया कि वो इंसान कौन है जिसके साथ मोम...

मैं- नही...पर तेरा काम हो गया ...

अकरम(घूरते हुए)- मतलब क्या है...??

मैं- मतलब ये कि मैने तेरी मोम से बात कर ली...

आलराम(शॉक्ड)- सच मे...पर...पर कैसे...क्या...कब...??

मैं- चौंक मत...और ये सब छोड़...अब तेरी मोम सुधर जायगी...जैसे पहले थी...


अकरम- सच ...

मैं(मुस्कुरा कर)- तेरी कसम ..सब सच है.....

अकरम - कैसे...क्या बात की तूने....
Reply
06-07-2017, 11:57 AM,
RE: चूतो का समुंदर
फिर मैने अकरम को सारी बात बता दी जो कि शबनम के साथ हुई थी...और ये भी बता दिया कि अब उसकी मोम ऐसा कुछ नही करेगी.....बस ये नही बताया कि उसका चक्कर किसके साथ था .....

मेरी बात ख़त्म होते ही अकरम ने मुझे गले लगा लिया और उसकी आँखो से आँसू बहने लगे ..मैं जानता था कि ये खुशी के आँसू है...

अकरम(सुबक्ते हुए)- थॅंक्स यार...थॅंक यू वेरी मच...

मैं- बस कर...और चुप हो जा...आज से तेरी टेन्षन ख़त्म...खुश हो जा...

अकरम- बहुत खुश हूँ भाई...बहुत ज़्यादा...

मैं- ह्म्म..

अकरम- भाई..तूने आज बहुत बड़ा अहसान किया है मेरी मोम को सुधार कर...मैं इसको कभी उतार नही पाउन्गा...थॅंक यू भाई...

मैने अकरम को अपने से अलग किया....

मैं- अहसान..थॅंक्स...ये सब क्या है...हमारी दोस्ती इतनी कमजोर है जो तू ये सब कह रहा है....

अकरम- नही भाई...ऐसा मतलब नही था...लेकिन शुक्रिया तो अदा करना ही चाहिए ना...

मैं- ह्म्म..तो कभी मेरा काम कर देना...शुक्रिया अदा हो जायगा...हाँ

अकरम- उपेरवाले ने चाहा तो ज़रूर तेरे काम आउगा....

मैं- ओह्ह..मैं तो यही चाहूगा कि हमारी दोस्ती ऐसे ही बनी रहे ...अच्छी और सच्ची....

अकरम- हाँ भाई...उपेरवाला देख रहा है...उसी की मौजूदगी मे कहता हूँ...कि अगर मेरे दिल मे तेरी सच्ची दोस्ती है तो देख लेना...एक दिन तुझ पर आने वाली मुसीबत ..तुझसे पहले मुझ पर आयगी...

( अकरम की बात सुनकर मैं सोचने लगा कि क्या मैं इसकी दोस्ती के लायक हूँ...

मैं अपने दोस्त की दीदी और मौसी को चोद चुका हूँ और उसकी दूसरी बेहन पर भी मेरी नज़र है...

और तो और ..उसकी गफ़ को अपने लंड का स्वाद चखा चुका हूँ....

पर फिर सोचा की इसमे मेरी क्या ग़लती...जो हुआ वो सब उन लोगो ने शुरू किया...तो मैं ग़लत नही...)

फिर मैने अपने आप को समझाया और अकरम की प्यारी बात सुनकर मैने उसे गले लगा लिया....

फिर हम दोनो खुशी-खुशी घर के अंदर आ गये....

थोड़ी देर बाद मैने अकरम को रूही के पास भेज दिया और मुझे मौका मिल गया शादिया के पास जाने का....

और मैं शादिया के रूम मे निकल गया उसकी गान्ड मारने के लिए.....

--------------------------------------------------------------------



यहाँ सहर मैं सोनू कही जाने की तैयारी करने के बाद बेड पर बैठ हुआ था...

इस टाइम वो बहुत परेसान दिखाई दे रहा था....

तभी उसकी बेहन सोनन आ जाती है...जिसे देख कर सोनू अपनी हालत ठीक करता है और चेहरे पर झूठी मुस्कान लाता है....

सोनम- सोनू...क्या हो रहा है...(बेग को देख कर)...तू ..कहीं जा रहा है क्या...??

सोनू- वो...ओह हा..एक फ्रेंड के साथ जा रहा हूँ...उसके गाओं..शादी मे..

सोनम- ह्म्म..ठीक है...वैसे ये पूछने आई थी कि डॅड का फ़ोन लगा क्या.. ??

सोनू- नही...वो शायद नेटवर्क नही होगा ...जैसे ही बात होगी तो बता दूँगा...

सोनम- ह्म्म..आइ होप जल्दी लग जाए...काफ़ी दिन हो गये उन्हे गये हुए और एक भी कॉल नही आया उनका...

सोनू- तू टेन्षन मत ले...वो काम से गये है..जल्दी ही आ जायगे...

सोनम(उदास हो कर)- कम से कम एक कॉल कर देते....आज के पहले डॅड ने कभी ऐसा नही किया...पता नही क्यो मुझे टेन्षन हो रही है...लगता है वो दिन ही सही नही था जब डॅड ट्रिप पर गये थे.....

सोनू- अरे यार...टेन्षन मत ले.....ऐसा कुछ मत सोच...ओके...

सोनम- ठीक है...तू ट्राइ करते रहना..मैं भी करती हूँ...ओके..

इसके बाद सोनम निकल जाती है और सोनू बेड पर बैठ कर रोने जैसा हो जाता है....

सोनू(मन मे)- तुझे क्या बताऊ कि कौन सा दिन मनहूस था....मनहूस दिन वो नही था जिस दिन डॅड गये...दिन तो वो मनहूस था जब वो काल आया था मुझे.....

फिर सोनू उस दिन को याद करने लगा.....



फ्लॅशबॅक ( कुछ दिन पहले)

सोनू मार्केट मे घूम रहा था तभी उसके फ़ोन पर एक अननोन कॉल आया....

( कॉल पर )

सोनू- हेलो...कौन ??

अननोन- हेलो सोनू....कैसे हो...

सोनू- मैं ठीक हूँ...आप कौन बोल रहे है...??

अननोन- मैं कोई भी हूँ..पर इस समय तुम्हारे लिए बहुत ख़ास हूँ...

सोनू- मतलब...कहना क्या चाहते हो..??

अननोन- ह्म्म..कहना नही चाहता...एक ऑफर देना चाहता हूँ ..

सोनू- कैसा ऑफर..??

अननोन- तुम्हारे फ़ायदे का...

सोनू- सॉफ-सॉफ बोलेगे...कैसा फ़ायदा...??

अननोन- ओके..सॉफ-सॉफ बोलता हूँ...तुम मेरा काम करो और मैं तुम्हे पैसे दूँगा...

सोनू- ओह्ह..पैसे..सॉरी..मुझे पैसो की कोई कमी नही...

अननोन- काम लाखो का है...

सोनू- अच्छा...फिर भी ..मुझे ज़रूरत नही...

अननोन- पूरे 10 लाख...

सोनू- ऐसा क्या काम है जो तुम इतने पैसे दे रहे हो...

अननोन- तुम्हारा निशाना बहुत अच्छा है ना..शूटिंग चॅंपियन हो तुम..ह्म्म

सोनू- ओह्ह ...तो ये काम है...तुम चाहते हो कि मैं किसी को शूट करू...

अननोन- हाँ..तुम तो समझदार निकले..
Reply
06-07-2017, 11:57 AM,
RE: चूतो का समुंदर
सोनू- ओये...बकवास बंद कर...मैं शूटर हूँ...लेकिन किसी को शूट नही करता...ओके..चल फ़ोन रख...

सोनू ने गुस्से मे कॉल कट कर दी और आगे बढ़ने लगा...तभी फिर से उसी नंबर. से कॉल आ गया...


सोनू ने पहले तो इग्नोर किया पर 3-4 बार आने पर कॉल ले लिया...

सोनू- बोला ना..मैं ऐसा काम नही करता..समझ नही आता क्या...

अननोन- मुझे तो समझ आ गया..अब तुम्हे समझना है...

सोनू- क्या समझाएगा तू....

अननोन- ह्म्म..तुम्हारे डॅड कहाँ है...जानते हो ..

सोनू- हाँ..वो काम से बाहर गये है...इससे तुझे क्या...

अननोन- मुझे कुछ नही...बस तुम्हारे डॅड की न्यूज़ देनी थी..

सोनू- मतलब...

अननोन- मतलब ये कि मैं जानता था कि तुम आसानी से नही मनोगे...इसलिए हमने तुम्हारे डॅड को अपना मेहमान बना लिया....

सोनू(गुस्से मे)- क्या बकता है...

अननोन- बक नही रहा...बता रहा हूँ...अपने डॅड को चाहते हो तो जैसा मैं कह रहा हू वो करो...

सोनू- मतलब..मेरे डॅड...कहाँ है वो..

अननोन- मेरे पास...

सोनू- मैं क्यो मानु...तू झूठ बोल रहा है...

अननोन- तो कैसे मानोगे...

सोनू(घबरा कर)- कैसे भी नही...

अननोन- ओके..मेरा एक साथी अभी तुम्हारे पास आएगा...वो सब बता देगा...शायद फिर भरोसा हो तुम्हे....

सोनू कुछ बोलता...उसके पहले कॉल कट हो गई...

सोनू ने जल्दी से अपने डॅड को कॉल किया ..पर कॉल नही लगा...

सोनू ने कई बार कोसिस की पर रिज़ल्ट सेम...कॉल नही लगा...

फिर सोनू ने उस अननोन नंबर. पर कॉल किया...पर वो भी नही लगा....

सोनू वही पर खड़ा हो कर सोचने लगा...उसकी परेसानि बढ़ती जा रही थी..



तभी उसके सामने एक औरत आ कर खड़ी हो गई...जिसने अपना चेहरा छुपा कर रखा था...

लेडी- हेलो सोनू..

सोनू- हेलो...तुम कौन...??

लेडी- सब समझ जाओगे...ये वीडियो देख लो बस ....

जैसे ही उस लेडी ने अपना फ़ोन सोनू को दिखाया तो उस वीडियो को देख कर सोनू की माथे की लकीरे गहरी होने लगी...

कुछ देर बाद ही सोनू रोने लगा...

सोनू- तुम लोग चाहते क्या हो...मेरे डॅड को क्यो...

और सोनू रोते हुए वही पर बैठ गया...

लेडी- देखो..यहाँ तमाशा मत करो...उठो और कही और चलो...

सोनू- ह्म..पर ये बताओ कि तुम कौन हो...

लेडी ने अपने चेहरे से नकाब हटा दिया...

सोनू- तुम कौन हो...

लेडी- जान जाओगे...पहले ये आँसू पोछो...और काम की बात सुनो...

सोनू- बोलो...

लेडी- ये तो समझ गये होगे कि हम तुमसे किसी को शूट करवाना चाहते है...

सोनू- जानता हूँ...

लेडी- तो ये भी जान लो कि तुम्हे किसको शूट करना है...

सोनू- किसको...और क्यो..??

लेडी- क्यो का जवाब जानने की तुम्हे कोई ज़रूरत नही...हाँ कौन है.. ये देखो....

लेडी ने सोनू को फ़ोन मे एक फोटो दिखाई...जिसे देख कर सोनू शॉक्ड हो गया.....

सोनू- अंकित...ये तो अंकित है...

लेडी- हाँ..अंकित ही है...तुम्हे इसी को शूट करना है...

सोनू- न्ह्हीइ...कभी नही...ये मेरा दोस्त है...मैं इसे कैसे....

लेडी- तो क्या हुआ....अपने डॅड को बचाना चाहते हो ना...

सोनू(रोते हुए)- हाँ...पर अपने दोस्त को शूट कैसे करूँ...

लेडी- उसमे क्या है...अपने फ़ायदे का सोचो...बस...

सोनू- पर वो मेरा दोस्त है...

लेडी- तब तो अच्छा ही है...उसे शक भी नही होगा...

सोनू- ये तो धोखा होगा...

लेडी- तो धोखा दे दो ना...

सोनू(गुस्से से)- तुम...तुम किसी अपने को धोखा दे सकती हो...???

लेडी- दे क्या सकती हूँ...दे रही हूँ...

सोनू- किसे...??

लेडी- अंकित को ही..

सोनू- अंकित को..तुम उसे कैसे जानती हो...

लेडी- मैं उसी के घर मे काम करती हूँ...सालों से...

सोनू(शॉक्ड)- क्या...फिर क्यो...??

लेडी- पैसा..बहुत सा पैसा...अब चलो यहाँ से...बाकी बातें रास्ते मे....
Reply
06-07-2017, 11:58 AM,
RE: चूतो का समुंदर
फिर दोनो मार्केट से बाहर सोनू की कार तक आते है....तभी अचानक अंकित, सोनू के पास आ जाता है जिसे देख कर वो लेडी छिप गई....

सोनू जैसे-तैसे नॉर्मल रह कर अंकित को वहाँ से चलता करता है और फिर उस लेडी के साथ निकल जाता है...

कार मे......

सोनू- कौन हो तुम..और अंकित को कैसे धोखा दे रही हो....

लेडी- मेरा नाम रश्मि है..मैं अंकित के घर मे काम करती हूँ..और वही रहती हूँ...अपने भैया-भाभी के साथ...और मैं अंकित को क्या धोखा दे रही हूँ...ये जानने की तुम्हे कोई ज़रूरत नही....ओके..

सोनू- पर क्यो...अंकित ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा...

रश्मि(मुस्कुरा कर)- कुछ नही बिगाड़ा...ये तो सिर्फ़ पैसो के लिए...बहुत सारे पैसो के लिए...हहहे...

सोनू(गुस्से से)- ठीक है..भाड़ मे जाओ..बस मेरे डॅड को कुछ नही होना चाहिए...

रश्मि- कुछ नही होगा...बस मेहमान बना कर रखेगे...जब तक हमारा काम ना हो जाए..ओके...

सोनू- पर कब तक...???

रश्मि- टाइम आने दो..सब जान जाओगे...अभी मुझे यही छोड़ दो..और अगले कॉल का वेट करो...

फिर सोनू, रश्मि को छोड़ कर अपने घर आ गया....



---------------------------------------------------------------------


बॅक टू प्रेज़ेंट......

उसी दिन से सोनू परेसान था...ना ही वो किसी को कुछ बता सकता था और ना ही उस काम के लिए मना कर सकता था...

उसके डॅड की जान उसी के हाथ मे थी..अगर सोनू ने काम नही किया तो उसके डॅड के साथ बुरा होगा...

इसीलिए सोनू ने अंकित को धोखा देने और उसे शूट करने के लिए हाँ बोल दी थी...अपने डॅड की खातिर...

सोनू अपनी सोच मे खोया हुआ था...उसका चेहरा पसीने और आँसुओ से गीला पड़ गया था...

सोनू ने अपनी आँखे सॉफ की और अपने डॅड की फोटो देखते हुए बोला....

सोनू-डॅड...आप मुझे शूटिंग चॅंपियन बनाना चाहते थे ना...देखिए डॅड...मैं आज चॅंपियन हूँ...

पर आज मेरा ये हुनर आपकी जान का दुश्मन बन गया....

और सोनू अपने डॅड की तस्वीर गले लगा कर रोने लगा......

यहाँ फार्महाउस पर....

मैने अकरम को रूही के पास भेजा और फिर शादिया के रूम की तरफ निकल गया ...

फिर कुछ सोचकर पहले मैं अपने रूम मे आया और थोड़ी देर बाद शादिया के रूम मे चला गया....

मैने जैसे ही शादिया के रूम मे गया तो शादिया मेरे सामने शॉर्ट्स मे खड़ी हुई थी...बिल्कुल हॉट आइटम...




मैं- वाउ...नाइस ड्रेस शादिया...

शादिया- शादिया जी से शादिया..ह्म्म

मैं- ह्म्म..मैं जिसकी गान्ड मारता हूँ उसे जी नही कहता...बल्कि कुतिया बना कर चोदता हूँ...

शादिया- अच्छा...

मैं- ह्म्म..अब सोच लो...फिर बोलो ...

शादिया(मुस्कुरा कर)- इसमे सोचना क्या...जल्दी आओ...

मैने जल्दी से गेट लॉक किया और शादिया के पास जा कर उसको बाहों मे खीच लिया....

शादिया- आअहह...

मैं- अभी से आह निकल गई...

शादिया- तुम्हारी बॉडी बड़ी कसी हुई है यार...पूरे मर्द...

मैं- ह्म्म..तो अब इस मर्द को गरम माल दिखा दो जल्दी से...ह्म्म..

शादिया- ज़रूर..पर पहले मेरी प्यास भुझाओ...

और इतना बोल कर ही शादिया घुटनो पर आ गई और मेरा पेंट खोलने लगी...मैने भी अपनी टी-शर्ट निकाल दी...

पेंट खुलते ही मेरा आधा खड़ा लंड शादिया के सामने आ गया और शादिया ने गप्प से लंड को मुँह मे भर लिया...




शादिया- उूुुुुउउम्म्म्ममम....आअहह....मस्त हथ्यार है....

मैं- ह्म..तो शुरू ही जाओ...

शादिया- ह्म..उूउउंम्म...उउउंम्म...आअहह..सस्स्ररुउउप्प्प...सस्स्रररुउउप्प्प....


शादिया मेरा लंड फुल स्पीड मे चूस रही थी…जैसे जन्मो की प्यासी हो ओर मैं भी उसके सिर को धीरे-धीरे दवाने लगा…

शादिया- सस्स्ररुउपप…सस्ररुउपप…उूुुउउंम्म…उूउउंम्म….सस्स्रररुउउप्प
सस्स्ररृूपप..सस्रररयउउउप्प..सस्स्ररुउपप..सस्ररुउउप्प..उउउंम…उउंम…उउउम्म्म्मम….सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्रररुउउप्प्प…सस्स्रररुउउप्प्प...

शादिया 2 मिनिट तक बिना स्पीड कम किए मेरे लंड को चूस्ति रही…फिर लंड निकाल के बोली....

शादिया-आआहह…मान गये….तगड़ा माल है…आहह..मज़ा आ गया...

मैं-अभी तो मज़ा आएगा…तू चूस्ति रह....

शादिया ने फिर से लंड को मुँह मे भर लिया....और चुसाइ शुरू कर दी....

थोड़ी देर लंड चुस्वा कर मैं गरम हो चुका था और मैने शादिया का सिर पकड़ा ओर तेज़ी से उसके मुँह को चोदने लगा…

वो कुछ बोलना चाहती थी लेकिन सिर्फ़ सिसकिया सुनाई दे रही थी

मैं-आहह….ये ले साली लंड चाहिए…हाअ…तगड़ा लंड…अब ले …ओर ले…

शादिया-उउम्म्म्म...उउउंम..उउंम्म...उउंम..सस्सुउउंम...ससुउउप्प...सस्सूउपप..उउउंम्म..

मैं ज़ोर-ज़ोर से शादिया के मुँह को चोद रहा था ऑर शादिया के बूब्स को कपड़ो के उपर से दबाने लगा...
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