Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-07-2017, 12:09 PM,
RE: चूतो का समुंदर
गुल को रोकते ही मैं बेड पर चढ़ गया और गुल को लिटाते हुए उसके उपेर लेट गया...

मैने गुल की आँखो मे देखा तो उनमे सॉफ-सॉफ दिख रहा था कि वो चुदाई के लिए तड़प रही है...

मैं भी पूरा तैयार था और मैने गुल की चूत पर लंड सेट कर के एक धक्का मारा और सुपाडा अंदर चला गया ...

गुल- आआअहह...

मैं- बस ...थोड़ा सा...

और फिर धीरे -धीरे दो धक्को मे मैने पूरा लंड गुल की चूत मे डाल दिया....

गुल- आआईयईईई....उउउम्म्म्मम...आअहह...

गुल की आँखो मे आसू आ गये पर उसकी आवाज़ मे खुशी थी...

मैने धीरे -2 चुदाई सुरू कर दी और झुक कर गुल को किस करने लगा...

गुल ने भी अपने पैर मेरी कमर मे फसा कर अपनक गान्ड उछालते हुए चुदाइ का मज़ा लेने लगी...




मैं- उउंम्म..सस्स्रररुउउप्प्प...उउउंम्म..

गुल- उउउंम्म...उूउउम्म्म्म..आअहह...उूउउंम्म..सस्स्ररुउप्प्प

थोड़ी देर बाद मैने गुल को किस करना छोड़ा और तेज़ी से चुदाई सुरू कर दी...

गुल- आह..आअहह..आहह…आहह..आहह…अहह...

मैं-ययईएह….ययईईहह…यी…ल्ल्लीए..

गुल-ऊहह….म्म्माहआ…आआहह….अहहाा..उउंम्म...

मैं- ओह्ह्ह...ईसस्स....उउउंम...

थोड़ी देर बाद मैने चुदाई रोकी और उठ कर गुल को पलटा दिया और कमर पकड़ के उपेर उठाने लगा...

गुल मेरा मतलब समझ गई और अपने आप डॉगी स्टाइल मे आ गई ...

मैने देर ना करते हुए उसकी चूत मे लंड डाल दिया और चुदाई सुरू कर दी...




गुल- आहह...आअहह...आअहह...आअहह...

मैं- येस्स...यीहह...ईएह...ईएसस्स....

गुल- उउउंम...आहह...आअहह...आआहह...

मैं- एस्स...कम ऑन...ऊओ.. ..येस्स...येस्स..येस्स...

मैं पूरी स्पीड से गुल को चोद रहा था और गुल भी गान्ड पीछे कर के मस्त चुदवा रही थी...पर अभी तक बोली कुछ नही...

हमारी सिसकियाँ और गुल की गान्ड पर मेरी जाघो की थाप रूम मे गूँज रही थी..और चुदाई का रंग चरम पर था...

करीब 15 मिनिट की चुदाई मे गुल फिर से झड़ने लगी...

गुल- आअहह...आआहह....माऐईन्न...आआईयइ...उूउउंम ...आअहह....

गुल झड़ने के साथ ही ढीली पड़ गई...

और मैने थोड़ी देर चुदाई कर के लंड बाहर निकाल लिया और गुल को पलटा कर उसे किस करने लगा...

थोड़ी देर बार गुल फिर से गरम होने लगी और उसने मुझे लिटा कर खुद उपेर आ कर चूत मे लंड भर लिया और मेरे उपेर झुक कर चुदवाने लगी....




गुल- आअहह...येस्स....फक..आअहह...

मैं- गुड...जंप बेबी...ईीस्स..ईीस्स..

गुल- आअहह...आअहह...ऊहह..एस्स...फक..फक...फक...आअहह...

गुल पूरी स्पीड से उछल कर अपनी चूत मरवाने का मज़ा ले रही थी...

गुल- आअहह..आहह..आहह..आअहह...

मैं- ओह्ह..एस्स...ईसस्स...ईसस्स....

गुल पूरी स्पीड से अगले 10-15 मिनिट उछलती रही और एक बार फिर से झड़ने लगी...

गुल- आअहह ...आअहह...आअहह...माइन...ग्गाऐइ...आअहह...

मैं भी गुल के साथ ही झड़ने लगा...

मैं- आइ एम कँम्मिंग बेबी...ईएह....ईएह...

हम दोनो के झाड़ते ही चुदाई का तूफान ख़त्म हो गया...
Reply
06-07-2017, 12:09 PM,
RE: चूतो का समुंदर
थोड़ी देर रेस्ट करने के बाद हम अलग हुए और गुल मुझे देख कर शरमा गई और उठ कर बाथरूम मे चली गई...

थोड़ी देर बाद हम दोनो फ्रेश हो कर एक दूसरे की बाहों मे समा गये और पता नही कब हम नीद के आगोश मे चले गये...

आज की रात तो मेरे लिए बहुत ही अच्छी थी...शुरुआत भी और अंत भी....

रात सुरू होते ही कामिनी के खिलाफ मेरे प्लान कामयाब रहा...

और फिर रात मे एक नई जवानी को जी भर कर चखने का मौका मिला....जिसे चखने के बात रात का अंत हुआ....

पर यहाँ से कही दूर इस रात ने सुरू होते ही एक नये ख़तरे की दस्तक दे दी थी....

दूर कही सुनसान सड़क पर रात के सन्नाटे को चीरते हुए एक कार आगे बढ़ी जा रही थी...

देखते ही देखते उस कार ने मेन रोड से उतर कर एक कच्चे रास्ते पर चलना सुरू कर दिया...

और रास्ते की धूल उड़ती हुई एक गाओं मे दाखिल हो गई....

गाँव मे चारो तरफ़ अंधेरा छाया हुआ था...शायद बिजली गुल थी...

उपेर से गाओं के लोग जल्दी ही सो जाते है...जिस वजह से चारो तरफ सन्नाटा छाया हुआ था...

बस कुछ लोग गाओं के चौपाल के पास आग जला कर बैठे हुए गप्पे मार रहे थे....

तभी वो कार आकर वहाँ रुकी और कार से एक औरत उतर कर चौपाल के पास बैठे लोगो के पास पहुचि....

औरत- सुनो...

आदमी 1- हाँ मेम्साब...कहिए...

औरत- क्या कोई बता सकता है कि आज़ाद मल्होत्रा कहाँ रहते है....??

औरत की बात सुनकर वहाँ बैठे लोग चौंक कर एक-दूसरे को देखने लगे...

औरत- क्या हुआ...बताइए...??

आदमी 1- आज़ाद मल्होत्रा...वो कौन है...???

आदमी 2- हाँ मेम्साब...कौन है वो...और आप कौन है...??

औरत(गुस्से मे)- तू होता कौन है मुझसे बोलने वाला...सीधे से मेरी बात का जवाब दे....

औरत की बात सुनकर वहाँ बैठे लोग ताव मे आ गये और खड़े हो गये...

आदमी1- क्या कहाँ...??

आदमी 2- ज़्यादा गर्मी दिखा रही है...

आदमी 3- नही बताते ...बोल क्या करेगी...

औरत भी समझ गई कि अगर गुस्सा दिखाया तो प्राब्लम उसे ही होगी...इसलिए मौके की नज़ाकत समझते हुए बोली...

औरत- देखो..मेरी बात का ग़लत मतलब मत निकालो...वो क्या है ना कि मेरे बाबूजी बहुत बीमार है...बस कुछ दिनो के मेहमान है वो...और इस समय वो अपने दोस्त यानी कि आज़ाद से मिलना चाहते है..आख़िरी बार...

और इतना बोलकर औरत आँसू बहाने लगी....

औरत को रोता देख कर लोगो का गुस्सा कम हो गया...

आदमी- तो ऐसा बोलती ना मेडम...माफ़ कीजिए हमे पता नही थी आपकी परेसानि..

आदमी 2- हाँ मेम्साब...हम माफी चाहते है. .

औरत- कोई बात नही...आपकी कोई ग़लती नही है...अब तो आप बताएँगे कि आज़ाद मल्होत्रा कहाँ रहते है...

आदमी- देखिए मेडम..उस नाम का कोई इंसान इस गाओं मे नही रहता...

औरत- पर मेरे बाबूजी ने तो यही पता बताया था ...

आदमी- माफ़ करना मेडम...पर शायद आपको ग़लत पता मिला है...यहाँ कोई आज़ाद नही रहता...

औरत- ग़लत मैं नही...ग़लत तुम लोग हो...

आदमी- क्या...क्या बोला...हम झूठे है क्या..??
Reply
06-07-2017, 12:10 PM,
RE: चूतो का समुंदर
एक बार फिर से लोग गरम होने लगे...औरत इस बात को समझ गई और माफी माग कर वापिस कार के पास आ गई...

उसने सोचा क़ि किसी और से पूछती हूँ...इनसे बहस करने दे मुझे ही दिक्कत होगी...


जब औरत अपनी कार के पास खड़ी हुई आगे के बारे मे सोच रही थी...तभी उसके सामने एक आदमी आ गया...

जिसे देख कर औरत शॉक्ड हो गई....

औरत- त्त्त...तुम कौन हो..??

आदमी- देखिए मेडम...घबडाओ मत...मैं आपकी मदद करने आया हूँ...

औरत- मतलब..??

आदमी- मेडम...मैं तबसे खड़ा हुआ आपकी बाते सुन रहा था...आप आज़ाद मल्होत्रा को ढूँढ रही है ना...??

औरत- हाँ...और तुम मेरी मदद...कैसे...??

आदमी- यहाँ कोई भी आपको आज़ाद के बारे मे कुछ नही बातायगा...

औरत- तो तुम कैसे मदद करोगे...??

आदमी- मैं आपको उस इंसान से मिला सकता हूँ...जो आपको आज़ाद के बारे मे बता सकता है...

औरत- ह्म्म..पर तुम मेरी मदद क्यो करना चाहते हो...??

आदमी- पैसो के लिए....और क्या...

अओरत- ह्म्म..कितने पैसे चाहिए...??

आदमी- 10000 बस...

औरत- 10000...नही...इतना नही दुगी...500 चाहिए तो बोलो...

आदमी- तो जाओ फिर...आपको कभी पता नही चलेगा आज़ाद के बारे मे...

आदमी जाने लगा तो औरत सोच मे पड़ गई और उसे रोक लिया...

औरत- ओके..ओके...दूगी...पर पहले उस आदमी से मिलावाओ तब...

आदमी- ह्म्म..पर अभी नही...अभी आप मेरे घर पर चलिए...हम उससे सुबह मिलने जायगे...

औरत- सुबह क्यो...

आदमी- क्योकि वो रात को अयाशी मे बिज़ी होगा..और इस समय उसे डिस्टर्ब किया तो उल्टा हमारी जान ले लेगा...बहुत ख़तरनाक है वो...

औरत- ओके...तो सुबह ही चलेगे...अभी यहाँ से चलो..

आदमी उस औरत को अपने साथ अपने घर ले गया......रात निकालने के लिए...

-----------+++----------------------++++--------

यहाँ किसी गाओं मे ....

सोनू(सुषमा का बेटा) आख़िरकार उस जगह पहुच गया था...जिस जगह का अड्रेस उसे रश्मि ने दिया था......

यहाँ इसे किसी के कहने पर एक जान लेनी थी....

जब सोनू यहाँ पहुचा तो उसे रुकने की जगह बताने के लिए एक इंसान पहले से रेडी था...

उसने सोनू के रहने -खाने की पूरी ब्यबस्था कर दी थी....

सोनू इस समय बेड पर लेटा हुआ अपने पापा की तस्वीर को देखते हुए आँसू बहा रहा था...

और आने वाले वक़्त के बारे मे सोचते हुए अंदर ही अंदर डर रहा था....



तभी सोनू का मोबाइल बजने लगा...ये उसी इंसान का कॉल था जिसने सोनू को इस काम के लिए भेजा था...

अननोन- हाँ मेरे शेर...पहुच गया ठिकाने पर ..

सोनू-ह्म्म्म ...

अननोन- ह्म्म...मज़ा आ रहा है ना...

सोनू- मज़ा...कैसा मज़ा...मैं सिर्फ़ मजबूरी मे यहाँ हूँ..समझे...

अननोन- हाहाहा ....मजबूरी...ह्म्म...तब भी...मज़ा तो आ रहा है ना...

सोनू(गुस्से मे)- चुप करो...और काम की बात करो...

अननोन- ह्म्म..तो सुन...ये काम 2 दिन बाद करना है....तब तक प्रॅक्टीस कर ले...

सोनू- प्रॅक्टीस...मैं कोई खेल नही खेलने आया...समझे...

अननोन- ह्म्म..खेल तो हम खेल रहे है...इसलिए प्रॅक्टीस करवा रहे है...हाहाहा...

सोनू(गुस्से मे)- बस करो...सॉफ-सॉफ बोलो....

अननोन- ओके..उस ब्रीफकेस को ओपन करो..जो रश्मि ने दिया था..

सोनू- पर उसका कोड ..

अननोन(बीच मे)- 3589 ...ओपन करो..

सोनू ने ब्रीफकेस खोला तो वो चौंक गया...

अननोन- खुल गया...??

सोनू- हाँ..पर इसमे तो...स्निपर..

अननोन- ह्म्म...स्निपर..

सोनू- पर मैं तो राइफ़ल ...

अननोन- तभी तो बोला था कि 2 दिन प्रॅक्टीस करो...ओके..

सोनू- पर..यहाँ - कहाँ...??

अननोन- वो मेरा आदमी बता देगा...अब रेस्ट करो...

इससे पहले की सोनू कुछ कहता...कॉल कट चुका था....

सोनू ने स्निपर को देखा और थोड़ी देर बाद ब्रीफ़केस बंद कर के फिर से गमो के सागर मे डूब गया और अपने पापा की तस्वीर देखते हुए रोने लगा......
Reply
06-07-2017, 12:10 PM,
RE: चूतो का समुंदर
यहाँ सहर मे ..मेरे सीक्रेट हाउस मे...


मेरा आदमी स बाकी सब को काम समझ रहा था...

तभी उसके 2 लोग एक नये बंदे को लेकर वहाँ आ गये...

आदमी 1- सर...ये है वो...

स- ओह..तो ये है...क्या नाम है तुम्हारा...

रॉनी- मेरा नाम रॉनी है सर...

स- तो रॉनी...मैने सुना है...तुम टेक्निकली बहुत एक्सपर्ट बंदे हो..ह्म्म..

रॉनी- सर..अपनी तारीफ़ तो नही करता...पर हाँ...मैं कंप्यूटर्स न्ड फ़ोन रिलेटेड सभी काम चुटकियों मे कर सकता हूँ....

स- ह्म्म..तो तुम हमारे लिए काम करोगे...??

रॉनी- सर..अब आपको कौन मना कर सकता है..पर मुझे कोई प्राब्लम तो नही होगी ना...

स- मैं हूँ ना...डोंट वरी...

रॉनी- तो ठीक है सर...मैं तैयार हूँ...

स- गुड...तो फिर अपना सेटप लगाओ...और जो भी चाहिए हो वो माँग लेना...

फिर स ने एक आदमी को रॉनी की हेल्प के लिए बोला और अंदर के रूम मे आ गया...

स ने अंदर बैठे सक्श को देख कर बोला...

स- सब रेडी हो रहा है...बस तुम रेडी रहना..ओके...

और फिर स अपने काम पर लग गया...

-++++++++++-----+-------------------+----+-+


कामिनी के घर


कामिनी का पैर तो पहले से ही फ्रॅक्चर था...उपेर से आज उसके साथ ये हादसा हो गया...

जिस वजह से कामिनी को देर रात तक नीद नही आई थी...

वो जब भी सोने की कोशिस करती तो उसके सामने दीपा का चेहरा आ जाता और वो डर जाती...

जैसे-तैसे बेचारी को बहुत देर बस्ड़ नीद आई...

पर कामिनी 1-2 घंटे ही सो पाई थी कि उसके बेड के बाजू मे रखा लॅंडलाइन फ़ोन बजने लगा....

त्ररििनननज्ज्ग....त्त्त्र्र्रिईनननगज्गग...

काफ़ी देर बाद एक झटके के साथ कामिनी की आँख खुली...वो अभी भी डरी हुई थी...

थोड़ी देर मे उसे समझ आया कि फ़ोन बज रहा है तो उसने कॉल लिया...

(कॉल पर)

कामिनी- हेलो...

सामने से कोई नही बोला..बस तेज़ हवा के चलने की आवाज़ आई...

कामिनी- हेलो...कौन...

सामने- हेलो कम्मो...

ये आवाज़ सुन कर कामिनी के चेहरे पर पसीना आ गया और उसकी आवाज़ लड़खड़ाने लगी....

कामिनी- हेलो..कौन है...कौन है...

सामने- काम निकलते ही भूल गई कम्मो...

कामिनी- द्द्द...दीपा...तततुउउउंम्म..

सामने- हाँ...मैं...तेरी दीपा....हहहे....

कामिनी- नही...तू तो मर गई है...

सामने- हाँ..तेरी वजह से...और अब मैं तुझे मारने आई हु...अभी...हहहे.....

कामिनी- क्या...नही...हेलो...हेलो...हेलो...

और फ़ोन कट हो गया....

कामिनी की तो हालत पतली हो गई...उसके चेहरे पर हवाइयों उड़ने लगी...और रूम मे खामोशी छा गई...

थोड़ी देर बाद रूम मे कुछ गिरने की आवाज़ आई और साथ मे ज़ोर से एक और आवाज़ निकली.....

न्न्ी दननणन्नाआआआहझहहिईीईईईईईईईई......
फार्महाउस पर....

रात की चुदाई के बाद मैं और गुल आपस मे लिपटे हुए सो रहे थे....

सुबह जब मेरी आँख खुली तो गुल मेरे साथ नही थी....

मैं उसको ढूँढने की कोशिस करता इससे पहले ही बाथरूम का गेट खुला और गुल मेरे सामने आ गई...

गुल ने अपने जिस्म पर टवल लपेट रखी थी..और उसके बालों से पानी की बूंदे उसके सीने पर लूड़क रही थी...

गुल बिल्कुल फ्रेश दिख रही थी...पर मैं उसके सामने पूरा नंगा बैठा हुआ था....

गुल मुझे देख कर शरमाने लगी और अपनी नज़रे झुका ली...

मैने अपने आप को देखा तो गुल के नज़रे चुराने की वजह समझ गया...

पर गुल को सामने देख कर मेरा लंड फिर से फूलना सुरू हो गया...

मैं बेड से उठा और गुल के पास आ गया...

मुझे करीब देखते ही गुल की साँसे तेज होने लगी और शर्म से उसके गाल भी गुलाबी होने लगे...

गुल की सांसो के साथ उसके बूब्स उपेर नीचे हो कर मेरे लंड पर बिजलियाँ गिराने लगे...

मैने अपने दोनो हाथो से गुल के कंधो को पकड़ा तो गुल की सिसकी निकल गई ....और चेहरा मेरे सामने आ गया..

गुल ने अपनी आँखे बंद कर ली और मेरी हरकत का इंतज़ार करने लगी...

मैने अपने होंठो को गुल के चेहरे के करीब किया तो उसकी गर्म साँसे मेरे होंठो को छु कर मेरे अरमानो को हवा देने लगी...

मेरा लंड भी आधा तन चुका था और गुल की जाघो के करीब पहुच रहा था...

मैने गुल की हालत देखी तो मेरे चेहरे पर स्माइल आ गई...

मैने धीरे से अपने होंठो को आगे बढ़ाया और गुल के माथे पर एक किस कर दिया...

मेरे किस करते ही गुल की आँखे खुल गई...और मैने उसको देख कर एक स्माइल दी और उसे साइड करके बाथरूम मे चला गया....

जब मैं फ्रेश हो कर वापिस आया तो गुल रेडी हो कर मेरा ही वेट कर रही थी...

उसकी आँखे सॉफ बता रही थी कि वो क्या सोच रही है...

वो यही सोच रही थी कि मैने उसे ऐसे ही क्यो छोड़ दिया...कुछ किया क्यो नही...जबकि मैं पूरा नंगा था और गुल भी नाम के लिए ही कपड़े से धकि थी...

पर मेरा इरादा कुछ और था ..इसलिए मैं रेडी हुआ और अपने रूम पर आ गया...

मेरे रूम मे ज़िया घोड़े बेच कर सो रही थी....

उसके दोनो पैर फैले हुए थे और नाइटी उपेर चढ़ि हुई थी...

उसकी पैंटी मे क़ैद चूत ने फिर से मेरे लंड को झटकने पर मजबूर कर दिया...

पर ये टाइम सही नही था...

मैने झुक कर ज़िया की चूत को पैंटी के साथ पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया...

और एक चीख के साथ ज़िया जाग गई...

ज़िया- आअहह....तुम...आहह...

मैं- ह्म्म..मैं..अब उठो और निकलो..

ज़िया- आहह...अपना काम निकल गया तो निकलो...ह्म्म

मैं- उठती हो या कुछ और खातिर करूँ...

ज़िया- तो करो ना...अब मैं रेडी हूँ...

मैं- पर मैं नही...इससे पहले की कोई आ जाए...जाओ यहाँ से...

ज़िया मेरी बात समझ गई और उठ कर जाने लगी...

गेट तक पहुच कर वो पलटी और बोली..

ज़िया- अरे...ये तो बताओ कि रात कैसी कटी..???

मैं- मस्त...अच्छी नीद आई...

ज़िया- ओह हो...और गुल को..??

मैं- ह्म्म..वो उसी से पूछ लेना...

ज़िया- तुमने नही पूछा...???

मैं- मैने तो कुछ बात नही की और ना उसने...

ज़िया- मतलब..??

मैं- जाओ..उसी से पूछना...

ज़िया ने मुझे स्माइल दी और ओक कह कर निकल गई...
Reply
06-07-2017, 12:10 PM,
RE: चूतो का समुंदर
ज़िया के जाते ही मैने गेट लगाया और अपने आदमी को कॉल किया....

(कॉल पर)

स- ह्म्म...गुड मॉर्निंग अंकित

मैं- क्या बात है...अभी तक सो रहे है...

स- हाँ यार...काफ़ी लेट सोया था ना....

मैं- ह्म्म...अच्छा , काम हो गया...??

स- हाँ...हो रहा है...कल रात को छोटा सा झटका दे दिया है...अब आगे का खेल सुरू करना है...

मैं- ह्म्म...तो उसके लिए क्या प्लान है...

स- कुछ सोचा है...साम तक बताता हूँ...

मैं- अरे आप प्लान कीजिए....बस ...इस हद तक मजबूर करना है कि वो मरे भी ना और काम भी हो जाए...

स- ह्म्म...तुम कब आ रहे हो वैसे...??

मैं- जल्दी आउगा...वैसे एक बात और है...

स- क्या...??

मैं- मुझे पता चला कि मेरी जान को ख़तरा है...रजनी ने बताया...पर उसे ये नही पता कि किससे है...

स- अच्छा...तो सबसे पहले ये पता करता हूँ..की ख़तरा किससे है...ओके

मैं- ह्म्म..पता तो करो..कि किसकी शामत आ गई....

स- ह्म्म्म्..

मैं- ओके..बाइ...

बात ख़त्म करके मैं नीचे आ गया ..

फिर रोज की तरह नाश्ता करने के बाद घूमने का प्लान बनने लगा...

वसीम ने सबको बताया कि यहाँ आगे एक बहुत पुराना महल है...वहाँ घूमने चलेगे...

हम सब भी महल का नाम सुन कर एक्शिटेड थे...और कुछ देर बाद ही हम सब निकल गये....

करीब 3 घंटे के सफ़र के बाद हम सब एक बुराने से महल के सामने खड़े थे....

जिसका कुछ हिस्सा तो अच्छा था ..पर कुछ -कुछ जर्जर भी हो चला था...

उस महल के आगे एक बोर्ड पर लिखा था कि ये प्रॉपर्टी सम्राट सिंग की है...

तभी मोहिनी बोली...

मोहिनी- सम्राट सिंग...ये नाम कुछ सुना सा है ..

वसीम- क्या...कहा सुना...??

मोहिनी - अभी याद नही आ रहा...याद आयगा तो बताउन्गी...

फिर हम सब महल के अंदर जाने लगे....

तभी वहाँ का एक बुड्ढ़ा चौकीदार सामने आया और हमारा वेलकम किया...

पर मुझे देखते ही उसके माथे पर शिकन आ गई और वो मन ही मन कुछ बुदबुदा कर वहाँ से हड़बड़ाहट मे निकल गया ...

उसके इस तरह के बर्ताब से मैं शॉक्ड था...इसलिए मैने दूसरे चौकीदार से पूछा...

मैं- क्यो भाई..इन्हे क्या हुआ...??

चौकीदार- कुछ नही साब...बुजुर्ग है...कभी-2 होता है बुढ़ापे मे...आप आइए...

हम सब महल घूमने लगे तो अचानक से रूही मेरे पास आई और मुझे एक कोने मे खीच ले गई...जहाँ हमे कोई ना देख सके...

मैं(गुस्से से)- क्या है ये ..??

रूही- तुम नही जानते क्या..??

मैं- दिमाग़ मत खाओ...जल्दी बोलो..

रूही- बोलना क्या है...मुझे वही चाहिए जो एक लड़की एक लड़के से चाहती है...

मैं- ओह..तो अब तक भूत नही उतरा..मुझे लगा था कि अकरम का प्यार तुम्हे बदल देगा...

रूही- उसका प्यार तो मेरी जान है..पर मुझे तुम्हारा जिस्म चाहिए...

मैं- तुम बेशरम हो गई हो...

रूही- हाँ..हो गई...तुम्हे दिखाऊ अपनी बेशर्मी...

मैं- ऐसा क्या...तो आज बेशर्मी देख ली लेता हूँ...

रूही- मतलब..??

मैं- मतलब ये कि मैं कॉल करूँगा...और जहाँ भी कहुगा वहाँ तुम आ जाना...हम वही सेक्स करेगे...

रूही- पर कहाँ...??

मैं- तुम्हे क्या टेन्षन है..तुम तो बेशरम हो...कहीं भी हो..क्या फ़र्क पड़ता है...

रूही मेरी बात सुनकर थोड़ी सी घबराई पर तुरंत संभाल कर बोली...

रूही- ह्म्म..ठीक है...मैं आ जाउन्गी...पक्का ..

और अपनी बात बोल कर रूही निकल गई....

मैं भी आगे निकल कर महल देखने लगा...


महल मे गजब की नक्काशी की गई थी...चारो तरफ कई पिक्चर्स लगी हुई थी...

चलते-चलते एक दीवाल के सामने मेरे पैर थम गये...

दीवाल पर एक पेड़ बनाया गया था...जिसकी टहनियों पर एक-एक चेहरा बना हुआ था...

लेकिन मेरा ध्यान उस टहनी पर रुक गया ..जहाँ पर एक चेहरा जला हुआ था...

फिर मैने गौर किया तो पाया कि पूरी पिक्चर मे 3 जगह जलने का निशान था..

शायद उस जगह के चेहरे जला दिए गये होंगे....

तभी महल को देखने वाला एक आदमी मेरे पास आ कर बोला...

आदमी- साहब जी...ये इस महल के मालिक का परिवारिक चित्र बनाया गया है...एक पेड़ के आकार मे...

देखिए...सबसे पहले वो मुखिया( पेड़ की जड़ की पिक दिखा कर) और उसके बाद पीडी दर पीढ़ी को पेड़ की टहनियों की तरह बताया गया है...

मैं- ह्म्म..सुपर्ब...लेकिन ये बताओ..ये जली हुई पिक्स का क्या मतलब...??

आदमी- साहब जी..ये तो हमे नही पता..शायद जल गई होगी..धोखे से...

मैं- ओहक...

वो आदमी आगे चला गया ..पर मैने देखा कि मुझसे दूर खड़ा हुआ वो बुड्ढ़ा चौकीदार मुझे ही घूर रहा है...

जब मैने उसे देखा तो वो सकपका कर वहाँ से निकल गया...

उसकी नज़रे मेरे दिमाग़ मे सवाल पैदा कर रही थी...पर मैने उसे इग्नोर किया और आगे निकल गया...

आगे एक बड़ा सा आगन मिला...जहा पर अकरम मेरा ही वेट कर रहा था...

अकरम- अरे अंकित..चल मेरे साथ...

मैं- हाँ...पर कहाँ...??

अकरम- यार इस महल मे एक अंडरकवर तालाब है....हमे वहाँ जाने की पर्मिशन मिल गई है...तो चल 

मैं- ह्म्म..पर कहाँ है वो..

अकरम- काफ़ी नीचे है...30 मिनट तो जाने मे लगेगे....

मैं(मन मे)- ह्म्म...यही मौका है रूही को निपटाने का....

अकरम- अब चल ना...

मैं- तू चल..मैं कुछ कॉल कर के आता हूँ...

अकरम- ह्म्म..ओक...वो आदमी खड़ा है ना..उसके साथ आ जाना..पर जल्दी..(अकरम ने एक आदमी की तरफ उंगली दिखाते हुए कहा)

मैं- ओके..तू चल ..मैं आता हूँ...

अकरम के जाते ही मैने रूही को मेसेज कर दिया...

मैने रूही को दूसरी तरफ जा रही सीडीयों पर बुलाया था...जो एक गार्डन तक जाती है...

मैं जान गया था कि सबको तालाब तक जाने मे 30 मिनट लगेगे और आने मे भी...

और फिर वहाँ मस्ती करेगे तो टाइम लगेगा ना...और इतना टाइम काफ़ी था रूही का बॅंड बजाने के लिए....

मैं रूही को मेसेज कर के गार्डन के साइड निकल गया...

और नीचे आकर वही सीडीयो पर बैठ कर रूही का वेट करने लगा...



हम सबके जाते ही बूढ़े चौकीदार ने किसी को कॉल किया...

(कॉल पर)

बुड्ढ़ा- हेलो...

सामने- हाँ बोलो..

बुड्ढ़ा- प्रणाम मालिक..

सामने- ह्म्म..बोलो..क्या हुआ...

बुड्ढ़ा- मालिक..एक खास खबर है...

सामने- क्या...??

बुड्ढ़ा- मालिक..आज आकाश महल मे आया है...

सामने- क्या...आकाश ...वहाँ आया...??

बुड्ढ़ा- हाँ मालिक...उसके साथ और लोग भी है...

सामने- साथ मे कोई भी हो...तुझे यकीन है कि वो आकाश है...

बुड्ढ़ा- हाँ मालिक...

सामने- हाहाहा....साला आज खुद ही मौत के मूह मे आ गया...अब नही छोड़ुगा साले को...

बुड्ढ़ा- तो अब क्या करना है मालिक...

सामने- तू कुछ मत कर...मैं अपना आदमी भेजता हूँ...वो सब कर देगा...

बुड्ढ़ा- जी मालिक...

सामने- आज तूने बहुत अच्छी खबर दी मुझे....उसी के इंतज़ार मे जिंदा था मैं....

बुड्ढ़ा- मालिक...कुछ इनाम...

सामने(बीच मे)- काम हो जाने दे...फिर तुझे नोटो से तौल दूँगा...तू बस इतना याद रखना कि मेरे आदमी के आने से पहले वो जाय ना...

बुड्ढ़ा- ऐसा ही होगा मालिक..

सामने- ह्म्म..मैं भेजता हूँ अपने आदमी को...इंतज़ार कर....

फिर कॉल कट हो जाती है....

----------------
Reply
06-07-2017, 12:10 PM,
RE: चूतो का समुंदर
यहाँ रूही मेरा मेसेज मिलते ही कुछ बहाना कर के मेरी तरफ चली आ रही थी.....

रूही- अंकित ..अंकित...कहाँ हो यार...ओह..तुम यहाँ...ऊओह....

थोड़ी देर के इंतज़ार के बाद रूही मेरे पास आई और मुझे देखते ही शॉक्ड हो गई...और उसका मूह खुला का खुला रह गया....
मैं सीडीयों पर पहले से ही अपनी टी-शर्ट निकाल कर और पेंट नीचे किए हुए अपना लंड हिला रहा था....

रूही- तुम...यहाँ...ऐसे ....क्यो...??

मैं- गुड क्वाश्चन. ...मैने सोचा क्यो ना बेशर्मो के साथ थोड़ा बेशरम बन जाउ...

रूही- अच्छा...तो अब मैं इतनी गिरी हुई हो गई...हाँ..

मैं- नही...मैने ऐसा तो नही कहा...

रूही- कहा नही...पर हरकत तो ऐसी ही है...

मैं- ओके...तुम्हे बुरा लगा हो तो मैं चलता हूँ...

रूही- नही...मैने ऐसा तो नही कहा...

और रूही मेरे बाजू मे बैठ कर मेरे लंड को सहलाने लगी...



मैं- ह्म्म..अब क्या हुआ...बेशर्मी पसंद आ गई...

रूही(मुस्कुरा कर)- ह्म...अब बेशर्मी हो ही जाए....तुम भी क्या याद रखोगे...

मैं- अच्छा...दिखाओ तो ज़रा...

रूही- आज तो पूरी बेशर्मी दिखाउन्गी....

रूही ने मेरा लंड सहलाना चालू रखा....

मैं(मन मे)- लगता है आज ये चुद कर ही मानेगी...सॉरी अकरम....अब मैं नही रुक सकता...

मैं दिल से अकरम के बारे मे सोच रहा था बट दिमाग़ यही बोल रहा था कि मैं ग़लत नही...

और मेरी इस कस्मकस को रूही ने जल्दी से दूर कर दिया ..जब उसने झुक कर मेरे लंड को अपने मूह मे ले लिया....और चुसाइ सुरू कर दी...



रूही-सस्स्ररुउउप्प्प….सस्स्रररुउउप्प्प…ऊओंम्म्मममह…सस्स्रररुउउप्प्प...

मैं-आअहह…..पूरा ले ले....

रूही-सस्स्ररुउउप्प्प….सस्रररुउउप्प्प्प…उउउम्म्म्म....उूुउउम्म्म्मम.....

मैं- एसस्स...ऐसे ही...उूउउम्म्म्मम....

थोड़ी देर बाद रूही पूरी गरम हो गई और ज़ोर-ज़ोर से लंड चूसने लगी....

रूही-सस्रररुउुउउप्प्प्प्प्प….सस्स्स्र्र्ररुउुउउप्प्प…..उूुउउम्म्म्ममनममम….सस्स्र्र्ररुउउउप्प्प्प...उूुुउउम्म्म्मम...

मैं- अब क्या चूस के ही झडा दोगि....आअहह...

रूही ने मेरे बोलते ही लंड मूह से निकाल लिया...और अपना टॉप निकालते हुए बोली....

रूही- नही ..आज तो अंदर डलवा के ही रहूगी....

मैं- ह्म्म...चल आजा फिर...

रूही ने अपना टॉप और जींस निकाल कर साइड मे रखा और फिर मुझे भी नंगा कर दिया...

फिर रूही मेरी गोद मे बैठी और पैंटी को साइड कर के लंड पर चूत सेट कर ली...

मैने भी रूही की ब्रा को निकाल फेका और उसे पकड़ कर लंड पर दबा दिया...

मेरे दबाते ही रूही की चूत मे आधा लंड चला गया और उसकी चीख निकल गई...

रूही- आाऐययईईईईई......ऐसा क्यो किया...आआहह....

मैं- क्या..ऐसा क्या...

और मैने फिर से रूही को ज़ोर से नीचे दावाया और पूरा लंड उसकी चूत मे चला गया....

रूही- आआअहह....कमीने कही के....ऊओह...आअम्म्म्मि...

मैं- अब चुप कर और मज़े ले...समझी ना...

रूही- आअहह....फाड़ दी...

मैं- पहले से फटी है साली...ये ले...

और मैने रूही को लंड पर उछालना सुरू कर दिया....

थोड़ी देर बाद रूही नॉर्मल हुई और उछल-उछल कर चुदाई करवाने लगी...



रूही-अया..आअहह..आहह…आहह..आहह…अहह....

मैं-ययईएह….ययईईहह…यी…ल्ल्लीए....

रूही-ऊओ….आमम्मि…आआहह….अहहाा....

मैं- ईएहह...येस्स...एस्स...एसस्सस्स...

मैने दोनो हाथो से रूही के बूब्स को मसल्ते हुए करीब 10 मिनिट तक उसकी चुदाई की...जिससे रूही झड़ने लगी...

रूही- आअहह...आअहह...म्म्माायन..गई...ऊहह..अम्मी...आहह...येस्स...एस्स....आअहह

रूही झाड़ते हुए उछल-उछल कर फुकछ-फ्फूक्छ की आवाज़ के साथ पस्त पड़ने लगी...

थोड़ी देर बाद मैने रूही को उठाया और सीडीयों के नीचे पेड़ के पास ले गया और उसे झुका कर पीछे से चुदाई सुरू कर दी....



रूही-आहह….उउउफफफ्फ़..म्माआ….

मैं- मज़ा आ रहा है ना...…

रूही-आहह…हाँ..…तुम बस..चूत मारो…ऐसे ही..आहह

मैने भी जूही के कहते ही उनकी गान्ड को पकड़ा ओर तेज़ी से धक्के मारते हुए उसे चोदने लगा…...

रूही-आअहह….आआहह..ऊहह..आमम्मि......

मैं-अब मज़ा आया...

रूही-आअहह…बहुत….मारो ना....अहहह....

रूही बोल ही रही थी कि मैने लंड बाहर तक निकाल कर एक ज़ोर के झटके के साथ पूरा लंड चूत मे डाल दिया....

रूही-आआहह…..म्म्म्मा आररररर द्दददााालल्ल्ल्ल्ल्ल्लाआ. ...

मैं-यीहह…ओर तेज मारु,….हाँ..

रूही-अया..आअहह..आहह…आहह..आहह…अहह

मैं-ययईएह….ययईईहह…यी…ल्ल्लीए…ओर तेज..हाँ..

रूही-ऊओ….म्म्माजआ…आआहह….अहहाा.....

थोड़ी देर ऐसे ही खड़े-खड़े चुदाई कर के हम दोनो थकने लगे...

मैने चुदाई रोकी और रूही को नीचे घास पर लिटा दिया...

और उसकी एक टाँग उठा कर फिर से लंड को चूत मे उतार दिया....



रूही-आअहह….म्म्म्मलममाआअ...थोड़ा आराम से....आअहह

मैं- चिल्लाअ मत….मैं तो ऐसे ही फाड़ुँगा...

ओर मैने एक थप्पड़ रूही की गान्ड पर मारा...

रूही-आआहह…..आआअहह…आह….मारूव..आहह..तेज...ऊहह....

मैं- अरी....चिल्ला मत...कोई आ जायगा....ये ले...

रूही-आआहह….हहाा…ज्ज्जूऊर्र…सससे…मारो…आहह..अह्ह्ह्ह...
Reply
06-07-2017, 12:10 PM,
RE: चूतो का समुंदर
मैं रूही की गान्ड पर थप्पड़ मारते हुए उसकी चुदाई करने लगा...और रूही भी गान्ड उछाल कर लंड का मज़ा लेने लगी....

रूही-आअहह….माअर……मार…ज़ोर से…आहह... आअहह…ज़ोर से…आअहह..ऊहह..ऊहह..

त्ततप्प…त्तप्प्प…आअहह…आहह..त्त्थप्प…त्ततप्प्प्प

मैं-यस…फाड़ता हूँ …ये ले…येस्स..येस्स...

रूही-आआहह..आहह..आह…आ..आह..आह..ज्जूओर्र..सससे..उउउम्म्म्ममम…हमम्म…आअहह...

थोड़ी देर की जोरदार चुदाई के बाद रूही झड़ने लगी…..

रूही-आअहह…अहहह..उउउंम…ऊहह..ऊहह..ऊहह..
ऊहह…ज्ज्ज्ूओर्र…सीई…म्म्मारईंन...आाऐययईईई….
उूउउंम्म…आहह…आहह…आह….

रूही के झाड़ते ही मैने चुदाई रोक दी...

रूही- बस...अब नही...आअहह...थक गई...आआहह...

मैं- चुप कर...अभी मेरा नही हुआ....

रूही- मैं तुम्हे ठंडा करती हूँ...

और रूही घुटनो पर बैठ गई और मैं भी उसके सामने खड़ा हो गया...

रूही ने जल्दी से मेरे लंड को मूह मे भरा और चूसना सुरू कर दिया....

रूही- सस्रररुउउप्प्प....सस्स्रररुउप्प्प...आअहह...उउउम्म्म्म ....

मैं- ओह्ह...जल्दी कर अब...

रूही-सस्स्स्सुउउउप्प्प…ऊओंम्म….उउउंम्म….सस्स्रर्र्र्र्रप्प्प्प....

मैं-आआहह…….क्कक्या चूस्ति हो….ऑर तेज,…हहाअ …ऐसे ही

रूही-सस्स्स्र्र्ररुउउप्प्प…..ऊओंम्म….उउउंम्म…सस्स्रररुउउप्प

मैं-आअहह…..ऐसे ही….ऑर तेज…मेरी रानी…आअहह…

रूही-सस्रररुउुउउप्प्प्प्प्प….सस्स्स्र्र्ररुउुउउप्प्प…..उूुउउम्म्म्ममनममम….सस्स्र्र्ररुउउउप्प्प्प

मैने फिर रूही का सिर पकड़ कर उसका मूह चोदना सुरू कर दिया....

रूही- क्क्हुउऊंम..उउंम...उउंम...क्क्हूम्म....उउम्म्म्म..

मैं- ओह्ह....येस्स....यीहह..यईह..यईह

रूही- उउंम्म...क्क्हुऊंम्म...क्क्हुऊंम....

मैं- ओह्ह.. मैं आया….डाल दूं अंदर…

रूही- उउंम..उउंम..उउउम्म्म्म...

और मैं रूही के मूह मे झड गया....और रूही मेरा लंड रस गटकने लगी.....



मेरा लंड खाली होते ही मैने लंड रूही के मूह से निकाल लिया...और मैं उसके साथ वही नीचे बैठ गया....

----------------------------------------------

यहाँ तो हम सब सुबह से मस्ती मे बिज़ी थे ..पर हमसे कही दूर एक औरत बहुत ही परेसान हो रही थी...

सुबह से जागने के साथ ही वो उस आदमी से दूसरे आदमी के पास चलने को बोल रही थी..जिससे आज़ाद का पता चल सके....

औरत- और कितनी देर...??

आदमी- बस मेडम..थोड़ी देर और..अभी वो जगा नही होगा...

औरत- क्यो..राक्षस है क्या...दोपहर होने आई और वो जगा नही होगा...

आदमी- अरे मेडम..राक्षस नही पर राक्षस से कम भी नही...पूरी रात शराब और सवाब मे डूबा रहता है...इसलिए देर से जागता है...बस कुछ देर और इंतज़ार कीजिए...

औरत- ह्म्न..ठीक है...इतना इंतज़ार किया तो थोड़ा और...

आदमी- वैसे मेडम..आपका नाम क्या है...??

औरत- तुम्हे नाम से क्या...अपने काम से काम रखो बस..

आदमी- जी मेडम...

फिर दोनो थोड़ा इंतज़ार करते रहे...और थोड़ी देर बाद एक बड़े से घर के सामने पहुच गये...

आदमी- मेडम..ये है उसका घर...जिसका नाम है रघु...ये आपको आज़ाद के बारे मे बता सकता है..

औरत- तो खड़े क्या हो...चलो अंदर...

जैसे ही दोनो गेट पर पहुचे तो गार्ड ने उन्हे रोक लिया....

तब उस आदमी ने गार्ड को कुछ कहा जिससे गार्ड अंदर गया और बाहर आते ही दोनो को अंदर कर दिया....

जैसे ही दोनो घर के अंदर आए तो एक नोकर मिल गया....

नौकर ने उन दोनो को बैठने को बोला और खुद उपेर चला गया....

थोड़ी देर बाद नौकर वापिस आया और सिर्फ़ उस औरत को उपर एक रूम मे छोड़ आया...

रूम मे एंटर होते ही औरत के सामने एक बड़ा सा ...मूछो वाला हॅटा-कट्ता मर्द आ गया...जो रघु था...

औरत- आप ही रघु है...

औरत के इतना बोलते ही रघु ने अपनी नशीली आँखो से औरत को घूर के देखा...

औरत- सॉरी...मैं तो बस पूछ रही थी...आप ही रघु...

रघु(बीच मे)- बंद करो....

औरत- क्या..??

रघु- गेट बंद करो...

औरत ने गेट लगाया और फिर से सवाल किया...

औरत- आप ही रघु है..??

रघु- तुम कौन हो...??

औरत- मैं...मेरा नाम दामिनी है...

रघु- यहाँ क्यो आई...??

दामिनी- मैं आज़ाद मल्होत्रा को ढूंड रही हूँ...किसी ने बताया कि तुम...

रघु(बीच मे)- तुम आज़ाद को कैसे जानती हो...

दामिनी- बस..जानती हूँ...

रघु- मैने कहाँ कैसे जानती हो...

दामिनी- इससे तुम्हे क्या...तुम सिर्फ़ ये बताओ कि वो है कहाँ...

रघु दामिनी की बात सुन कर गुस्से मे खड़ा हो गया और दाँत पीसते हुए दामिनी के पास आ गया...

रघु- ओये...जितना पुच्छू ना..उतना ही बोलने का....और मुझे ना कहने की ग़लती तो करना ना...समझी...

दामिनी(डरते हुए)- जी..ठीक है...

रघु- अब बोल ..कैसे जानती है तू आज़ाद को...??

दामिनी- वो..आज़ाद मेरे रिश्तेदार है...

रघु- हाहाहा...रिश्तेदार....

दामिनी- तुम हंस क्यो रहे हो...

रघु- आज़ाद का कोई रिश्तेदार उसे यहाँ ढूँढने नही आयगा..समझी...अब सच बोलो...

दामिनी- वो...मैं..आज़ाद...वो..

रघु- घबरा मत..सॉफ-सॉफ बोल...

दामिनी- ठीक है...मेरा कुछ हिसाब बाकी है उससे..

रघु- तो ऐसा बोल ना कि दुश्मनी है..

दामिनी- हाँ..है दुश्मनी...अब बताओगे कि वो कहाँ है...

रघु- ह्म्म...दुश्मनी...अच्छा है...

दामिनी- तो बताओ फिर..ताकि मैं जल्दी से अपना हिसाब पूरा कर सकूँ...

रघु- मुझे नही पता की आज़ाद अभी कहाँ है...

दामिनी- तो तुम किस काम के...मेरा टाइम बर्बाद कर दिया...

दामिनी गुस्से मे वहाँ से जाने लगी पर रघु ने उसे रोक लिया...

रघु- ओह..रुक...

दामिनी- यहाँ रुक कर मुझे क्या मिलेगा...

रघु- मुझे आज़ाद का पता नही...पर उस इंसान का पता है जो हमे आज़ाद तक पहुचा सकता है...

दामिनी- ह्म्म..तो बताओ..कौन है वो...??

रघु- तुम्हे मिलवा ही दूँगा...

दामिनी- चलो फिर...

रघु- आज नही...कल चलेगे....आज रात तो मुझे कीमत बसूलनी है तुमसे...

दामिनी- कैसी कीमत..??

रघु- आज़ाद तक पहुचने की कीमत....

और रघु ने एक कमीनी मुस्कान दे दी...दामिनी भी उसका मतलब समझ गई और मुस्कुराने लगी.....
Reply
06-07-2017, 12:10 PM,
RE: चूतो का समुंदर
यहाँ महल मे....

थोड़ी देर बाद मैं और रूही कपड़े पहन कर रेडी हुए और वापिस आगन मे आ गये....

वहाँ मैने देखा की वो बुड्ढ़ा मुझे अभी भी घूर रहा था...

मैने उससे बात करने का तय किया क्योकि उसका घूर्ना मुझे परेसान कर रहा था....

मैने रूही को अकरम के पास जाने को बोला और कह दिया कि अकरम को बोल देना कि मैं थोड़ी देर से आ रहा हूँ...

रूही अकरम के पास निकल गई और मैं बुड्ढे की तरफ बढ़ने लगा...

लेकिन मुझे आते देख बुड्ढ़ा महल के उपेर वाले हिस्से मे चढ़ने लगा...

मैं भी उसके पीछे जाने लगा...

धीरे-2 बुड्ढे की स्पीड तेज होती गई और मैं भी उसका तेज़ी से पीछा करता रहा...

आगे जाकर बुड्ढ़ा एक रूम मे एंटर हो गया...

जब मैं उस रूम का गेट खोल कर अंदर गया तो देखा कि वो कोई रूम नही था बल्कि एक रास्ता था...

मैने देखा कि बुड्ढ़ा आगे जा रहा है...तो मैं भी पीछे चल दिया....

धीरे-धीरे इस जगह रोशनी कम होती रही और वहाँ सिर्फ़ मशालों की रोशनी आ रही थी...

थोड़ी देर तक उस बुड्ढे का पीछा करते हुए अचानक फिर से रोशनी दिखाई देने लगी ...

और थोड़ी देर बाद मैने अपने आप को महल के पिछले हिस्से मे खड़ा पाया....

मैं एक खुली जगह मे खड़ा था...पर वो बुड्ढ़ा नज़र नही आ रहा था....

मुझे पक्का यकीन हो गया था कि उस बुड्ढे का मुझसे कुछ तो लेना देना है...

और अगले ही पल मैं समझ गया कि ये तो एक ट्रॅप था...उसने मुझे जानबूझ कर यहाँ तक पहुँचाया...ज़रूर यहाँ कुछ है...

मैं सोच ही रहा था कि मुझे सामने से एक आदमी आता हुआ दिखा...

वो आदमी मेरी ही हाइट का था लेकिन डोले-सोले कुछ ज़्यादा ही थे....

चेहरे पर बड़ी मून्छे उसको ख़तरनाक दिखा रही थी..

और उसके हाथ मे एक बड़ी सी तलवार थी...जिसे देख कर मेरा दिल धड़कने लगा...

अब मुझे थोडा-2 डर लगने लगा था...

पर मैने सोचा कि डरने से काम नही होगा...मुझे इससे बात करनी चाहिए....हाँ..यही ठीक रहेगा...

मैं- हेलो...तुम कौन हो...और वो बुड्ढ़ा कहाँ गया....

उस आदमी ने मेरी बात को पूरी तरह इग्नोर किया और आगे बढ़ता रहा...

अब मेरा डर भी बढ़ गया था...

मैने उसे 2-3 बार टोका पर वो कुछ नही बोला...बस आगे बढ़ने रहा....

अचानक से वो रुका और अपनी तलवार को हाथ मे घुमाते हुए घात लगाने लगा....

वो मेरी तरफ बढ़ने लगा और मैं एक साइड पीछे की तरफ...

अचानक से मेरी नज़र एक पत्थर पर पड़ी और मैने लपक कर उस पत्थर को उठा लिया...

वो आदमी अभी भी आगे बढ़ता रहा...और मैं उसकी अगली चाल का इंतज़ार करते हुए उससे दूर होता रहा....

मैने सोच लिया कि अब तो ये रुकने वाला है नही तो क्यो ना इसका मुकाबला ही कर लिया जाए...

शायद आज के लिए ही मैने जिम मे पसीना बहाया था और कराते सीखा था...

पर उसके हाथ मे तलवार के होते हुए ये आसान नही था...तभी..

मैं(उस आदमी के पीछे देख कर)- ओये बुड्ढे...ये कौन है...

जैसे ही उस आदमी ने अपने पीछे देखा तो मैने पूरा ज़ोर लगा कर पत्थर मार दिया...

आदमी- आआहह....

और पत्थर उस आदमी के हाथ मे लगा...ठीक निशाने पर और तलवार उसके हाथ से छूट गई.....

और तलवार गिरते ही मैने भाग कर उस पर जंप मार दी..

और हम दोनो आपस मे लिपटे हुए ज़मीन पर जा गिरे...

उस आदमी ने सम्भल्ते ही मुक्के बरसाने सुरू कर दिए...और मैने भी...

हम दोनो ही लड़ते हुए खड़े हो गये और एक-दूसरे को मारते रहे...

थोड़ी देर बाद ही हम दोनो के मूह मुक्के खा कर लाल पड़ गये थे और उसके एक मुक्के ने तो मेरे मूह से खून निकाल दिया....


उसने फिर से मुक्का मारना चाहा तो मैने करते किक का जादू दिखा दिया और 2 किक मे वो ज़मीन पर जा गिरा...

मैं उसे पकड़ने आगे बढ़ा तो उसने पलट कर ज़मीन की धूल मेरी आँखो मे डाल दी..

अब मुझे कुछ दिखाई नही दे रहा था की...मैं आखे मलते हुए इधर-उधर घूम रहा था ...

तभी मुझे अहसास हुआ कि कुछ मेरी तरफ बड़ी तेज़ी से आ रहा है...

मैं कुछ सोच पता उससे पहले ही तलवार मेरे हाथ को ज़ख्मी करके निकल गई...

मैं- आआहह...म्म्म्मा आआ.....

तभी एक आवाज़ आई...

नाआहहिईीईईईईईईईई....र्र्ररुउउक्कककूऊऊओ....

और उसके बाद मेरे सिर पर एक जोरदार टक्कर लगी और मैं गिर गया....
Reply
06-07-2017, 12:11 PM,
RE: चूतो का समुंदर
जब मेरी आँख खुली तो मैने अपने आप को एक गाओं के छोटे से क्लिनिक मे बेड पर लेटा हुआ पाया....

मैने देखा कि मेरे चारो तरफ सब लोग (जो मेरे साथ ट्रिप पर थे) खड़े हुए है...

और उनमे से कुछ की आँखो मे परेसानि थी तो कुछ की आँखो मे आँसू भी...

मैने उठने की कोशिस की तब मुझे हाथ मे लगे तलवार के घाव की याद आई...

और मेरे मूह से ज़ोर से चीख निकल गई....

तभी जूही आगे बढ़ी और मुझे सहारा दिया और दूसरी तरफ से संजू और अकरम भी आ गये...

अकरम- भाई...ये किसने किया..तू बस नाम बोल...

अकरम की आँखो मे गुस्सा सॉफ-सॉफ दिख रहा था ..जो आसू बनता जा रहा था...

मैं- कोई नही यार...मैं गिर गया था...और बेहोश हो गया...फिर कुछ याद नही..

अकरम- क्या कहा...गिर गया था...साले ये हाथ पर घाव देख.. ये गिरने से नही होता....किसी हथ्यार से ही होता है....

मैं- अरे ये...ये तो वो उपेर लोहे का गेट था ना..वही लग गया था...

अकरम- साले फिर से...

अकरम की बात पूरी होने के पहले ही मैने उसे आँखे दिखा दी...जिसका मतलब वो समझ गया...

अकरम- ह्म्म...थॅंक गॉड..तू ठीक है...चल रेस्ट कर...

अकरम संजू को साथ ले कर बाहर निकल गया. .

बाकी सब भी धीरे-2 बाहर निकल गये...बस जूही रुकी रही...

सबके जाते ही जूही मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़ कर रोने लगी...

मैं- अब रोती ही रहोगी...हाल-चाल नही पुछोगी..

जूही चुपचाप मुझे देखते हुए रोती रही...

मैं- अब चुप हो भी हो जाओ...मैं ठीक हूँ...

जूही- पर ये सब...

मैं(बीच मे)- सस्शह...एक दम चुप...बाकी बातें घर पर...ओके..

उसके बाद हम सब फार्महाउस पर वापिस आ गये....

पूरे रास्ते मे, मैं यही सोचता रहा कि आख़िर वो था कौन...और मुझ पर हमला क्यो किया...

अगर वो मुझे मारने आया था तो जिंदा क्यो छोड़ दिया...

क्या इसी ख़तरे की बात कर रही थी रजनी आंटी...??

यहाँ से जाने के पहले इस महल मे एक बार तो आना ही पड़ेगा...शायद कुछ पता चले...

और यही सोचते हुए मैं सो गया...

---------------------------------------------


महल मे हमले के वक़्त..

जब वो हमलावर और मैं आपस मे लड़ रहे थे...तो वो बुड्ढ़ा दूर से छिप कर हमे देख रहा था...

तभी बुड्ढे के पास कॉल आया..

(कॉल पर)

बुड्ढ़ा- जी मालिक...

सामने- आदमी पहुच गया...??

बुद्धा- जी मालिक...काम भी सुरू कर दिया...

सामने- अकेला है या दो है...

बूडिया- एक ही आदमी है..

सामने- साले से कहा था कि 2 लोग जाना...आकाश कमजोर नही है..

बुड्ढ़ा- क्या मालिक...** साल के लड़के के लिए 1 ही काफ़ी है..

सामने- क्या...क्या बक रहा है...आकाश ** साल का नही..पूरा मर्द है...

बुड्ढ़ा- पर यहाँ तो एक लड़का ही है...**साल का...

सामने- साले...किस पर हमला करवा फिया...वो आकाश नही हो सकता...

बुड्ढ़ा- पर मालिक..मैने फोटो देखी थी आकाश की...ये वैसा ही लगा...

सामने- वैसा ही लगा...साले...वो बच्चा नही मर्द है...तूने किस बच्चे पर हमला करवा दिया मादर्चोद...

बुड्ढ़ा- मालिक...वो..वो..मैं तो..

सामने- अबे साले रोक उसे...कहीं मासूम बच्चा ना मारा जाए...रोक उसे..

बुड्ढ़ा जब तक रोकता उससे पहले ही अंकित का हाथ ज़ख्मी हो चुका था...

बुड्ढ़ा(भागते हुए)- रुक जा...भाई रुक..ये वो नही है..

बुड्ढ़ा- न्न्न्ना आहहिईिइ....र्ररुउउउक्कक्कूव...

उस आदमी ने गर्दन उड़ाने को तलवार उठा ली यही...पर बूढ़े के रोकते ही वो रुक गया....

और तलवार पलटा कर तलवार की मूठ अंकित के सिर पर मार दी...जिससे अंकित बेहोश हो गया....

और फिर बुड्ढ़ा और वो आदमी..उस गुप्त दरवाजे को बंद कर के भाग गये...

बाकी सब को जब अंकित नही मिला तो सबने मिलकर उसे ढूँढा और पास के गाओं के क्लिनिक ले गये.....

-----------------------------------------------
Reply
06-07-2017, 12:11 PM,
RE: चूतो का समुंदर
फार्महाउस पर.....

वापिस आते ही मैने अपने आदमी को उस महल मे हुई पूरी बारदात बता दी थी...

और उससे पता करने का बोला कि उस महल से मेरा या मेरे दुश्मनो का कोई रीलेशन है क्या...

मैं जानना चाहता था कि इस अटॅक के पीछे कौन है और उसका मक़सद क्या था...

फिर रात को डिन्नर के बाद मैं अपने रूम मे रेस्ट कर रहा था...तभी संजू और अकरम मेरे रूम मे आए और आते ही रूम लॉक कर दिया....

अकरम- अब जल्दी से बोल...क्या हुआ था वहाँ....

मैं- पहले बैठ ..और संजू तू ड्रिंक बना फिर सब बताता हूँ...

फिर हमने ड्रिंक लिए और बैठ गये...

मैं( ड्रिंक की सीप मार कर)- ह्म्म..अब बोल..क्या पूछ रहा था...

अकरम- साले...वहाँ चुप हो गया था...अब यहाँ नही होने वाला..बोल..

संजू- हाँ भाई..सच बात तो बता...

मैं- ओके...बताता हूँ...

फिर मैने उन दोनो को उस बुड्ढे और हमले के बारे मे सब कुछ बता दिया...

मेरी बात ख़त्म होते ही दोनो गुस्से मे खड़े हो गये...

अकरम- क्या..उस बुड्ढे ने...मादर्चोद को छोड़ुगा नही...चल संजू..

संजू- हाँ भाई..अभी उड़ा देते है साले को..चल...

मेरे दोनो जिगरी दोस्त पूरे गुस्से मे उन बुड्ढे को मारने जाने लगे..

मैं- कहीं भी जाने के पहले ये याद रखना कि अभी कहीं गये तो मुझसे कभी बात मत करना...

मेरी बात सुन कर दोनो के पैर थम गये...मैं जानता था कि यही होगा ..

अकरम(गुस्से मे)- आख़िर तू चाहता क्या है...हम चुपचाप बैठे रहे...

मैं- नही..बस अभी मत जाओ...हम कल चलेगे..पक्का..

संजू- ह्म्म..ओके ..आज की रात तेरी बात मान ली..कल तू मानेगा..समझा..

मैं- पक्का..अब आ जाओ सालो...ड्रिंक करते है...

फिर हमने ड्रिंक की और वो दोनो अपने रूम मे चले गये...

थोड़ी देर बाद मेरे आदमी का कॉल आ गया ..

(कॉल पर)

मैं- हाँ बोलो...पता चला ..

स- ह्म्म..बहुत कुछ पता चला...

मैं- तो बोलो..

स- वो महल सम्राट सिंग का है...

मैं- वो मैं जानता हूँ...पर उससे मेरा क्या लेना-देना..

स- है यार...वो तेरे डॅड का दुश्मन है...

मैं- डॅड का दुश्मन...पर क्यो...किस लिए...??

स- वो अभी पता नही चला..पर एक ऐसी बात पता चली है...जो शायद तेरे घरवालों को भी पता नही होगी...

मैं- ऐसी कौन सी बात है..??

और फिर मेरे आदमी की बात सुन कर मुझे झटका लगा...

झटका इसलिए की ये बात मेरे घर मे किसी को भी नही पता थी...जो मानना इम्पॉसिबल था....

क्क्कय्य्ाआआअ.....ये कैसे हो सकता है कि कोई नही जानता.....नो...इट्स इंपॉसिबल....
मैं अपने आदमी की बात सुनकर शॉक्ड था...मुझे उसकी बात बिल्कुल भी सही नही लग रही थी...

स- मुझे यही पता चला है...शायद यही सच हो...

मैं- देखो...मुझे आप पर पूरा भरोसा है...पर और किसी पर नही...

स- ह्म्म..तो क्या करें..ये बोलो...

मैं- आप खुद पर्सनाली इस बात की तह तक जाओ...तभी मैं सच मान सकता हूँ..

स- ओके..वैसे अभी ये बात ज़्यादा इम्पोर्टेंट नही है...अभी हमारा फोकस कामिनी के उपेर है...

मैं- ह्म्म....सही कहा..फिर भी पता करो कि इस बात मे कितनी सच्चाई है...मैं भी महल जा कर आता हूँ...

स- महल...किस लिए...मेरे हिसाब से वहाँ कुछ नही मिलेगा...

मैं- जानता हूँ...पर शायद कुछ मिल जाए...

स- ओके...देख आओ...मैं रात को कामिनी को देखता हूँ....

मैं- ह्म्म..पर इतना ही देखना कि मरे ना वो...

स- हाहाहा...डोंट वरी...यू टेक केर...बाइ...

मैं- ओके..बाइ...

फ़ोन रखने के बाद मैं अपने आदमी की बताई बात के बारे मे सोचने लगा...

मुझे उसकी खबर मे कोई सच्चाई नज़र नही आ रही थी...इसलिए मैने उसे इग्नोर कर दिया....और रेस्ट करने लगा...

करीब 20 मिनिट बाद मुझे हल्की-2 नीद आने लगी...तभी मेरे रूम का गेट ओपन हुआ...

मैने आवाज़ सुनकर गेट की तरफ देखा तो सामने जूही खड़ी हुई थी...

जूही के चेहरे से सॉफ पता चल रहा था कि वो बड़ी उदास है...

और ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी-2 रो कर आ रही है..

मैं- उउंम...जूही...तुम..इस वक़्त...आओ...

जूही आकर बेड पर ही मेरे साइड मे बैठ गई...

थोड़ी देर मुझे चुपचाप देखने के बाद जूही ने मेरे हाथ को अपने हाथ मे लिया और दूसरे हाथ से मेरे हाथ को सहलाने लगी...

मैने गौर किया तो पाया कि जूही सिर झुकाए रो रही थी...

मैं- जूही...क्या हुआ...तुम..तुम रो रही हो...

मेरे बोलते ही जूही की आँखो मे क़ैद आँसू उसकी आँखो से बाहर निकलने लगे...

मैं- क्या बात हुई यार...रो क्यो रही हो...

जूही ने फिर भी कुछ नही बोला बस मेरे हाथ को उपर उठा कर अपने नरम होंठो से चूमने लगी और आँसू बहाने लगी...

जूही के आँसुओं को मैं अपने हाथ पर महसूस कर रहा था...और इन आसुओं की वजह मुझे पता करनी ही थी...

मैं- जूही...कुछ तो बोलो यार..हुआ क्या...

जूही फिर भी नही बोली बस आँसू बहती रही...अब मुझसे उसका रोना देखा नही जा रहा था...

मैं- तुम्हे मेरी कसम..जल्दी बोलो...

जूही(सुबक्ते हुए)- तुम ठीक हो ना...

मैं- हाँ..मुझे क्या हुआ...

जूही- क्या हुआ...तुम्हे पता नही...मेरी तो जान निकल गई थी...थॅंक गॉड तुम ठीक हो...

मैं- ओह्ह...तो ये आँसू इसलिए वेस्ट किए जा रहे है ...

जूही(मेरे हाथ पर हल्की थपकी मार कर)- चुप रहो...कोई वेस्ट नही हो रहे है...समझे..

मैं- ह्म्म...कुछ-2 समझा...

जूही- कुछ-कुछ...??

मैं- ह्म्म...मुझे इतनी सी चोट लगी और तुमने इतने कीमती आँसू बहा दिए..हाँ..

जूही- तुमसे कीमती कुछ नही है...समझे...

मैं- ओह्ह...अच्छा ये बताओ...इतनी सी चोट मे ये हाल है...तो अगर मैं मर जाता....

इससे आगे बोलने के पहले ही जूही को जूरदार हाथ मेरे गाल पर पड़ा...

जूही- चुप रहो...तुम..तुम...

और जूही रोती हुई मेरे सीने से लग गई..

मुझे उसका प्यार देख कर बहुत खुशी भी हो रही थी और बुरा भी लग रहा था...

बुरा इसलिए की मुझे लगता था कि मैं जूही के प्यार के काबिल नही....

मैं- आअहह...इतना तेज थप्पड़ ...आअहह..

जूही(सुबक्ते हुए)- सॉरी...पर तुम ऐसी बात मत करना कभी....नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा...


मैं- तुमसे बुरा कोई है भी नही...

जूही(मुझे देख कर)- क्या...मैं इतनी बुरी हूँ...

मैं- और नही तो क्या...देखो कैसे बच्चो की तरह रोती हो...

जूही- सिर्फ़ तुम्हारे लिए...

मैं- अच्छा...मेरे लिए...पर क्यो..??

जूही(शरमाते हुए)- एक लड़की एक लड़के के लिए क्यो रोती है..इतना भी नही जानते ..पागल...

मैं- नही....मुझे कैसे पता होगा...कभी कोई रोया ही नही मेरे लिए...

जूही- तो क्या हुआ...पता तो होगा ही...

मैं- मुझे तो यही पता है कि एक लड़की एक लड़के के लिए सिर्फ़ बेड पर रोती है...खास कर गोलडेन नाइट पर...ह्म्म

मैने अपनी बात कही और आँखो से जूही को इशारा करते हुए मुस्कुराने लगा.....

जूही(मुस्कुरा कर)- तुम बहुत बेकार हो...मैं जा रही हूँ...

जूही ने जाने का नाटक किया पर मैने उसका हाथ नही छोड़ा...

मैं- मुझे छोड़ के जाओगी...

जूही(बिना पलटे)- कभी नही...

मैं- तो आज की रात मेरे नाम कर दो...

जूही(पलट कर मेरी आँखो मे देखती हुई)- आज रात नही...मेरी सारी राते तुम्हारे नाम कर दी है...

और फिर जूही मेरे सीने मे सिर छुपा कर शरमाने लगी...

मैने जूही को अपने पास ही लिटा लिया और अपनी बाहों मे कस लिया....

फिर हम ऐसे ही चिपके हुए लेटे रहे और नीद की आगोश मे चले गये.....

आज का दिन मेरे लिए काफ़ी शॉकिंग और ख़तरनाक था....पर रात का अंत प्यार भरा रहा ...

मुझसे कहीं दूर कामिनी के दिन की शुरुआत इससे भी बुरी हुई थी.....
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,458,610 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 539,638 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,214,960 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 918,755 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,628,629 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,060,839 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,916,770 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,944,185 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,988,198 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 280,843 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 12 Guest(s)