Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-07-2017, 12:13 PM,
RE: चूतो का समुंदर
कामिनी के घर...आधी रात के करीब...


कामिनी अपने रूम मे निसचिंत हो कर सो रही थी....तभी उसके घर के बाहर धुआ उठा और गार्ड बेहोश हो गया....

आज फिर पिछली बार जैसा ही महॉल था...

पहले तेज हवा के चलने का शोर...फिर चारों तरफ धुआ छाना...और फिर कामिनी के रूम मे धुए की एंट्री...

कामिनी के रूम मे जैसे ही आवाज़ें बड़ी तो कामिनी की आँख खुल गई...

लेकिन आज कामिनी पहले से सतर्क थी...आवाज़ आते ही उसने अपने तकिये के नीचे रखी पिस्टल को हाथ मे ले लिया...पर डर आज भी उस भर हावी था...

कामिनी-क्क..कॉन..है...सामने आओ...

सामने से एक आवाज़ के साथ धुआ उठा और उसके बीच से दीपा ख़तनाक हसी हँसते हुए सामने आ गई...

"मैं आ गई कामिनी"

आज दीपा की आवाज़ मे एक साथ 2 आवाज़े निकल कर आ रही थी.....

कामिनी- त्त..तुम...क्यो आई हो...जाओ यहाँ से...

"आज नही...आज तो सब जान कर ही जाउन्गी...वरना...हहेहहे"

कामिनी- वरना..क्या वरना...

दीपा का चेहरा फिर गुस्से से लाल होने लगा...

"वरना...तेरी बेटी गई...हहहे..."

कामिनी- उससे पहले तू जायगी...

और कामिनी ने बेड पर बैठ कर पिस्टल दीपा की तरफ तान दी...

"तू पागल है क्या....इससे इंसान मरते है...मरे हुए नही...हहहे...."

कामिनी- जानती हूँ..और तू भी इंसान है...ये भी जानती हूँ...

"हहहे....ग़लतफहमी है तेरी...."

कामिनी- तो वो अभी दूर कर देती हूँ...

फाइयर...फाइयर...हहेहहे...फाइयर..फाइयर...हहेहहे...

फिर रूम मे गोलिया चलने और ख़तरनाक हसी की आवाज़ आती रही...

कामिनी ने पूरी पिस्टल खाली कर दी पर उसके सामने खड़ी दीपा हँसती रही...उसे कोई फ़र्क नही पड़ा...

ये देख कर कामिनी की फटी की फटी रह गई...अब उसे यकीन हो गया कि सामने कोई इंसान नही...बल्कि भूत खड़ा है....

ये सोचते ही कामिनी बुरी तरह से डर गई...तभी दीपा गुस्से से बोली...

"तूने जो करना था कर लिया...अब देख...मैं क्या करती हूँ..."

और फिर धुआ फिर से बढ़ा और दीपा गायब हो गई...

कामिनी(डरते हुए)- द्द्द...दीपा...मुझे माफ़ कर दे...प्लीज़...दीएप्प्पाअ....प्पल्लज़्ज़्ज़...

थोड़ी देर तक कामिनी हाथ जोड़ कर मिन्नते करती रही ...

थोड़ी देर बाद फिर से धुआ छाँटा और दीपा सामने आ गई...

कामिनी- दीपा...मुझे माफ़ कर दे...जाओ यहाँ से ..प्लीज़...

"मुझे बस वो वजह बता...जिसके लिए तू अंकित की फॅमिली की दुश्मन है..."

कामिनी- तुझे उससे क्या...

"तू ऐसे नही मानेगी..तो ये देख.."


इतना कहते ही दीपा के बाजू मे कामिनी की बेटी काजल आ गई...जो सोई हुई थी...

कामिनी- क्क्क..क्काजल...नही...दीपा...इसे छोड़ दे..प्लीज़....

"तो बता..वरना..."

कामिनी- प्लीज़...दीपा..छोड़ दे इसे...

"तू ऐसे नही मानेगी...तो फिर देख.."

और दीपा के बोलते ही अचानक से काजल के गले से खून निकलना सुरू हो गया...

कामिनी(रोते हुए)- प्लीज़..दीपा...मेरी बेटी को छोड़ दे...प्लीज़...

"तो बता फिर...नही तो.."

कामिनी- म्म..मैं सब बताती हूँ...मेरी बेटी को छोड़ दो..पल्लज़्ज़्ज़...

फिर दीपा ने काजल की तरफ देखा तो उसके गले से खून निकलना बंद हो गया...

"अब बोल..."

कामिनी- मैं और मेरी बेहन सिर्फ़ प्रॉपर्टी के लिए कर रही है ..

"इससे अंकित का क्या लेना देना.."

कामिनी- सब बताती हूँ...मेरी और मेरे भाई-बेहन की सारी प्रॉपर्टी असल मे अंकित के डॅड के नाम है...

"कैसे...???"

कामिनी- क्योकि ..हमारी प्रॉपर्टी अंकित के दादाजी के पास गिरबी रखी थी ....फिर क़र्ज़ ना देने की वजह से वो उनके नाम हो गई...और उन्होने आकाश के नाम कर दी ...


"तो इसमे अंकित कहाँ से आया...तू उसके पीछे क्यो है.."

कामिनी- क्योकि आकाश ने सब अंकित के नाम किया है...अगर आकाश को कुछ हुआ तो सब अंकित के नाम होगा...और अंकित ही नही रहेगा तो कोई नही पूछने वाला...
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06-07-2017, 12:13 PM,
RE: चूतो का समुंदर
फिर थोड़ी देर तक रूम मे शांति रही...फिर दीपा की आवाज़ आई...

"प्रॉपर्टी के लिए तो आकाश से बात भी कर सकती थी...मारने की क्या ज़रूरत...सच बता..

कामिनी- यही सच है..और कुछ नही...

"लगता है तू ऐसे नही मानेगी...तेरी बेटी को.."

कामिनी(बीच मे)- नही..नही...बताती हूँ...

ये इसलिए ताकि आकाश की प्रॉपर्टी भी हमे मिल जाए...जो बहुत ज़्यादा है...

"हहहे...पागल है क्या...ये कैसे हो सकता है...झूट मत बोल.."

कामिनी- सच बोल रही हूँ...आकाश के मरने के बाद सब कुछ कमल का हो जायगा..

"कौन कमल...?? तेरा नौकर..."

कामिनी- हाँ...वही...

"नौकर के लिए इतना प्यार...साली झूठी...अब काजल को..."

कामिनी- वो नौकर नही...मेरा भाई है.....

"तेरा भाई...??"

कामिनी(रोते हुए)- हाँ..मेरा भाई...

"तो उसका क्या"

कामिनी- उसका...अरे आकाश और अंकित के मरते ही सारी प्रॉपर्टी कमल की हो जायगी...

"फिर झूट...सच बोल..."

कामिनी- यही सच है...वो पूरी प्रॉपर्टी कमल को मिलेगी...

"हहहे....साली..ये हो ही नही सकता..."

कामिनी- सच मे...यही सच है...

"लगता है तू नही मानेगी...अब तेरी बेटी गई...."

और फिर से तेज हवा के चलने की आवाज़ सुरू हुई और रूम मे धुआ बढ़ने लगा...पर तभी कामिनी चिल्ला कर बोली...

कामिनी- दीपा...प्लीज़...यही सच है...आकाश के मरते ही सब कमल का हो जायगा...

"अच्छा...और क्यो होगा ऐसा..."

कामिनी(चिल्ला कर)- क्योकि कमल आज़ाद का बेटा है....आकाश का भाई.......

कामिनी के बोलते ही रूम मे शांति छा गई...और कामिनी सिर झुका कर रोने लगी.....
कामिनी थोड़ी देर तक रोती रही और फिर से एक बार दीपा की गरजती हुई आवाज़ ने कामिनी को होश मे लाया....

"तेरा भाई..आकाश का भाई...कैसे..."

कामिनी- मैं और कुछ नही जानती...

"झूट....तू सच बोल..वरना..."

कामिनी- मैं अपनी बेटी की कसम खाती हूँ...मुझे सिर्फ़ इतना ही पता है....

"और तुझे ये सब बोला किसने..???"

कामिनी- दामिनी दीदी ने...

"ह्म्म...और कमल की माँ कौन है...??"

कामिनी- मुझे नही पता....दामिनी ने कहा था कि ये आज़ाद का बेटा है...इसके ज़रिए हम आज़ाद की प्रॉपर्टी हासिल करेगे. ..

" तो तूने उसे भाई की तरह क्यो नही रखा...नौकर क्यो बनाए रखा.."

कामिनी- मैने वही किया जो दामिनी ने कहा था...ये सब उनका ही प्लान है...मुझे कुछ नही मालूम...

"तो दामिनी कहाँ है...बुला उसे..."

कामिनी- नही पता...मुझे कुछ नही पता...अब मेरा पीछा छोड़ दो..प्लीज़....

"ये बात और किसी को पता ना चले ...समझी.."

कामिनी ने हाथ जोड़े और सिर नीचे किए हुए ही बोला...

कामिनी- नही चलेगा...मैं किसी को नही बोलूँगी...बस मुझे छोड़ दो...प्लीज़....

फिर से रूम मे सन्नाटा छा गया..सिर्फ़ कामिनी के रोने की आवाज़ गूँज रही थी....

थोड़ी देर बाद अचानक से रूम मे धुआ बढ़ गया...और जब धुआ छटा तो कामिनी के सामने कोई नही था...दीपा जा चुकी थी ....

जब कामिनी को लगा कि अब कोई आवाज़ नही आ रही तो उसने सिर उठा कर देखा ..तो रूम खाली था...वहाँ कोई नही था...ना धुआ और ना दीपा ..

कामिनी को फिर काजल का ख़याल आया और वो सहारा ले कर काजल के कमरे तक गई...

काजल के रूम का गेट लॉक नही था....कामिनी ने गेट खोल कर देखा तो काजल आराम से सो रही थी...

काजल को देख कर कामिनी को राहत मिली और उसने रोते हुए उपर वाले का धन्यवाद किया और वापिस रूम मे आ गई....

और थोड़ी देर तक सब कुछ सोचते हुए उसकी आँख लग गई.....

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06-07-2017, 12:13 PM,
RE: चूतो का समुंदर
यहाँ फार्महाउस मे.....


मैं अपने रूम मे बैठ हुआ लॅपटॉप पर सब रूम्स को चेक कर रहा था...

आज कुछ खास देखने को नही मिला था...

सरद और वसीम कही नही दिख रहे थे...शायद कही बाहर बैठ कर दारू पी रहे होंगे...

बाकी सब अपने बेड पर लेट कर सोने की तैयारी मे था...

मैने लॅपटॉप बंद किया और लेट गया...

मैं लेटा हुआ अपने आदमी के कॉल का वेट कर रहा था....

पता नही क्यों...आज मुझसे इंतज़ार बर्दास्त नही हो रहा था...

मैं जल्द से जल्द जानना चाहता था कि आख़िर कामिनी क्या राज छिपाए हुए है....

इसी टेन्षन मे मैने दूसरो के रूम मे भी ज़यादा नही देखा...और चंदा को भी गेट से लौटा दिया था...

आख़िर कार मेरे इंतज़ार की घड़ियाँ ख़त्म हुई और मेरा फ़ोन बजने लगा...

मैने एक ही रिंग मे फ़ोन पिक कर लिया...

(कॉल पर)

मैं- हाँ..क्या बताया उसने...??

स- अरे....इतनी बेताबी...रिंग बजते ही कॉल ले लिया...और हाई ना हेलो..डाइरेक्ट क्वेस्चन...

मैं- आप तो अच्छे से जानते है कि मैं क्यो बेताब हूँ..

स- ह्म..जानता हूँ...मैं भी तुम्हे बताने के लिए ही वेट कर रहा था...

मैं- अच्छा...तो बोलो..क्या बोला उसने...

स- एक काम करो...मेरे बताने से अच्छा है तुम खुद सुन लो...

मैं- क्या मतलब...मैं कैसे...ओह्ह...तो रेकॉर्ड कर लिया...

स- हाहाहा...ठीक समझे...अब तुम खुद ही सुनो...लो सुनो...

और फिर मैं कॉल पर ही वो रेकॉर्डिंग सुनने लगा...जिसमे दीपा और कामिनी के बीच हुई सारी बातें थी...

रेकॉर्डिंग आगे बढ़ती जा रही थी और उसे सुन-सुन कर मेरा माइंड भी गरम होता जा रहा था....

जैसे ही मैने कमल की असलियत सुनी तो मेरा सिर घूम गया...

मुझे यकीन ही नही हुआ कि कमल मेरे दादाजी का बेटा है...

पर मैं पूरी रेकॉर्डिंग ख़त्म होने तक सुनता रहा ...

रेकॉर्डिंग ख़त्म होते ही मेरे आदमी ने बोला...

स- ह्म्म..तो सुन लिया...कामिनी का राज..

मैं- हाँ..सुन लिया ..पर कमल की बात मुझे झूट लगी...ये कैसे हो सकता है..

स- ह्म्म..मुझे नही लगता कि कामिनी झूट बोलेगी...

मैं- हो सकता है सच हो...फिर भी कन्फर्म किए बिना मैं नही मान सकता....

स- इस बात को दो लोग ही कन्फर्म कर सकते है...एक तो तुम्हारे दादाजी और दूसरी है दामिनी....

मैं- तो देर किस बात की उस दामिनी को दबोच लो...

स- कहाँ से दबोच लूँ...उसका कुछ आता-पता ही नही...किसी को भी नही पता कि वो कहाँ है अभी...

मैं- उसका नंबर ट्रेस...

स(बीच मे)- तुम्हारे कहने से पहले ही कर लिया बट कोई फ़ायदा नही...वो नंबर बंद है...

मैं- शिट....तो अब कैसे पता करे...

स- मेरे हिसाब से थोड़ा वेट कर लेना चाहिए...

मैं- वो क्यो...??

स- वो इसलिए की अगर कामिनी ने कुछ भी छिपाया है तो वो कुछ ना कुछ हरकत ज़रूर करेगी...और उसकी हर हरकत पर हमारी नज़र है...

मैं(बीच मे)- और हो सकता है कि दामिनी को कॉंटॅक्ट करे...

स- बिल्कुल सही...इसलिए थोड़ा देखते है...तब तक तुम भी आ जाओ....

मैं- ह्म्म..मुझे कल कुछ काम है...वो निपटा कर आता हूँ..

स- ओके...तो अभी सो जाओ...ज़्यादा टेन्षन मत लेना...सच का पता जल्दी चल जायगा...हम सब देख लेगे...

मैं- आपके साथ रहते मुझे क्या टेन्षन...चलिए गुड नाइट...

स- गुड नाइट...

मैने कॉल कट कर दी....मैने अपने आदमी से तो बोल दिया कि टेन्षन नही लुगा...

पर असल मे मेरे माइंड मे टेन्षन बढ़ चुकी थी....

पहले सम्राट का पिक्चर मे आना ...फिर अकरम के साथ बात करना और अब ये बड़ा झटका कि कमल मेरे दादाजी का बेटा है...पर कैसे...???

मैं इसी सवाल के बारे मे सोचते हुए नीद की आगोश मे चला गया.....

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06-07-2017, 12:13 PM,
RE: चूतो का समुंदर
सहर मे...अंकित के सीक्रेट हाउस मे...


मुझसे बात करने के बाद मेरा आदमी अपने साथियों के साथ बैठ गया....

स- गुड...आज सबने अपना काम बहुत अच्छे से किया...अब जाओ और रेस्ट करो...

फिर सब लोग वहाँ से जाने लगे पर उनमे से एक शक्श वही रुका रहा....

स- क्या हुआ....तुम्हे कुछ कहना है...??

"मैने अपना काम ठीक किया...अब आगे क्या.." सामने वाले ने अपनी बात कह दी...

स- बेसक..तुम्हारा काम ठीक रहा...पर अभी पूरा नही हुआ...

"मतलब...अब क्या बचा है..."

स- ये तुम्हे बता दिया जायगा...जब सही टाइम आयगा...डोंट वरी...

"तो..तब तक मैं भूत बन कर घूमू क्या..??"

स- ह्म्म..वैसे देख कर तो मुझे भी लगा था कि दीपा का भूत आ गया...हाहाहा...पर भूत बनकर घूमने की ज़रूरत नही...जाओ रेस्ट करो..

"पर कब तक...???"

स- ये तो अंकित के आने के बाद ही पता चलेगा...अब जाओ यहाँ से...

फिर सामने वाला सक्श कुछ नही बोल पाया बस चुपचाप वहाँ से निकल गया .....

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फार्महाउस पर.....

सुबह से मेरे गेट पर थाप पड़ने लगी और साथ मे जोरदार आवाज़ मे गालियाँ सुनाई देने लगी....

आवाज़ सुन कर मेरी आँख खुली...और मैं सोचने लगा कि...कहाँ मैने सोचा था कि मेरी सुबह जूही की प्यारी आवाज़ से होनी चाहिए और कहाँ साला गालियों से सुबह की शुरुआत हुई ....

अकरम- खोल साले...कितना सोता है ..साले राक्षस...

मैं उठा और गेट खोल दिया...

अकरम- क्या साले...कितना सोता है...जल्दी रेडी हो जा..

मैं- क्या...सुबह-सुबह से क्यो परेसान कर रहा है...

अकरम- साले रेडी होता है कि नही..

मैं- क्यो मरवा रहा है बे...इतनी जल्दी किस लिए...

अकरम- जल्दी है..तू बाथरूम मे जा रहा है कि मैं भेजू...

मैं- चुप कर...मैं जाता हूँ..रुक..

फिर मैं रेडी हुआ और अकरम के साथ नाश्ता करने आ गया...

नाश्ता सुरू होते है वसीम बोला...

वसीम- सुनो सब...हम लोग आज रात को एक शादी मे जाने वाले है...

वसीम की बात सुन कर सब खुश भी थे और शॉक्ड भी....

अकरम- शादी...किसकी शादी डॅड...और कहाँ पर...

वसीम- बेटा यही पास मे ...इसी गाओं के सरपंच के घर...

अकरम- पर आप उन्हे कैसे जानते है...???

वसीम- अरे बेटा...उनसे बिज़्नेस रीलेशन है...पुरानी जान-पहचान भी है.....

अकरम- ओके डॅड...पर अभी हमे महल जाना है...

वसीम- महल...पर क्यो...???

अकरम- आक्च्युयली हमे सम्राट से मिलना है...उससे मिल कर शायद कुछ पता चले अंकित पर हुए हमले के बारे मे...

वसीम- पर सम्राट को क्या पता...

अकरम ने एक बार मुझे देखा और फिर वसीम की तरफ देख कर बोला....

अकरम- क्योकि हमे लगता है कि अंकित का उसके गाओं से या उससे पुराना रिश्ता है...कोई दुश्मनी शायद...

वसीम- क्या...तुम्हे किसने बोला..

मैं काफ़ी देर से चुप बैठा था ...पर अब चुप रहता तो शायद ग़लत होता...

इसलिए वसीम के सवाल पर अकरम के पहले मैं बोल उठा..

मैं- आक्च्युयली...हम सिर्फ़ सम्राट के बारे मे पता कर के आ जायगे...और कुछ नही....

वसीम- पर अगर वो दुश्मन निकला तो...वो तुम्हे मार भी सकता है...

मैं- डोंट वरी अंकल...हम सम्राट से दूर रहेगे..बस गाओं घूम कर आ जायगे...

वसीम - ओके..ध्यान से जाना...सॉरी मुझे थोड़ा काम है...

और वसीम नाश्ता छोड़ कर निकल गया....

कुछ देर बाद मैं भी अकरम के साथ निकल आया.....

बाहर आते ही मैं अकरम पर भड़क उठा....

मैं- साले...तू पागल है क्या...??

अकरम- क्या हुआ यार...

मैं- ये सब जो तू अपने डॅड को बोल रहा था....दुश्मनी एट्सेटरा...क्या ज़रूरत थी...

अकरम- चिल यार...मेरे डॅड है वो...उनसे क्या छिपाना..और वैसे भी..मैने उन्हे क्या ग़लत बोला..

मैं- देख...तुझे मैने जो भी बताया है...वो किसी को भी मत बताना....चाहे वो तेरे डॅड ही क्यो ना हो..

अकरम- दोस्ती की कसम भाई..किसी को कुछ नही बोलुगा...डॅड को भी नही...बट आज सम्राट के गाओं जाने के लिए कुछ तो बोलना ही था...

मैं- ओके...बोल दिया तो बोल दिया...आगे से याद रखना...कुछ भी नही मतलब कुछ भी नही..ओके

अकरम- ओके...

थोड़ी देर बाद मैं , अकरम और संजू सम्राट के गाओं के लिए निकल गये...

दोपहर तक हम सम्राट सिंग के गाओं मे खड़े हुए थे...

हमने वहाँ पूछताछ की और एक बड़े से घर के पास पहुच गये...जो सम्राट का घर बताया गया था ....

वहाँ पर काफ़ी भीड़ जमा थी...भीड़ देख कर हम भी जल्दी से वहाँ पहुच गये...

धीरे -धीरे भीड़ को चीरते हुए हम आगे पहुचे तो देखा कि वहाँ एक आदमी की लाश पड़ी हुई थी...

उस आदमी को शायद तलवार से मारा गया था...
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06-07-2017, 12:13 PM,
RE: चूतो का समुंदर
हम धीरे-2 उस लाश के करीब पहुचे और देखने लगे...

चेहरा कुछ जाना-पहचाना लग रहा था...

और जब हमे पूरा चेहरा देख कर समझ आया तो हम तीनो का मूह खुला का खुला रह गया...

मैं- ओह माइ गोद....ये कैसे हो गया.....इसे किसने मारा.....??????
अकरम- ये तो वही बुड्ढ़ा है ना जो तुझे ले गया था उस दिन...

मैं- हाँ...यही तो था...जिसकी वजह से मुझ पर हमला हुआ...साला हाथ आने से पहले ही मर गया....

अकरम- ह्म्म...इसका मतलब कोई तो है..जो नही चाहता कि हम इस प्लान के मास्टरमाइंड तक पहुचे....शायद सम्राट सिंग...???

मैं- शक तो उसी पर है...पर सिर्फ़ इसलिए कि वो महल उसका है...ये कहना सही होगा क्या...शायद अभी नही...

अकरम- अरे..वो फोटो भी तो...

मैं(बीच मे)- अभी नही...शायद वही हो...देखते है. .

संजू जबसे मेरी और अकरम की बातें सुन रहा था...

उसे काफ़ी कुछ समझ आया बट फोटो की बात बिल्कुल समझ नही आई...

संजू- ये किस फोटो की बात कर रहे हो तुम दोनो...

मैं- बाद मे बताउन्गा...अभी सम्राट को देखते है...

अकरम- हाँ..साले से पूछ तो ले कि क्यो मरवा रहा है बेन्चोद....

मैं- कॉंट्रोल भाई...पहले मिले तो...फिर पूछ लेना...

फिर हम वहाँ से निकल कर सम्राट के घर गये ...

पर यहाँ हमे नाकामी हाथ लगी...सम्राट वहाँ नही था....

उसके नौकर ने बताया कि उन्हे तो यहाँ से गये काफ़ी साल हो गये है...

पर हमे पता था कि नौकर झूठ बोल रहा है...

काफ़ी ज़ोर देने पर भी जब नौकर कुछ नही बोला तो अकरम ने पिस्टल निकाल ली और नौकर पर तान दी...

नौकर(घबरा कर)- न..नही साब...हमे सच मे नही पता कि मालिक कहाँ है....हमे कुछ नही पता...

अकरम- नही पता ...हा...बोलता है कि ठोक दूं...बोल...

नौकर- सही मे साब...कुछ नही पता...हमे छोड़ दीजिए...

अकरम- लगता है तू मर के ही मानेगा...बोल साले...

नौकर(रोने लगा)- न्न्नाहिी..साब...नही पता ...

मैं- अकरम...रुक जा...ये कुछ नही जानता...

अकरम- तू चुप कर...ये सब जानता है...बोल साले..

मैं- रुक जा....अच्छा ये बता कि सम्राट कब गया यहाँ से...

नौकर- वो..वो ..

मैं- अकरम...ठोक दे...

नौकर- नही साब...बताता हूँ...वो आज ही गये...सुबह-सुबह...

मैं- ह्म्म...और कहाँ गया...???

नोकर- ये नही जानता साब...

अकरम- बोलता है कि...

नौकर- सही मे साब...ये नही जानता...

मैं- ओके..ये बता कि कल कोई मिलने आया था सम्राट से...

नौकर- कल तो...हाँ...सुबह महल का चौकीदार आया था और रात को...

मैं- रात को कौन आया था...???

नौकर- मैं उसे नही जानता साब...पर हाँ...उसके जाते ही मालिक निकल गये थे...

मैं- ह्म्म..और वो चौकीदार...??

नौकर- वो तो सुबह ही चला गया था...और फिर आज वो मरा हुआ मिला..

मैं- क्या सम्राट ने उसे मारा...??

नौकर- नही साब...मालिक क्यो मारेंगे...वो तो उनका खास आदमी था..

मैं- ह्म्म..चल अकरम...निकलते है यहाँ से...

अकरम- पर...

मैं(बीच मे)- कुछ नही...बस निकल यहाँ से..

फिर हम तीनो वहाँ से निकल कर सीधा फार्महाउस चले आए.....

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यहाँ सहर मे...आज सुबह ...कामिनी के घर....


कामिनी की नीद आज बहुत देर से खुली...रात को जो भी उसके साथ हुआ...वो उसे भूल जाना चाहती थी...

उस हादसे को भूलने के लिए कामिनी रात भर करवटें बदलती रही....
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06-07-2017, 12:13 PM,
RE: चूतो का समुंदर
एक तरफ उसे ये सोच कर टेन्षन मे थी कि अब दीपा का भूत वापिस आयगा..तो क्या होगा...

दूसरी तरफ उसे इस बात की टेन्षन थी कि जब दामिनी को ये पता चलेगा कि उसने ये राज़ किसी और को बता दिया तो दामिनी क्या करेगी....

और इसके साथ ही साथ कामिनी को सबसे ज़्यादा टेन्षन अपनी बेटी काजल की थी...

कामिनी की नीद खुली तो काजल उसके साने खड़ी हुई थी...जो उसे जगाने आई थी...

काजल को सामने देखते ही कामिनी को रात की बात याद आ गई और उसने काजल को अपने सीने से लगा लिया और रोने लगी....

कामिनी की इस हरकत से और रोने से काजल भी परेसान हो गई..पर उसने चुप रह कर वेट करना ठीक समझा.....

थोड़ी देर बाद भी जब कामिनी ने रोना बंद नही किया तो काजल ने पूछ ही लिया...

काजल- क्या हुआ मोम..कोई बुरा सपना देखा क्या..??

कामिनी(रोते हुए)- हाँ बेटा...बहुत बुरा...

काजल- कम ऑन मोम...आप भी...अब सपने की बात छोड़ो और रेडी हो जाओ...आज डॉक्टर आने वाला है..चेक अप के लिए...

कामिनी ने काजल को अलग किया और अपने आँसू पोछते हुए बोली...

कामिनी- हाँ बेटा...तुम नौकरानी को बुलाओ...

काजल- ह्म...अभी बुलाती हूँ...

और काजल बाहर निकल गई...पर कामिनी के दिल मे अभी भी तूफान मचा हुआ था....

कामिनी ने रेडी होते हुए अपने मन मे कुछ डिसाइड किया और काजल को सब सच बताने का फ़ैसला कर लिया....

थोड़ी देर बाद कामिनी अपने बेड पर काजल के साथ नाश्ता करने बैठी थी...

पर उसके हाथ ना तो खाने की तरफ बढ़ रहे थे और ना ही उसका मन उसके साथ था...

कामिनी को ऐसी हालत मे देख कर काजल ने फिर से सवाल कर दिया....

काजल- मोम...आप अभी भी सपने को ले कर परेसान है...??

कामिनी- हूँ...नही बेटा..वो मैं...कुछ और ही सोच रही थी...

काजल- क्या मोम...ऐसी क्या बात है जो आप इतनी परेसान है...

कामिनी- बेटा...बात ही कुछ ऐसी है...कि ना चाहते हुए भी परेसानि हो जाती है....

काजल- ओके...तो आप मुझे बताइए...शायद मैं कोई सल्यूशन ढूँढ सकूँ...

कामिनी- मैं भी यही सोच रही थी कि तुम्हे अब सच बता ही दूं...

काजल- सच...कैसा सच..और किस बारे मे बोल रही हो आप ...??

कामिनी- बेटा...मैं उस सच की बात कर रही हूँ..जिससे हमारी फॅमिली का वजूद जुड़ा हुआ है...

काजल- क्या...वजूद ..मतलब..और किसके वजूद की बात कर रही हो आप....

कामिनी(उदास हो कर)- सबका बेटी...मेरा...दामिनी दीदी का...तुम्हारे मामा का...तुम बच्चो का...और तुम्हारे उस मामा का जिसे तुम अपना नौकर समझती हो...

काजल- क्या...मेरे 1 और मामा है...और नौकर...क्या बोल रही है मोम...कौन है वो....

कामिनी- वो और कोई नही...कमल है...जो हमारे घर मे नौकर की तरह रहता है...

काजल- व्हाट...कमल...मेरे मामा....आपने इतनी बड़ी बात मुझसे छिपाए रखी मोम...क्यो...??

कामिनी- सिर्फ़ तुमसे ही नही बेटा...ये बात सिर्फ़ 3 लोग ही जानते है...मैं, दामिनी दीदी और कमल...

काजल- पर आप लोगो ने ऐसा क्यो किया मोम...??

कामिनी- क्योकि कमाल को दुनिया से छिपाना था...जब तक कि उसके हिस्से का हक़ उसे ना मिले...अगर पहले ये बात सामने आ जाती तो शायद हमारे दुश्मन कमल को मार देते...


काजल- दुश्मन....कौन दुश्मन मोम..??

कामिनी- वही...जिनसे कमल को हक़ दिलाना है...

काजल- पर हक़ किस बात का..सॉफ-सॉफ बताएँगी....

कामिनी- बताती हूँ...

फिर कामिनी ने सारी बात काजल को बता दी...जितना भी वो जानती थी...

कामिनी- तो ये बात है...ये सारी दौलत..ऐश-ओ-आराम हमारा नही है...ये सब आकाश का है और उसके बेटे का...

काजल- तो क्या आकाश ने सब वापिस माँगा है...

कामिनी- नही...पर माँग भी सकता है....

काजल- पर इस सब से कमल मामा को छिपाने का क्या संबंध...

कामिनी- है...वो इसलिए की अगर कमल की सच्चाई आकाश को पता चलती तो उसे ये भी पता चल जाता कि ये प्रॉपर्टी भी उसकी है...हमारी नही...और हम सब खो देते...

काजल- ओके...माना...पर अब अचानक इतनी टेन्षन किस बात की ..

कामिनी- क्योकि...अब इस राज़ को कोई और भी जान गया है...

काजल- कोई और...कौन...??

कामिनी- वो छोड़...बस टेन्षन इस बात की है कि कहीं आकाश को पता चला तो...

काजल- तो अब क्या करना है मोम...एक काम करो..सीधा आकाश से बात कर लो...जो होगा देखा जायगा...

कामिनी- नही...ऐसा नही कर सकती...दामिनी दी ने मना किया है...

काजल- पर क्यो..??

कामिनी- पता नही..पर शायद कुछ है...जिस वजह से वो आकाश के खानदान को ख़त्म करना चाहती है...

काजल- ख़त्म करने पर...पर ऐसा क्या हुआ था...

कामिनी- नही पता...बुत कुछ बुरा ही हुआ होगा...तभी तो...

काजल- ओके...पर अब आप कब तक ऐसे टेन्षन मे रहेगी..मैं तो कहती हूँ की आकाश से बात कर लो...

कामिनी- नही...पर 1 काम हो सकता है..जिससे शायद हम तो सेफ हो जायगे...

काजल- क्या...

कामिनी- सुनो...1 प्लान है...

फिर कामिनी , काजल को प्लान समझाती रही...जिसे सुन कर काजल को गुस्सा आ गया...

काजल- क्या..आप ऐसा सोच भी कैसे सकती हो...मैं क्या ऐसी..

कामिनी(बीच मे)- सोच नही सकती..जानती हूँ...तुमने दामिनी के साथ मिल कर क्या गुल खिलाए...सब जानती हूँ मैं...

कामिनी की बात सुन कर काजल चुप रह गई और शर्मिंदा हो कर नज़रे झुका ली....

कामिनी- अब मेरी बात सुन...तुझे क्या करना है....

फिर कामिनी का पूरा प्लान सुनने के बाद काजल ने हाँ बोल दी...

काजल- ओके मोम...अब देखो...मैं क्या करती हूँ...सिर्फ़ हमारी प्रॉपर्टी ही नही बल्कि आकाश की पूरी प्रॉपर्टी हमारी होगी....

कामिनी- अगर ऐसा हो जाए तो मज़ा आ जायगा...फिर आकाश की फॅमिली मरे या बचे ...हमे कोई टेन्षन नही...

काजल- ह्म्म..अब मैं जल्दी से अपना काम शुरू कर देती हूँ...अब आप टेन्षन छोड़ो और नाश्ता करो...

फिर दोनो माँ-बेटी नाश्ता करने लगी....

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06-07-2017, 12:14 PM,
RE: चूतो का समुंदर
फार्महाउस पर...


मैं, अकरम और संजू सम्राट के गाओं से वापिस फार्महाउस आ गये...

पूरे रास्ते मे हमने कोई खास बात नही की...ज़्यादातर हम खामोश ही रहे....

पर संजू किसी बात से बड़ा नाराज़ दिखाई दे रहा था....

जब हम कार से निकले तो संजू मेरे सामने खड़ा हो कर मुझे गुस्से से देखने लगा...

मैं जानता था कि संजू गुस्सा क्यो है..इसलिए मैने अकरम को वहाँ से भेज दिया....अकरम के जाते ही...

संजू- तू ने मुझे...

मैं(बीच मे)- सस्शह...यहाँ नही...चल मेरे साथ...

और मैं संजू को ले कर गार्डन मे आ गया ..जहाँ हमे कोई सुन ना पाए...

मैं- अब बोल...

संजू- बोलना क्या है भाई...कुछ बोलने लायक छोड़ा है तूने...

मैं- क्या बकवास कर रहा है...सॉफ-सॉफ बोल..

संजू- सॉफ..सॉफ क्या....तूने मुझे फोटो वाली बात क्यो नही बताई...तू जानता था ना सम्राट को...और उसके साथ फोटो मे था कौन...??

मैं- पहली बात ये कि मैं सब बताने वाला था बस टाइम नही मिला...फोटो कल ही देखी थी...समझा...और मुझे कन्फर्म करने का टाइम चाहिए था..

संजू- ओके...मान लिया...पर अकरम को कैसे पता...उसे बताने का टाइम मिल गया...और अकरम मुझसे खास हो गया...हाँ...


( नोट- अक्सर दोस्तो मे ऐसी ग़लतफहमी हो जाती है कि एक दोस्त दूसरे से खास है....बट हमे ऐसा सोचना इग्नोर करना चाहिए...)

मैं- ऐसा कुछ नही..और तू ये जानता है...ओके..

संजू- अच्छा...तभी तो अब तक कुछ नही बताया...हाँ

मैं- तू चुप रहे तो बताऊ ना...

संजू- ओके..अब बोल...

मैं- तो सुन...

और मैने संजू को उस फोटो से रिलेटेड बात बता दी...जिसे सुन कर संजू भी शोक्ड था...

संजू- क्या...वो तेरे दादाजी जो जानता है...

मैं- हाँ...और शायद मुझ पर हमला होना उसी बात से लिंक है...

संजू- ओह माइ ...तो मतलब...वो फिर से हमला कर सकता है...

मैं- शायद...

संजू- तब भी तू इतना रिलॅक्स है..तुझे डर नही लगता क्या...

मैं- लगता है भाई ...बट डर के आगे ही जीत होती है...हाहाहा...

संजू- तू हंस रहा है ...सच मे..तू कमाल है...

मैं- वो तो हू...अब ये छोड़ और चल...अब गुस्सा शांत है ना..

संजू- हाँ यार..चल...

फिर हम दोनो अंदर आ गये....वाहा आते ही सरद ने हमे रेडी होने का बोला....शादी मे जाने के लिए...

फिर हम रूम्स मे आ गये...रूम मे आते ही मुझे कुछ याद आया और मैं अकरम के रूम पर चला गया...

मैं- अकराआआमम्म्ममम....

गेट खोलते ही मैं अकरम को आवाज़ देता....उससे पहले ही सामने का नज़ारा देख कर मेरा मूह खुला का खुला रह गया........
गेट खोलते ही एक मस्त नज़ारा मेरे सामने आ गया था...और देखते ही देखते वो नज़ारा और भी मस्त हो गया था...

जैसे ही मैने गेट खोला था तो मेरे सामने अकरम की मोम शबनम टवल मे खड़ी हुई थी...

पर गेट की ओर मेरी आवाज़ सुनते ही वो पलटी तो जल्दबाज़ी मे उनकी टवल हाथ से फिसल गई और उनका नंगा गोरा बदन मेरी नज़रों के सामने आ गया....

मैने सोचा भी नही था कि अकरम के रूम मे मुझे इतना हॉट सीन देखने को मिलेगा...

और वो भी अकरम की मोम...जिनका नंगा बदन देख कर मेरा मूह खुला रह गया और मैं कुछ नही बोल पाया....

यहाँ मेरी ही तरह शबनम का हाल था...वो भी मुझे देख कर चौंक गई और घबराहट मे अपनी टवल भी नही संभाल पाई...

अगले कुछ पल मैं शबनम के नंगे जिस्म को देखता रहा और फिर होश मे आते ही सबसे पहले मैने गेट को लॉक कर दिया....

गेट लॉक करते ही शबनम घबरा गई...

शबनम- तुमने गेट क्यो....

मैं(बीच मे)- ताकि कोई और ना आए..

शबनम- तो तुम क्या करने वाले हो...

मैं- कुछ नही...ये बताओ कि आप यहाँ इस हालत मे ...क्या कर रही थी...??

शबनम- मैं तो यहाँ बाथरूम उसे करने आई थी..मेरे रूम का बिज़ी है...

मैं- लेकिन ऐसी भी क्या जल्दी थी कि गेट भी नही लॉक किया...

शबनम- मैने बाथरूम जाने से पहले अकरम को बोला था..कि लॉक कर के जाना...शायद भूल गया...

मैं- ओह्ह...कोई नही...वैसे अकरम कहाँ है..

शबनम- शायद रूही के पास गया हो..

मैं- ओके...मैं जाता हूँ...और हां..ये टवल तो उठा लो...वरना...

और मैं मुस्कुरा दिया...
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06-07-2017, 12:14 PM,
RE: चूतो का समुंदर
शबनम- वरना क्या...तुमसे क्या छिपा है जो टवल उठाऊ...तुमने तो सब देखा है ना...

मैं- ह्म्म...जो बाकी है वो भी देख लुगा...पर अभी नही...उठा लो..

शबनम ने टवल वापिस लपेट ली और मैं गेट ओपन कर के बाहर जाने लगा..

तभी मैं पीछे मूढ़ कर शबनम से बोला....

मैं- वैसे चिकनी लग रही हो...आज तो हाथ फिसल कर रहेगा....

और मेरी बात सुन कर शबनम शर्मा गई और मैं मुस्कुराते हुए बाहर निकल आया.....

फिर थोड़ी देर बाद हम सब शादी मे जाने के लिए रेडी हो गये....

यहाँ सभी औरते और लड़कियों ने फॅन्सी ड्रेस ही पहनी हुई थी..क्योकि कोई भी शादी वाले कपड़े नही लाया था.....

सारी लॅडीस मस्त दिख रही थी...और इनमे से सबसे हॉट तो मुझे शबनम ही लग रही थी....

शायद थोड़ी देर पहले उसका नंगा जिस्म देखा था इसलिए....

फिर हम सब शादी मे शामिल होने को निकल गये......

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यहाँ सहर मे आज दिन मे....

कामिनी से पूरी बात सुनने के बाद काजल अपने रूम मे आ गई...और सोच मे पड़ गई...

काजल ने कामिनी को कह तो दिया था कि वो आकाश की प्रॉपर्टी को हथिया लेगी...पर अब सवाल ये था कि कैसे...

काजल ने सोचा था कि वो अंकित को अपने जाल मे फसा कर अपना काम निकलवा लेगी...पर उसमे भी एक सवाल था की आख़िर शुरुआत कैसे होगी...

काजल और अंकित की पिछली मुलाक़ाते कुछ खास नही थी...

ज़्यादातर काजल ने अंकित को किल्लर लुक ही दिया था...और अभी तक कोई बात भी नही की थी...

काजल कुछ देर सोचती रही कि वो किस तरह से अंकित की तरफ आगे बढ़े...

काफ़ी देर बाद उसने कुछ डिसाइड किए और घर से निकल गई....


थोड़ी देर बाद काजल एक घर के सामने खड़ी थी...और डोरबेल बजाते ही उसके सामने एक लड़की आ गई...ये सोनम थी....जो काजल को देखते ही बोली...

सोनम- अरे महारानी ...आप खुद यहाँ...ये तो कमाल हो गया....ज़रूर कोई काम होगा....है ना..

काजल- सही समझी....अब यही खड़ा रखेगी या अंदर भी आउ...

सिनम- अरे...सॉरी...चल अंदर...

फिर दोनो अंदर बैठ कर बाते करने लगी...

काजल- अच्छा...पहले ये बता की घर मे कौन-कौन है अभी....??

सोनम- घर मे...कोई नही...मैं अकेली ही हूँ...क्यो...??

काजल- गुड...तो अब मेरी बात सुन..तुझसे एक ज़रूरी काम है...

सोनम- हाँ बोल...

फिर काजल ने सोनम से कुछ बात की जिसे सुनकर सोनम परेसान भी हो गई और दुखी भी....बात पूरी करने के बाद थोड़ी देर दोनो चुप रही...फिर काजल बोली...

काजल- तो अब बता...करेगी मेरा काम...??

सोनम(सोच मे डूबी रही...)

काजल(सोनम को हिला कर)- हेलो...कहाँ खो गई...

सोनम- ह्म्म्मा...कही नही...बोल ना...

काजल- सब तो बोल दिया...अब तुझे बोलना है...मेरी हेल्प करेगी ना...

सोनम- हाँ...क्यो नही..बट...

काजल- बट क्या..??

सोनम(खड़े हो कर)- ये सब कब हुआ...आइ मीन...

काजल(बीच मे)- मीन को छोड़...बस ये बता कि मेरा काम करेगी या नही...

सोनम- तू जानती है कि मैं तुझे मना नही कर सकती...और ये तो तेरी खुशी की बात है....मैं करूगी...

काजल- ह्म्म..माइ स्वीट सिस..लव यू...

और काजल ने सोनम को गले लगा कर गाल पर किस कर दिया...

काजल- अच्छा...अब मैं चलती हूँ...मोम अकेली है घर पर...ओके...

सोनम- ह्म्म..पर ये तो बता कि ये सब करूँ कैसे...और कब..

काजल- ओह हो...तू एक लड़की है...कुछ भी कर सकती है...और कब का मैं तुझे जल्दी बताउन्गी...चल अब बाइ...

सोनम- ह्म्म..बाइ...

फिर काजल अपने घर निकल गई और सोनम अपनी आँख मे आए आँसू को पोछ कर किसी सोच मे डूब गई.....

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06-07-2017, 12:14 PM,
RE: चूतो का समुंदर
सहर मे ही अंकित के सीक्रेट हाउस मे....


अंकित का आदमी (स ) लॅपटॉप मे कुछ देख रहा था और साथ मे रेकॉर्डिंग भी सुन रहा था....

जैसे ही उसने लॅपटॉप पर काम ख़त्म किया तो सामने बैठे सक्श ने कहा...

"लगता है ये अभी मानी नही...दीपा का भूत फिर से भेजना पड़ेगा...हाँ..."

स- ह्म्म..शायद...पर अभी नही...

"क्यो...क्या उसे माफ़ कर दोगे..."..सामने वाले ने सवाल किया..

स- माफ़...माफी तो किसी को नही मिलेगी...सब को सज़ा मिलेगी...पर हिसाब से...

"पर सज़ा देने मे देर किस बात की...अभी काम ख़त्म करो..."...सामने वाले ने फिर बोला...

स- मुझे क्या करना है ये तुम मत बताओ...जाओ रूम मे और रेडी हो जाओ...मैं आता हूँ...

फिर सामने वाला सक्श अंदर निकल गया...और स कुछ सोचने लगा...

स(मन मे)- अब ये भी दिमाग़ चलाने लगी...ह्म्म..अंकित को बताना पड़ेगा...पर अभी नही...उसे वापिस आ जाने दो..

स अभी सोच ही रहा था कि उसका फ़ोन बजने लगा....स्क्रीन पर नाम देख कर ही स खुश हो गया....

( कॉल पर )

स- हाँ..बोलो...

सामने- सर..सब मिल गया आपको...

स- ह्म...तुमने बहुत अच्छा काम किया है...

सामने- तो अब क्या ऑर्डर है सर...

स- अभी तुम वही रहो...और अपनी नज़रे जमाए रखो...ये भी देखना कि कौन आता है और क्या बातें होती है...

सामने- ओके सर...हो जायगा...

स- और हां...अगर पोलीस की कोई बात हो तो तुरंत बताना....

सामने- ओके सर...पर पोलीस आपका क्या बिगाड़ लेगी...

स(गुस्से से)- वो मैं जानता हूँ...तुमसे जितना बोला उतना करो...ओके...

सामने- ओके...सॉरी सर..

स- ह्म्म..चलो रखता हूँ...बाइ...

स ने कॉल कट कर दी और फिर एक मेसेज कर के अंदर वाले रूम मे निकल गया....

...........................

वापिस फार्महाउस पर .....रात शुरू होते ही....

हम सब रेडी हो कर शादी के लिए गाओं निकल गये ...

कुछ देर बाद हम एक घर के सामने खड़े हुए थे...

ये घर ज़्यादा बड़ा तो नही था..पर एक छोटी हवेली की तरह लग रहा था....

पूरा घर एक दुल्हन की तरह सज़ा हुआ था...घर के सामे बहुत बड़ा ग्राउंड था...वो भी सज़ा हुआ था...

हम सब जिसके घर शादी मे गये थे...वो इस गाओं के नामी-गिरामी इंसान थे...

शादी मे काफ़ी लोग आए हुए थे...ज़्यादातर लोग गाओं के ही थे....जो धोती-कुर्ता, सफ़ारी सूट मे थे और ज़्यादातर लोग सिर पर पगड़ी(साफा) बाधे हुए थे ...

बिल्कुल पूरे इंडियन परिधान....इन्हे देख कर लग रहा था कि इंडियन कल्चर सिर्फ़ गाओं मे ही बचा रह गया है...

सहरों मे तो हम सब ने वेस्टर्न कल्चर अपना लिया है...

हमारा स्वागत इतरा छिड़क कर किया गया...बिल्कुल राजाओ के जमाने की तरह....

घर की साज़-सजावट और वाहा के लोगो को देख कर कहीं ना कही हम सब थोड़े शर्मिंदा हो रहे थे...क्योकि हमारे साथ आई लॅडीस तो वेस्टर्न कपड़ों मे थी....

स्वागत होने के बाद हम सब शादी की रस्मों को देखने लगे...

तभी मैने गौर किया कि शबनम मुझे बड़ी हसरत भरी निगाहो से देख रही थी...

वैसे तो मेरे आगे खड़ी हुई जूही भी पीछे मूड-मूड कर मुझे देख रही थी...पर उसकी आँखो मे सिर्फ़ प्यार नज़र आ रहा था. ...

जबकि इस समय शबनम की आँखो मे मुझे वासना नज़र आ रही थी....

वैसे मैने भी जबसे शबनम आंटी का नंगा जिस्म देखा था...तभी से मूड बना हुआ था....

मेरी नज़र से उनकी गदराई गान्ड हट ही नही रही थी...फिर भी मैं अपने आपको कंट्रोल किए हुए था...

पर आज शबनम आंटी के दिमाग़ मे कुछ और ही चल रहा था....इसलिए वो किसी वाहने से अपनी जगह से मेरे पास आ कर खड़ी हो गई....और मेरे साइड मे खड़े अकरम को पानी लेने के लिए भेज दिया....

साला संजू भी उसी टाइम अकरम के साथ निकल गया और मैं शबनम के साथ रह गया...

मैने शबनम को देख कर स्माइल कर दी...और बदले मे वो भी मुस्कुरा दी....

वैसे शबनम वेस्टर्न ड्रेस मे क़हर ढा रही थी...उसकी गान्ड और ज़्यादा उभरी हुई दिखाई दे रही थी...

और उपेर से शबनम की आँखे मेरी आग को हवा देने लगी थी....


फिर जैसे ही अकरम पानी ले कर वापिस आया तो शबनम खिसक कर मेरे आगे खड़ी हो गई और अकरम मेरे बाजू मे...

थोड़ी देर मे मंडप मे कुछ रसम शुरू हो गई तो हमारे आजू-बाजू और लोग भी आ गये....

थोड़ा सा भीड़ का महॉल बन गया था और उस भीड़ की वजह से मैं आगे से शबनम के करीब हो गया....

और शबनम तो शायद पहले से रेडी थी...मेरे आगे होते ही वो खुद भी पीछे हो गई और उसकी मदमस्त गान्ड मेरे लंड से चिपक गई....

मैं शबनम की हरकत से कुछ ना बोल पाया बस मूड कर अकरम को देखा ...जो इस टाइम पूरे मन से मंडप मे चल रहे प्रोग्राम को देख रहा था...

फिर मैने आगे देखा तो शबनम ने मुझे स्माइल दे दी और वापिस आगे देखते हुए अपनी गान्ड को मेरे लंड पर दबा दिया....

मैं(मान मे)- आहह...क्या किस्मत है मेरी....इतनी रसीली गान्ड मुझे खुले आम दावत दे रही है पर मैं कुछ नही कर पा रहा....

एक तरफ दोस्ती है और एक तरफ मस्ती...कैसी टफ सिचुयेशन है यार ....

एक मेरा दोस्त है...जिसे मैं धोका नही देना चाहता...पर बार-2 ऐसा महॉल बन जाता है कि मैं रुक नही पाता...

पर मेरी भी क्या ग़लती...मर्द को खुली चूत मिले तो कहाँ छोड़ता है...

बट अभी मैं क्या करूँ...शबनम आंटी मेरे लंड को हार्ड कर रही है और उनका बेटा मेरे बाजू मे खड़ा है...

मैं तो खुल के मज़ा भी नही ले पा रहा हूँ...हे भगवान...कुछ करो...या तो आंटी को रोक लो या फिर मुझे खुल्ला मौका दे दो...कुछ करो भगवान..पल्लज़्ज़्ज़्ज़....

और मैं मन ही मन भगवान से रास्ता दिखाने की मिन्नतें करने लगा....

और आंटी भीड़ का फ़ायदा उठा कर अपनी गान्ड को मेरे लंड पर रगड़ने लगी....

कुछ देर बाद भगवान ने मेरी सुन ली...अकरम को एक कॉल आ गया और वो बात करने के लिए दूर निकल गया...और वसीम भी कही नज़र नही आ रहा था....

मैने भगवान को थॅंक्स बोला और आंटी की गान्ड का मज़ा लेने लगा...

अब मैने भी भीड़ का फ़ायदा उठाया और अपने हाथ आगे ले जाकर आंटी की गान्ड को थाम लिया...

मेरा हाथ लगते ही आंटी ने पलट कर मुझे स्माइल दी और फिर से गान्ड घिसने लगी....

आज मेरा लंड भी जल्दी ही गरम हो रहा था....शायद 2 दिन से चुदाई नही की थी, इसलिए...

मैं आंटी की गान्ड को सहलाते हुए सोचने लगा कि आज रात तो बहुत रंगीन बनाउन्गा....बट सवाल था कि कैसे.....????
Reply
06-07-2017, 12:14 PM,
RE: चूतो का समुंदर
मैने तो यहाँ अपनी रात रंगीन करने की सोच रहा था...पर मुझसे कही दूर कोई अपनी जिंदगी का मक़सद पूरा करने के लिए रात को भटक रही थी....

दूर कही किसी गाओं मे.....

रात के सन्नाटे को चीरती हुई कार की आवाज़...अंधेरे को चीरती हुई हेडलाइट्स के साथ रोड पर सनसनाती हुई भागी जा रही थी ....

कार को देख कर तो ऐसा लग रहा था कि कोई कहीं जल्दबाज़ी मे जा रहा है...

पर कार की पिछली शीट पर हवस का नंगा नाच चल रहा था....

कार की पिछली शीट को कार की डिग्गि से मिला कर एक आरामदायक बिस्तेर की तरह बनाया गया था....

उस शीट पर एक रोबीला मर्द और मस्त औरत को कुतिया बना कर चोदे जा रहा था....

वो मर्द था रघु और वो औरत थी दामिनी....

दामिनी- आआहह....ज़ोर से...बस थोड़ा और...आअहह...ज़ोर से....

रघु- हाँ मेरी जान..ये ले...ईएहह....यईएहह....

दामिनी- ओह्ह्ह...मैं आयाआयी....आअहह...आअहह...उूउउम्म्म्म...

रघु- मैं भी मेरी रानी...ये ले....यीहह....आआहह...आअहह...

थोड़ी देर बाद दोनो नॉर्मल हो कर दारू के जाम गटकने लगे...

दामिनी- आहह..तुम सिर्फ़ चोदते ही रहोगे या मेरा काम भी करोगे...

रघु- अरे मेरी जान...तू चीज़ ही ऐसी है कि मन नही भरता...

दामिनी- अच्छा...जबसे मिले हो तबसे मेरी चूत और गान्ड ही बजा रहे हो...मेरा काम भी करो...तो और भी मज़ा मिलेगा...

रघु- हाँ मेरी जान...तेरे काम से ही जा रहे है...उस आदमी के पास जिससे आज़ाद का पता चल सकता है...समझी..

दामिनी(खुश हो कर)- सच...तब तो मज़ा आ जायगा...

रघु- अरे मेरी जान..तेरे मज़े के लिए तो मैं सब कर दूँगा...बस तू मुझे मज़ा करती रह...

दामिनी- ह्म्म..अभी मान नही भरा क्या....

रघु- अरे कहाँ यार...देख ये लंड फिर से खड़ा हो रहा है...आजा...

दामिनी- तुम बस काम का ध्यान रखो...और मैं तुम्हारे लंड का ध्यान रखती हूँ...

और इतना बोलकर दामिनी ने पेग ख़त्म किया और रघु के लंड को हाथ मे ले कर हिलाने लगी...और फिर चूस कर लंड खड़ा कर दिया...

एक बार फिर से रघु ने दामिनी की गान्ड मे लंड घुसा कर उसकी गान्ड मारनी शुरू कर दी और उनकी चुदाई की आवाज़ कार की आवाज़ के साथ चलती रही.....

सफ़र तय कर के कार एक दुकान(शॉप ) पर खड़ी हो गई...

कार रुकते ही दामिनी और रघु ने अपने आप को ठीक किया और कपड़े पहने...तब तक ड्राइवर ने कार से निकल कर दुकानदार से एक अड्रेस पूछा और वापिस कार को उस अड्रेस्स की तरफ दौड़ा दिया ...

थोड़ी देर बाद कार एक छोटे से घर के सामने रुक गई...उस घर को देख कर ही लग रहा था कि घर किसी ग़रीब आदमी का है...

तभी कार से रघु और दामिनी नीचे आए और उस घर का गेट नॉक किया...जो कुछ-2 टूटा हुआ था...


गेट खुलते ही एक अधेड़ एज की औरत बाहर आई...जिसने सिर पर घूँघट डाला हुआ था...

औरत- जी...कहिए...

रघु- क्या ये बहादुर का घर है...??

औरत- जी हां...आप कौन..

रघु- मैं उसका पुराना दोस्त हूँ...आप उसे बुला देगी...

औरत- पर वो तो घर पर नही है...

रघु- नही है...तो कहाँ है...

औरत- वो कुछ दिन पहले सहर गये थे...तबसे वापिस नही आए...हमें भी अब चिंता होने लगी है...

रघु- सहर ...किस सहर मे...और काम क्या था...

औरत- काम तो पता नही...बोले थे कि कुछ ज़रूरी काम है...और सहर का नाम...****...था...

सहर का नाम सुनते ही दामिनी को झटका लगा और वो आगे आकर औरत से बोली...

दामिनी- तुम्हे पक्का यकीन है कि वो इसी सहर मे गया है...

औरत- जी...पर बात क्या है मेडम...

दामिनी- अच्छा ये बताओ कि क्या तुम आज़ाद के बारे मे कुछ जानती हो...??

औरत- नही मेडम...कौन है वो...

दामिनी- कोई नही ..छोड़ो...अच्छा बहादुर किसके पास जाने वाला था ये पता है तुम्हे....

औरत - नही मेडम...वो बस बोल कर गये थे कि एक पुराना दोस्त है...उसी के पास जाना है...

दामिनी- अच्छा ये बताओ कि क्या कोई आया था उससे मिलने...उसके जाने के पहले....

औरत- हाँ मेडम...एक आदमी आया था...उसी के दूसरे दिन ये सहर निकल गये...

दामिनी- ओके...

और दामिनी ने रघु को इशारा किया और दोनो कार के पास आ गये....

रघु- तुम सहर का नाम सुन कर चौंक क्यो गई...??

दामिनी- क्योकि मैं उसी सहर मे रहती हूँ...

रघु- तो क्या..

दामिनी- अरे...वही आकाश भी रहता है...आज़ाद का बेटा...

रघु- तो उससे क्या ..??

दामिनी- मैं नही चाहती कि आज़ाद और आकाश आपस मे मिले...कोई बात भी करे...

रघु- पर क्यों...तुम्हे तो दोनो को मारना है ना...

दामिनी- हाँ...पर पहले बहुत कुछ छीनना है उससे ...और अगर आज़ाद ने आकाश को कुछ बता दिया मेरे बारे तो मेरे हाथ कुछ नही आयगा....वो मर भी गये तब भी...

रघु- ह्म्म...काफ़ी घहरी दुश्मनी है...हां...

दामिनी- हाँ...बहुत गहरी...

रघु- तो अभी क्या करना है...ये बोलो...

दामिनी- तुम इस गाओं मे अपने आदमी लगाओ...किसी ने तो देखा होगा उस आदमी को जो बहादुर से मिलने आया था....अगर वो मिल गया तो आज़ाद भी मिल जायगा...और तब तक मैं सहर मे बहादुर को देखती हूँ...

रघु- तो क्या तुम अभी चली जाओगी...

दामिनी(मुस्कुरा कर)- नही मेरे राजा...2 दिन बाद...तब तक तू मज़ा ले...ह्म्म...

और फिर दोनो कार मे बैठ कर निकल गये.....

दामिनी ने जो सोचा था वो उसे नही मिला...उसने रघु को आज़ाद का पता लगाने का काम दे दिया और खुद घर आने का फ़ैसला किया....

पर वो 2 दिन के लिए उसी गाओं मे रुक गई...इस उम्मीद मे कि शायद आज़ाद का पता चल जाए.....

यहाँ सहर मे...रिचा के घर...

रिचा अपनी बेटी के साथ बैठ कर टीवी देख रही थी...तभी उसका फ़ोन रिंग हुआ...


रिचा- हेलो...कौन...

सामने- $$$$..

रिचा- रॉंग नंबर...

और रिचा ने कॉल कट कर दी ...और अपनी बेटी से नीद का बहाना कर के अपने रूम मे आ गई...

गेट लगाते ही उसने वापिस कॉल लगाया ...

( कॉल पर )

रिचा- हाँ..हेलो...

बॉस- क्या हेलो...कॉल क्यो कट की थी...

रिचा- अरे यार...मेरी बेटी थी मेरे बाजू मे...बोलो क्या हुआ...

बॉस- ह्म्म..तुझे एक काम देना था...

रिचा- कैसा काम...

बॉस- मैं सोच रहा था कि आकाश को एक चोट देने का टाइम आ गया है...और उसके बेटे को भी...

रिचा- मतलब...उनको मारना है क्या...??

बॉस- अरे मारना होता तो क्या तुझे कॉल करता...

रिचा- तो फिर...

बॉस- तुम ये बताओ कि आकाश के सहर मे कितने ऑफीस है...3 है ना...??

रिचा- हाँ...3 ही है...तो..

बॉस- मैं चाहता हूँ कि कल उसके एक ऑफीस पर हमला हो...और पूरा ऑफीस बर्बाद हो जाए...

रिचा- तो इससे क्या होगा...

बॉस- इससे आकाश के बेटे का दिमाग़ उस हमले पर लग जायगा....समझी...

रिचा- नही...बिल्कुल नही..
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