Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-08-2017, 10:53 AM,
RE: चूतो का समुंदर
आज़ाद के अच्छे कामो ने आकाश को बचा तो लिया....पर आज़ाद की दोनो बेटियों का परिवार तबाह हो गया और मदन का भी....
इसी के साथ आरती की बेटी भी हमेशा के लिए गायब हो गई...किसी को नही पता चला कि वो कहाँ, कब और कैसे गई...
आंटी की पूरी बात सुन कर मैं भी सोच मे पड़ गया...
मैने यही तो डाइयरी मे पढ़ा था ...पर अभी भी नही मान रहा था कि मेरे डॅड ने सबको मारा....
और अब तो ये भी पता करना था कि मेरी आरती बुआ की बेटी गई कहाँ...कौन ले गया उसे....कोई अपना या कोई पराया....????????????
आंटी की बताई हुई बातों से एक बात तो क्लियर थी कि आंटी को भी सिर्फ़ उतना ही पता है जितना कि मुझे.....
उस घर मे असल मे हुआ क्या था...ये तो आंटी को भी नही पता....
क्या सच मे मेरे डॅड ने ही सबको मारा...नही- नही...ये सोच भी नही सकता मैं...मेरे डॅड ऐसा कभी नही कर सकते....
पर सच पता करूँ तो कैसे ...मुझे आंटी से उम्मीद थी की शायद ये मुझे सच तक ले जाएगी...पर ये तो खुद ही अंधेरे मे है...
और अब ये बात की मेरी छोटी बुआ की बेटी...वो गायब हो गई थी....उसे कौन ले जा सकता है...कोई तो होगा जो ले गया होगा....
इसका मतलब मैं सही सोच रहा हूँ...वहाँ कोई और भी था...जो जिंदा था और वहाँ से निकला था....और साथ मे मेरी बुआ की बेटी को ले गया था....पर कौन...???
ऐसा कौन हो सकता है जो वहाँ आ कर ये सब कर दे....कौन...???....हाँ...सरिया का पति...मदन...हाँ...वो आ सकता था वहाँ...
शायद सरिता ने उसे बुलाया हो...या फिर वो खुद ही आ गया हो...
एक वो ही था जो मेरे डॅड से नफ़रत करता था....सरिता के रेप सीन की वजह से...हाँ...वही होगा...पूछता हूँ शायद आंटी को कुछ पता हो...
मैं- आंटी...एक बात बताओ...आप मदन को जानती है...???
आंटी- मदन...वो...सरिता का पति...तुम्हारे दादाजी का दोस्त ना...पर तुम कैसे...
मैं(बीच मे)- अभी आप कुछ मत पूछिए....सिर्फ़ जवाब दो...मैं आपको सब बताउन्गा...पर अभी नही...बोलो...मदन को जानती है...
आंटी- हाँ..नाम सुना है...मतलब् जानती हूँ...ज़्यादा नही..
मैं- ओके..तो ये बताओ कि क्या उस टाइम ...जब ये हादसा हुआ...वहाँ मदन था की नही....
आंटी- उस टाइम....नही...वो तो बाद मे आया था...मुझे बताया गया था कि मदन तुम्हारे दादाजी के आने के बाद ही आया था...और फिर सरिता की लाश देख कर टूट गया था ...और उस हादसे के बाद किसी ने उसे गाओं मे नही देखा....
मैं(मन मे)- तो शायद मदन ही हो..जो अंदर सबको मार कर और बच्ची ले कर भाग गया हो और फिर आ गया सामने से....पर कैसे....उसने किया होता तो सरिता कैसे मरती...और सुभाष फूफा जी क्यो...वो तो सिर्फ़ डॅड को ही मारता सबसे पहले....और छोटी बुआ मेरे डॅड को कातिल क्यो कहती...क्या यार...कितना उलझा हुआ मॅटर है...ये ऐसे नही सॉल्व होगा...काफ़ी सोचना होगा....
अभी इसे छोड़ते है और आंटी से कुछ और पूछता हूँ...नही तो रात सोचते हुए ही निकल जाएगी...
फिर मैने अपने माइंड को शांत किया और आंटी से बोला....
मैं- आंटी...उस हादसे का सच मैं जल्दी पता कर लूँगा...पर अभी मैं ये जानना चाहता हूँ कि आपके साथियों की मुझसे या मेरी फॅमिली से किस बात की दुश्मनी है...
आंटी- ठीक है बेटा...तुम सच पता कर लो ..हालाकी मुझे नही लगता कि इसमे कुछ मिलेगा...आरती ने मरने के पहले खुद कहा था कि आकाश ने सबको मारा...
मैं- जानता हूँ...पर जो दिखता है वो होता नही...वेल...ये छोड़ो...ये मैं देख लूँगा...आप आगे बोलो...
आंटी- ह्म्म..तो तुम्हे दुश्मनी की वजह जाननी है...ठीक है..मैं सबकी वजह बताती हूँ...जो मुझे पता है......
फिर आंटी ने बारी-बारी सबकी दुश्मनी की वजह बताना शुरू कर दिया....
कामिनी
कामिनी अपनी बहेन और माँ-बाप के साथ उसी गाओं मे रहती थी...जहाँ आज़ाद की फॅमिली रहती थी....
आज़ाद और कामिनी के पिता दोस्त थे...और बिज़्नेस भी साथ करते थे....
आज़ाद एक अयाश इंसान था और उसकी नज़र कामिनी की माँ पर थी...वो उसे अपने साथ सुलाना चाहता था...
जब प्यार से कामिनी की माँ नही पटी तो आज़ाद ने अपनी पवर का इस्तेमाल कर के कामिनी के बाप की सारी प्रॉपर्टी हथिया ली...और उन्हे कंगाल कर दिया...
कामिनी के पिता ये सदमा सह नही पाए और मर गये...उसके बाद आज़ाद ने कामिनी की माँ के साथ जबर्जस्ति करने की कोसिस की....
रेप होने के बाद कामिनी की माँ ने सुसाइड कर ली और कामिनी अनाथ हो गई...
आज़ाद ने अपनी पहुच का फ़ायदा उठाकर कामिनी और दामिनी को गाओं से निकलवा दिया....
तभी से कामिनी और दामिनी के सीने मे बदले की आग लगी हुई है...
और जब दोनो ने आकाश को इस सहर मे देखा तो वो आग फिर से भड़क उठी...अब दोनो की लाइफ का एक ही मक़सद है...आकाश के पूरे खानदान को मिटाना और उनकी प्रॉपर्टी हासिल करना...
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06-08-2017, 10:53 AM,
RE: चूतो का समुंदर
रिचा.......
रिचा भी अपनी फॅमिली के साथ आज़ाद के गाओं मे रहती थी...
रिचा के पिता टीचर थे...और माँ आज़ाद की फॅक्टरी मे अक्कौंटेंट....
आज़ाद ने अपनी अयाशी के लिए रिचा की माँ को फसा लिया...और रोज उसके मज़े लेने लगा....
एक दिन रिचा ने ये सब देख लिया....और आज़ाद ने रिचा का मुँह बंद करने के लिए उसे अपनी बहू बनाने का वादा कर दिया...रिचा की माँ ने भी उसे रो-रो कर चुप रहने पर मजबूर कर लिया...
रिचा भी अपनी माँ की बदनामी के डर से चुप हो गई और आकाश से शादी के सपने देखने लगी...
फिर एक दिन आज़ाद की गंदी नज़र रिचा पर पड़ गई...और आज़ाद ने रिचा के साथ भी सेक्स कर लिया...
रिचा..बेचारी मजबूरी मे चुप रही...और हादसा समझ के भूलने की कोसिस करने लगी..
पर आज़ाद को रिचा का जिस्म भा गया...और उसने रिचा को बातों मे फसा कर उसे भोगना शुरू कर दिया...
रिचा को बस एक उम्मीद थी कि एक दिन वो आकाश की पत्नी बन जाएगी...फिर सब ठीक होगा...
पर वक़्त आने पर आकाश ने अलका से शादी कर ली..और आज़ाद ने रिचा को रंडी कह कर धूतकार दिया...
रिचा का सब कुछ लूट गया...पर वो कुछ नही कर सकी...
रिचा ने सब कुछ अपने पिता को बता दिया...पर जब रिचा के पिता आज़ाद से बात करने गये तो आज़ाद ने उसे धमका कर भगा दिया...
कोई भी उस गाओं मे आज़ाद के खिलाफ नही जा सकता था...तो रिचा के पिता ने सहर मे रिपोर्ट करने की सोची...
फिर रिचा के माँ-बाप सहर जाने निकले तो रास्ते मे ही उनका आक्सिडेंट करवा दिया गया...वो दोनो ख़त्म हो गये....
माँ-बाप की मौत के बाद रिचा ने गाओं वालो को सच बताया...पर आज़ाद के कहने पर सबने रिचा को रंडी करार दे कर गाओं से निकाल दिया...
पर रिचा की किस्मत उसे इसी सहर मे ले आई...और आकाश को देख कर उसने बदला लेने का मन बना लिया...वो आज़ाद की नस्ल मिटाने के लिए जी रही है बस...
उसे ये बात तो बाद मे पता चली कि अंकित, आकाश का ही बेटा है...अगर उसे पहले पता होता तो शायद दामिनी के घर शादी मे ही अंकित का कुछ बुरा कर देती....
अब वो इंतज़ार कर रही है कि आकाश की प्रॉपर्टी कामिनी को मिले और वो आकाश के परिवार को मिटा दे....
दीपा....
दीपा की कोई पर्सनल दुश्मनी नही थी...वो तो बस पैसो के लालच मे हम सब के साथ हो ली...
बेचारी...बिना किसी मक़सद के हमारे साथ थी...और उसे सज़ा भी मिल गई...जान चली गई बेचारी की....
विनोद........
विनोद की दुश्मनी सिर्फ़ तुम्हारे डॅड से है...बहुत पहले की बात है....
एक ज़मीन के टुकड़े की खातिर दोनो भीड़ गये थे....
उस ज़मीन पर तुम्हारे डॅड एक ऑफीस बनाना चाहते थे...जो बाद मे बनाया भी...
और विनोद को वो ज़मीन एक न्यू शॉप बनाने को चाहिए थी...
आक्च्युयली ज़मीन के मालिक से विनोद ने पहले बात कर रखी थी...पर तुम्हारे डॅड ने उसकी ज़्यादा कीमत दी तो ज़मीन के मालिक ने वो आकाश को दे दी...
बस..फिर विनोद तुम्हारे डॅड से उलझ गया...तुम्हारे डॅड ने उसे 1 रात के लिए हवालात मे पहुचा दिया था...
वो तो और भी सज़ा दिलवाते बुत संजू के पापा ने तुम्हारे दाद से बात कर के मामला शांत कर लिया...
तभी से विनोद तुम्हारे दाद से नफ़रत करता था...और इस का फयडा किसी और ने उठा लिया...जिसे हम सब बॉस बुलाते है...उसी ने विनोद को काम पर लगाया...इससे विनोद को पैसे भी मिलेगे और अपने बदले की आग को भी बुझा लेगा....
ये सब सुनने के बाद मेरा दिल बस ये जानना चाहता था की आख़िर बॉस है कौन...???
मैं- आंटी...ये बॉस...
आंटी(बीच मे )- वही बता रही हो...और एक साथी और है...उसके बारे मे शायद तुम्हे अंदाज़ा भी नही होगा....
मैं- ह्म्म..
फिर आंटी ने आगे बोलना चालू रखा....
बॉस......
इस शक्स के बारे मे कोई नही जानता....ना मैं और ना कोई और...
हम सब इससे फ़ोन के ज़रिए बात करते है...और वो भी हर बार नये नंबर से...
इसको किसी ने नही देखा...सिर्फ़ आवाज़ सुनी....
पर कमाल की बात ये है कि इसे हम सबकी हिस्टरी मालूम है...
ये अच्छी तरह से जानता है कि हम सब आज़ाद की फॅमिली से किस वजह से नफ़रत करते है और क्या चाहते है...
इसने हमे एक-एक कर के एक साथ कर लिया...और अब हमसे अपने हिसाब से काम निकालता है...
इसी के कहने से हम मे से कुछ अभी तक तुम्हारे डॅड को नुकसान नही पहुचा पाए...और ना ही तुम्हे...
इसका असली मक़सद क्या है और इसकी क्या दुश्मनी है...ये हम मे से कोई नही जानता...
इसने बोला है कि आकाश की फॅमिली ख़त्म करने के वक़्त ही ये हमारे सामने आएगा....तब तक नही...
एक बात और..इस बंदे के पास पैसा बहुत है...ये पैसा पानी की तरह बहा कर किसी को भी खरीद लेता है...
आंटी- अब सिर्फ़ एक साथी और रह गया है...लेकिन इसके बारे मे बताने के पहले मैं चाहती हूँ कि तुम अपना दिल मकबूत कर लो...शायद तुम्हे सुनकर धक्का लगे....
मैं- क्या....ऐसा क्यो बोल रही है आंटी....
आंटी- बात ही कुछ ऐसी है बेटा...जब कोई अपना हमारा दुश्मन निकले तो धक्का तो लगता ही है ना....
मैं- ह्म्म..पर ये झटका तो मैं आपके रूप मे खा चुका हूँ...मैं तैयार हू...आप बताइए...कौन है वो...
आंटी- वो और कोई नही ...बल्कि तुम्हारी बुआ की बेटी रेणु है....
रेणु.....
रेणु को जब पता चला कि सुभास की हत्या आकाश ने की है...तभी से उसे आकाश से नफ़रत हो गई...
उसका बस चलता तो वो अभी तक आकाश को मार चुकी होती..बस बॉस के कहने पर रुकी हुई है...
और बेटा...रेणु के अंदर ज़हर भरने वाली तुम्हारी बड़ी बुआ ही है...वो भी आकाश को अपने पति का कातिल मानती है..
पर दुनिया को दिखाने के लिए उन्होने आकाश को माफ़ कर दिया था...फिर रेणु के ज़रिए अपना बदला लेना चाहती है...
रेणु का एक और मक़सद है...वो है तुम्हारी प्रॉपर्टी...जो तुम्हारे नाम है...इसी वजह से उसने तुम्हे अपने जाल मे फसाने का सोचा था....
बस...ये सब ही है...और कोई नही...अगर हो भी तो मेरी जानकारी मे नही...
आंटी चुप हो गई और सिर झुका कर साँसे लेने लगी...
मैं(मन मे)- अब आपको कैसे बताऊ आंटी..की रेणु दीदी तो मेरी तरफ है...फिर भी आपने जो भी बताया उस पर भरोशा है...क्योकि रेणु दी के बारे मे आपने सच बोला..जो मैं जानता था...इसका मतलब आपने सबके मामले मे सच ही बोला होगा...
आंटी- क्या हुआ बेटा...दुख हुआ...
मैं(सिर हिला कर)- बिल्कुल नही आंटी...इनफॅक्ट मैं खुश हूँ..अब मुझे पता है कि मेरे पीछे कौन-कौन है...और मैं उनसे कैसे निपटू...ये अच्छे से सोच सकता हूँ...
आंटी- बेटा...ये बात किसी को..
मैं(बीच मे)- नही आंटी...ट्रस्ट मी...ये बात हमारे बीच रहेगी...प्रोमिस...
और हाँ...आपके भाई की मौत का सच आपके सामने ज़रूर लाउन्गा...और भरोशा रखिए...गुनहगार को सज़ा ज़रूर मिलेगी...
आंटी- मुझे तुझ पर पूरा भरोशा है...बस अपना ख्याल रखना बेटा...
मैं - बिल्कुल आंटी...वैसे एक सवाल है...पुछु ...??
आंटी- हाँ बेटा...पूछ ना..
मैं- आप धर्मेश की बेहन है...मेरी माँ की फ्रेंड भी...और आपकी शादी भी इसी सहर मे हुई ...तो भी डॅड ने मुझे आपके पास आने को कभी मना नही किया...जबकि आप तो डॅड से नफ़रत...
आंटी(बीच मे)- आकाश को अभी भी नही पता कि मैं धर्मेश की बेहन हूँ...वो मुझे अलका की सहेली के रूप मे जानता है बस...
मैं- ओह्ह..अच्छा आंटी...अब कुछ और भी है क्या..जो आप मुझे बताना चाहे...
आंटी- नही बेटा...और कुछ नही...सब बता दिया...जो भी मुझे पता था...
मैं- ओके...तो अब क्या आप मेरी माँ के बारे मे कुछ बताएँगी मुझे...वो बातें जो मुझे पता ही नही...
आंटी- हाँ...पर आज नही...पहले तुझे कुछ दिखाना है...वो देख लेना तब बताउन्गी...
मैं- तो दिखाइए ना...
आंटी- आज नही बेटा...थोड़ा इंतज़ार कर...1-2 दिन बस...
मैं- ओके...तो क्या अब मैं अपनी माँ की गोद मे सो सकता हूँ....लॉरी सुनते हुए...मैं माँ के प्यार को फील करना चाहता हूँ....
आंटी ने अपनी बाहे फैलाई और मुझे गले लगा लिया...और फिर मुझे अपनी गोद मे लिटा कर लॉरी सुनाने लगी....
आज आंटी की गोद मे मुझे बड़ा सुकून मिल रहा था...
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06-08-2017, 10:53 AM,
RE: चूतो का समुंदर
कुछ ही पॅलो मे मेरी आँख लगने लगी...पर मेरे माइंड मे आंटी के साथ हुई बातें ही घूम रही थी...
मैं(नीड मे बड़बड़ाते हुए)- आंटी...आपने सब सच बोल कर मेरी परेशानी दूर कर दी...लव यू आंटी....
आंटी(अपने मन मे)- माफ़ करना बेटा...एक सच अभी भी मैने छिपाया है..तेरी माँ का सच...
मैने अगर तुझे सच बता दिया तो बहुत परेशान हो जायगा...और मैं ये देख नही सकती...सॉरी बेटा...
कैसे बताऊ कि तेरी माँ की मौत नही हत्या हुई थी...और मैं कातिल को जानते हुए भी कुछ नही कर सकती....आइ एम सॉरी बेटा ...आइ एम सॉरी...
और आंटी ने अपनी आँखो मे आए आँसू पोछ कर मुझे सुलाना जारी रखा......
सुबह -सुबाह आंटी के गेट पर दस्तक हुई तो आंटी हड़बड़ा कर जाग गई...
आंटी मुझे गोद मे सुलाते हुए बैठे हुए ही सो गई थी....

आंटी जाग कर संभाल पाती कि फिर से दस्तक हुई और दस्तक के साथ एक आवाज़ आई...जो मेघा आंटी की थी...
मेघा- भाभी...भाभी...उठो भाभी...
आंटी जाग तो गई पर जब उन्हे याद आया कि मैं उनके रूम मे उनकी गोद मे सो रहा हूँ तो वो थोड़ा डर गई...
क्योकि वो मेघा के सामने इस टाइम ये बात नही आने देना चाहती थी...
मेघा- भाभी...उठो तो...मुझे काम है...
रजनी- हह..हाँ...आई...
रजनी आंटी ने मेरा सिर बेड पर रखा और मेरे उपेर चादर डाल दी...तब जा कर गेट खोला...
और गेट खोल कर इस तरह खड़ी हो गई कि मेघा अंदर ना देख पाए...
रजनी(अगडाई लेकर)- हह...क्या हुआ मेघा...सुबह-सुबह...
मेघा(बीच मे)- अंकित आपके रूम मे है...??
रजनी(सकपका कर)- न..नही..नही तो..वो तो....संजू के साथ होगा....उसके रूम मे..
मेघा- मैं देख कर आई...वहाँ नही है...
रजनी- अरे...वहाँ नही तो कहाँ है...वही होगा...या हो सकता है छत पर निकल गया हो टहलने....छत पर देखा ..??
मेघा- नही...मैने बस संजू के रूम मे देखा था...
रजनी- ह्म्म..तो छत पर ही होगा...वैसे सुबह से अंकित का क्या काम पड़ गया तुझे...
मेघा- अरे भाभी...आज से मुझे अंकित जिम मे ट्रैनिंग देने वाला है...उसके जिम मे...
रजनी- ओह्ह...तो ये बात है...
मेघा- हा..इसलिए जल्दी जगाने गई थी...एक काम करो...आप उसे बोल दो..मैं फ्रेश हो कर आती हूँ..
रजनी- हाँ...तू जा...मैं बुलाती हूँ उसे...
फिर मेघा फ्रेश होने निकल गई..और आंटी ने जल्दी से गेट लगाया और मुझे उठाने लगी...
मैं(नीद मे)- उउउंम्म..क्या हुआ आंटी...
रजनी- अरे बेटा...उठा जा...वो मेघा तुझे ढूँढ रही है...तुझे जिम जाना है ना उसके साथ...
आंटी की बात सुनकर मेरी झक्की खुल गई और मैं उठ कर बैठ गया...
मैं- हाँ...कहाँ है वो...
रजनी- वो रेडी होने गई है...तू संजू के रूम मे जा और फ्रेश हो जा...और हाँ..बोल देना कि तू छत पर था...अभी वो तुझे देखने गई थी ...
मैं- ओह्ह..ओके..मैं रेडी हो जाता हूँ...आप कॉफी बनाओ ओके..
और मैं खड़ा हुआ और आंटी को एक जोरदार किस कर दिया...
मैं- उउउंम्म....गुड मॉर्निंग वाई दा वे...
रजनी- ह्म्म..गुड मॉर्निंग...अब जा जल्दी...
और मैं वहाँ से निकल कर संजू के रूम मे आ गया फिर रेडी हो कर नीचे पहुचा तो मेघा को देख कर हँसने लगा...
मेघा- ऐसे क्या हंस रहा है...क्या हुआ..
मैं- अरे..मैं आपको देख कर हँस रहा हूँ...ये क्या हाल बना रखा है...
मेघा- मतलब...क्या हुआ...
मैं- आपने साड़ी पहनी हुई है..ऐसे जिम मे जाएगी...हाँ..
मेघा- अरे नही...मेरी जिम वाली ड्रेस बॅग मे है...ये रहा बॅग...वहाँ जा कर चेंज करूगी...यहाँ सब देखेगे तो ठीक नही लगेगा...
मैं- ओके..अब जल्दी चलिए...
फिर हमने कॉफी ख़त्म की और निकलने लगे...आते हुए रजनी आंटी ने मुझे कॉल करने का इशारा किया और हम मेरे घर निकल आए....

घर आते ही मैने चेंज किया और जिम मे निकल गया...मेघा आंटी ने बाद मे आने का बोला और चेंज करने निकल गई....
मैं वॉर्म-अप कर ही रहा था कि मेघा आंटी जिम मे दाखिल हुई...
मेघा को देख कर मैं हैरान हो गया...वो तो मुझे साड़ी मे भी हॉट दिखती थी...और अब ये स्पोर्ट ड्रेस...इसमे तो वो कयामत ढा रही थी...
मेघा के जिस्म का हर एक भाग उभरा हुआ दिखाई दे रहा था...
ड्रेस इतनी टाइट थी की बॉडी का हर एक कटाव सॉफ-सॉफ नज़र आ रहा था....
मेघा को देख कर मेरा लंड सलामी मार कर उठने लगा...पर मैने जैसे-तैसे उसे कंट्रोल किया...
मेघा(हिचकिचाते हुए)- वो..मेरी ड्रेस...थोड़ी टाइट...अच्छी नही है ना...
मैं- नही आंटी...मस्त है....सच मे...
मेघा- सच...कैसी लग रही है...
मैं- हॉट...एम्म..मेरा मतलब...आप पर सूट कर रही है...
मेघा ने मेरी आखो मे देखा और मेरे शब्द सुनकर थोड़ा शर्मा गई...
मैं- अर्रे...आप खड़ी क्यो है...आइए...वॉर्म-अप करते है...
मेघा- मैने आज तक सिर्फ़ योगा किया...ये वॉर्म-अप का कुछ आइडिया नही...
मैं- इसमे क्या...मैं हूँ ना..मैं सिखाता हूँ...आप आइए...
फिर मेघा सकुचाते हुए मेरे पास आ गई...उसे इस ड्रेस मे काफ़ी ऑड फील हो रहा था...पर मुझे खुशी हो रही थी...
मेघा- तो क्या करना है..
मैं- ह्म्म..आक्च्युयली ये योगा जैसा ही है..थोड़ा अंतर है बस...
मेघा- ह्म्म...
मैं- एक काम कीजिए...आप पहले रस्सी कूद कीजिए....इससे बॉडी मे गर्मी आ जाएगी और मूव्मेंट भी अच्छी होगी...
आंटी- ठीक है...ये तो मैने किया भी है...परेशानी नही होगी...
मैं- ह्म्म..आप स्टार्ट करो...फिर आगे का बताउन्गा...
मेघा ने रस्सी से उछलना शुरू किया तो उनके बड़े-बड़े बूब्स भी उनके साथ उपेर-नीचे उछलने लगे...
इसी नज़ारे को देखने के लिए ही तो मैने उन्हे रस्सी उछलने का बोला था...
मेघा के बूब्स तो रजनी से भी बड़े दिख रहे थे...और इस टाइम तो पूछो ही मत..लंड की शामत आ गई थी...
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06-08-2017, 10:53 AM,
RE: चूतो का समुंदर
जैसे -जैसे बूब्स हवा मे गोते मार रहे थे...वैसे -वैसे मेरे लोवर मे तंबू बनता जा रहा था...
थोड़ी देर बाद मेघा रुक गई तो मैने नज़रे चुरा ली और वॉर्म-अप करने का नाटक करने लगा...
मेघा- आअहह...अब...और नही...थक गई...कुछ और बताओ...
मैं- ओके...तो अब एक काम करो...अपने पैरो को फैला कर खड़ी हो जाओ..और फिर हाथो से पैरो के अंगूठे टच करो..बट घुटने मत मोड़ना...इससे मासपेसी खुलेगी आपकी..चलो करो..
मेघा ने जल्दी से पोज़िशन ली और करने लगी...और मैं उनके पीछे साइड पुश-अप करने लगा...
असल मे मैं मेघा की मस्त बलखाती गान्ड देख रहा था...
जैसी ही वो आगे झुकती तो गान्ड पूरी तरह से बाहर निकल आती..हाए...क्या मस्त गान्ड की मालकिन है मेघा...
अच्छा किया जो विनोद को इससे दूर रहने को मजबूर किया...अब ये माल मेरा होगा..सिर्फ़ मेरा...
काफ़ी देर तक वॉर्म-अप करने के बाद मेघा ने एक्सरसाइज़ करने को बोला...
मैं- तो आपको पहले ईज़ी स्टेप बताता हूँ...जैसे पेट के लिए...जाघो के लिए...फिर आगे बताउन्गा ...ओके..
मेघा- ह्म्म..
मैं- तो आप उस बड़े बॉल पर उल्टी लेट जाइए...और पूरा दबाब पेट और कमर पर रखना...फिर पैरो को फैला कर और हाथो को फैलाकर बॉल पर प्रेस करना...ये पेट के लिए अच्छा स्टेप है..चलिए शुरू कीजिए...
मेघा बॉल पर उल्टी लेट गई पर उसकी पोज़िशन ठीक नही थी...
मेघा- अब..ये ठीक है ना...
मैं- नही..रूको..मैं करता हूँ..
और मैने बिना शर्म किए मेघा की जाघे पकड़ कर फैला दी...
मैं- हाँ...अब ठीक है...दोनो जाघो के बीच फासला होना चाहिए...आप प्रेस करो...थोड़ा आगे पीछे रोल भी करते रहना...
मेघा- ह्म..
फिर मेघा ने एक्सरसाइज़ शुरू की और मैं फिर से उसकी गान्ड को देख कर खुश होने लगा...
मैं(मन मे)- क्या पोज़ मे गान्ड उठी है...काश मैं इसी पोज़ मे इसकी गान्ड मार पाता...ह्म्म्म..पता नही इसकी कब मिलेगी....
ऐसे ही कुछ देर तक मेघा को एक्सरसाइज़ करते हुए मैं उसे देख कर मज़े लेता रहा ...
मैं- ओके....आज के लिए बस ...कल आपको आगे का बताउन्गा...अब चलिए...
और फिर हमने चेंज किया और मेघा अपने घर निकल गई...
फिर कुछ देर बाद मुझे एक कॉल आया...ये कोई न्यू नंबर था....
( कॉल पर )
मैं- हेलो...कौन...??
(सामने सोनम थी...)
सोनम- हेलो...मैं...मैं सोनम बोल रही हूँ...
मैं- सोनम...तुमने कॉल किया...ग्रेट...बोलो...क्या हुआ...कुछ काम था क्या...
सोनम- ओह्ह..तो आपको अभी तक मैं याद हूँ...और मैं क्या आपको ऐसी लगती हूँ कि सिर्फ़ काम पड़ने पर कॉल करूँ..
मैं- ओह..नो..नो...मैं तो यूँ ही...बोलो...कैसी हो तुम...
सोनम- फाइन...आप बताओ...
मैं- बिल्कुल मस्त...ऐज ऑल्वेज़..हाहाहा...
सोनम- क्या आप फ्री हो...आक्च्युयली..मुझे आपसे ...
मैं- अरे इतना हिचकिचाहट किस लिए...सॉफ-सॉफ बोलो ना...
सोनम- आक्च्युयली मुझे आपसे मिलना था...
मैं- ओह..इतनी सी बात...वैसे मुझे तो कब्से मन था कि तुमसे मिलूं...बात करूँ...
सोनम- व्प..क्या आप आज शाम को फ्री है...
मैं- शाम को...ह्म्म..स्कूल के बाद फ्री ही फ्री हूँ...बोलो कहा मिलना है...
सोनम- मैं अड्रेस सेंड करती हूँ...
मैं- ह्म्म...पर बात क्या है...
सोनम- है कुछ ख़ास...एक सर्प्राइज़ है आपके लिए...
मैं- ह्म्म..आइ लव सर्प्राइज़स....
सोनम- मैं अड्रेस सेंड करती हूँ...बाइ..
और मुझे ऐसा लगा कि शायद सोनम कॉल रखते हुए कुछ परेशान हो गई थी...
पर मैने सोचा कि ये मेरे मन का भरम है...ये छोड़ो और ये सोचो कि क्या सर्प्राइज़ देगी सोनम...
वहाँ कॉल रख कर सोनम बेड पर बैठ कर रोने लगी...
सोनम(अपने आप से , रोते हुए )- क्यो मेरे साथ ही ऐसा हुआ...क्यो...
तभी सोनम के कंधे पर किसी ने हाथ रखा और बोला...
रो मत सोनम....तेरे हिस्से की खुशी तुझे ज़रूर मिलेगी...और रोयगे तो वो...जो तेरी खुशियो के दुश्मन है...प्रोमिस...""
फिर मैं स्कूल गया और 2 घंटे के बाद ही वापिस आ गया....
मैं और सोनू स्कूल से निकले ही थे कि मुझे रजनी आंटी का मसेज आ गया...उन्होने मुझे एक बॅंक मे बुलाया था ..अकेले...
मैने बहाना बनाकर संजू को वही छोड़ा और बॅंक पहुच गया...
मैं- हाँ आंटी...यहाँ क्यो बुलाया ..कोई ख़ास बात ...
आंटी- हाँ बेटा...कुछ खास है..जो तुझे देना था...ये तेरी अमानत है...
और आंटी ने मुझे एक बॉक्स पकड़ा दिया...
मैने बॉक्स पर नज़र डाली तो उस पर जो लिखा देखा...उससे मेरी आँखे नम होने लगी...
आंटी(मेरे आँसू पोछते हुए)- ना बेटा...ये मत कर...तेरी माँ को तेरे आँसू कभी अच्छे नही लगेगे...
ये तेरी अमानत मैने सालो से संभाल कर रखी है...अब तुझे इसे संभालना है...
और हाँ..इस बॉक्स के अलावा ये बॅग भी है...
मैने देखा कि वहाँ एक बड़ा सा बॅग भी रखा था...
मैं- आंटी...ये सब ..क्या है इसमे..
आंटी- सस्शहीए...तू खुद देखना...और फिर मुझे भी बताना..मेरे पास ये अमानत थी...और अमानत को देखना नही पड़ता...संभालना होता है...
मैने इसे तेरे लिए संभाला...अब चल...और हाँ...आँसू नही...
मैं(मुस्कुरा कर)- जी आंटी...चलो...
और मैं सामान ले कर...आंटी को ड्रॉप कर के घर चला आया....
Re: चूतो का समुंदर
मैं उस सामान को देख पाता उससे पहले ही मेरे आदमी का कॉल आ फाया...
(कॉल पर)
स- हेलो अंकित...फ्री हो..
मैं- हाँ बोलो...क्या हुआ...
स- जल्दी से सीक्रेट हाउस पहुचो...तुम्हे कुछ दिखाना है...
मैं- क्या...??
स- आओ तो सही...आज बहादुर मुँह खोलने को तैयार हो गया...
मैं- सच..पर कैसे ..वेल..जो भी हो...मैं आता हूँ...
और मैने अपना रूम लॉक किया और घर से निकल गया.....
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06-08-2017, 10:54 AM,
RE: चूतो का समुंदर
सहर मे कहीं...किसी घर के एक कमरे मे.....
रेणु अपने बॉस के साथ बैठी हुई पेग लगा रही थी....
रेणु और बॉस , दोनो ही नंगे बैठे हुए थे...
रेणु(सीप मार कर)- हाँ...मैं फिर कहती हूँ...अंकित को खरॉच भी नही आनी चाहिए....
बॉस- क्यो ..उसमे क्या खास है...वो भी आज़ाद की नस्ल है...
रेणु- कुछ भी हो...उसे खरॉच भी आई तो मैं...
बॉस- तो मैं...क्या मैं..क्या करेगी तू...
रेणु- मैं पूरा प्लान खराब कर दूगी...
बॉस ने रेणु को अपनी गोद मे खीचा और उसके निप्पल मरोड़ते हुए बोला...
बॉस- अच्छा...मेरा प्लान फैल करेगी...भूल गई क्या कि ये तेरा भी प्लान है...समझी...
रेणु- आअहह....जानती हूँ...पर मैं उसे प्यार करती हूँ....
बॉस- अच्छा ...अब रंडी भी प्यार करने लगी....
और बॉस ने रेणु की गान्ड को तेज़ी से दबा दिया...
रेणु- साले...तेरी बीवी और बेटी भी मेरी तरह है...रंडी कहीं की...हहहे...
बॉस- साली...तेरी तो माँ भी रंडी थी...जानती है ना...
रेणु- चुप कर...नही तो..ये ले...
और रेणु बॉस के बॉल्स को दबा देती है...
बॉस- आआआहह...छोड़ रंडी....ठीक है...नही मारूगा अंकित को...तू ही मारना....पर मारना ज़रूर...
रेणु- ह्म्म..ये हुई ना बात....
बॉस- अब आजा तेरी गान्ड फाड़ता हूँ साली...मेरे गोले सूजा दिए...अब तेरी गान्ड सुजाता हूँ ...
रेणु- साले...दिन मे भी एक बार करके मन नही भरता....
बॉस- तुझसे मन नही भरता....अब आजा....बताता हूँ तुझे....
और फिर गान्ड चुदाई शुरू हो गई...
चुदाई के बाद रेणु वहाँ से जाने लगी...
रेणु(पलट कर)- ये सम्राट सिंग है कौन...??
बॉस- है कोई...आज़ाद का पुराना दुश्मन...क्यो क्या हुआ...
रेणु- कुछ नही...उससे मिलना है मुझे...
बॉस- नही...तुम नही मिल सकती...
रेणु- तेरे मे हिम्मत हो तो रोक कर दिखाओ....मैं जा रही हू...आज ही....
बॉस- तुम नही मिलोगि...तुम कुछ नही जानती सम्राट के बारे मे....
रेणु- मैं सब जानती हूँ...सब कुछ...समझे....
और रेणु निकल गई...और फिर बॉस पेग बनाते हुए मुस्कुराने लगा....
बॉस(अपने आप से)- साली...अंकित को बचायगी...मेरे खिलाफ जाएगी...अरे तुझे क्या पता कि अंकित के साथ तू भी मरने वाली है...
कोई नही बचेगा...आज़ाद का खून इस दुनिया मे नही रहेगा....मरेगे सब के सब....
और एक ही घूट मे पेग गटक गया.....
बॉस(गुस्से मे)- साली...कहती है सब जानती हूँ....अरे तू तो ये भी नही जानती कि जिसे तू मारने वाली है..वो और कोई नही.... तेरा ही बाप है....हाहाहा...
सीक्रेट हाउस पर.......
मैं घर से निकल कर सीधा सीक्रेट हाउस पहुचा और कार से निकलते ही अंदर की तरफ भागा....
स- ओह...ओह...रिलॅक्स यार....इतनी जल्दी मे क्यो हो...
मैं- कुछ नही...वो आपने इतने अर्जेंट मे बुलाया ना तो...
स- ओह...डोंट वरी ...कोई परेशानी की बात नही है....सब ठीक है...इनफॅक्ट अब तो ज़्यादा ही ठीक है...
मैं- क्या मतलब...??
स- आओ...अंदर आओ...देखोगे तो सब जान जाओगे...
मैं- अच्छा...तो चलिए...
और मैं स के साथ अंदर वाले रूम मे चला गया...
वहाँ बहादुर था...और बहादुर के सामने दूसरे सक्श को देख कर मैं शॉक्ड रह गया...
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06-08-2017, 10:54 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैने हैरानी भरी नज़रों से अपने आदमी की तरफ देखा....वो मेरी आँखो मे आए सवाल को समझ गया और बोला...
स- डरो मत...मैने इसे सब बता दिया...ये सब जानता है...
मैं- सीसी..क्या...सब कुछ...
स- हाँ...ये ज़रूरी था...असल मे अब तो और ज़्यादा ज़रूरी था...
मैं- क्या मतलब ज़रूरी था...ऐसा क्या हुआ...
स- चलो कुछ और दिखता हूँ...
फिर स मुझे दूसरे रूम मे ले गया....और सामने चेयर पर बैठे आदमी को देख कर मुझे फिर से झटका लगा...
मैं- ये ..यहाँ...
स- ह्म्म..अब चलो...सब समझाता हूँ...
और स मेरा हाथ पकड़ के रूम के बाहर ले आया और आते ही मेरे हाथ मे एक फाइल थमा दी...
मैं- ये क्या है...किस चीज़ की फाइल है...
स- खुद देख लो...सब समझ जाओगे...
मैने उसकी बात सुन कर उस फाइल को ओपन किया और पढ़ते-पढ़ते मेरी आँखे बड़ी होने लगी....
थोड़ी देर बाद मेरी आँखो मे गुस्सा उतर आया और मैने फाइल फैंकते हुए बोला...
मैं- साले ....इतनी हिम्मत...किसने...किसने किया है ये..
स- लगता है तुमने फाइल ठीक से नही पड़ी...फिर से पढ़ो...नाम पता चल जायगा...
स ने फाइल उठा कर मुझे पकड़ा दी...और जब मैने उसमे नाम पढ़ा तो मैं और ज़्यादा हैरान रह गया...
मैं- क्या...इसने...पर क्यो...किस लिए...
स- इसका जवाब तो सिर्फ़ बहादुर या तुम्हारे डॅड ही दे सकते है...
मैं- ह्म्म..सही कहा..मैं अभी जाता हूँ....आज बहादुर को मुँह खोलना ही पड़ेगा...
और मैं वहाँ से सीधा उस रूम मे निकल गया जहाँ बहादुर था....स भी मेरे पीछे-2 चला आया....
मैं- मुझे ....मुझे ज़रूरी बात करनी है...बहादुर...मुझे आपसे बात करनी है...
बहादुर- जी छोटे मालिक...बोलिए...क्या बात करनी है...
मैं- मुझे सब कुछ जानना है...मेरे दादाजी और पूरे परिवार के बारे मे...वो कहाँ रहते है...??
बहादुर ने एक नज़र अपने सामने बैठे सक्श पर डाली और फिर एक नज़र मेरे आदमी पर डाली...
मैं- आप इनके सामने खुल कर बात कर सकते हो...अब बताओ...जो भी आप जानते हो..
बहादुर- जी...बताता हूँ.....
फिर मैं उस रूम मे बैठे लोगो के साथ करीब 1घंटे बात करता रहा और फिर अपने आदमी के साथ बाहर निकल आया...
जब हम कार के पास पहुचे तो स ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर बोला...
स- टेन्षन मत लो बेटा...जो हमने सोचा है वही होगा...
मैं- ह्म्म...पर अब और देर नही करना चाहता...मुझे जल्द से जल्द ये सब निपटाना है ...नही तो कुछ बुरा ना...
स(बीच मे)- नही...बुरा तो उनके साथ होगा जिन्होने तेरी जिंदगी खराब करने की सोची है. .तू टेन्षन मत ले...
मैं- ह्म्म...वैसे डॅड 2 दिन मे आ ही जाएँगे...तो उनसे कामिनी के बारे मे बात कर ही लूँगा...वो फाइल घर मे ही जिसमे कामिनी के नाम के शेयर है...पूछना तो पड़ेगा ही...
स- ये तो पहले भी पूछ सकते थे ना..
मैं- हाँ..पर सोचा कि आमने -सामने बात करूँ. .क्या पता कि सच क्या है और कितना बड़ा है...
स- ह्म्म...तो 2 दिन और रुक जाओ...
मैं- हाँ...और आप किसी को बहादुर के घर पहुचा दो....मुझे पता करना है कि क्या कोई बहादुर के पीछे भी है कि नही. .
स- बिल्कुल...वैसे अभी क्या करना है...
मैं- अभी...अपनी माँ के दिए हुए सामान को देखना है..जो रजनी आंटी ने दिए....
स- ह्म..रजनी ने जो बताया उस पर भरोसा है...??
मैं- हाँ..पूरा ..
स- तो रेणु से बात करोगे...??
मैं- अभी नही...पर करूगा ज़रूर...अभी तो अपनी माँ की निशानी देखनी है बस...आज मुझे कुछ तो पता चल ही जायगा अपनी माँ के बारे मे...
स- ह्म्म...तुम्हारी माँ बहुत अच्छी थी...आइ मीन बहुत अच्छी रही होगी...
मैं- आप ने कैसे कह दिया...??
स(मेरे सिर पर हाथ फेर कर)- क्योकि माँ तो अच्छी ही होती है...और फिर जिसका बेटा इतना प्यारा हो...उसकी माँ तो...पूछो ही मत..
मैने स की आँखो को नम होते देखा..आज पहली बार मुझे वो बंदा इमोशनल होते हुए दिखा...
पर मैने उससे वजह पूछना सही नही समझा और वहाँ से घर निकल आया.....
घर आते ही मैने देखा की रजनी आंटी हॉल मे बैठी सविता से बाते कर रही थी...
मैं- आंटी....आप यहाँ...
रजनी- अरे....तुम आ गये...
मैं- हाँ...पर आप कैसे...कोई काम था तो कॉल कर देती...
रजनी- हाँ..तोड़ा काम तो है...पर फ़ोन से होने वाला काम नही है...
मैं- ओहक...तो कहिए...
और मैं आंटी के बाजू मे जा कर बैठ गया...
रजनी- पहले थोड़ा रेस्ट तो कर ले ...बताती हूँ...अरे सविता...एक कॉफी तो ले आ इसके लिए...
आंटी ने कॉफी के बहाने सविता की वहाँ से भगा दिया और धीरे से बोली...
रजनी- तुझे तेरी माँ से मिलने आई हूँ...
मैं- क्या मतलब...??
रजनी- तूने अभी वो सामान देखा...??
मैं- नही तो...
रजनी- ह्म्म..चल तुझे दिखाती हूँ कि तेरी माँ ने क्या दिया था तुझे...तुझे बहुत कुछ बताना भी तो है ना...
मैं- ओह्ह...ठीक है...चलिए फिर...
रजनी- कॉफी तो पी ले...
मैं- ओके...
फिर मैने कॉफी ख़त्म की और आंटी को ले कर रूम मे आ गया....
रूम मे आते ही मैने सामान देखना शुरू किया....
उसमे मुझे एक आल्बम, एक ज्वेल्लेरी बॉक्स , और कुछ खत(लेटर) मिले....
फिर मैने दूसरा बॅग, जो कि बड़ा था, वो खोला तो उसमे मुझे कपड़े रखे हुए मिले...
मैं कुछ समझ पाता उससे पहले ही आंटी बोली...
रजनी- बेटा...देख कर हैरान मत हो...एक-एक करके हर सामान के बारे मे बताउन्गी...डोंट वरी...
मैं- पर आंटी...ये सब..किस लिए...
रजनी- ये तेरी माँ का प्यार है तेरे लिए....
फिर आंटी ने मुझे एक-एक सामान के बारे मे बताना शुरू किया ....
ज्वेल्लेरी बॉक्स मे वो ज्वेल्लेरी थी जो बच्चो के लिए खरीदी जाती है...
जो कपड़े रखे हुए थे...वो आंटी ने ही मेरी माँ के कहने पर खरीद कर रखे हुए थे ...
आंटी ने बताया कि तेरे 18 बर्त डे के लिए ये कपड़े तेरी माँ ने डिसाइड किए थे....
मैं आंटी की कही हर एक बात से खुश भी हो रहा था और रोना भी आ रहा था...
मैं सोच रहा था कि क्या मेरी माँ को अपनी मौत का पहले से आभास हो गया था जो उन्होने अपना प्यार इस तरह से रखने को कहा...
पर अभी ये सोचने का कोई टाइम नही था...अभी तो मैं अपनी माँ के प्यार को देखते हुए उनकी मौजूदगी का अनुभव कर रहा था....
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06-08-2017, 10:54 AM,
RE: चूतो का समुंदर
फिर बारी आई लेटर्स की...आंटी ने कहा कि ये लेटर्स उन्होने लिखे....पर केवल लिखावट उनकी है...शब्द तुम्हारी माँ के दिल से निकले हुए है...
मैने एक-एक करके सारे लेटर्स पढ़ डाले...और उन्हे पढ़ते हुए मेरी आँखो से बराबर आँसू टपकते रहे...
हर एक लेटर मे मेरी माँ ने अपना प्यार मुझ पर बर्षा दिया था....
लेटर्स को पढ़ कर मुझे पहली बार ये लगा कि मैने क्या खोया है...ऐसा नही था कि मुझे माँ की कमी महसूस नही हुई ....पर अब लग रहा था कि मैने जिंदगी की सबसे प्यारी खुशी खो दी है...ये खुशी वोही समझ सकते है जिनकी माँ होती है...
लेटर्स पढ़ते हुए मैने 17 लेटर्स पढ़ डाले...अब सिर्फ़ आख़िरी लेटर बाकी था...जिस पर लिखा था कि ये बहुत ख़ास है...
जब मैने वो लेटर उठाया तो आंटी बोल उठी...
आंटी- बेटा...ये खास लेटर है...इसमे वो बाते लिखी है जो तुम्हारी माँ तुम्हे बढ़ा होने पर ही बताने वाली थी....
मैं(रोते हुए)- ऐसा क्या है इसमे आंटी...??
आंटी- ये तुम्हे ही पढ़ना है...फिर सोचना कि ये बाते तुम्हारे लिए कितनी खास है....
आंटी मुझे समझा ही रही थी कि उनका कॉल आ गया....फ़ोन पर बात करने के बाद आंटी बोली....
रजनी- अब मुझे जाना होगा बेटा...तुम्हारे अंकल को कुछ काम है...
मैं(आँखे सॉफ कर के )- चलिए...मैं आपको ड्रॉप कर देता हूँ...
रजनी- नही बेटा...तुम अभी रेस्ट करो...मैं चली जाउन्गी...
और आंटी मुझे रेस्ट करने का बोलकर घर निकल गई....
आंटी के जाने के बाद ..मैं अपनी माँ को याद करते हुए लेट गया और सपनो की दुनिया मे निकल गया.....
सीक्रेट हाउस पर......
मेरा आदमी किसी सक्श के साथ बैठा हुआ था....वो सक्श गहरी सोच मे लग रहा था....
स- क्या हुआ....क्या सोच रहे हो...
आदमी- कुछ नही...बस कुछ याद आ गया....
स(पेग बनाते हुए)- अच्छा....हार्ड लोगे या सॉफ्ट ...
आदमी- नही...मैने काफ़ी पहले छोड़ दी...
स- कमाल है...तुमने ड्रिंक करना छोड़ दिया...क्यो....??
आदमी- तुम जानते हो क्यो...याद है ना...उसे ये पसंद नही था....
स- ह्म्म...पर अब शुरू कर दो...ये ज़रूरी है अब...और इसकी वजह तुम भी जानते हो...
आदमी- ह्म्म..तो बनाओ....
फिर स ने पेग बनाए और दोनो ने जाम टकरा कर पीना शुरू कर दिया....
आदमी(पेग ख़त्म कर के)- आहह...बहुत अजीब है...
स- ह्म्म...काफ़ी टाइम बाद ली ना...इसलिए...
आदमी- वैसे एक बात पुच्छू....तुमने मुझसे ये सब क्यो छिपाया...मुझे बता देते तो अब तक....
स(बीच मे)- अब तक क्या....तुम्हारा गुस्सा सब गड़बड़ कर देता....
आदमी- अच्छा....पर अंकित तो सेफ रहता....
स- वो अब भी सेफ है...और हाँ...वो ठंडे दिमाग़ से काम लेता है...सब आराम से कर देगा...
और इसी बीच फिर से पेग बन गया और दोनो ने पेग ख़त्म भी कर दिया....
आदमी- तो...तुमने अंकित को बताया कि तुम हो कौन और उसके साथ क्यों हो...ह्म्म..
स- नही...अभी नही....
आदमी- ह्म्म..उसे पता चल गया तो वो नफ़रत करेगा तुमसे...पता है ना...
स- नही...वो नही करेगा....वो मेरी बात सुनेगा...सब तेरी तरह घमंडी नही होते जो सिर्फ़ अपनी बात को सच समझते है...
आदमी- अच्छा...मैं घमंडी...
स- हाँ..तू घमंडी ...पैसो का तूबाब दिखाने वाला...याद है ना...खैर..छोड़ो...
इस बात-चीत के दौरान महॉल थोड़ा गरम सा हो गया था...दोनो ही एक-दूसरे को गुस्से से देखने लगे...पर बोला कोई भी कुछ नही....
फिर दोनो अपने -अपने माइंड मे आए गुस्से को शांत करते हुए पेग लगाने लगे...और महॉल मे शांति छा गई...

कामिनी के घर मे.......
एक रूम मे दामिनी और कमल बैठे हुए बाते कर रहे थे...
दामिनी ने कमल को सब बता दिया कि , कामिनी ने दीपा का भूत समझ कर किसी को सब कुछ बता दिया है...और अब काजल भी अपना माइंड यूज़ कर रही है अंकित को फसाने के लिए....
कमल- क्या...काजल...वो क्या कर लेगी...पागल है क्या...
दामिनी- वैसे काजल अपना जादू ज़रूर चला देगी...मैं जानती हूँ...
कमल- पर अगर अंकित को या फिर आकाश को ज़रा सी भी भनक लग गई..तो पता है ना क्या होगा...बदला तो छोड़ो...हम रास्ते पर आ जाएँगे...
दामिनी- ऐसा कुछ नही होगा....
कमल- अच्छा..चलो मान लिया...पर अगर आकाश को कुछ पता चला और उसने काजल को पूरी कहानी सुना दी तो...कही काजल पलट गई तो...
दामिनी- ह्म्म..तब तो कामिनी के मज़े है..पर अपना क्या...और मेरा बदला...
कमल- ह्म्म..वैसे एक आइडिया है...अगर सब ठीक रहा तो अंकित सीधा जैल जायगा...
दामिनी- अगर ऐसा हुआ तब तो अपना काम बढ़ा ईज़ी हो जायगा...आकाश टूट जायगा...पर ऐसा होगा कैसे...
कमल- आइडिया तो है...पर सवाल ये है कि तुम अपने मक़सद के लिए किस हद तक जा सकती हो...
दामिनी ने कमल की आँखो मे देखा और बड़े कॉन्फिडेंट से बोली...
दामिनी- तुम प्लान बताओ...मैं कोई भी हद पार कर जाउन्गा...
फिर कमल ने दामिनी को प्लान बताया और दामिनी के होंठो पर कातिल मुस्कान फैल गई...
दामिनी(रोता हुआ मुँह बना कर )- सॉरी कामिनी.......और कोई रास्ता नही
और फिर दामिनी और कमल ने एक -दूसरे को देखा और ठहाका मार कर हँसने लगे.....
अंकित के घर पर.....
अपनी माँ के लेटर्स पढ़ कर मैं उनके ख्यालो मे खोया हुआ कब सो गया ..ये पता ही नही चला....
मेरी माँ ने हर एक लेटर्स मे अपना प्यार उडेल कर रख दिया था...साथ ही साथ मुझे जिंदगी के सही रास्ते भी दिखाए थे....
उनके हर एक लेटर मे जीवेन मे काम आने वाली इम्पोर्टेंट बाते लिखी हुई थी...जिसे पढ़ कर मुझे दुख हो रहा था कि अगर मेरी माँ होती तो मैं ऐसा कभी ना होता....
मैं सपनो मे अपनी माँ को ही याद कर रहा था...तभी मेरे रूम के गेट पर आहट हुई...
ये पारूल थी...जो मुझे जगाने के लिए आवाज़ दिए जा रही थी...
थोड़ी ही देर मे मेरी नीद टूट गई और जब मुझे समझ आया कि ये पारूल है...
तो मैने सारा सामान इकठ्ठा कर के कॉवर्ड मे रखा और अपने आप को ठीक कर के गेट खोल दिया...
गेट खुलते ही पारूल मेरे चेहरे को बड़ी गौर से देखने लगी...
मैं- अरे...गुड़िया...आओ-आओ..
पारूल- भैया...आप...
मैं- आप क्या...अरे वो मैं सो रहा था...
पारूल- सो रहे थे या रो रहे थे...
पारूल की बात सुन कर मैं चौंक गया...मैने तो अपने आप को ठीक कर लिया था ..पर इसे कैसे पता चला...
मैं- न..नही तो..मैं क्यो रोने लगा...
पारूल- भैया...मैं आपकी आँखे पढ़ सकती हूँ...पता नही कैसे...पर मुझे सॉफ नज़र आ रहा है कि आप रो रहे थे...
मैं(नज़रे चुराते हुए)- ये तेरा वहम है...ऐसा...ऐसा कुछ नही...
पारूल- ह्म्म..तो खाइए मेरी कसम...
मैं- कसम...क्यो...तू बोल ना क्यो आई थी...
पारूल- मुझे जवाब मिल गया...
मैं- क्या...
पारूल- कुछ नही...मैं आपके लिए खाना लाती हूँ...आप फ्रेश हो जाइए...
और पारूल बिना कुछ सुने नीचे निकल गई...और मैं सोचने लगा कि इसे आख़िर पता कैसे चला...
फिर मैने सोचना बंद किया और फ्रेश हो कर पारूल के साथ खाना खाया...
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06-08-2017, 10:54 AM,
RE: चूतो का समुंदर
खाना खाने के बाद मैने फ़ोन चेक किया तो उसमे सिनम के कई मिस्स्कल्ल और मसेज थे...
मुझे याद आया कि आज तो मुझे सोनम से मिलना था ..पर अब क्या...टाइम तो गया...
फिर मैने सोनम को झूठा मसेज कर दिया कि मुझे फीवर था तो सो गया था...कल मिलेगे..
सोनम का 10 मिनट बाद ही रिप्लाइ आ गया और उसने कहा की ठीक होते ही मिलना......
फिर मैने पारूल को सोने का बहाना कर के भेज दिया और माँ का आख़िरी लेटर पढ़ने लगा....
मेरे प्यारे बेटे....जन्मदिन की बहुत-बहुत सूभकामनाए....
मेरा प्यारा बच्चा...भगवान तुझे हर खुशी दे...उूुउउम्म्म्ममह
बेटा, आज तुम्हारी जिंदगी का बहुत बड़ा दिन है...आज तुम बड़े हो गये हो...
मेरे लिए तो तुम आज भी मेरी गोद मे रहने वाले छोटे से बच्चे हो...पर दुनिया के लिए आज तुम सही मायने मे बड़े हो गये हो...
बेटा..ये समय जिंदगी का सबसे बदलाब भरा समय होता है...और बड़ा ही नाज़ुक भी...
एक तरफ बच्चे ये सोच कर खुश होते है की अब वो बड़े हो गये...कॉलेज मे पढ़ेगे...मस्ती करेंगे...
और इसकी वजह ये है की स्कूल की तरह कॉलेज मे पाबंदी नही होती...वहाँ थोड़ी आज़ादी होती है...
पर बेटा..ये आज़ादी सिर्फ़ देखने मे अच्छी लगती है...असल मे हम जिंदगी का सबसे अनमोल हिस्सा खो चुके होते है...वो है हमारा बचपन...
खैर...अब तुम बड़े हो गये...परिवार से लेकर समाज की नज़रों मे भी...
पर बड़े होने से तुम्हे आज़ादी के साथ-साथ ज़िम्मेदारियाँ भी मिली है...
अब परिवार मे तुम्हारी हरक़तों को बच्चे का बच्पना नही समझा जायगा...बल्कि हर एक हरक़त पर यूँही कोई ना कोई प्रतिक्रिया मिलेगी...अच्छी हरक़त पर अच्छी और बुरी पर बुरी....
सिर्फ़ परिवार मे ही नही...अब समाज मे भी तुम्हारे द्वारा किया गया हर काम या तो तारीफ करवाएगा या बुराई...
अब तुम परिवार से ले कर समाज की बातों मे हिस्सेदार हो बेटा...
अब तुम परिवारिक बातों मे अपनी बात कह सकते हो और समाज को संभालने वाली सरकार को भी चुन सकते हो....
वैसे तो तुम मेरे लिए हमेशा बच्चे ही रहोगे...पर यही वक़्त होता है जब माँ-बाप बच्चो को एक दोस्त की तरह ट्रीट करते है...
आज मैं भी तुम्हे अपना दोस्त समझ कर कुछ बाते बताने जा रही हूँ...कुछ ऐसी बातें जो तुम्हे जानना ज़रूरी है...
ये बाते मेरी, तुम्हारे डॅड की, हमारे परिवार की और खास कर तुम्हारी जिंदगी से जुड़ी हुई खास बाते है...
बेटा...शायद तुम्हे पता चल ही गया होगा कि मेरी और तुम्हारे डॅड की लव मेरिज थी...
जब हमारी शादी हुई तो हमारे परिवार मे से वहाँ कोई भी नही था..सिर्फ़ तुम्हारे नाना को छोड़ कर...
तुम्हारे दादाजी इस शादी से खुश नही थे...क्योकि उन्होने किसी और को बचन दिया था कि उसकी लड़की से तुम्हारे डॅड की शादी करवाएँगे...
दूसरी तरफ मेरे बड़े भाई ने भी अपने दोस्त को मेरे लिए पसंद किया हुआ था...
पर हमारी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था..और हम सबके खिलाफ आ कर एक हो गये....
उसके बाद हम सबसे दूर इस सहर मे आ गये...यहाँ तुम्हारे डॅड ने दिन-रात मेहनत कर के ये छोटा सा घर और कारोबार खड़ा किया....
अब तक तुम्हे लग रहा होगा कि हम सब ख़ुसनसीब है जो हम खुश है...पर ये आधी सच्चाई है...
शादी के बाद कुछ लोगो ने तुम्हारे डॅड और मुझे बहुत परेशान करने की कोसिस की...
पर मेरे कहने पर तुम्हारे डॅड ने कभी कोई पलटवार नही किया....बस उन्हे समझा दिया...और इसमे हमारी मदद की तुम्हारे दादाजी के दोस्त अली ख़ान ने....
खैर ..वो लोग अभी तो शांत हो गये...पर शायद आगे चल कर कोई कुछ कर ना दे...इसलिए तुझे अपना ख्याल रखना होगा...क्योकि हमे चोट पहुचाने के लिए वो लोग तुम्हे ही टारगेट बनाने की सोचेगे....
और हाँ...अब मैं तुझे एक खास बात बताने वाली हूँ...तुम्हारे डॅड के बारे मे ...और मैं चाहती हूँ की ये बात सुन कर ना ही तुम बुरा फील करना और ना ही अपने डॅड की तरह बनना....
ये तुम्हारे डॅड की अयाशी वाली लाइफ के बारे मे है बेटा....
बेटा...एक समय तुम्हारे डॅड बहुत अयाश थे...और अयाशी का ये गुण उन्हे अपने पिता से मिला हुआ था...
तुम्हारे दादाजी की तरह ही तुम्हारे डॅड को भी लड़कियों और औरतों मे खास दिलचस्पी थी...उनके कई लड़कियों और औरतों से संबंध थे....
तुम सोच रहे होगे कि मैं तुम्हे ये क्यो बता रही हूँ...वो इसलिए की मैं चाहती हूँ कि तुम इस रास्ते पर कभी मत चलना...
मुझे हमेशा से ये डर रहा है..क्योकि तुम्हारी रगो मे खून तो वही है ना...
बेटा...मुझसे मिलने के बाद तुम्हारे डॅड तो बदल गये पर उनकी अयाशी ने उनके कई दुश्मन बना दिए....
इसलिए बच कर रहना...इस रास्ते कभी मत चलना...और दुनियावालो को प्यार से हॅंडल करना...
दूसरी बात...जो मैं तुम्हे बताने वाली हूँ...उसे सुनकर शॉक्ड मत होना और पूरी बात जाने बिना कोई राय कायम मत करना...
तुम्हारे डॅड पर अपनी ही लाडली बेहन, बहनोई और एक आंटी के मर्डर का दाग लगा हुआ है...और तो और उनका छोटा बहनोई उनका ही खास दोस्त था...
मैं जानती हूँ कि उन्होने वो सब नही किया...पर फिर भी वो सबकी नज़रों मे गुनहगार है...
बेटा...ये बात मैने इसलिए बताई कि कहीं तुम्हे किसी से ये सुनने को मिले तो प्लीज़ अपने डॅड को बुरा मत समझना...
तुम्हारे डॅड हालात की वजह से बदनाम हुए...वो कभी ऐसा सोच भी नही सकते...सच बेटा...
एक और खास बात बेटा....कहीं ना कहीं इस दुश्मनी की वजह मैं भी हूँ.....अगर मैं तुम्हारे डॅड की जिंदगी मे ना आती तो शायद सब ठीक होता...
इतना लेटर पढ़ने के बाद ही मेरी आँखो मे आँसू आ गये पर साथ ही साथ मुझे अपनी माँ पर गर्व हुआ...
उन्होने कितनी आसानी से अपनी बात समझा दी...और अपने दिल मे छिपे राज़ भी बता दिए...
लेकिन मैं ये सोच कर हैरान था कि अगर मोम को दुश्मनो के बारे मे पता था तो डॅड को भी होगा....फिर डॅड चुप क्यो रहे...क्या कोई मजबूरी थी...
दूसरी बात ये कि मोम ने अपने आपको भी कहीं ना कहीं इस सब का ज़िम्मेदार माना...आख़िर क्यो...??
क्या ये सब मोम-डॅड की लव मेरिज की वजह से शुरू हुआ...नही...पर कुछ तो है जो उनकी शादी की वजह से हुआ....
रजनी आंटी ने मुझे जो बताया और डाइयरी मे मैने जो पढ़ा...उसमे तो ऐसा कोई ज़िक्र था ही नही कि मेरे मोम-डॅड की शादी से किसी को कोई नुकसान हुआ....
पर हो ना हो...कुछ तो है..जो शायद मोम को ही पता हो...शायद कोई और भी हमारा दुश्मन हो...शायद नही भी...
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06-08-2017, 10:54 AM,
RE: चूतो का समुंदर
ऐसे ही सवालो ने मुझे फिर से परेशान कर दिया...पर मैने उस टाइम सब कुछ भूल कर दिल से अपनी मोम से माफी मागी...
मैं(मन मे)- सॉरी मोम...मैं उसी रास्ते पर चल निकला हूँ जो दादाजी से ले कर डॅड का रास्ता था...और अब शायद मेरा रुकना आसान नही है...
बट मैं प्रोमिस करता हूँ...एक बार मैं हमारे सारे दुश्मनो को सबक सीखा दूं...फिर आपके बताए रास्ते पर ही चलूँगा...
मैं अपनो को हमेशा खुश रखने की पूरी कोसिस करूगा...प्रोमिस मोम...प्रोमिस....
और बात रही डॅड की...तो मैं उन सारे मर्डर की सच्चाई पता कर के ही दम लूँगा...और जिन्होने मेरे डॅड को गुनहगार समझा...उनके सामने अपने डॅड को बेगुनाह साबित करूगा...ये एक बेटे का वादा है आपसे...
मैं अपने ख़यालो मे ही था कि मेरा फ़ोन बज उठा....
( कॉल पर )
मैं(आँसू पोन्छ कर)- हेलो...
स- क्या हुआ...सो रहे थे क्या...
मैं- नही तो..बस सोने वाला था...
स- ह्म्म...तुम्हे भी झूठ बोलना नही आता...
मैं- मुझे भी मतलब...
स- कुछ नही...मेरी बात सुनो...
मैं- हाँ...बोलिए...
स- कल तुम्हारे डॅड आ रहे है...
मैं- ह्म्म...तो अब क्या करना है...
स- काफ़ी कुछ...जैसे कामिनी का सच पता करो...उसी हिसाब से हम अगला कदम बढ़ाएँगे...और हो सके तो रजनी के बारे मे सब बता देना...
मैं- अभी रजनी आंटी को रहने देते है...वो मैं संभाल लूँगा..मैं कामिनी और दामिनी के बारे मे भी पूछुगा...
स- हाँ..दामिनी भी तो है...
मैं- और वो ऑफीस वाली बात...
स- वो अभी रहने दो...उन्हे पता चल ही जायगा...
मैं- ह्म्म..अच्छा ..वो बहादुर के घर पर आदमी पहुचा दिए..
स- हाँ...और एक खास आदमी पकड़ मे आया है...असल मे डोवारा पकड़ा गया...
मैं- क्या...डोवारा...कौन है वो...
स- सोनी...साला भागने की कोसिस मे था...ट्रॅवेल एजेंट के यहाँ से पकड़ा...बिदेश भागने की तैयारी मे था साला...
मैं- अच्छा...और उसके पास पैसे कहाँ से आए...
स- तुम्हारे डॅड को धोखा दे कर...साले ने धोखे से साइन करवा कर 2 करोड़ जोड़ लिए है...2 हाथ पड़ते ही सब भोंक दिया साले ने...ये तो तेरे ऑफीस की नीलामी करने वाला था...इतना कर्ज़ा उठा लिया तेरे डॅड के नाम से...
मैं- क्या...इतना बढ़ा धोखा...अब इसको सज़ा मिलनी ही चाहिए...ये मेरे डॅड की इज़्ज़त को नीलाम करने वाला था...अब इसकी इज़्ज़त को मैं उतारूँगा...इसकी आँखो के सामने...
स- कूल..कूल...दिल से नही दिमाग़ से काम करो...
मैं- ह्म्म...वैसे भी आप है ना दिमाग़ लगाने को...
स- हाहाहा...तू भी ना...अच्छा...सो जा अब...कल अपने डॅड से बात कर ही लेना...ओके...
मैं- ह्म्म्मा..पक्का...गुड'नाइट...
और फ़ोन रख कर मैं सोचने लगा कि मुझे डॅड से कल क्या और कैसे बात करनी है....
------------------------------------------------------
रेणु के घर....आज के ही दिन....
रेणु बॉस से मिलने के बाद सीधा घर पहुचि ..तो बड़े गुस्से मे थी...
रेणु को देख कर आकृति को टेन्षन हो गई...
आकृति- बेटी..क्या हुआ...इतनी गुस्सा किस बात की...
रेणु- कुछ नही..जो मैं चाहती हूँ...वो होता नही तो गुस्सा आता है...
आकृति- पर ऐसा क्या नही हुआ...तुम तो बोल रही थी कि अब आकाश को सज़ा मिलने ही वाली है...
रेणु- हाँ...पर वो तो होगा तब होगा ...अभी मुझे एक इंसान के बारे मे पता लगाना है...
आकृति- कौन इंसान...
रेणु- सम्राट सिंग...
आकृति- सम्राट सिंग...ये नाम तो...
रेणु- क्या...आप जानती है क्या..
आकृति- नही..पर ये नाम सुना हुआ लगता है...
रेणु- सच...कहाँ सुना...किससे सुना..
आकृति- याद नही...पर सुना ज़रूर है...
रेणु- ह्म्म..तब तो समझ आ गया कि इसने अंकित पर हमला क्यो करवाया....शायद आज़ाद का कोई दुश्मन ही होगा..कोई पुराना दुश्मन...
आकृति- क्या...अंकित पर हमला...पर तूने कहा था कि उसे कुछ नही...
रेणु(बीच मे)- उसे कुछ नही होगा...जब तक मैं हूँ..उसे कोई कुछ नही कर पायगा...जो करूगि...वो मैं ही करूगी...
आकृति- उसे कुछ मत करना बेटी...इस सब मे उसकी क्या ग़लती..
रेणु- ह्म्म..सही कहा...उसे कुछ नही होगा...ट्रस्ट मी...और अब सम्राट की खबर लेने जाती हूँ...
आकृति- पर कहाँ...
रेणु- मुझे उसका महल और गाओं पता है...अगर मिल गया तो सब समझ आ जायगा...शायद अपने काम का ही निकले..
आकृति- ह्म्म..जो भी करना...सोच-समझ कर...ये लड़ाई सिर्फ़ तुम्हारी नही...ठीक है...
रेणु- हाँ...अब आप खाना खिला दो....फिर मैं निकालती हूँ...ओके...मैं फ्रेश हो कर आई...
और रेणु खाना खा कर सम्राट सिंग का सच जानने उसके महल की तरफ निकल गई....
आरती(मन मे)- भगवान करे कि तुम अपने काम मे सफल हो कर वापिस आओ...तुम्हारी कामयाबी से ही मेरे पति, मेरी बहन, उसके पति और तुम्हारे माँ-बाप की आत्मा को शांति मिलेगी....
एक अंधेरे कमरे मे दो चेयर पर दो लोग बढ़े हुए थे...
एक पर अंकित और दूसरी पर सोनू के पापा(सुषमा का पति)...
तभी वहाँ काजल भी आ गई और सोनम को भी पकड़ लाई...काजल के हाथ मे एक गन थी...
दूसरी तरफ रश्मि भी एक गन ले कर आ गई...
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06-08-2017, 10:54 AM,
RE: चूतो का समुंदर
थोड़ी देर मे ही रश्मि ने वो गन सोनू के बाप पर तान दी..और काजल ने अपने सामने सोनम को किया और साइड से गन को अंकित पर तान दिया...
रश्मि- तो क्या सोचा सोनू...अपने बाप की जान बचानी है कि नही...
सोनू- रश्मि...मेरी बात...
रश्मि(बीच मे )- हां या ना...??
सोनू- हाँ...हाँ...मेरे पापा को छोड़ दो..प्लज़्ज़्ज़...
रश्मि- तो गन उठाओ और मार डालो अंकित को....
सोनम- नही भाई...ऐसा मत करना...अंकित ने क्या बिगाड़ा हमारा...
काजल(सोनम के बाल खीच कर)- चुप कर साली...तेरा नही तो मेरा तो बिगाड़ा है ना...अब देख...मैं इसे मारूगी और इल्ज़ाम तुझ पर आएगा.. समझी..
सोनम- आअहह..नही काजल..ऐसा मत कर...छोड़ दो पल्लज़्ज़्ज़....
रश्मि- सोनू...मार दे अंकित को वरना तेरा बाप जायगा...
और रश्मि ने गन के ट्रिग्गर पर उंगली रख ली...
सोनू- नही...रश्मि प्ल्ज़्ज़..मेरे पापा को कुछ मत करो..प्ल्ज़्ज़..
काजल- तो मार उसे..वरना सोनम भी जाएगी...तेरे बाप के साथ ..
मैं- काजल..सोनम को छोड़ दो..प्ल्ज़ काजल...
काजल- तो मार अंकित को...और बचा ले अपने बाप और बेहन को...मार...
रश्मि- हाँ सोनू...एक जान के लिए दो जान कुर्वान मत कर...मार डाल अंकित को...
अंकित- सोनू...मैने तेरा क्या बिगाड़ा दोस्त...
सोनू परेशान था...उसके माथे से पसीना बह रहा था और पूरा बदन काँप रहा था...उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे...
काजल- मार जल्दी...वरना...
रश्मि- मार डाल अंकित को...बचा ले अपनो को..
सोनू(रोते हुए)- हे भगवान...मैं क्या करूँ...बचाओ मुझे...
तभी वहाँ एक साया आया और बोला...
इससे नही होगा...मैं ही करता हूँ..""
और उस साए ने दो गोली अंकित को मार दी...और फिर सोनू के पापा को और फिर सोनम को..
पूरे रूम मे चीखे गूँज उठी और पलक झपकते ही सन्नाटा च्छा गया....
सोनू- नही....नही...ऐसा मत करो...पापा...
सोनम- भाई..भाई...क्या हुआ...क्या हुआ भाई.....
सोनू ने सोनम को सामने देखा तो उसको गले लगा कर रोने लगा...
सोनू का बदन काँप रहा था और उसका रोम-रोम डर के मारे खड़ा हो कर पसीने मे भीग चुका था...
सोनम- भाई...कोई सपना देखा क्या...
सोनू- हाँ..हाँ..बहुत..बहुत बुरा सपना..
सोनम- रिलॅक्स भाई...सपना तो सपना होता है..भूल जाओ...
थोड़ी देर तक सोनम ने सोनू का सिर सहलाया और उसे नॉर्मल कर ने लगी...
थोड़ी देर बाद सोनू नॉर्मल हो गया...तो सोनम ने उसे अपने से अलग किया...
सोनम- आप फ्रेश हो जाइए...मैं चाइ लाती हूँ...
सोनम तो चली गई पर सोनू अभी भी सपने के बारे मे सोच रहा था...
सोनू(मन मे)- अब तुझे कैसे बताऊ..कि सपने मे वही देखते है जो आस-पास चलता रहता है. .
और ये सपना तो...सपना नही सच्चाई है...या तो अंकित बचेगा या मेरे पापा...
मुझे कुछ करना ही होगा...मैं अपने जीते जी ये सब नही होने दूँगा...
और सोनू बाथरूम मे चला गया....और रेडी होने के बाद उसने एक मसेज किया...
मुझे तुमसे बात करनी है...पर अकेले मे....ये बात हमारे अलावा किसी को भी पता नही चलनी चाहिए...बहुत खास है...ये किसी की जिंदगी का सवाल है...आज मुझे होटेल **** मे मिलो...रूम नंबर. मैं सेंड कर दूँगा...टाइम तुम बता देना...पर आना ज़रूर...और बिल्कुल अकेले...""
और मसेज कर के सोनू घर से निकल गया.....
सोनू कुछ ही आगे जा पाया था कि एक कार उसे ओवर्टेक कर के खड़ी हो गई...
सोनू- अब ये कौन है साला...
सोनू ताव मे कार से निकला ही था कि आगे वाली कार से रश्मि निकल कर सामने आ गई...
सोनू(गुस्से मे)- तुम..यहाँ कैसे...और ये सब क्या है...??
रश्मि- ओह...सोनू को गुस्सा आ रहा है....ह्म्म...कहाँ जा रहे थे...
सोनू- तुझसे मतलब...चल रास्ता छोड़...
रश्मि- हहहे...इतना गुस्सा....ओये...मैं जो पूछ रही हूँ उसका जवाब दे....भले ही तुझे हमसे मतलब ना हो...पर अपने डॅड से तो है...
डॅड की बात आते ही सोनू का गुस्सा फुर हो गया और वो टेन्षन मे आ गया....
सोनू- ओके...बोलो...क्यो आई हो...क्या करना है मुझे....
रश्मि- ह्म्म..बहुत शातिर हो...अंकित से मिलने की जल्दी है क्या....
सोनू(चौंक कर)- आ..अंकित...नही तो..मैं तो बस...
रश्मि(बीच मे)- बस...तुम्हते फ़ोन से कोई भी मेसेज या कॉल जाता है ना..तो हमे पता चल जाता है...समझे....अब भी बोलोगे कि अंकित से नही मिलना था...
रश्मि की बात सुन कर सोनू का 440 बोल्ट का झटका लग गया...अब वो अपने डॅड के लिए परेशान होने लगा...
रश्मि- बोलो यार...चुप क्यो हो...
सोनू- देखो...मैं तो ..बस...आइ एम सॉरी...ग़लती हो गई...मेरे डॅड को...
रश्मि(बीच मे)- कुछ नही होगा तुम्हारे डॅड को....ये पहली ग़लती थी..इसलिए माफ़ किया...बट दुबारा ऐसा हुआ...तो तुम्हारे डॅड का...समझ गये ना...
सोनू- हाँ...समझ गया...ऐसा फिर नही होगा...प्लीज़ डॅड को कुछ मत करना...
रश्मि- ह्म्म..अब अंकित को मेसेज करो कि पहले वाला मसेज ग़लती से सेंड हो गया था...वो किसी और के लिए था...तुम्हे उससे कोई काम नही...ओके...अभी करो..
फिर सोनू ने रश्मि के कहे अनुसार अंकित को मसेज कर दिया और चुप-चाप घर वापिस आ गया....
अंकित के घर............
सुबह-सुबह एक टॅक्सी आ कर गेट पर रुकी और उससे मेरे डॅड नीचे उतरे ...
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