Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-08-2017, 10:54 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मेरे डॅड को देखते ही गार्ड और ड्राइवर हरी, जो गप मार रहे थे, दोनो टॅक्सी के पास पहुच गये....
गौरड़- सलाम साब...
हरी- सलाम साब...
आकाश- ह्म्म..सामान ले आओ...
हरी- सर ..आप टॅक्सी मे क्यो...आप कॉल कर देते ..हमेशा की तरह मैं एरपोर्ट आ जाता...
आकाश- क्यो..मैं टॅक्सी से आ गया तो ग़लती हो गई...या तुझसे पूछ कर आता..हा...
हरी- सॉरी सर...मैं तो बस...
आकाश- कोई नही...चलो टॅक्सी वाले का हिसाब करो और सामान ले आओ...
अंदर आते ही आकाश को सविता , रेखा और रश्मि मिल गई...
सविता- अरे सर आप ...आ गये...बैठिए मैं कॉफी लाती हूँ...
आकाश- कॉफी...नही..मुझे चाइ चाहिए...
सविता- पर आप तो हमेशा कॉफी पीते है ना. .
आकाश- तो...अब से चाइ पिउगा...कोई प्राब्लम...
सविता- नही सर...अभी लाई...
सविता तो किचन मे चली गई पर रेखा और रश्मि , आकाश की बातें सुन कर सहम गई....और आँखे फेड आकाश को देखने लगी...
आकाश- अब तुम दोनो को क्या हुआ...कोई काम नही क्या...जाओ...काम करो अपना...
आकाश के कहते ही दोनो वहाँ से चुप-चाप निकल गई...
तभी पारूल हॉल मे आ गई...
पारूल- नमस्ते अंकल...
आकाश- ह्म्म..नमस्ते...जाओ देखो छाई बनी कि नही...
पारूल- जी...जी अभी देखती हूँ...
थोड़ी देर बाद पारूल के साथ सविता चाइ- नाश्ता ले कर आ गई...
आकाश(चाइ की सीप मार कर)- अंकित कहाँ है...
पारूल- भैया सो रहे होंगे..हहहे...
आकाश- तो इसमे हँसने की क्या बात है..हाँ...
पारूल भी आकाश की बात सुनकर चुप हो गई...
आकाश- जाओ...उठाओ उसे...साला ये कोई टाइम है सोने का...इंसान है या जानवर....
सविता को तो विश्वास ही नही हुआ कि जो इंसान ये कहता था कि अभी सोने दो अंकित को..वो आज उसके सोने पर इतना गुस्सा...
पर सविता ने सोचा कि शायद कोई टेन्षन होगी इसलिए...तो उसने पारूल को पहुचा दिया अंकित को जगाने के लिए....
आकाश(चाइ ख़त्म कर के)- मैं अपने रूम मे हूँ...अंकित से कहना कि फ्रेश हो कर मुझसे मिले...
आकाश अपने रूम मे चला गया और सविता भी अंकित को जगाने पहुच गई...
अंकित के जागते ही सविता और पारूल ने आकाश की सारी बाते अंकित को बता दी...
अंकित- क्या बात कर रही हो..डॅड ने चाइ मागी...
सविता- हाँ बेटा..और काफ़ी चिड़े हुए दिख रहे थे....घर भी टॅक्सी कर के आ गये...हमेशा की तरह हरी को नही बुलाया...
मैं- ह्म्म्मा..शायद कोई टेन्षन होगी...अब कहाँ है...
सविता- अभी अपने रूम मे ही है..और तुझे बुलाया है...
मैं- ओके..मैं देखता हूँ...आप कॉफी पिलाओ जल्दी से...
सविता नीचे चली गई पर पारूल मुँह लटकाए वही खड़ी थी...
मैं- अब मेरी गुड़िया को क्या हुआ....
पारूल- वो...अंकल ने...
मैं- अंकल ने क्या बोला...
पारूल(मुँह बना कर)- मुझसे गुस्से से बोले ....
मैं- बस...इतनी सी बात...अरे गुड़िया...तू मुँह मत बनाया कर...तेरा खिला चेहरा ही अच्छा लगता है...उम्म्म..
और मैने पारूल का माथा चूम लिया...
मैं- अब जा और मेरे लिए कुछ नाश्ता बनवा दे...मैं आता हूँ...
पारूल भी मुस्कुरा उठी और नीचे चली गई....
थोड़ी देर बाद मैं नाश्ता ख़त्म कर के डॅड के रूम मे पहुचा...
मैं- डॅड...
आकाश- ओह..जाग गये बेटा...आओ...कैसे हो...
मैं- बहुत अच्छा...आप बताओ....
आकाश- ह्म्म..अच्छा हूँ...बहुत खुश...
मैं- तो अब कुछ बात करे...
आकाश- हाँ बेटा...बोलो...
मैं- आपको पता है कि हमारा एक ऑफीस जल चुका है...
आकाश- ह्म्म...मुझे मसेज मिल गया था...
मैं- तो अब क्या सोचा...आइ मीन उस ऑफीस के एंप्लायी...
आकाश- उम्म...कुछ करता हूँ...पहले जा कर देखुगा फिर एंप्लायीस से बात करता हूँ...
मैं- ओके...अब आप ये फाइल देखिए...
और मैने फाइल आगे बढ़ा दी...जिसे देख कर आकाश ने कोई रिएक्ट नही किया...
पर जब उसे पढ़ना स्टार्ट किया तो शॉक्ड रह गया...
आकाश- ये फाइल...तुम्हे कैसे मिली...
मैं- वो ..बस मिल गई...और मैने इसमे जो देखा...वो देख कर मेरा दिमाग़ हिला हुआ है...
आकाश- ऐसी क्या बात है बेटा..
मैं- अब तक तो आप समझ ही गये होंगे...
आकाश(अपनी चेयर से उठ कर)- ह्म्म...तो तुम कामिनी की बात कर रहे हो...
मैं- जी...कौन है ये कामिनी...और कामिनी के नाम पर 30% शेयर....क्यो डॅड...??
आकाश अपने फ़ोन पर कुछ चेक करता रहा पर बोला कुछ नही....
मैं भी अपनी चेयर से उठ गया...
मैं- बोलिए डॅड...कौन है ये कामिनी...कौन लगती है आपकी...क्या आपका और कामिनी का कोई...
आकाश(बीच मे)- बस बेटा...कोई भी अंदाज़ा मत लगाओ...जब तक पूरी बात पता ना कर लो तब तक कुछ भी ग़लत नही सोचना चाहिए....
मैं- ह्म्म..नही सोचता ..अब आप ही बताइए...क्या रिस्ता है आपका कामिनी से...???
आकाश(एक ठंडी साँस ले कर)- बैठो..बताता हूँ...
मैं- जी...अब बताइए...
आकाश- बेटा कामिनी कौन है ..ये जानने के पहले ये जान लो की मैने उसके नाम शेयर क्यो किए...
मैं- जी..सुन रहा हूँ..
आकाश- बेटा...ये एक तरह से पश्चाताप था...एक ऐसी ग़लती का जो मैने नही की...पर कीमत मैने चुकाई...
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06-08-2017, 10:55 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैं- तो ...किसकी ग़लती थी...और ग़लती थी क्या...
आकाश- ये ग़लती मेरे पापा की थी...मतलब तुम्हारे दादाजी ने...बस उसी की कीमत चुकाने की कोसिस की मैने...
मैं- दादाजी की ग़लती...क्या किया था दादाजी ने...
आकाश- शायद ये बात तुमसे नही करनी चाहिए...पर अब हालात ऐसे है कि तुम्हे सब बताना ही होगा...
मैं- अब मैं बढ़ा हो चुका हूँ दस ..प्लीज़...बताइए...
आकाश- ह्म्म...तो सुनो.....तुम्हारे दादाजी बहुत अयाश इंसान थे बेटा...बहुत ही ज़्यादा...
नई-नई लड़कियों और औरतो के साथ संबंध बनाना उनका शौक था...
पर एक बात अच्छी थी उनके अंदर...वो किसी को फोर्स कर के अपना नही बनाते थे...
पूरे गाओं मे और आस-पास के इलाक़ों मे उनका नाम चलता था...पैसा भी बहुत था और बॉडी भी मस्त ..
यही वजह थी कि वो आसानी से औरत को आकर्षित कर लेते थे...

एक बार पापा के एक दोस्त ने उनसे कुछ उधार लिया...पर चुका नही पाए...
तब उनकी बीवी सामने से पापा के पास आई और उनसे संबंध बनाने की पेशकश की...
वो औरत पापा की रखेल बन गई और अपने पति को पापा से और पैसा भी दिलवा दिया...और हमेशा के लिए डॅड की रखेल बन कर रह गई...
आकाश बोलते-बोलते खड़ा हो गये और पलट कर चुप हो गया...
मैं- ह्म्म...पर इससे कामिनी का क्या मतलब...
आकाश- वो औरत कामिनी की माँ है...
मैं- व्हाट..मतलब कामिनी ...दादाजी की बेटी..आपकी बेहन..
आकाश- पता नही...ये बात मुझे काफ़ी टाइम के बाद पता चली...और जब मुझे ये पता लगा तो मैने कामिनी की हेल्प करके पश्चाताप करने की सोची...
मैं- पश्चाताप...किस बात का...आपने क्या किया....
आकाश- मैने कुछ नही किया...पर मुझे पता लगा कि कामिनी के माँ-बाप नही रहे...और फिर मेरे पापा की अयाशी की कीमत तो चुकानी ही थी...
तो मैने कामिनी को अपना समझ कर उसकी हेल्प करना चाही...पर वो तो पापा का नाम सुनकर ही भड़क गई और हेल्प के लिए सॉफ मना कर दिया...
फिर भी मैने उसके पति के बिज़्नेस मे हेल्प की कामिनी को पता चले बिना...अब शायद पता हो...नही जानता...
मैं- ह्म्म..और ये शेयर...
आकाश- ये भी इसलिए ही कामिनी के नाम किए कि उसकी थोड़ी सो हेल्प हो जाएगी...और शायद मेरे पापा का गुनाह कम हो जाए...
मैं- तो कामिनी आपकी नाजायज़ बेहन है....???
आकाश- हाँ...शायद...
मैं- शायद...??
आकाश- ह्म्म..मैने कहा ना की ये बात मुझे बाद मे पता चली...तो शायद...यही सच हो...
मैं- ह्म्म..और दामिनी के बारे मे आप क्या कहेगे...
आकाश- दामिनी...कौन दामिनी...??
मैं- आप दामिनी को नही जानते...वो कामिनी की बड़ी बेहन है...
आकाश- क्या...पर मुझे तो इसके बाते मे कुछ पता नही...इनफॅक्ट मैं पहली बार उसका नाम सुन रहा हूँ...
मैं(मन मे)- डॅड को दामिनी का नही पता...तो शायद इनसे काफ़ी कुछ छिपाया गया होगा...हो सकता है कि कामिनी की सच्चाई भी कुछ और हो...चलो...बाकी सच कामिनी बताएगी...
आकाश- बस...यही वजह थी कि मैने कुछ शेयर कामिनी के नाम किए थे....
मैं(मन मे)- तो डॅड को अभी कुछ बताना ठीक नही...चुप रहना ही अच्छा होगा...
आकाश- क्या हुआ...कहाँ खो गये...क्या मुझ पर ट्रस्ट नही...
मैं- आप पर तो सबसे ज़्यादा ट्रस्ट है डॅड...थॅंक्स...मेरे दिल का बोझ हल्का करने के लिए...
और मैं डॅड के गले लग गया और डॅड ने भी मेरे सिर पर हाथ फेर कर प्यार दिया...
मैं फिर डॅड की कही बातों को सोचते हुए अपने रूम मे आ गया...
बेड पर बैठते ही मेरी नज़र तकिये के नीचे पड़े लेटर पर पड़ी...
ये तो मोम का लास्ट लेटर था..जो पढ़ते-2 मैं सो गया था...
मैने गेट लॉक किया और लेटर का बाकी का हिस्सा पढ़ने लगा...
मेरी माँ के शब्द.......
बेटा....अब मैं तुझे एक बहुत ज़रूरी इंसान के बारे मे बताने जा रही हूँ...
ये इंसान तुम्हारी मदद के लिए हमेशा तैयार मिलेगा...
तुम्हे उसकी तस्वीर और अड्रेस मेरी पुरानी ड्रेसिंग टेबल के पीछे बने ड्रॉयर मे मिलेगी...
कभी भी कोई मुसीबत हो...तुम इससे मिल लेगा...और मेरा नाम बता देना..बस...
अब और कुछ नही...खुश रहो और खुशियाँ बाँट ते रहो...
जुग-जुग जियो बेटा....उूउउम्म्म्महा
तुम्हारी माँ.....अलका.....
माँ की आख़िरी बात पढ़ कर मैने जल्दी से पुरानी ड्रेसिंग टेबल चेक की , जो मेरे रूम मे ही रखी हुई थी...
मुझे वो ड्रॉयर मिला और उसमे से एक डायरी मिली...
मैने डाइयरी के पन्ने पलते तो एक तस्वीर नीचे गिर गई...जिसका अगला भाग फर्श की तरफ था..

मैने देखा की फोटो के पीछे कोई अड्रेस आंड फ़ोन नंबर. लिखा हुआ था...जो मुझे समझ नही आया...
पर जैसे ही मैने फोटो पलटी तो सामने वाले को देख कर मेरी आँखे फटी की फटी रह गई.....
ययययईईई.........?????????????????
फोटो देख कर मेरा दिमाग़ घूमने सा लगा था....
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि मैं क्या करूँ...मैं बार-बार उस फोटो को देखता और उस सख्स के चेहरे से मिलता....
कभी लगता की ये वही चेहरा है जिसे मैं जानता हूँ और कभी ये सोचता कि मैं ग़लत सोच रहा हूँ...ये वो नही है हो सकता.....
काफ़ी देर तक मेरे दिमाग़ मे कस्मकस चलती रही पर मुझे कोई सल्यूशन नही मिला...
फाइनली मैने डिसाइड किया कि ऐसे सोचने से कुछ नही होगा...मुझे इस मामले की तह तक पहुचना होगा...
मुझे याद आया कि रजनी आंटी मेरी माँ को काफ़ी पहले से जानती है...शायद उन्हे कुछ पता हो...
यही सोच कर मैं रजनी आंटी से मिलने रूम से निकला ही था कि हाल मे मुझे डॅड मिल गये....
आकाश- कहाँ जा रहे हो बेटा...
मैं- डॅड..मैं आता हूँ...थोड़ा संजू के घर जा रहा हूँ...
आकाश- ह्म्म्म ..जल्दी आ जाना...ओके
मैं- ह्म...
थोड़ी देर बाद मैं संजू के घर पहुच गया...पर रजनी आंटी घर पर नही थी ...
मैं उनका वेट कर ही रहा था कि पारूल का कॉल आ गया.....
पारूल ने मुझे बताया कि वही पोलीस वाला घर आया है जो उस दिन आया था...उसके साथ कुछ लोग भी है...
मैं पारूल की बात से समझ गया कि ये रफ़्तार सिंग ही होगा...
मैने संजू के घर से स्पीड मे घर आ गया...
घर आते ही मेरी नज़र रफ़्तार सिंग पर गई...
रफ़्तार- आओ-आओ...साबजादे...तुम्हारा ही इंतज़ार था...
मैं- तुम यहाँ क्या कर रहे हो...??
रफ़्तार- ह्म्म..मैं यहाँ...अबे तेरे बाप को लेने आया हूँ...
मैं- जवान संभाल कर...तुम उन्हे हाथ भी नही लगा सकते...समझे...
रफ़्तार- हाथ..अबे कंप्लेन है इसके खिलाफ...ले के तो जाना ही होगा...
मैं- अच्छा...ये केस इनस्पेक्टर आलोक हॅंडल कर रहे है ..समझे...
रफ़्तार- हाहाहा...ये दूसरा केस है बेटा...समझा...इसमे आलोक भी कुछ नही कर सकता...
मैं- अभी पता चल जायगा...
रफ़्तार- ह्म्म..चल पता कर ले...तब तक मैं यही बैठा हूँ...
थोड़ी देर बाद ही इनस्पेक्टर आलोक आ गये...मैने उन्हे संजू के घर पर ही कॉल कर दिया था...
आलोक- रफ़्तार...क्या केस है...
रफ़्तार- कोई नही...वही केस है...मैं तो बस इन लोगो के साथ आ गया...कि कही कुछ हाथा-पाई ना हो...और ये अमीर लोग इन बेचारो को कुछ ना करे.....
आलोक- ह्म्म..तो तुम्हे लगता है की मिस्टर.आकाश इन्हे कुछ करेंगे...??
रफ़्तार- हो सकता है...पैसो के दम पर कुछ भी कर लेगे...आख़िर पैसा जो बचना है...
मैं- मतलब...??
रफ़्तार- मतलब ये कि आग लगने पर जो सब बेरोज़गार हो गये...उनका पैसा....जो शेयर होल्डर है उनका पैसा...
मैं- सब मिल जायगा...
रफ़्तार- तो दे दे...हम चले जाएँगे...
आलोक- रफ़्तार...तुम्हे किसने कहा कि तुम यहाँ से आओ...हाँ
रफ़्तार- एमएलए साब ने पहुचाया...उन्ही ने बहाल करवाया...और अब तो आप सस्पेंड भी नही कर पाएँगे...
आलोक- ह्म्म..लेकिन यहाँ से बाहर ज़रूर करवा दूँगा...चलो जाओ...आगे मैं देख लूगा...
फिर रफ़्तार अपने चेहरे पर विजयी मुस्कान लिए अकड़ता हुआ निकल गया...
बाकी के लोग भी चुपचाप निकल गये....
आलोक- सॉरी...अब आगे कोई प्राब्लम नही होगी...अभी मैं चलता हूँ...मुझे रफ़्तार की खबर लेनी है...
और फिर आलोक भी निकल गया...और मैं डॅड से आकर बोला...
मैं- डॅड...आपको इन्षुरेन्स ऑफीस जाना है...आज ही...
आकाश- ह्म्म..अभी जाता हूँ...
डॅड इन्षुरेन्स ऑफीस निकल गये और मैं गुस्से से अपने रूम मे चला आया...
मैं(मन मे)- ये साला रफ़्तार सिंग...इसे कुछ ज़्यादा ही पड़ी है लोगो की ....
सला रिचा के कहने पर ही सब कर रहा होगा ...बीसी..
एक बार इन्षुरेन्स का पैसा आ जाए....तो सबका हिसाब कर के देखता हूँ इस रफ़्तार के बच्चे को....
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06-08-2017, 10:55 AM,
RE: चूतो का समुंदर
एक तो मुझे रजनी आंटी नही मिली...तो मेरे माइंड मे उस फोटो की वजह से टेन्षन थी...और उपेर से ये रफ़्तार टेन्षन दे गया....
मैने टेन्षन कम करने के लिए 2-3 पेग लगा लिए और फिर सोच मे डूब गया...
करीब 1घंटे बाद मेरे आदमी का कॉल आ गया..
( कॉल पर )
मैं- हेलो...
स- हेलो...कुछ टेन्षन मे हो क्या....
मैं- ह्म..हाँ...थोड़ी टेन्षन तो है...
स- मुझे बताओ...अभी दूर करता हूँ...
मैं- ह्म..कुछ खास नही...ये रफ़्तार सिंग का पता करो...कौन है इसके पीछे...
स- मैने पता करवाया है...ये सब वो रिचा के कहने पर कर रहा है...साले से ऑफीस मे कुछ नही हो पाया तो खुन्नस निकाल रहा है....उसने तुम्हारे ऑफीस मे काम करने वाले कुछ लोगो को साथ मिला लिया और अब तुम्हारे पिता पर प्रेशर डाल रहा है...
मैं- वो मैं जानता हूँ...कुछ शेर होल्डर्स भी उसके साथ है...पर ये वापिस ड्यूटी पर कैसे आ गया...
स- ह्म्म..मुझे पता चला है कि एमएलए साब की मेहरवानी है उसके उपेर...उसी का चमचा है ये रफ़्तार....और मज़े की बात ये है...कि एमएलए की तेरे डॅड से जमती नही...
मैं- मतलब...उसे क्या प्राब्लम है...
स- वो भी पता कर लिया...एक बार एमएलए ने तेरे डॅड से पार्टी फंड के नाम पर मोटी रकम मागी थी...उन्होने मना कर दिया...थोड़ी बहस भी हुई...बस तबसे वो इसी फिराक़ मे है कि तेरे डॅड को नीचा दिखा दे...
मैं- ओह्ह...तो ये बात है...लगता है इससे मुझे ही निपटना होगा...
स- ह्म्म्मह..मैने आदमी लगा दिए है...जल्दी ही इसकी कुंडली मिल जाएगी...
मैं- ओके...और हाँ...इस रफ़्तार की कुंडली भी चाहिए...साले को सबक तो सिखाना ही होगा...
स- उसकी तो मिल भी गई...उसकी कमज़ोरी है उसकी बेटी...वो काबू मे आ जाए तो रफ़्तार कुत्ता बना घूमेगा...
मैं- ह्म..तब तो काम हो गया...
स- कैसे...
मैं- जल्दी ही बताउन्गा....आप एमएलए की कुंडली निकालो...मैं रफ़्तार को कुत्ता बनाने की तैयारी करता हूँ...ओके..
स- ओके...शाम तक या कल तक मिल जाएगी...
मैं- ओके...बाइ...
और मैने कॉल कट कर के रजनी आंटी को कॉल किया...
मैं- हेलो आंटी...
रजनी- हाँ बेटा...तू घर आया था...कोई काम था क्या...
मैं- ह्म्म..आप कहा हो अभी...
रजनी- घर पर...आजा...
मैं- अभी आया...मुझे आपसे ज़रूरी काम है..जाना मत...ओके..
रजनी- ह्म्म्मा...
और फिर मैं रजनी आंटी के घर पहुच गया....
संजू के घर..........
रजनी- हाँ अब बोल...
मैं- पहले ये बताओ कि घर मे कौन-कौन है....
रजनी- अनु और रक्षा...पर दोनो सो रही है....पूनम , मेघा के साथ मार्केट गई है...और संजू का तो आज कल कोई ठिकाना ही नही...पता नही क्या करता है...
मैं- ह्म्म. .मैं देखता ही उसे...अभी आपसे ज़रूरी बात करनी है...
रजनी- हाँ...पर इतना घबराया सा क्यो है...कोई प्राब्लम...
मैं- नही...मुझे बस आपकी सहेली के बारे मे जानना है...
रजनी- सहेली...कौन सी...??
मैं- कुसुम...वो रफ़्तार की पत्नी है ना...
रजनी- हाँ...तुझे याद है वो...
मैं- अरे आंटी...ऐसा टिप-टॉप माल कोई कैसे भूल सकता है...
रजनी(मेरे सिर पर थपकी मार कर)- बदमाश...तू नही सुधरेगा...
मैं(मुस्कुरा कर)- सुधर गया तो आपका क्या होगा..हाँ...अब बोलो भी...
रजनी- अच्छा...पर क्या बोलू...ये तो बता...
मैं- ये बताओ कि उसे मेरे नीचे लाने मे आप हेल्प करोगी...
रजनी- तू कहता है तो ज़रूर करूगी...पर मुस्किल होगी...
मैं- अच्छा..वो क्यो..??
रजनी- उसका पति बहुत खाबसी है...वो तो डर के मारे किसी गैर मर्द से बात भी नही करती...ऐसे मे उसे तेरे पास लाना...मुस्किल होगा..
मैं- ह्म्म्मउ...लेकिन अगर पति आस-पास ना हो...मतलब सहर से बाहर हो तो...
रजनी- तब काम बन सकता है...असल मे वो भी सेक्स लाइफ से खुश नही है...और मज़े के लिए तरसती है...पर उसका पति...
मैं- उसके पति को भूल जाओ...बस आप उसे मेरे करीब ले आओ...फिर उसे मज़े भी दूँगा और उसका डर भी ख़त्म कर दूँगा...
रजनी- वो कैसे...
मैं- वो मैं देख लूँगा...आप बस मेरे ऑर्डर का वेट करो...और तब तक उसकी प्यास को और भड़का दो...
रजनी- ह्म्म...मैं कल से ही उसको उकसाती हूँ...
मैं- गुड...मैं बाकी का इंतज़ाम करता हूँ....
रजनी- ह्म्म्मद...ऑर कुछ...
मैं - मतलब...और कुछ नही...
रजनी- अरे ...दूसरी बात क्या है..जो तू बताने आया था ...
मैं- दूसरी बात...नही...कुछ भी नही..
रजनी- मैं तुझे अच्छे से जानती हूँ...सिर्फ़ ये बात तुझे परेशान नही कर सकती थी...कोई और बात ज़रूर है...अब बोल भी दे...मुझ पर भरोशा रखो...
मैं- ओके...एक मिनट.....ये देखो...
फिर मैने वो फोटो आंटी को दिखा दी जो मुझे मोम की बताई जगह पर मिली थी...
रजनी- ये किसकी फोटो है...शायद मैने कहीं देखा है इसे...
मैं- ह्म...मुझे भी यही लगा...इसलिए आपसे पूछने आ गया...
रजनी- देखने दे...कुछ याद आ जाए शायद...
फिर रजनी आंटी फोटो को बड़े गौर से देखने लगी...पर उन्हे पूरा-पूरा याद नही आ रहा था...
तभी पूनम और मेघा मार्केट से आ गई और आंटी ने फोटो छिपा ली...
मैं भी पूनम और मेघा से मिला...फिर हमने कॉफी पी...
और तभी मुझे कॉल आ गया...तो मैं वो फोटो रजनी आंटी के पास छोड़ कर वहाँ से निकल आया...
मैने बोल दिया था कि अच्छे से याद कर के मुझे बता देना...
कॉल रिसिव करते ही मैं शॉक्ड हो गया...सामने सविता थी...जो बहुत परेशान थी...
मैं- क्या बक रही हो...
सविता- बेटा मैं सच बोल रही हू...तू जल्दी से आ जा...
मैं- पर ऐसा कैसे हो सकता है...आपको पता नही क्या...
सविता- पता है...तभी तो हैरान हूँ...तू जल्दी से आजा...और खुद देख ले...
मैं- आता हूँ..तब तक ख्याल रखना...
और मैने तेज़ी से कार को घर पर दौड़ा दिया....
जैसे ही मैं हॉल मे एंटर हुआ तो डॅड को देख कर हैरान हो गया....
सविता ने जो बोला था वो सच था ...सविता ने कहा था कि डॅड नशे मे धुत पड़े है..
पर मैने नही माना था...क्योकि डॅड तो कभी शराब को हाथ भी नही लगाते थे...मेरे सामने तो कभी नही पी थी....
पर जब मैने उन्हे इस हालत मे देखा तो मेरे भी होश उड़ गये...
घर मे बाकी लोग भी उन्हे ऐसे देख कर डरे हुए थे...
मैने पहले सबको शांत किया और फिर हरी की हेल्प से डॅड को उनके रूम तक पहुचाया...
फिर उन्हे लिटा कर मैं नीचे हाल मे आ गया....
यहाँ हॉल मे सब लोग इसी सोच मे पड़ गये की आख़िर मेरे डॅड को हुआ क्या है...
अचानक से इतना चेंज...कैसे...???
फिर मैने सबको सोच से बाहर निकाल कर रिलॅक्स किया...बोल दिया कि उनके दोस्त ने जबरन पिला दी.....
और फिर मैं अपने रूम मे निकल आया....
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06-08-2017, 10:55 AM,
RE: चूतो का समुंदर
रूम मे आते ही मुझे सोनम का मेसेज आ गया...उसने मेरी तवियत के बारे मे पूछा था...
मसेज पढ़ कर मुझे याद आया कि सोनम से मिलना था...तो मैने रिप्लाइ मे कल मिलने को बोल दिया और फिर रेस्ट करने लगा...
रात को सबके साथ डिन्नर करते वक़्त भी सब लोग सहमे हुए थे...शायद डॅड की हालत देख कर...
डॅड अभी भी नशे मे सोए पड़े थे...
मैने महॉल को बातें कर के हल्का करने की कोसिस की...
मैं- उउंम..क्या मस्त बेंगन भरता है...मज़ा आ गया...किसने बनाया...
पारूल- रश्मि दीदी ने..
मैं- वाह रश्मि ..तुम्हारे हाथो मे तो जादू है...लाओ तो ज़रा चूम लूँ...
रश्मि ने हँसते हुए अपने हाथ आगे कर दिए...और उसकी उंगली मे चमकती रिंग देख कर मैं बोला.
मैं- वाउ....हीरे की अंगूठी...
रश्मि- न..नही तो...ये तो दिखने वाली है...असली हीरा हमारे नसीब मे कहाँ...
मैं- ओके..पर ये हाथ तो असली है ना...
और मैने रश्मि के हाथ चूम लिए...
ऐसे ही हसी-मज़ाक करते हुए हमारा डिन्नर ख़त्म हो गया...
फिर मैं रूम मे आया और अपने आदमी को एक पिक सेंड कर दी...तुरंत ही उसका कॉल आ गया...
( कॉल पर )
स- ये पिक क्यो भेजी..
मैं- इसके बारे मे पूरी जानकारी चाहिए...समझ गये...
स- ह्म्म..समझ गया...मैं आदमी लगता हूँ इस काम के लिए...वैसे मैं कॉल करने ही वाला था...
मैं- क्यो...कुछ काम था...
स- मुझे नही..तुम्हे...सोनी को भूल गये क्या...उसे छोड़ दूं...??
मैं- नही...अभी नही...ह्म्म्म ..एक काम करो..30 मिनट के बाद उसके घर पर मिलो....उसे साथ ले कर...
स- क्यो...क्या करने वाले हो..
मैं- बस...सोनी को सबक दे दूं कि अंकित के खिलाफ जाने पर क्या-क्या हो सकता है...आप बस 30 मिनट मे पहुच जाना...ओके
स- ओके...
फिर मैने कॉल कट की और घर से निकल गया...जाते-2 सबको डॅड का ख्याल रखने को बोल गया..
करीब 10 मिनट बाद मैं एक घर के सामने खड़ा था....
मैं(मन मे)- आज कितने दिनो बाद तुझे जी भर के चोदुन्गा...उउंम्म..
और मैने डोरबेल बजाई ही थी कि गेट खुल गया...और मुझे देख कर सामने वाले की धड़कने बढ़ गई...
मैं- और स्मिता ...क्या हाल है मेरी रानी...
स्मिता- त्त..तुम..यहाँ...इस वक़्त...
मैं- ह्म्म..मैं...इस वक़्त...
स्मिता- क्या हुआ...मतलब क्या काम था...
मैं- ह्म ...तुम्हारे पति से काम था...
स्मिता- पर वो तो है नही...
मैं- अरे ...कहाँ गये...
स्मिता- पता नही...कल से गये है...तबसे बस ये बोला कि जल्दी आउगा...और कुछ पता ही नही...
मैं- तब तो मैं सही वक़्त पर आया...ऐसी गरम बीवी ..घर मे अकेली छोड़ कर भाग गया...ह्म्म्मै..कदर ही नही...कोई नही...हम है ना...
स्मिता- क्या कर रहे हो...होश मे हो ना...
मैं(आगे बढ़ कर)- हाँ मेरी रानी...पूरे होश मे ...सिर्फ़ तुम्हारे हुश्न का नशा छा रहा है...
स्मिता(पीछे जाते हुए)- देखो...मेरे पति आ गये तो...तुम जाओ यहाँ से...
मैं- क्यो डर रही हो....
स्मिता- किसी ने देख लिया तो...जाओ ना...
मैं- ओह्ह..तो ये बात है...
और मैने गेट लॉक कर दिया...
मैं- अब तो कोई नही देखेगा...अब सिर्फ़ तुम और मैं...
स्मिता- नही..प्ल्ज़...


मैने स्मिता को अपने पास खीच लिया और उसके होंठो के करीब अपने होंठ ले गया...
मैं- क्या हुआ...डर लग रहा है...
स्मिता- हाँ...वो..मेरे पति...
मैं- तुम सब भूल गई क्या..कैसे मैने....हाँ...
स्मिता- नही..पर अभी...
मैं- अभी...क्या...ये गुलाबी होंठ भी...उउउंम्म
और मैने स्मिता के होंठो पर होंठ रख दिए. ..
स्मिता- उउउंम..नही ना...
मैं- थोड़ा सा...उउउंम्म...उउउंम्म...
स्मिता- उउउंम्म..तुम शैतान हो...उउउंम्म..
और अब स्मिता ने भी रेस्पोन्स देना शुरू कर दिया...
मैं- उउंम..हू तो...अब तुझे खाने वाला हूँ...उउउम्म्म्म...
और मैने अपने हाथो को ले जाकर उसकी गान्ड पर जमा दिया...और दबाने लगा...
स्मिता- उउउंम्म....तुम ना...उउउंम्म...जाओ...उउउंम्म...
मैं- अच्छा...उउउम्म्म्म..चला जाउ...उूउउम्म्म्म...उउंम
स्मिता- उउउंम्म...जाओ ना....चले जाओ...उउंम
मैने एक झटके मे स्मिता को छोड़ दिया....
मैं- सच मे...सोच लो...चला गया तो कभी नही आउगा...देखुगा भी नही...
स्मिता- ह्म...
और मैने भी स्मिता को छोड़ कर गेट की तरफ कदम बढ़ा दिया...
अचानक स्मिता ने भाग कर पीछे से मुझे बाहों मे भर लिया...
स्मिता- रुक जाओ...मत जाओ प्ल्ज़्ज़...
मैं- क्यो...मुझे क्या मिलेगा यहाँ...
स्मिता- सब कुछ...जो तुम चाहो...
मैं- ह्म..
और मैने पलट कर स्मिता को किस कर दिया...
मैं- तो फिर हटा दो ये कपड़े...और वो जिस्म दिखाओ...जो आज रात मेरी भूख मिटायगा...
स्मिता- पर मेरे पति...
मैं- डोंट वरी....आज की रात तेरे पति के सामने तुझे चोदुन्गा....
स्मिता- नही...ये नही हो सकता..
मैं- और तेरा पति खुद बोले तो...
स्मिता- पागल हो क्या...वो क्यो बोलेगा...
मैं- अगर बोला तो...
स्मिता- अगर बोला तो...तो फिर मैं उसी के सामने तुम्हे खुश कारूगी...
मैं- ह्म्म..तो जाओ...अंदर वेट करो.....अब मैं तुम्हे तभी टच करूगा...जब तेरा पति बोलेगा...ओके...
स्मिता- पर...
मैं- तुम बस तैयार रहना....तेरे पति से हाँ बुलवाना मेरा काम है...
स्मिता- अगर ऐसा हुआ तब तो मैं तुम्हारी रखेल बन जाउन्गी....
मैं- तो समझ लो कि आज से तुम मेरी रखेल हुई....जाओ और वेट करो...
स्मिता अपने बेडरूम मे चली गई और मैने कॉल कर के सोनी को बुलवा लिया..
थोड़ी देर बाद ही सोनी के बेडरूम मे सोनी, स्मिता और मैं थे...
मैं- हाँ तो सोनी....क्या सोचा...
सोनी- क्क़..क्या...
मैं- देख सोनी...या तो मैं तुझे दुनिया के सामने नंगा कर दूं और जैल भिजवा दूं...या फिर इस बात को यही घर के अंदर ख़त्म कर दूं...
सोनी- नही...मुझे जैल नही जाना...और कोई सज़ा दे दो पर जैल नही...
मैं- ह्म्म..तो सज़ा आक्सेप्ट करोगे....
सोनी- हाँ...जो भी कहो...प्रोमिस...
मैं- सोच लो...फिर मुकरने नही दूँगा...
सोनी- नही...नही...मैं नही मुकुरुन्गा...बोलो...क्या चाहते हो...
मैं- तेरी बीवी...
मेरे बोलते ही स्मिता की आँखे बड़ी हो गई और सोनी की आँखे तो बाहर ही आ गई...


सोनी- क्क्क..क्या...
मैं- हाँ..तेरी बीवी...इसे मैं अपनी रखेल बनाउन्गा....
सोनी- नही...ऐसा मत करो ...प्ल्ज़्ज़...
मैं- ओके..तो जैल जाओ..मैं इसे देखुगा भी नही...ठीक है...
सोनी- नही जैल नही...और कोई रास्ता नही है..
मैं- रास्ते तो यही दो है...सोचना तुझे है कि तुझे किस रास्ते जाना है...
एक रास्ता तुझे जैल ले जायगा...जहाँ तन्हाई, बदनामी और कंगाली है...
और दूसरा रास्ता ये है...तेरी बीवी मेरी रखेल बन कर रहेगी...तू बदनामी से बच जायगा..और घर पर रह कर मस्त जिंदगी जिएगा...अब बोल..
सोनी- मेरे लिए तो दोनो रास्ते ही मुस्किल है...
मैं- ये तेरी प्राब्लम है...तू सोच...
सोनी- मेरी इज़्ज़त क्यो उतारना चाहते हो...
मैं(गुस्से मे)- साले...तू मेरे बाप की इज़्ज़त को सरे बाजार नीलाम करने निकला था ना...अब उसका हिसाब तो देना ही होगा...इज़्ज़त का बदला इज़्ज़त से...
सोनी सिर नीचे कर के रोने लगा...और मेरे पैरों पर आ गया...
सोनी- माफ़ कर दो सर...माफ़ कर दो...मेरी बीवी क्या सोचेगी...
Reply
06-08-2017, 10:55 AM,
RE: चूतो का समुंदर
स्मिता हमारी बातें सुनते हुए चुप चाप बैठी थी...उसे तो शायद सिर्फ़ सोनी के हाँ बोलने का इंतज़ार था...
मैं- देख सोनी...मैं किसी भी लड़की के जिस्म को जबरन हासिल नही करता...तू खुद सोच ले...तेरी बीवी से बात कर ले...फिर बताना...ओके...जो तू चाहेगा...वही रास्ता मैं तेरे लिए खोल दूँगा....अब तू अपनी बीवी से बात कर ले...
मैं तुझे कल तक का टाइम देता हूँ...कल इसी वक़्त मैं फिर आउगा...और इस बार मुझे फाइनल आन्सर चाहिए...वरना तेरे साथ इतना बुरा होगा जो तूने सपने मे भी ना सोचा होगा.....
सोनम के घर.....
सोनम और काजल एक रूम मे बैठी हुई थी...काजल ड्रिंक कर रही थी...
काजल(पेग ख़त्म कर के)- एक पेग और बना...और एक सिगरेट...ला दे तो...
सोनम- इतना क्यो पी रही है ...और जल्दी मे भी...रिलॅक्स...
काजल(सिगरेट जला कर)- फफफफूऊ.....आअहह..क्या करूँ...साला कुछ मन का नही होता तो दिमाग़ गरम हो जाता है...
सोनम- रिलॅक्स...सब ठीक होगा...ऐसे टेन्षन लेने से क्या होगा...
काजल- ह्म...पर कब...साला 2 दिन से टाल रहा है...यहाँ लड़की के बुलाने पर लोग उल्टे पैर भागते है और ये अंकित...साला बहुत नखरे है इसके...
सोनम- अरे नखरे कैसे...बीमार है वो...
काजल- तू उसकी वकालत बंद कर...झूठा है साला..कोई बीमार नही...
सोनम- वो क्यो झूठ बोलेगा...हाँ..
काजल- क्यो..हो सकता है उसे कुछ शक हो कि काजल ये सब नाटक कर रही है...ला पेग ला...
और काजल ने पेग गठलाना शुरू कर दिया...
सोनम- काजल...अरे वो सोनम से मिलने आएगा...काजल से नही...याद है ना...
काजल(पेग गटक कर)- अरे हाँ...बुलाया तो तूने ही है..मैं तो भूल ही गई थी...
सोनम- ह्म्म्मु...पर मिलेगी काजल...
और सोनम की आँखो मे फिर से उन्माद चहा गया ..पर उसने अपने आप को संभाले रखा...
काजल- एक बार बस आ जाए...फिर देख...क्या हाल करती हूँ मैं इसका...साला ..ना जी पायगा और ना मर पायगा...(और काजल ने सिगरेट का काश खीच कर हवा मे छल्ला बना डाला)
सोनम(मन मे)- सॉरी काजल...अब ये ग़मे तुम्हारा नही...मेरा है...अब तुम नचोगी और मैं बाज़ार बंद करूगी....
वही दूसरे कमरे मे सोनू भी अपने ही ख़यालो मे खोया हुआ था...
सोनू(मन मे)- ऐसा क्यो होता है कि अच्छे लोग ही हमेशा मुस्किल मे पड़ते है...
बचपन से यही सीखा कि अच्छे कर्म करो तो फल अच्छा मिलेगा...तो मैने किसका बुरा किया ..जो आज इस परेशानी मे फस गया...
आज मेरे सामने दो ही रास्ते है..या तो कुआँ या फिर खाई....
एक तरफ अंकित को मारने का काम और दूसरी तरफ अपने डॅड को बचाने का काम...
अंकित को छोड़ता हूँ तो डॅड नही बचेगे...और डॅड को बचाता हूँ तो ...बेचारा अंकित...
अंकित ने मेरा कुछ भी बुरा नही किया...फिर मेरे हाथो ही उसका बुरा क्रो करवाना चाहते हो...
ये कैसा न्याय है भगवान...कमीने लोग आगे बढ़ते जा रहे है ...और परेशानिया सिर्फ़ और सिर्फ़ अच्छे लोगो पर...
क्या करूँ भगवान कोई तो रास्ता दिखाओ...कोई चमत्कार करो कि मैं अंकित और दाद , दोनो को बचा लूँ...
सोनू मन ही मन भगवान से प्रथमा कर रहा था कि तभी उसके गेट पर नॉक हुई...
गेट खोलने पर सोनम सामने खड़ी हुई थी...
सोनू- अरे सोनम....क्या हुआ...और काजल कहाँ है...
सोनम- काजल तो टल्ली हो कर पड़ी है...मुझे आपसे ज़रूरी बात करनी है...
सोनू- अच्छा...आ अंदर आ...
सोनम- भाई...मैं अंकित को धोखा नही दे सकती...
सोनू- जानता हूँ.....पर करेगी क्या...काजल को ना बोलेगी क्या...
सोनम- नही...काजल जो चाहती है...वही होगा...पर मेरे हिसाब से...
सोनू- अच्छा...वो कैसे...तेरा फ़ोन तो काजल की निगरानी मे है और तू खुद अंकित से मिल नही पायगी...काजल बड़ी शातिर है...बताया था ना कि तुझ पर नज़र रखे हुए है...
सोनम- जानती हूँ...इसलिए एक प्लान है..ये काम करेगा...
सोनू- बता फिर...
फिर सोनम ने एक प्लान बताया और उसे सुन कर सोनू के चेहरे पर भी खुशी आ गई...उसे भी अपनी प्राब्लम का सल्यूशन दिखने लगा था...
सोनम- कैसा लगा...
सोनू- शानदार...एक काम कर ...तू जा...मैं तैयारी करता हूँ...आज रात को ही फिनिश करते है...
सोनम रूम से बाहर निकल गई...
सोनू(अपने आप से)- थॅंक यू गॉड...अब देखना...कल से मैं दूसरों के इशारे पर नही नाचुगा...और ना ही सोनम...
अब हमे नचाने वाले...खुद ही नाचेगे...दूसरे की उंगलियो पर...हाहहाहा......
अगले दिन सुबह मेरी आँख खुली तो मेरे गेट पर कोई हाथ ठोके जा रहा था....
मैने बंद आँखो के साथ ही गेट की तरफ चेहरा घुमाया कि तभी आवाज़ आई...
मेघा- अंकित...अब उठ भी जाओ...जिम का टाइम हो गया...
अचानक से मेघा की आवाज़ सुन कर मैं चौंक गया...पर जिम वाली बात से मुझे याद आ गया कि मेघा क्यो आई है...
मैं(आँखे बंद किए हुए)- ह्म्म...आया आंटी...आप जिम मे चलो...मैं फ्रेश हो कर आता हूँ...
फिर थोड़ी देर बाद मैं जिम मे पहुचा तो सामने देख कर खुश हो गया...
मैं(मन मे)- आज तो दिन की शुरुआत अच्छी हो गई...ह्म्म...देखता हूँ थोड़ा और...
सामने मेघा अपना ट्रॅक पेंट पहन रही थी...शायद कुछ ज़्यादा ही टाइट था...
पर ऐसे खुले मे क्यो...क्या बेवकूफ़ औरत है...कोई और आ जाता तो.....
फिर मैं गेट के साइड मे छिप कर देखने लगा कि आगे क्या होता है...
पर मुझे और कुछ खास देखने नही मिला...मेघा ने ट्रॅक पेंट पहना और वॉर्म-अप करने लगी...
मैं भी चुप चाप मेघा के पीछे आ कर खड़ा हो गया...असल मे मैं तो उसकी मस्त गान्ड देख रहा था....
मेघा को मेरे आने का अहसास तब हुआ जब वो आगे झुकी और उसकी गान्ड मेरे लंड को टच कर गई....
मेघा- एयेए...त्त..तुम..ओह..डरा ही दिया....
मैं- अरे...डरना कैसा...यहाँ मेरे अलावा कौन आएगा...खास कर कोई बाहर वाला तो आ नही सकता...
मेघा- जानती हूँ...पर अचानक आए ना...और बोले भी नही..
मैं- मैने तो बस देख रहा था कि आप कैसा कर रही है...
मेघा- ह्म..तो कैसा किया..अच्छा या बुरा...
मैं- ह्म..अच्छा तो है..पर आप नीचे तक नही झुक रही ...और आपके पैर भी नही खुल रहे...
मेघा- मतलब..कैसे....तुम बताओ ना...
मैं- ओके...पर मुझे आपको टच करना पड़ सकता है...आइ होप यू डोंट माइंड..हाँ...
मेघा- अरे...इसमे क्या...तुम मुझे सिखाने के लिए टच करोगे ना...मैं माइंड नही कारूगी...जैसे चाहो टच करो...
मैं(मन मे)- ह्म....खुल के बोल दे ना कि अभी चोद दो...मैं सब जानता हू....अब बताता हूँ....
मेघा- हाँ तो...क्या कह रहे थे...कैसे करूँ...
मैं- ह्म..हाँ..बताता हूँ...
और मैने मेघा को अपने सामने घुमा दिया...उसकी गान्ड मेरे लंड के करीब थी...
फिर मैने उसके हाथो को अपने हाथो मे ले कर उपेर उठा दिया...
मैं- ये हाथ बिल्कुल सीधे रखना...और फिर नीचे तक ले जाना है...पैर के अंगूठे तक...ओके...
मेघा- ह्म..
और मेघा हाथ आगे तक ले गई...और उसकी गान्ड पीछे उभर कर मेरे लंड से टकरा गई...
मेघा- आहह...ये अंगूठे तक...उउउंम्म
मुझे समझ नही आ रहा था कि मेघा सिसक क्यो रही है...मेरे लंड के अहसास से या फिर हाथ नीचे ले जाने से...शायद झुक नही पा रही...
मैं- ह्म..क्या हुआ...
मेघा- वो...वो हाथ अंगूठे तक नही जा रहे...
मैं- रूको..मैं पहुचाता हूँ..
और मैने मेघा के उपेर झुक गया और उसके हाथो को अंगूठे से टच करने लगा...
अब मेरा लंड पूरा मेघा की गान्ड मे दबा हुआ था...और इस वजह से मेघा की सिसकी निकल गई...
मेघा- उउंम्म....नही..आअहह...
मैं- अरे..जायगा...थोड़ा रूको...पूरा जायगा...चलो झुको...हाँ..ऐसे ही...
मेघा- आअहह..नही गया...इतने मे ही ..आअहह...दर्द हो रहा है...
मैं- ह्म..अभी इसे रहने देते है...जल्दी ही आदत पड़ जाएगी...एक-दो दिन मे...चलो आगे करते है...
फिर थोड़ा वॉर्म-अप करवा कर मैने मेघा को एक्सरसाइज़ करने को कहा...
Reply
06-08-2017, 10:55 AM,
RE: चूतो का समुंदर
सबसे पहले मैने उसे लेट कर अप-डाउन करने को बोला...इससे पेट की चर्बी कम होती है...
पर मेघा से हो नही पा रहा था...
मेघा- अंकित...ये नही हो रहा...मेरे पैर भी उठ जाते है तो मैं आगे तक नही जा पाती...
मैं- ह्म..कोई नही...मैं देखता हूँ...
और फिर मैं मेघा की जाघो को हाथ से दबा लिया....
मैं- ह्म..अब करो...अब पैर नही उठेगे...
मेघा ने फिर से ट्राइ किया पर अभी भी नही हो रहा था...
फिर मैने आगे हाथ कर के मेघा की जाघो को चूत के पास पकड़ लिया...
मैं- अब ट्राइ करो...हाँ...कम ऑन...
मेघा- हाँ...कर रही हूँ...
मेघा ट्राइ कर रही थी..पर उसकी जाघो पर मेरी उंगलिया चलने लगी थी...
धीरे-धीरे मेरी उंगलियाँ मेघा की चूत तक पहुच गई...और मैने धीरे से एक उंगली दबा दी....
मेघा- आअहह...
मैं- यस...थोड़ा और....
मेघा- हाँ...थोड़ा और...
और मैने दोनो तरफ से उंगलियो से चूत दबाना शुरू कर दिया...
मेघा- आअहह...अंकित...उउउंम..
मैं जानता था कि मेघा को मुझसे चुदवाने मे कोई प्राब्लम नही होगी...उपेर से वो इतने दिनो से प्यासी थी..
पर मैं चाहता था कि वो खुद से आगे बढ़े ...इसलिए मैने उसे गरम करना जारी रखा...
थोड़ी देर मे मेघा थक कर आहें भरती हुई सीधी लेट गई...और मैने भी मौका पा कर उसके पैरो को खोल कर उसकी चूत पर हाथ जमा लिए..
मेघा- आआहह...अंकित...
मैं- अरे आंटी...यहाँ तो आग लगी हुई है...हाँ....
मेघा- आहह...
मैं- आप चाहे तो आग को ठंडा किया जा सकता है ...
मेघा चुप रही...
मैं- नही चाहती तो कोई नही...कुछ और करते है..चलो..
मैं उठने वाला ही था कि मेघा के मुँह से सिसकी निकल गई...
मेघा- आअहह...पल्लज़्ज़्ज़्ज़...
बस मेघा के इस वर्ड ने सब कुछ कर दिया था...
मैने भी कुछ नही बोला ..बस मेघा के उपेर आ कर झुक गया और उसके होंठो के उपेर होंठ कर दिए...अभी होंठ आपस मे टच नही हुए थे...
मेघा अभी आँखे बंद किए हुए लेटी थी...जब उसने मेरी तरफ से कोई हलचल नही देखी तो आँखे खोल दी और लपक कर मेरे होंठो को चूसने लगी...
मेघा पूरे जोश मे मुझे किस करने लगी...और मैने भी कोई कमी नही की...
मैने मेघा के बूब्स को मसलना शुरू कर दिया...और हम मस्ती मे डूबने लगे....
मैने गरम हो ही चुका था...तो मैने मेघा के दोनो बूब्स को आज़ाद कर लिया और जोरों से मसल्ने लगा....
मेघा- उूउउंम्म...आअहह...अंकित...येस्स...एस्स...
अब कोई परदा नही था हमारे बीच...अब हम दोनो ही चुदाई के लिए तैयार थे...
मैने तेज़ी से बूब्स मसलना और किस करना जारी रखा...


मैं मेघा को पूरा गरम करना चाहता था...जिससे चुदाई का मज़ा बढ़ जायगा...
पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था....
हमे किसी के आने की आहट सुनाई दी तो हम जल्दी से अलग हो गये...और मेघा ने अपनने बूब्स को जल्दी से अंदर डाल लिया....
मैं(मन मे)- काश गेट लॉक कर लेता....
सामने सविता थी...जियाने बताया की इन्षुरेन्स वाले मिलने आए है...
मैं- ह्म..आता हूँ...
फिर मैने मेघा को देखा तो वो शर्म से पानी हो रही थी...
मैं- अब बाकी का काम कल करेंगे...ओके आंटी...
और मैं मुस्कुरा कर नीचे चला आया...और मेघा भी चेंज करने निकल गई...
मैने नीचे जा कर इन्षुरेन्स का मामला निपटाया और रेडी हो गया...
रेडी होते ही मुझे सोनम का मसेज आ गया...उसने मुझे माल मे मिलने बुलाया था....
मैं भी जल्दी से माल निकल गया...क्योकि मुझे तो सोनम को हासिल करने की जल्दी थी...
पर जब मैं माल मे सोनम के सामने पहुचा तो उसका बात सुन कर शॉक्ड रह गया...
सोनम- अरे अंकित...आप यहाँ...कैसे...कुछ लेने आए थे क्या...
मुझे समझ नही आया कि मैं क्या बोलू...मुझे तो सोनम पर गुस्सा आने लगा...
पर तभी मेरी नज़र काजल पर पड़ी...और उसे देख कर मुझे उसकी और कामिनी की बातें याद आ गई...
मैं(मान मे)- साली...ये भी यही है...पहले इसे देख लूँ...
मैं- ओह...हाई
काजल - हाई...
सोनम- वैसे आपने बताया नही कि आप क्या लेने आए थे...ओह...ये लिया आपने..क्या है...ओह..सीडीज़...किसी मूवी की है...या गेम...
मुझे सोनम की कोई भी बात समझ नही आई...मैं कुछ पूछता उससे पहले उसने एक सीडी मेरे हाथ मे पकड़ा दी..
सोनम- ओके..तो देख कर बताना ज़रूर कि कैसी लगी...बाइ...चल काजल..
और सोनम के हाथ काजल भी मुझे बाइ कर के निकल गई...
काजल- सोनम...तूने ऐसे क्यो बात की...तूने ही बुलाया था ना इसे...??
सोनम- मेरा मोबाइल तेरे ही पास है...मसेज चेक कर ले...मैने ही बुलाया था...
काजल- हाँ..पर मुझसे मिलवाने...और अब...
सोनम- डोंट वरी...तू आज ही उससे मिलेगी...और तेरी मुलाक़ात मज़े दार होगी..बस..अभी तड़पने दे उसे...
काजल- ह्म्म..और वो सीडी...उसने आते ही शॉपिंग कर ली..
सोनम- यार..माल मे आ कर मन हो गया तो ले ली...छोड़ ना ...तू बस आज शाम को अपनी प्यारी मुलाक़ात के लिए तैयार रहना...
काजल- ओके...चल..
सोनम(मन मे)- बस...मेरे कॉल करने से पहले ही अंकित वो सीडी देख ले गॉड...प्लज़्ज़्ज़...
हमसे कही दूर ...एक गाओं मे......
रघु एक रूम मे बैठे साक्ष् से बात कर रहा था ...
रघु- सर...एक बात पता चली है...मैने सोचा आपको बता दूं...
क्या अपने मतलब की बात है...""...सामने वाले सक्श ने सिगरेट पीते हुए बोला....
रघु- ये तो आप खुद डिसाइड कर लेना. ...वैसे ये सम्राट सिंग से रिलेटेड है....
क्या...सम्राट सिंग.....क्या बात है बोलो...""...सामने वाले ने बड़ी ही उत्सुकता के साथ पूछा...
रघु- एक कोई लड़की है...जो पास के गाओं मे सम्राट सिंग को ढूँढ रही है...
लड़की....पर क्यो...क्या उसने बताया कि वो सम्राट को क्यो ढूँढ रही है...""
रघु- नही जानता....उसने कुछ नही बताया...लेकिन हाँ...जो भी उसे पता बतायगा...वो उसे कीमत देने को तैयार है...
ह्म्म्मय...कमाल की बात है...कीमत देने को तैयार है...कौन हो सकता है...या तो कोई दोस्त हो सकता है या कोई दुश्मन...."""
रघु- ये भी नही पता...क्या आदमी भेजे उसके पीछे....
ह्म्म...भेजो...पर मारना नही...हम उससे मिलना चाहेगे....""
रघु- ठीक है सर...
थोड़ी देर मे ही रघु कुछ आदमी ले कर रेणु के पास पहुच जाते है...जो सम्राट सिंग को ढूँढने आई थी...
रेणु- जी..कहिए...
रघु- सुना है तू सम्राट को ढूँढ रही है...
रेणु- हाँ...आप जानते हो क्या....
रघु- ह्म..पर तुम उसे कैसे जानती हूँ...दोस्त हो या दुश्मन...??
रेणु- इससे तुम्हे क्या....तुम पता बताओ....मैं कीमत देती हूँ..
रघु- ह्म...पर मेरी कीमत थोड़ी ज़्यादा है...
रेणु - कीमत बोलो...
रघु- तेरी गोरी चमड़ी...पूरी रात के लिए...
रेणु(गुस्से मे)- बकवास बंद करो... .रास्ता छोड़ो..मैं खुद ढूँढ लूगी...
रघु- ठीक है...बस थोड़ा पीछे देख लो..
रेणु ने पीछे देखा ही था कि उसकी आँखे बंद हो गई...
और जब उसे होश आया तो वो सामने वाले सक्श को देख कर बोली....
रेणु- पापा...आप.......??????????????
Reply
06-08-2017, 10:55 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अंकित के घर......
मैने रात को डिन्नर किया और रजनी आंटी को कॉल किया....
( कॉल पर )
मैं- हेलो आंटी...
रजनी- हाँ बेटा...बोलो...
मैं- आपको कुछ याद आया...
रजनी- क्या...वो फोटो के बारे मे क्या...??
मैं- जी..कुछ याद आया...
रजनी- बेटा...चेहरा तो देखा हुआ लगता है...पर एक-दो ही बार देखा होगा....तभी ठीक से याद नही आ रहा...पर मैं कोसिस कर रही हूँ...
मैं- ओके...आप ट्राइ करो...और हां...वो रफ़्तार की बीवी का..कुछ..
रजनी- आराम से बेटा....मैं जल्दी ही कुछ करूगी...असल मे, मैं कल उससे मिलने जा रही हूँ...कारूगी कुछ...ओके..
मैं- ओह..माइ स्वीट आंटी...अच्छा...कल बताना...और हाँ...फोटो का कुछ याद आए तो तुरंत फ़ोन करना...
रजनी- हाँ..बिल्कुल...चल अब सो जा...गुडनाइट
मैं- गुडनाइट आंटी...
कॉल कट होने के बाद....
रजनी(मन मे)- ये अचानक से इस फोटो के पीछे क्यो पड़ गया....आख़िर अलका ने इसके लिए ये फोटो रखी ही क्यो थी...पता करना होगा....
वहाँ आंटी सोच मे डूबी थी और यहाँ मैं...
मैं भी फोटो के बारे मे सोच रहा था..कि आख़िर मेरी मोम ने फोटो छोड़ी क्यो...क्या लेना देना है इससे मोम का...
पर अभी कोई भी जवाब नही सूझ रहा था..मेरी उम्मीद रजनी आंटी से लगी हुई थी कि वो ही कुछ बताएगी....वरना मुझे खुद ही सामना करना होगा इस सक्श का...
सोच मे डूबे हुए मुझे सोनम की मुलाक़ात याद आ गई और साथ मे याद आई वो सीडी ...
मैने जल्दी से सीडी ली और प्ले कर दी...
सीडी मे सोनू और सोनम का बनाया गया वीडियो था...जिसे देख-सुन कर मेरे रोंगटे खड़े हो गये....
जैसे -जैसे वीडियो आगे बढ़ता गया...वैसे-वैसे मेरे मन मे हलचल होने लगी....
मुझे डर..गुस्सा और प्यार का एक साथ अनुभव हो रहा था...
एक तरफ सोनू और सोनम की ईमानदारी ने मुझे उनका कायल कर दिया...और दूसरी तरफ काजल और रश्मि की गद्दारी ने मुझे गुस्से से भर दिया....
मैं(मन मे)- ओह..तो ये सब काजल करवा रही है...मुझे फसाने के लिए सोनम का सहारा ...
वैसे सोनम...मैं काजल की चाल पहले से जानता था...पर तुम्हारा यूज़ करेगी...ये पता नही था...
कोई बात नही...काजल को अपने तरीके से हॅंडल करूगा...आख़िर कामिनी की बेटी है..
और कामिनी मेरे डॅड की बहेन..तो बुआ की बेटी ही हुई ना...चलो...इसे देखते है...और सबक भी सिखाते है....
ह्म..और ये क्या...सोनू को मुझे मारने भेजा था...पर किसने...साला सोनू को ये भी नही पता....और ये रश्मि...ये भी...साली की जान ले लूँगा मैं...
मैने सोचा कि अभी सोनू और सोनम को कॉल करू पर मुझे उनकी बात याद आ गई कि उनके हर स्टेप को मॉनिटेर किया जा रहा है...
यहाँ तक कि उनके हिसाब से मेरा फ़ोन भी ट्रेस किया जा रहा था...
पर मैं जानता था..कि ये झूठ है...मेरे आदमियो मे से एक बंदा टेक्निकल एक्सपर्ट था...उसने मेरे फ़ोन मे ऐसा सॉफ़्टवेरे डाला था कि कोई उसे ट्रेस नही कर सकता ....
मैने सीडी देखने के बाद बैठे-बैठे एक प्लान बना डाला....

Quote
मैं(मन मे)- अब जल्दी ही काजल और रश्मि का गेम ख़त्म होगा...पर मेरे स्टाइल मे ...मज़े के साथ...हाहाहा...
फिर मैने सोनम को कॉल किया....
( कॉल पर )
मैं- हेलो सोनम...
सोनम- हाई...मुझे आपके ही कॉल का इंतज़ार था....
मैं- ह्म..तो फिर कल मिलो...
सोनम- हाँ बिल्कुल...बोलो कहाँ मिलना है....
मैं- ह्म...मैं अड्रेस सेंड कर दूँगा....ओके..
सोनम- ठीक..है...और कुछ...
मैं- हाँ...सोनू से बात कराओ...
सोनम- हाँ...एक मिनट...
फिर मैने सोनू से बात की और कॉल कट कर दिया...थोड़ी देर मे मैने सोनम को एक अड्रेस सेंड कर दिया...जो सहर के बाहर एक फार्महाउस का था...
काजल ने हमारी सारी बातें सुनी थी...इसलिए वो खुश थी...उसे यकीन हो गया था कि कल वो मुझे अपने जाल मे फसा लेगी...
और इस खुशी मे उसने ये बात भी माइंड नही की ...कि मैने सोनू से क्या और क्यों बात की...
मैने सोनू को बता दिया कि उसका सच मुझे पता चल गया है और अब मैं उसके डॅड को आज़ाद करने मे पूरी हेल्प करूगा...
पर मेरे प्लान को पूरा करने के लिए वहाँ कामिनी का होना भी ज़रूरी था...और कामिनी आ गई तो दामिनी खीची चली आयगी...
कल इस बात का फ़ैसला हो जायगा कि कामिनी का मेरे डॅड से क्या रिश्ता है...और इस रिश्ते मे कड़वाहट किस बात की है....
कामिनी को बुलाने का इंतज़ाम कल होगा...अभी के लिए गुड नाइट...
मैने अपने आप से कहा और सोने लगा...
सुबह जब मेरी आँख खुली तो मेघा ही मेरे गेट पर थी ...
हमने आज के दिन सिर्फ़ जिम किया और उसकी वजह थी पारूल....आज उसे भी जिम का शौक चढ़ गया था....
हालाकी मैं पारूल को समझा भी सकता था ..पर मेरा भी आज कोई खास मूड नही था मेघा के साथ कुछ हॉट करने का....
और इसकी वजह थी मेरा आज का प्लान...आज मैं कामिनी की असलियत जानने के लिए बेताब था....
हलकी कामिनी ने दीपा के भूत के सामने कबूल किया था कि कमल उसका भाई है....
और डॅड के कहने के हिसाब से कामिनी आज़ाद की बेटी है...बट डॅड को सिर्फ़ अंदाज़ा था...पक्का विश्वास नही...
पर मुझे अभी भी डाउट था...जितना मैने अपने दादाजी के बारे मे पढ़ा था या सुना था....
उस हिसाब से मेरे दादाजी अयाश तो थे...बट नाजायज़ औलाद पैदा कर दे...ऐसा नही हो सकता...
वेल...आज तो कामिनी हो या कमल...या फिर दामिनी...सब मुँह खोलेगे...और मुँह से सिर्फ़ सच ही निकलेगा....
मैने अपने आदमी को कॉल किया और उसे सब समझा दिया कि उसे क्या करना है....और रेडी हो कर निकल गया....
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06-08-2017, 10:56 AM,
RE: चूतो का समुंदर
सोनम के घर........

दूसरी तरह सोनम और काजल भी मुझसे मिलने के लिए निकल रही थी...तभी उनके सामने सोनू आ गया...
सोनू- हे..हे...वेट...इतनी जल्दी मे कहाँ...??
काजल- अरे यार...थोड़ा काम है...चल रास्ता छोड़...
सोनू- हाँ पर...मैं तुम दोनो के लिए कोल्ड ड्रिंक लाया था...इसका क्या...
काजल- तो दे ना...हम जाते-जाते पी लेगे...
सोनू- अरे...यही पी लो ना...2 मिनट तो लगेगे....है ना...
सोनम- हाँ काजल ...2 मिनट ही लगेगे...चल पीले...लाओ मुझे कोक दो....
सोनू- हाँ...तेरी कॉक...और ये काजल की फेव , मॅंगो फ्लावेर...
फिर दोनो कोल्ड ड्रिंक पीने लगी और सोनू के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान उभर गई...
ड्रिंक ख़त्म कर के दोनो कार से निकल गई...
और उनके जाते ही सोनू ने अपना फ़ोन रूम मे फेका और अपनी गन ले कर बाहर निकाल गया.....

कामिनी के घर.........
कामिनी अपने रूम मे रेस्ट कर रही थी...तभी एक कॉल आया.....
( कॉल पर )
कामिनी- हेलो...कौन बोल रहा है...
सामने- एक सुभचिंतक...जिसे तुम्हारी फ़िक्र है..और तुम्हारी बेटी की भी....
कामिनी- अच्छा...पर मैं अपने सुभचिंतक का नाम जानना चाहुगी....
सामने- नाम छोड़ो...और मेरी बात ध्यान से सुनो....
कामिनी- क्या है...
सामने- अपनी बेटी से प्यार है...उसकी सलामती चाहती हो कि नही...
कामिनी- बकवास बंद करो...क्या है ये...
सामने- मैं तो आगाह कर रहा हूँ...अगर अपनी बेटी को जिंदा देखना है तो वो करो जो मैं कहता हूँ...
कामिनी- क्या...मेरी बेटी....वो सेफ है...तुम बकवास बंद करो...
मैं- ह्म..तो रूको 1 मिनट...अभी बताता हूँ.....
सामने वाले ने कॉल कट किया और थोड़ी देर मे 2 मेसेज कामिनी के सेल पर आ गये...
एक मेसेज मे काजल की पिक थी..वो बेहोश पड़ी थी और उसके सिर पर गन तनी हुई थी...
और दूसरे मसेज मे एक अड्रेस लिखा हुआ था...
कामिनी फोटो देख कर घबरा गई...पर वो कुछ करती उसके पहले ही फिर से कॉल आ गया....
कामिनी- हेलो..हेलो...कौन हो तुम..और मेरी बेटी को क्यो...क्या चाहते हो..पैसे...जो भी कहो दे दुगी..पर मेरी बेटी...
सामने- रिलॅक्स...मुझे पैसे नही चाहिए...बस दामिनी और कमल का सच जानना है...और तुम्हारा भी...
कामिनी- पर क्यो...तुम कौन हो...
सामने- वो छोड़...बस तू दामिनी और कमल के बारे मे दुनिया को बता दे...उनका मक़सद...उनकी सच्चाई...फिर तुम और तुम्हारी बेटी आज़ाद...ओके...
कामिनी- हाँ..मैं सब बोलूँगी...दामिनी के बारे मे और कमल के बारे मे भी..पर मेरे पैर मे प्लास्टर है...मैं कैसे आ पाउन्गी...
सामने- डोंट वरी....तुम्हारे घर की नौकरानी वो इंतज़ाम कर देगी...मैने उसे बोल दिया है...तुम बस ऐसा कोई सबूत ले कर आना...जिससे तुम्हारी बात सच साबित हो सके...वरना भूल जाओ अपनी बेटी...
कामिनी- सबूत...पर कैसे...मैं...हेलो...हेलो...
सामने वेल ने कॉल कट कर दी...और कामिनी रोने लगी...
कामिनी को समझ नही आ रहा था कि अब वो सबूत कहाँ से लाए...फिर उसने कुछ सोचा और बैसाखी के सहारे दूसरे रूम मे गई और वहाँ कॉवर्द की तलाशी लेने लगी...
कामिनी ने धीरे -2 पूरे रूम की तलाशी ले ली...पर निराशा ही हाथ लगी...
तभी उसे एक बात याद आई....
दामिनी- कम्मो...कभी मैं ना रहूं तो माँ की फोटो को ध्यान से देखता....तुम्हारे बहुत से काम आसान हो जाएँगे...और कई छिपे राज़ भी जान जाओगी....""
पता नही कैसे पर कामिनी का दिमाग़ आज ज़्यादा ही चल निकला...उसने अपनी माँ की फोटो को दीवाल से उतारा और वापिस अपने रूम मे आ गई...
रूम मे आ कर वो कुछ देख ही रही थी कि उसकी नौकरानी आ गई...
नौकरानी- मेडम...जाने का टाइम हो गया...या अभी नही....??
कामिनी(उदासी से)- ह्म्म्मम...हो गया....इससे बेहतर टाइम तो मेरी जिंदगी मे कभी नही आया....आज आँखे पूरी तरह खुल गई...कोई शक नही रहा....दुनियाँ की सारी तस्वीरे सामने आ गई....
नौकरानी- क्या...
कामिनी(आँख सॉफ कर के)- कुछ नही....चलो...
थोड़ी देर बाद कामिनी अपनी नौकरानी के साथ निकल गई.....
इन सब से बेख़बर दामिनी और कमल अपनी ही मस्ती मे थे...और दोनो अपने रास्ते से कामिनी और उसकी बेटी को हटाने का प्लान बना रहे थे....
पर तभी एक काल आया और दोनो को हिला कर रख दिया....
( कॉल पर )
दामिनी- हेलो ..कौन
अननोन- सुभचिंतक...
दामिनी- अच्छा...तो सुभचिंतक ने कॉल करने का कष्ट कैसे किया...जान सकती हूँ....
अननोन- आज कामिनी दुनिया को सब सच बताने वाली है..कि कमल कौन है....दामिनी क्या चाहती है...और बाकी सब कुछ...
दामिनी- क्या बकते हो...
अननोन- फटी ना....यही सच है...यकीन ना हो तो ये सुनो...
फिर वो बंदा दामिनी को रेकॉर्डिंग सुनने लगा...जो कामिनी से हुई बात की रेकॉर्डिंग थी...
दामिनी- इस कामिनी की तो...मेरे खिलाफ जाएगी...पर तुम कौन हो...और ये सब...
अननोन- स्शहीए...सवाल नही...मैने तो बस उसकी बातें सुन ली तो तुम्हे कॉल किया...वो अभी किसी जगह जा रही है...मैं अड्रेस देता हूँ..तुम और कमल भी जाओ वहाँ...शायद तुम्हारे लिए अच्छा हो...
दामिनी- हाँ ..बोलो कहाँ गई वो...
अननोन- फ़ोन रखो..अड्रेस मिल जायगा...
कॉल कट होते ही मेसेज आ गया...और मेसेज पढ़ते हुए दामिनी , कमल से बोली...
दामिनी- कमल...चल..आज इन माँ- बेटी को रास्ते से हटा कर पूरी प्रॉपर्टी अपनी करते है...चल..और गन ले लेना...
फिर दामिनी और कमल पिस्टल ले कर उस अड्रेस पर निकल गये.....
सहर के बाहर एक फार्महाउस मे.......
एक रूम मे काजल बेहोश पड़ी हुई थी....
कामिनी अपनी नौकरानी के साथ वहाँ पहुचि तो घबराई हुई अपनी बेटी को ढूँढने लगी ...
कामिनी बैसाखियो के सहारे फार्महाउस के अंदर वाले रूम मे आई तो काजल को देखते ही रोने लगी...
जैसे -तैसे वो लंगड़ाते हुए बेड तक पहुचि जिस पर काजल पड़ी हुई थी...
कामिनी- बेटी. .बेटी...उठ बेटी...मैं आ गई हूँ...तुझे कुछ नही होगा...उठ जा बेटी....
कामिनी रोते हुए चिल्लाने लगी...
कामिनी- कौन हो...और मेरी बेटी को क्या किया...सामने आओ...बेटी.....
तभी रूम मे एक आवाज़ गूजी ....
वो ठीक है...बस बेहोश है....डोंट वरी..""
जब कामिनी ने आवाज़ की तरफ देखा तो उसे एक नकाबपोस दिखाई दिया....
कामिनी- सीसी..कौन हो तुम...और मेरी बेटी को क्या किया....
वो ठीक है...बोला ना...सिर्फ़ बेहोश है....फ़िक्र मत करो...""
कामिनी- पर तुमने इसे बेहोश क्यो किया...क्या चाहते हो....
मैं तो सिर्फ़ यही चाहता हूँ कि तुम्हारी बेटी इस सब से दूर रहे...""
कामिनी को ये बात सुन कर थोड़ी राहत मिली...और उसने अपने आसू पोछ लिए...
हाँ तो...अब बताओ...सच क्या है...?? ""
कामिनी- क्या...कैसा सच...
वो सच जिससे सब अंजान है...वो सच जो तुम्हे और आकाश को जोड़ता है...वो सच जिससे तुम आकाश से नफ़रत करती हो....बोलो...सच क्या है...""
कामिनी- सच....सच तो यही है कि आकाश से मुझे नफ़रत है...और उसकी वजह है आकाश के पिता...आज़ाद....
पर आज़ाद ने ऐसा क्या किया कि तुम्हे उससे नफ़रत हो गई..और इस सब मे आकाश की क्या ग़लती....""
कामिनी- आज़ाद ने क्या किया...अरे उसने हमारा हँसता-खेलता परिवार तवाह कर दिया...उसकी वजह से हमारा बचपन नरक के समान बन गया...
ह्म्म..और आकाश...उसने क्या किया....मुझे तो ये पता है कि उसने तुम्हारी हेल्प करनी चाही थी...फिर भी तुम..""
कामिनी(बीच मे)- हेल्प...कैसी हेल्प...वो हेल्प नही...पश्चाताप था..अपने बाप की करनी का....
अच्छा...पर आज़ाद ने किया क्या था...""
कामिनी- आज़ाद ने मेरी माँ को हासिल करने के लिए धोखे से मेरे पिता का सब कुछ छीन लिया...और वापिस करने के बदले मेरी माँ को अपने बिस्तर पर सुला लिया...फिर महीनो...सालो...मेरी माँ को रखेल बना के रखे रहा ...और फिर मेरी माँ को...मार डाला...
क्या बकती हो..आज़ाद क्यो मारेगा तेरी माँ को...?? ""
कामिनी- क्योकि मेरी माँ ने उसकी औलाद को जन्म दिया था..और उसका हक़ माँग रही थी....
क्या...औलाद...कौन औलाद..""
कामिनी- कमल...वो आज़ाद का ही बेटा है...और उसकी माँ मेरी माँ है...
तुम्हे यकीन है...?? ""
कामिनी - हाँ..यकीन था...आज तक यकीन था...पर अब नही....
आज तक...मतलब अब नही...पर कैसे.. ""
कामिनी- आज कुछ राज़ मेरे सामने आ गये...जिनसे मैं अब तक अंजान थी...पर अब मैं सब जान गई हूँ...सब कुछ....
तो अब क्या जानती हो....बोलो...""
कामिनी- यही कि सारी ग़लती मेरी माँ और मेरी बेहन दामिनी की है...और हाँ..कमल मेरी माँ की कोख से ही पैदा हुआ...और वो आज़ाद का ही बेटा है....""
नही..मैं नही मानता...सच बताओ.... कमल है कौन....किसका बेटा है...कौन है उसका बाप.....""
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06-08-2017, 10:56 AM,
RE: चूतो का समुंदर
तभी रूम मे एक तीसरी आवाज़ आई...ये दामिनी की आवाज़ थी...
दामिनी- मैं बताती हूँ...कि कमल का बाप कौन है...
कामिनी(चौंक कर)- दीदी...तुम यहाँ...???
दामिनी- हाँ मेरी बेहन...या कहूँ की कमीनी बेहन...मैं यहाँ...
कामिनी- ये क्या बोल रही हो दी..
दामिनी- चुप कर...साली तू यहाँ वो सच बताने चली आई जिसको मैं सालो से छिपाए हुए हूँ...तू दुनिया को बताएगी कि कमल हमारी माँ की अयाशी का नतीजा है..हां...
कामिनी- जो सच है वो सच है...इसमे छुपाना क्या...
दामिनी- छुपाना है...जब तक की आज़ाद की प्रॉपर्टी कमल के नाम ना हो जाए और आज़ाद की फॅमिली मिट ना जाए...समझी...
कामिनी- पर दी...अगर ग़लती हमारी माँ की है तो आज़ाद से नफ़रत क्यो...क्या बिगाड़ा आज़ाद ने....
दामिनी- आज़ाद ने...अरे पगली...आज़ाद ने ही वो हालात पैदा किए...जिसकी वजह से हमारी माँ को ये बच्चा हुआ....उसी की वजह से हमारा बचपन खराब हुआ...हम अनाथ हो गये थे...और मैं..मैं तो रंडी ही बन गई थी...समझी...
नकाबपोस दोनो की बातें बड़ी देर से सुन रहा था ...पर अब नही रुक पाया...
खामोश....चुप रहो दोनो....मैने तुम्हे यहाँ आपस मे बहस करने नही बुलाया..."""
कामिनी- क्या...इसे तुमने बुलाया....
हाँ...क्योकि आज मे सारी सच्चाई जानना चाहता था....कि आख़िर ये कमल आया कहाँ से...और इस नफ़रत की शुरुआत कहाँ से हुई...""
दामिनी- पर क्यो...तुम होते कौन हो ये जानने वाले...हो कौन तुम..
मैं....मैं ही सब कुछ हूँ...ये देखो..""
नकाबपोस ने अपना नकाब हटाया तो उसे देख कर सबके मुँह खुले रह गये...
दामिनी- त्त्त..तुम...तुमने हम सब को यहाँ....
कामिनी- अंकित ..तुम हो इस सब के पीछे...
मैं- ह्म्म्मि..चोंको मत...ये जो भी हो रहा है या जो भी हुआ है....उस सबके पीछे मैं ही हूँ...चाहे कामिनी का आक्सिडेंट हो या दीपा का भूत ...सब के पीछे मैं ही था...और आज मैं ये लूका-छिपी का खेल ख़त्म करने आया हूँ...गेम ओवर...
दामिनी- नही बच्चे...खेल तो ख़त्म होगा...पर सिर्फ़ तुम्हारा...और इन माँ-बेटी का भी....
कामिनी- दीदी...आप हमे भी...
दामिनी- क्या दीदी...तू साली यहाँ हमारी पोल खोलने चली आई...हमे दुनिया के सामने नंगा करना चाहती थी ना...अब देख मैं तुझे और तेरी बेटी को दुनिया से ही उठा देती हूँ...और तू...अंकित...बड़ा स्मार्ट है ना...पर आज कोई स्मार्टनेस काम नही आयगी...तू भी इनके साथ उपेर जाएगा...
मैं- अच्छा...पर उससे पहले...
मैं आगे बोल ही नही पाया क्योकि कमल ने पिस्टल निकाल कर मुझ पर तान दी थी...
कमल- वही खड़ा रह..एक कदम भी बढ़ाया तो भेजा उड़ा दूँगा...
मैं- ओहक..मैं यही हूँ...
दामिनी- ह्म्म..तो अब बोल..क्या जानना है तुझे....मैं सब बताउन्गी...वो भी सच-सच...आख़िर मरने वाले की अंतिम इक्षा तो पूरी करनी ही होगी ना...
मैं- हाँ बिल्कुल...मैं भी सच जान कर ही मरना पसंद करूगा...कम से कम तसल्ली से तो मरूगा...
दामिनी- हहहे....सच मे ...आज़ाद का ही पोता है...मरने की कगार पर भी अकड़ कम नही हुई...हाँ..
मैं- अकड़ तो थी और मरने तक रहेगी...तू ये छोड़...और बता कि तू किस लिए ये सब कर रही थी...क्या मक़सद है तेरा और ये सब शुरू कहाँ से हुआ...मुझे सब जानना है...
दामिनी- ओह माँ..इतने सवाल...कोई नही...सुन कर ही मरना है तो ठीक....सब बताती हूँ...सुन...
मेरे घर मे 5 लोग थे...मेरे माँ-बाप और हम 3 बहने....
सबसे बड़ी मैं फिर कामिनी और सबसे छोटी गुड्डी....
हमारे डॅड का एक छोटा सा पर अच्छा -ख़ासा बिज़्नेस था...एक दुकान थी...और हमारे पास एक शानदार कोठी भी थी....जिसमे हम रहते थे....कुल मिला कर हम सबकी लाइफ मस्त चल रही थी...
पर एक दिन अचानक ...एक घटना ने हमारी लाइफ बदल के रख दी...
गुड्डी अचानक गिर कर बेहोश हो गई...और जब उसको हॉस्पिटल के गये तो डॉक्टर ने बताया कि उसका दिल इंफकटेड है....और काफ़ी कमजोर भी....
जब डॅड ने इलाज के बारे मे पूछा तो डॉक्टर ने काफ़ी मोटी रकम मागी...
दाद ने गुड्डी को बचाने के लिए अपनी दुकान को बेच दिया....और हमारी कोठी भी गिरबी रख दी....
गुड्डी का इलाज तो हो गया पर डॉक्टर ने हिदायत दी कि गुड्डी को कोई भी सदमा ना पहुचे...वरना जान भी जा सकती है...
दूसरी तरफ डॅड का बिज़्नेस भी नही रहा...तो हमारी लाइफ मे प्राब्लम शुरू हो गई...
तभी डॅड तुम्हारे दादाजी के पास गये...क्योकि वो दोनो पहचान के थे...इसलिए आज़ाद ने मेरे डॅड की मदद की...उन्हे नये बिज़्नेस के लिए पैसे दिए...और कोठी भी छुड़वा दी....
पर बदले मे हमारी कोठी खुद के पास गिरबी रख ली.....
डॅड ने नया बिज़्नेस शुरू किया...पर वो भी नही चला....
डॅड ने एक बार फिर से आज़ाद से हेल्प मागी...और आज़ाद ने की भी...पर बदले मे हमारी पुस्तैनि जयजाद भी गिरबी रख ली...मतलब हमारे खेत और बाग....
डॅड ने फिर से कोसिस की पर काम नही बना...और किस्मत ने उन्हे रास्ते पे ला खड़ा किया...अब हमारे पास कुछ भी अपना नही था....
डॅड की ये हालत मोम से देखी जा रही थी...इसलिए मोम आज़ाद से बात करने गई...
जब मोम ने आज़ाद से हेल्प की बात की तो उसने बदले मे कुछ देने को कहा...
मोम को पता था कि आज़ाद अयाश किस्म का इंसान है....ये बात खुद डॅड ने मोम को बताई थी...
आज़ाद ने मोम के सामने अपनी शर्त रख दी...वो मोम को रखेल बना कर रखना चाहता था...
मोम दिखने मे मस्त थी और इस वजह से वो आज़ाद को भा गई थी......
मोम ने भी अपने परिवार की खातिर आज़ाद की बात मान ली...
आज़ाद ने भी मोम की जवानी के बदले डॅड को काम दे दिया....और मोम की जवानी लूटने लगा...
ये सब मेरे डॅड से छुप कर ही होता था...क्योकि आज़ाद ने डॅड को दूसरे गाओं भेज दिया था...
डॅड वहाँ काम करते और आज़ाद मेरी मोम की जवानी लूट ता....
कामिनी को भी मोम ने अपनी भाई के घर भेज दिया था...आगे की पढ़ाई करने.....घर मैं सिर्फ़ मैं , मोम और गुड्डी ही रहते थे ज़्यादातर....
फिर एक दिन मेरी नज़र मे आज़ाद और डॅड का रिश्ता आ गया...मैने मोम से बात की तो मोम ने मुझे सारी बात बता दी...जो अब तक हम बहनो को पता ना थी...
मैने भी हालात को समझ कर चुप रहना ठीक समझा....
पर एक ग़लती कर दी...मैं डेली मोम और आज़ाद की चुदाई देखने लगी...छिप-छिप कर....
मुझे भी इन सब मे मज़ा आता था...मैं बड़ी हो रही थी और मेरा मन भी चुदाई के लिए करने लगा था...
एक दिन आज़ाद आए और मोम किसी काम से पड़ोस मे गई थी...
आज़ाद को देखते ही मुझे चुदाई याद आ गई और मेरा मन चुदाई को होने लगा.....
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06-08-2017, 10:56 AM,
RE: चूतो का समुंदर
आज़ाद तो खेला हुआ बंदा था...वो ये समझ गया और अपने पास बुला कर मुझसे बात करने लगा...
बस...बाते करते हुए मैं उसकी गोद मैं बैठ गई और बिना कुछ बोले ही अपनी कमसिन जवानी उसके नाम कर दी..
उस दिन मोम के आने तक आज़ाद ने मुझे बच्ची से औरत बना दिया....
फिर तो जब भी मौका मिला आज़ाद ने मुझे जी भर कर चोदा...
एक दिन मोम ने हमे देख लिया पर कुछ नही कहा...कहती भी तो कैसे हम तो एक ही काम कर रहे थे....
फिर तो आज़ाद की लौटरी लग गई...उसने हम माँ-बेटी को रगड़ कर चोदा...
पर जब मेरी माँ के पेट मे आज़ाद का बच्चा आया तो आज़ाद भड़क गया ...उसने हमे जॅलील करने की धमकी दी....
हमारे पास चुप रहने के अलावा कोई रास्ता नही था...पर प्राब्लम थी माँ के पेट मे पल रहे बच्चे की...
मोम ने तय किया कि वो यहाँ से दूर जा कर बच्चे को जन्म देगी...क्योकि कोई भी औरत अपनी खोख को उजाड़ नही सकती....
पर जब तक वो बच्चा दुनिया मे आता उससे पहले ही हमारे डॅड की मौत हो गई....वो एक आक्सिडेंट का शिकार हो गये...
इस सब के बाद आज़ाद ने हमारे पास आना छोड़ दिया....पर जब मेरी मोम ने कमल को जन्म दिया तो आज़ाद आग बबुला हो गया...
उसने घर आकर मेरी मोम को मारा और बच्चे का पूछा...पर मोम ने मुँह नही खोला...उन्होने बच्चे को नौकर के साथ कही भेज दिया था...
आज़ाद ने मोम को बाँध दिया और मोम को तड़पाने के लिए उसके सामने ही मुझे रंडी की तरह चोदा....
आज़ाद ने ये भी बताया कि मेरे डॅड आक्सिडेंट मे नही मरे...उन्हे हमारे बारे मे सब पता चल गया था तो कार मे अट्क से आसानी से मरे....
मोम को ये सुन कर दुख हुआ पर मोम ने मुँह नही खोला...लेकिन ये सब मेरी गुड्डी ने देख लिया और वो वही पर गिर कर मर गई...
इस बात का पता हमे तब चला जब आज़ाद हमे धमका कर घर से निकल गया....
जब हमने गुड्डी को देखा तो वो हमे छोड़ कर जा चुकी थी...
एक तरफ डॅड की न्यूज़ और दूसरी तरफ गुड्डी की लाश...और वजह एक ही थी...हमारे नाजायज़ संबंध...
मैं इस सब को सह पाती कि मोम ने भी जहर पी लिया...वो खुद को गुनहगार मान रही थी...
और मोम मरते-मरते मुझे कमल और कामिनी की ज़िम्मेदारी दे गई...
कामिनी उस टाइम रिलेटिव के घर पर थी और कमल हमारे नौकर के पास...
मैने दोनो को लिया और आज़ाद से मिली...पर आज़ाद ने हमे पहचानने से मना कर दिया...
बाद मे अकेले मे आकर आज़ाद ने हमे हमारी प्रॉपर्टी दे दी ...पर कमल को अपना नाम नही दिया...
और हमे गाओं छोड़ने को बोल गया...
आज़ाद की पॉवेर के सामने मैं क्या करती...इसलिए वहाँ से दूसरे गाओं मे आ गई...जहाँ हमारी पुस्तैनि प्रॉपर्टी थी...
बाद मे मुझे पता चला कि ये सब प्रॉपर्टी आकाश के नाम है...हमारे नही...हमे तो बस यूज़ करने दी गई है...
तब मैने कसम खाई कि एक दिन कमल को उसका हक़ दिलाउन्गी और आज़ाद की फॅमिली को मिटा दूगी...जैसे मेरी फॅमिली मिट गई....
और तबसे ले कर आज तक मैं सिर्फ़ आज़ाद की फॅमिली को मिटाने के लिए ही जी रही हूँ....
दामिनी की कहानी ख़त्म होते ही कामिनी और दामिनी की आँखो से आँसू टपकने लगे...कमल भी गुस्से मे आ गया था और मुझे घूर कर दाँत पीस रहा था....
तभी मैने तालियाँ बजाना शुरू कर दिया....
दामिनी(गुस्से मे)- ये क्या हरक़त है...
मैं(ताली बजाते हुए)- सुपर्ब स्टोरी...कहानी को क्या मोड़ा है...बिल्कुल अपने हिसाब से...ह्म्म्म...
दामिनी- क्या मतलब...ये कोई स्टोरी नही...हक़ीक़त है...
मैं- ह्म्म्मा...हक़ीक़त...हाँ...है तो...पर झूठी है...सच नही...
दामिनी- तो तुम कहना चाहते हो कि ये सब झूठ है...मेरे माँ-बाप ..मेरी गुड्डी की मौत...सब झूठ है...
मैं- नही...मौत तो सही है...पर कहानी झूठी है...
दामिनी- तुम्हारे दादाजी का नाम है...इसलिए...सही है...तुम उनके खिलाफ कुछ ग़लत कैसे सुनोगे...
मैं- नही...ऐसा कुछ नही...मैं बस सच सुनना चाहता हूँ...
दामिनी- यही सच है..पूरा सच...
मैं- अओउंम....तो ...कमला...यही नाम था तेरी मोम का..हाँ...
कमला नाम सुनते ही दामिनी, कामिनी और कमल का मुँह खुला रह गया...
दामिनी- तुम्हे कैसे...मैने तो नाम बोला नही...
मैं(मुस्कुरा कर)- तुमने वही बोला जो तुम चाहती थी...पर मैं बताउन्गा की सच क्या है...बताऊ ...
दामिनी- क्क़..क्या मतलब...??
मैं- मतलब ये कि मैं कमला की कहानी पूरी तरह से जानता हूँ...
कामिनी मेरी बात सुन कर चोन्कि...
कामिनी- तो तुम कहना चाहते हो कि दीदी झूठ कह रही है...
मैं- मैं कुछ कहूँ उसके पहले तुम ये कहानी सुनो जो मैं सुना रहा हूँ.......खुद समझ जाओगी कि सच क्या है और झूठ क्या....
मेरी बात सुन कर कामिनी मेरा मुँह ताकते हुए मेरे कहने का इंतज़ार करने लगी..जबकि दामिनी की आँखो मे एक अजीब सी उलझन दिखाई देने लगी....
मैं- तो अब मैं बताता हूँ कि कमला कौन थी और उसके साथ क्या और कैसे हुआ...
अब सबको इंतज़ार था मेरी कहानी और मेरी ज़ुबानी का.....
मैने एक बार कामिनी को देखा और फिर आगे बढ़ कर दामिनी को घूर्ने लगा....
मेरे आगे बढ़ते ही कमल ने फिर से हरक़त की और पिस्टल दिखा कर मुझे चेताया कि कोई होशियारी नही...
मैने भी हाथ उपेर कर के बोल दिया कि नही...मैं कुछ नही करने वाला ....सिर्फ़ सच बोलने जा रहा हूँ....
मैने फिर से दामिनी की आँखो मे झाँका और बोलना शुरू किया.....
तुमने जो भी बोला उसमे काफ़ी कुछ सच था...जैसे तुम्हारी छोटी बेहन की बीमारी...तुम्हारे डॅड की शॉप बिकना...और तुम्हारी कोठी और सारी प्रॉपर्टी का मेरे दादाजी के पास गिरवी रखा जाना....
अब इसके आगे असल मे क्या हुआ था...ये मैं बताता हूँ....
जब तुम्हारे डॅड का बिज़्नेस दुबारा डूब गया तो वो फिर से मेरे दादाजी के पास आए...और पैसे माँगने के लिए....
दादाजी ने उन्हे पैसे तो नही दिए लेकिन अपनी फॅक्टरी मे काम पर लगा दिया...सिर्फ़ पहचान की वजह से...
और उनकी हालत देख कर ये भी बोल दिया कि उन्हे कोठी छोड़ने की ज़रूरत नही...आराम से पैसे जोड़ो और कर्ज़ा चुका देना...तब तक कोठी गिरवी ही रहेगी लेकिन उसमे रहोगे तुम ही...

तुम्हारे डॅड इस बात से बेहद खुश थे...पर वो ये भी जानते थे कि कर्ज़ा चुकाना बड़ा मुस्किल होगा...क्योकि कर्ज़ा बहुत हो गया था...
तुम्हारे डॅड की परेशानी तुम्हारी मोम के सामने थी...और इस वजह से वो भी परेशान रहने लगी...
क्योकि पैसे बचाने थे...तो खर्च कम करने थे....
इसी लिए तुम्हारे डॅड ने कामिनी को अपने रिलेटिव के घर भेज दिया..आगे पढ़ने....
पर इस तरह की लाइफ जीने की तुम्हारी मोम को आदत नही थी...उन्हे परेशानी होने लगी...
और तभी उन्हे पता चला कि आज़ाद एक अयाश किस्म के इंसान है...और औरत उनकी कमज़ोरी...
बस...फिर तुम्हारी माँ ने वो कदम उठाने का सोचा जो शायद कोई इज़्ज़तदार औरत को गवारा नही होता....
उन्होने सोचा कि इस कदम से उनके पति और बच्चो को आराम की लाइफ मिलेगी और साथ मे उनके पति की चिंताएँ भी दूर हो जाएगी...
यही सोच कर वो इस ग़लत रास्ते पर बड़ी...उन्होने खुद आज़ाद से जाकर उनको ऑफर दिया...
और आज़ाद तो ऐसे ऑफर की तलाश मे रहता ही था...उपेर से तुम्हारी मोम का गदराया जिस्म...जिसे देख कर कोई भी लट्तू हो जाए...
बस ..फिर क्या था...तुम्हारी मोम आज़ाद की फेव रखेल बन गई....और रोजाना चुदाई करवाने लगी....
सब अच्छा जा रहा था...सब खुश थे...पर एक प्राब्लम हो गई...
तुम्हारी मोम आज़ाद की चुदाई की कायल हो गई और बस उन्ही से चुदने की फिराक़ मे रहने लगी...यहाँ तक कि तुम्हारे डॅड की चुदाई भी उन्हे नही भाती थी....
नतीजा ये हुआ कि तुम्हारी मोम ने आज़ाद से बोल कर अपने पति को दूर किसी गाओं मे भिजवा दिया....
उसके बाद रास्ता सॉफ...दिन -रात , जब भी मूड हुआ...तुम्हारी मोम चुदाई के मज़े लेने लगी...
और फिर एक दिन तुमने उन्हे रंगे हाथो पकड़ लिया...तुमने अपनी मोम को धमकी भी दी...
पर तुम्हारी मोम ने तुम्हे समझा कर अपने साथ मिला लिया...और आज़ाद से सब कुछ वापिस करने के बदले तुम्हे दाव पर लगा दिया....
उसके बाद आज़ाद ने तुम दोनो को जी भर कर भोगा....और सब वापिस भी कर दिया...
तुम दोनो माँ-बेटी की मस्ती जारी रही...पर एक दिन तुम दोनो की दमदार चुदाई के वक़्त गुड्डी वहाँ आ गई...उसने तुम दोनो को चीखते देखा और डर गई...
क्योकि उसका दिल कमजोर था...तो उसे तभी अटॅक आ गया...बेचारी कुछ बोल नही पाई और मर गई...
जब आज़ाद को इस सच्चाई का पता चला तो आज़ाद ने तुम लोगो से दूरी बना ली...वो खुद को इस मौत के लिए कही ना कही गुनहगार समझते थे...
सब कुछ ख़त्म हो गया था....पर एक दिन...
तुम्हारी मोम प्रेगञेन्ट हुई...और उन्होने उस बच्चे को आज़ाद का बच्चा बताया.....
पर आज़ाद नही माने...वो जानते थे कि उन्होने हमेशा साबधानी रखी तो बच्चा कैसे हुआ...
इस बात पर आज़ाद और तुम्हारी मोम की काफ़ी बहस हुई...
और जिस समय ये बहस हो रही थी...उसी समय तुम्हारे डॅड वहाँ पहुच गये और सब सुन लिया...
वो तो अपनी बीवी की खुशख़बरी सुन कर मिलने आए थे...पर असलियत सामने आते ही वो टूट गये....
और तुम्हारे डॅड एक लेटर छोड़ कर घर से निकल गये....
वो इज़्ज़तदार आदमी थे...और ये सब बर्दास्त नही कर पाए...
और उन्होने अपनी गाड़ी एक ट्रक से भिड़ा दी..और अपने आप को मार दिया...
तुम्हारे डॅड का वो लेटर तुम्हारी मोम ने तब पढ़ा...जब कमल जन्म ले चुका था....
और उसे पढ़ते ही तुम्हारी मोम ने खुद को मार लिया....क्योकि उसी दिन तुम्हारी मोम को ये पता चला कि उनके पति और उनकी गुड्डी की मौत की ज़िम्मेदार खुद वही है....
कामिनी...तुम सोच रही होगी कि गुड्डी की मौत तो काफ़ी पहले हो चुकी थी..और तुम्हारे डॅड की मौत भी....तो तुम्हारी मोम ने इतना वेट क्यो किया....क्या सिर्फ़ बच्चे को जन्म देने के लिए...
तो जवाब है नही...असल मे गुड्डी की मौत के वक़्त सबसे पहले दामिनी ने उसे देखा...
उस जगह गुड्डी को देखते ही दामिनी सब समझ गई कि गुड्डी क्या देख कर मरी है...
दामिनी ने अपनी मोम से छिपा कर गुड्डी को रूम मे डाल दिया...क्योकि दामिनी जानती थी कि असलियत जान कर उसकी मोम टूट जाएगी...
इससे तुम्हारी मोम ने गुड्डी की मौत को स्वाभाविक समझा...और टूटी नही...
अब रही लेटर की बात ..तो वो भी दामिनी के हत्थे चढ़ गया था ...उसे पता था कि डॅड की मौत की वजह जान कर मोम मार जाएगी...
पर दामिनी चाहती थी कि उसकी माँ बच्चे को पैदा करे जिससे उसे आज़ाद की प्रॉपर्टी मिल जाए....
इसलिए दामिनी ने इंतज़ार किया और कमल के जन्म के बाद अपनी मोम को आराम से सब बता दिया ...
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