Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-08-2017, 11:02 AM,
RE: चूतो का समुंदर
थोड़ी देर बार मैने कुसुम को बेड पर लिटाया और बिना देरी किए उसकी चूत चुसाइ कर दी....
कुसुम- नही ..नही...यहाँ नही...ऊहह.....यहाँ भी .....आआहह...

मैं- सस्स्रररुउउप्प्प्प...आआहह...यही तो मज़ा है मेरी जान....

कुसुम- वहाँ किसी ने ऐसा नही .....आअहह...

मैने कुसुम की बात पूरी होने के पहले ही उसकी चूत को मुँह मे भर लिया और चूसने लगा ...

मेरे मुँह मे आते ही चूत झर-झरा गई और चूत रस मेरे मुँह मे डाल दिया...

कुसुम- हटो...एम्म...आऐईयइ...आअहह...प्पल्लज़्ज़्ज़...हट जाओ...

कुसुम मुझे हटाना चाहती थी...पर मैं तो चूत रस पीने मे बिज़ी था....जब चूत रस ख़त्म हो गया तो मैने चूत को मुँह से निकाल दिया..और खड़ा हो गया...


कुसुम- ये तुमने क्या किया...आअहह...वो गंदा...

मैं(बीच मे)- चुदाई का असली मज़ा ही चुसाइ के बिना अधूरा है मेरी जान...

और मैने जल्दी से अपना पेंट और अंडरवेअर निकाल दिया...क्योकि अब मुझे कंट्रोल नही हो रहा था....

मैं जैसे ही नंगा हुआ तो कुसुम की निगाह मेरे लंड पर ठहर गई...

कुसुम(मन मे)- रजनी ने सच कहा था...बहुत तगड़ा लंड है...मेरी तो फाड़ ही देगा...

मैं आगे बढ़ा और कुसुम का हाथ मेरे लंड पर रख दिया. .

मैं- कैसा लगा...

कुसुम- ब्ब..बढ़ा...

मैं- चूसोगी नही...ह्म्म..

कुसुम- वो मैं..मैने कभी नही...मतलब...

मैं- कोई नही...सब सिखा दूँगा...बट अभी टाइम नही है...

और मैने कुसुम की टांगे खोल कर अपना लंड चूत के उपेर रगड़ना शुरू कर दिया...

चूत का पानी मेरे लंड को गीला कर रहा था और मेरे लंड की रगड़ कुसुम को फिर से गरम कर रही थी...

थोड़ी देर लंड रगड़ने के बाद मैने लंड पर थूक लगाया और कुसुम की चूत पर सेट कर दिया...

कुसुम- उउंम..

मैं- डाल दूं..

कुसुम(मुझे देखते हुए शरमा गई और आँखे बंद कर ली...)

कुसुम की खामोशी ही उसकी हां थी...और मैने ज़ोर से धक्का मारा और आधा लंड चूत मे चला गया...

कुसुम- आाऐययईईईई......म्माआ...

मैं- बस...थोड़ा और...आदत पड़ जाएगी..

और मैने फिर से जोरदार शॉट मारा एर लंड चूत की जड़ तक घुस गया...और कुसुम चीख उठी...

कुसुम- म्माअरररर...ग्गगाइिईई....म्म्म्मा आअ......

मैने देखा की कुसुम की आँखो मे आसू आ गये...

मैने आगे झुक कर कुसुम को किस करना शुरू किया और धीरे -2 कमर हिलाने लगा...
Reply
06-08-2017, 11:02 AM,
RE: चूतो का समुंदर
करीब 2-3 मिनट मे कुसुम जोश मे आ गई और अपनी गान्ड हिलाने लगी...और मैने चुदाई शुरू कर दी...
मैं- अब ठीक है ना...हा..

कुसुम- हाँ...आहह...दर्द हो रहा..

मैं- अभी मिट जायगा....

कुसुम- आहह...सच मे बढ़ा...आअहह...हाीइ...

मैं- तभी तो तुम्हे ज़्यादा मज़ा आएगा....

कुसुम- हमम्म...थोड़ा ज़ोर से....

मैं- ये ले मेरी जान...

और मैने चुदाई की स्पीड बढ़ा दी...

कुसुम- आहह.. आहह...आअहह...एयाया ..

मैं- अब मज़ा आया ना....ये लो...

कुसुम- आहह....हम्म....ऐसे ही. .आहह...

मैं- यस...ईएहह ... यीहह...ईएहह...

कुसुम- एयेए..आ..आहह...आहह....आओउउंम्म...

मैने पूरी स्पीड से कुछ देर ही चोदा था कि कुसुम फिर से झड़ने लगी...

कुसुम- आअहह...आअहह...ऊओह...येस्स....ईीस्स...एसस्स...गाऐयइ.....उउम्म्म्म...

कुसुम झड कर शांत हो गई...पर मैने चुदाई जारी रखी...

थोड़ी देर बाद मैने कुसुम को एक तरफ किया और उसके पीछे लेट कर लंड को चूत मे डाल दिया और चुदाई जारी रखी...
कुछ धक्को के बाद कुसुम ने अपनी गान्ड हिलानी शुरू कर दी...और मैने उसकी कमर पकड़ कर छोड़ना जारी रखा...

कुसुम- तुम थकते नही...हाँ...

मैं- तुम जैसी माल साथ हो तो रात भर चोदता रहूं...कौन थकेगा...

कुसुम(मुस्कुरा कर)- इतनी..आअहह..पसंद आई...

मैं- हाँ...पर अभी बहुत कुछ सीखना है तुम्हे....

कुसुम- आहह....क्या...

मैं- बाद मे...अभी मज़े करो...

और मैने कुसुम को कुतिया बनाया और फुल स्पीड मे चोदने लगा....
कुसुम- आहह…ज़ोर से….ज़ोर से…आअहह....

मैं- येस्स्स..ये ले...ये ले...ऐसे ही ना...

कुसुम- अहहह..हाअ,,...आईससीए,,,हहीी,,,,,,आहहह.....फ्फ़ादद..द्दूव

मैं पीछे से गंद पकड़ कर तेज़ी से कुसुम को चोद रहा था और कुसुम भी अपनी गंद को हिला कर चुद रही थी.....

कुसुम -आहह…आअहह….आहहह..….

मैं- येस्स…ये ले…ओर तेजज..यहह

कुसुम- आअहह…म्म्माुअस्सटत्…ल्ल्लुउन्न्ड्ड़ हहाईयैयाीइ….जब भी अंदर …आहह..जाता है….मज़ा देता…आहह..है…

चुदाई पूरे सवाब पर थी और मेरी जाघे कुसुम की गान्ड पर थाप मार कर उसे लाल कर रही थी ....

और करीब 20 मिनिट की चुदाई मे कुसुम एक बार फिर से झड़ने लगी.....

कुसुम- आअहह…आह.आ.आह…अमम्मायन्न…आऐईइ…..अहह..आह...आऐईयईईईईई

मैं-आअहह….ये ले …

कुसुम झड़ने लगी ओर चुदाई की आवाज़ बदलने लगी......

आअहह…..स्शहहह..आहह…त्ततहुूप्प्प…कचहुप्प्प…..ईएहहाअ…आहह…त्ततहुूप्प्प…त्ततहुूप्प्प….फ़फफूूककचह…फ़फफूूककच…
.ऊओ…ईीस्स…यईीसस…आअहह….ऊओ……फफफफकक्चाआप्प्प….टतततुउउप्प…आहह....

कुसुम झड कर पस्त पड़ गई थी और कुछ धक्के मारने के बाद मैं भी झड़ने के करीब आ गया....

मैं- आअहह..मैं आया.....कहाँ डालु...चूत मे...

कुसुम- नही..नही...अंदर नही...

तो मैने लंड बाहर निकाला और कुसुम की पीठ और गान्ड पर लंड रस की पिचकारी मार दी...
जब मैं झड गया तो लेट गया...और कुसुम भी उल्टी पड़ी रही....और हम दोनो रेस्ट करने लगे......
हमने थोड़ी देर ही रेस्ट किया था कि गेट पर नॉक हुआ...जिसे सुनकर कुसुम घबरा गई....

मैं- डोंट वरी....मैं देखता हूँ...तुम रेस्ट करो....

फिर मैं उठा और कपड़े पहन कर गेट के पास गया और गेट के बाहर सिर निकाला....बाहर रजनी खड़ी थी .....

रजनी(मुस्कुरा कर)- आवाज़ बहुत करती है वो ...

मैं- क्या...आपको सुनाई दी...

रजनी- ह्म्म..पर और किसी ने नही सुनी...डोंट वरी...

मैं- ह्म..

रजनी- तो...क्या हाल है उसका...

मैं- खुद ही देख लो...

और मैं रजनी के साथ अंदर आ गया...जहा कुसुम उल्टी पड़ी थी...पूरी नंगी...और उसकी पीठ से लेकर गान्ड तक मेरा लंड रस पड़ा हुआ था...

रजनी(मुस्कुरा कर)- ओह हो...नहला ही दिया....क्यो कुसुम ..मज़ा आया ना...

कुसुम ने अपना सिर बेड मे छिपा लिया...

मैं- अच्छा आंटी...अब कॉफी पिलाओ...मुझे जाना है फिर...

रजनी- ओके...और कुसुम...तू भी फ्रेश हो जा...

फिर मैं आंटी के साथ बाहर आया...और कॉफी पीते हुए आंटी को समझा दिया कि कुसुम को सेक्स एंजाय करना सिखाए...ताकि नेक्स्ट टाइम ज़्यादा मज़ा आए...

कॉफी ख़त्म कर के मैं वहाँ से निकल आया और सीधा पहुँचा वर्मा के ऑफीस....

वही मिस्टर.वर्मा...जो डॅड के पार्ट्नर थे और अब पार्ट्नरशिप तोड़ना चाहते थे.....

मैं वर्मा के ऑफीस पहुँचा तो उसकी सीक्रेटरी ने मुझे वेट करने बोला और थोड़े इंतज़ार के बाद मुझे वर्मा के कॅबिन मे भेज दिया...

जब मैं ऑफीस मे एंटर हुआ तो देखा कि ऑफीस मे एक बड़ी सी टेबल...कुछ चेयर्स और कुछ फाइल्स थी...

रूम के एक तरफ बार काउंटर बना हुआ था एक शानदार सोफा पड़ा था और मेरे सामने वर्मा उस सोफे पर बैठा हुआ था...और उसके सामने टेबल पर टीचर्स स्पेशल स्कॉच की बॉटल रखी हुई थी...और कुछ स्नकस...

ऐसा लग रहा था कि ये ऑफीस नही बल्कि एंजाय करने को रूम बनाया गया है...

वर्मा वैसे तो मेरे डॅड का पार्ट्नर था...बट आगे मे उनसे थोड़ा कम ही था...बट दिखने मे आगे थुल्तुला ही था...साथ मे चश्मे भी चढ़े हुए थे साले को...

मुझे सामने देखते ही वर्मा ने मुस्कुरा कर मेरा वेलकम किया...

वर्मा- हेलो अंकित...आओ बेटा...आओ....

मैं- हाई अंकल..कैसे है आप...

वर्मा- मैं ठीक हूँ..आओ बैठो...

मैं वर्मा के सामने ही बैठ गया और मेरे बैठे ही वर्मा पेग बनाने लगा....

वर्मा- बेटा..तुम भी लोगे...

मैं- नो अंकल...

वर्मा- लेते नही हो कि मेरे साथ नही ले रहे...

मैं- लेता हूँ...बट आपके साथ ..नही..

वर्मा- कम ऑन यंग मॅन...इसमे क्या...एक पेग तो लेना ही होगा...

वर्मा ने मना करते हुए भी एक पेग बना दिया और हमने ग्लास टकरा कर पीना शुरू किया...


मैं(सीप मार कर)- अंकल...मुझे आपसे कुछ बात...

वर्मा(पेग ख़त्म कर के)-हम्म..हम्म..आहह..मैं पूछने ही वाला था...कैसे आना हुआ तुम्हारा....???

मैं- आक्च्युयली...मुझे पता चला कि आपकी और मेरे डॅड की बहस हुई...

वर्मा(दूसरा पेग बनाते हुए)- ह्म...तो तुम कल हुई बहस की बात कर रहे हो....

मैं- हाँ...उसी की बात कर रहा हूँ...

वर्मा(सीप मार कर)- हाँ...तो उसमे क्या बात करनी है...क्या तुम बहस की वजह जानने आए हो...

मैं- नही...मैं वजह जानता हूँ...

वर्मा- तो तुम जानते हो...फिर क्या बात करनी है...

मैं- सिर्फ़ ये जानने आया हूँ कि आपने ऐसा क्यो किया.. क्यो आप अभी ये पार्ट्नरशिप तोड़ रहे है...वो भी तब..जब ऑफीस खाक मे मिल गया...

वर्मा ने मुझे रुकने का इशारा किया और एक सिगरेट जला कर कस मारा और बचा हुआ पेग ख़त्म कर के बोला...

वर्मा- देखो बच्चे....मुझे उस ऑफीस के जलने से कोई लेना-देना नही...मुझे बस अपना पैसा वापिस चाहिए...ओके..

मैं- पर सब कुछ जल कर खाक हो चुका है...

वर्मा- तो मुझे क्या ...मेरा अग्रीनेंट सिर्फ़ माल का था ऑफीस आस्सेस्ट से नही...इसलिए उस ऑफीस मे क्या बचा..क्या नही...उससे मुझे कोई मतलब नही....

मैं- ओके...माना ...पर अचानक...इस वक़्त डॅड के उपेर उस ऑफीस के एंप्लायी का प्रेशर है...उन्हे पैसे भी देना है...वरना वो पोलीस मे जा सकते है..

वर्मा (तीसरा पेग बनाते हुए)- तो मैं क्या करूँ...वो तुम्हारे डॅड की प्राब्लम है..मेरी नही...मुझे बस मेरा पैसा वापिस चाहिए...बस...

इस बार वर्मा की टोन सुन कर मुझे गुस्सा आ गया बट मैं कंट्रोल किया...

मैं- वो तो है...बट अगर आप थोड़ा रुक जाते तो...

वर्मा(आधा पेग गटक कर)- हम्म..नही मैं नही रुक सकता...मुझे अभी अपना पैसा चाहिए 1 हफ्ते मे...बस...
Reply
06-08-2017, 11:02 AM,
RE: चूतो का समुंदर
वर्मा ने अपनी बात बोली और सिगरेट का कस मार के धुआ उड़ाने लगा....अब मेरा गुस्सा बढ़ रहा था...

मैं- तो आप नही मानेगे...

वर्मा(मुस्कुरा कर)- नही बच्चे...

मैं- ह्म्म ..किसकी गुलामी कर रहे हो आप...एमएलए की...

वर्मा(गुस्से मे)- क्या...क्या कहा तूने...तू मुझे एमएलए का चमचा बोल रहा है क्या...

मैं- नही...चमचा नही...कुत्ता है तू एमएलए का ..कुत्ता...

मेरा गुस्सा पूरे ताव पर था...मुझे ये भी फ़िक्र नही थी कि इस वक़्त मैं वर्मा को उसी के ऑफीस मे कुत्ता बोल रहा हूँ...

वर्मा भी मेरी बात सुन कर गुस्से मे आ गया...और उसने एक छिपा हुआ बटन दबाया और खड़ा हो गया ...

थोड़ी ही देर मे 2 गार्ड आ गये और मुझे पकड़ लिया...

वर्मा ने एक पेग और बनाया और आधा डकार कर बोला...

वर्मा- सही कहा तूने...मैं एमएलए के कहने पर काम कर रहा हूँ...पर यही एक वजह नही...मैं एलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट मे तेरे बाप को मिटाने के लिए आगे बढ़ा हूँ...वो तो गया समझो...फिर सिर्फ़ मेरा राज होगा इस फील्ड मे...समझा...


मैं- तो एमएलए का साथ क्यो दिया...खुद कोसिस करते...मेहनत कर के भी आगे निकल सकते थे....

वर्मा- मेहनत...हाहाहा...ते मूर्खो की सोच है...यहाँ तो दूसरे को कुचल कर ही आगे बढ़ा जा सकता है..यही है आज की दुनिया का सच...

मैं- ये तुम्हारी सोच है...सच नही...

वर्मा- तो यही सही...पर एक सच मैं बताता हूँ...बहुत ही जल्द तेरा बाप रोड पर आ जायगा....समझे...

मैं(गुस्से से)- मेरे रहते हुए कभी नही...

वर्मा- जवान खून...ओह हो...तो एक काम कर ...रोक के दिखा हमे...और हाँ...तेरे लिए मैं 1 हफ्ते की जगह 2 हफ्ते देता हूँ...बोल...रोक पायगा हमे...हाँ...

मैं(मन मे)- साले...2 हफ्ते मे तेरी दुनिया हिला दूँगा...

वर्मा- बोल...क्या हुआ...मुँह बंद...निकल गई गर्मी...

मैं- एक ही बात बोलूँगा...मान जाओ...वरना अच्छा नही होगा....

वर्मा- हाहाहा....काश तेरी माँ जिंदा होती...और वो मेरे पास आती तो शायद मैं मान जाता...और बदले मे उसके साथ.....

तभी मैने वर्मा के सीने पर एक किक मारनी चाही पर गार्ड मुझे पकड़े थे...तो मेरी किक हवा मे तैर गई....

तभी एक गार्ड ने अपनी स्टिक उठाई और मुझे मारने ही वाला था कि...

वर्मा- नही...इसे मारना मत...बेचारा ..अपनी माँ की बात पर गुस्सा है...कोई नही...

मैं- तुम जो कर रहे हो...उसका अंजाम बहुत बुरा होगा ..मैं तुझे छोड़ूँगा नही...समझे...

वर्मा- ओह...मैं डर गया...हाहाहा...ठीक है बच्चे...कर ले ट्राइ...तू मेरा कुछ नही बिगाड़ पायगा...समझा....

मैं- पछताओगे मिस्टर.वर्मा...बहुत पछताओगे...

वर्मा- तो जाओ...और मुझे पछताने पर मजबूर करो...(गार्ड्स से)- ले जाओ इसे...बाहर का रास्ता दिखाओ..और हाँ...हाथ मत लगाना ...बच्चा है बेचारा...मुउहह....

मैं- लीव मी...मैं रास्ता जानता हूँ...छोड़ो....

वर्मा ने गार्ड्स को इशारा कर दिया और वो मुझे छोड़ कर सामने खड़े हो गये..

मैने वर्मा को गुस्से से देखा और हाथ झटक कर बाहर निकल गया...और मेरे पीछे वर्मा ठहाका मार के हँसने लगा....

जब मैं वर्मा के ऑफीस से निकल कर कार मे बैठा तो मेरे पास ही एक कार रुकी और उसमे से एक मस्त औरत निकली...

उस औरत ने मिनी ड्रेस पहनी हुई थी...जो घुटनो तक थी..और जिसमे उसकी चिकनी जाघे चमचमा रही थी...

उपेर देखा तो आँखो मे गॉगल्स लगे थे..और डीप नेक के टॉप से गोरे बूब्स दावत दे रहे थे...और बॅक साइड तो कमाल ही थी....

मैने देखा कि वो सीधी बिल्डिंग मे चली गई..और उसे देख कर सभी के सभी उसे सलाम ठोकने लगे...

जैसे ही वो मेरी आँखो से ओझल हुई तो मैने कार दौड़ाई और घर निकल आया.....

मैं वर्मा की बातें सुन कर टेन्षन मे आ गया था और जब घर पहुँचा तो एक और टेन्षन मेरा इंतज़ार कर रही थी...


घर मे एंटर होते ही मेरे सामने रफ़्तार सिंग आ गया जो इस वक़्त मेरे डॅड से बात कर रहा था ....

मैं-ओह नो.... तुम यहाँ....अब क्या हुआ...

रफ़्तार- अरे...लो..चूजा भी आ गया...हाहाहा....

मैं- तुम यहाँ क्या कर रहे हो...

रफ़्तार- कुछ खास नही....कोर्ट के कुछ पेपर है ..तेरे बाप के लिए....बस वही देने आया था...

मैं- तो दे दिए ना...अब निकलो...

रफ़्तार- गुस्सा...ह्म्म्मो...जाता हूँ...

रफ़्तार अपने थुल्लो के साथ बाहर जाने लगा और मेरे बाजू मे आते ही बोला...

रफ़्तार- एक बार तेरा बाप बर्बाद हो जाए...फिर तुझे अच्छे से देखुगा...सारी गुस्सा...उउंम..घुसेड दूँगा...समझ गया ना कहाँ...

मैने रफ़्तार को गुस्से मे आँखे दिखाई...और रफ़्तार ठहाका मारते हुए निकल गया....

मैं(डॅड के पास जा कर)- ये पेपर...किस बात के पेपर है डॅड...

आकाश- तीन नोटीस है बेटा...

मैं- नोटीस...पर 3 किस लिए....
आकाश- 1 एंप्लायी के पेमेंट का...1 वर्मा की तरफ से और एक मिस्टर.सक्सेना की तरफ से...

मैं- ये सक्सेना कौन है...

आकाश- मेरे एक और पार्ट्नर...इनका पैसा हमारी 2 कंपनीज़ मे लगा हुआ है...बहुत रहीस आदमी है...

मैं- तो ये भी अपना पैसा...

आकाश(बीच मे)- हाँ..ये भी 2 मंत मे अपना पैसा वापिस चाहते है...

मैं- पर क्यो...???

आकाश- पता नही बेटा...बुरा वक़्त आता है तो हर तरफ बुरा ही होता है...

डॅड निराश हो कर अपने रूम मे निकल गये...

मैं(मन मे)- ये बुरा वक़्त नही डॅड...सब साले साज़िश कर रहे है...और इस सब का ज़िम्मेदार एक ही सख्स है...एमएलए....लेकिन मैने भी इस बुरे वक़्त जो अच्छा नही किया..तो आपका बेटा नही....

और मैं भी गुस्से मे अपने रूम मे चला गया....
Reply
06-08-2017, 11:02 AM,
RE: चूतो का समुंदर
दूर कही...किसी गाँव मे....


गाँव का बाज़ार भरा हुआ था...और बाज़ार के बीचो-बीच एक मस्त औरत अपनी गान्ड को बलखाती हुई जा रही थी...

बाज़ार मे उसने काफ़ी सामान खरीदा ...और उससे ज़्यादा अपने जिस्म के जलवे दिखा कर लोगो के लंड खड़े किए...

सामान ले कर वो बाज़ार से निकली तो एक बंदा उसके पीछे लग गया...

वो बंदा अपने चेहरे को ढके हुए उस औरत का पीछा कर रहा था...

वो औरत इस सख्स के इरादो से अंजान अपनी गान्ड लहराती अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ रही थी...

धीरे -धीरे उस औरत और उस सख्स के बीच का फासला कम होता गया...

अचानक ही औरत को लगा कि कोई उसके पीछे है तो उसने गान्ड को लहराना बंद किया और तेज़ी से आगे बढ़ने लगी ...

पर वो सख्स भी तेज़ी से औरत के पीछे चलने लगा...

औरत के दिल की धड़कन तेज होने लगी...पर उसके पैर इससे तेज नही चल रहे थे...और साड़ी की वजह से वा दौड़ भी नही पा रही थी...

यहाँ पीछे वाला सख्स और ज़्यादा तेज़ी से चलने लगा और और औरत के करीब आ गया...

अब औरत समझ गई कि वो नही बच पायगी...वो सोचने लगी कि कैसे इस इंसान से अपने आप को बचाऊ...क्या बोलूँगी...

औरत कुछ सोच ही रही थी कि तभी वो सख्स पीछा करते हुए उसके पास पहुँच गया और औरत के कंधे पर हाथ रखा...

कंधे पर हाथ लगते ही औरत रुक गई ...उसके हाथ से थैला नीचे ज़मीन पर गिर गया और एक जोरदार चीख उसके गले से निकल गई....

""आआआआआआआआआआआआआआआ""

इस से पहले की उस औरत की आवाज़ ज़्यादा दूर तक जाती और कोई और उसे सुन सकता...उससे पहले ही सामने वाले सख्स ने औरत के मुँह पर हाथ रख कर उसकी आवाज़ बंद कर दी....

औरत की चीख मुँह के अंदर ही घुट गई..और वो सिर्फ़ आँखे फाडे सामने वाले को देखती रही ....

औरत की दिल की धड़कन और भी तेज हो गई और उसकी आँखो मे डर सॉफ-सॉफ नज़र आने लगा....

तभी सामने वाला सख्स फुसफुसाया....

सम्राट- चिल्लाओ मत...मैं तेरा बाप हूँ सम्राट सिंग.....

और इतना बोलकर सम्राट ने उस औरत के मुँह से हाथ हटाया और अपना चेहरा दिखा कर फिर से छिपा लिया...

औरत(तेज साँसे लेती हुई)- आहह....आअप...आप यहाँ क्यो आए...और इस तरह से...मेरी तो जान ही निकाल दी...

सम्राट- माफ़ करना बेटी...पर आना पड़ा...ज़रूरी था तुझसे मिलना ...

औरत- स्स्श्ह्ही ....ठीक है...पर यहाँ नही ....मेरे साथ आइए...

फिर वो औरत सम्राट को अपने साथ एक घर के पीछे ले गई...जहाँ उन्हे कोई देख ना सके ...

औरत- अब बताइए...ऐसी भी क्या बात हो गई जो आपको मुझसे मिलने आना पड़ा...

सम्राट- क्या बताऊ बेटी...उस आकाश के पिल्ले पर जो हमला करवाया था...वो अब गले की फाँस बन गया....और इसी वजह से सबसे चिप कर भटक रहा हूँ....

औरत- लेकिन उसे तो कुछ नही हो पाया था ना...आपने हमलावर को रोक तो दिया था....

सम्राट- हाँ बेटी...पर वो साला आकाश का पिल्ला...हमले की जाँच करने महल आ गया था...और मेरे घर तक भी पहुँच गया था...अच्छा हुआ कि मैं वहाँ से निकल गया था वरना....

औरत- वरना क्या...वो क्या कर लेता आपका....और आप उस बच्चे से छिपते भाग रहे है...

सम्राट - नही बेटी ..सिर्फ़ इतनी सी बात नही...उस हादसे के बाद कई लीग मेरे पीछे पड़ गये...पता नही कौन है वो सब...

औरत- आपने पता नही किया...??

सम्राट- मैने आदमी लगा रखे है...पर जब तक कुछ पता नही चलता...मुझे छिप कर ही रहना होगा...क्योकि अगर मुझ तक कोई पहुँच गया तो खेल बिगाड़ सकता है...

औरत(गहरी सास ले कर)- ह्म्म...तो फिर आप यहाँ क्या कर रहे है...यहाँ भी किसी ने आपको मेरे साथ देख लिया तो...क्या जवाब देगे...

सम्राट- हाँ..ये भी है...पर मुझे बात करनी थी तुमसे...

औरत- तो फ़ोन कर लेते...

सम्राट- अरे..मैं चाहता था कि खुद आ कर बात करूँ...वैसे भी तुझसे मिले कई दिन हो गये ...

औरत- ठीक है...अब यहाँ से जाओ...कोई देख ले उससे पहले...

सम्राट- चला जाउन्गा...बस ये बताओ कि और कब तक मुझे दुनिया से छिपना होगा...

औरत- बस थोड़ा इंतज़ार और करो...अपना मुर्गा ठिकाने पर पहुँच चुका है...बस कुछ टाइम बाद आज़ाद का सब हमारा होगा...और आज़ाद का नाम उसके वंश के साथ दुनिया से मिट जायगा...

सम्राट(मुस्कुरा कर)- ह्म्म..तभी मेरे सीने की आग बुझेगी....

औरत- अब मैं चालू...

सम्राट- ह्म्म..पर ये तो बता कि तू बाज़ार मे क्या कर रही थी...नौकर मर गये क्या...

औरत- अरे...वो मेरा मन हुआ घूमने का ..तो निकल आई...

सम्राट - ठीक है...मैं चलता हूँ. .

सम्राट अपना चेहरा ढक कर निकल गया...और औरत भी अपने रास्ते चल दी...
Reply
06-08-2017, 11:02 AM,
RE: चूतो का समुंदर
सहर मे.........अंकित के घर ..........


रात के वक़्त...मैं अपने रूम मे बैठा सोच रहा था कि ये सारी प्रॉब्लम्स कैसे सॉल्व होगी ...

वो प्रॉब्लम्स जो कि वर्मा , रफ़्तार और एमएलए ने पैदा की थी...और अब उसमे एक और नाम जुड़ गया था....सक्सेना का...

इसके अलावा भी बहुत बड़ी परेसानियाँ थी...बट अभी मैं सिर्फ़ डॅड की परेशानियों के बारे मे सोच रहा था....

मैने ये बात अपने आदमी (स) को भी बता दी थी...और वो उसका सोल्रौवन भी दौड़ने लग गया था....

मुझे सबसे ज़्यादा टेंशन वर्मा की थी...साले ने मुझे चेलेंज कर दिया की बचा ले अपने बाप को...मेरे डॅड को रास्ते पर लाना चाहता है वो...

और यही बात मुझे खटक रही थी...मैं वर्मा को ऐसा जवाब देना चाहता था कि उसकी अकड़ और इज़्ज़त की धज्जियाँ उड़ जाए...और इसी काम के लिए मैने अपने आदमी को लगा दिया था....

सोचते हुए मैने ड्रिंक करना शुरू कर दिया था....और कुछ देर बाद मेरे आदमी का कॉल भी आ गया...

( कॉल पर )

मैं- क्या पता चला...

स- कल रात धूम नाइट क्लब मे चले जाना....काम हो जायगा...

मैं- ह्म्म..और क्या पता चला...

स- ह्म...कुछ खास नही...तुम्हे मेहनत करनी पड़ेगी...ये आसान नही है...

मैं- तो मैं आसान काम करता ही कब हूँ...काम टफ हो तो करने मे मज़ा ज़्यादा आता है...

स- हाहाहा...डाट्स लाइक अंकित....गुड...तो कल रात को पहुँच जाना...ओके

मैं- ओके...थॅंक्स...

कॉल कट करके मैं ड्रिंक करने लगा...और साथ मे ये भी सोचने लगा कि कल मुझे क्या करना होगा...

तभी मुझे सोनू का कॉल आ गया...जो काफ़ी परेशान लग रहा था...

मैने सोनू से बात की और बोल दिया कि कल टेंशन मत ले...कल उसका काम हो जायगा...

और फिर सोनू से कुछ डिस्कस कर के मैने कॉल कट कर दी...

मैं(मन मे)- लगता है कि सोनू के लिए एक गोली खानी ही पड़ेगी....

मैं ड्रिंक करते हुए अपने ख़यालों मे खोया हुआ था कि मेरे रूम मे किसी के आने की आहट हुई...

जब मैने देखा तो गेट पर रश्मि खड़ी थी...एक पतली सी नाइटी पहने हुए...

मैं- ओह...रश्मि...इस वक़्त...

राहमी(अंदर आ कर)- क्यो सर...क्या मेरा आना अच्छा नही लगा...मुझसे खफा है क्या...

मैं- नही...ऐसा तो कुछ भी नही...

रश्मि(गेट लॉक कर के)- तो मुझसे इतनी दूरी क्यो..

मैं(मन मे)- साली...मुझसे गद्दारी कर रही है और अब मेरे सामने बड़ी सीधी बनती है...

रश्मि- क्या हुआ..क्या अब मेरा हुश्न आपको बुरा लगने लगा...

मैं- क्या...नही...ऐसा तो कुछ भी...

तभी रश्मि ने अपनी नाइटी निकाल दी और अपना गदराया बदन मेरे सामने पेश कर दिया...जो पूरा नंगा था और रूम की लाइट मे चमक रहा था...

रश्मि- क्या मुझ मे कोई कमी आ गई ..हाँ...

मैं- नही...बिल्कुल नही...तुम तो आज पहले से ज़्यादा मस्त लग रही हो ...

रश्मि (इतराते हुए)- तो फिर इस जिस्म को रगड़ते क्यो नही....देखो तो ...मेरा अंग-अंग कैसे आपके नीचे मसल्ने को तड़प रहा है....

मैं(मन मे)- ये तो वही बात हो गई...मुँह मे राम और बगल मे छुरी...हाँ...

रश्मि- कहा खो गये सर...क्या मेरा आना पसंद नही आया...

मैं- हा...नही..ऐसा कुछ नही...मैं तो बस तुम्हारे हुश्नजाल मे खो गया था...

रश्मि- तो आज की रात मेरी तड़प मिटा दो सर....(और रश्मि ने अपने निप्पल मरोड़ दिए और सिसक उठी)

मैं- क्यो..आज की रात मे कुछ खास है क्या...

रश्मि- ह्म्म...क्या पता...फिर ऐसी रात मे आपके साथ मौका ना मिले...

मैं- ह्म्म...(और मैने एक और पेग बना लिया)

रश्मि- आज की रात मुझे जी भर के मसल दो सर..आअहह...(और रश्मि ने फिर से अपने निप्पल मरोड़ दिए)

मैं- ह्म...तो आओ फिर...आज मैं तुझे ऐसे मसलूगा कि उसके बाद तुझे चुदने का मन भी नही होगा....आजा ..


और मैं बेड पर बैठ गया और रश्मि मेरे पास आ कर नीचे बैठ गई और लंड आज़ाद कर के चूसने लगी....

रश्मि- सस्स्रररुउउप्प्प...सस्ररुउउप्प्प...सस्ररुउप्प्प...उउंम...उउउंम...उउंम....

आज रश्मि पूरे जोश मे लंड चूस रही थी...जैसे फिर कभी चूसने को नही मिलेगा...

मैं ड्रिंक पीते हुए रश्मि की चुसाइ से गरम हो गया था ..

मैने ग्लास साइड मे रखा और रश्मि को बेड पर ला कर 69 पोज़िशन मे चुसाइ शुरू कर दी....

रश्मि- अओउउउंम्म...उउउंम्म..उउउम्म्म्म....उूुुउउंम्म...

मैं- सस्स्रररुउउउप्प्प्प....सस्स्रररुउउप्प्प्प्प.....सस्स्रर्र्ररुउप्प्प्प...

रश्मि- सस्स्रररुउपप...आअहह..उउंम..उउंम्म...उउउंम्म..

मैं- सस्स्रररुउउप्प्प...सस्स्रररुउउप्प...उउउंम..उउंम..

रश्मि- उउंम...आहह...गाआ रे...आहह...आहह...आअहह....

थोड़ी देर बाद चुसाइ से रश्मि झड़ने लगी और मेरा लंड भी छेद की माँग करने लगा....

मैने रश्मि को फिर से बेड नीचे उल्टा किया और उसकी गान्ड मे लंड उतार दिया....

रश्मि- आआहह.....फ़ाआद्द्ड़..दी...

मैं- फटी तो पहले से ही है साली...चिल्ला मत...

और मैने रश्मि की जाघे पकड़ के चुदाई शुरू कर दी...

रश्मि- आअहह...आअहह..आअहह...आअहह:-) ..

मैं- साली...थोड़ी टाइट हो गई..हाअ..

रश्मि- आहह...तो फाड़ दो ना....आआहह...ज़ोर से ....

मैं- तो ये ले साली...एस्स...एस्स...एसस्स....

हमारी चुदाई काफ़ी देर तक चली...मैने रश्मि की गान्ड के बाद उसकी चूत भी मारी और उसे 3 बार झड़ने पर मजबूर किया....

फाइनली मैं रश्मि के मुँह मे झड कर शांत हुआ...
Reply
06-08-2017, 11:02 AM,
RE: चूतो का समुंदर
फिर नॉर्मल होने के बाद रश्मि निकल गई...और उसे जाता देख कर मेरे मन मे एक ही ख्याल आया...

मैं(मन मे)- साली...तुझ जैसी रंडी अंकित को नही फसा सकती...कल का दिन तेरा नही...मेरा होगा....

अगले दिन मैं रेडी हुआ और ब्लूटूथ ले कर सोनू की बताई जगह निकल गया...उसने मुझे एक स्कूल के सामने बने गार्डन मे बुलाया था....

वहाँ पहुँचने से पहले ही मैने ब्लूटूथ फ़ोन से कनेक्ट कर लिया और सोनू से बात शुरू कर दी....

मैं- हाँ सोनू...तू पहुँच गया...

सोनू- हाँ...और तेरी रश्मि भी आ गई...

मैं(मुस्कुरा कर)- अच्छा है...कुछ दिन और उछलने दो साली को...फिर देखते है...

सोनू- ओके...पर ये बता कि तू रेडी है ना...

मैं- हाँ..बट तूने पीठ पर ये पट्टा बाधने क्यो बोला...मज़ा नही आ रहा...

सोनू- वो पट्टा ही गोली को रोकेगा....समझा...

मैं- तू क्या असली गोली मारेगा ...

सोनू- हाँ...क्योकि मुझसे देखने के लिए रश्मि होगी वहाँ....

मैं- साले ...असली गोली...देख कर भाई...कहीं मेरा पत्ता ना कट जाए...

सोनू- तू टेन्षन मत ले....तेरी कमर मे ही गोली लगेगी...और तू गिर जायगा...और फिर तेरी रीड की हड्डी बेकार हो जाएगी....

मैं- ह्म..वो तो तूने रात मे बताया था...पर ये बता कि ये साले मुझे अधमरा क्यो करना चाहते है...

सोनू- ताकि तू बेड पर लेट जाय और बीच ये सब तेरे डॅड को उड़ा देगे...और फिर तुझसे जो चाहिए वो ले कर तुझे भी थूक देगे...

मैं- गुड प्लान...अच्छा ये बता..तेरे डॅड को कब छोड़ने का बोला...

सोनू- तू बेड पर लेटा और मेरे डॅड आज़ाद...

मैं- ओके...चल मैं पार्क मे पहुँच गया....अब आराम से बात करना ...और हाँ...फाइयर करने से पहले यस बोल देना..ताकि मैं रेडी रहूं...

सोनू- ओके...तू टेन्षन मत ले...बस गोली लगने के बाद बिना हीले पड़े रहना ओके..

मैं- ह्म..और वो रश्मि कहाँ है...

सोनू- तेरे लेफ्ट साइड...पेड़ के पीछे से देख रही है तुझे...

मैं- ह्म...तो मेरी मौत का तमाशा देखने आ गई साली...

सोनू- 1 मिनट रुक...


और फिर सोनू ने थोड़ी देर बाद बोला...

सोनू- रेडी हो जा...ऑर्डर आ गया...

मैं - इतनी जल्दी...अभी स्कूल का लंच है...कोई सुन लेगा तो...तू फसेगा..

सोनू- कुछ नही होगा...साइलेनसर है....ओके रेडी....

मैं(लंबी सास ले कर)- अयाया...रेडी...

सोनू- 3...2....1...यस

सस्स्सुउुुउउप्प्प्प्प....

गोली तो बिना किसी आवाज़ के हवा मे लहराते हुए मेरी तरफ बड़ी...पर एक आवाज़ हवा मे गूज़ गई...

हहुउ..भाय्य्य्ाआआआआआआअ.......

आवाज़ सुन कर मैं पलटा तो मेरी जान निकल गई...

सामने पारूल थी...उसका मुँह खुला हुआ...आँखे बंद होती ...सीने से खून निकलता...

उसकी बॉडी हवा मे मेरी तरफ गिरने लगी...और मैने चिल्लाते हुए उसे संभाला....

मैं- पाररुउउल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल....नही...

ये नज़ारा देख कर रश्मि की तो गान्ड फट गई और सोनू अपनी गन फेक कर मेरी तरफ दौड़ा चला आया...

पारूल को ऐसे देख कर तो मेरी दुनिया ही ठहर गई..मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या करूँ..क्या बोलू...ये सब अचानक...

पर सोनू ने होश से काम लिया और पारूल को कार मे डाल कर हॉस्पिटल भागा...साथ मे मैं भी था...

हॉस्पिटल मे पारूल आइसीयू मे थी और मैं बाहर आँखो मे आसू लिए बुत बना बैठा था.....

मेरे माइंड मे सिर्फ़ एक बात चल रही थी....

"इसका ज़िम्मेदार कौन....??????????????????
Reply
06-08-2017, 11:03 AM,
RE: चूतो का समुंदर
पारूल आइसीयू मे जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थी...और मैं अपनी आँखो मे आसू लिए सोच मे पड़ गया...कि आख़िर जो हुआ...वो कैसे हुआ.....

गार्डन मे मैने सोनू के कहने पर घूमना शुरू किया....और उसी के कहे मुताबिक मैने कमर के उपेर पट्टा बाँधा हुआ था ...जो बुलेट प्रूफ था....

प्लान के हिसाब से सोनू उसी पट्टे पर गोली मारता...और मैं गिर जाता...और बाद मे डॉक्टर बोल देता कि मेरी रीड की हड्डी किसी काम की नही रही...और मैं कभी खड़ा भी नही हो पाउन्गा....

सब कुछ ठीक चल रहा था...पर अचानक पारूल मेरे पीछे आ गई...और जो गोली मुझे कमर पर खानी थी...वो उसका पेट चीर गई...

पर पारूल कहाँ से आ गई...और सोनू ने उसे देखा क्यो नही...

इस सवाल का जवाब सोचते हुए मुझे याद आया कि गार्डन के सामने ही पारूल का स्कूल था...और उस वक़्त लंच टाइम चल रहा था....

पारूल मुझे देख कर मुझसे मिलने आई होगी और शायद पीछे से आकर मुझे सर्प्राइज़ कर रही होगी..हाँ यही होगा...

पर सोनू ने क्यो नही देखा उसे....हाँ..याद आया ...मेरे बाजू मे छोटी घनी झाड़िया लगी थी लाइन से....और पारूल उसी मे से छिपकर आई थी...इसलिए सोनू भी टाइम रहते नही देख पाया....

इसी तरह मैं बैठ-बैठा अपने मन मे सारे सवालो के जवाब सोचता रहा....

पर दिल की धड़कन अभी भी तेज थी...जिस्म डर से थरथरा रहा था...माथे पर सिकान बढ़ती ही जा रही थी...

और दिल से बस एक आवाज़ निकल रही थी...कि भगवान...पारूल को कुछ ना होने देना..

उस फूल सी बच्ची ने तो कोई गुनाह नही किया...आज तक किसी का बुरा सोचा भी नही...तो उसे सज़ा क्यो दे रहे हो...प्ल्ज़...उसे जल्दी से ठीक कर दो..प्ल्ज़...

मैं अपनी नम आँखो से उपेर देखते हुए भगवान से प्रार्थना करता रहा...

मुझे ऐसे ही बैठे हुए करीब 1 घंटा हो गया था...सोनू भी मेरे साथ वही बैठा हुआ था...

तभी आइसीयू से डॉक्टर बाहर आया...

गेट की आवाज़ सुनकर मैने आँखे खोली....सामने डॉक्टर को देखा तो बिजली की स्पीड से उठ कर उसके पास पहुँच गया...

मैं- ड्ड..डॉक्टर...वो..मेरी गुड़िया...कैसी है वो...

डॉक्टर ने अपना चश्मा निकाला और मेरे कंधे पर हाथ रख कर बोला...

डॉक- हमने अपनी तरफ से पूरी कोसिस की...

मैं(बीच मे)- तो...तो क्या...

डॉक- रिलॅक्स मिस्टर. , गोली पेट से निकाल ली गई है...पर...

मैं- पर क्या डॉक्टर...

डॉक- उसका खून बहुत बह चुका था..तो..

मैं- तो मेरा खून ले लो...मेरे जिस्म मे बह रहे खून की आख़िरी बूँद तक ले लो डॉक्टर...बट उसे बचा लो प्ल्ज़...

मैं लगभग गिडगिडाते हुए डॉक्टर से बोला...डॉक्टर ने दोनो हाथो से मेरे कंधे थामे और मुझे बैठा दिया...


डॉक्टर- रिलॅक्स...हमारे पास खून था...उसे ऑलरेडी चढ़ा चुके है...थोड़ी ही देर मे उसे होश आ जायगा...रिलॅक्स...

मारे खुशी के मेरी आँखो मे आसुओं का शैलाब आ गया...और मैं डॉक्टर के हाथ पकड़ कर उसका सुक्रिया अदा करने लगा...

डॉक्टर- अब आप रिलॅक्स करो...उसके होश मे आते ही आपको खबर देता हूँ...ओके...

मैं(रोते हुए)- ह्म्म..थॅंक्स डॉक्टर...

डॉक्टर- लगता है आप उसे बहुत चाहते है...कौन है वो...

मैं- मेरी बेहन..मेरी छोटी सी गुड़िया है वो...

डॉक(मेरा कंधा थपथपा कर)- ओके..रिलॅक्स...आपकी गुड़िया ख़तरे से बाहर है...

डॉक्टर अपने कॅबिन मे निकल गया और मैं आइसीयू के बाहर से पारूल को देखने लगा....

ग्लास के उस पार ओक्सीजन मास्क पहले पारूल लेटी हुई थी...उसको खून की बॉटल लगी हुई थी...

उसकी ऐसी हालत देख कर एक बार फिर से मेरे माइंड मे गुस्सा भर गया...

मैने अपनी आँखो मे आए आँसू सॉफ किए और हॉस्पिटल से बाहर जाने लगा...

मुझे यू गुस्से मे जाते देख सोनू दौड़ के मेरे सामने आ गया...

मैं- हट जा...

सोनू- तू कहाँ जा रहा है...

मैं- इट्स एनफ ....अब किसी को नही छोड़ूँगा...ना रश्मि...ना रिचा और ना उसका बॉस...सबको मार दूँगा...

सोनू- क्या...नही ..नही..तू ऐसा कुछ नही करेगा...मेरी बात सुन...

मैं(बीच मे)- एनफ ईज़ एनफ....तू हट जा...वरना तुझे भी मार दूँगा...हट जा...

मैने सोनू को धक्का दे कर अलग किया और आगे बढ़ गया....पर सोनू फिर से मेरे सामने आ गया...

सोनू- अंकित ...मैं जानता हूँ तू गुस्से मे है..पर मेरे डॅड का तो सोच...तेरा एक कदम मेरे डॅड की जान ले सकता है...प्ल्ज़ अंकित...ठंडे दिमाग़ से काम ले...

मैं(चिल्ला कर)- नही...अब और नही....मेरे अपनो की जान पर बन आए...और मैं चुप रहूं...साला नमार्द हूँ क्या...मैं किसी को नही छोड़ूँगा....

सोनू- पर मेरे डॅड...उनका क्या...कुछ तो सोच...मेरे डॅड की जान पर बन आयगी...

मैं- मुझे कुछ नही सुनना...हट जा...

इस बार मैने सोनू को हटाया तो उसके पीछे से सोनम आ कर मेरे सामने खड़ी हो गई....

सोनम को सोनू ने सब बता दिया था...अपने डॅड के बारे मे भी...

मैं- अब तुझे क्या कहना है....

सोनम- बस इतना ही...कि ये सब कर के पारूल का दर्द कम कर दोगे...ह्म..

मैं- नही...पर दर्द देने वालो को इससे ज़्यादा दर्द दूँगा...

सोनम- और मुझे जिंदगी भर का दर्द...मेरे डॅड को मुझसे छीन कर..हाँ...

मैं- नही..मैं तुम्हारे डॅड को क्यो छीनने लगा...

सोनम- ये तुम जानते हो...तुम एक कदम बढ़ाओगे और मेरे डॅड की जान गई समझो....

सोनम की बात सुनकर मैं थोड़ा संभला...उसने ठीक कहा था...मैं अगर रश्मि या रिचा को कुछ करता हूँ तो सोनम के डॅड की जान भी जा सकती है...

क्योकि अगर सोनू मुझे नही मारेगा तो उसके डॅड को जिंदा रख कर उनका क्या फ़ायदा...

सोनम की बात से मेरा गुस्सा दूर हो गया और मैं वही साइड मे बैठ गया....
Reply
06-08-2017, 11:03 AM,
RE: चूतो का समुंदर
यही बात कुछ देर पहले सोनू ने भी कही थी...पर मैं नही माना था...पर सोनम के मुँह से यही सुन कर मैं चुप हो गया...

शायद लड़की की आवाज़ मे वो जादू है..जो आग को भी ठंडा कर देती है...और बर्फ को गरम....

सोनम की बात सुनकर मैं शांत हो गया...सोनम और सोनू भी मेरे साइड मे आ कर बैठ गये....

सोनम- थॅंक यू...

मैं- नही...असल मे मुझे गुस्से मे कुछ सूझ ही नही रहा था...सच कहा तुमने...मेरा एक ग़लत कदम तुम्हारे डॅड की जान ले सकता है...

सोनू- बस एक बार मेरे डॅड मिल जाए...फिर सालो को इसी गन से गोली मार दूँगा...

सोनम- पर भैया...तुमने ये बात मुझे पहले क्यो नही बताई...कि डॅड किडनॅप हो गये और तुम्हे अंकित को मारने को कहा गया है...

सोनू- मैं...मैं क्या करता...मैं नही चाहता था कि तुझे या मोम को टेन्षन हो कोई...

मैं- हाँ सोनम..सोनू ने सही किया...अब इस बात पर कोई बहस नही...

सोनम- ओके...अच्छा पारूल कैसी है...

मैं- वो ख़तरे से बाहर है...जल्दी ही होश आ जायगा...

फिर हम तीनो वहाँ बैठ कर पारूल के होश मे आने का वेट करने लगे....

यहाँ रिचा के घर ......

पारूल को गोली लगने से रश्मि एक दम घबरा गई थी ....वो जानती थी कि अंकित पारूल को अपनी सग़ी बेहन से ज़्यादा चाहता है...

उसे लगा कि अगर अंकित ने उसे यहाँ देख लिया तो उसे छोड़ेगा नही....

ऐसी हालत मे रश्मि घबराई हुई सीधा रिचा के घर पहुँची....

रिचा(गेट खोलते ही)- तू...तू यहाँ...क्या हुआ...

रश्मि(हान्फते हुए)- अंदर तो चलो...सब बताती हूँ...

रिचा ने जल्दी से रश्मि को अंदर किया और गेट लॉक कर दिया....

रिचा- क्या...अंकित की जगह गोली किसी और को लग गई....(रिचा सोफे से उठ कर खड़ी हो गई...जब रश्मि ने उसे वहाँ हुई घटना बताई)

रश्मि- हाँ...अंकित को गोली लगती इससे पहले पारूल आ गई और उसे गोली लग गई...

रिचा- पारूल...पर वो वहाँ कैसे पहुँची...तुमने तो कहा था कि अंकित अकेला है...

रश्मि- हाँ...अकेला ही था...पर अचानक पारूल आ गई ..और सब...

रिचा और रश्मि थोड़ी देर तक खामोश रहे...रश्मि तो घबराई हुई थी...पर शायद रिचा ये सोच रही थी कि अब आगे क्या करे...

रिचा- ओके..जो हुआ सो हुआ....उसके बाद क्या हुआ...पारूल मर गई क्या...

रश्मि- पता नही...अंकित और सोनू उसे हॉस्पिटल ले गये और मैं वहाँ से भाग आई...

रिचा- सोनू...पर सोनू क्यो सामने आया...

रश्मि- शायद ..उसे लगा होगा कि उसने ग़लती कर दी..इसलिए..

रिचा- वो तो ठीक है...पर कही सोनू, अंकित को सब बक ना दे...

रश्मि- वो क्यो बकेगा...उसके डॅड तो आपके पास है...

रिचा- जानती हूँ...लेकिन देखना तो पड़ता ही है ना....और ये बता कि तू यहाँ क्यो आई....मुझे फ़ोन से बता देती...

रश्मि- फ़ोन...मैने किया था...आपने उठाया नही...और मैं घबरा गई थी...

रिचा- ओह...शायद मैने सुना नही...ओके..तू अब आराम से घर जा...और पारूल के बारे मे कुछ पता चले तो कॉल करना...वैसे वो जिंदा है मर गई...

रश्मि- मेरे हिसाब से तो मर गई होगी...

रिचा- ओह..बेचारी...खम्खा बीच मे आ गई...खैर...तुम जाओ...और कॉल करना...अंकित के गुम मे शामिल होने तो आना ही होगा मुझे...हाँ...बेचारा....

और फिर रिचा हँसने लगी और रश्मि भी डरते हुए झूठी हसी हँसने लगी...और थोड़ी देर मे ही रश्मि वहाँ से निकल गई...


रश्मि के जाते ही रिचा ने बॉस को कॉल किया....

( कॉल पर )

बॉस- हाँ बोल...काम हो गया...

रिचा- नही ना...नही हुआ...

बॉस- क्या...पर क्यो...

रिचा- हुआ यू कि.......

और रिचा ने सबकुछ बॉस को बता दिया...जिसे सुन कर बॉस भी पारूल के लिए हमदर्दी दिखाने लगा...

बॉस- ह्म्म्म ..बेचारी...कोई नही..अब अंकित को गम मनाने दो...सोनू को कुछ दिन रुकने का बोल दो...

रिचा- ओके...मैने भी यही सोचा था...

बॉस- ओके..तो अब कुछ दिन मुझे कॉल मत करना...और कोई ज़रूरी काम हो तो ...तुम जानती हो कि तुम्हे कहाँ जाना है...बाइ...

रिचा- ह्म..बाइ...

वापिस हॉस्पिटल मे......

नर्स ने जैसे ही हमारे पास आकर बोला कि लड़की को होश आ गया...तो मेरी खुशी का ठिकाना नही रहा और खुशी बन कर मेरे आँसू आँखो से छलक पड़े...

सोनम ने मुझे संभाला और मेरे आँसू सॉफ किए...

सोनम- अपनी गुड़िया को यू रोता चेहरा दिखाओगे क्या...

मैं- ह्म..नही..मैं फ्रेश हो कर आता हूँ...

मैं वहाँ से उठा और अपने चेहरे को सॉफ कर लिया...मैं भी नही चाहता था कि पारूल मुझे रोता देखे....

अपने आपको ठीक करके मैं आइसीयू मे पहुँचा तो देखा कि...पारूल होश मे आ चुकी थी...ओक्सीजन मास्क भी हट गया था और खून की बॉटल भी...

मुझ पर नज़र पड़ते ही पारूल बोल उठी...

पारूल- भैया...

मैं(मुँह पर उंगली रख कर)-स्शहीए...चुप रहो...

और मैं पारूल के साइड मे बैठ कर उसका सिर सहलाने लगा...

मैं- कैसी है मेरी गुड़िया...

पारूल- ठीक हूँ भैया...पर ये सब...

मैं(बीच मे)- कुछ मत बोल...जो हुआ..वो एक आक्सिडेंट था....बस तू ठीक है..यही मेरे लिए काफ़ी है...

पारूल- ह्म..

मेरे साथ सोनम और सोनू ने भी पारूल का हाल पूछा और उसे आराम करने की सलाह दे कर बाहर आने लगे...

मैं भी वहाँ नही रहना चाहता था..क्योकि मुझे डर था की मैं फिर से आँसू ना बहा दूं...इसलिए मैं भी उनके साथ जाने लगा....

तभी पारूल ने पीछे से मुझे आवाज़ दी...

पारूल- भैया...

मैं- हाँ गुड़िया...बोलो..

पारूल- वो गोली आपके लिए चली थी ना...

मैं चुप रह गया और फिर से पारूल के साइड मे बैठ कर उसका सिर सहलाने लगा...

मैं- बोला ना..कि ये सब आक्सिडेंट समझ कर भूल जाओ...बस...

पारूल- अगर मैं सही हूँ तो अच्छा ही हुआ...

मैं- क्या मतलब...

पारूल- आप पर आने वाली मुसीबत मुझे मिल गई...ये अच्छा ही हुआ ना..क्योकि आपके लिए तो मैं मरने को भी ....

मैं(पारूल के मुँह पर उंगली रख कर)- बस...मरे तेरे दुश्मन...

और मैने पारूल के माथे को किस किया और वहाँ से निकल आया....क्योकि मेरे आँसू अब रुक नही पा रहे थे...

पारूल का मेरे लिए प्यार देख कर मेरे आसू छलक ही गये...और पारूल के चेहरे पर गिरी मेरे आँसू की बूँद ने उसे भी ये अहसास दिला दिया....कि वो मेरे लिए कितनी खास है....
आइसीयू से निकल कर मैं सीधा डॉक्टर के पास पहुँचा....

मैं- हेलो सर...

डॉक्टर- हेलो मिस्टर. ....ओह, मैने आपका नाम तो पूछा ही नही..

मैं- अंकित मल्होत्रा...

डॉक्टर- आइए मिस्टर.अंकित...बैठिए...

मैं- सर...मेरी बेहन को ज़्यादा चोट तो नही आई..आइ मीन वो गोली..ज़्यादा डॅमेज तो नही हुआ ना ..

डॉक्टर- नही अंकित...असल मे गोली पेर के किनारे से निकली...तो चिंता की बात नही...बस ज़ख़्म है...कुछ दिन मे ठीक हो जायगा...

मैं- थॅंक गॉड...

डॉक्टर- वैसे ये सब हुआ कैसे...

मैं- पता नही...सब अचानक हो गया...

मैने सोचा कि जल्दी से यहाँ से निकलता हूँ...नही तो ये डॉक्टर बाल की खाल निकालेगा...

मैं- आक्च्युयली...मैं ये पूछने आया हूँ कि मैं अपनी बेहन को घर कब तक ले जा सकता हूँ...

डॉक्टर- वैसे वो अब ठीक है...बस कुछ दिन पट्टी बगैरह होगी..और कुछ टॅब्लेट्स...बाकी कुछ नही...तो आज शाम तक ही ले जा सकते है...अगर चाहे तो...

मैं- गुड...मैं शाम को ही ले जाउन्गा..

डॉक्टर- पर क्या घर मे ख्याल रख पायगे..

मैं - आप एक नर्स भेज देना...मैं पेमेंट कर दूँगा..ओके..

डॉक्टर- ओके...और हाँ...एक बात तो भूल ही गया...पोलीस के आने के बाद ही आप उसे ले जा सकते है...

मैं- पोलीस...पर पोलीस क्यो...

डॉक्टर- देखिए मिस्टर.अंकित...गोली लगी है..तो ये मॅटर तो पोलीस का ही बनता है ना...

मैं- ह्म्म..बट मैं नही चाहता कि पोलीस इस मामले मे पड़े...और इसके लिए मैं आपको चुप रहने की सलाह देता हूँ...

डॉक्टर- व्हाट डू यू मीन...

मैं- आप इस मॅटर को यही क्लोज़ करो...और हाँ...चुप रहने की कीमत भी मिलेगी...

डॉक्तोर(गुस्से से)- तुम समझते क्या हो अपने आप को...जानते हो कि मैं कौन हूँ...

मैं- नही...पर मैं मल्होत्रा एलेक्टॉनिक्स का मालिक हूँ...समझे....

डॉक- ओह...आप...मल्होत्रा एलेक्ट्रॉनिक्स....मिस्टर आकाश के बेटे...

मैं- ठीक समझे...अब बोलो...चुप रहने की कीमत क्या लोगे...

डॉक- सॉरी मिस्टर. अंकित...देर हो गई...

मैं- क्या मतलब...

डॉक्टर- मतलब...
Reply
06-08-2017, 11:03 AM,
RE: चूतो का समुंदर
तभी कॅबिन के बाहर से एक आवाज़ आई...ये रफ़्तार सिंग की आवाज़ थी...जो मेरे पीछे गेट पर खड़ा हुआ था...

रफ़्तार- मतलब ये कि रफ़्तार अपनी रफ़्तार से यहाँ पहुँच चुका है...

मैं खड़ा हो गया और रफ़्तार के पास पहुँचा...

मैं- तो...अब क्या...

रफ़्तार- अब...अब तेरी फिल्म बनाउन्गा..हाहाहा...

मैं- देखो...ये पोलीस का मॅटर नही है..

रफ़्तार- मुझे तू तो समझ ही मत...चुपचाप खड़ा रह...और डॉक्टर तू...चल मेरे साथ...ज़रा मिलूं तो उस फूल जैसी कमसिन कली से....

रफ़्तार की बात सुन कर मेरा खून खौल गया..पर शांत रहने के अलावा कोई चारा नही था...

रफ़्तार डॉक्टर को लेकर आइसीयू मे चला गया और यहाँ मैने एक कॉल लगा दिया...


थोड़ी देर बाद रफ़्तार आइ सीयू से बाहर आया...

रफ़्तार- तो तेरी मौत उसने ले ली...हाँ...

मैं- मुझे मारने वाला अभी पैदा ही नही हुआ इनस्पेक्टर...

रफ़्तार- अच्छा...सुक्र मना कि लड़की बीच मे आ गई...वरना तेरा तो हो गया था..राम-नाम सत्य...हाहाहा...

मैं(घूरते हुए)- तो क्या अब मैं उसे ले जा सकता हूँ....

रफ़्तार- ले जा...ज़रूर ले जा...ऐसी कोमल कली को हॉस्पिटल मे नही छोड़ना...क्या पता कि रात के अंधेरे मे कोई फूल को कली...

मैं(रफ़्तार की कलर पकड़ कर)- बस इनस्पेक्टर...आगे एक शब्द भी बोला तो...

रफ़्तार- पोलिसेवाले की कलर पर हाथ डाला....अब तेरी ऐसी फिल्म बनाउन्गा ना...तू देख...इस केस मे तेरी गान्ड लगा दूगा...और अभी तो तेरी...

रफ़्तार ने दोनो हाथो से मेरी कलर पकड़ी और मुझे दीवाल से चिपका दिया...

रफ़्तार- आज की रात तेरी बेहन जहाँ भी रहे...तू तो रहेगा मेरे लॉकअप मे...चल...

तभी इनस्पेक्टर आलोक की आवाज़ गर्जि...

आलोक- रफ़्तार...लीव हिम...

रफ़्तार- ओह...तो इसे बुला लिया...हां..साले...

आलोक- सुना नही..छोड़ो उसे...और दफ़ा हो यहाँ से...

रफ़्तार- सर ..उसने पोलीस पर हाथ डाला...और क़ानून के हिसाब से...

आलोक(बीच मे)- मुझे क़ानून मत सिखा...और हा..यहाँ लगे सीसीटीवी कमरे सब सॉफ कर देगे..कि किसने किसको हाथ लगाया और किसने क्या बोला...

सीसीटीवी का नाम सुनते ही रफ़्तार ढीला पड़ गया...और वहाँ से जाने लगा...

रफ़्तार(मुझे घूर कर)- एक दिन तेरी फिल्म ज़रूर बनाउन्गा बच्चे...

मैं- कोसिस कर ले...और हाँ...तेरे लिए एक फिल्म मैं बनाउन्गा...असल मे शुरू भी कर दी...जल्दी ही दिखाउन्गा...

रफतात ने मुझे घूरा और अकड़ के साथ वहाँ से निकल गया...

आलोक- मिस्टर.अंकित...पोलीस फॉरमॅलिटीस होने के बाद आप अपनी बेहन को ले जा सकते है...

मैं- थॅंक यू सर....

और फिर शाम तक हम वही रहे और शाम को एक नर्स के साथ पारूल को घर ले आए....सोनू और सोनम भी मेरे साथ ही रहे और मेरे घर भी आ गये.......

पारूल को मैने अपने बाजू वाले रूम मे ही शिफ्ट करवाया ....ताकि वो मेरे पास ही रहे...

उसके बाद मैने संजू, अकरम को आक्सिडेंट की खबर दे दी....क्योकि ना बताता तो दोनो गुस्सा हो जाते...खास दोस्त जो ठहरे...
Reply
06-08-2017, 11:03 AM,
RE: चूतो का समुंदर
सोनम ने भी अपनी मोम और कामिनी के घर ये बात बोल दी...रिचा तक भी ये बात पहुँच गई...

फिर क्या था...सब के सब मेरे घर आ धम्के ...पारूल का हाल- चाल पूछा और मुझसे घटना के बारे मे...

सबके आने और उनकी बातें सुन कर मेरा गुससा भी दूर हो गया और माइंड एकदम फ्रेश हो गया...

सबको निपटा कर मैने उन्हे घर रवाना किया...पर सोनम पारूल के पास ही रुक गई...

वैसे रुकना तो अनु, रक्षा और जूही भी चाहती थी...पर मैने उन्हे जाने के लिए मना लिया...

सोनम को भी भेजना चाहा ...पर उसने बोला कि जब मैं उसके डॅड के लिए गोली खाने को तैयार था..तो क्या वो थोड़ी हेल्प भी नही कर सकती...तो मैं चुप रहा और वो मेरे घर रुक गई...

रात हम सबने पारूल के रूम मे ही डिन्नर किया और फिर सब सोने निकल गये...सिर्फ़ मैं और सोनम रह गये...

फिर पारूल के सो जाने के बाद मैने नर्स को भी सोने का बोला और सोनम के साथ अपने रूम मे आ गया...

मैं- आहह..तो सोनम...तुम यहाँ सो जाओ..मैं नीचे सो जाउन्गा...

सोनम- क्यो..मेरे साथ रूम शेयर करने से डर लगता है क्या...

मैं- उऊँ..हा..थोड़ा सा...

सोनम- मैं भूतनि हूँ क्या..???

मैं- नही...तुम तो परी हो...इसलिए...

सोनम- बातें मत बनाओ...कही नही जाना....और इतना ही ज़रूरी है तो मैं जाती हूँ..

मैं- ओह..नही...कोई कही नही जा रहा...आओ बैठो...पर ..

सोनम- पर क्या...

मैं- मुझे ड्रिंक करने का मान गई...बस 2 पेग...

सोनम- ओह...तो लाओ..मैं खुद बना देती हूँ..

मैं- तुम्हारे हाथ से तो ज़्यादा ही नशा हो जायगा...

सोनम(मुस्कुरा कर)- आप भी ...लाइए...पेग बनाती हूँ....

मैं- ओके...बट पहले चेंज तो कर ले...ओह हाँ...तुम क्या पहनोगी...एक काम करो...पारूल की कोई ड्रेस पहन लो..ओके..

सोनम- चेंज बाद मे कर लूगी...पहले ड्रिंक तो करा दूं आपको...

फिर सोनम ने अपने हाथो से पेग बना कर पिलाए...वाकई..आज नशा कुछ ज़्यादा ही हो रहा था.....


मैं(एक पेग ख़त्म कर के)- सोनम..एक बात पुच्छू....

सोनम- ह्म्म..शायद मैं जानती हूँ कि क्या पूछने वाले हो...

मैं- अच्छा...तो बताओ...

सोनम- नही..आप पूछिए....

मैं- ओह...तुम लड़कियों को पता सब होता है...पर पहल लड़के ही करे...हाँ..

सोनम(मुस्कुरा कर)- ये हमारा हक़ है...अब पूछिए भी...

मैं- तुमने मेरे सवाल का जवाब क्यो नही दिया...ना ही हाँ कहा और ना ही ना...

सोनम चुप रही...और दूसरा पेग बना कर मुझे पकड़ा दिया...

मैं- खामोशी कभी कोई जवाब नही होती सोनम...मुझे जवाब चाहिए...बोलो...

सोनम- पता नही...ना मैं कहना नही चाहती थी...और हाँ मैं कह नही सकती थी...

मैं- पर क्यो...कोई मजबूरी...??

सोनम- ऐसा ही समझो...मजबूर हूँ..अपने दिल से...

मैं- तो मैं वो मजबूरी ज़रूर जानना चाहूगा...जो तुम्हारे दिल को हाँ कहने से रोक रही है...

सोनम- नही...आप ना ही जाने तो अच्छा होगा...

मैं- बिल्कुल नही...अच्छा हो या बुरा...मैं जानना चाहूगा...अब बोल भी दो...

सोनम- शायद ये जान कर आप मुझसे नफ़रत करने लगे...

मैं(पेग ख़त्म कर के)- अगर ऐसा सोचती हो तो मैं वादा करता हूँ...कि कुछ भी हो...तुम मेरी नज़रों मे वैसी ही रहोगी...जैसी अभी हो...ओके..

सोनम- क्या...मतलब आप मानेगे नही...

मैं- मानना मेरी फ़ितरत नही...

फिर सोनम ने मेरे लिए एक और पेग बनाया और मुझे पकड़ा कर नज़रे नीचे झुका ली...

मैं- सोनम...मैं इंतज़ार कर रहा हूँ...

सोनम- मैं आपके लायक नही...

मैं- ये मैं डिसाइड करूगा...अभी मुझे वो मजबूरी जाननी है जो तुम्हे हाँ कहने से रोक रही थी...

सोनम- मैं अपनी हवस मे इतनी आँधी हो गई थी की...की..

सोनम कुछ कहते हुए इमोशनल हो गई...उसकी आँखे शायद नम भी हो गई थी. .

मैं- क्या...क्या किया था तुमने...

सोनम- मैने वो किया था जो ज़्यादातर लोग नही करते...मैने हवस की आग बुझाने के लिए अपने ही भाई के साथ....

और इतना बोल कर सोनम रोने लगी...उसको रोता देख कर मैं सोच मे पड़ गया कि अपना पेग ख़त्म करूँ या पहले उसे संभालू...

वो इसलिए क्योकि सोनम की कही बात ने मुझे कोई शॉक नही दिया था....वो मैं पहले से ही जानता था...
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,462,690 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 540,040 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,216,505 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 920,057 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,630,915 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,062,528 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,919,986 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,955,005 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,992,237 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 281,217 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 13 Guest(s)