College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
11-26-2017, 12:51 PM,
#12
RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
गर्ल'स स्कूल --5

वाणी जब चाय लेकर आई तो कमरे की ठंडक देखकर उच्छल पड़ी!,"वा, सर ए.सी." मैं भी अपनी किताबें लेकर उपर आती हूँ. कहकर वा दौड़ती हुई नीचे चली गयी! उसने स्कूल ड्रेस निकाल कर स्कर्ट और टॉप पहन लिया था. नव यौवन कयामत ढा रहा था. जाने अंजाने वो शमशेर की साँसों में उतरती जा रही थी.

थोड़ी देर बाद वह आई और बेड पर बैठकर पढ़ने लगी. ए.सी. की ठंडक में नींद आना स्वाभाविक था. वाणी बोली," सर जी, मुझे नींद आ रही है. थोड़ी देर यही सो जाउ."

"हां हां क्यूँ नही! अपना ही घर है. शमशेर ने चुटकी ली.

वाणी जल्द ही गहरी नींद में सो गयी. दिशा ने देखा उसका स्कर्ट जांघों पर काफ़ी उपर तक चढ़ गया है. पर सर से शरमाने के कारण वो कुच्छ नही बोली.

शमशेर ने एक एक्सर्साइज़ पूरी करवाने के बाद बोला. आज बहुत हो गया. इनकी प्रॅक्टीस कर लेना. बाकी कल करेंगे.

दिशा का वहाँ से जाने का मॅन नही कर रहा था. सच कहें तो दिशा को वो सारे सवाल आते थे. पर सर के साथ बैठने का आनंद लेने के लिए और अपने सर की नेहा से रखवाली करने के इरादे से वो वहाँ आई थी. पर अब क्या करती. वो वाणी को उठाने लगी. पर वाणी नींद में ही बोली," नही दीदी, मुझे यहीं सोना है! और उसने पलटी लेकर एक हाथ सिर की गोद में रख लिया.

शमशेर: सोने दो इसको! उठ कर अपने आप आ जाएगी.

फिर दिशा क्या बोलती. दिशा और नेहा अनमने मॅन से नीचे चली गयी.

शमशेर ने देखा, वाणी गहरी नींद में सो रही है, उसका स्कर्ट पहले से भी ज़्यादा उपर उठ गया है.


उसकी कोमल गोल गोल जन्घे और यहाँ तक की उसकी सफेद कच्च्ची भी सॉफ दिख रही थी. शमशेर ने उसके हाथ को आराम से उठाया और बेड पर उसके नज़दीक ही सीधा लेट गया....

सेक्सपेर ऐसे ही नही बना जाता. अगर आप चूत में लंड घुसाकर पानी निकालने को ही सेक्स समझते हैं तो ये तो 5 मिनिट की बात है, ना तो कोई उपर आएगा और ना ही शमशेर किसी दूसरी बात को सोचेगा. मेरे लिखने भर से ही वा सब कुच्छ भूल कर, वाणी की कछि निकाल कर उससमें अपना लंड पेल देगा. बस 4-5 मिनिट का रोना धोना और फिर वाणी की सिसकियाँ. लंड से चुड़वा कर वाणी भी बाग बाग हो जाएगी. ऐसे ही दिशा और एक एक करके स्कूल की सारी लड़किया. किसी को कुच्छ पता नही चलेगा. और अगर पता चल भी गया तो मेरे बाप का क्या जाता है. साले के साथ जो होगा सो होगा और कहानी ख़तम

पर मेरे प्यारे भाइयो और उनकी भाभियो, ज़रा दिमाग़ पर ज़ोर डालो. जितना मज़ा सेक्स के इंतज़ार का है क्या उतना मज़ा सेक्स में है? अगर नही है तो पढ़ते रहिए ना! क्या टेन्षन है.

एक बात और आज 4थ डे है इश्स थ्रेड का और मैने अभी तक किसी को मौका नही दिया है ये कहने का की भाई और लिखो, अपडेट करो! पर जो कॉंप्लिमेंट मुझे मिले हैं वो कहानी को देखकर कॅमल की गॅंड में मिर्ची के समान हैं.

एक लेखक को बदले में चाहिए ही क्या होता है. प्रेज़ और सजेशन्स... बस, उसमें भी आप कंजूसी कर रहे हैं...

अम्मा दिल नही टूटेगा मेरा! कुच्छ तो रहम करो मुझपर और अगर अच्छि लगे तो एक आध लाइन में गुणगान कर दो, बुरी लगे तो कोई सलाह दे डालो

ठीक कही ना मेने, अब बगैर लिखे अपने लंड को तननाए हुए या अपनी चूत को खुजलाते हुए बाथरूम में मत घुसना. बुरी बात है, क्यूँ हैं ना सर जी!

दिशा नेहा को छोड़ने गेट तक आई. वो विचलित सी थी. कही वाणी जानबूझकर तो सर के .... छ्हि छि, वह भी क्या सोचने लगी अपनी छ्होटी बहन के बारे में; वो तो कितनी नादान है. और मुँहफट इतनी की अगर उसके मॅन में कुच्छ भी होता तो मुझे ज़रूर बताती. अभी 2 महीने पहले जब एक लड़का उसको इशारा करके खेत के कमरे में बुला रहा था तो वो तो उस्स इशारे का मतलब भी ना समझी थी. घर आते ही सारी रामायण सुना दी थी मुझे. फिर मैने ही तो उसको मना किया था किसी को कुच्छ बताने के लिए. वो तो क्लास में ही अनाउन्स करने वाली थी. कितनी भोली है बेचारी...

उसकी मामी पड़ोस से नही आई थी. कहीं आने के बाद वो उसको ना दांते वाणी को उपर सोने देने के लिए, पर सर के सामने तो उसकी ज़ुबान ही ना खुलती थी, फिर वो इतनी बड़ी बात सर के सामने वाणी को कैसे कहती!

फिर भी उसको डर सा लग रहा था.

उधर शमशेर के हाथ में वाणी के रूप में ऐसा लड्डू आया हुआ था जिसको ना खाते बन रहा था ना छोड़ते. उसने वाणी के चेहरे की और देखा. दुनिया जहाँ की मासूमियत उसके चेहरे से झलक रही थी. कितने प्यारे गुलाबी होंट थे उसके. दूध जैसी रंगत उसके बदन को चार चाँद लगा रही थी. वह बैठ गया और वाणी की तरफ प्यार से देखने लगा. वा अपने सर के पास ऐसे सोई हुई थी जैसे उसका अपना ही कोई सगा हो. कुच्छ ही दिनों में कितना अधिकार समझ लिया था उसने शमशेर पर. उसकी नज़र वाणी की चुचियों पर पड़ी, जैसे दिशा की चुचियों का छ्होटा वर्षन हो. बंद गले का टॉप होने की वजह से वो उनको देख तो नही पाया, पर उनके आकर और कसावट को तो महसूस कर ही सकता था. केले के तने जैसी चिकनी टाँगे उसके सामने नंगी थी. कितनी प्यारी है वाणी.... अफ... शमशेर के अंदर और बाहर हलचल होने लगी. उसने लाख कोशिश की कि वाणी से अपना दिमाग़ हटा ले. पर आगे पड़ी कयामत से उसका ईमान डोल रहा था. लाख कोशिश करने के बाद भी जब उससे रहा ना गया तो उसने धीरे से वाणी को पुकार कर देखा,"वाणी!" पर वा तो सपनों की दुनिया में थी. शमशेर ने दिल मजबूत करके उसकी छतियो पर हाथ रख दिया. क्या मस्त चुचियाँ पाई हैं. जो भी इश्स फल को पकने पर खाएगा, कितना लकी होगा. शमशेर ने चुचियों पर से हाथ हटा लिया और धीरेधीरे करके उसके स्कर्ट को उपर उठा दिया. शमशेर का दिमाग़ भनना गया. पतली सी सफेद कच्च्ची में क़ैद वाणी की चिड़िया जैसे जन्नत का द्वार थी. शमशेर से इंतज़ार नही हुआ और उसने लेट कर उसकी प्यारी सी चूत पर अपना हाथ रख दिया. ऐसा करते हुए उसके हाथ काँप रहे थे. जैसे ही उसने वाणी की चूत पर कछि के उपर से हाथ रखा वो नींद में ही कसमसा उतही. शमशेर ने तुरंत अपना हाथ वापस खीच लिया, वाणी ने एक अंगड़ाई ली और शमशेर के मर्डाने जिस्म पर नाज़ुक बेल की तरह लिपट गयी. उसने अपना एक पैर शमशेर की टाँगों के उपर चढ़ा लिया.. इश्स पोज़िशन में शमशेर का हाथ उसकी चूत से सटा रह गया. शमशेर की हालत खराब होने लगी. हालाँकि शमशेर मानता था की वा आखरी हद तक कंट्रोल कर सकता है. इसी आदत से वा तडपा तडपा कर औरतों को अपना शिकार बनाता था. यही उसमें छिपि कशिश का राज थी. पर वाणी के मामले में कंट्रोल की वह हद मानो मीलों पिछे छूट गयी थी. अचानक सीढ़ियो पर आती आवाज़ ने उसको वही का वही जड़ कर दिया. वाणी को अपने से दूर हटाने का मौका भी उसके पास नही था. वा जैसे था उसी पोज़िशन में आँखें बंद करके लेटा रहा.

उपर आने वाले कदम दिशा के थे, उसकी मामी अब आने ही वाली होगी, ये सोचकर वो वाणी को


उठाने आई थी. अंदर का सीन देखकर दिशा का दिल धड़कने लगा. वाणी शमशेर से लिपटी मज़े से सो रही थी. एक पल के लिए उसके दिल में आया, काश.... और सोचने भर से ही वो शर्मा गयी. फिर सोचने लगी, इसमें सर की क्या ग़लती है. वो तो सीधे सो रहे हैं. वाणी की ही ये आदत है, मेरे साथ भी यह ऐसे ही कुंडली मार कर सोती है.

पर सर तो मर्द हैं; उनके साथ तो... कितनी बड़ी हो गयी है; इसमें तो अकल ही नही है. वह वाणी की तरफ बेड पर गयी, पहले प्यार से उसका स्कर्ट ठीक किया फिर उसके चुतदो पर हाथ मारा," वाणी!"

वाणी आँख मलते हुए उठी और दिशा को देखने लगी जैसे पहचानने की कोशिश कर रही हो.

"वाणी, चल नीचे!"

नही दीदी मैं यहीं रहूंगी, सर के साथ. शमशेर सब सुन रहा था.
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