RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
निशा उसके भाई की परीक्षा में प्रथम आई थी. अब सहना उसके वश में नही था... आख़िर उसको भी तो फर्स्ट आने का इनाम मिलना चाहिए.. वो घूमी और अपने भाई... सॉरी..! प्रेमी बन चुके भाई से लिपट कर अपनी तड़प रही चूचियों को शांत करने के कोशिश की...! संजय को उसकी चूचियाँ पनी छति में चुभती हुई सी महसूस हो रही थी... वा वही बैठ गया और अपनी प्रेमिका बेहन की तरसती चूत पर अपने होन्ट टीका दिए....
"प्लीज़.. बेड पर ले चलो!" निशा ने अपनी सुंदरता का इनाम माँगा...
संजय ने उसको दुल्हन की भाँति उठा लिया... और ले जाकर बेड पर बिच्छा कर उसको इनाम देने की कोशिश करने लगा.... उसके मुँह में...
"उफफफफफ्फ़ ! सहन नही होता... जल्दी नीचे डाल दो!" निशा बौखलाई हुई अपनी चूत की फांकों के बीच उंगली घुसने की कोशिश कर रही थी..
संजय ने मौके की नज़ाकत को समझा... वा नीचे लेट गया और निशा को अपने उपर चढ़ा लिया... दोनो और पैर करके...
निशा को अब और कुच्छ बताने की ज़रूरत नही थी.. वो अपनी चूत को उसके लंड पर रखकर घिसने लगी... लगातार तेज़ी से... और संजय हार गया... संजय के लंड ने पिचकारी छ्चोड़ दी... उसकी चूत की गर्मी पाते ही... और लंड का अमूल्या रस उसकी चूत की फांकों में से बह निकला... संजय ने बुरी तरह से निशा को अपनी च्चती पर दबा लिया और आइ लव यू निशा कहने लगा.. बार बार... जितनी बार उसके लंड ने रस छ्चोड़ा... वा यही कहता गया... निशा तो तड़प कर रह गयी... वा लगातार उसके यार के लंड को अपनी चूत में देना चाहती पर लगातार छ्होटे हो रहे लंड ने साथ ना दिया... वा बदहवास सी होकर संजय की छति पर मुक्के मारने लगी... जैसे संजय ने उसको बहुत बड़ा धोखा दे दिया हो...
पर संजय को पता था उसको क्या करना है... उसने निशा को नी चे गिराया और अपना रसभरा लंड उसके मुँह में ठूस दिया... वासना से सनी निशा ने तुरंत उसको ' 'मुँह में ही सही' सोचकर निगल लिया... और उसके रस को सॉफ करने लगी.. जल्दी जल्दी...
लंड भी उतनी ही जल्दी अपना संपुराण आकर प्राप्त करने लगा... ज्यों ज्यों वा बढ़ा निशा का मुँह खुला गया और लंड उसके मुँह से निकलता गया... आख़िर में जब संजय के लंड का सिर्फ़ सूपड़ा उसके मुँह में रह गया तो निशा ने उसको मुँह से निकलते ही बड़ी बेशर्मी से संजय से कहा," म्म्मेरी चूत में डाल दे इसको... मैं मार जवँगी नही तो...
संजय ने देर नही लगाई.. वा निशा के नीचे आया और उसकी टांगे उठा कर उन्हे दूर दूर कर दिया... निशा की चूत गीली थी और जैसे ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रही थी... संजय ने अपना लंड उसकी चूत के च्छेद पर रख दिया... निशा को पता था मुकाबला बराबर का नही है... उसने अपने आप ही अपना मुँह बंद कर लिया..
संजय ने दबाव बढ़ाना शुरू किया तो निशा की आँखें बाहर को आने लगी दर्द के मारे... पर उसने अपना मुँह दबाए रखा... और 'फ़च्च्छ' की आवाज़ के साथ लंड का सूपदे ने उसकी चूत को च्छेद दिया.. दर्द के मारे निशा बिलबिला उठी... वह अपनी गर्दन को 'मत करो के इशारे में इधर उधर पटकने लगी.... संजय ने कुच्छ देर उसको आराम देने के इरादे से अपने 'ड्रिलर' को वहीं रोक दिया... और उसकी छतियोन पर झुक कर उसके तने हुए दाने को होंटो के बीच दबा लिया... निशा क्या दर्द क्या शरम सब भूल गयी... उसका हाथ अपने मुँह से हटकर संजय के बालों में चला गया... अब संजय उसके होंटो को चूस रहा था... पहले से ही लाल होन्ट और रसीले होते गये... और उनकी जीभ एक दूसरे के मुँह में कबड्डी खेलने लगी... कामदेव और रति दोनो चरम पर थे... प्रेमिका ने अपने चूतदों को उठाकर लंड को पूरा खा सकने की समर्त्या का अहसास संजय को करा दिया... संजय उसके होंटो को अपने होंटो से दबाए ज़ोर लगाता चला गया... बाकी काम तो लंड को ही करना था... वह अपनी मंज़िल पर जाकर ही रुका...संजय ने लंड आधा बाहर खींचा और फिर से अंदर भेज दिया... अपनी प्रेमिका बेहन की चूत में... निशा सिसक सिसक कर अपनी पहली चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी.... एक बार झड़ने पर भी उसके आनंद में कोई कमी ना आई... हां मज़ा उल्टा दुगना हो गया... चिकनी होने पर लंड चूत में सत्तसट जा रहा था... नीचे से निशा धक्के लगाती रही और उपर से संजय... दौर जम गया और काफ़ी लंबा चलता रहा... दोनो धक्के लगाते लगाते एक दूसरे को चूम रहे थे; चाट रहे थे... और आइ लव यू बोल रहे थे... अचानक निशा ने एक 'अया' के साथ फिर से रस छ्चोड़ दिया... उसके रस की गर्मी से संजय को लगा अब वह भी ज़्यादा चल नही पाएगा.... संजय को चरम का अहसास होते ही अपना लंड एक दम से निकाल कर निशा के पतले कमर से चिपके पेट पर रख दिया... और निशा आँखें बंद किए हुए ही संजय के लंड से निकलने वाली बौच्चरों को गिन-ने लगी... आखरी बूँद टपकते ही संजय उसके ऊपर गिर पड़ा....
निशा ने उसके माथे को चूम लिया और उसकी आँखों में देखकर कहने लगी," मैं तुझे किसी के पास नही जाने दूँगी जान... तू सिर्फ़ मेरा है... मेरा यार... मेरा प्यार....
संजय गौर से दुनिया की सबसे सुंदर लगने वाली अपनी बेहन को देखने लगा.... पर अब उसको गौरी याद आ रही थी.............
उधर राज को मानो बिन माँगे ही मोती मिल गया... गौरी जैसी हॅसीन लड़की से इश्स तरह 'ब्लॅकमेल' कौन नही होना चाहेगा. वो खुद उसके और अंजलि के सामने बैठह्कर उन्न दोनो की लाईव सेक्स पर्फॉर्मेन्स देखना चाहती थी... राज को पूरा विस्वास था की इतनी सेक्सी लड़की उसके मोटे लंड को देखते ही अपने आप ही अपनी चूत को उसके आगे परोस देगी; भोगने के लिए...अंजलि तो इश्स बात को लेकर बहुत ही ज़्यादा विचलित थी... और राज भी उसके आगे मजबूरी होने का नाटक कर रहा था... पर अंदर ही अंदर वा इतना खुश था की वा रात होने का इंतज़ार ही नही कर पा रहा था... बार बार उत्तेजित होकर गौरी की और देखता और चुपके से अपने लंड को मसल देता... गौरी दोनो के चेहरों को देखकर मॅन ही मॅन बहुत खुश थी. वो नये नये तरीके जिनसे वो उन्न दोनो का भरपूर मज़ा ले सके; सोच रही थी...
2 घंटे का इंतज़ार गौरी और राज दोनों को ही बहुत लूंबा लग रहा था... उनको अहसास नही था की उनका ये इंतज़ार और लंबा होने जा रहा है...
दरवाजे पर बेल बाजी. गौरी ने दरवाजा खोला," पापा आप....!!!!!"
ओमप्रकाश अंदर घुसते हुए बोला," मेरे जल्दी आने से खुश नही हुई मेरी बेटी...! है ना!"
अंजलि को पहली बार उसको आए देख इतनी खुशी हुई," आ गये आप!" वो चहक्ती हुई सी बोली... लाईव गेम से जो बच गयी... कम से कम आज तो बच ही गयी थी.."
" अरे भाई क्या बात है...! कहीं खुशी कहीं गम" ओमपारकश ने राज से हाथ मिलते हुए कहा," और मास्टर जी, का हाल हैं..."
राज ने भी उखड़े मॅन से जवाब दिया," बस ठीक है श्रीमंन!"
ओमपारकश ने अपना बॅग बेड के साथ रखा और बेड पर पसर गया," लाओ भाई! कुच्छ चाय वाय नही पूछोगे क्या?" बड़ा थका हारा आया हूँ!" खा पीकर सो जाऊं!"
गौरी ने अंजलि के पास जाकर कान में कहा," दीदी! में आपको ऐसे नही बचने दूँगी... मेरी शर्त उधार रही" और राज की और देखकर मुश्कुरा दी......
राज अपने बिस्तेर पर पड़ा पड़ा सोच रहा था," अंजलि चुदाई करवाते हुए उसकी जगह शमशेर का नाम ले रही थी... तो क्या शमशेर ने....."
उसने अपना फ़ोन निकालकर शमशेर को डाइयल किया
शमशेर बाथरूम में था; फोन पर लड़की की मादक मधुर आवाज़ थी.
राज . जी नमस्कार दिशा भाभी जी
" दिशा भाभी जी नही, दिशा भाभी जी की बेहन बोल रही हूँ. कौन हैं आप?" वाणी समझदार होती जा रही थी...
"नमस्ते साली साहिबा! आप की आवाज़ बड़ी प्यारी है..."
वाणी: आपकी साली बोल रही हूँ... आप अपनी तारीफ तो सुनाइए..."
तभी दिशा ने फोन ले लिया," जी कौन?"
राज उसकी आवाज़ पर ही मोहित हो गया... पर वो शमशेर की बीवी होने का मतलब जानता था," मैं राज बोल रहा हूँ..."
दिशा शर्मा गयी... अगर वो शमशेर की पत्नी ना होती तो राज उसके सर होते," नमस्ते सर! ये वाणी थी... ये कुच्छ भी बोल देती है... वो नहा रहे हैं... निकलते ही बात करा दूँगी..."
राज: ठीक है
राज ने फोने रखते ही आह की... शमशेर कितना खुशकिस्मत है... तभी उसके फोन की घंटी बाज उठी... शमशेर का फोने था...," हां राज कैसे हो?"
राज: मैं तो जैसा हूँ ठीक हूँ, पर आपकी साली बहुत तीखी है भाई साहब!
शमशेर ने ज़ोर का ठहाका लगाया और पास ही खड़ी वाणी के सिर पर हाथ फेरने लगा...," कहो क्या हाल चाल हैं मेरी ससुराल के?
शमशेर ने दिशा की और आँख मारते हुए कहा... दिशा ने जैसे उसका मुँह नोच लिया प्यार से.... उसको पता था वो ससुराल का नही... ससुराल वालियों का हाल पूच्छ रहा है.... शमशेर ने उसको पकड़ कर अपनी बाजू के नीचे दबोच लिया... वाणी अपने जीजा की मस्ती देखकर ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी....
राज: भाई! ससुराल में तो हर और हर्याली है... एक फसल को काट-ता हूँ तो नयी लहराने लगती है... वैसे 'पोध' भी तैयार हो रही है... तेरी ससुराल की तो बात ही कुच्छ और है...
शमशेर हँसने लगा... दिशा से उसको बहुत डर लगता था... वो उसको प्यार जो इतना करती थी..
राज: एक बात पूच्छू?
शमशेर टहलते हुए कमरे से बाहर निकल आया," बोल"
राज: ये प्रिन्सिपल के साथ तेरा कुच्छ सीन था क्या?
शमशेर: हां यार! वहीं से तो कहानी शुरू हुई थी... पर तुझे किसने बताया?
राज: अब मेरा सीन है उसके साथ.... नीचे लेते हुए तेरा नाम बड़बड़ा रही थी...
शमशेर को आसचर्या हुआ," यार! वो ऐसी तो नही थी.."
राज: वक़्त सब कुच्छ बदल देता है दोस्त... तेरे साथ होने के बाद... वो बूढ़ा उसको कहाँ खुश कर पाता... वैसे बड़ी मस्त चीज़ है साली...
शमशेर सीरीयस हो गया... अंजलि ने उसको शादी के लिए प्रपोज़ किया था... उसको अंजलि के बारे में ये सब सुन-ना अच्च्छा नही लगा...," चल छोड़... और सुना कुच्छ..."
राज: कब आ रहे हो?
शमशेर: दिशा वाणी के पेपर्स ख़तम होने के बाद! एक महीने के लिए आएँगे...
राज: पेपर्स में तो अभी महीना बाकी है...
शमशेर: हां, वो तो है...
राज चल ठीक है... हम तो स्कूल की कन्याओं के साथ निकल रहे हैं... मस्ती के टूर पर...
शमशेर: कब?
राज: कुच्छ कन्फर्म नही है अभी... चलना है क्या?
शमशेर: नही यार, अब मेरे वो दिन नही रहे! चल एंजाय कर... ओ.के.
राज: बाइ डियर...
राज के हाथों से आज एक हसीन मौका निकल गया.... गौरी आते आते उसके हाथों से फिसल गयी.... उसको गौरी का ध्यान आया... वो उठ कर दरवाजे के के होल में से झाँकने लगा........
राज को लगता था की गौरी से डाइरेक्ट ही डील कर ली जाए... पर उसने देखा... गौरी तो सो चुकी है... वा मान मसोस कर वापस अंदर आकर सो गया....
अगली सुबह; प्रेयर के बाद अंजलि ने टूर की अनौंसेमेंट कर दी. तौर 3 दिन का होगा मनाली में... टूर पर जाने की इच्छुक लड़की को अपना नाम राज सर के पास लिखवाना था... वही इश्स टूर का इंचारगे था... लड़कियाँ खुश हो गयी... पर मेडम्स में से किसी ने रूचि नही दिखाई.... दोपहर आधी छुट्टी के बाद राज के पास 44 नाम लिखे जा चुके थे... इतनी सारी लड़कियों को मॅनेज करना अकेले राज और अंजलि के लिए मुश्किल हो जाता.... अंजलि ने राज को ऑफीस में बुलाकर कहा," राज! टूर तो कॅन्सल करना पड़ेगा!
राज ने अचरज से सवाल किया... उसकी तो सारी उम्मीदें टूर पर ही टिकी थी...," क्यूँ मॅ'म?
"कोई मेडम चलने को तैयार नही... इतनी सारी लड़कियों को मैं कैसे संभालूंगी?"
राज ने शरारती अंदाज में कहा," अरे इससे दौगुनी लड़कियाँ भी होती तो मैं अकेला ही संभाल लेता... आप जानती नही हैं
मुझे..."
अंजलि उसकी बात को समझ कर मुस्कुरा पड़ी," वो बात नही है राज! पर लड़कियों की कुच्छ पर्सनल प्राब्लम भी होती हैं... और वो एक औरत ही मॅनेज कर सकती है...क्या शिवानी नही आ सकती?
राज अपना मज़ा किरकिरा नही करना चाहता" वो आ सकती तो भी मैं उसको ले जाना नही चाहूँगा!"
तभी टफ ने ऑफीस में एंट्री मारी... उसने आते ही मेडम को नमस्कार किया और राज के कंधे पर ज़ोर से घूसा मारा...," क्या प्लानिंग चल रही है भैईई?"
"आओ इनस्पेक्टर साहिब! मुझे पता चला की तुम काई बार गाँव आए हो... और चुपके चुपके वापस हो लिए... बिना मिले... ये भी कोई बात हुई!" राज ने उससे हाथ मिलाते हुए कहा..
टफ ने मजबूरी बयान कर दी," अरे यार ड्यूटी में इतना टाइम ही नही मिलता... और तुझसे मिलने आ जाता तो तू जल्दी तहोड़े ही भागने देता... अब जाकर एक हफ्ते की छुट्टिया मिली हैं." खैर और सूनाओ कैसे हो"
राज ने बुरा सा मुँह बनाकर कहा," यार ये गाँव की मेडम भी ना... अभी हमारा टूर का प्रोग्राम बना था... कोई मेडम चलने को तैयार ही नही है... लड़कियों को 'संभालने' के लिए..." उसने संभालने पर कुच्छ ज़्यादा ही ज़ोर दिया...
"तुम्हारी ये प्राब्लम तो में सॉल्व कर सकता हूँ" टफ ने कहा.
राज की आँखें चमक गयी...," करो ना...."
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