RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
ओम की मुश्किल से जान में जान आई थी... एक वही तो गवाह थी.. जो उसको बचा सकती थी...," तू पागल है क्या... अपने बचने की टिकेट सिर्फ़ इसी के पास है... अगर मर गयी तो दोनो में से एक के फँसते ही दोनो फँसेंगे... मेरे पास एक आइडिया है...!"
"क्या?" शिव की समझ में कुछ नही आ रहा था.. उसको सच में ही आइडिया की ज़रूरत थी...
"इसको अपने फार्म हाउस पर क़ैद करके रखो....! अगर कुछ समस्या आई.. तो हम इसको जिंदा तो बरामद करा सकते हैं... अगर कोई समस्या ना आई तो तुम बेशक इसको मार देना....!" ओम ने उसको समझाया...
"कम से कम फाँसी से बचने के लिए शिव को ये उपाय पसंद आया... वे दोनो गाड़ी में बैठे और वापस हँसी की और चल दिए... वाया रोहतक.. बहड़ुरगर्ह... अपने फार्महाउस पर जाने के लिए...!
"यार! तू मुझे वापस छोड़ दे? घर जाकर मैं वहाँ की हालत ठीक कर दूँगा...!" ओम अपने आपको अब इश्स वारदात से दूर कर लेना चाहता था...
शिव ने कुछ देर सोचा... उसको लगा ये ठीक ही कह रहा है... अगर किसी पर शक होगा तो सबसे पहले ओम पर ही होगा... घर की ऐसी हालत देखकर!" और ओम फँसा तो समझो शिव तो फँस ही गया... उसने फिर से गाड़ी घुमा दी और तेज़ी से भिवानी की और चलने लगा...
करीब 1 बजे शिव ने ओम को गाँव के बाहर उतार दिया.. और वापस घूम गया... उसने शिवानी का हाथ पकड़ा.. उसने कोई हुलचल नही दिखाई दी... उसने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी...
ओम ने घर पहुँच कर सबसे पहले दारू की बोतल वाहा से हटाई.. फिर किचन को सॉफ किया ... गॅस अभी तक चालू थी... रोटी 'रख' बन चुकी थी..... गॅस बंद करके ओम पहले बेडरूम में गया.. और बिस्तेर की सीवतें ठीक की... एक जगह फर्श पर खून लगा हुआ था... ओम की समझ में नही आया की वो खून आख़िर है किसका.. पर उसने उसको भी सॉफ किया...
किचन की सफाई करने के बाद उसने हर जगह घूम कर देखा.... सब कुछ ठीक ठाक था... वा निसचिंत होकर बेड पर लेट गया... पर नींद उसकी आँखों में नही थी... वा यूँही करवट बदलता रहा...
.... बाथरूम में हॅंगर पर शिवानी का सूट टंगा हुआ था... राज का मनपसंद सूट... जो शिवानी अपने मयके जाते हुए पहन कर गयी थी... और वही पहन कर भी आई थी.. अपने राज के लिए!!
यहाँ ओम ग़लती कर गया....
करीब 3:30 पर बस स्कूल के पास आकर रुकी... सभी सो रहे थे...
ड्राइवर ने हॉर्न देकर सबको जगाया... नींद में आंगड़ाई लेते हुए सभी स्कूल की लड़कियाँ नीचे उतार कर अपने कपड़ों को ठीक करने लगी....
टफ, राज, अंजलि और प्यारी सबसे आख़िर में उतरे...
प्यारी ने टफ की और मुस्कुरकर देखा... उसको टूर पर ले जाने के लिए.. और टूर पर मज़ा देने के लिए..
टफ मुस्कुरा दिया," अच्छा आंटी जी, फिर कभी मिलते हैं...."
अंजलि ने टफ की बात सुनकर मुस्कुराते हुए राज से कहा," ये भी हमारे साथ ही चल रहे होंगे...
"नही नही.. मैं तो प्यारी आंटी के साथ ही जवँगा..." टफ ने हंसते हुए कहा और राज के साथ ही चलने लगा... गौरी ने निशा को भी अपने साथ ले लिया... सभी घर पहुँच गये...
अंजलि ने बेल बजाई... जागते हुए भी ओम ने थोड़ी देर से दरवाजा खोला.... ताकि उनको लगे की वो सो रहा था...
अंजलि ने अंदर आते ही टफ का इंट्रोडक्षन करवाया," ये हैं सब इनस्पेक्टर इन क्राइम ब्रांच, भिवानी! राज के...!"
सुनते ही ओम के माथे पर पसीना छलक आया... और दो बूंदे उसके लंड से भी चू पड़ी... पेशाब की... उसने अपना डर उससे नज़र हटा कर हटाया... वा कुछ ना बोला...
टफ की नज़र टेबल के पाए के साथ पड़े सिग्गेरेत्टे के टोटके पर पड़ी...," यार ये नेवी कट कौन पीता है... इसका तंबाकू तो बहुत तेज़ है!"
अंजलि ने जवाब दिया," यहाँ तो कोई सिग्गेरेत्टे पीता ही नही!" "या फिर छुप छुप के पीते हो!" अंजलि ने ओम की और मुखातिब होते हुए कहा....
"इश्स साले इनस्पेक्टर को भी अभी मरना था..!" ओम ने मॅन ही मान सोचा और कुछ बोला नही.. जाकर बिस्तेर पर ढेर हो गया...!"
उसका पसीना सूखने का नाम नही ले रहा था," पता नही क्या होगा!!!
|