RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
"विकी तो तेरे बिना जी नही सकता... जब साथ नही रख सकती तो क्यूँ लाई थी इश्स दुनिया में... क्यूँ पैदा किया था उसको" बुढ़िया की बात सुनकर राज के पैरों तले की ज़मीन खिसाक गयी... शिवानी ने बेटा पैदा किया है... राज को लगा जैसे घर की दीवारें गिरने वाली हैं.. उसको चक्कर सा आ गया.. उसने अपना सिर पकड़ लिया... वो एक बच्चे की मा का पति है... विकी की मा का पति.... शिवानी अंदर से पानी का गिलास लेकर आई और राज को दे दिया.. पागल सा हो चुका राज गिलास को हाथ में लेकर देखता रहा.. उसने जितना सोचा था.. शिवानी तो उस्स-से कहीं गिरी हुई निकली... वो तो सिर्फ़ ये सोच रहा था की उसने बाहर कोई यार पाल रखा है, और उससे गुलचर्रे उड़ाने जाती है... पर यहाँ तो मामला उससे भी भयानक निकला.. 5-6 साल का बेटा... राज के जी में आया वहीं सब को काट कर रख दे पर उसका शरीर जवाब दे चुका था.. उसमें तो कुछ पूछने तक की हिम्मत ना बची थी... वो टुकूर टुकूर शिवानी की गोद में बैठे विकी को देखता रहा,"मम्मी! ये अंकल कौन हैं.." शिवानी ने अपने साथ लाए कुछ खिलौने और खाने पीने की चीज़े विकी को दी," ये लो बेटा! मम्मी जुल्दी ही वापस आएगी..." "मम्मी आप मुझे साथ लेकर क्यूँ नही जाते! मेरा यहाँ पर दिल नही लगता!" शिवानी की आँखों में आँसू आ गये...,"जवँगी बेटा! तू थोड़ा सा बड़ा हो जा... हुम्म... फिर तू मेरे साथ ही रहना...जा अपनी दादी के साथ खेल ले दूसरे कमरे में..""अच्छा मम्मी!" अच्छे बच्चे की तरह विकी दूसरे कमरे में चला गया..राज शिवानी को आँखें फाड़कर देख रहा था.. पता नही अब अपने बेटे से मिलकर ये अपने आपको क्या शबित करना चाहती है...शिवानी अब और ज़्यादा सस्पेनस बनाकर नही रखना चाहती थी,"राज!ये मेरा बेटा नही है.. मेरी बेहन का बेटा है...."
"व्हाट? तुम्हारी बेहन कहाँ है?" "है नही थी..." शिवानी ने लंबी साँस लेते हुए कहा.. "प्लीज़ शिवानी! मेरा सिर फटा जा रहा है... तुम सेधे सीधे बताओ.. क्या चक्कर है विकी और तुम्हारा.. जहाँ तक मुझे पता है तुम तो अपने मा बाप की अकेली लड़की हो... और ये औरत कौन है? "ये मेरी बेहन की सास है...! मैं शुरू से बताती हूँ... शिवानी राज को फ्लेश बॅक में ले गयी... करीब 7 साल पहले...... मेरी एक बड़ी बेहन थी.. मुझसे 2 साल बड़ी... मीनू नाम था उसका... वह 17 साल की थी. उसको संजय से प्यार हो गया.. संजय राजपूत.. इश्स औरत का लड़का.. उसकी क्लास में ही पढ़ता था.. दोनो ने प्यार करने की हद लाँघते हुए एक दूसरे से शारीरिक संबंध बना लिए... मेरी बेहन को गर्भ ठहर गया... जमाने का डर और साथ जीने के सपने को साकार करने के लिए दोनो घर से भाग गये... एक दूसरे के भरोसे.... घर से कहीं दूर जाकर उन्होने शादी कर ली और मीनू ने घर पर फोने करके सूचना दी... पर मेरे घर वालों को ये शादी मंजूर नही हुई... मीनू नाबालिग थी... घर वालों ने एफ.आइ.आर. कर दी.. संजय को मीनू से प्यार का आरोपी बना दिया गया.. पोलीस उन्हे ढूँढने लगी... यहाँ आकर संजय की मा को पोलीस ने इतना सताया की ये बेचारी पागल हो गयी.. एक तो बेटे के जाने का गुम और दूसरे रोज़ रोज़ पोलीस की गाली गलोच... इसके पति तो पहले ही नही थे... संजय और मीनू ने खूब कोशिश की घरवालों और पोलीस से बचने की पर पैसे की तंगी और कम उमर के चलते वो जहाँ भी जाते.. लोगों को उन्न पर शक हो जाता और उन्हे वहाँ से भागना पड़ता... करीब 6 महीने बाद पोलीस ने दोनो को पकड़ लिया.. अदालत ने संजय को जैल भेज दिया. पर मेरी बेहन ने घर आने से माना कर दिया... वो नारी निकेतन चली गयी... वहीं पर मीनू ने विकी को जनम दिया... संजय मीनू की जुदाई और जैल में कदियो के ताने सहन ना कर सका और उसने जैल में ही फाँसी लगा ली... प्यार करने की सज़ा उसको समाज के हाथों से मंजूर नही थी.... मेरी बेहन को पता लगा तो उसके होश उड़ गये.. मैं उससे घरवालों से छिप कर मिलने जाती थी... उसकी तबीयत हर रोज़ बिगड़ने लगी.. उसको अपने अंत का अहसास हो गया था," शिवानी! मेरे बेटे को लावारिस मत होने देना... मैने प्यार किया था.. पाप नही... " ये उसके आखरी शब्द थे जो मैने सुने थे... कुछ दिन बाद में गयी तो पता चला मीनू नही रही.. मैने सभी जारूरी कागजात पुर किए और विकी को अपने साथ ले आई... पर घर वालों ने सॉफ मना कर दिया," इस पाप को हम अपने सिर पर नही धोएंगे... हूमें तुम्हारी शादी भी करनी है..." मैं क्या करती.. विकी को लावारिस तो नही छोड़ सकती थी.. सो इसको यहाँ ले आई.. पागल हो चुकी इसकी दादी के पास.. तब से लेकर अब तक.. मैं लगभग हर महीने घर वालों से और बाद में तुमसे झूठ बोलकर यहाँ आती रही.. काई बार सोचा.. तुम्हे बता दूं.. पर 6 महीने के बाद भी मुझे विस्वास नही होवा था की तुम मेरी बेहन के इश्स 'पाप' को अपने साथ रख लोगे.. बस अच्छे दिनों के इंतज़ार में थी......" राज ने शिवानी की आँखों से आँसू पोंछे और उसको सीने से लगा लिया," पगली! क्या मैं इतना बुरा हूँ..." राज ने विकी को पुकारा.. विकी के हाथ में हवाई जहाज़ था..," हां! अंकल!" राज ने उसको गोद में उठा लिया.. उसके गाल पर एक प्यार भरी पुचि दी," बेटा! मैं तुम्हारा अंकल नही पापा हूँ... मम्मी से बोलो... चलो अपने घर चलते हैं... शिवानी उठकर राज से चिपक गयी," आइ लव यू जान!... आइ लव यू..............
टफ शमशेर के पास ही था जब उसके फोने पर सीमा की कॉल आई. टफ ख़ुसी से नाच उठा," ये लो बेटा... अब तुम बन गये ता उ... मेरी तो निकल पड़ी भाई.." "क्या हुआ भैया?" "तू चुप हो जा बस.. घुस जा अंदर... बहुत हंस रही थी ना दिन में.." टफ ने वाणी को प्यार से दुतकारा... वाणी मायूस होकर अंदर जाने लगी... तो टफ ने उसको पकड़ लिया," मेरी छोटी बहना.. तेरी भाभी आने वाली है... गुस्सा मत हो.. तू मुझे भैया बोल लिया कर... ठीक है?" "नही! मुझे नही बोलना आपसे!" वाणी नाराज़ होकर चली गयी.... एक बार फिर से फोने बज उठा... टफ फोने लेकर छत पर जा चढ़ा.. उसने फोने काटा और खुद डाइयल किया," हेलो!" टफ की आवाज़ इतनी मधुर थी जैसे वो कड़क इनस्पेक्टर नही, कोई गवैया हो. "मैं बोल रही हूँ; सीमा!" "हां हां! मुझे पता है.. थॅंक्स फॉर कॉलिंग!" "वाडा जो किया था!" सीमा की आवाज़ में ले थी, मधुरता थी... और हूल्का हूल्का प्यार भी मानो छान कर आ रहा था.. "थॅंक्स!" "अब सारे थॅंक्स बोल लिए हों तो....." सीमा बीच में ही रुक गयी... "सॉरी!" मैं कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइट हो रहा हूँ......" फिर चुप हो गया.. "तुम लेटर बहुत अच्छा लिखते हो...." "थॅंक्स" "फिर थॅंक्स... अभी तक तुमने थॅंक्स और सॉरी के अलावा कुछ नही बोला है...." सीमा उसको उकसा रही थी.. उस बात के लिए जो उसने लेटर मैं पढ़ी थी और खुद भी कहना चाहती थी... "आइ लव यू सीमा!" "मैं कैसे मान लूँ?" "मैं वेट कर सकता हूँ... तुम्हारे मान लेने तक.." "बहुत देर हो गयी तो?" "मार जाउन्गा.." "क्यूँ... मेरे बिना?" "नही! तुम्हे साथ लेकर..." पता नही इतनी हाज़िर जवाबी कहाँ से आई टफ को... सीमा हन्स पड़ी... टफ फोने के अंदर से आ रही उस्स वीना के तारों की खनक सुनकर मंतरा मुग्ध सा हो गया. उसने पहली बार सीमा को हुंस्ते देखा था..," आपकी हुनसी बहुत प्यारी है.." "क्या तुम सच में सारी उमर मुझे झेल सकते हो!" सीमा ने गॅरेंटी माँगी.. अगर पहले वाला टफ होता तो यक़ीनन यही कहता," पेल (चोद) सकता हूं; झेल नही सकता," आजमा कर देखना!" "क्या मैं मम्मी को बता दूं?" "क्यूँ नही! तुम हां कर दो! मम्मी को तो मैं ही बता दूँगा.." "वैसे पूच सकती हूँ की ये प्यार मुझ पर कैसे लूटा रहे हो..?" "सच बोलता हूँ सीमा! तुमने मुझे इंसान बना दिया है... शायद अगर तुम ना मिलती तो मैं वैसा ही रहता.. पर मुझे लगता है भगवान ने तुम्हे मुझे सुधारने के लिए ही भेजा था....." "सुनो!" सीमा ने टफ को बीच में ही रोक दिया.... "क्या?" "मैं मम्मी को बता दूं और उन्होने मना कर दिया तो..?" टफ कुछ बोल ही ना पाया... .... "मज़ाक कर रही हूँ.... मैने मम्मी को बोल दिया है और उन्हे तुम पसंद हो..." टफ खिल उठा," और तुम्हे!" "देखती हूँ..... अच्छा मेरे एग्ज़ाम नज़दीक हैं... अब मुझे पढ़ाई करनी है.. ओ.के.?" टफ ने एक लुंबी साँस ली.... उस्स साँस में जुदाई की कशिश थी..," ओके.. गुड नाइट.." "गुड नाइट! स्वीट ड्रीम्स!"" कह कर सीमा ने फोने काट दिया.... राज शिवानी और विकी के साथ घर पहुँचा तो ओम वहाँ आ चुका था.. राज का खून खौल उठा... शिवानी की आत्मा पर लगे घाव राज को अब उसके पाक सॉफ साबित होने पर चुभने लगे थे. राज ने ओम का गला पकड़ लिया," हररंजड़े! तू भेड़ की शकल में भेड़िया है कुत्ते.. " राज ने ओम को झकझोर दिया... तभी अंजलि बीच में आ गयी," प्लीज़ राज! अपने आपको संभलो, जो कुछ हुआ; इसमें इनका दोष नही है.. इन्होने मुझे सबकुछ बता दिया है... चाहो तो शिवानी से पूछ लो... इन्होने तो उल्टा शिवानी की जान बचाई है... शिव इसको नदी में फैंकने जा रहा था...!" "पर सबकुछ इश्स हरमजड़े की वजह से ही हुआ है.. ये चाहता तो उसको पहले ही रोक सकता था.." राज को शिवानी बीच रास्ते सब बता चुकी थी...
ओम राज के पैरों में गिर गया.. ," मुझे माफ़ कर दो भाई.. मैं नशे में था और मुझे समय से पहले होश नही आया... बाद में जब मुझे अहसास हुआ तो सभ कुछ खो चुका था..." ओम की आँखों में पासचताप के आँसू थे.. "तू मुझे उस्स कुत्ते का नाम पता बता... उसको तो में ऐसे छोड़ूँगा नही..." ओम शिव के बारे में जितना जानता था.. सब बक दिया.. राज ने टफ के पास फोन किया," दोस्त! मैं अपनी शिवानी को इंसाफ़ दिलाना चाहता हूँ... मैं ग़लत था... उसके साथ बहुत ही बुरा हुआ है.." "मेरे यार! मुझे जानकार बहुत खुशी हुई की देर से ही सही; तुम्हारा विस्वास, तुम्हारा प्यार तुम्हे वापस मिल गया... अब तुम मुझ पर छोड़ दो... और बीती बात को भुला कर अपनी खुशियाँ वापस ले आओ... मैं कल ही आकर शिवानी की स्टेट्मेंट दिलवा देता हूँ... उनको कोई नही बचा सकता... अब चैन से खा पीकर सो जाओ.." टफ को जानकार बड़ी खुशी हुई की राज का अपनी बीवी पर शक ग़लत था... दिशा और वाणी बैठी पढ़ाई कर रही थी... शमशेर ने दिशा को बेडरूम में बुलाया," दिशा! एक बार आना तो सही..!" दिशा अपनी किताब खुली छोड़ कर बेडरूम में गयी," क्या है!" शमशेर ने उसको पकड़ लिया और अपनी छाती से लगाने की कोशिश करने लगा... इश्स प्यार को देखकर कौन नही पिघल जाएगा पर दिशा ने उसको तड़पाने के इरादे से अपनी कोहनियाँ अपनी छतियो और शमशेर के सीने के बीच फँसा दी.. और मुँह एक और कर लिया," छोड़ो ना! मुझे पढ़ाई करनी है...!" "जान! ये पढ़ाई तो मेरी जान की दुश्मन बन गयी है... पता है आज तीसरा दिन है...! प्लीज़... बस एक बार.. 30 मिनिट में क्या होता है..? मान जाओ ना.." "नही! मुझे प्यार करने के बाद नींद आ जाती है... छोड़ो ना.. वाणी क्या सोचेगी.. पढ़ने भी नही देता...!" शमशेर ने उसकी हथेलियों को अपने हाथों में लेकर दोनो और दीवार से चिपका दिया.. अब दिशा कुछ नही कर सकती थी.. शमशेर को अपने उपर छाने से रोकने के लिए.. उसने आत्मसमर्पण कर दिया.. जब दिशा की छातियाँ शमशेर के चौड़े सीने से डब कर कसमसाई तो वो जन्नत में पहुँच गयी... उसको कुछ याद ना रहा.. ना वाणी, ना पढ़ाई.. अपने रसीले होन्ट भी उसने शमशेर के सुपुर्द कर दिए.. चूसने के लिए..
दिशा के वापस आने की राह देख रही वाणी को जब गड़बड़ का अहसास हुआ तो वा ज़ोर ज़ोर से गाने लगी..," तुम्हारे शिवा हम कुछ ना करेंगे जब तक जियेंगे जब तक रहेंगे उन दोनो को पता था.. वाणी उनको छेड़ने के लिए गाना गा रही है..," ज़रा एक मिनिट छोड़ दो.. मैं उसको सबक सीखा कर आती हूँ.." दिशा को वाणी पर गुस्सा आ रहा था.. उसने तो जैसे सपने से जगा दिया.. "मुझे पता है.. तुम कल की तरह मुझे चकमा देकर भाग जाओगी.. " शमशेर पागल हो उठा था.. उसमें डूब जाने के लिए.. "नही..! मैं अभी आआए.. दिशा ने खुद को चुडवाया और बाहर भाग आई," बनाउ क्या तुझे.. लता मंगेशकर..?" दिशा ने प्यार भरे गुस्से से वाणी को झिड़का.. "नही दीदी! मैं तो बस.. बॅक ग्राउंड म्यूज़िक दे रही थी.. अंदर चल रही पिक्चर के लिए..!" वाणी ने खिलखिला कर हंसते हुए अपनी बेहन पर तीर मारा.. "तू है ना! बहुत शैतान हो गयी है... अब जब तक मैं आऊँ.. सोना मत.. ये चॅप्टर कंप्लीट मिलना चाहिए.. समझी..." दिशा ने बात को टालते हुए कहा.. "दीदी! आपका कोई भरोसा नही है.. आप तो क्या पता सारी रात ही कमरे से बाहर ना निकलो.. तो क्या मैं आपका सारी रात वेट करूँगी?... मैं तो एक घंटे से ज़्यादा नही जागूंगी..." "ठीक है बाबा! एक घंटे में सो जाना. ओक?" कहकर दिशा ने अपनी किताब बंद करके रखी और अंदर चली गयी... अंदर से दिशा की सिसकारी सुनकर वाणी को अपने अंदर गीलापन महसूस हुआ......
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