RE: Desi Kahani अनोखा रिश्ता... अनोखी चाहत
कुत्ते की ज़ुबान समीना की रानों के ऊपरी हिस्से को चाट रही थी... उसकी चूत के इर्द-गिर्द... जैसे अभी के अभी उसकी स्कर्ट के अंदर चूत तक पहुँच जायेगी जिसे उसकी पैंटी ने ढक रखा था। समीना की आँखें बंद थीं... टाँगें पूरी खुली हुई थीं... मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं... पूरे का पूरा जिस्म झटके खा रहा था। कुत्ते टॉमी की ज़ुबान उसके पूरे जिस्म में आग लगा रही थी। उसका दिल चाह रहा था कि वो अपने जिस्म पर मौजूद सारे के सारे कपड़े उतार फ़ेंके... और टॉमी की ज़ुबान के लम्स को अपने पूरे जिस्म पर महसूस करे.. पूरे जिस्म पर उसकी ज़ुबान को फिरवा कर मज़े ले। अभी वो अपने दिमाग में पैदा होने वाली इस ख्वाहिश को पूरा करने या लंट्रोल करने के बारे में फ़ैसला नहीं कर पा रही थी कि घर के अंदर के दरवाज़े की बेल बज उठी। समीना जैसे होश में आ गयी... अपनी आँखें खोलीं... टॉमी को अपने जिस्म पर से पीछे हटाया। वो भी बेल की आवाज़ से चौंक कर चौकन्ना हो चुका हुआ था। समीना ने शर्मिंदा नज़रों से टॉमी की तरफ़ देखा और फ़िर सोफ़े पर से उठ कर अपनी पेंसिल हील की सैंडल खटखटाती हुई दरवाज़ा खोलने के लिये बढ़ गयी। उसका जिस्म हौले-हौले काँप रहा था और चेहरा सुर्ख हो रहा था... मुँह खुश्क हो रहा था। दरवाज़ा खोला तो सामने खानसामा था जोकि खाना पकाने के लिये आया था। समीना ने टीवी लाऊँज में वापस आते हुए उसे ठंडा पानी ला के पिलाने को कहा और वापस जा कर सोफ़े पर बैठ गयी और अपने से कुछ दूर बैठे हुए टॉमी को देखने लगी। खानसामा पानी दे गया तो पानी पीने के बाद उसने फिर कालीन पर पड़े पहले वाले वाइन-गिलास में वाइन भरी और आहिस्ता-आहिस्ता वाइन पीती हुई टॉमी के बारे में ही सोचती रही कि किस क़दर अजीब बात है... किस क़दर अजीब लज़्ज़त और मज़ा था उसकी ज़ुबान में। वो सोच रही थी कि अगर... अगर... अगर टॉमी की ज़ुबान उसकी नंगी चूत को चाटती तो उसे कितना मज़ा आता। ये बात ज़हन में आते ही उसके पूरे जिस्म में एक झुरझुरी सी फैल गयी और चेहरा एक हल्की सी मुस्कुराहट के साथ सुर्ख हो गया। टॉमी भी अपनी जगह पे नीचे क़लीन पर बैठा अपनी बड़ी-बड़ी आँखों के साथ अपनी मालकिन को देख रहा था... जैसे अपने काम की तारीफ़ चाहता हो... जैसे कुछ इनाम चाहता हो। अपने सामने बैठे हुए कुत्ते और अपने बारे में ऐसा सोचते हुए समीना को थोड़ी शरम सी आ रही थी मगर कोई गलती होने की शर्मिंदगी नहीं थी। वाइन की हल्का सा नशा उसे बहोत अच्छा लग रहा था। वो मुस्कुरायी और वाइन खतम करके टॉमी की तरफ़ देखती हुई अपने बेडरूम की तरफ़ बढ़ गयी। ।
जैसे ही टॉमी ने अपनी खूबसूरत मालकिन को उठ कर अपने बेडरूम की तरफ़ जाते हुए देखा तो वो भी फ़ौरन अपनी जगह से उठा और उसके पीछे-पीछे चल पड़ा। समीना ने जैसे ही अपने पीछे मुड़ कर दरवाज़ा बंद करने का इरादा किया तो टॉमी दरवाज़े के बिल्कुल सामने खड़ा था और बड़ी ही अजीब नज़रों से वो समीना को देख रहा था। उसकी लंबी गुलाबी ज़ुबान बाहर लटक रही थी और बड़ी-बड़ी आँखें समीना की खूबसूरत आँखों से मिली हुई थीं। टॉमी समीना की तरफ़ ऐसे देख रहा था जैसे कि वो अपनी मालकिन से उसके कमरे के अंदर आने की इजाज़त तलब कर रहा हो। आज तक समीना ने या जमाल खान ने टॉमी को अपने बेडरूम में आने से मना नहीं किया था... वो जैसे चाहता था अंदर आ जाता था मगर आज समीना उसे अंदर आने देने के लिये सोच रही थी कि आने दे या नहीं। मगर फ़िर जैसे उसे इस बे-ज़ुबान पर तरस आ गया हो... वो उसे रास्ता देती हुई बोली, “ठीक है आ जाओ अंदर... लेकिन याद रखना कोई शरारत नहीं चलेगी... समझे!” टॉमी ये सुन कर जल्दी से अंदर को बढ़ा जैसे उसे अपनी मालकिन की शर्त मंज़ूर हो।
कमरे के अंदर आकर अब समीना सोचने लगी कि वो जिस काम के लिये अपने कमरे में आयी है वो अब टॉमी के सामने करे या नहीं करे... यानी अब वो टॉमी के सामने ही अपने कपड़े उतार कर अपनी चूत में वॉयब्रेटर से खुद-लज़्ज़ती हासिल करे या फ़िर बाथरूम में जा कर ये काम करे। समीना ने कुत्ते की तरफ़ देखा जोकि एक तरफ़ नीचे कालीन पे बैठा हुआ था बड़े ही आराम से और अपनी बड़ी-बड़ी आँखों के साथ अपनी मालकिन समीना की तरफ़ ही देख रहा था। समीना ने बाथरूम के अंदर जा कर ही मुठ मारने का फ़ैसला किया और अपनी अलमारी की तरफ़ जा कर लंड की शक्ल का वॉयब्रेटर निकालने लगी जो वो जमाल खान के साथ फ्रांस के टूर के दौरान पेरिस से लायी थी। जब कभी उसकी चूत में मस्ती उबाल मारती थी तो अकेले में समीना इस वॉयब्रेटर की मदद से खुद-लज़्ज़ती हासिल कर लेती थी।
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