RE: Desi Kahani अनोखा रिश्ता... अनोखी चाहत
अपने हाथ में पकड़ कर टॉमी के सुर्ख लंड को सहलाते हुए समीना की नज़रों में वो तमाम फ़िल्में चल रही थीं जानवरों से चुदाई की जो उसने पहले देख रखी थीं। उसके दिमाग में घूम रहा था कि कैसे औरतें कुत्तों के लन्न मुँह में ले कर चूसती हैं... कैसे उसे अपनी ज़ुबान से चाटती हैं! पहले जब उसने ये सब देखा था तो उसे हैरत होती थी मगर अब इस वक़्त हक़ीक़त में एक कुत्ते का लंड अपने हाथ में पकड़ कर उसे सहलाते हुए उसका ज़हन कुछ बदल रहा था। अब उसे इतना अजीब नहीं लग रहा था। बल्कि उसका दिल चाह रहा था कि आज एक बार... सिर्फ़ एक बार... पहली और आखिरी बार... वो भी इस कुत्ते के लंड को अपनी ज़ुबान लगा कर चेक तो करे कि कैसा लगता है उसका ज़ायका! और क्या सच में कोई मज़ा भी आता है या कि नहीं! यही सोचते हुए बिल्कुल ग़ैर-इरादी तौर पर और ऐसे कि जैसे वो किसी जादू के ज़ैर असर हो... आहिस्ता-आहिस्ता टॉमी के लंड की तरफ़ बढ़ रही थी... बिल्कुल करीब! उसके होंठ टॉमी के लंड के बिल्कुल करीब पहुँच चुके थे। उसका अपना दिमाग बिल्कुल बंद हो चुका हुआ था। वो कुछ भी और नहीं सोच रही थी। बस उसे टॉमी का लंड ही नज़र आ रहा था। बिना सोचे समझे आखिरकार समीना ने अपने होंठों के साथ टॉमी के लंड को छू लिया... सिर्फ़ एक लम्हे के लिये... और फ़ौरन ही उसका मुँह पीछे हट गया। समीना को हैरत हुई कि उसे ये बुरा नहीं लगा था। डरते-डरते समीना ने टॉमी की तरफ़ देखा... फ़िर अपने इर्द गिर्द एक नज़र दौड़ायी... ये देखने के लिये कि कोई उसे देख तो नहीं रहा। फ़िर अपनी तसल्ली करने के बाद उसने दोबारा अपने होंठ टॉमी के लंड की तरफ़ बढ़ाये और एक बार फ़िर उसके लंड को अपने होंठों से छुआ। अपना हाथ पीछे के हिस्से में ले जा कर समीना ने उसके लंड के मोटे गोल हिस्से के पीछे से टॉमी के लंड को अपने हाथ की गिरफ़्त में लिया और अपने होंठों को जोड़ कर उसके लंड पर लंबाई के रुख फिराने लगी। अजीब सा मज़ा आने लगा था समीना को। वो अपने होंठों से जैसे उसके लंड को सहला रही थी... चूस रही थी!
कुछ देर तक ऐसे ही अपने होंठों के साथ टॉमी के लंड को सहलाने के बाद समीना का खौफ़ और झिझक खतम हो रही थी। उसे जैसे-जैसे ये सब अच्छा लग रहा था... वो वैस- वैसे ही खुलती जा रही थी। साथ ही उसके होंठ भी खुले और उसकी ज़ुबान बाहर निकली और उसने अपनी ज़ुबान की नोक के साथ टॉमी के लंड को सहलाना शुरू कर दिया। वो उसके लंड पर अपनी ज़ुबान आहिस्ता-आहिस्ता फिराने लगी... उसकी नोक से ले कर उसकी पीछे की मोटी गोलाई तक। समीना अब अपनी ज़ुबान फिराती हुई उसके लंड को महसूस कर रही थी। कुछ अजीब सी चीज़ लग रही थी... नयी सी... जमाल के लंड से मुखतलीफ़... अजीब सा मगर अच्छा! समीना ने अपनी ज़ुबान को टॉमी के लंड की नोक पर रखा और उसे अपनी ज़ुबान से चाटने लगी। समीना को हैरत हुई कि उसमें से वक्फ़े-वक्फ़े से थोड़ा-थोड़ा पानी निकल रहा था... हल्की सी धार की सूरत में और एक बार तो जब समीना की ज़ुबान उसकी नोक पर थी तो वो ही पानी उसकी ज़ुबान पर आ गया। समीना ने फ़ौरन अपन मुँह पीछे हटा लिया मगर ज़ुबान पर उसका ज़ायका रह गया। तभी समीना को लगा... एहसास हुआ कि उसका ज़ायका कुछ इतना भी बुरा नहीं है। समीना ने अब एक बार फ़िर अपनी ज़ुबान से उसके लंड को चाटना शुरू कर दिया और फ़िर पीछे अपनी ज़ुबान ले जा कर उसकी मोटी गेंद को चाटा। समीना ने एक बार फ़िर हिम्मत करके उसके लंड की टोपी को अपने होंठों के बीच में लिया और उसे चूसने लगी... आँखें बंद करके... कुछ भी ना सोचते हुए... मगर उसके लंड से निकलने वाले पानी को कबूल करते हुए!
फ़िर टॉमी के लंड से उसका हल्का-हल्का पानी निकल कर समीना के मुँह के अंदर गिरने लगा मगर इस बार समीना ने उसके लंड को अपने मुँह से बाहर नहीं निकाला और उसे चूसने लगी। उसके लंड का पानी निकल-निकल कर समीना के मुँह के अंदर गिरने लगा। कुछ अजीब सा ज़ायका लग रहा था उसे... मर्द के लंड से मुखतलीफ़! गाढ़ा पानी नहीं था मर्द की तरह बल्कि पतला-पतला सा था... नमकीन सा... कसैला सा... जोकि अब समीना के हलक़ से नीचे उतर रहा था... उसके गले में से होता हुआ उसके पेट के अंदर। समीना को ये ज़रा भी बुरा नहीं लग रहा था। वो अब अपने हाथों और घुटनों के बल झुकी हुई थी और टॉमी का लंड अपने हाथ में पकड़ कर उसे अपनी ज़ुबान से चाट रही थी और कभी उसे मुँह के अंदर लेती और चूसने लगती। सब कुछ भूलभाल कर समीना अब सिर्फ़ मज़ा ले रही थी। खुद को पूरी तरह से अपने कुत्ते के साथ मस्त कर चुकी हुई थी... जानवर और इंसान का फ़र्क़ खतम कर चुकी थी और उसके लंड को चूसती चली जा रही थी।
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